Saturday, July 19, 2025
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बच्ची ने लिखा – पापा मम्मी को रोज पीटते हैं

घरेलू हिंसा बच्चों के दिमाग को किस कदर प्रभावित करती है, इसका कोलकाता की एक घटना से देखने को मिला। यहाँ के अंग्रेजी माध्यम के एक स्कूल के टीचर उस वक्त हैरान रह गए जब 10 साल की एक छात्रा ने ‘माई फैमिली’ शीर्षक वाले एसे में लिखा कि उसके पापा हर रोज उसकी मां की पिटाई करते हैं। यह घटना कोलकाता के सॉल्ट लेक इलाके की है।

पांचवीं कक्षा की इस छात्रा ने निबंध में अपने परिवार के बारे में लिखा, ‘मेरे पिता बुरे आदमी हैं. वह रोज मेरी मां की पिटाई करते हैं । किसी को हमारी परवाह नहीं है। हमारे चाचा भी हमारी नहीं सुनते. पापा मेरी पिटाई भी करते हैं. यही मेरा परिवार है। ‘

बच्ची ने निबंध में यह भी लिखा है कि वह बड़ी होकर अपनी मां को पापा से दूर ले जाएगी। इस निबंध को पढ़कर उसके टीचर हतप्रभ रह गए, क्योंकि उन्हें इस बात की बिल्कुल भनक नहीं थी कि यह बच्ची इन तकलीफों से गुजर रही है।

बच्ची के पेपर की जांच करने वाले क्लास टीचर ने कहा, ‘मुझे समझ नहीं आ रहा कि मैं क्या करूं. मैंने स्कूल प्रिंसिपल से बात की और स्कूल के काउंसलर से भी संपर्क किया।.’ घटना के बाद लड़की के माता-पिता को बुलाया गया और काउंसलिंग के बाद दोनों से कहा गया कि वे अलग-अलग रहें या बच्ची से दोबारा सम्मान पाने के लिए पिता अच्छा व्यवहार करें।

इस संबंध में पूछे जाने पर शहर के मनोवैज्ञानिक जयराजन राम ने कहा, ‘ बच्ची के व्यवहार को बचकाना नहीं कहा जा सकता. उसने अपनी दमित भावनाओं को इस निबंध से दिखाया है, जो भावनाएं वह अब तक जाहिर नहीं कर पाई थी.’

कोलकाता के मनोवैज्ञानिक मानते हैं कि जिंदगी के कुछ कड़वे हिस्से होते हैं, वह हम अपने करीबी दोस्तों से भी शेयर नहीं कर सकते. इसे लिख देना ज्यादा आसान होता है।

 

खतना पर पाबंदी लगाने के लिए जागरुकता अभियान

सहियो और प्रगतिशील विचारों वाली मुस्लिम महिलाओं ने खतना पर पाबंदी लगाने के लिए जागरूकता अभियान शुरू किया है। ये महिलाएं सहियो नामक एक संगठन से जुड़कर काम कर रही हैं। इस अभियान में उन्हें न सिर्फ महिलाओं का बल्कि पुरूषों का भी समर्थन मिल रहा है। पाबंदी के समर्थन के लिए हस्ताक्षर अभियान भी चलाया जा रहा है और हस्ताक्षर वाले इस पत्र को केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी को सौंपा जाएगा ताकि केंद्र सरकार कानूनी रूप से खतना पर रोक लगाए।

सहियो एक गुजराती शब्द है जिसका मतलब सहेलियों होता है। इस संगठन में मुस्लिम समाज की विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वाली महिलाएं मारिया ताहेर, आरेफा जौहरी, शाहिदा तवावाला किरतने, प्रिया गोस्वामी और इनसिया दरिवाला शामिल हैं जो दाऊदी बोहरा समुदाय की हैं। इन्होंने भी खतना की यातना को झेला है और अब अपने समुदाय की महिलाओं को जागरूक कर रही हैं कि वे इस परंपरा को खत्म करने में सहयोग करें।

