Friday, March 14, 2025
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पेटीएम के संस्थापक पास जब नौकरी तक नहीं थी

गुड़गांव। ई-कॉमर्स कंपनी पेटीएम के संस्थापक विजय शंकर शर्मा ने बताया कि इंजीनियरिंग की डिग्री लेने के बाद उन्हें नौकरी ढूंढने में परेशानी हुई। उन्हें कठिन दिनों में खाने के लिए भी पैसे नहीं होने से संघर्ष करना पड़ा।

एमिटी यूनिवर्सिटी गुड़गांव से मानद डॉक्टरेट की उपाधि लेने के बाद उन्होंने अपने अतीत का जिक्र करते हुए कहा, ‘पढ़ाई के दौरान और डिग्री लेने के बाद भी कई परेशानियां झेलीं, लेकिन कभी हार नहीं मानी।

मेरे परिजन ने मुझ पर शादी करने का दबाव डाला। मैं नौकरी के बिना कठिन समय का सामना कर रहा था। मैं इस स्थिति के बारे में परिवार को भी नहीं बता सकता था।

मुझे भोजन के लिए 14 किमी जाना पड़ता था। 1998 में इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन में डिग्री कोर्स इंग्लिश मीडियम में था। मैं हिंदी भाषी था, इस कारण काफी चुनौतियां आईं।

मैं नर्वस हो जाता था क्योंकि कक्षा में जो पढ़ाया जाता मुझे समझ ही नहीं आता था। मैं हमेशा चिंता में रहता कि परीक्षा में पास कैसे होऊंगा।

जब मुझे पेटीएम का आइडिया आया और मैंने इसे कुछ लोगों को बताया तो उन्होंने मुझे मूर्ख कहा। मेरा मनोबल तोड़ते हुए कहने लगे कि यदि यह कारगर होता तो कोई पहले ही यह कर चुका होता।’

 

जब स्टेज पर फूट-फूटकर रोने लगीं दीपिका

दीपिका पादुकोण अपने पिता प्रकाश पादुकोण के काफी करीब हैं। ये बात पिछले दिनों फिल्‍मफेयर अवार्ड्स समारोह के दौरान भी देखने को मिली। यहां स्‍टेज पर दीपिका ने अपने पिता की एक चिट्ठी पढ़ी, जिसमें उन्‍होंने अपने संघर्ष के दिनों को बयां किया था। ये चिट्ठी पढ़ते हुए दीपिका की आंखों से आंसू झलक पढ़े।

इस पल से जुड़ा एक वीडियो सामने आया है, जिसमें दीपिका की आंखों से आंसू रुकने का नाम ही नहीं ले रहे हैं। प्रकाश पादुकोण के द्वारा लिखी ये चिट्ठी इतनी भावुक थी कि दीपिका के साथ फंक्शन में मौजूद लोग भी इमोशनल हो गए। कुछ लोगों की आंखें भी नम हो गईं।

बता दें कि दीपिका पादुकोण को फिल्‍म ‘पीकू’ में शानदार अभिनय करने के लिए बेस्‍ट एक्‍ट्रेस के खिताब से नवाजा गया था। फिल्‍म में उनके अपोजिट अमिताभ बच्‍चन नजर आए थे। ये फिल्‍म एक पिता और बेटी के रिश्‍ते पर आधारित है।

वैसे बता दें कि इन दिनों दीपिका हॉलीवुड फिल्‍म XXX: The Return of Xander Cage की शूटिंग में व्यस्त हैं। हाल ही में इस फिल्म की शूटिंग से जुड़ी कुछ तस्‍वीरें सामने आईं। इरमें दीपिका विन डीजल के साथ काफी हॉट एंड सेक्सी नजर आ रही हैं।

 

घरेलू नुस्खों से दूर करें गले का कालापन

हर लड़की की यह ख्वाहिश होती है कि वह सबसे खूबसूरत दिखे और इसके लिए लड़कियां काफी मेहनत भी करती हैं. स्किन केयर का हर लड़की पूरा ध्‍यान रखती है हालांकि हमारे शरीर के कई हिस्से ऐसे होते हैं जिनपर हमारा ध्यान नहीं जाता. गर्दन भी उन्हीं में से एक है।

गर्दन कालापन कई बार आपके चेहरे की सुंदरता को खराब कर देता है. कई बार ऐसा सिर्फ इसलिए होता है क्योंकि आप चेहरे पर ध्यान देती हैं और गले को भूल जाती हैं. अगर आपके साथ भी यह समस्या है तो जानिए इन उपायों के बारे में...

