Monday, September 15, 2025
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बायो फ्लॉक विधि से किया मछली पालन, कमाए लाखों

बगैर तालाब के होता है मछली पालन

चाईबासा । झारखंड राज्य का पश्चिम सिंहभूम जिला वन, पर्यावरण, खनिज संपदा से भरापूरा हैं। फिर भी युवा वर्ग का पलायन करना एक विकट समस्या है। प्रायः देखा जाता है, कि शिक्षित बेरोजगार युवक-युवती जिला छोड़कर किसी और राज्य में रोजगार के लिए पलायन कर जाते हैं। बेरोजगारों के लिए सरकार की ओर से अनेकों योजनाएं चलाई जाती है, परंतु जमीन की कमी और पैसों की कमी होने के कारण लोग अपना रोजगार नहीं ले पा रहे हैं। इसी को देखते हुए बायोफ्लॉक तकनीक से मछली पालन करना रोजगार का एक अच्छा जरिया माना जाने लगा है। बायोफ्लॉक तकनीक से कम भूमि, कम लागत, कम जल से भी अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है। इसलिए आज के दौर में बायोफ्लॉक तकनीक का प्रयोग तेजी से किया जा रहा है।
नौकरी छूटने के बाद मछली पालन, अब 5 लाख की आमदनी
पश्चिमी सिंहभूम जिले के चक्रधरपुर के रहने वाले बालवीर सेन पहले किसी कंपनी में राज्य के बाहर काम करते थे। परंतु नौकरी चले जाने के बाद रोजगार की तलाश में जिला मत्स्य कार्यालय पहुंचे। वहां उन्हें चल रही योजनाओं के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी दी गई। जिसमें उन्होंने बायोफ्लॉक तकनीक पर विशेष रुचि दिखाई। फिर उन्हें प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना की मदद से मछली पालन की शुरुआत की। अभी वे कवई, कोमोनकार और अमुरकार मछलियों का कारोबार कर रहे हैं। वर्तमान में वे सलाना 04 से 05 लाख का आमदनी कमा रहे हैं।
कोरोना काल में स्थिति दयनीय हुई, अब 6 क्विंटल मछली उत्पादन
चाईबासा सदर निवासी राजकुमार मुंडा एक शिक्षित कृषक हैं। काफी समय से ये खेती कर रहे हैं, परंतु उम्मीद के अनुसार मुनाफा नहीं मिला। ज्यादातर उन्हें घाटा का सामना करना पड़ा है। जिसके कारण कोरोना काल में पूरे पूरे परिवार की दयनीय स्थिति हो गई। जिसके बाद उन्होंने जिला मत्स्य कार्यालय से संपर्क किया। उन्हें प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा के तहत बायोफ्लॉक तकनीक का लाभ दिया गया। इस तकनीक से उन्होंने कोमोनकार, मोनोसेल्स, तेलपिया और देसी मांगुर जैसे प्रजाति का पालन किया। प्रत्येक टैंक से वे 05 से 06 क्विंटल मछली का उत्पादन करते है। इससे उनके जीवनशैली में काफी सुधार आया हैं। क्योंकि इससे ज्यादा मुनाफा कमा रहे है। उन्होंने बताया कि आज वह अच्छी आमदनी के कारण अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा मुहैया करा रहे हैं और अच्छी जीवन निर्वाह कर रहे हैं।
खेती-किसानी के साथ मछली पालन से आमदनी में बढ़ोतरी हुई
हाटगम्हरिया प्रखंड के सिलदौरी गांव निवासी ज्योति बिरुवा भी कम मेहनत और कम लागत से ज्यादा मुनाफा कमाकर सुकून की जिंदगी जीना चाहते थे। इसी क्रम में रोजगार की खोज में उन्हे जिला मत्स्य कार्यालय की ओर से बायोफ्लॉक तकनीक योजना अपनाने का सुझाव दिया गया। इस योजना को अपनाकर ज्योति बिरूवा अब एक खुशहाल जिंदगी जी रहे हैं और अपने बाकी के समय में अन्य कार्य भी कर रहे हैं।
जमीन की कमी और जल स्तर नीचे जाने के कारण बायोफ्लॉक तकनीक कारगर
मछली पालन क्षेत्र के जानकारों का कहना है कि बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण लोगों के पास अब पर्याप्त जमीन नहीं है, जिससे वे तालाब बनवा कर मछली पालन कर सके। साथ ही साथ वर्षा भी दिनों-दिन कम होने के कारण भूमिगत जल का स्तर भी नीचे जा रहा है। ऐसे में बायोफ्लॉक तकनीक से मछली पालन करना भविष्य में रोजगार के एक अच्छा स्रोत साबित होगा।

