Sunday, July 20, 2025
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आँखों से है प्यार तो आहार में लें विटामिन ए

विटामिन ए फैट सॉल्यूबल विटामिन है और 13 आवश्यक विटामिनों में से एक है। आंखों से जुड़ी कई सारी कार्यप्रणालियों के सही संचालन के लिए विटामिन ए आवश्यक होता है, जिसमें कलर विजन और लो लाइट विजन शामिल हैं। इम्यूनिटी को सुरक्षा प्रदान करने के लिए भी यह विटामिन आवश्यक होता है। ऐसे में इसकी कमी से कई सारी शारीरिक क्रियाओं पर प्रभाव पड़ता है, जिसकी पूर्ति इस विटामिन से खाद्य पदार्थों के जरिए की जा सकती है।

विटामिन ए डिफिशिएंसी की हल्की समस्या में विटामिन ए से भरपूर खाद्य पदार्थों को भोजन में शामिल करने से मदद मिल सकती है। ऐसे खाद्य पदार्थों में शामिल हैं :

  • गाजर, पालक, शकरकंद, शिमला मिर्च
  • राजमा, हरी पत्तेदार सब्जियां
  • यदि आपको लगता है कि भोजन द्वारा इसके लक्षणों पर फर्क नहीं पड़ रहा तो तुरंत ही डॉक्टर की सलाह लें।

ओवरडोज की स्थिति

विटामिन ए की अधिकता होने पर विटामिन सी, ई और के की कमी होने लगती है। अत्यधिक मात्रा में विटामिन ए होने पर उसके लक्षण 6 घंटे के अंदर ही नजर आने लगते हैं और सप्लीमेंट बंद करने के कुछ हफ्तों के बाद ही ये लक्षण चले जाते है। वयस्कों की तुलना में बच्चे विटामिन ए के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं। इसलिए विटामिन ए के सप्लीमेंट को बच्चों की पहुंच से दूर रखें।

विटामिन ए डिफिशिएंसी से कई सारी समस्याएं उभरकर सामने आने लगती हैं और साथ ही इसकी अधिकता भी शरीर में टॉक्सीसिटी पैदा करती है।

विटामिन ए डिफिशिएंसी के प्रमुख लक्षणों में शामिल हैं 

रतौंधी : विटामिन ए की कमी के सबसे प्रमुख लक्षण रतौंधी या आंखों की कम रोशनी के रूप में नजर आते हैं। रतौंधी की समस्या में कम रोशनी की स्थिति में व्यक्ति देख नहीं पाता। लेकिन सामान्य रोशनी में चीजों को स्पष्ट देख सकता है।

ड्राय आइज : विटामिन ए डिफिशिएंसी की स्थिति में क्रॉनिक ड्राय आइज की समस्या होती है। इसमें आंसुओं का निर्माण नहीं होता, आंखों में चुभन और खुजली जैसी महसूस होती है। आंखों की पुतलियां भी कड़ी महसूस होती हैं। वैसे यह स्थिति कई अन्य कारणों से भी हो सकती है।

कॉर्निया डिसऑर्डर और ब्लाइंडनेस : विटामिन ए की गंभीर कमी के कारण कॉर्निया का रंग सफेद होने लगता है और अंधेपन की नौबत आ जाती है। ऐसा लंबे समय तक विटामिन ए की कमी के कारण होता है।

ये लक्षण भी हैं

  • खाने में स्वाद महसूस न होना
  • घाव भरने में समय लगना
  • आंखों के कॉर्नर में सफेद धब्बे हो जाना
  • आंखों से जुड़ी अन्य समस्याएं जैसे कंजंक्टिवाइटिस
  • ड्राय स्किन, सूखे, बेजान बाल
  • टूटते नाखून कमजोर इम्यून सिस्टम
  • खाने में विविधता :विटामिन ए की जरूरत को पूरा करने का सबसे आसान तरीका है कि विविध प्रकार के खाद्य पदार्थों को अपने भोजन में शामिल करें। इससे पोषण की पूर्ति बड़े पैमाने पर हो पाएगी। नियमित रूप से विभिन्न् रंगों वाली सब्जियां और फलों का चुनाव करें, इससे विटामिन का सही संतुलन शरीर में हो पाएगा।

 

अंबाला की स्वाति ने खड़ा किया करोड़ों का कारोबार

अंबाला। कुछ साल पहले सिंगापुर एयरलाइन्स की स्कॉलरशिप के लिए 22 इंडियन स्टूडेंट्स में हरियाणा के अंबाला में रहने वाली 16 साल की स्वाति भार्गव सिलेक्ट हुई थीं। तब मौके की अहमियत समझते हुए उनके पिता ने उन्हें सिंगापुर भेजने का फैसला लिया। इस स्कॉलरशिप के जरिए स्वाति ने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से ऑनर्स इन मैथेमैटिक्स एंड इकोनॉमिक्स में एडमिशन ले लिया।

स्वाति मैथ्स में एक्सपर्ट है। यही कारण था कि उन्हे लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स, गवर्नमेंट ऑफ सिंगापुर ऑक्सफोर्ड से स्कॉलरशिप मिली। ग्रैजुएशन के दौरान स्वाति ने गोल्डमैन साक्स में समर इंटर्नशिप ज्वॉइन कीइसी इंटर्नशिप में कंपनी ने उन्हें जॉब ऑफर दे दिया। स्वाति की दिलचस्पी बिजनेस करने में जागी और उन्होंने अपना जॉब छोड़ दिया।स्वाति और उनके पति रोहन भी कैशबैक के लिए यूके की वेबसाइट क्यूइड्को का इस्तेमाल करते थे । स्वाति ने पति के साथ कैशबैक का कारोबार शुरू करने का फैसला किया। 2011 में अपनी पहली यूके वेबसाइट पोरिंग पाउंड्स शुरू की। इसकी शुरुआत उन्होंने अपनी बचत से की और फिर करीब 75,000 डॉलर के फंड्स का इंतजाम किया।

