Tuesday, September 16, 2025
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कोलकाता में कम हुए अपराध, बेहतर हुआ है ट्रैफिक – विनीत गोयल

95 प्रतिशत लोग पहनने लगे हैं ट्रैफिक
कोलकाता । मर्चेंट्स चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने हाल ही में कोलकाता के पुलिस कमिश्नर विनीत कुमार गोयल, ज्वाएंट कमिश्नर (क्राइम) मुरलीधर (आईपीएस) और ज्वाएंट कमिश्नर (ट्रैफिक) संतोष पांडे के साथ एक विशेष सत्र आयोजित किया।
कुमार ने कहा कि हत्या जैसे बड़े अपराधों में कमी आ रही है और शहर में पिछले वर्ष 45 के मुकाबले 2022 में 35 हत्या के मामले दर्ज किए गए। उन्होंने कहा कि सीसीटीवी कैमरों का एक नेटवर्क अपराधों का पता लगाने में बड़ी भूमिका निभा रहा है और पिछले साल मामलों की संख्या घटकर 103 प्रति लाख रह गई है। कुछ मामलों में निजी लोगों ने भी सीसीटीवी कैमरे लगवाए, जिससे पुलिस को अपराधों का पता लगाने में मदद मिली। उन्होंने एमसीसीआई से सीसीटीवी कैमरों के अपने नेटवर्क का विस्तार करने का आग्रह किया, जो एक अच्छे कारोबारी माहौल में मदद करने वाले अपराधों पर और नियंत्रण और अंकुश लगा सके। गोयल ने कहा, “कोलकाता यातायात नियंत्रण में उत्कृष्ट है और पूरे शहर के सिग्नलिंग को प्रोग्रामिंग लॉजिक कंट्रोलर (पीएलसी) के माध्यम से केंद्रीय रूप से नियंत्रित किया गया था, जिसे कोलकाता पुलिस ने सबसे पहले पेश किया था। उन्होंने कहा कि इस्राइल कोलकाता के यातायात नियंत्रण से प्रभावित है। उन्होंने कहा कि कैमरों ने मामलों का पता लगाने में सुधार किया है और 99 प्रतिशत गति अनुपालन के साथ सड़क सुरक्षा में सुधार हुआ है। कोलकाता ट्रैफिक पुलिस ने इस साल जनवरी में 7 मौतें दर्ज की हैं जबकि पिछले साल इसी महीने में 14 लोगों की मौत हुई थी। कोलकाता में हेलमेट का इस्तेमाल 95 प्रतिशत तक बढ़ गया है लेकिन कोलकाता पुलिस इसे शत – प्रतिशत तक कवर करने की कोशिश कर रही है । हालाँकि, साइबर और आर्थिक अपराध बड़ी चुनौती के रूप में सामने आ रहे थे और लोगों में जागरूकता पैदा करनी होगी ताकि ऐसे अपराधों को रोका जा सके।
उन्होंने कहा कि शहर में सड़क की जगह सीमित थी क्योंकि शहर में 20 प्रतिशत की आवश्यकता के मुकाबले केवल 7 प्रतिशत सड़क स्थान था, लेकिन वाहन साल-दर-साल 6% की दर से बढ़ रहे थे। बैठक की अध्यक्षता कर रहे एमसीसीआई के अध्यक्ष नमित बाजोरिया ने शहर में कानून व्यवस्था बनाए रखने और यातायात को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को अथक प्रयास करने के लिए बधाई दी। उन्होंने बढ़ते आर्थिक अपराधों और साइबर अपराधों पर चिंता जताई जो कभी-कभी सीमा पार क्षेत्रों से होते थे। बाजोरिया ने हालांकि, 2021 की राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट का हवाला दिया, जिसने कोलकाता को सबसे सुरक्षित शहर के रूप में दिखाया।