लेमन ब्लीच
आप लेमन ब्लीच घर पर ही तैयार कर सकती हैं। इसके लिए आधा चम्मच नींबू के रस में एक चम्मच गुलाबजल को मिलाकर  गले के पूरे हिस्‍से में अच्‍छी तरह लगाकर रातभर के लिए छोड़ दें और सुबह गर्दन को पानी से धो लें।

शहद
दो चम्मच नींबू के रस को शहद में मिलाकर पेस्ट बना लें। इसे लगभग आधे घंटे गर्दन पर लगा रहने दें। धोते समय गर्दन की मसाज करें जिससे सारी गंदगी निकल जाएगी।

ओट स्क्रब
ओट स्क्रब का कमाल जिस तरह चेहरे पर दिखाई देता है उसी तरह गले पर भी. तीन-चार चम्मच ओट लेकर अच्छी तरह पीस लें और बेहतर रिजल्ट के लिए इसमें दो चम्मच टमाटर का गूदा भी मिला लें। इस पेस्ट को अच्छी तरह मिक्स करके गले पर लगाएं. एक हफ्ते में दो से तीन बार लगाने से आपको फर्क जरूर दिखने लगेगा।

बेकिंग सोडा
बेकिंग सोडा को सादे पानी में मिलाकर पेस्ट बनाएं और इस पेस्ट को गर्दन पर 15 मिनट लगाकर छोड़ दें. यह पैची स्किन और स्किन के हाइपर पिग्मेंटेशन को हटाने में कारगर साबित होती है।

खीरा
खीरे को कद्दूकस करके उसमें गुलाब जल मिलाकर मिश्रण बनाएं और इसे 10 मिनट गर्दन पर लगा छोड़ दें।  इसे पानी से साफ करने से पहले अच्छी तरह मसाज करें। जल्द ही गर्दन का कालापन दूर हो जाएगा.।

दही
दही स्किन को निखारने के कुछ प्राकृतिक तरीकों में से एक है. एक बड़ी चम्मच दही में थोड़ी सी हल्दी मिलाकर पेस्ट बना लें. इस पेस्ट से गर्दन पर मसाज करें। कुछ ही दिनों में आपको फर्क नजर आने लगेगा। बेहतर नतीजों के लिए आप दही में नींबू मिलाकर भी इस्तेमाल कर सकती हैं।

कच्चा पपीता
थोड़ा सा कच्चा पपीता घिस लें और उसमे पानी मिलाकर पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को गर्दन के काले हिस्से पर लगाकर 20 मिनट के लिए छोड़ दें। इसके बाद सादे पानी से धो लें. एक हफ्ते में दो बार ऐसा करने से गले का कालापन कम हो जाएगा.।

 

भारत में ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए खुलेगी पहली मॉडलिंग एजेंसी

भारत में ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए मॉडलिंग एजेंसी खुलने जा रही है। यह देश की पहली ऐसी मॉडलिंग एजेंसी भी होगी। यह आइडिया दिल्ली की ट्रांसजेंडर कार्यकर्ता रुद्राणी क्षेत्री का है। उनका कहना है कि उन्होंने बहुत सारी खूबसूरत ट्रांसजेंडर को निराशा में बदसूरती का अहसास करते देखा है।

उन्होंने बताया, ‘मैं भी उनमें से एक थी और जब मैं जवान थी तो मेरे पास ऐसा कोई विकल्प नहीं था। हम चाहते हैं कि हम समाज की मुख्यधारा में शामिल हों और वे सारे काम कर सकें जो दूसरे सामान्य लोग करते हैं। मुझे पूरा विश्वास है कि मॉडलिंग एजेंसी के खुलने से युवा ट्रांसजेंडर अपने सपनों को पूरा कर पाएंगे।’