केरल के त्रिशूर में पुरोहित बनकर इतिहास रच रही हैं माँ – बेटी की जोड़ी

त्रिशूर । केरल में 24 वर्षीय ज्योत्सना पद्मनाभन और उनकी मां अर्चना कुमारी पुरोहिताई अनुष्ठान में सदियों पुरानी पुरुष वर्चस्व की दीवारें तोड़कर खामोशी के साथ एक नया इतिहास रच रही हैं। दोनों महिलाएं केरल के त्रिशूर जिले में एक मंदिर में कुछ वक्त से पुरोहित की भूमिकाएं निभा रही हैं। दोनों पड़ोसी मंदिरों व अन्य स्थलों पर तांत्रिक अनुष्ठान कर रही हैं जिसे आम तौर पर पुरुषों के वर्चस्व वाला क्षेत्र माना जाता है।
हालांकि, 47 वर्षीय अर्चना और उनकी बेटी अपनी पुरोहिताई को लैंगिक समानता की कोई पहल या समाज में व्याप्त लैंगिक रूढ़ियों को तोड़ने की कोई कोशिश करार नहीं देती। कट्टूर के थरनेल्लूर थेक्किनियेदातु माना के एक ब्राह्मण परिवार से आने वाली ज्योत्सना और अर्चना ने एक सुर में कहा कि वे समाज में कुछ साबित करने के लिए नहीं बल्कि अपनी भक्ति के कारण पुरोहिताई करने लगीं।
सात साल की उम्र से सीखा तंत्र
वेदांत और साहित्य में पोस्ट ग्रैजुएट कर चुकीं ज्योत्सना ने कहा कि उन्होंने सात साल की उम्र से ही तंत्र सीखना और उससे पहले से ही पुरोहित की भूमिका निभाने का सपना देखना शुरू कर दिया था। उन्होंने कहा, ‘मैं अपने पिता पद्मनाभन नम्बूदरिपाद को पूजा और तांत्रिक अनुष्ठान करते हुए देखकर बड़ी हुई हूं। इसलिए इसे सीखने का सपना मेरे दिमाग में तब से ही पनपना शुरू हो गया था जब मैं बहुत छोटी थी।’
ज्योत्सना ने कहा, ‘जब मैंने अपने पिता से अपनी ख्वाहिश जाहिर की तो उन्होंने विरोध नहीं किया। उन्होंने पूरा सहयोग किया।’ उन्होंने कहा कि किसी भी प्राचीन ग्रंथ या परंपरा में महिलाओं को तांत्रिक अनुष्ठान करने व मंत्र पढ़ने से नहीं रोका गया है। ज्योत्सना ने अपने परिवार के पैतृक मंदिर पैनकन्निकावु श्री कृष्ण मंदिर में देवी भद्रकाली की तांत्रिक अनुष्ठान से प्रतिस्थापना की थी। इस मंदिर के मुख्य पुजारी उनके पिता हैं।
वेदांत और साहित्य में पोस्ट ग्रेजुएट
वह मंदिर में पुरोहित की भूमिका निभा रही हैं और वहां रोज पूजा-पाठ करती हैं। वह पिछले कई वर्षों से दूसरे मंदिरों में भी पूजा-पाठ कर रही हैं। जब बेटी ने पूजा-पाठ करना और तांत्रिक अनुष्ठान सीखना शुरू किया तो अभी तक घरेलू कामकाज करने वाली उनकी मां अर्चना कुमारी भी इसमें अपनी बेटी के साथ जुड़ गईं। माहवारी के दौरान दोनों मां बेटी पुरोहिताई और पूजा पाठ से दूर रहती हैं। ज्योत्सना ने कांची और मद्रास यूनिवर्सिटी से वेदांत व साहित्य में पोस्ट ग्रैजुएट की डबल डिग्री हासिल की है।