आरेफा के मुताबिक खतना को लेकर मुस्लिम समुदायों में अलग-अलग राय है। कोई समुदाय इसे इस्लाम से जोड़कर देखता है तो कोई इसे अवैज्ञानिक मान रहा है। भारत से बाहर दूसरे कई देशों में महिलाओं के जननांग काटने (खतना) पर पाबंदी लगाई गई है। भारत में भी बोहरा समुदाय की महिलाएं इस पर पाबंदी चाहती हैं। लेकिन वह खुलकर अपनी बात जाहिर नहीं कर पा रही हैं। बावजूद इसके कुछ पुरूष भी अपने घर में इस परपंरा के विरोध में हैं और वह भी चाहते हंै कि समुदाय के नेता इस मामले में आगे आएं और पाबंदी के पैरोकार बनें।

सहियो की ओर से 6 फरवरी से 8 मार्च तक ईच वन रीच वन अभियान शुरू किया जा रहा है। इस अभियान के तहत खतना के बारे में एक महिला या युवती दूसरी महिला या युवती को बताएंगी और दूसरी महिला तीसरी महिला को जानकारी देंगी। इस तरह से इस अभियान को एक सामाजिक आंदोलन का रूप दिया जाएगा। इस अभियान का मकसद यही है कि हर घर में महिला या पुरूष अपनी मर्जी से खतना के विवादास्पद परंपरा पर रोक लगाने में सहयोग करें।

 

शेविंग से होने वाली जलन और रैशेज़ से बचें

शेविंग करना देखने में जितना आसान लगता है उतना होता नहीं है. अगर इसे सही तरीके से ना किया जाए तो ये आपकी स्किन को नुकसान पहंचा सकता है. और आपके चेहरे पर रैशेज़, डार्क स्पॉट्स और जलन हो सकती है. इसकी वजह शेविंग के दौरान रेज़र और बालों के बीच घिसाव है.

तो पर्फेक्ट और जलन-रहित शेविंग के लिए हम आपको बता रहे हैं कुछ बेहद आसान टिप्स, जिनकी मदद से आप शेविंग के दौरान और उसके बाद की आम परेशानियों से छुटकारा पा सकते हैं.

शेविंग के तुरंत बाद करें मॉइश्चराइज़र का इस्तेमाल

शेविंग के बाद जब आप अपने चेहरे को साफ कर लें तो इसके बाद मॉइश्चराइज़र का इस्तेमाल करना न भूलें. सही समय पर मॉइश्चराइज़र का इस्तेमाल करने से न सिर्फ चेहरे पर मौजूद दाग को भरने में मदद मिलेगी बल्कि अगर आपके चेहरे पर कोई दाग-धब्बे पहले से मौजूद हैं तो वो भी खत्म हो जाएंगे.

एंटी-बैक्टीरिअल फेस क्लेंज़र का करें इस्तेमाल

हर रोज़ कम से कम दो से तीन बार अपने चेहरे को एंटी-बैक्टीरिअल फेस क्लेन्ज़र से ज़रूर धोएं. चेहरा को पहले पानी से अच्छी तरह धो लें और फिर इसे तौलिए से पोंछकर सूखा लें. अब एक अच्छे एंटी-बैक्टीरिअल क्रीम का इस्तेमाल करें. अगर आप हर रोज़ नियमित रूप से इसका इस्तेमाल करेंगे तो कुछ दिनों में आपको खुद अपने चेहरे में आया फर्क महसूस होगा.

अपनाएं नैचुरल तरीके

चाहे शहद हो या दही हमारे किचेन में ऐसी कई चीज़ें मिल जाएंगी, जो स्किन के लिए काफी फायदेमंद होती हैं. आधा-आधा चम्मच शहद और दही लें और इन्हें अच्छी तरह मिलाकर पेस्ट तैयार कर लें. अब इस पेस्ट को अपने मार्क्स पर लगाएं. दिनभर में ऐसा तीन बार करें और अपने चेहरे पर आए शानदार बदलाव को महसूस करें. इसके अलावा आप चाहें तो एलो वेरा का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. यकीन मानिए, ये किसी जादू से कम साबित नहीं होगा. ये स्किन को मॉइश्चराइज्ड रखने के साथ-साथ जलन से भी छुटकारा दिलाने में मदद करेगा. दाग-धब्बों वाली जगह पर एलो वेरा जेल लगाएं और फिर ठंडे पानी से चेहरे को धो लें. बस कुछ मिनटों की मेहनत और और अपनी स्किन को रखें हर तरह के जख्म से दूर.

