Friday, July 25, 2025
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द फर्न रेसिडेंसी ने पोएला बैशाख को बनाया खास

पोएला बैशाख हाल ही में गुजरा और बंगाल की इस अनोखी परम्परा में स्वाद का रिश्ता न जुड़े, ऐसा तो हो ही नहीं सकता। हाल ही में द फर्न रेसिडेंसी होटल ने पोएला बैशाख को खास बनाते हुए पेश किया बंगाली फूड फेस्टिवल। इस मौके को खास बनाने के लिए टॉलीवुड अभिनेत्री सुचन्द्रा वानिया भी मौजूद थीं। इस फूड फेस्टिवल में कई तरह के परम्परागत वेज  और नॉनवेज व्यंजन मौजूद थे जिनका लुत्फ लोगों ने बखूबी उठाया।

बॉक्स ऑफिस पर छा गयी ‘द जंगल बुक’

शाहरुख खान की ‘फैन’ जैसी फिल्म से सामना कर रही हॉलीवुड फिल्म ‘द जंगल बुक’ ने 100 करोड़ क्लब में एंट्री ले ली है। यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर शाहरुख खान की फिल्म को टिकने ही नहीं दे रही है। रविवार को इस फिल्म ने 10.67 करोड़ रुपए कमाए और कुल कमाई 101.82 करोड़ कर ली।

‘फैन’ के सामने शुक्रवार को ‘मोगली’ स्टारर इस फिल्म ने आठ करोड़ रुपए की कमाई की। शनिवार को यह कमाई बढ़कर 8.51 करोड़ रुपए हो गई। फिर रविवार को तो कमाल हो गया, इस दिन 25 फीसद बढ़त हासिल हुई।

यह अपने पहले हफ्ते में ही 74 करोड़ रुपए का आंकड़ा पार करने में कामयाब हो गई थी। ‘द जंगल बुक’ भारत में आठ अप्रैल को चार भाषाओं हिंदी, अंग्रेजी, तमिल और तेलुगु में रिलीज हुई। रिलीज होने के तीन दिनों के भीतर ही यानि अपने पहले सप्ताहांत में यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर 40 करोड़ रुपए से ज्यादा की कमाई कर ले गई।

‘द जंगल बुक’ इस साल पहले हफ्ते में सबसे ज्यादा कमाई करने वाली दूसरी फिल्म बनी। इस मामले में पहले नंबर पर अक्षय कुमार की फिल्म ‘एयरलिफ्ट’ है। वहीं यह भी कहा जा रहा है कि यह भारत में एक हफ्ते में सबसे ज्यादा कमाने वाली पहली हॉलीवुड फिल्म है।

आपको बता दें कि जॉन फेवरू की फिल्म ‘द जंगल बुक’ रूडयार्ड किपलिंग की किताब पर बेस्ड है। इस फिल्म के हिंदी वर्जन में प्रियंका चोपड़ा जैसे कई दिग्गज कलाकारों ने अपनी आवाज दी है। जंगल के माहौल को वीएफएक्स की मदद से बखूबी पेश किया गया है।

 

आशियाने को न लगे गर्मी की नजर

गर्मियां दस्तक चुकी हैं। ऐसे में हम अपने कपड़ों के साथ ही थोड़ा बदलाव अगर घर की सजावट में भी लाएंगे तो ज्यादा बेहतर महसूस करेंगे। जानिए किस तरह से अपने घर को समर-फ्रेंडली लुक दिया जा सकता है…

वाज केवल फूल सजाने के लिए ही नहीं होते हैं। आप चाहें तो अपने किसी खूबसूरत से प्लांट की ब्रांच यानी डाली भी काटकर पानी भरकर इसमें सजा सकते हैं। इस तरह की ब्रांच या घास घर में आउटडोर कनेक्शन को गहरा देते हैं। इस तरह के मजेदार लेकिन जोरदार प्रयोग, जेड, यूकेलिप्टस और अन्य तरह के पौधों के साथ भी किए जा सकते हैं।