गौरतलब है कि भारत में ‘एलजीबीटी’ समुदाय अभी भी अपने मानवाधिकारों की रक्षा के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रही है। ऐसे में रुद्राणी क्षेत्री का यह कदम ट्रांसजेंडर समुदाय को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण शुरुआत है। छेत्री ‘मित्र’ ट्रस्ट की संस्थापक हैं जो शहर के लेस्बियन, गे, बाईसेक्सुअल और ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए काम करती हैं।

इस एजेंसी का लक्ष्य शीर्ष के पांच ट्रांसजेंडर मॉडल्स का चुनाव कर उन्हें मुख्यधारा की मीडिया में काम दिलवाना है। इसके लिए वे पूरे भारत में ऑडिशन आयोजित करेंगे। इसके लिए उन्होंने फैशन स्टाइलिस्ट और फोटोग्राफर रिशी राज से हाथ मिलाया है। वे-इन मॉडल्स को प्रमुख फैशन पत्रिकाओं में काम दिलवाएंगे।

इस रविवार को नई दिल्ली में वे वॉक इन ऑडिशन आयोजित कर रहे हैं और इसमें चुनी हुई मॉडल्स का फोटो शूट किया जाएगा। राज ने बताया, ‘मैं इस फोटोशूट में ट्रांसजेंडर समुदाय के प्राकृतिक उभयलिंगी सुंदरता को उभारने और उन्हें बढ़ाने की कोशिश करूंगा।’ इस उद्यम के लिए बिटगिविंग ऑनलाइन प्लेटफार्म पर एक क्राउडफंडिंग अभियान शुरू किया गया है।

छेत्री ने बताया, ‘हम इस उद्यम के लिए फंड इकट्ठा कर रहे हैं। ताकि हम अपने समुदाय के साथ काम कर सकें। हम पिछले आठ महीने से अपने कर्मियों को वेतन नहीं दे पा रहे हैं।’ हाल ही मेंउच्चतम न्यायालय द्वारा समलैंगिकता के मामले को बड़ी पीठ के हवाले करने के फैसले का एलजीबीटी समुदाय ने स्वागत किया है।

 

बसंत पंचमी में भरें मिठास

मैसूर पाक

 

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सामग्री – 125 ग्राम बेसन, दो कप शक्कर, 400 ग्राम घी, एक चम्‍मच पिसी इलायची।

विधि – मैसूर पाक बनाने के लिए सबसे पहले शकर में एक कप पानी मिलाकर एक तार की चाशनी बना लें। अब 50 ग्राम घी में बेसन डालकर धीमी आंच पर गुलाबी होने तक भूनें। खुशबू आने पर इसमें तैयार चाशनी डालकर अच्छी तरह से मिलाएं। बचे घी को धुंआ आने तक गर्म करें। ये गर्म घी थोड़ा-थोड़ा करके बेसन-चाशनी के मिश्रण में डालें और हिलाते हुए पकाते जाएं।

इसे तब तक चलाएं जब तक मिश्रण कड़ाही न छोड़ने लगे। इस समय बेसन के फूलने के साथ उसमें जाली बनती हुई दिखाई देने लगती है। अब इसमें इलायची पावडर मिलाकर आंच से उतारें। चिकनाई लगी गहरी ट्रे में मिश्रण फैलाएं। पांच मिनट बाद चौकोर टुकड़े काट लें। अतिरिक्त घी निथार दें। बस तैयार है मैसूर पाक। चाहें तो पिस्ते की कतरन से इसे सजा सकते हैं।

मूंग-उड़द के लड्डू

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सामग्री –  आधा किलो मूंग का आटा, आधा किलो उड़द का आटा, 750 ग्राम घी, 750 ग्राम शकर का बूरा, 100 ग्राम बादाम, 100 ग्राम काजू, 100 ग्राम गोंद, 50 ग्राम किशमिश, थोड़ा इलायची पावडर।