प्रतिबंधित हुआ 50 रुपये किलो और उससे कम वाले सेब का आयात

भूटान प्रतिबन्ध के दायरे से बाहर

नयी दिल्ली । केंद्र सरकार ने सेब  के आयात को लेकर बड़ा फैसला किया है। सरकार ने 50 रुपये प्रति किलो से कम कीमत वाले सेब के आयात पर प्रतिबन्ध लगा दिया है। इसका लाभ सेब किसानों को मिलेगा। सेब के किसान लंबे वक्त से आयातित सेब पर बैन लगाने की मांग कर रहे थे। उनकी कहना था कि बाहर से सेब मंगाने की वजह से घरेलू दाम प्रभावित होते हैं, जिसका नुकसान उन्हें होता है। अब सरकार ने इस दिशा में बड़ा फैसला लिया है। हालांकि इससे भूटान को अलग रखा गया है। यानी भूटान से आयात होने वाले सेब पर इस पाबंदी का असर नहीं होगा। डायरेक्टर जनरल ऑफ फॉरेन ट्रेड (डीजीएफटी) ने इस आदेश के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि 50 रुपये से कम की कीमत वाले सेबों के इंपोर्ट पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया गया है। इसमें कॉस्ट, बीमा, ट्रैवल खर्च शामिल है। अगर आंकड़ों पर गौर करें तो वित्तीय वर्ष साल 2022-23 में अप्रैल से फरवरी के 296 मिलियन डॉलर सेब क आयात किया गया था तो वहीं साल 2021-22 भारत ने 385 मिलियन डॉलर सेब आयात किया था।
इन देशों से आयात होता है सेब
भारत अलग-अलग देशों से सेब आयात करता है। इसमें अमेरिका, ईरान, ब्राजील, यूनाइडेट अरब अमीरात, अफगानिस्तान, फ्रांस, बेल्जियम, चिली, इटली, तुर्की के अलावा न्यूजीलैंड, अफ्रीका और पोलैंड जैसे देश शामिल हैं। सेब को लेकर आयात की शर्तों के बाद इन देशों से सेबों के आयात पर प्रभाव पड़ेगा। सरकार के इस फैसले से किसानों के चेहरे खिल गए है। कश्मीर के सेब किसानों में खुशी है। कश्मीर के सेब किसानों की मांग की थी कि सरकार ईरानी सेब के आयात पर प्रतिबंध लगाए। उनकी दलील है कि आयातित सेब के कारण घरेलू सेब की कीमतों पर दबाब बढ़ता है। किसानों के लिए बाजार उपलब्ध होगा।

बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश पर 93 साल की महिला को 80 साल बाद वापस मिले 2 फ्लैट

