Wednesday, March 19, 2025
खबर एवं विज्ञापन हेतु सम्पर्क करें - [email protected]
Home Blog Page 800

मन के जीते जीत है, जरूरी है विश्वास

आपका अवचेतन आपकी इच्छानुसार तभी फल देता है, जब आप उस पर पूरी आस्था रखते हैं। इच्छाएं तो आपकी अनंत होती हैं। आपके मन में जो भी विचार चलते हैं, वे आपकी अनगढ़ इच्छाएं ही होती हैं। इनका कोई सिर-पैर नहीं होता। हमेशा मन में बेलगाम घोड़े दौड़ते रहते हैं। इस प्रकार की इच्छाएं कभी फलवती नहीं होतीं।

विचार हमेशा चेतन मन में चलते हैं। प्रत्येक विचार का मन में एक मेंटल फ्रेम अथवा चित्र बनता है। बिना चित्र कोई विचार नहीं चलता। आपका अवचेतन प्रत्येक विचार को सत्य समझता तो है लेकिन उसी हद तक, जिस हद तक आपका विश्वास होता है। व्यर्थ के सभी विचार विश्वास से परे होते हैं।

जिस किसी भी विचार पर आपकी आस्था होती है, पूरा विश्वास होता है, आपका अवचेतन मन उस विचार अथवा छवि को वास्तविकता में बदल सकता है। संसार में प्रचलित सब धार्मिक सिद्धांत इसी विश्वास पर काम करते हैं।

कोई भी व्यक्ति जब पूरी आस्था से कोई कामना करता है, ईश्वर, अल्लाह या गॉड से प्रार्थना करता है तो वह प्रार्थना पूरी होती है। आपकी प्रार्थना अवश्य सुनी जाती है। लेकिन सुनता कौन है? कौन आपकी याचना को पूरा करता है? दरअसल कोई भी व्यक्ति जब पूरी आस्था से कोई कामना करता है, तो उसे सुनने वाला उसका अवचेतन मन ही होता है और वही फल देता है।

सवाल शुद्धता का

आपका अवचेतन मन आपकी इच्छा को तभी पूरी करता है, जब वह शुद्ध होती है, किसी का अहित नहीं चाहती। अवचेतन मन की शुद्धता, चेतन मन की शुद्धता पर निर्भर करती है। विचार और उनका चित्रण चेतन मन की प्रक्रिया है।

हर विचार का अपना चित्रण होता है। जिस प्रकार के चित्र आपके चेतन मन में चलते हैं और बार-बार दोहराए जाते हैं, उनकी प्रोग्रामिंग होकर आपके अवचेतन की हार्ड-डिस्क में परमानेंटली रिकॉर्ड हो जाती हैं।

इनकी रिकॉर्डिंग चित्रों के रूप में ही होती है। आपने देखा होगा कि सीडी अथवा डीवीडी पर भी तरंगों के रूप में ही चित्रों तथा ध्वनि की रिकॉर्डिंग होती है। अवचेतन मन की हार्ड डिस्क में चित्रों व ध्वनि के साथ-साथ कर्म व संस्कारों की भी रिकॉर्डिंग होती है, जिससे सुख अथवा दु:ख की अनुभूति होती है।

ये संस्कार ही आपकी कार्मिक शक्ति होते हैं। तदनुसार मन को कर्म करने के लिए प्रेरित करते हैं। यदि आपका दृष्टिकोण सकारात्मक है, तो आप अच्छे फल की आशा कर सकते हैं।

आज आप जो कुछ भी हैं, अपने कर्म-संस्कारों के कारण ही हैं। आपके संस्कार स्वयं ही आपके लिए ऐसी परिस्थिति उत्पन्ना कर देते हैं, जो आपकी इच्छाओं को पूर्ण करने का कारण बनते हैं। आपकी आशा आपके विश्वास को बल देती है। आशा और विश्वास ही आपके वास्तविक मित्र हैं। अपने विश्वास की शक्ति से आप मनचाहा प्राप्त करने के लिए स्वतंत्र हैं। अत: आशावादी बनें। अपने विश्वास से अपनी इच्छाएं पूरी करें।

सब लोग अच्छा स्वास्थ्य, धन-दौलत, सुख और शांति की आकांक्षा रखते हैं। क्या यह सब कुछ हर व्यक्ति को उपलब्ध है? नहीं! ऐसा संभव भी नहीं। इच्छा करना, कामना करना और बात है, जबकि विश्वासपूर्वक याचना दूसरा ही पहलू है।

आपका अवचेतन मन तो अनादि काल से ही सर्वशक्तिमान, सर्वसामर्थ्यवान व सर्वदृष्टा रहा है। जब इस संसार में आज के धर्म व सम्प्रदाय नहीं थे, उस काल में भी मन इस आस्था से ही कार्य करता था।

आपका मन एक वाई-फाई की तरह कार्य करता है। वाई-फाई से काम लेने के लिए उससे कनेक्ट होना पड़ता है। कनेक्ट होने के लिए एक पासवर्ड की आवश्यकता होती है। इसी प्रकार मन से कनेक्ट होने के लिए भी एक पासवर्ड चाहिए। मन के लिए तो एक ही पासवर्ड होता है और वह है ‘विश्वास।

 