विधि – सबसे पहले कड़ाही में घी गर्म करके उसमें मूंग और उड़द का आटा डाल दें और धीमी आंच पर तकरीबन एक घंटे तक सेंकते रहें। सुनहरा भूरा होने पर आंच से उतार लें और इलायची पावडर डाल दें। एक अन्य पैन में घी गर्म करके गोंद के फूले बना लें और ठंडा होने पर कटोरी से पीस लें।

काजू, बादाम को भी बारीक-बारीक काटकर रख लें और किशमिश की डंठलें भी अलग कर दें। अब ठंडे हुए आटे में शकर का बूरा और सभी मेवे व पिसी गोंद मिलाएं और मध्यम आकार के एक ही साइज के लड्डू तैयार करें।

 

बच्ची ने लिखा – पापा मम्मी को रोज पीटते हैं

घरेलू हिंसा बच्चों के दिमाग को किस कदर प्रभावित करती है, इसका कोलकाता की एक घटना से देखने को मिला। यहाँ के अंग्रेजी माध्यम के एक स्कूल के टीचर उस वक्त हैरान रह गए जब 10 साल की एक छात्रा ने ‘माई फैमिली’ शीर्षक वाले एसे में लिखा कि उसके पापा हर रोज उसकी मां की पिटाई करते हैं। यह घटना कोलकाता के सॉल्ट लेक इलाके की है।

पांचवीं कक्षा की इस छात्रा ने निबंध में अपने परिवार के बारे में लिखा, ‘मेरे पिता बुरे आदमी हैं. वह रोज मेरी मां की पिटाई करते हैं । किसी को हमारी परवाह नहीं है। हमारे चाचा भी हमारी नहीं सुनते. पापा मेरी पिटाई भी करते हैं. यही मेरा परिवार है। ‘

बच्ची ने निबंध में यह भी लिखा है कि वह बड़ी होकर अपनी मां को पापा से दूर ले जाएगी। इस निबंध को पढ़कर उसके टीचर हतप्रभ रह गए, क्योंकि उन्हें इस बात की बिल्कुल भनक नहीं थी कि यह बच्ची इन तकलीफों से गुजर रही है।

बच्ची के पेपर की जांच करने वाले क्लास टीचर ने कहा, ‘मुझे समझ नहीं आ रहा कि मैं क्या करूं. मैंने स्कूल प्रिंसिपल से बात की और स्कूल के काउंसलर से भी संपर्क किया।.’ घटना के बाद लड़की के माता-पिता को बुलाया गया और काउंसलिंग के बाद दोनों से कहा गया कि वे अलग-अलग रहें या बच्ची से दोबारा सम्मान पाने के लिए पिता अच्छा व्यवहार करें।

इस संबंध में पूछे जाने पर शहर के मनोवैज्ञानिक जयराजन राम ने कहा, ‘ बच्ची के व्यवहार को बचकाना नहीं कहा जा सकता. उसने अपनी दमित भावनाओं को इस निबंध से दिखाया है, जो भावनाएं वह अब तक जाहिर नहीं कर पाई थी.’

कोलकाता के मनोवैज्ञानिक मानते हैं कि जिंदगी के कुछ कड़वे हिस्से होते हैं, वह हम अपने करीबी दोस्तों से भी शेयर नहीं कर सकते. इसे लिख देना ज्यादा आसान होता है।

 

खतना पर पाबंदी लगाने के लिए जागरुकता अभियान

सहियो और प्रगतिशील विचारों वाली मुस्लिम महिलाओं ने खतना पर पाबंदी लगाने के लिए जागरूकता अभियान शुरू किया है। ये महिलाएं सहियो नामक एक संगठन से जुड़कर काम कर रही हैं। इस अभियान में उन्हें न सिर्फ महिलाओं का बल्कि पुरूषों का भी समर्थन मिल रहा है। पाबंदी के समर्थन के लिए हस्ताक्षर अभियान भी चलाया जा रहा है और हस्ताक्षर वाले इस पत्र को केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी को सौंपा जाएगा ताकि केंद्र सरकार कानूनी रूप से खतना पर रोक लगाए।