केन्द्र पर राज्य के 2409 करोड़ रुपये का जीएसटी मुआवजा बकाया

कोलकाता । मर्चेंट्स चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने राज्य की वित्त राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) चंद्रिमा भट्टाचार्य के साथ एक विशेष सत्र आयोजित किया। बैठक की अध्यक्षता एमसीसीआई के अध्यक्ष नमित बाजोरिया ने की । भट्टाचार्य ने कहा कि जीएसटी मुआवजे के रूप में राज्य को केवल इस दलील पर जून 2022 के महीने के लिए 824 करोड़ रुपये मिले हैं कि महालेखाकार ने अद्यतन खातों को जमा नहीं किया है। उन्होंने कहा कि जीएसटी परिषद की अध्यक्ष निर्मला सीतारमण ने 6 राज्यों के लिए जीएसटी मुआवजे के रूप में 16,524 करोड़ रुपये की घोषणा की, जिन्होंने दिनांकित खातों को प्रस्तुत किया और पश्चिम बंगाल को इसमें शामिल नहीं किया गया। बाद में उन्होंने 23 राज्यों के लिए 16,982 करोड़ रुपये के जीएसटी मुआवजे की घोषणा की और पश्चिम बंगाल को इसके लिए 824 करोड़ रुपये मिले, भट्टाचार्य ने कहा कि यह पश्चिम बंगाल के बारे में केंद्र के दोहरे मापदंड को दर्शाता है।
केंद्र की ओर से उल्लेख किया गया है कि पश्चिम बंगाल की रसीदें केवल जून महीने के लिए थीं और बाकी महीनों के मुआवजे को मंजूरी दे दी गई थी। पश्चिम बंगाल पर जीएसटी मुआवजे के रूप में 2409 करोड़ रुपये बकाया हैं और यह शुद्ध संरक्षित जीएसटी के आधार पर दिया गया है। हालांकि, भट्टाचार्य ने कहा कि पश्चिम बंगाल का पूंजीगत व्यय केंद्र के जीएसटी मुआवजे पर निर्भर नहीं है। बाजोरिया ने भट्टाचार्य को उनके 2023-24 के बजट के लिए बधाई देते हुए कहा कि बजट ने सामाजिक उत्थान और औद्योगीकरण के बीच एक अच्छा संतुलन बनाए रखा है। बजट में की गई पहलों की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि विकास को बढ़ावा देने की आवश्यकता को देखते हुए राज्य को अधिक पूंजीगत व्यय की आवश्यकता है। कार्यक्रम का समापन एमसीसीआई के वरिष्ठ उपाध्यक्ष ललित बेरीवाला द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ ।

 

खेला होबे 2.0 – एक चैरिटी व्हील चेयर क्रिकेट मैच का आयोजन

कोलकाता । खेला होबे 2.0 व्हील चेयर क्रिकेट मैच हाल ही में आयोजित किया गया । इसका आयोजन रविवार को कोलकाता के प्रगति संघ मैदान में किया गया था। इस कार्यक्रम में समाज की कई विशिष्ठ हस्तियों में से पूर्व क्रिकेटर विनोद कांबली, क्रिकेटर आर पी सिंह, विधायक तापस रॉय, राज्यसभा सांसद डॉ. शांतनु सेन, पार्षद अंजन पॉल समेत गणमान्य अतिथि मौजूद थे। एसए वेंचर की संस्थापक एवं सामाजिक उद्यमी शर्मिष्टा आचार्य , अंकित साव (सेलिब्रिटी एंकर और नेशनल रिकॉर्ड होल्डर) और द जंक्शन हाउस के संस्थापक राज रॉय की पहल है।
इस अवसर पर ‘द जंक्शन हाउस’ के निदेशक राज रॉय ने कहा, हम समाज में यह जागरूकता पैदा करना चाहते हैं कि समाज में हमारे बीच रहनेवाले विशेष रूप से सक्षम लोग जीवन में कभी भी कुछ भी करना चाहते हैं, तो वह एक सामान्य व्यक्ति से भी बेहतर कर सकते हैं। इस टूर्नामेंट में आने वाला प्रत्येक व्यक्ति अपने साथ व्हील चेयर क्रिकेटरों को समर्थन और प्रेरित करने का संदेश लेकर जाएगा, क्योंकि वे किसी भी श्रेणी में रहनेवाले लोगों में कम नहीं हैं। यही “खेला होबे 2.0″ का मुख्य उद्येश्य और प्रधान मकशद समाज के एक विशेष वर्ग के लिए विशेष तरह का एक खेल (ए प्ले फॉर ए कॉज) इसका मुख्य विचार है।
सेलिब्रिटी एंकर और नेशनल रिकॉर्ड होल्डर अंकित साव ने कहा, दुनिया हर क्षेत्र के साथ खेल के क्षेत्र में भी तेजी से विकसित हो रही है। हमने समाज में समान अधिकार देकर उन लोगों के लिए व्हील चेयर क्रिकेट मैच का आयोजन किया है, जिन्हें समाज में वह खास अधिकार प्राप्त नहीं है। इस आयोजन के जरिये कोलकाता इस बार इसके पहले कभी नहीं आयोजित होनेवाले क्रिकेट मैच का गवाह बनेगा। हमें खुशी है कि भगवान ने हमें दुनिया को यह दिखाने का मौका दिया कि तूफान पैदा करने के लिए केवल एक कदम की जरूरत होती है। सामाजिक उद्यमी शर्मिष्टा आचार्य ने कहा, मैं हमेशा समाज में हर तरह से बदलाव लाना चाहती थी। मैंने हमेशा वंचित लोगों के उत्थान और उन्हें प्रेरित करने की कोशिश की है, लेकिन इस बार, यह एक विशेष प्रकार की अनोखी पहल थी, जो समाज में विशेष स्थान रखने वालों के लिए एक तरह का क्रिकेट मैच था। खेला होबे 2.0” से जुड़े एक कारण और संदेश के बारे में आइए हम सब एक साथ आएं और दुनिया को इसकी विशेषता के बारे में बतायें।