इलेक्ट्रिक शेवर का करें इस्तेमाल 

हम इस बात से पूरी तरह सहमत है कि आपमें से कई ऐसे लोग भी होंगे, जो इसे इस्तेमाल करने में थोड़ा झिझकते होंगे या डर लगता होगा. लेकिन आपकी पुरानी रेज़र स्किन को नुकसान पहुंचा सकती है, इसलिए इलेक्ट्रिक शेवर का इस्तेमाल करें. ये आपको परफेक्ट शेव देने के साथ-साथ रेज़र बम्पस जैसी परेशानियों से भी बचाएगा.

 

ऐसप्रिन है कमाल की चीज़

ऐसप्रिन की दो गोलियां लें और इसे एक चौथाई कप पानी में मिलाकर पेस्ट तैयार कर लें. अब इस पेस्ट की एक पतली लेयर अपने रेज़र बम्पस पर लगाएं और 10 मिनट बाद गीले कपड़े से चेहरे को पोंछ लें. बेहतर रिजल्ट के लिए ऐसा हफ्ते में चार बार करें. यकीन करें, ये उपाय वाकई में बेहद फायदेमंद साबित होगा.

 

दीजिए कोलेस्ट्राल को मात

लिवर द्वारा उत्पादित ‘लिपिड’ हमारे शरीर की कई प्रक्रियाओं के लिए बहुत महत्वर्पूण है, जैसे कि दिमाग में मौजूद तंत्रिका कोशिकओं को इंसुलेट करना और कोशिकाओं के लिए ढांचा प्रदान करना। वास्तव में समस्या तब उत्पन्न होती है जब ‘हाई-डेंसिटी लिपोप्रोटीन’ या एचडीएल का स्तर कम होने लगता है।

दूसरी तरफ ‘लो-डेंसिटी लिपोप्रोटीन’ या एलडीएल दिल की धमनियों की दीवारों पर जमने लगता है, जिससे रक्त प्रवाह धीमा पड़ जाता है और दिल व उसकी धमनियों के रोग या कार्डियोवेस्कुलर बीमारियां हो जाती हैं। इस बात का ध्यान रखें कि ‘एचडीएल’ को बढ़ाना है और ‘एलडीएल’ को घटना।

ऐसा आहार लेने से बचें

खराब कोलेस्ट्रॉल को घटाने के लिए पहले उन खाद्य पदार्थों को त्यागें जिनमें सैचुरेट फैट व ट्रांस फैट बहुत ज्यादा होता है। कई पैकेज्ड फूड जैसे आलू चिप्स व बेकरी उत्पादों (जिनमें मैदा इस्तेमाल होता है) में फाइबर यानी रेशे बहुत कम होते हैं और उनमें ट्रांस फैट अत्यधिक होता है।

इसके अलावा, उपयोग किया गया कुकिंग ऑयल बार-बार इस्तेमाल करने से ट्रांस फैट का स्तर काफी ज्यादा बढ़ जाता है। अक्सर लाल मांस का सेवन करने, मलाई युक्त दूध पीने, घी व नारियल तेल का भोजन में उपयोग करने से एलडीएल में बढ़ोतरी होती है क्योंकि इनमें सैचुरेटेड फैट अत्यधिक होता है। ऐसी चीजों का सेवन कम से कम करें और उनकी जगह पर ताजे व बिना प्रोसेस किए गए खाद्य पदार्थों को अपनाएं।

ये कर सकते हैं सुधार

मक्खन जैसे उच्च सैचुरेटेड फैट युक्त उत्पादों की जगह पर कम वसा युक्त विकल्पों को रखें, जिसमें जीरो कोलेस्ट्रॉल और जीरो ट्रांस फैट हो।

कोलेस्ट्रॉल को स्वस्थ स्तर तक सुधारने के लिए मेवों को भी अपनी खुराक में शुमार करें विशेषकर पिस्ता को।