अपने किचन में पीले रंग की बहार लेकर आएं। एक सफेद बाउल या कांच का वाज लें और इसमें पीले नीबू भर दें। ये बेहद सस्ता डेकॉर साबित होते हैं। इसके अलावा जब ये आपकी नजर के बिल्कुल सामने रहेंगे तो आप जब इच्छा होगी तब इन्हें उठाकर काम में भी ले सकेंगे। सलाद में डालने के लिए या नीबू शर्बत बनाने के लिए ये बेहद हैंडी हो जाएंगे। पीले डैफोडिल्स किसी भी कमरे को जगमगा सकते हैं।

अपने वॉल फ्रेम में फ्लोरल पेंटिंग या फिर पिक्चर लगाएं। गर्मियों के मौसम में जब चिड़ियों का चहकना शुरू हो जाता है तब सीजनल प्लांट्स अंदर लेकर आ जाना चाहिए। इन्हें सबसे अच्छे तरीके से डिस्प्ले भी करना चाहिए। एक तरीका ये है कि प्रेस्ड फ्लॉवर को एक कलरफुल पेपर पर चिपकाकर एक ब्राइट से फ्रेम में लगाकर सजा दें। फूल को प्रेस करने के लिए एक हेवी किताब के अंदर इसे एक हफ्ते के लिए दबा रहने दें। इस काम में पार्चमेंट पेपर का भी यूज करें।

अपने वॉल फ्रेम में फ्लोरल पेंटिंग या फिर पिक्चर लगाएं। गर्मियों के मौसम में जब चिड़ियों का चहकना शुरू हो जाता है तब सीजनल प्लांट्स अंदर लेकर आ जाना चाहिए। इन्हें सबसे अच्छे तरीके से डिस्प्ले भी करना चाहिए। एक तरीका ये है कि प्रेस्ड फ्लॉवर को एक कलरफुल पेपर पर चिपकाकर एक ब्राइट से फ्रेम में लगाकर सजा दें। फूल को प्रेस करने के लिए एक हेवी किताब के अंदर इसे एक हफ्ते के लिए दबा रहने दें। इस काम में पार्चमेंट पेपर का भी यूज करें।

यहां कलर से ज्यादा बात टेक्स्चर की है। अपने वेलवेट पिलोज हटा दें। लाईट टेक्स्टाइल यूज करें। ज्यादा केयरफ्री अपील के लिए कॉटन फैब्रिक यूज करें।

हरियाली अपने घर के चारों ओर बिखरा दें। हाउज-प्लांट किसी भी घर के इंटीरियर को ज्यादा चीयरफुल बना देते हैं। प्लांट्स नैचरल एयर फिलटर्स का काम करते हैं इसलिए इन्हें रखने से घर के अंदर भी ताजी हवा चलती रहेगी। हर कमरे में दो प्लांट्स रखने की कोशिश करें। एक बड़ा प्लांट जमीन पर और दूसरा डेस्क या टेबल पर रखें। इंडोर प्लांट्स में फर्न्स और ऑर्किड्स सबसे अच्छे रहेंगे। ये लो-मेन्टेंनेंस प्लांट्स हैं जिन्हे आसानी से घर में जगह दी जा सकती है।

वाज का काम तो कोई भी कंटेनर कर सकता है। तो क्यों न कुछ नया ट्राय करें! आपके कलरफुल रेन-बूट्स जिन्हें अब यूज नहीं करते हैं उन्हें वाज की तरह यूज करें। इसी तरह मेसन जार, कैंडल होल्डर, टिन कैंस, बीकर्स, टी-कप्स या फिर पेंट की हुई बॉटल भी वाज की तरह यूज की जा सकती है।

एंट्री वे पर अपनी पुरानी बास्केट को प्लांट होल्डर की तरह लटका सकते हैं। इस तरह से अलग-अलग हाइट पर जब ये बास्केट लटकती हैं तो बेहद खूबसूरत दिखाई देती हैं। आप चाहें तो गेस्ट के आने से ठीक पहले इनमें पॉटेड प्लांट्स भी रखे जा सकते हैं।

 