कैशकरो का सफर
जल्द ही पोरिंग पाउंड्स को यूके में काफी पसंद किया जाने लगा। कुछ ही वक्त में इस वेबसाइट से तकरीबन 2500 लोकप्रिय ब्रांड्स जुड़ गए। इस सफलता से उत्साहित होकर स्वाति कारोबार को विस्तार देने के बारे में सोचने लगीं। इसी दौरान उन्होंने देखा कि भारत में ई-कॉमर्स और ऑनलाइन शॉपर्स 50 फीसदी प्रतिवर्ष की दर से बढ़ रहे हैं और यहां कैशबैक के कॉन्सेप्ट के लिए काफी स्कोप है। स्वाति ने कैशबैक की अवधारणा को भारत लाने के अपने प्लान को हकीकत में बदलते हुए 2013 में भारत में कैशकरो डॉट कॉम लॉन्च कर दी।

कम वक्त में बड़ा मुकाम

शुरुआत के पहले ही साल में कैशकरो डॉट कॉम के कारोबार में 1000 प्रतिशत की दर से वृद्धि हुई। यही नहीं यह वेबसाइट देश की प्रमुख 500 ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए लगभग 150 करोड़ के रिटेल कारोबार का जरिया बनी। आज कैशकरो डॉट कॉम रोजाना 3000 से ज्यादा ट्रांजैक्शन्स को अंजाम देती है और अपने मेम्बर्स को करोड़ों रुपए का कैशबैक दे चुकी है। 30 मिलियन डॉलर के रेवेन्यू के साथ कैशकरो सभी तरह के डिस्काउंट्स, ऑफर्स, वाउचर्स आदि के लिए देश की सबसे बड़ी वेबसाइट का मुकाम हासिल करने को अग्रसर है।

 

सही सलवार कमीज के चयन से लुक को बनाएं शानदार

 

हम सभी को सलवार कमीज़ की फेमिनिन फील बेहद पसंद है. ऑफिस से लेकर शादी तक, हर मौके के लिए कुछ ना कुछ ज़रूर है. सही तरह की सलवार कमीज़ आपके लिए कमाल कर सकती है, अगर आप अपने शेप या फिगर को लेकर कॉन्शस हैं तो. तो ये समझना कि किस रह की सलवार कमीज़ आपको सूट करती है, ये जानना बेहद ज़रूरी है. सही तरह की सलवार कमीज़, आपकी शख्सियत को दिखाती है और या तो इसे निखार सकती है।. कुछ नियमों का पालन करें, सेफ रहें और कमाल दिखें।straight-cut-ladies-suit-810548

सही फिटिंग – अगर आपका शरीर भारी है, तो लंबी स्लीव्ज़ पहनें. आप लोअर्स और सलवार में वर्टिकल प्रिंट्स, फ्लोरल्स और गहरे रंगों के साथ एक्सपेरिमेंट कर सकती हैं. बंद गले वाले कुर्तों या कमीज़ को चूड़ीदार के साथ ट्राय करें और पाएं स्लिमर लुक. पर ध्यान रखें कि बहुत ज़्यादा टाइट सलवार कमीज़ ना पहनें, ये आपकी मुश्किल को और बढ़ाएगा. फ्रिल्स और ऐसे ही दूसरे बेवजह के एंबेलिशमेंट्स अवॉएड करें, खासकर की पेट और स्लिट्स के पास वाली जगहों पर जो आपके प्रॉब्लम एरियाज़ की ओर लोगों का ध्यान खींचेंगे. दुबली-पतली लड़कियां पटियाला और पलाज़ोज़ जैसे लूज़ फिटिंग वाले लोअर्स पहन सकती हैं. आप इन्हें शॉर्ट कुर्तियों या स्ट्रेट लंबे कुर्तों के साथ पहन सकती हैं।1-beautiful-Net-Crepe-anarkali-dress-for-women

सलवार भी हो सही – लंबी और आवरग्लास फिगर वाली औरतों पर पटियाला सलवार अच्छी लगेगी. एक और अच्छा ऑप्शन होगा धोती स्टाइल सलवार या धोती पैंट्स, जो ढीले और हवादार होते हैं और फिटेड कमीज़ के साथ कमाल लगते हैं. छोटी और दुबली-पतली लड़कियों को कॉलर्ड कमीज़ के साथ चूड़ीदार सलवार ट्राय करनी चाहिए. आजकल ट्रेड में पैरलल सलवार, अपनी वर्सटैलिटी के लिए पसंद किए जा रहे हैं और भारी और दुबली-पतली सड़कियां दोनों ही इन्हें पहन सकती हैं. अगर आप छोटी हैं तो पटियाला, धोती सलवार और पैरलल सलवार अवॉएड करें.anarkali-suits-for-party-wear

फैब्रिक – अगर आप प्लस-साइज़्ड हैं, तो आपके लिए सॉफ्ट सिल्क, क्रेप, सॉफ्ट कॉटन, लिनेन और जॉर्जेट जैसे फैब्रिक्स सही रहेंगे, जो आपकी बॉडी से थोड़ा चिपकते हैं और देते हैं एक सही लुक. हालांकि polyester और शिफॉन जैसे फैब्रिक्स ना चुनें क्योंकि ये झूलते हैं और आपको और भारी दिखाते हैं. स्ट्रेचेबल फैब्रिक्स जैसे कि स्पैंडेक्स, जर्सी और लायक्रा भी सही नहीं रहेंगे क्योंकि ये आपकी बॉडी से चिपक कर आपके प्रॉबलम एरीयाज़ को हाइलाइट करेंगे. स्लिम विमिन के लिए रॉ सिल्क, जूट, थिक कॉटन और स्पैंडेक्स ब्लेंड कॉटन जैसे फैब्रिक्स सही रहेंगे. ये आपके फिगर में वॉल्यूम ऐड करने में मदद करेंगे. शिफॉन और पॉलिएस्टर भी इस तरह की बॉडी टाइप के लिए सूटेबल रहेंगे.