पिस्ता कुदरती तौर पर कोलेस्ट्रॉल फ्री होता है और प्रोटीन, फाइबर व एंटीऑक्सीडेंट का अच्छा स्रोत भी।

साबुत अनाज, अप्रसंस्कृत खाद्य, फल व सब्जियां लें। सूरजमुखी, अलसी के बीज और फैटी फिश फायदेमंद होते हैं।

उच्च वसा युक्त दुग्ध उत्पादों के स्थान पर निम्न वसा युक्त दुग्ध उत्पादों को तरजीह दें।

हर रोज कम से कम 30 मिनट की कसरत जरूरी है। रोजाना तेज चाल से चलें, साइकिल चलाएं, तैराकी करें या फिर अपना पसंदीदा खेल खेलें।

रोजाना की जिंदगी में छोटे-छोटे परिवर्तन भी सहायक साबित होंगे जैसे लिफ्ट की बजाय सीढ़ियों का उपयोग करें, टीवी देखते हुए दंड बैठक लगाएं।

गोवा की गवर्नर ने कहा- मां मुझे गर्भ में ही मार डालना चाहती थीं

 

गोवा की राज्यपाल मृदुला सिन्हा ने खुलासा किया कि उनकी मां उन्हें गर्भ में ही मार डालना चाहती थीं. इसकी वजह थी कि उनका मां का 40 साल की उम्र में गर्भवती होना। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान पर चर्चा करते हुए उन्होंने इस झकझोर देने वाले किस्से को साझा किया. सिन्हा ने वाराणसी में कहा, ‘मैंने जब पीएम मोदी को बच्चियों को बचाने की बात करते सुना तो मुझे याद आया कि कैसे मेरा पिता ने मेरी जिंदगी बचाई थी।.’

मृदुला सिन्हा ने बताया, ‘मेरी मां जब 40 साल की उम्र में गर्भवती हो गईं तो उन्होंने गर्भपात के लिए दवाई खा ली थी. लेकिन मेरे पिता समाज की चिंता किए बगैर उन्हें हमारे गांव से नजदीकी शहर ले गए ताकि वह सुरक्षित तरीके से मुझे जन्म दे सकें .’ बतौर सिन्हा, ‘मेरे पिता ने कई पुरानी मान्यताओं को तोड़ते हुए मुझे बेहतर शिक्षा दिलाई, ताकि मैं आजादी से जी सकूं।
गोवा की गवर्नर ने कहा, ‘मुझे लगता है कि बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ स्लोगन में परिवार बचाओ को भी जोड़ा जाना चाहिए।  एक बात कही जाती है कि बेटी को बेटे की तरह पालना चाहिए. इस सोच को बदलना चाहिए। .’ लोगों का बेटियों को पालने का तरीका अब बदल चुका है। गांवों में भी लोग बेटियों को अच्छी शिक्षा दे रहे हैं.।
मृदुला सिन्हा ने अपील की कि सभी यूनिवर्सिटी अपने सिलेबस में फैमिली मैनेजमेंट को भी शामिल करें। उन्होंने परिवार में दादा-दादी का होना भी जरूरी बताया.

 