शरीर के अनुसार चुनें फैब्रिक

Faballey-Red-Colored-Embroidered-Bodycon-Dress-8020-8463541-1-pdp_slider_mसुन्दर तो हम सभी महिलाएं दिखना चाहती हैं मगर इसके लिए जरूरी है कि हम ऐसे कपड़े पहनें जो हम पर फबें। जाहिर है कि इसमें कपड़े की फैब्रिक एक खास भूमिका निभाती है मगर खरीददारी करने जाओ तो सबसे ज्यादा गड़बड़ यहीं होती है। आपने अक्सर लोगों को ये कहते सुना होगा कि हमें अपने शरीर के हिसाब से सही रंग, फैब्रिक और सिलुएट चुनने और पहनने चाहिए और अगर आप भी यही करना चाहती हैं तो इन बातों का ध्यान जरूर रखें –

एथलेटिक बॉडी – अगर आप पतली हैं और आपका फिगर बिल्कुल स्ट्रेट है तो आपकी बॉडी एंगुलर है और साथ ही आपकी बॉडी में कर्व्स की भी कमी है। ऐसे में आपको अपनी शरीर में कुछ ऐसा करना होगा जिससे आपको कर्वी लुक मिले. इसके लिए आप टाइट फैब्रिक या बॉडीकॉन ड्रेसेज़ चुनें। शेपलेस ड्रेसेस और अपने साइज़ से बड़ी आउटफिट या बैगी फिट्स को न पहनें। मोनोक्रोम ड्रेसेज़ आपके लिए बेहतरीन लगेंगी। मैट जर्सी, स्पैनडेक्स और कॉटन, सिल्क और सैटिन वाले टॉप पहनें। ये आपके शरीर को एक अच्छा आकार भी देतें हैं।salwar-for-pear-shape

पीयर शेप्ड शरीर –  अगर आपकी बाँहें पतली हैं और शरीर का निचला हिस्सा चौड़ा तो आपके शरीर का आकार है पीयर शेप्ड। ऐसे परिधान पहनें जो सॉफ्ट हों और जो पहनने के बाद आपके नीचे के पार्ट पर चिपके नहीं। आप हमेशा इस बात का ध्यान रखिए कि आपकी टी-शर्ट या टॉप का किनारा आपके कमर पर खत्म ना होता हो इसलिए आप अपने लिए थो़ड़ी लंबी टी-शर्ट्स पहना करें। फैब्रिक की बात करें तो आपको ऐसे अपने लिए फैब्रिक चुनें जो हल्के हों और जिसे पहनकर आप मोटी न लगें. इसके लिए आप कॉटन, पॉलियस्टर ब्लेंड्स, मेट जर्सी, जॉर्जेट और शिफॉन चुन सकती हैं। लेदर, ऊनी, बुने फैब्रिक, के साथ साटन, मेटेलिक कपड़ों से दूर रहें। आप स्ट्रेचेबल डेनिम्स और कॉटन ट्राउजर्स भी पहन सकती हैं।apple-shape

 एपल शेप्ड शरीर – अगर आपका ऊपरी शरीर भारी और नीचे का पार्ट पतला है तो आप चमकदार फैब्रिक से दूर रहें और कॉटन व विज्कोस आउटफिट पहनें। ये आपके निचले हिस्से को अच्छे तरीके से उभारता है। मोनोक्रॉम टॉप्स या ड्रेस भी आप पर अच्छी लगेगी।priyanka-chopra-photos-in-saree-3

आवरग्लास शेप्ड शरीर – आपकी पतली कमर, चौड़े हिप्स  हैं तो आपका फिगर बिलकुल परफेक्ट है। आप शिफॉन, बॉडीकॉन, लेदर, सॉटन, सिल्क आउटफिट पहन सकती हैं।

 

अनपढ़ महिला सरपंच ने बदल दी पूरे गांव की तस्वीर

रायपुर. छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से महज 25 किमी दूर सारागांव को गांव की सरपंच प्रमिला साहू की जिद ने बदलकर रख दिया है। प्रमिला जब सरपंच बनी तो लोगों ने ताना दिया कि अनपढ़ है, क्या विकास करेगी। यह सुनने के बाद प्रमिला ने पढ़ाई शुरू की। फिर गांव की तरक्की के लिए सरकारी मदद नहीं मिली तो खुद के नाम पर 24 लाख का कर्ज लिया और गांव के हर घर से स्कूल तक टॉयलेट बनवा दिए।  150 बुजुर्गों-महिलाओं को भी पढ़ाई से जोड़ा