 

कुछ ऐसा जो बच्चों को भाए

मसाला मैकरोनी

सामग्री- 1 कप मैकरोनी, 1 बडे़ आकार का टमाटर, 1 मध्‍यम प्‍याज, 3 हलसुन की कलियां, 1 टुकड़ा अदरक, 1 चम्‍मच मिर्च पाउडर, 1 शिमला मिर्च, 1 चम्‍मच टमैटो कैचप,तेल,कटी हरी धनियाmasala makroni

विधि – एक भगौने में 6 कप पानी उबालिये। फिर उसमें नमक, 1 चम्‍मच तेल और मैकरोनी डाल कर पकाइये। फिर इसे छान कर किनारे रख लीजिये। शिमला मिर्च, टमाटर, अदरक, प्‍याज और लहसुन को बारीक काटिये। एक पैन में थोड़ा सा तेल गरम करें, फिर उसमें अदरक लहसुन डाल कर 1 मिनट तक सौते कीजिये। फिर कटी प्‍याज डाल कर गुलाबी होने तक पकाइये। उसके बाद कटे टमाटर और मिर्च पावडर डाल कर तक पकाइये जब तक टमाटर गल ना जाए।

फिर शिमला मिर्च, टमैटो कैचप , नमक और हल्‍का सा पानी डाल कर कुछ मिनट पकाइये।

आखिर में उबली मैकरोनी मिक्‍स कीजिये और ऊपर से हरी धनिया और स्‍प्रिंग अनियन डाल कर आंच से हटा दीजिये। अब इसे गरमा गरम सर्व कीजिये।

पनीर सिगार

सामग्री  16 से 18 वॉनटॉन शीट्स, एक कप किसा हुआ पनीर, दो चम्‍मच अदरक-मिर्च पेस्ट, दो चम्‍मच तेल, तीन चम्‍म्‍च हरा प्याज कटा हुआ, नमक स्वादानुसार, 3/4कप लाल, पीली और हरी शिमला मिर्च कटी हुई, एक चम्‍मच सोया सॉस, 1/2कप ग्रेटेड चीज, एक चम्‍म्‍च कॉर्नफ्लोर, एक चम्मच कटा हुआ अदरक।

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विधि पैन को गर्म होने रख दें। फिर इसमें कटा हुआ अदरक अच्छे से सोते करें। कटी हुई शिमला मिर्च को भी एक मिनट तक सोते करें। फिर इसमें चूरा किया हुआ पनीर, अदरक-मिर्च सॉस और सोया सॉस, नमक अच्छी तरह से मिलाएं। सबसे आखिर में कटा हुआ प्याज मिलाकर इस मिश्रण को अलग रख लें।

सिगार के लिए : कॉर्नफ्लोर में पानी मिलाकर गाढ़ा घोल तैयार करके अलग रख दें।

अब वॉनटॉन शीट्स रखकर इस पर फीलिंग डालें और फिर टाइटनेस के साथ रोल करें जिससे सिगार का शेप बन जाए। अब उस सिगार के कॉर्नर को कॉर्नफ्लोर के घोल से बंद कर दें। अन्य सिगार भी इसी तरह से बनाएं। इन सिगार को गर्म तेल में तलें और सर्व करें।

 

पेस्टल्स से निखारें अंदाज अपना

जहां औरतें रनवे ट्रेंड्स को अपने क्लॉज़ेट्स में शामिल करने में काफी तेज़ होती हैं, आदमी इस मामले में काफी संकोची होते हैं और कुछ भी नया आजमाने को लेकर काफी एहतियात बरतते हैं. जहां आपके पति या बॉयफ्रेंड अपने डेनिम्स और टीज़ से बेइंतेहां प्यार करते हैं. यहां जानिए कि कैसे आप वार्डरोब को पेस्टल्स से सजा सकते हैॆं pestals

पोलोज़ अपने वार्डरोब में पेस्टल्स शामिल करने का सबसे आसान और सेफ तरीका है इन्हें पोलोज़ के रूप में पहनना. ये आपकी पसंदीदा डेनिम्स और ट्राउज़र्स के साथ बहुत अच्छे लगेंगे. एक आराम पसंद दिन पर, ड्रेस डाउन करें इन्हें टीम करें शॉर्ट्स के साथ।

शर्ट्स – पेस्टल्स पहनने का एक और आसान तरीका है इन रंगों में शर्ट्स पहनना. ये आपके लुक को ना सिर्फ एक फ्रेशनेस देंगे बल्कि आपको बाकी लोगों से अलग भी दिखाएगा. अगर आप थोड़ा ड्रेस्ड अप दिखना चाहते हैं, तो अपने लुक की कैज़ुअलनेस बढ़ाइए ट्राउज़र्स को पेस्टल शर्ट्स के साथ पेयर कर के. पेस्टल शर्ट्स के ले सबसे बेहतरीन फैब्रिक हैं कॉटन और लिनेन।

ट्राउज़र्स – पेस्टल ट्राउज़र्स ब्रीज़ी और ट्रेंडी दोनों ही है. स्टाइलिश पर सिंपल और बेहद कैज़ुअल, पेस्टल ट्राउज़र्स को स्टाइल करने के कई तरीके हैं. पर फिर भी इनके साथ गलती करने की काफी गुंजाइश है. इन्हें गहरे रंग की टी-शर्ट्स और शर्ट्स के साथ पेयर करना भी बहुत अच्छा ऑप्शन है. इन्हें एक जैसे रंगों के साथ पेयर करने की गलती ना करें, ये पूरा लुक खराब कर सकते हैं।pestel green kurta

सूट्स – सूट्स हमेशा फॉर्मल ड्रेसिंग का हिस्सा हों, ऐसा ज़रूरी नहीं है. अगर वो ड्रेस्ड अप दिखना चाहते हैं पर एक कैज़ुअल फील के साथ, तो एक पेस्टल कलर्ड सूट बहुत अच्छा ऑप्शन है. सूट को पुराने घिस-पिटे तरीकों से स्टाइल ना करें. इसे बिना टाइ के पहनना एक बढ़िया ऑप्शन है।

कुर्ते – पेस्टल रंगों के कुर्ते बेहद अच्छा ऑप्शन है. पेस्टल शेड्स के कुर्ते हमेशा से बेहद ताज़गी भरे और एलिगेंट लगते हैं. इसे सलवार के साथ पेयर कर के आपके पति या बॉयफ्रेंड सबसे अलग दिख सकते हैं. एक मोनोक्रोम नेहरू जैकेट भी इसके साथ बेहद अच्छा लगेगा. पर ध्यान रहे कि नेहरू जैकेट पेस्टल शेड में ना हो.