एमएसएमई में निर्यात के मौके और व्यवसायिक अवसरों पर राष्ट्रीय संगोष्ठी

कोलकाता । केंद्र सरकार के एमएसएमई मंत्रालय के कोलकाता में स्थित एमएसएमई डेवलपमेंट एंड फैसिलिटेशन दफ्तर की ओर से कोलकाता के भारतीय संग्रहालय में निर्यात के मौके और व्यवसाय के अवसरों पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी / कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस राष्ट्रीय स्तर की संगोष्ठी का उद्देश्य निश्चित क्षमता निर्माण के दृष्टिकोण के साथ प्रतिभागियों में उत्साह का एक नया स्तर स्थापित करना है। डिजिटल प्रौद्योगिकियों में निर्यात के अवसरों के साथ बाजार दिन-ब-दिन बड़ा और वृहद होता जा रहा है। भारतीय उद्यमी पहले की तुलना में कहीं ज्यादा आगे बढ़ रहे हैं। नये अवसरों को लेकर इनमें नए विचार पनप रहे हैं। इस संगोष्ठी का मकशद एमएसएमई के उद्यमियों को निर्यात के क्षेत्र में भविष्य की संभावनाओं के बारे में संवेदनशील बनाना और व्यापारिक संभावनाओं की खोज के साथ इसे दुनिया तक पहुंचना है।
इस राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन डी. मित्रा (आइईडीएस, संयुक्त निदेशक और एचओओ, एमएसएमई-डीएफओ, कोलकाता), डॉ. वी. शिवकुमार (निदेशक, खादी और ग्रामोद्योग आयोग, केवीआईसी, एम/ओ एमएसएमई, भारत सरकार, कोलकाता), देबदत्त नंदवानी (क्षेत्रीय प्रमुख, फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन, पूर्वी क्षेत्र, कोलकाता) और पार्थ चौधरी (संयुक्त निदेशक, एमएसएमई निदेशालय, पश्चिम बंगाल, कोलकाता) ने संयुक्त रुप से किया।
मौके पर डी मित्रा (आईईडीएस, संयुक्त निदेशक और प्रमुख, एमएसएमई-डीएफओ, कोलकाता) ने पश्चिम बंगाल राज्य के लिए एमएसएमई क्षेत्र से जुड़े उद्यमियो के लिए विशेष लाभों को लेकर इस कार्यक्रम के आयोजन को सराहनीय कदम बताया। उन्होंने यह भी कहा कि सेमिनार में लगभग 200 एमएसएमई ने भाग लिया। मित्रा ने कहा, केंद्र सरकार की ओर से सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) द्वारा निर्यात बढ़ाने के लिए कई उपाय किए जा रहे हैं। विदेशों में अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनियों, व्यापारिक मेलों, क्रेता-विक्रेता बैठक आदि में एमएसएमई की भागीदारी और इसकी सुविधा के लिए कई कारगर कदम उठाये जा रहे हैं।
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों के विकास के लिए मंत्रालय के विभिन्न विषयों और गतिविधियों के तीन पूर्ण सत्र थे। उद्यम पंजीकरण और जेडइडी पंजीकरण के लिए एक विशेष शिविर ने भी उद्यमों की काफी सहायता की।

पूर्व मंत्री सत्यब्रत मुखर्जी का निधन

कोलकाता । भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व राज्य मंत्री सत्यब्रत मुखर्जी का गत शुक्रवार को उनके आवास पर आयु संबंधी बीमारियों के कारण निधन हो गया। वह 91 वर्ष के थे। मुखर्जी 1999 से 2004 तक अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार में रसायन और उर्वरक और वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री थे। मुखर्जी, जिन्होंने पश्चिम बंगाल में भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष के रूप में भी काम किया, सर्वोच्च न्यायालय और कलकत्ता उच्च न्यायालय के साथ एक उच्च-प्रोफाइल अभ्यास वकील थे।
वह 1999 से 2004 तक पश्चिम बंगाल के नदिया जिले में कृष्णानगर लोकसभा क्षेत्र से भाजपा के लोकसभा सदस्य चुने गए थे। हालांकि, 2004 में उन्हें उसी निर्वाचन क्षेत्र से माकपा उम्मीदवार और एथलीट से नेता बने ज्योतिर्मयी सिकदर से हार मिली थी। मुखर्जी कानूनी और राजनीतिक दोनों हलकों में जोलू बाबू के रूप में लोकप्रिय थे। 2008 में, वह पार्टी के पश्चिम बंगाल प्रमुख बने। हालांकि, अगले ही साल उनकी जगह राहुल सिन्हा ने ले ली।
उनका जन्म 8 मई, 1932 को सिलहट में हुआ था, जो अब बांग्लादेश में है। उन्होंने बहुत कम उम्र में एक कॉर्पोरेट वकील के रूप में अपनी पहचान अर्जित की और चार साल पहले भी अपने पेशे में सक्रिय थे। वह अपने सौहार्दपूर्ण स्वभाव और परोपकारी गतिविधियों के लिए अन्य राजनीतिक दलों के नेताओं के बीच लोकप्रिय थे