प्रेम और ज्ञान का विस्तार हो

फरवरी का महीना, रुमानियत का ही नहीं ज्ञान का भी महीना है। वसंत कदम रख रहा है और ज्ञान की देवी सरस्वती का आगमन भी होने वाला है मगर इसे बाजार का करिश्मा कहिए या कुछ और संत वेलेन्टाइन ने कुछ ऐसी दस्तक दी है कि पूरा हवा में वेलेंटाइन समा गया है। मजे की बात यह है कि क्रिसमस और वेलेंटाइन डे, इन दोनों उत्सवों में लाल रंग पर खास जोर दिया जाता है और भारतीय संस्कृति में भी लाल रंग का विशेष महत्व है। प्रेम हो तो लज्जा की लालिमा और क्रोध हो तो आँखों में अँगारे, सूर्य की सिन्दूरी लालिमा, लाल चूड़ियाँ, लाल जोड़ा, लाल बिन्दी, कितना कुछ लाल है, कहने का मतलब यह है कि जो हम पश्चिम से उधार ले रहे हैं, वह कहीं अधिक विस्तृत रूप में हमारे पास मौजूद है, फर्क यह है कि हम वेलेंटाइन्स डे के अगले दिन एनिमी डे नहीं मनाते। प्रेम में ईश्वर छुपा होता है मगर उस प्रेम का अर्थ प्रिय पर कब्जा जमाना या उसके व्यक्तित्व को छीनना हरगिज नहीं होता। प्रेम औदात्य है और जहाँ औदात्य नहीं, जहाँ प्रिय की न का मतलब उस पर तेजाब फेंकना हो, वहाँ प्रेम कैसा? प्रेम रोमांस ही नहीं बल्कि मातृत्व है, दोस्ती है और इसका स्वरूप तो इतना बड़ा है कि इसकी व्याख्या नहीं की जा सकती मगर आज तोहफों के इस दौर में जब इश्क को तोहफों की कीमत से तौला जा रहा हो और रिश्ते फायदा देखकर बनाए जाने लगे हों तो वहाँ कबीर, मीरा, तुलसी, निराला और बच्चन और भी प्रासंगिक जान पड़ते हैं। अच्छा लगता कि जब कोई स्त्री की बात करता है मगर तकलीफ तब होती जब उसमें भी सस्ती लोकप्रियता बटोरने की सनक होती है। प्रेम की कोई भाषा नहीं होती, संवेदना की भाषा नहीं होती मगर उसका प्रभाव स्थायी और

इश्क है तो जताना भी जरूरी है

इश्क करना कोई इनसे सीखे…    तू मुझ से दूर कैसी है, मैं तुझसे दूर कैसा हूं, यह तेरा दिल समझता है और.. यह मेरा दिल समझता है … यह लाइनें कवि कुमार विश्वास की हैं जो कि पूर्णत: सच्चाई को बयां करती हैं। वाकई में दो प्यार करने वाले लोग ही दूरियां, तड़प और बेचैनी को समझ सकते हैं। अगर दिल में मोहब्बत हो तो साथी की बुरी बात भी अच्छी लगती है। 14 फरवरी को हम संत वैलेंनटाइन के नाम पर मनाते हैं। वो वैलेंनटाइन जिन्होंने प्यार करने वालों को एक करने के लिए अपनी जान दे दी। प्यार एक खूबसूरत एहसास है, बेहतर यही है कि इसे सिर्फ आप रूह से महसूस करें, तभी आप प्यार का आनंद ले पायेंगे। लेकिन आज की दौड़ती-भागती जिंदगी में आदमी के पास समय छोड़कर बाकी सब कुछ हैं। यूं तो प्यार करने और जताने के लिए किसी खास दिन की जरूरत नहीं लेकिन भागती हुई जिंदगी के लिए ही आज का दिन मोहब्बत के नाम कर दिया गया। अक्सर पति-पत्नी को कहते हुए सुना जाता है कि शादी के पहले तो तुम्हारे लिए हम ही खास थे लेकिन शादी के बाद हमें छोड़कर बाकी सब खास हो गये हैं। इसलिए वेलेंटाइन डे हो या फिर कुछ और हमें फर्क नहीं पडता है। प्यार-व्यार सब बकवास है। तो दोस्तो जरा सोचिए कि ऐसा क्यों होता है? वो प्यार कहां खो गया, क्या जिम्मेदारियों के बोझ के आगे मुहब्बत कुर्बान हो गयी। आखिर आप जिनके लिए रात-दिन पैसे कमा रहे हैं, व्यस्त हैं वो आपका प्यार ही तो है। माना की प्यार को किसी परिचय और प्रमाण की जरूरत नहीं लेकिन कभी-कभी इसे जताना पड़ता है ताकि अगले को भी एहसास हो कि आप आज भी उन्हीं के हैं। आज के दिन आप अपने मीठे पलों को याद कीजिये। जरा सोचिए अगर आपकी मुहब्बत आपके पास नहीं हैं फिर भी आप उसी के बारे में सोचते हैं, मोबाइल पर ना चाहते हुए भी आप उसी का नंबर डायल कर देते हैं, बिजी होने के बावजूद जिस टाइम वो घर आती है या आता है तो खुद ब खुद घड़ी की सुईयों पर आपकी नजर चली जाती है। तो अगर यह सब वाकई में आपके साथ हो रहा है तो समझिये आपका एहसास कहीं खत्म नहीं हुआ है वो तो आपके जहन में आज भी जवां है। जिसे आप आज के दिन फिर से अपने प्यार के आगे प्रकट कर सकते हैं। यकीन मानिये आपको दोबारा से ‘आईलवयू’ कहने की जरूरत नहीं पड़ेगी और आपका आज का दिन आपकी जिंदगी का बेस्ट दिन बन जायेगा।