 शॉर्ट्स – इससे बेहतर कैज़ुअल स्टाइल और क्या हो सकता है भला? पेस्टल शॉर्ट्स भी काफी चीज़ों के साथ अच्छे लगते हैं. एक शॉर्ट ब्रीज़ी शर्ट, एक ब्लॉक कलर्ड टी-शर्ट – इन सभी की जोड़ी पेस्टल शॉर्ट्स के साथ बेहद स्टाइलिश लगेगी.

 

हिंदू विवाह अधिनियम पास करने वाला पाकिस्तान का पहला प्रांत बना सिंध

पाकिस्तान की सिंध विधानसभा ने सोमवार को हिंदू विवाह अधिनियम पारित कर दिया. सिंध अपने देश का पहला प्रांत बन गया है जहां अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय अपनी शादियों का रजिस्ट्रेशन करा सकेगा. एक प्रमुख हिंदू संगठन ने इस ऐतिहासिक विधेयक से एक विवादित नियम हटाने की मांग की है। विधानसभा में इस विधेयक को संसदीय कार्य मंत्री निसार खुहरो ने पेश किया. परित हो जाने के बाद यह अधिनियम पूरे सिंध प्रांत में लागू होगा. पाकिस्तान के इस प्रांत में हिंदुओं की अच्छी खासी आबादी है. खुहरो ने कहा, ‘‘पाकिस्तान के गठन के बाद से यह पहला मौका है जब कोई ऐसा कानून पारित किया गया है. यह फैसला सिंध में हिंदू शादियों का औपचारिक रूप से रजिस्ट्रेशन करने के लिए मशीनरी मुहैया करने को लेकर किया गया है.’’एक राष्ट्रीय संसदीय समिति ने इसके ड्राफ्ट को मंजूरी दी थी. इससे पाकिस्तान में हिन्दू समुदाय के विवाह और तलाक के रजिस्ट्रेशन का रास्ता साफ हुआ है. यह विधेयक विवाह की न्यूनतम उम्र 18 साल निर्धारित करता है. विधेयक के मुताबिक यह आवश्यक है कि पुरूष और महिला के बीच सहमति से और कम से कम दो गवाहों की मौजूदगी में विवाह का रजिस्ट्रेशन हो। विधेयक के मुताबिक हर विवाह का अधिनियम के मुताबिक पंजीकरण होगा. हिंदू विवाह कानून के नहीं रहने से विवाह का प्रमाणपत्र हासिल करने और राष्ट्रीय पहचान पत्र हासिल करने के साथ ही जायदाद में हिस्सेदारी लेने में काफी मुश्किल आ रही थी.

पाकिस्तान के एक प्रमुख हिंदू संगठन ने अधिनियम से एक विवादित नियम को हटाने की मांग की है. इस नियम के मुताबिक पति-पत्नी में से किसी के धर्म परिवर्तन करने पर शादी को रद्द करने का प्रावधान है. संगठन ने कहा है कि इससे अल्पसंख्यक समुदाय (हिंदू) की महिलाओं का जबरन धर्म परिवर्तन किया जा सकता है। पाकिस्तान हिन्दू परिषद नामक संगठन के प्रमुख संरक्षक रमेश वांकवाणी ने कहा कि पाकिस्तान में हिंदू समुदाय इस नियम को लेकर चिंतित है.उन्होंने कहा कि हिंदू विवाह आपत्तिजनक उपबंध 12 (3) का इस्तेमाल हिंदू लड़कियों और महिलाओं के लिए किया जा सकता है. यह कहता है कि पति-पत्नी में किसी के धर्म बदलने से शादी खत्म हो सकती है. सत्तारूढ़ पीएमएल (एन) के सांसद वांकवाणी ने कहा कि हमने खासतौर पर सिंध के ग्रामीण इलाकों में हिंदू महिलाओं और लड़कियों के जबरन धर्म परिवर्तन के मुद्दे को सरकार के समक्ष उठाया है। वांकवाणी ने कहा कि यह नियम इसके दुरुपयोग को बढ़ा सकता है. उन्होंने कहा कि ऐसे कई उदाहरण हैं जब हिंदू लड़कियों का अपहरण किया गया और बाद में उनका धर्म बदलवाकर एक मुसलमान व्यक्ति से शादी के प्रमाणपत्र अदालत में पेश कर दिए गए. इस विवाद को खत्म करने के लिए कानून एवं न्याय पर स्थायी समिति की अध्यक्ष नसरीन जलील ने कहा कि उन्होंने इस हफ्ते समिति की एक बैठक बुलाई है, ताकि हिन्दू समुदाय की चिंताओं पर चर्चा की जा सके.