 

 

होली के रंग में डूबकर खाना हो गया है ज्यादा तो उपाय यह रहे

होली के मौके पर घरों में गुझिया, पकौड़े, पापड़, दही-बड़े आदि बनाए जाते हैं। ये पकवान खाने में बहुत स्वादिष्ट लगते हैं, इसलिए लोग खूब जमकर खा लेते हैं लेकिन ज्यादा मिठाई और ऑयली फूड खाने की वजह से अक्सर लोगों का पेट खराब हो जाता है। इसके कारण पेट में दर्द, गैस, एसिडिटी, अपच और दस्त आदि समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। अगर आप भी इस तरह की किसी परेशानी का सामना कर रहे हैं, तो कुछ घरेलू उपाय आपके काम आ सकते हैं। आज इस लेख में हम आपको ऐसे ही कुछ घरेलू नुस्खों के बारे में बता रहे हैं, जो होली पर पाचन संबंधी परेशानियों को दूर करने में असरदार हो सकते हैं –
पेट से जुड़ी समस्याओं को दूर करने में अदरक काफी कारगर है। इसमें एंटी-फंगल और एंटी-बैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं, जो पेट में दर्द और गैस की समस्या से राहत दिला सकते हैं। अगर होली पर ओवरईटिंग की वजह से पेट में दर्द हो रहा हो, तो अदरक की चाय का सेवन करें। इसे बनाने के लिए एक गिलास पानी में अदरक को डालकर उबाल लें। फिर छान लें और दिन में दो से तीन इसे बार पिएं। इससे आपको जल्द आराम मिलेगा।
अजवाइन
अजवाइन का सेवन पेट के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है। अजवाइन की चाय से पेट में गैस और बदहजमी की समस्या से राहत मिलती है। इसे बनाने के लिए एक गिलास पानी में एक चम्मच अजवाइन डालकर उबाल लें। फिर इसे छानकर पी लें। आप दिन में 2 बार इस चाय का सेवन कर सकते हैं।
हींग
पाचन संबंधी समस्याओं को दूर करने के लिए हींग रामबाण उपाय है। पेट में दर्द या एसिडिटी होने पर आप हींग का सेवन कर सकते हैं। इसके लिए आधा चम्मच हींग को एक गिलास गुनगुने पानी में मिलाकर पिएं। इससे आपका पाचन वापस दुरुस्त हो जाएगा।
दही
दही पेट के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है। दही में मौजूद प्रीबायोटिक्स पेट के हानिकारक बैक्टीरिया से लड़ने में प्रभावी होते हैं। दही के सेवन से पाचन तंत्र स्वस्थ रहता है। अगर होली पर ज्यादा खा लेने की वजह से पेट खराब हो जाए, तो आप दिन में दो से तीन बार ठंडे दही का सेवन कर सकते हैं।
केला
अगर होली पर बहुत ज्यादा भोजन करने के कारण लूज मोशन हो रहे हों, तो केले का सेवन करें। केले में पेक्टिन होता है, जो मल को बांधने का काम करता है। इसके लिए आप दिन में दो से तीन केले खा सकते हैं।
होली पर पेट खराब हो जाने की स्थिति में आप इन उपायों अपनाकर जल्द राहत पा सकते हैं। हालांकि, अगर आपकी समस्या ज्यादा बढ़ रही है, तो आपको डॉक्टर को दिखाना चाहिए।