सहियो एक गुजराती शब्द है जिसका मतलब सहेलियों होता है। इस संगठन में मुस्लिम समाज की विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वाली महिलाएं मारिया ताहेर, आरेफा जौहरी, शाहिदा तवावाला किरतने, प्रिया गोस्वामी और इनसिया दरिवाला शामिल हैं जो दाऊदी बोहरा समुदाय की हैं। इन्होंने भी खतना की यातना को झेला है और अब अपने समुदाय की महिलाओं को जागरूक कर रही हैं कि वे इस परंपरा को खत्म करने में सहयोग करें।

आरेफा के मुताबिक खतना को लेकर मुस्लिम समुदायों में अलग-अलग राय है। कोई समुदाय इसे इस्लाम से जोड़कर देखता है तो कोई इसे अवैज्ञानिक मान रहा है। भारत से बाहर दूसरे कई देशों में महिलाओं के जननांग काटने (खतना) पर पाबंदी लगाई गई है। भारत में भी बोहरा समुदाय की महिलाएं इस पर पाबंदी चाहती हैं। लेकिन वह खुलकर अपनी बात जाहिर नहीं कर पा रही हैं। बावजूद इसके कुछ पुरूष भी अपने घर में इस परपंरा के विरोध में हैं और वह भी चाहते हंै कि समुदाय के नेता इस मामले में आगे आएं और पाबंदी के पैरोकार बनें।

सहियो की ओर से 6 फरवरी से 8 मार्च तक ईच वन रीच वन अभियान शुरू किया जा रहा है। इस अभियान के तहत खतना के बारे में एक महिला या युवती दूसरी महिला या युवती को बताएंगी और दूसरी महिला तीसरी महिला को जानकारी देंगी। इस तरह से इस अभियान को एक सामाजिक आंदोलन का रूप दिया जाएगा। इस अभियान का मकसद यही है कि हर घर में महिला या पुरूष अपनी मर्जी से खतना के विवादास्पद परंपरा पर रोक लगाने में सहयोग करें।

 

शेविंग से होने वाली जलन और रैशेज़ से बचें

शेविंग करना देखने में जितना आसान लगता है उतना होता नहीं है. अगर इसे सही तरीके से ना किया जाए तो ये आपकी स्किन को नुकसान पहंचा सकता है. और आपके चेहरे पर रैशेज़, डार्क स्पॉट्स और जलन हो सकती है. इसकी वजह शेविंग के दौरान रेज़र और बालों के बीच घिसाव है.

तो पर्फेक्ट और जलन-रहित शेविंग के लिए हम आपको बता रहे हैं कुछ बेहद आसान टिप्स, जिनकी मदद से आप शेविंग के दौरान और उसके बाद की आम परेशानियों से छुटकारा पा सकते हैं.

शेविंग के तुरंत बाद करें मॉइश्चराइज़र का इस्तेमाल

शेविंग के बाद जब आप अपने चेहरे को साफ कर लें तो इसके बाद मॉइश्चराइज़र का इस्तेमाल करना न भूलें. सही समय पर मॉइश्चराइज़र का इस्तेमाल करने से न सिर्फ चेहरे पर मौजूद दाग को भरने में मदद मिलेगी बल्कि अगर आपके चेहरे पर कोई दाग-धब्बे पहले से मौजूद हैं तो वो भी खत्म हो जाएंगे.

एंटी-बैक्टीरिअल फेस क्लेंज़र का करें इस्तेमाल

हर रोज़ कम से कम दो से तीन बार अपने चेहरे को एंटी-बैक्टीरिअल फेस क्लेन्ज़र से ज़रूर धोएं. चेहरा को पहले पानी से अच्छी तरह धो लें और फिर इसे तौलिए से पोंछकर सूखा लें. अब एक अच्छे एंटी-बैक्टीरिअल क्रीम का इस्तेमाल करें. अगर आप हर रोज़ नियमित रूप से इसका इस्तेमाल करेंगे तो कुछ दिनों में आपको खुद अपने चेहरे में आया फर्क महसूस होगा.