बलौदाबाजार रोड पर रायपुर से लगे सारागांव में छह माह पहले 70 फीसदी घरों में टॉयलेट नहीं थे। स्कूल में छात्राओं के लिए कोई सुविधा नहीं थी। यह तस्वीर सिर्फ छह महीने पहले की है।

प्रमिला के सरपंच बनने पर लोगों ने उसके पढ़े-लिखे न हाेने पर सवाल उठाते हुए कहा कि एक अनपढ़ क्या गांव का विकास करेगी।

इस बात को संजीदगी से लेते हुए प्रमिला ने खुद पढ़ाई शुरू की। साथ ही, धीरे-धीरे गांव के 150 बुजुर्गों-महिलाओं को भी जोड़ा।

सरकारी मदद नहीं मिलने पर प्रमिला ने खुद के नाम पर 24 लाख का कर्ज लिया और गांव के हर घर से स्कूल तक टॉयलेट बनवा दिए।

अब सबने मिलकर ठाना है, सारागांव को मॉडल के तौर पर डेवलप करना है।

ऐसे चली तरक्की की लहर

जब प्रमिला साहू सरपंच बनी थी तो सबसे पहले उसने हर घर में टॉयलेट बनवाने की ठानी। पति ने पूरी मदद की और कुछ महिलाओं के साथ निकल पड़ी लोगों को समझाने के लिए।

कई लोगों ने बार-बार दरवाजे से लौटाया, जहां खाना पकता है, पूजा-पाठ होता है, उस घर में टॉयलेट नहीं बनाएंगे। लेकिन महिलाओं ने हिम्मत नहीं हारी।

– आखिर मेहनत रंग लाई है। सारागांव में 741 मकान हैं। इनमें से 419 मकानों में सिर्फ छह महीने के भीतर टॉयलेट बने हैं। जिनके घर में जगह नहीं थी, उन्हें सरकारी जमीन पर टॉयलेट बनाकर दिया।

शुरुआत अच्छी हुई तो गांव के व्यापारी भी सामने आ गए। उधार में सामान देते रहे। इन पैसों से एक बोर खुदवाया और पाइप लाइनें भी बिछवा दीं।

लोग खुलकर कहते रहे, छह महीने के भीतर ही गांव में जबर्दस्त सफाई हो गई। किसी को बाहर नहीं जाना पड़ता। ज्यादातर के पास पीने का पानी पहुंच गया।

प्रमिला ने बताया कि उसने जितना काम किया है, उसमें 44 लाख रुपए लगे हैं। 24 लाख का सामान उसने खुद उधार लिया है। उधार लौटाने के लिए लोग रोज ही टोकते हैं। सरकार की तरफ से अब तक एक रुपए नहीं मिला।

बुजुर्ग और महिलाएं किताब-कॉपी लेकर नजर आएं, हर घर में टॉयलेट दिखे, सरकारी स्कूल में छात्राओं के लिए अलग टॉयलेट बना हो तो समझो कि ये सारागांव है।

 

कॉन्टैक्ट लेंसेज़ पहनने से पहले रखें ध्यान

आप वही पुराने सनग्लासेज़ यूज़ करते हुए बोर जाती हैं और कुछ नया और बोल्ड लुक के लिए कॉन्टैक्ट लेंस पहनना चाहती हैं. या हो सकता है आप पहले ही कॉन्टैक्ट लेंसेज़ पहन रही हों और अब कोई नया कलर इस्तेमाल करना चाहती हैं। बिना किसी खास मेहनत के एक नया आई कलर पाने के लिए कॉन्टैक्ट लेंसेज़ अच्छा विकल्प हैं लेकिन क्या आपको कॉन्टैक्ट लेंसेज़ खरीदते हुए और इसके साथ आई मेकअप करते हुए क्या सावधानियां बरती जानी चाहिए, ये पता है? यहां जानिए लेंसेज़ खरीदने से लेकर रोजाना इस्तेमाल करने तक सबसे ज्यादा जरूरी सावधानियां:

आपने शायद ध्यान न दिया हो, लेकिन हर किसी की आंखें और पुतलियां अलग-अलग साइज़ की होती हैं. इसलिए लेंसेज़ आपकी आंखों की साइज़ के हों, इसका खास ध्यान रखें। बेहतर होगा अगर किसी नेत्र विशेषज्ञ से आप अपनी आंखों की सही नाप के साथ लेंसेज़ का साइज़ पूछ लें और उससे मैच किए बिना लेंसेज़ न लें।

 सबसे ज़रूरी बात जो हर लेंस पहनने वाले को जानना चाहिए, वो ये कि उन्हें अपने लेंसेज़ को बहुत सावधानी से और सुरक्षित रखना चाहिए। इसमें भी सबसे जरूरी है लेंसेज़ को पानी से बचाना। स्विमिंग के दौरान या नहाते हुए, या यहां तक कि आपको चेहरा धोते हुए भी लेंसेज़ उतार देने चाहिए। कितना भी साफ पानी हो, लेकिन उनमें कुछ ऐसी गंदगी जरूर होगी जो आपके लेंस पर चिपक जाते हैं. बार-बार इन गंदगियों से संपर्क में आकर आपकी आंखों की रेटिना को नुकसान पहुंच सकता है। कुछ सेंसेटिव मामलों में यहां तक कि आंखें हमेशा के लिए भी खराब हो सकती हैं।

 हो सकता है कि आपको पलकों के नीचे की लाइन पर और वॉटरलाइन पर आइलाइनर लगाने की आदत हो, लेकिन लेंसेज़ पहनते हुए आपको ये आदत बदलनी होगी। लेंसेज़ बहुत सेंसेटिव होते हैं और किसी छोटे से एसिड पार्टिकल से भी ये रिएक्ट कर सकते हैं। आइलाइनर हो या इसकी स्टिक, ये लेंसेज़ से टच हो सकते हैं और इनके एसिड पार्टिकल्स लेंसेज़ तक पहुंच सकते हैं. ये न सिर्फ लेंस को बल्कि आपकी आंखों को भी नुकसान पहुंचा सकता है।

 आपको पाउडर आइशैडो पसंद है, इसमें कोई बुरी बात नहीं, लेकिन लेंस पहनते हुए ये आपकी आंखों के लिए अच्छी चीज़ नहीं है। पाउडर आइशैडो हवा में उड़कर आपकी आंखों तक पहुंच सकते हैं। हो सकता है, आपकी आंखों में जाकर आंसू के साथ ये बाहर निकल आएं और आंखें साफ हो जाएं लेकिन आंखों पर लगे लेंसेज़ साफ नहीं होते. इसलिए लेंस पहनते हुए बजाय पाउडर आइशैडो के कोई क्रीम या लिक्विड आइशैडो इस्तेमाल करें। अगर फिर भी आप पाउडर आइशैडो इस्तेमाल करना ही चाहती हैं, तो इसका खास ध्यान रखें कि इसे लगाते हुए आपकी आंखें पूरी तरह बंद हों और तब तक बंद रखें जब तक ये पूरी तरह सेट न हो जाए.

पलकों को बड़ा दिखाने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला मस्कारा लेंसेज़ पहनते हुए पूरी तरह अवॉयड किया जाना चाहिए. उनमें माइक्रो-फ्लेक्स होते हैं जो आपकी आंखों में खुजली पैदा कर उसे नुकसान पहुंचा सकता है. इसके अलावा वाटर-प्रूफ मस्कारा से भी दूर रहें। ये मस्कारा साफ होने में ज्यादा टाइम लेता है और पलकों पर ज्यादा टाइम तक टिका भी रहता है, जो आपके लेंसेज़ को भी नुकसान पहुंचा सकता है। फिर भी अगर आप लेंसेज़ के साथ इसे इस्तेमाल करना ही चाहती हैं, तो कम एलर्जिक, ऑयल-फ्री और फ्रैगरेंस-फ्री मस्कारा इस्तेमाल करें।

 