देसी नुस्खों से छुड़वाएं होली का रंग

रंगों के त्योहार में लोग खूब मस्ती करते हैं. वे एक दूसरे को फेस पेंट से बधाई देते हैं। लेकिन इस दौरान कई लोग केमिकल या तेज रंगों का इस्तेमाल करते हैं। ऐसे में चेहरे के इस रंग से छुटकारा पाने में व्यक्ति को काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता है। इसके लिए लोग अक्सर अपने चेहरे को फेसवॉश से धोते हैं लेकिन इन जिद्दी रंगों से छुटकारा पाने के लिए आप कुछ घरेलू पैक लगा सकती हैं। ये आपकी त्वचा को कोमलता से पोषण देते हुए होली के रंगों से छुटकारा दिलाने में आपकी मदद करेंगे। आइए जानते हैं चेहरे से जिद्दी दाग-धब्बों को दूर करने के कुछ घरेलू उपाय।
दही- दही चेहरे के काले धब्बों से छुटकारा दिलाने में आपकी मदद कर सकता है। इसके लिए प्रभावित जगह पर दही से 3-5 मिनट तक धीरे-धीरे मसाज करें। फिर अपना चेहरा धो लें। इससे होली का रंग धीरे-धीरे फीका पड़ने लगेगा।
नींबू– विटामिन सी से भरपूर नींबू भी होली के रंग को निखारने में मदद कर सकता है। इसके लिए एक कटोरी में 1 चम्मच बेसन, 1 चम्मच शहद और आवश्यकतानुसार नींबू मिलाकर प्रभावित जगह पर लगाएं। फिर इसे 3-5 मिनट तक धीरे-धीरे मलें और फिर पानी से धो लें।
बादाम का तेल- बादाम का तेल होली के रंगों से छुटकारा दिलाने में काफी कारगर माना जाता है। आप इसे सीधे त्वचा पर लगा सकते हैं या मुल्तानी मिट्टी में मिलाकर लगा सकते हैं। इसके लिए 2 चम्मच मुल्तानी मिट्टी में 1 चम्मच गुलाब जल और कुछ बूंदे बादाम के तेल की मिलाएं। फिर इसे प्रभावित जगह पर लगाएं, धीरे से रगड़ें और पानी से धो लें।
केला और खीरा – ये दोनों ही चीजें क्लींजर का काम करती हैं। आप त्वचा पर लगे होली के रंग से छुटकारा पा सकते हैं। इसके लिए एक कटोरी में 2 चम्मच मसला हुआ केला और आवश्यकतानुसार नींबू का रस मिलाएं। तैयार पेस्ट को चेहरे और प्रभावित जगह पर मसाज करते हुए लगाएं। इसे 10 मिनट के लिए छोड़ दें. फिर इसे पानी से धो लें। इसी तरह खीरे का पेस्ट बनाकर लगाएं। यह आपकी त्वचा से होली के जिद्दी रंगों को हटाने में मदद करेगा। यह त्वचा को गहराई से पोषण देगा और इसे चमकदार बनाएगा। पके पपीते का एक टुकड़ा लेकर चेहरे और रंग वाले हिस्से पर धीरे-धीरे मलें। इससे रंग निकालने में आसानी होगी।
बाल से रंग हटाने का नुस्खा
त्वचा की तरह बालों को भी होली के रंगों से समस्या हो सकती है। ऐसे में आपको रंग छुड़ाने के लिए बार-बार शैंपू करने से बचना चाहिए। बल्कि बालों में फंसे रंग को पानी से ही हटाएं। इसके बाद शैम्पू और कंडीशनर लगाएं। अगर बालों से रंग नहीं निकलता है तो शैम्पू या कंडीशनर का इस्तेमाल न करें। इससे आपके बाल बेजान, रूखे हो सकते हैं। इसके बजाय, सिर की तेल से मालिश करें और इसे रात भर के लिए छोड़ दें। अगली सुबह बालों को धो लें। अगर रंग रह गया है तो उस दिन दोबारा शैम्पू न करें क्योंकि ऐसा करने से आपके बाल रूखे हो जाएंगे। इसके बजाय दोबारा बालों में तेल से अच्छी तरह मसाज करें और अगले दिन बालों को धो लें। इससे आपको रंग छुड़ाने में मदद मिलेगी।

होली के रंग में भरें स्वाद की मिठास

 मालपुआ
सामग्री – आधा कप मैदा, 1 कप सूजी, 1 कप पानी, 5 पिस्ता, आधा चम्मच बेकिंग पाउडर. आधा कप फुल क्रीम दूध, तलने के लिए तेल. 1 कप- चीनी, इलायची पाउडर (स्वाद के लिए), डेढ़ कप- पानी
विधि -मालपुआ बनाने के लिए एक बड़े बर्तन में सूजी, मैदा और बेकिंग सोडा को अच्छे से मिला लें। अब इसमें दूध और पानी डाल दें, और एक पतला मिश्रण तैयार कर लें। अब इस मिश्रण को लगभग 15 मिनट के लिए ढक्कर रेस्ट के लिए छोड़ दें।
जब तक आप मालपुआ के लिए चाशनी बनाकर तैयार कर लें। इसके लिए गैस पर एक बर्तन गर्म करने के लिए रखें। अब इसमें चीनी, पानी और जरूरत अनुसार इलायची डालकर अच्छे से पका लें।
चाशनी को अच्छी तरह से गाढ़ा होने तक उबलनें दें। जब खूशबू आने लगे और उंगली से एक तार बनने लगे तो समझ लें की चाशनी बन गई है। अब मालपुआ भी बना लें, इसके लिए एक कड़ाही में तेल गर्म कर लें।
जब तेल गर्म हो जाए तो किसी चम्मचे की मदद से कढ़ाई में मालपुआ का मिश्रण डालें। ये गोल हों, इसके बाद इन्हें दोनों साइड से ब्राउन होने तक तल लें। जब मालपुआ दोनों तरफ से तैयार जाए तो एक प्लेट में निकाल लें।
इसी तरह सभी मालपुआ तल लें, और फिर सभी को चाशनी में डाल दें और 15 मिनट तक डूबा रहने दें। अब इन सभी में रस अच्छे से चला गया है। आपके मजेदार मालपुआ बनकर तैयार हो गए हैं। इन्हें अपने घर में आने वाले मेहमानों को परोसें । ध्यान रहे कि मालपुआ का घोल बहुत ज्यादा पतला न हो और मालपुआ तलते समय गैस की आंच बहुत तेज न हो।