बुंदेलखंड में ‘रोटी बैंक’ के बाद अब ‘स्वच्छता बैंक’ भी

महोबा (उप्र): सूखे की मार झेल रहे बुंदेलखंड क्षेत्र के बुंदेली समाज ने ‘स्वच्छता बैंक’ की स्थापना कर आम जन के सामने एक बड़ा संदेश दिया है। ‘स्वच्छता बैंक’ में बुंदेली समाज द्वारा लगाए गए नवयुवक शहर में गंदगी को लेकर चौकन्ने रहेंगे और जगह-जगह स्वच्छता बैंक के कूड़ेदान सार्वजनिक स्थलों पर रखे जाएंगे। ‘स्वच्छता बैंक’ से जुड़े नवयुवक कूड़ेदानों में इकट्ठा हुए कूड़े को शहर के बाहर फिकवाने का इंतजाम भी करेंगे।

बुंदेली समाज के पदाधिकारी व कार्यकर्ता जहां एक ओर ‘रोटी बैंक’ के माध्यम से शहर में असहाय विकलांग और गरीब लोगों को पेटभर खाना देते हैं, वहीं दूसरी ओर बुंदेली समाज ने रविवार को ‘स्वच्छता बैंक’ की स्थापना की। इसकी स्थापना आम जन मानस को जागरुक करने के साथ-साथ शहर को साफ-सुथरा बनाने के उद्देश्य से की गई है।
बुंदेली समाज के तारा पाटकर ने बताया कि ‘स्वच्छता बैंक’ के माध्यम से शहर को साफ करने व स्वच्छ रखने में बड़ा योगदान होगा और सार्वजनिक स्थलों पर स्वच्छता बैंक द्वारा जगह-जगह कूड़ेदान रखे जाएंगे। आम लोगों को इस कूड़ेदान में ही कचरा डालने के लिए प्रेरित किया जाएगा। ‘स्वच्छता बैंक’ में निस्वार्थ भाव से लगे नवयुवकों द्वारा कूड़ेदानों में इकट्ठा कचरे को फिकवाएंगे।

 

प्यार की लालिमा से सजाइए प्यार का दिन

प्यार की जब भी बात चले तो लाल रंग का जिक्र तो जरूर चलना है। लाल गुलाब जोश का नहीं प्यार का प्रतीक है। शुभकामनाओं का प्रतीक हैै और शायद यही वजह है कि बधाई कार्ड और शादी के दौरान भी लाल रंंग बेहद इस्तेमाल भी किया जाता है। लाल शादी का जोड़ा और लाल बिंदी के बगैर तो शायद भारतीय शादियाँ ही लम्बे समय तक अधूरी मानी जाती थीं मगर भारी – भरकम साड़ी में तो आप शायद उन  अनमोल लम्हों का लुत्फ भी नहीं उठा सकती हैं। अगर आप सोच में पड़ी हैैं कि प्यार के नाम से सजी इस खूबसूरत शाम को कैसे खूबसूरत बनाएं  तो जरा एक नजर इधर डालिए

Red Dress upअगर आप पश्चिमी कपड़ों में असहज हैं तो जबरन ट्रेंड के नाम पर कुछ भी असुविधाजनक मत पहनिए क्योंकि यह आपके आत्मविश्वास पर असर डालेगा। आप शानदार भारतीय परिधान से भी प्यार की इस खूबसूरत शाम को और भी यादगार बना सकती हैं। बात सीधी सी है जो भी पहनिए अपने व्यक्तित्व और कार्यक्षेत्र के साथ वातावरण को ध्यान में रखकर पहनिए। साड़ी वैसे भी बेहद स्टाइलिश और फैशन डिजाइनरों की पहली पसंद है और इसके साथ कुंदन, मोती और रूबी या सेमिप्रेशयस स्टोन के जेवर आपके लुक को बेहद खास बना देंगे।saree

कुछ ऐसी है वेलेंटाइन्स डे की दास्तान

वेलेंटाइन्स डे आज सारी दुनिया में मनाया जाता है मगर आज इसका जो स्वरूप है, पहले नहीं था। कई शुरुआती क्रिश्चियन शहीदों के नाम वेलेंटाइन थे। 1969 तक, कैथोलिक चर्च ने औपचारिक रूप से ग्यारह वेलेंटाइन दिनों को मान्यता दी 14 फ़रवरी को सम्मानित वेलेंटाइन हैं रोम के वेलेटाइन वलेंतिनुस प्रेस्ब.म. रोमे) और टेर्नी के वेलेंटाइन (वलेंतिनुस एप. इन्तेराम्नेंसिस म. रोमे). रोम के वेलेंटाइन रोम के एक पादरी थे जिनको लगभग 269 AD में शहादत मिली और वाया फ्लेमिनिया में उन्हें दफनाया गया था। उनके अवशेष रोम के सेंट प्राक्स्ड चर्च में और डब्लिन, आयरलैंड के व्हाइटफ्रियर स्ट्रीट कार्मेलाईट चर्च में हैं। टेरनी के वेलेंटाइन AD 197 में इन्तेरामना (आधुनिक टेरनी) के बिशप बने और कहा जाता है की औरेलियन सम्राट के उत्पीडन के दौरान उनकी हत्या की गयी थी। उन्हें भी वाया फ्लेमिनिया में ही दफनाया गया है, लेकिन दफनाने का स्थान रोम के वेलेंटाइन से अलग है। उसके अवशेष टेर्नी में संत वेलेंटाइन के बेसिलिका (बेसिलिका डी सैन वेलेन्टीनो)] पर हैं।

कैथोलिक विश्वकोश एक तीसरे संत के बारे में भी जिक्र करता है जिनका नाम वेलेंटाइन था और जिनका जिक्र शुरुआती शहादतों में 14 फरवरी की तारीख के अन्दर आता है। उनकी शहादत अफ्रीका में अपने अनेकों साथियों के साथ हुई थी, लेकिन उनके बारे में ज्यादा कुछ पता नहीं है।