प्रोफेशनल लुक को खास बनाएंगे शर्ट के ये खास पैटर्न्स

]कहते हैं कि व्यक्ति का पहला प्रभाव उसके कपड़ों से बनता है और बात जब नौकरी की हो या किसी प्रोफेशनल मीटिंग की, तो यह पहला प्रभाव बहुत मायने रखता है। आप खुद को कैसे पेश करते हैं, इसमें आपके परिधानों की भूमिका बेहद खास होती है और शर्ट पहन रहे हैं तो उसका पैटर्न काफी कुछ कह जाता है।

यह वक्त न तो पूरी तरह सादगी से पेश आने का और न ही तड़क – भड़क का, संतुलन बहुत जरूरी है। आपकी शर्ट का पैटर्न आपको सही लुक देने में काफी मदद कर सकता है, कुछ इस तरह-

 गिंघम – चेक्स जैसा, लेकिन उससे एक कदम आगे. गिंघम इस सीज़न ट्रेंड में है। इसे फॉर्मली पहनें ये बहुत स्टनिंग लुक और शार्प इम्प्रेशन भी देती हैं। चेक्स – सदियों से चले आ रहे हैं और आगे भी सालों साल फैशन में रहेंगे। ये इंटरव्यू के लिए सबसे सेफ हैं, लेकिन इस मौके पर न बड़े चेक्स पहनें और न ही वो चंकी स्क्वेयर चेक्स। कलर को लाइट रखें और बस आप तैयार हैं अपने ट्राउज़र्स के साथ कॉम्प्लिमेंट करने के लिए।

 स्ट्राइप्स – एक और ट्रेंडी ऑप्शन है स्ट्राइप्स। चेक्स की ही तरह ये सब पर पहनें जा सकते हैं। स्ट्राइप्स का सीक्रेट ही इसे विड्थ में है जहां चंकी स्ट्राइप्स कैज़ुअल लुक देती हैं. वहीं, हॉरिजॉंटल और वर्टिकल स्ट्राइप्स प्रोफेशनल लुक के साथ-साथ आपको पतला और लंबा भी दिखाती है।

जियोमैट्रिक प्रिंट्स – अगर आपको कोई बहुत ही फॉर्मल कॉर्पोरेट इंटरव्यू के लिए जाना है तो जियोमैट्रिक प्रिंट्स पहनें। ये मेन्सवेयर को और भी कमाल का बना देते हैं। इस प्रिंट की खास बात है कि ये कैज़ुअल लुक देने के साथ ही कभी भी इन्फॉर्मल लुक नही देते। इस प्रिंट को फिटेड ट्राउज़र्स या डेनिम्स के साथ पहनें।

 

चाँद

 

rekha

 

  • रेखा श्रीवास्तव

चाँद तुम कितने शीतल हो

तुम्हारी शीतलता केवल अंधेरे में ही क्यों

तुम्हारी सुंदरता केवल अंधेरे में ही क्यों

क्यों नहीं तुम उजाले में पास आते हो

अपनी शीतलता का आभास दिलाते हो

भरी दोपहरी में काश तुम आते

दिन भर की जलन भगा जाते

शाम को तुम आते पूरे दिन की थकान मिटा देते

पर तुम रात में ही क्यों आते हो?