 

शादी में 18 हजार विधवाओं को दिया न्योता

भारत में जहां आज भी रूढ़िवादी विचारधारा के लोग किसी शुभकार्य में विधवा महिलाओं की मौजूदगी को अशुभ मानते हैं, वहीं गुजरात के एक बिजनेसमैन ने इस कुरीति को दरकिनार करते हुए अपने बेटे की शादी में 18,000 विधवाओं को आशीर्वाद देने के लिए आमंत्रित किया।

गुजरात के ‘ग्रीन एंबेस्डर’ के रूप में पहचाने जाने वाले जीतूभाई पटेल ने इस कुरीति को तोड़ने का का निश्चय किया और इसलिए उन्होंने अपने बेटे रवि और नववधू मोनाली पटेल को आशीर्वाद देने के लिए इन महिलाओं को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया था। ये महिलाएं गुजरात के बनासकांठा, मेहसाना, साबरकांठा, पाटन और अरावली जिलों से आईं थीं।

जीतूभाई ने कहा, ‘यह मेरी दिली ख्वाहिश थी कि नए जोड़े को विधवा महिलाएं आशीर्वाद दें, जिनकी समाज में अनदेखी की जाती है। शुभ मौके पर उनकी उपस्थिति को अशुभ माना जाता है, लेकिन मैं यह साबित करना चाहता था कि यह मान्यता अंधविश्वास से अधिक कुछ नहीं हैं।’

शादी में आईं इन महिलाओं को एक कंबल और एक पौधा इस वादे के साथ दिया गया कि वे इनका खयाल रखेंगी। इन महिलाओं को जीतूभाई की तरफ से एक एक दुधारू गाय भी भेंट की गई ताकि वे आत्मनिर्भर बन पाएं।

मेहसाना जिले के वीजापुर बस्ती की रहने वाली हंसा ठाकुर ने कहा, ‘अब मैं एक अच्छी जिंदगी जी सकती हूं क्योंकि मेरे पास एक गाय है। मैंने कभी नहीं सोचा था कि एक विधवा को भी इतना सम्मान मिलेगा, मैंने कभी भी इसकी उम्मीद नहीं की थी।’

सरस्वती वंदना

कवि  – सूर्यकांत त्रिपाठी निराला

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वर दे, वीणावादिनि वर दे !

प्रिय स्वतंत्र-रव अमृत-मंत्र नव

भारत में भर दे !

काट अंध-उर के बंधन-स्तर
बहा जननि, ज्योतिर्मय निर्झर;
कलुष-भेद-तम हर प्रकाश भर
जगमग जग कर दे !

नव गति, नव लय, ताल-छंद नव
नवल कंठ, नव जलद-मन्द्ररव;
नव नभ के नव विहग-वृंद को
नव पर, नव स्वर दे !

वर दे, वीणावादिनि वर दे।

रायपुर के शनिदेव की पूजा करती हैं महिलाएँ

 महाराष्ट्र के प्रसिद्ध शनि शिंगणापुर में स्थित भगवान शनिदेव की प्रतिमा पर जहां महिलाओं को तेल अर्पित करने से रोके जाने का मामला सुर्खियों में है, वहीं राजधानी रायपुर के शनि मंदिरों में महिलाओं को तेल चढ़ाने से कोई मनाही नहीं है। छोटी उम्र की बालिका से लेकर युवतियां और बुजुर्ग महिलाएं तक शनिदेव की प्रतिमा पर श्रद्धा से तेल अर्पित करती हैं।

शनि मंदिरों में पुरुषों से ज्यादा युवतियां व महिलाओं की लाइन लगी रहती है। तेल अर्पित करने आई महिलाओं का कहना है कि किसी भी भगवान की पूजा-अर्चना करने से महिलाओं को रोकना गलत है। भारतीय संस्कृति में जब नारी को देवी तुल्य माना जाता है तो फिर उन्हें पूजा-अर्चना करने से कैसे रोका जा सकता है?