अपनाएं नैचुरल तरीके

चाहे शहद हो या दही हमारे किचेन में ऐसी कई चीज़ें मिल जाएंगी, जो स्किन के लिए काफी फायदेमंद होती हैं. आधा-आधा चम्मच शहद और दही लें और इन्हें अच्छी तरह मिलाकर पेस्ट तैयार कर लें. अब इस पेस्ट को अपने मार्क्स पर लगाएं. दिनभर में ऐसा तीन बार करें और अपने चेहरे पर आए शानदार बदलाव को महसूस करें. इसके अलावा आप चाहें तो एलो वेरा का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. यकीन मानिए, ये किसी जादू से कम साबित नहीं होगा. ये स्किन को मॉइश्चराइज्ड रखने के साथ-साथ जलन से भी छुटकारा दिलाने में मदद करेगा. दाग-धब्बों वाली जगह पर एलो वेरा जेल लगाएं और फिर ठंडे पानी से चेहरे को धो लें. बस कुछ मिनटों की मेहनत और और अपनी स्किन को रखें हर तरह के जख्म से दूर.

इलेक्ट्रिक शेवर का करें इस्तेमाल 

हम इस बात से पूरी तरह सहमत है कि आपमें से कई ऐसे लोग भी होंगे, जो इसे इस्तेमाल करने में थोड़ा झिझकते होंगे या डर लगता होगा. लेकिन आपकी पुरानी रेज़र स्किन को नुकसान पहुंचा सकती है, इसलिए इलेक्ट्रिक शेवर का इस्तेमाल करें. ये आपको परफेक्ट शेव देने के साथ-साथ रेज़र बम्पस जैसी परेशानियों से भी बचाएगा.

 

ऐसप्रिन है कमाल की चीज़

ऐसप्रिन की दो गोलियां लें और इसे एक चौथाई कप पानी में मिलाकर पेस्ट तैयार कर लें. अब इस पेस्ट की एक पतली लेयर अपने रेज़र बम्पस पर लगाएं और 10 मिनट बाद गीले कपड़े से चेहरे को पोंछ लें. बेहतर रिजल्ट के लिए ऐसा हफ्ते में चार बार करें. यकीन करें, ये उपाय वाकई में बेहद फायदेमंद साबित होगा.

 

दीजिए कोलेस्ट्राल को मात

लिवर द्वारा उत्पादित ‘लिपिड’ हमारे शरीर की कई प्रक्रियाओं के लिए बहुत महत्वर्पूण है, जैसे कि दिमाग में मौजूद तंत्रिका कोशिकओं को इंसुलेट करना और कोशिकाओं के लिए ढांचा प्रदान करना। वास्तव में समस्या तब उत्पन्न होती है जब ‘हाई-डेंसिटी लिपोप्रोटीन’ या एचडीएल का स्तर कम होने लगता है।

दूसरी तरफ ‘लो-डेंसिटी लिपोप्रोटीन’ या एलडीएल दिल की धमनियों की दीवारों पर जमने लगता है, जिससे रक्त प्रवाह धीमा पड़ जाता है और दिल व उसकी धमनियों के रोग या कार्डियोवेस्कुलर बीमारियां हो जाती हैं। इस बात का ध्यान रखें कि ‘एचडीएल’ को बढ़ाना है और ‘एलडीएल’ को घटना।

ऐसा आहार लेने से बचें

खराब कोलेस्ट्रॉल को घटाने के लिए पहले उन खाद्य पदार्थों को त्यागें जिनमें सैचुरेट फैट व ट्रांस फैट बहुत ज्यादा होता है। कई पैकेज्ड फूड जैसे आलू चिप्स व बेकरी उत्पादों (जिनमें मैदा इस्तेमाल होता है) में फाइबर यानी रेशे बहुत कम होते हैं और उनमें ट्रांस फैट अत्यधिक होता है।