चाँद तुम कितने शीतल हो

तुम्हारी शीतलता केवल रात में ही क्यों

तुम्हारी सुंदरता केवल अंधेरे में ही क्यों

क्यों तुम बच्चों के मामा हो

दूर रहते हो, इसलिए

या ज्यादा प्यारे हो इसलिए

बच्चे तुम्हारी कहानी सुनकर ही क्यों सोते हैं

बच्चे तुम्हें देखने के बाद ही क्यों सोते हैं

चाँद तुम कितने शीतल हो

चाँद तुम कितने प्यारे हो

करवा चौथ हो या तीज

औरतें तुम्हें देखकर ही क्यों

अन्न-जल ग्रहण करती हैं

अगर तुम जल्दी आते होते

तो उन्हें ज्यादा देर तक भूखे प्यासे रहना नहीं होता

चाँद तुम कितने शीतल हो

तुम्हारी सुंदरता देखकर ही प्यार करने वाले प्यार करते हैं

परिवार वाले एक साथ तुम्हारे ही गोद में रहते हैं

चाँद तुम अंधेरे में रहकर भी

दूसरों के घर रोशनी जलवा कर जग-मग कर देते हों

चाँद तुम अंधेरे में गुमनाम रहकर भी

बच्चों को परिजन, बाहर वालों को घर, घर को सकून,

प्यार, एकजुटता का पाठ सिखाते हो

चाँद तुम कितने शीतल हो

चाँद तुम कितने सुंदर हो

(लेखिका वरिष्ठ पत्रकार तथा कवियत्री हैं)

बदलते पुरुष और समाज की झलक दिखाती है की एंड का

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  •  रेखा श्रीवास्तव

चीनी कम और पा जैसी हिट फिल्मों का निर्देशन कर चुके आर. बाल्की की एक नयी फिल्म की एंड का मल्टीप्लेक्स में पिछले दस दिनों से छाई हुई है। पहले की तरह उनकी यह फिल्म भी लीक से अलग हट कर है। या यूँ कहें एक बिल्कुल नयी सोच और नया तरीके से भरपूर फिल्म। पर कुछ हद तक सही। जिस चीज को हमलोग मानने को नहीं तैयार हो सकते, कुछ ऐसे दृश्य भी इस फिल्म में देखने को मिले हैं। जैसे फिल्म का हीरो कबीर (अर्जुन कपूर) जो अच्छा स्टूडेंट होते हुए भी कामयाबी के लिए भटकता नहीं दिखता है। उसे घर संभालने में कोई शर्मींदगी महसूस नहीं होती है, और बहुत ही अच्छे तरीके से घर-गृहस्थी को संभालता है। आर्थिक समस्या आने पर घर पर ही रहकर कमाने का तरीका भी ढूँढ़ता है और उसमें भी सफल होता है। बिल्कुल इगो नहीं दिखता है। हर एक चीज को नये तरीके से करना चाहता है। घर की सजावट और रसोई में भी नयापन दिखा। वहीं दूसरी तरफ करीना को घर-गृहस्थी से कोई मतलब नहीं है। वह बाहरी दुनिया में सफल है। इन दोनों के बीच अच्छा तालमेल है। कोई कोई शिकवा नहीं, कोई परेशानी नहीं। फिल्म के आखिरी की तरफ में थोड़ी ईर्ष्या जरूर दिखती है, लेकिन वो भी ठीक हो जाता है। यह एक सामान्य बात है। अर्थात् यह दिखता है कि जीवन में यह नया तरीका भी अपनाया जा सकता है। हम अपने ढांचे से थोड़ा हटकर सोच सकते हैं और उस नये तरीके से भी जी सकते हैं। ऐसा नहीं है कि लड़की होने का मतलब हो कि पढ़ने लिखने के बाद भी रसोई और घर तक ही सीमित रहें या लड़का पढ़ाई में टॉप होने के बाद अच्छा बिजनेस मैन या अच्छी नौकरी ही करें। नहीं, हम स्वतंत्र हो सकते हैं। हमें अपनी पसंद के अनुसार अपनी जिंदगी जीने की राह दिखा रहा है की एंड का। की एंड का का मतलब है लड़की और लड़का। अर्थात् संक्षेप में कहे तो हमलोग पढ़ते आये हैं कि फिल्म  समाज का आईना है। फिल्म निर्देशक आर बाल्की को इसका अहसास हुआ। समाज में धीरे-धीरे ही सही पर महिलाएं आज काफी आगे निकल चुकी हैं। वह केवल रसोई, घर और बच्चे तक ही सीमित नहीं है। वह बाहरी दुनिया में अपना वर्चस्व बना चुकी हैं। पर सच्चाई यह है कि जिस तरह वाहन के लिए आगे और पीछे दोनों चक्के होने की जरूरत होती है, ठीक वैसे ही परिवार नामक गाड़ी को चलाने के लिए भी कमाई और घर-गृहस्थी दोनों चक्कों में पकड़ होनी चाहिए। ऐसी हालत में अगर लड़की पढ़कर बाहरी दुनिया संभाल रही है, तो पुरुष को भी बाहरी दुनिया को छोड़कर घर की दुनिया संभाल लेना चाहिए। वैसे जो यह फिल्म में दिखा है, वह समाज में भी दिख रहा है। कुछ प्रतिशत ही सही, पर पुरुषों ने भी बच्चों और घरों में अपनी रुचि दिखानी शुरू कर दी है। अब यह अनुमान लगाया जा सकता है कि भविष्य में की एंड का का अंतर ही खत्म हो जाए, और दोनों अपनी-अपनी पसंद से अपनी दुनिया को चुन सके और अच्छी जिंदगी जी सके। वैसे इस फिल्म में जहाँ करीना ने अच्छा अभिनय किया है, वहीं अर्जुन कपूर ने तो अपनी अमिट छाप बनाई है। इस फिल्म में पुरुष बिल्कुल नये रूप में दिखा। ना ही वह किसी लड़की के पीछे चक्कर लगा रहा है, ना ही वह नाम और शोहरत कमाने के लिए दिन-रात मेहनत कर रहा है और न ही गुंडो से मारपीट कर अपनी ताकत का प्रदर्शन कर रहा है। फिर भी लड़कियों को अर्जुन का यह नया रूप पसंद आया।