इनमें से किसी भी शहीद की शुरुआती मूल मध्यकालीन जीवनियों में रोमानी तत्वों का कोई जिक्र नहीं है। जिस समय तक एक सेंट वेलेंटाइन का सम्बन्ध चौदहवीं सदी में प्रेम के साथ जुड़ता, रोम के वेलेंटाइन और टेरनी के वेलेंटाइन के बीच के भेद बिलकुल खो गए। वर्तमान संतों के रोमन कैथोलिक कैलेंडर के 1969 के संशोधन में, फ़रवरी 14 पर संत वेलेंटाइन के फीस्टडे को जनरल रोमन कैलेंडर से निकाल कर विशिष्ट कैलेंडरों (स्थानीय या फिर राष्ट्रीय भी) में निम्नलिखित कारणों से डाल दिया गया: हालाँकि सेंट वेलेंटाइन की यादगार प्राचीन है, उसे विशिष्ट कैलेंडरों के लिए छोड़ दिया गया, क्योंकि, उनके नाम के अलावा, सेंट वेलेंटाइन के बारे में कुछ भी ज्ञात नहीं है सिवाय इसके की इन्हें वाया फ्लेमिनिया में १४ फरबरी को दफनाया गया था। </ref>फीस्ट डे आज भी बाल्ज़न(माल्टा) में मनाया जाता है जहाँ ऐसा दावा किया जाता है की सेंट के अवशेष मिले हैं और पूरी दुनिया में भी उन परम्परावादी कैथोलिकों के द्वारा मनाया जाता है जो पुराने प्री- वेटिकन II कैलेंडर को मानते हैं।

शुरुआती मध्यकालीन एक्टा का उद्धरण बीड के द्वारा किया गया था और लेगेंडा ओरिया में संक्षेप में व्याख्यान किया गया है। उस संस्करण के अनुसार, सेंट वेलेंटाइन का क्रिश्चियन के नाते उत्पीडन किया गया था और रोम के सम्राट क्लौडीयस II के द्वारा व्यक्तिगत रूप से पूछ ताछ की गयी थी। क्लोडिअस वेलेंटाइन से प्रभावित थे और उनके साथ चर्चा की थी, कोशिश की थी कि रोमन पागानिस्म में उनका धर्मान्तरण हो जाये ताकि उनकी जान बचायी जा सके.वेलेंटाइन से इनकार कर दिया और उल्टा कोशिश की कि क्लोडिअस क्रिस्चियन बन जाये.इस वजह से, उसे मार डाला गया था। ऐसा कहा जाता है कि मारे जाने से पहले उन्होनें जेलर की अंधी बेटी को ठीक करने का चमत्कार किया था।

लेगेंडा ओरिया अभी भी प्रेम के साथ कोई सम्बन्ध नहीं जोड़ पा रही थी, इसलिए दंतकथाओं को आधुनिक समय में जोड़ दिया गया। इनमें वेलेंटाइन को एक ऐसे पादरी के रूप में दिखाया गया जिसने रोमन सम्राट क्लोडिअस II के एक कानून को मानाने से इंकार कर दिया था जिसके अनुसार जवान लड़कों को शादी न करने का हुक्म दिया गया था। सम्राट ने संभवतः ऐसा अपनी सेना बढ़ाने के लिए किया होगा, उसका ये विश्वास रहा होगा की शादीशुदा लड़के अच्छे सिपाही नहीं होते हैं। पादरी वेलेंटाइन इस बीच चुपके से जवान लोगों की शादियाँ करवाया करते थे। जब क्लोडिअस को इस बारे में पता चला, उसने वेलेंटाइन को गिरफ्तार करवाकर जेल में फेंक दिया.इस सुन्दर दंत कथा को और अलंकृत करने के लिए कुछ अन्य किस्से जोड़े गए। मारे जाने से एक शाम पहले, उन्होंने पहला “वेलेंटाइन” स्वयं लिखा, उस युवती के नाम जिसे उनकी प्रेमिका माना जाता था। ये युवती जेलर की पुत्री थी जिसे उन्होंने ठीक किया था और बाद में मित्रता हो गयी थी। ये एक नोट था जिसमें लिखा हुआ था “तुम्हारे वेलेंटाइन के द्वारा”

ऐसा ही एक दिवस प्राचीन फारस में वेलेंटाइन दिवस के भी बहुत पहले से मनाया जाता था। इसे प्रेम और प्रेमियों के दिवस के रूप में जाना जाता था।

सत्रहवीं सदी के आने तक हस्तनिर्मित कार्ड बड़े और विस्तृत होते थे, जबकि दुकान से ख़रीदे गए कार्ड छोटे और मंहगे होते थे। 1797 में एक ब्रिटिश प्रकाशक ने युवकों के वेलेंटाइन लेखक को जारी किया, इसमें उन युवा प्रेमियों के लिए अनेकों भावुक छंदों का सुझाव था जो की अपना खुद का नहीं बना पाते थे। छापाकारों ने छंदों और चित्रों वाले कार्ड, जिन्हें “यांत्रिक वेलेंटाइन” कहा जाता था, का सीमित मात्रा में उत्पादन भी शुरू कर दिया था। और अगली सदी में डाक की दरों में कमी ने वेलेंटाइन को डाक द्वारा भेजने की आसन किन्तु कम निजी प्रथा को जन्म दे दिया.इसने पहली बार गुमनाम रूप से कार्डों के आदान प्रदान को संभव बना दिया. एक ऐसा युग जो की शुद्ध रूप से विक्टोरियन था, उसमें जातिगत छंदों के अचानक प्रकट होने का कारण इसी को माना जाता है।