इसके अलावा, उपयोग किया गया कुकिंग ऑयल बार-बार इस्तेमाल करने से ट्रांस फैट का स्तर काफी ज्यादा बढ़ जाता है। अक्सर लाल मांस का सेवन करने, मलाई युक्त दूध पीने, घी व नारियल तेल का भोजन में उपयोग करने से एलडीएल में बढ़ोतरी होती है क्योंकि इनमें सैचुरेटेड फैट अत्यधिक होता है। ऐसी चीजों का सेवन कम से कम करें और उनकी जगह पर ताजे व बिना प्रोसेस किए गए खाद्य पदार्थों को अपनाएं।

ये कर सकते हैं सुधार

मक्खन जैसे उच्च सैचुरेटेड फैट युक्त उत्पादों की जगह पर कम वसा युक्त विकल्पों को रखें, जिसमें जीरो कोलेस्ट्रॉल और जीरो ट्रांस फैट हो।

कोलेस्ट्रॉल को स्वस्थ स्तर तक सुधारने के लिए मेवों को भी अपनी खुराक में शुमार करें विशेषकर पिस्ता को।

पिस्ता कुदरती तौर पर कोलेस्ट्रॉल फ्री होता है और प्रोटीन, फाइबर व एंटीऑक्सीडेंट का अच्छा स्रोत भी।

साबुत अनाज, अप्रसंस्कृत खाद्य, फल व सब्जियां लें। सूरजमुखी, अलसी के बीज और फैटी फिश फायदेमंद होते हैं।

उच्च वसा युक्त दुग्ध उत्पादों के स्थान पर निम्न वसा युक्त दुग्ध उत्पादों को तरजीह दें।

हर रोज कम से कम 30 मिनट की कसरत जरूरी है। रोजाना तेज चाल से चलें, साइकिल चलाएं, तैराकी करें या फिर अपना पसंदीदा खेल खेलें।

रोजाना की जिंदगी में छोटे-छोटे परिवर्तन भी सहायक साबित होंगे जैसे लिफ्ट की बजाय सीढ़ियों का उपयोग करें, टीवी देखते हुए दंड बैठक लगाएं।

गोवा की गवर्नर ने कहा- मां मुझे गर्भ में ही मार डालना चाहती थीं

 

गोवा की राज्यपाल मृदुला सिन्हा ने खुलासा किया कि उनकी मां उन्हें गर्भ में ही मार डालना चाहती थीं. इसकी वजह थी कि उनका मां का 40 साल की उम्र में गर्भवती होना। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान पर चर्चा करते हुए उन्होंने इस झकझोर देने वाले किस्से को साझा किया. सिन्हा ने वाराणसी में कहा, ‘मैंने जब पीएम मोदी को बच्चियों को बचाने की बात करते सुना तो मुझे याद आया कि कैसे मेरा पिता ने मेरी जिंदगी बचाई थी।.’

मृदुला सिन्हा ने बताया, ‘मेरी मां जब 40 साल की उम्र में गर्भवती हो गईं तो उन्होंने गर्भपात के लिए दवाई खा ली थी. लेकिन मेरे पिता समाज की चिंता किए बगैर उन्हें हमारे गांव से नजदीकी शहर ले गए ताकि वह सुरक्षित तरीके से मुझे जन्म दे सकें .’ बतौर सिन्हा, ‘मेरे पिता ने कई पुरानी मान्यताओं को तोड़ते हुए मुझे बेहतर शिक्षा दिलाई, ताकि मैं आजादी से जी सकूं।
गोवा की गवर्नर ने कहा, ‘मुझे लगता है कि बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ स्लोगन में परिवार बचाओ को भी जोड़ा जाना चाहिए।  एक बात कही जाती है कि बेटी को बेटे की तरह पालना चाहिए. इस सोच को बदलना चाहिए। .’ लोगों का बेटियों को पालने का तरीका अब बदल चुका है। गांवों में भी लोग बेटियों को अच्छी शिक्षा दे रहे हैं.।
मृदुला सिन्हा ने अपील की कि सभी यूनिवर्सिटी अपने सिलेबस में फैमिली मैनेजमेंट को भी शामिल करें। उन्होंने परिवार में दादा-दादी का होना भी जरूरी बताया.