मुम्बई । बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाते हुए एक 93 साल की बुजुर्ग महिला को बड़ी राहत दी है। यह महिला दक्षिण मुंबई स्थित अपने दो फ्लैट पर कब्ज़ा पाने के लिए बीते 80 साल से कानूनी लड़ाई लड़ रही थी। अदालत ने राज्य सरकार को यह आदेश दिया है कि वह महिला को दोनों फ्लैट वापस करे। जिसे साल 1940 में कब्जे में लिया गया था। इतनी लंबी कानूनी लड़ाई लड़ने वाली महिला का नाम अलाइस डिसूजा है। यह फ्लैट मुंबई के मेट्रो सिनेमा के पीछे मौजूद रूबी मेंशन के पहले फ्लोर पर हैं। जो पांच सौ और छह सौ स्क्वायर फुट के हैं। 28 मार्च 1948 के दिन रूबी मेंशन को ‘डिफेंस ऑफ़ इंडिया’ के लिए अधिगृहित किया गया था।
हालांकि, बाद में फर्स्ट फ्लोर को छोड़कर बाकि घरों को धीरे धीरे उनकी मूल मालिकों को लौटा दिया गया। गुरुवार को हाई कोर्ट के जज रमेश धानुका और मिलिंद साठ्ये ने राज्य सरकार को यह निर्देश दिया कि वह इन घरों का शांतिपूर्ण तरीके और खाली कराकर याचिकाकर्ता को वापस लौटाएं। अदालत ने अपने आदेश में यह काम आठ सप्ताह के भीतर करने का आदेश दिया है। अदालत ने 93 साल की महिला के पक्ष में फैसला देते हुए फ्लैट पर मौजूदा कब्जेदारों की याचिका को ख़ारिज कर दिया है।
मौजूदा कब्जेदार कौन हैं?
17 जुलाई 1946 को बॉम्बे के तत्कालीन गवर्नर ने डिफेंस ऑफ़ इंडिया नियम के अंतर्गत इस प्रॉपर्टी के असली मालिक और डिसूजा के पिता एचएस डीएस को यह आदेश दिया था कि वह यह प्रॉपर्टी लॉड नाम के गवर्नमेंट कर्मचारी को दे दें। हालांकि ,24 जुलाई 1946 को कलेक्टर ने इन संपत्तियों को ‘रिक्वीजिशन’ के दायरे के बाहर कर दिया। हालांकि, निर्देशों के बाद भी इन फ्लैट्स का कब्ज़ा एचएस डीएस को नहीं सौंपा गया। 21 जून 2010 को एकमोडेशन कंट्रोलर बॉम्बे लैंड रिक्वीजिशन एक्ट 1948 के तहत फ्लैट के कब्जेदारों (लॉड के बेटे मंगेश और बेटी कुमुद फोंडकर) को इसे खाली करने का निर्देश दिया। तब तक लॉड की मौत हो गयी थी।
इसके बाद 26 अगस्त 2011 को संबंधित (अपीलेट अथॉरिटी) ने भी इस फैसले को सही ठहराया। इस बीच मंगेश और कुमुद के गुजरने के बाद उनके पोते ने इस आदेश को बॉम्बे हाई कोर्ट में चैलेंज किया था। अदालत ने माना कि इस मामले में कोई दम नहीं है। साथ ही अदालत ने कहा कि बॉम्बे लैंड रिक्विजिशन एक्ट 11 अप्रैल 1948 को अस्तित्व में आया था। जबकि यह मामला उसके पहले का है। ऐसे में इस कानून के तहत इसपर कैसे सुनवाई हो सकती है। इस मामले में अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के भी कुछ आदेशों का हवाला दिया।

पांच करोड़ से अधिक के कारोबार वाली कंपनियों के लिए भी ई-चालान जरूरी

नयी दिल्ली । सालाना पांच करोड़ रुपये से अधिक के कारोबार वाली कंपनियों को एक अगस्त, 2023 से सभी बिजनेस-टु-बिजनेस (बी2बी) लेनदेन के लिए इलेक्ट्रॉनिक या ई-इनवॉयस (चालान) निकालना होगा। अभी तक 10 करोड़ या उससे अधिक के कारोबार वाली कंपनियों को बी2बी लेनदेन के लिए ई-चालान निकालना होता है। इस कदम से न सिर्फ फर्जीवाड़ा रोकने में मदद मिलेगी बल्कि सरकारी राजस्व में भी बढ़ोतरी होगी।
वित्त मंत्रालय की 10 मई को जारी अधिसूचना के मुताबिक, बी2बी लेनदेन के लिए ई-चालान निकालने की सीमा को 10 करोड़ रुपये से घटाकर 5 करोड़ रुपये कर दिया गया है। जीएसटीएन पोर्टल पर मौजूद 11 मई तक आंकड़ों के मुताबिक, ई-चालान निकालने के लिए कारोबार की सीमा घटाने से देशभर के 45 लाख और उत्तर प्रदेश के तीन लाख से ज्यादा व्यापारी ऑनलाइन निगरानी के दायरे में आ गए हैं।
जीएसटी लागू होने के बाद यानी 2017 से मार्च, 2023 तक किसी भी एक साल में अगर कंपनी का कारोबार 5 करोड़ रुपये से ज्यादा है तो उसे भी एक अगस्त, 2023 से ई-चालान निकालना होगा।
इसलिए लागू की जा रही व्यवस्था
ई-चालान व्यवस्था को 2020 में 500 करोड़ रुपये से अधिक के कारोबार वाली कंपनियों के लिए लागू किया गया था। उसी समय कर संस्थानों ने इसके पांच साल में छोटे व्यापारियों पर भी लागू होने का अनुमान जता दिया था। पिछले एक साल में जीएसटी चोरी 54,000 करोड़ से बढ़कर एक लाख करोड़ रुपये के पार पहुंच गई। बढ़ती कर चोरी पर लगाम लगाने के लिए छोटे कारोबारों को भी ई-चालान के दायरे में शामिल किया जा रहा है।