चूँकि कागज के वेलेंटाइन इंग्लैंड में 1800 में अति प्रचलित थे, इसलिए इनको कारखानों में बनाया जाने लगा.असली फीते और रिबन की सहायता से सुन्दर वेलेंटाइन का निर्माण होने लगा. मध्य 1800 के आसपास कागज के फीतों का प्रचलन शुरू हुआ। 1840 में वेलेंटाइन दिवस की पुनर्खोज को ली एरिक श्मिट द्वारा ट्रेस किया गया है।जैसा की एक लेखक द्वारा ग्राहम्स अमेरिकन मंथली में 1849 लिखा गया है “सेंट वेलेंटाइन दिवस….बन रहा है, बल्कि बन चुका है, एक राष्ट्रीय अवकाश. संयुक्त राज्य में पहली बार उभरे हुए कागज के फीतों वाले वेलेंटाइन का बड़े पैमाने पर उत्पादन हुआ और 1847 के बाद उन्हें वोर्सेस्टर, मैसाचुसेत्ट्स की एस्थर हौलेंड (1828-1904) द्वारा बेंचा गया। उसके पिता एक बड़ी पुस्तक और लेखन सामग्री की दुकान चलते थे, लेकिन हौलेंड को प्रेरणा मिली एक अंग्रेजी वेलेंटाइन से जो उसे मिला था। इससे ये साफ़ है की वेलेंटाइन भेजने की प्रथा उत्तरी अमेरिका में प्रचलित होने से पहले इंग्लेंड में मौजूद थी। वेलेंटाइन भेजने की अंग्रेजी प्रथा का वर्णन एलिजाबेथ गास्केल की ‘मिस्टर हैरिसंस कंफेशंस (1851 में प्रकाशित)’ में भी आता है। सन 2001 से ग्रीटिंग कार्ड एसोसिएशन एक वार्षिक “ग्रीटिंग कार्ड दूरदर्शी के लिए एस्थर हौलेंड पुरस्कार” का वितरण कर रहा है। अमेरिका के ग्रीटिंग कार्ड एसोसिएशन का अनुमान है की लगभग एक अरब वेलेंटाइन पूरी दुनिया में प्रति वर्ष भेजे जाते हैं, जिसकी वजह से इसका नंबर क्रिसमस के बाद ग्रीटिंग कार्ड भेजने वाली दूसरी सबसे बड़ी छुट्टी के रूप में आता है। एसोसिएशन का अनुमान है कि अमेरिका में पुरुष औसतन महिलाओं की अपेक्षा दुगना पैसा खर्चा करते हैं।

19 वीं सदी के बाद से, हस्तलिखित नोट्स कि जगह बड़े पैमाने पर उत्पादित होने वाले ग्रीटिंग कार्ड्स ने ले ली है।उन्नीसवीं सदी के मध्य का वेलेंटाइन का व्यापार अमेरिका में छुट्टियों के और अधिक व्यवसायीकरण का अगुआ बना.

बीसवीं सदी के उत्तरार्द्ध में, अमेरिका में कार्डों के आदान प्रदान कि प्रथा लगभग सभी प्रकार के तोहफों में शामिल हो गयी। इन्हें आमतौर पर एक पुरुष द्वारा एक स्त्री को दिया जाता था। इस प्रकार के तोहफों में आमतौर पर शामिल होता है, गुलाब और चॉकलेट को लाल साटन में पैक कर के एक दिल के आकार वाले डिब्बे में देना.1980 के दशक में, हीरा उद्योग ने गहने देने के लिए एक अवसर के रूप में वेलेंटाइन दिवस को बढ़ावा देना शुरू किया। “हैप्पी वेलेंटाइन दिवस” की एक सामान्य अव्यवहार्य शुभकामना के साथ इस दिवस को जोड़ा जाने लगा है। एक मजाक के तौर पर, वेलेंटाइन दिवस को “अकेले लोगों की जागरूकता दिवस” का भी नाम दिया जाता है। उत्तर अमेरिकी के कुछ प्राथमिक स्कूलों में बच्चे कक्षाओं को सजाते हैं, कार्डों का आदान प्रदान करते हैं और मिठाइयां खाते हैं। इन छात्रों के ग्रीटिंग कार्ड्स अक्सर इस बात का उल्लेख करते हैं की उन्हें एक दूसरे के बारे में क्या अच्चा लगता है।

इस सहस्राब्दी की शुरुआत पर इंटरनेट लोकप्रियता की वृद्धि नई परम्पराएँ पैदा कर रही है। हर साल लाखों लोग वेलेंटाइन दिवस की शुभकामना संदेशों को बनाने और भेजने के लिए डिजिटल तरीकों, जैसे की इ-कार्ड, प्रेम कूपन और छपने योग्य ग्रीटिंग कार्ड अदि, का इस्तेमाल करते हैं।

 

 

अज्ञानता से हमें तार दे शारदे माँ

वसंत का आगमन माँ सरस्वती की आराधना के साथ होता है। प्रगति की हर परिभाषा ज्ञान के बगैर अधूरी है मगर सरस्वती पूजा संवेदना से परिपूर्ण ज्ञान को महत्व देने का दिन है क्योंकि माँ वीणापाणी साहित्य और संस्कृति के साथ कला की भी देवी है। ये तीनों ही संवेदना के बगैर अधूरे हैं। संवेदनहीन ज्ञान कोरा किताबी ज्ञान होता है और बगैर संवेदना के सृजन सम्भव ही नहीं है। इस दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। यह पूजा पूर्वी भारत, पश्चिमोत्तर बांग्लादेश, नेपाल और कई राष्ट्रों में बड़े उल्लास से मनायी जाती है। इस दिन स्त्रियाँ पीले वस्त्र धारण करती हैं।

प्राचीन भारत और नेपाल में पूरे साल को जिन छह मौसमों में बाँटा जाता था उनमें वसंत लोगों का सबसे मनचाहा मौसम था। जब फूलों पर बहार आ जाती, खेतों मे सरसों का सोना चमकने लगता, जौ और गेहूँ की बालियाँ खिलने लगतीं, आमों के पेड़ों पर बौर आ जाता और हर तरफ़ रंग-बिरंगी तितलियाँ मँडराने लगतीं। वसंत ऋतु का स्वागत करने के लिए माघ महीने के पाँचवे दिन एक बड़ा जश्न मनाया जाता था जिसमें विष्णु और कामदेव की पूजा होती, यह वसंत पंचमी का त्यौहार कहलाता था। शास्त्रों में बसंत पंचमी को ऋषि पंचमी से उल्लेखित किया गया है, तो पुराणों-शास्त्रों तथा अनेक काव्यग्रंथों में भी अलग-अलग ढंग से इसका चित्रण मिलता है।