बेसन बर्फी
सामग्री – 3 कप बेसन, 2 टेबलस्पून सूजी, 1 कप देसी घी , 1 चुटकी केसरिया फूड कलर, 1/2 टी स्पून इलायची पाउडर, पिस्ता की कतरन, चीनी – डेढ़ कप (स्वादानुसार)
विधि – स्वादिष्ट बेसन की बर्फी बनाने के लिए सबसे पहले एक कड़ाही में 1 कप घी डालकर उसे मध्यम आंच पर गर्म करें । जब घी पिघल जाए तो उसमें 3 कप बेसन डाल दें और करछी की मदद से चलाते हुए बेसन और घी को एकसार करें । बेसन को कम से कम 2 मिनट तक चलाते रहें । इसके बाद कड़ाही में 2 टेबलस्पून सूजी डाल दें और अच्छी तरह से मिक्स कर दें । अब गैस की आँच को धीमा कर दें और इस मिश्रण को चलाते हुए तब तक भूनें जब तक कि इसका रंग हल्का गुलाबी न हो जाए ।
बेसन को अच्छी तरह से भुनने में 25 से 30 मिनट तक का वक्त लग सकता है । इसके बाद बेसन घी छोड़ने लग जाएगा । इसके बाद गैस बंद कर दें और बेसन को एक बर्तन में निकाल दें । अब एक बड़ी कड़ाही में डेढ़ कप चीनी और आधा कप पानी डालकर गर्म करें. चीनी को पानी में अच्छी तरह से घोलें और एक तार की चाशनी बनने तक उबालें। इसके बाद चाशनी में एक चुटकी केसरिया फूड कलर मिला दें ।
चाशनी में भुना हुआ बेसन डालकर अच्छी तरह से मिला दें और थोड़ी देर तक और पकाने के बाद गैस बंद कर दें । बेसन को चाशनी के साथ तब तक रहें जब तक कि मिश्रण एकसार न हो जाए । इसके बाद थाली/ट्रे लेकर उस पर थोड़ा सा घी लगाकर चिकना कर लें । तैयार मिश्रण को ट्रे में डालकर चारों ओर समान अनुपात में फैलाएं । ऊपर से पिस्ता कतरन को छिड़क दें । बर्फी को सेट होने के लिए आधा घंटे अलग रख दें । इसके बाद चाकू की मदद से मनपसंद आकार में काट लें । टेस्टी बेसन बर्फी बनकर तैयार हो चुकी है. इसे मेहमानों को खिलाएं ।