तीन साल में बढ़ा ई-चालान का दायरा
साल       सालाना     कारोबार
अक्तूबर, 2020 500 करोड़ से अधिक
जनवरी, 2021 100 करोड़ से ज्यादा
अप्रैल, 2021 50 करोड़
अप्रैल, 2022 20 करोड़
अक्तूबर, 2022 10 करोड़
अगस्त, 2023 5 करोड़ से अधिक

लागत में कमी आने के साथ होंगे ये लाभ
डेलॉय इंडिया के भागीदार महेश जयसिंह ने कहा, सरकार की इस घोषणा से ई-चालान के तहत सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) का दायरा बढ़ेगा। ई-चालान कंपनियों के लिए एक वरदान है। इसे उन्हें लागू करने की आवश्यकता होगी। एमएसएमई क्षेत्र को ई-चालान व्यवस्था के दायरे में शामिल करने से लागत घटेगी। तेजी से चालान का प्रसंस्करण सुनिश्चित होगा। सौदों की ऑनलाइन जानकारी राज्य और केंद्र के जीएसटी विभाग के निगरानी में आ जाएगी।
कर चोरी की गुंजाइश खत्म होगी। खास तौर पर फर्जी बिल काटकर इनपुट टैक्स क्रेडिट लेने जैसे फर्जीवाड़े पर रोक लगेगी।
ई-चालान हर लेनदेन का यूनिक नंबर
जीएसटी में ई-चालान ऐसा सिस्टम है, जिसमें किसी भी लेनदेन की रसीद को जीएसटी नेटवर्क सत्यापित करता है। वह हर सामान्य रसीद को ई-रसीद में बदल देता है। हर रसीद के लिए विशिष्ट पहचान संख्या (यूनिक नंबर) जारी होती है।

 

कोलकाता में खुला म‍िसाइल पार्क, दिखेंगे 6 स्‍वदेशी म‍िसाइलों के मॉडल

कोलकाता । राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस पर गुरुवार को कोलकाता के साइंस सिटी में नवनिर्मित मिसाइल पार्क को जनता के लिए खोल दिया गया। मिसाइल पार्क को स्वदेशी मिसाइलों की आदमकद प्रतिकृति के माध्यम से भारत के मिसाइल विकास कार्यक्रम को प्रदर्शित करने के लिए डिजाइन और विकसित किया गया है। साइंस सिटी, कोलकाता के निदेशक अनुराग कुमार और डीआरडीओ की इकाई सीएमएसडीएस की निदेशक मधुमिता चक्रवर्ती ने संयुक्त रूप से इसका उद्घाटन किया।
6 स्‍वदेशी म‍िसाइलों का द‍िखेगा अद्भुत दृश्य
लोग अब यहां भारत की छह प्रमुख स्वेदेशी मिसाइलों, ब्रह्मोस, पृथ्वी, मिशन शक्ति, आकाश, अस्त्र और नाग के आदमकद मॉडल का अद्भुत दृश्य देख सकते हैं। इस पार्क का एक खास आकर्षण भारत के मिसाइल मैन के नाम से विख्यात रहे पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की मूर्ति भी है, जिसे स्थापित किया गया है। कलाम ने अपने प्रारंभिक वर्षों के दौरान भारत के मिसाइल विकास कार्यक्रम की अगुवाई की थी।
अधिकारियों ने बताया कि इस मिसाइल पार्क को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की इकाई सीएमएसडीएस और केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय अंतर्गत राष्ट्रीय संग्रहालय विज्ञान परिषद की इकाई साइंस सिटी द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया गया है। निदेशक अनुराग कुमार ने बताया क‍ि गणतंत्र दिवस परेड के अवसर पर आम तौर पर लोग अपने टीवी पर जो देखते हैं, उसे अब साइंस सिटी की यात्रा के दौरान लाइव देखा जा सकता है।
उन्‍होंने बताया, मिसाइल प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत द्वारा किए गए महान कदमों के बारे में आगंतुकों को उत्साहित करने के लिए मिसाइलों के आदमकद प्रतिकृतियों के साथ मिसाइल पार्क स्थापित किया है। हम उम्मीद करते हैं कि मिसाइल पार्क खासकर युवाओं को विज्ञान और प्रौद्योगिकी को अपने करियर के रूप में अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने में सक्षम होगा। उन्होंने बताया कि साइंस सिटी के प्रवेश टिकट के साथ मिसाइल पार्क में प्रवेश नि:शुल्क होगा।