‘स्वीटी-हनी’ कहे जाने से इंद्रा नूई को है नफरत

न्यूयॉर्क. पेप्सिको की सीईओ इंद्रा नूई ने वर्कप्लेस और सोसाइटी में महिलाओं से समान बर्ताव किए जाने की मांग की है। भारतीय मूल की नूई ने कहा कि उन्हें ‘स्वीटी’ या ‘हनी’ जैसे शब्दों से नफरत है। महिलाओं को ऐसे नामों से न बुलाकर उन्हें इज्जत देनी चाहिए। समान बर्ताव को लेकर इंद्रा ने और क्या कहा…
– न्यूयॉर्क में वुमन इन द वर्ल्ड समिट में उन्होंने कहा, ”हमें अभी भी समान बर्ताव किए जाने का इंतजार है।”

– ”जब भी मुझे स्वीटी या हनी कहा जाता है, बहुत बुरा लगता है। हमें स्वीटी, हनी, बेब कहने के बजाय एग्जीक्यूटिव की तरह ट्रीट किया जाना चाहिए। महिलाओं को इस तरह से बुलाने का तरीका बदला जाना चाहिए।”
– “बहुत सालों से महिलाएं ‘रेवोल्यूशन मोड’ में रही हैं। अब वे ब्वॉयज क्लब में दाखिल हो चुकी हैं और समान सैलरी की मांग कर रही हैं।”
– ”महिलाएं अपनी डिग्री, स्कूलों-कॉलेजों में अच्छे ग्रेड के बदले वर्कप्लेस में अपनी जगह बना रही हैं। पुरुष साथियों को इस बात पर ध्यान देने की जरूरत है।”
– ”हम अपनी मेहनत से ऑफिस में जगह बना रहे हैं, लेकिन हमें अभी भी समान पेमेंट की जरूरत है। हमें इसके लिए अभी भी लड़ाई करनी पड़ रही है।”

महिलाएं नहीं कर रही हैं महिलाओं की मदद
– हालांकि, नूई ने कहा कि वर्कप्लेस पर महिलाएं ही महिलाओं की मदद नहीं कर रही हैं।
– ”यह एक बड़ा मुद्दा है जिसके बारे में हमें बात करनी चाहिए। मैं नहीं समझती हूं कि वर्कप्लेस पर महिलाएं महिलाओं की पूरी मदद करती हैं।”
– ”आज हम जितना भी कर रहे हैं, उससे कहीं ज्यादा मदद करने की जरूरत है।”

वर्ल्ड की मोस्ट पावरफुल वुमन में हैं शुमार

– इंद्रा की गिनती दुनिया की सबसे पावरफुल वुमन में होती है।

– वे पेप्सिको की सीईओ बनने के पहले जॉनसन एंड जॉनसन, मोटोरोला जैसी कंपनियों में काम कर चुकी हैं।