एलर्जी भंग न करे होली के रंग..तो आजमाएँ उपाय

होली का मतलब है ढेर सारी मस्ती और गुलाल। होली रंगों का त्योहार है। यूं तो होली का पर्व 8 मार्च को मनाया जाएगा, लेकिन लोगों में होली का उत्साह अभी से देखने को मिल रहा है. लोग होली पार्टी का आयोजन कर रहे हैं या रंग खरीद रहे हैं।
हालांकि, बाजार में मिलने वाले केमिकल वाले रंगों की वजह से अब लोगों को होली के दौरान स्किन एलर्जी होने का डर सताने लगा है। रंगों से त्वचा पर दाने, जलन, खुजली आदि समस्याएं होने लगती हैं। लेकिन इस साल आपको घबराने की जरूरत नहीं है। अगर आप कुछ घरेलू नुस्खों के बारे में जान लें तो आप आसानी से स्किन एलर्जी की समस्या से निजात पा सकते हैं।
दही का प्रयोग करें
अगर आप त्वचा को एलर्जी से बचाना चाहते हैं तो त्वचा पर दही का इस्तेमाल कर सकते हैं। यह त्वचा को पोषण देने के साथ-साथ एलर्जी से बचाने में भी मदद करेगा। आप इसमें बेसन, दाल पाउडर का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. त्वचा में जलन हो तो होली खेलने के बाद पूरे शरीर पर दही लगाएं और कुछ देर सूखने दें फिर पानी से धो लें।
घी लगाएं
होली के दौरान अगर आपकी त्वचा पर किसी तरह की परेशानी या जलन हो तो तुरंत अपनी त्वचा को धोकर उस पर गाय के घी की मालिश करें। कुछ ही समय में त्वचा की समस्या शांत हो जाएगी।
नारियल का तेल
अगर आपकी त्वचा संवेदनशील है तो आप होली खेलने से पहले त्वचा पर नारियल का तेल लगा सकते हैं। इससे रासायनिक रंगों का त्वचा पर असर कम होगा और त्वचा की पहली सतह पर एक परत बन जाएगी। इस तरह एलर्जी होने की संभावना भी कम हो जाएगी।
बेसन का प्रयोग
सबसे पहले आप पानी और बेसन का घोल बना लें और होली खेलने के बाद आप इसका इस्तेमाल त्वचा का रंग छुड़ाने के लिए कर सकते हैं। इसके लिए आप पहले त्वचा को धो लें और फिर इस घोल को क्रीम की तरह पूरे शरीर पर लगाएं। आप इसे एक कटोरी में 4 चम्मच बेसन, एक चम्मच हल्दी और पानी मिलाकर बना सकते हैं। अगर आपकी रूखी त्वचा है तो आप इसे नारियल या सरसों के तेल में मिलाकर लगा सकते हैं। ऐसा करने से रंग बिना किसी नुकसान के आसानी से उतर जाएंगे।
एलोवेरा के उपयोग
एलोवेरा हमें हर तरह की स्किन एलर्जी से बचाता है। एलोवेरा में एंटी-एलर्जी, एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं जो त्वचा को संक्रमण या रैशेज से बचाते हैं। लेकिन अगर एलर्जी कंट्रोल में न आए तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

 

‘युद्ध और शांति : हिंदी साहित्य के परिप्रेक्ष्य में’ विषय पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी संपन्न

कल्याणी । हिंदी विभाग, कल्याणी विश्वविद्यालय के प्रेमचंद सभागार में हिंदी विभाग और आई. क्यू. ए. सी. के संयुक्त तत्वावधान में ‘युद्ध और शांति : हिंदी साहित्य के परिप्रेक्ष्य में’ विषय पर एकदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. डॉ. मानस कुमार सान्याल ने दीप-ज्वलन कर संगोष्ठी का उद्घाटन किया और कार्यक्रम के आरंभ में विभाग के विद्यार्थियों अंजलि चौधरी, पूर्णिमा हरि, अंजलि यादव, अनुश्री साव, प्रिया सिंह, देविका साहनी, रुंपा तिवारी, वरुण साव और नितेश मांझी ने हरिवंश राय बच्चन की कविता ‘अंधेरी रात में दीपक जलाए कौन बैठा है’ का समूह-गायन प्रस्तुत कर सबका मन मोह लिया।
उद्घाटन सत्र में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. डॉ. मानस कुमार सान्याल ने सबका अभिवादन करते हुए कहा कि युद्ध और शांति आज के समय का बेहद प्रासंगिक विषय है। डॉ. बी. आर. अंबेडकर इंस्टीट्यूट की कुलपति प्रो. डॉ. सोमा बंद्योपाध्याय ने अपने संदेश में कहा कि वर्तमान में युद्ध आर्थिक उद्देश्यों के लिए लड़ें जाते हैं जो अंततः लड़ाई, भुखमरी और अनियंत्रित महंगाई को बढ़ावा देते हैं। संगोष्ठी में उपस्थित कला और वाणिज्य संकाय के अधिष्ठाता प्रो. डॉ. अमलेंदु भुइयां ने रामायण और महाभारत का संदर्भ देते हुए कहा कि यद्ध शांति और सत्य को स्थापित करने का अंतिम विकल्प होता है। आई. क्यू. ए. सी. के निदेशक प्रो. नंद कुमार घोष ने कहा कि युद्ध विरोधी वातावरण की सृष्टि करना ही किसी भी साहित्य का लक्ष्य होता है। लोक संस्कृति विभाग के अध्यक्ष प्रो. डॉ. सुजय कुमार मंडल ने मानवता को सर्वोच्च मूल्य स्वीकार किया। उद्घाटन सत्र में विभाग के एसोसिएट प्रोफोसर डॉ. हिमांशु कुमार ने विषय प्रस्तावना करते हुए कहा कि युद्ध आज कोमोडिटी हो गया है। युद्ध के प्रभावों पर विचार करने के साथ-साथ हमें युद्ध के कारणों की गहराई से पड़ताल करनी होगी। वैश्विक वर्चस्व की लड़ाई और साम्राज्यवाद के नए रूप को भी हमें युद्ध के आधारों के रूप में समझने की जरूरत है। विभागाध्यक्ष डॉ. विभा कुमारी ने उद्घाटन सत्र का संचालन करते हुए कहा कि हिंदी साहित्य युद्ध के भीषण प्रभावों के कारण उसकी खिलाफत और प्रेम, करुणा, सौहार्द जैसे मानवीय मूल्यों की निरंतर वकालत करता रहा है।