 

न्यायमूर्ति शिवगणनम बने कलकत्ता हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश

कोलकाता । पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सी वी आनंद बोस ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश टी एस शिवगणनम को बृहस्पतिवार को मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ दिलाई। शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन देश के सबसे पुराने उच्च न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश के अदालत कक्ष संख्या एक में किया गया। मुख्य न्यायाधीश ने समारोह के बाद सभा को संबोधित करते हुए कहा कि वह पश्चिम बंगाल के लोगों के अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और लोकतंत्र एवं कानून के शासन को बनाए रखने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। न्यायमूर्ति शिवगणनम को 31 मार्च, 2009 को मद्रास उच्च न्यायालय का अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया गया था और बाद में उन्हें 29 मार्च, 2011 को स्थायी न्यायाधीश नियुक्त किया गया था। वह मद्रास उच्च न्यायालय की कंप्यूटर समिति के अध्यक्ष हैं। उन्हें कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में स्थानांतरित किया गया और 25 अक्टूबर, 2021 को शपथ ली।

 

 

आश्वासन

आनंद श्रीवास्तव

हर बार तुम्हारा
आश्वासन
मुझे एक नई उम्मीद से बांध देता है
और हर बार तुम मुझे हमेशा की तरह छल जाते हो ।
जो हो रहा है उसमें कुछ भी नया नहीं
तयशुदा जाना पहचाना सा
सब कुछ है
कुछ भी अनजान नहीं
ना तुम बदलोगे ना मैं
हर बार तुम आश्वासन बनकर आओगे और मुझसे छल करोगे
हमेशा की तरह
हर बार मैं तुम पर यकीन करूंगा
और खुद को एक नये धोखे को सहने के लिए तैयार रखूंगा।
तुम्हारे ह्रदय में कितनी कटुता है जिसका शमन सदियों से
नहीं हो रहा।
सहजता का ढोंग किये
दोमुंहा मुखौटा ओढ़े तुम सबसे जटिल क्यों हो ?
घोषित करते रहो तुम मुझे जो
घोषित करना है
तुम्हारी उठाई उंगली और बदनामी मुझे छू भी नहीं सकती।
तुम प्रत्याख्यान करते जाओगे
पर हर मोड़ पर हर राह में मैं साबुत खड़ा मिलूंगा
उम्मीद बांधे हुए कि कभी तो तुम्हारा दिल भी पिघलेगा
खुली आंखों से कभी तो चाटुकारिता के चश्मा उतार के
वास्तविकता तुम्हें दिखेगी।।
यकिन मानो सच का सामना तुम्हें भी शर्मिंदा कर देगा
और पछताओगे अपने हर उस आश्वासन पर
जिसके पीछे तुम निर्वस्त्र नग्न खड़े हो
सिर्फ और सिर्फ मेरी उम्मीद की
परछाई में।