सृष्टि के प्रारंभिक काल में भगवान विष्णु की आज्ञा से ब्रह्मा ने जीवों, खासतौर पर मनुष्य योनि की रचना की। अपनी सर्जना से वे संतुष्ट नहीं थे। उन्हें लगता था कि कुछ कमी रह गई है जिसके कारण चारों ओर मौन छाया रहता है। विष्णु से अनुमति लेकर ब्रह्मा ने अपने कमण्डल से जल छिड़का, पृथ्वी पर जलकण बिखरते ही उसमें कंपन होने लगा। इसके बाद वृक्षों के बीच से एक अद्भुत शक्ति का प्राकट्य हुआ। यह प्राकट्य एक चतुर्भुजी सुंदर स्त्री का था जिसके एक हाथ में वीणा तथा दूसरा हाथ वर मुद्रा में था। अन्य दोनों हाथों में पुस्तक एवं माला थी। ब्रह्मा ने देवी से वीणा बजाने का अनुरोध किया। जैसे ही देवी ने वीणा का मधुरनाद किया, संसार के समस्त जीव-जन्तुओं को वाणी प्राप्त हो गई। जलधारा में कोलाहल व्याप्त हो गया। पवन चलने से सरसराहट होने लगी। तब ब्रह्मा ने उस देवी को वाणी की देवी सरस्वती कहा। सरस्वती को बागीश्वरी, भगवती, शारदा, वीणावादनी और वाग्देवी सहित अनेक नामों से पूजा जाता है। ये विद्या और बुद्धि प्रदाता हैं। संगीत की उत्पत्ति करने के कारण ये संगीत की देवी भी हैं। बसन्त पंचमी के दिन को इनके जन्मोत्सव के रूप में भी मनाते हैं। ऋग्वेद में भगवती सरस्वती का वर्णन करते हुए कहा गया है-

प्रणो देवी सरस्वती वाजेभिर्वजिनीवती धीनामणित्रयवतु।

अर्थात ये परम चेतना हैं। सरस्वती के रूप में ये हमारी बुद्धि, प्रज्ञा तथा मनोवृत्तियों की संरक्षिका हैं। हममें जो आचार और मेधा है उसका आधार भगवती सरस्वती ही हैं। इनकी समृद्धि और स्वरूप का वैभव अद्भुत है।saraswati puja

वसंत ऋतु आते ही प्रकृति का कण-कण खिल उठता है। मानव तो क्या पशु-पक्षी तक उल्लास से भर जाते हैं। हर दिन नयी उमंग से सूर्योदय होता है और नयी चेतना प्रदान कर अगले दिन फिर आने का आश्वासन देकर चला जाता है। यों तो माघ का यह पूरा मास ही उत्साह देने वाला है, पर वसंत पंचमी (माघ शुक्ल 5) का पर्व भारतीय जनजीवन को अनेक तरह से प्रभावित करता है। प्राचीनकाल से इसे ज्ञान और कला की देवी मां सरस्वती का जन्मदिवस माना जाता है। जो शिक्षाविद भारत और भारतीयता से प्रेम करते हैं, वे इस दिन मां शारदे की पूजा कर उनसे और अधिक ज्ञानवान होने की प्रार्थना करते हैं। कलाकारों का तो कहना ही क्या? जो महत्व सैनिकों के लिए अपने शस्त्रों और विजयादशमी का है, जो विद्वानों के लिए अपनी पुस्तकों और व्यास पूर्णिमा का है, जो व्यापारियों के लिए अपने तराजू, बाट, बहीखातों और दीपावली का है, वही महत्व कलाकारों के लिए वसंत पंचमी का है। चाहे वे कवि हों या लेखक, गायक हों या वादक, नाटककार हों या नृत्यकार, सब दिन का प्रारम्भ अपने उपकरणों की पूजा और मां सरस्वती की वंदना से करते हैं।

इसके साथ ही यह पर्व हमें अतीत की अनेक प्रेरक घटनाओं की भी याद दिलाता है। सर्वप्रथम तो यह हमें त्रेता युग से जोड़ती है। रावण द्वारा सीता के हरण के बाद श्रीराम उसकी खोज में दक्षिण की ओर बढ़े। इसमें जिन स्थानों पर वे गये, उनमें दंडकारण्य भी था। यहीं शबरी नामक भीलनी रहती थी। जब राम उसकी कुटिया में पधारे, तो वह सुध-बुध खो बैठी और चख-चखकर मीठे बेर राम जी को खिलाने लगी। प्रेम में पगे झूठे बेरों वाली इस घटना को रामकथा के सभी गायकों ने अपने-अपने ढंग से प्रस्तुत किया। दंडकारण्य का वह क्षेत्र इन दिनों गुजरात और मध्य प्रदेश में फैला है। गुजरात के डांग जिले में वह स्थान है जहां शबरी मां का आश्रम था। वसंत पंचमी के दिन ही रामचंद्र जी वहां आये थे। उस क्षेत्र के वनवासी आज भी एक शिला को पूजते हैं, जिसके बारे में उनकी श्रध्दा है कि श्रीराम आकर यहीं बैठे थे। वहां शबरी माता का मंदिर भी है।

आज सरस्वती पूजा के माध्यम से शिक्षकों और विद्यार्थियों के बीच एक समन्वय बनता है मगर इसके लिए दोनों के बीच जिस भावनात्मक लगाव की जरूरत है, वह उसे और भी सहेजने की जरूरत है और इसके लिए अज्ञानता के अँधकार से बाहर निकलने की जरूरत है इसलिए माँ शारदे से यही प्रार्थना है कि वह अंधकार को ज्ञान के प्रकाश में बदले। अपराजिता की ओर से आप सभी को सरस्वती पूजा पर हार्दिक शुभकामनाएं।