शनिवार को सुबह से ही शनि मंदिरों में भगवान शनिदेव को तेल अर्पित करने के लिए महिलाओं की कतार लगी रही और बारी-बारी से महिलाओं ने विधिवत पूजा-अर्चना करके शनि प्रतिमा पर तेल अर्पित किया। हालांकि चूड़ी लाइन स्थित प्राचीन शनि मंदिर में गर्भ गृह के भीतर किसी भी भक्त के प्रवेश करने की मनाही है और मुख्य प्रतिमा पर तेल अर्पित नहीं किया जा सकता सिर्फ उनके श्रृंगारित रूप का ही दर्शन किया जा सकता है, लेकिन मंदिर परिसर में ही पत्थर के एक और शनि देवता को विराजित किया गया है जहां कोई भी भक्त तेल अर्पित कर सकता है। दोपहर को मंदिर परिसर में अनेक पुरुष व महिलाएं तेल अर्पित करते नजर आईं।

आजाद चौक मुख्य मार्ग पर स्थित शनि मंदिर में दोपहर को बीच सड़क तक महिलाओं की कतार लगी रही। डीडी नगर से अपनी मां के साथ मंदिर पहुंची अनुपमा ठाकुर ने मंदिर के बाहर से पूजन सामग्री व तेल खरीदा और पुरुषों के पीछे लाइन में लग गई। मंदिर के भीतर प्रवेश करने के बाद उन्होंने पहले अगरबत्ती प्रज्ज्वलित कर पूजा की और फिर पॉलिथिन में रखे तेल को शनिदेव की प्रतिमा पर चढ़ाया।

इसके बाद शनिदेव की परिक्रमा की। उनके पीछे अनेक महिलाओं ने भी पूजा का क्रम जारी रखा। पूजा करने के बाद जब वे मंदिर से बाहर निकली तो पूछने पर बताया कि वे कई साल से निरंतर हर शनिवार को मंदिर आकर तेल अर्पित करती हैं, वे शनि शिंगणापुर जाकर भी दर्शन कर चुकी हैं लेकिन वहां महिलाओं को तेल चढ़ाने नहीं दिया जाता सिर्फ दर्शन करने की ही छूट है, इसलिए निराश हुई थी, मगर अपने शहर में जितनी देर तक चाहो शनिदेव के दर्शन कर तेल अर्पण कर मन्न्त मांगने की छूट है। वे कहती हैं कि महिलाओं को शनिदेव पर तेल अर्पण करने से रोकना गलत है।

कॉलेज में पढ़ने वाली युवती आरती ने भी शनि मंदिर में शनिदेव की प्रतिमा पर तेल अर्पित किया और पूछे जाने पर बताया कि किसी भी भगवान को मानना या न मानना अपनी-अपनी आस्था पर निर्भर करता है। हजारों लोग मन में ख्वाहिशें लेकर शनि सिंगनापुर जाते हैं और वहां यदि तेल अर्पण करने से रोका जाए तो यह महिलाओं के साथ अन्याय है, क्योंकि हमारी संस्कृति में महिलाओं को देवी का दर्जा दिया जाता है।

घर-घर मे पूजा-पाठ ज्यादातर महिलाएं ही करती हैं, जिन्होंने भारतीय संस्कृति को जीवित रखा है। पुरुष वर्ग तो महज हाथ जोड़कर व शीश नवाकर चले जाते हैं, मगर विधिवत पूजा महिलाएं ही करती हैं। ऐसे में महिलाओं के साथ भेदभाव करना उचित नहीं है। मंदिर में अनेक युवतियों व महिलाओं ने भी पूजा के बाद खुशी जाहिर की और कहा कि अच्छा है हमारे शहर में कोई प्रतिबंध नहीं है, वरना लोग मंदिरों में जाना ही बंद कर देंगे।