बंगाल में कामधेनु कलर मैक्स शीट को मिलेगी मजबूती

कोलकाता । ब्रांडेड टीएमटी बार के खुदरा बाजार में भारत के सबसे बड़े निर्माता और विक्रेता, कामधेनु लिमिटेड ने पश्चिम बंगाल में कामधेनु कलर मैक्स ब्रांड की बाजार मे अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए व्यावसायिक रणनीति की घोषणा की। कंपनी उच्च क्वालिटी वाली कलर कोटेड शीट और जी सी शीट के अपने ब्रांड ‘कामधेनु कलर मैक्स’ की राज्य में उत्पादन क्षमता को अगले एक वर्ष में 2000 मीट्रिक टन सालाना और 3000 मीट्रिक टन सालाना  करने की योजना बना रही है। कंपनी की कारोबारी योजनाओं के बारे में कामधेनु लिमिटेड के निदेशक सुनील अग्रवाल ने कहा, ’’राज्य में निरंतर आर्थिक विकास और आवास और बुनियादी ढांचा क्षेत्र की बढ़ती मांग को देखते हुए, हम इस क्षेत्र में उच्च क्वालिटी वाली कलर कोटेड शीट और जी सी शीट की उत्पादन क्षमता में इज़ाफा कर रहे हैं।“ उन्होंने आगे कहा, “अंतर्राष्ट्रीय मानकों के समकक्ष कामधेनू कलर मैक्स रिहाइशी और औद्योगिक परियोजनाओं में रूफिंग व क्लैडिंग के लिए खूबसूरत समाधान पेश कर रही है। ये हल्की शीट इंस्टॉल करने में आसान हैं और इसके इस्तेमाल से किसी भी प्रोजेक्ट के निर्माण कार्य में तेज़ी आती है। ग्राहकों की जरूरत के मुताबिक कस्टमाइज़ेशन सुनिश्चित करने के लिए कामधेनु कलर मैक्स रेंज संबंधित उत्पाद भी मुहैया कराती है जैसे रेन वाटर सिस्टम, रेन गटर, क्रिम्पिंग कर्व, सैल्फ ड्रिलिंग स्क्रू आदि।“ कामधेनू कलर मैक्स’ एक प्रि-पेन्टेड प्रॉडक्ट है जो चयन हेतु आकर्षक रंगों की विस्तृत रेंज पेश करता है। हाई क्वालिटी स्टील अलॉय की अनेक परतों पर एक खास कोटिंग ’कामधेनु कलर मैक्स’को सक्षम बनाती है की वह क्रैकिंग व पीलिंग, चरम मौसम व भारी निर्माण के दौरान प्रतिरोध कर सके। यह न सिर्फ शीट को पूरी तरह ज़ंग से मुक्त एवं वाटरप्रूफ बनाता है बल्कि अंदरूनी हिस्से को गर्मियों में शीतल तथा सर्दियों में गर्माहट भरा बनाए रखता है। यह ईको-फ्रैंडली उत्पाद इमारत के कार्बन फुटप्रिंट को न्यूनतम कर के ग्रीन बिल्डिंग कॉन्सेप्ट पर भी खरा उतरता है। कामधेनु स्टील निर्माण की जानकारी और विशेषज्ञता का उपयोग करते हुए सर्वोत्तम कच्चा माल चुन कर सर्वश्रेष्ठ तकनीक एवं प्रक्रियाओं द्वारा बेहतरीन क्वालिटी के उत्पाद पेश करती है। यह उत्पाद कड़ी क्वालिटी जांच से गुज़रता है इसलिए हर मौसम में टिका रहता है।

युवा संगम 2 में भाग लेने दुर्गापुर पहुँचा पुडुचेरी का प्रतिनिधि मंडल

पुडुचेरी से 45 विद्यार्थियों ने भाग लिय़ा सम्मेलन में
कोलकाता । राज्य में आयोजित होने वाले युवा संगम 2 में भाग लेने के लिए पुडुचेरी से 45 विद्यार्थियों का प्रतिनिधिमंडल एनआईटी दुर्गापुर पहुँचा । ये विद्यार्थी एनआईटी. एरिंगर अन्ना एंड साइंस गवर्नमेंट कॉलेज, डॉ. एस. आर. के. गवर्नमेंट आर्ट्स कॉलेज, यानम, कांची मामुनिवर सेंटर फॉर पोस्ट ग्रेजुएट स्टडीज एंड रिसर्च, पंडित जवाहरलाल नेहरू कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट, पेरुनथलाइवर कामराजार गवर्नमेंट आर्ट्स कॉलेज. पुडुचेरी टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी, श्री मानकुल विनयागर इंजीनियरिंग कॉलेज बंगाल में दुर्गापुर एनआईटी पहुँचे । ये विद्यार्थी केन्द्र सरकार के युवा संगम कार्यक्रम में ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के तहत प्रस्तुति देने पहुँचे । प्रतिनिधिमंडल का स्वागत एनआईटी दुर्गापुर ते निदेशक (आधिकारिक) डीनन इन्द्रजीत बसाक ने किया । गौरतलब है कि एनआईटी दुर्गापुर इस कार्यक्रम की नोडल एजेंसी है । कार्यक्रम का उद्घाटन शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. सुभाष सरकार ने किया । प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल से भी मिले । इसके साथ ही विष्णुपुर एवं बाँकुड़ा के हस्तशिल्प को देखकर वे कलाकारों से भी मिले । युवाओं ने दुर्गापुर स्टील प्लांट देखा, विश्वभारती के वीसी से भी मुलाकात की और यूबीए के दत्तक ग्राम प्रतापपुर पहुँचे ।