पहले तकनीकी सत्र के अध्यक्ष भारतीय भाषा परिषद के निदेशक, वागर्थ पत्रिका के संपादक और वरिष्ठ आलोचक शंभुनाथ ने कहा कि युद्ध दरअसल करोड़ों लोगों को भूखा रखने का तरीका है। धनांधता, धर्मांधता और राष्ट्रांधता को अब तक के युद्धों का कारण बताते हुए उन्होंने हिंदी साहित्य के युद्ध विरोधी तत्वों की पड़ताल की। पहले तकनीकी सत्र के वक्ता बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर महत्वपूर्ण कवि और आलोचक डॉ. आशीष त्रिपाठी ने युद्ध के आधारभूत तत्वों की चर्चा करते हुए कहा कि हत्या मनुष्य का प्रभावशाली आविष्कार है। प्रथम विश्वयुद्ध, द्वितीय विश्वयुद्ध, शीत युद्ध और हाल के रूस-यूक्रेन युद्ध के समानांतर हिंदी कविता की चर्चा करते हुए युद्ध विरोध में लिखी गई दार्शनिक कविताओं के बजाय यथार्थवादी कविताओं को महत्वपूर्ण बताया। इस संदर्भ में उन्होंने हिंदी के समकालीन कवि सोमदत्त की कविता ‘काग्रुएवात्स में पूरे स्कूल के साथ तीसरी क्लास की परीक्षा’ का बार-बार जिक्र किया। विद्यासागर विश्वविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. संजय कुमार जायसवाल ने नाट्य साहित्य के संदर्भ में विषय पर बोलते हुए कहा कि पूँजीवादी उभार और साम्राज्यवादी सोच ने एक ओर युद्ध-परिस्थिति निर्मित की, वहीं दूसरी ओर साहित्य ने मानवीय संवेदनाओं को जागृत कर युद्ध विरोधी मानसिकता तैयार की।
दूसरे तकनीकी सत्र की अध्यक्षता हिंदी विभाग, कलकत्ता विश्वविद्यालय के पूर्व अध्यक्ष डॉ. प्रो. अमरनाथ ने की । अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में उन्होंने युद्ध को असभ्यता की निशानी बताते हुए हमारी तथाकथित सभ्यता पर सवाल खड़े किए और कहा कि सरकारें शिक्षा और स्वास्थ्य के बजाय रक्षा के लिए कई गुना अधिक बजट आवंटित कर रही हैं, यह हमारे लिए चिंता का विषय है। दूसरे तकनीकी सत्र के वक्ता प्रेसिडेंसी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. वेद रमण पांडेय ने हिंदी कहानी के संदर्भ में विषय पर बोलते हुए कहा कि युद्ध मानव की नियति लिखने का कार्य करते हैं। विस्थापन, अलगाव और अवसाद किसी भी युद्ध की अंतिम परिणति गढ़ते हैं। स्कॉटिश चर्च कॉलेज की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. गीता दूबे ने हिंदी एवं अन्य भाषाओं में इस विषय पर लिखे उपन्यासों के हवाले से अपनी बात रखते हुए कहा कि युद्ध अंततः अमानवीयता, बर्बरता और आर्थिक मंदी को बढ़ावा देते हैं। जब तक दुनिया में कट्टरता, नस्लवादी सोच और जातीय घृणा की हिंसक प्रवृत्ति बनी रहेगी, युद्ध होते रहेंगे, इससे बचने का एकमात्र उपाय है, प्रेम की लौ को बचाए रखना। तीसरे सत्र में ‘युद्ध और शांति : हिंदी साहित्य के परिप्रेक्ष्य में’ विषय पर शिक्षकों, शोधार्थियों और विद्यार्थियों ने शोध-पत्र वाचन किया।
संगोष्ठी के अंत में विभाग के विद्यार्थियों ने डॉ. इबरार खान के निर्देशन में ‘मूक प्रहार’ लघु नाटक का मंचन किया। संगोष्ठी का संचालन विभागाध्यक्ष डॉ. विभा कुमारी, अनूप कुमार गुप्ता और डॉ. संजय राय ने किया। विभागाध्यक्ष डॉ. विभा कुमारी के धन्यवाद ज्ञापन से कार्यक्रम संपन्न हुआ।