कुँअर बेचैन की दो कविताएं

मध्यमवर्गीय पत्नी से

Dr_Kunwar_Bechain

कल समय की व्यस्तताओं से निकालूँगा समय कुछ

फिर भरुँगा खुद तुम्हारी माँग में सिन्दूर
मुझको माफ़ करना
आज तो इस वक्त काफी देर ऑफिस को हुई है
हाँ जरा सुनना वो मेरी पेंट है न
वो फटी है जो अकेले पाँयचों पर
तुम जरा उसमें लगाकर चन्द टाँके
शर्ट के टूटे बटन भी टाँक देना
इस तरह से, जो नई हर कोई आँके
कल थमे वातावरण से, मैं निकालूँगा प्रलय कुछ
ले चलूँगा फिर तुम्हें इस भीड़ से भी दूर
मुझको माफ करना

आज तो इस वक्त काफी देर, ग्यारह पर सुई है
क्या कहा, है आज पप्पू का जन्मदिन
तुम सुनो, ये बात पप्पू से न कहना
और दिन भर तुम उसी के पास रहना
यदि करे तुमको परेशां, मारना मत
और हाँ, तुम भी कहीं मन हारना मत
कल पराजय के जलधि से, मैं निकालूँगा विजय कुछ
फिर मनायेंगे जन्मदिन की खुशी भरपूर
मुझको माफ करना
आज तो ये जेब भी मेरी फटेपन ने छुई है

indian mother painting

 

बेटियाँ-

शीतल हवाएँ हैं
जो पिता के घर बहुत दिन तक नहीं रहतीं
ये तरल जल की परातें हैं
लाज़ की उज़ली कनातें हैं
है पिता का घर हृदय-जैसा
ये हृदय की स्वच्छ बातें हैं

बेटियाँ –
पवन-ऋचाएँ हैं
बात जो दिल की, कभी खुलकर नहीं कहतीं
हैं चपलता तरल पारे की
और दृढता ध्रुव-सितारे की
कुछ दिनों इस पार हैं लेकिन
नाव हैं ये उस किनारे की

बेटियाँ-
ऐसी घटाएँ हैं
जो छलकती हैं, नदी बनकर नहीं बहतीं

बिटिया के नाम चंदा कोचर की पाती

वो दुनिया की 100 सबसे ताकतवर महिलाओं में से एक हैं. आईसीआईसीआई बैंक की प्रबंध निदेशक और सीईओ चंदा कोचर को पिछले तीन साल की तरह इस साल भी दुनिया की 100 सबसे ताकतवर महिलाओं में चुना गया है।

एक सफल कामकाजी महिला के तौर पर तो उन्हें हर कोई जानता है लेकिन उनकी निजी जिंदगी के बारे में कम ही लोगों को पता है. जहां वो एक मां, एक बेटी, एक पत्नी, एक बहू की भूमिका में होती हैं. आमतौर पर ऐसा माना जाता है कि कामकाजी औरतें अपने बच्चों पर पूरा ध्यान नहीं दे पाती हैं लेकिन चंदा कोचर की ये चिट्ठी पढ़कर आपकी भी राय बदल जाएगी. ये चिट्ठी उन्होंने अपनी बेटी आरती के नाम लिखी है।

सुधा मेनन द्वारा लिखी किताब “लिगेसीः लेटर्स फ्रॉम एमिनैंट पैरेंट्स टू देयर डॉटर्स” में उनका ये खत प्रकाशित हुआ है जिसे पढ़कर आप भी भावुक हुए बिना नहीं रह पाएंगे।chanda kochar

प्यारी आरती,
आज तुम्हें जीवन के इस नए सफर के लिए तैयार और आत्मविश्वास से भरी हुई युवती के रूप में देखकर मुझे गर्व हो रहा है। आने वाले सालों में मैं तुम्हें तरक्की करते हुए देखना चाहती हूं। आज तुम्हें देखकर मेरी अपनी यादें जिंदा हो उठी हैं. यादों के साथ ही वो सारी बातें, वो सबक जो मैंने बचपन में सीखे थे।

उस वक्त के बारे में सोचती हूं तो पाती हूं कि ज्यादातर बातें और सबक तो मैंने अपने माता-पिता से ही सीखे थे। बचपन में जो मूल्य उन्होंने मुझे सिखाए और दिए, उन्हीं की नींव पर मैं आज खड़ी हूं।

हम तीनों भाई-बहनों में कभी भेदभाव नहीं किया गया। चाहे पढ़ाई की बात हो या भविष्य की योजनाओं की, कभी कोई फर्क नहीं किया गया। उन्होंने हमेशा यही कहा कि जिस चीज से हमें संतुष्टि मिलती है, हमें उसी दिशा में पूरी लगन से काम करना चाहिए। बचपन में सिखायी गई इन्हीं बातों ने हमें अपना फैसला खुद लेने के काबिल बनाया। इस एक सबक ने मुझे खुद की पहचान बनाने और खुद को तलाशने में मदद की।

मैं सिर्फ 13 साल की थी, जब हमारे पिता को अचानक दिल का दौरा पड़ा और वो हमें अकेला छोड़कर चले गए। उनके रहने तक हमने कभी भी चुनौतियों का सामना नहीं किया था पर उस रात के बाद, बिना किसी पूर्व सूचना के सबकुछ बदल गया। मेरी मां, जो अब तक एक गृहिणी थी, उसके ऊपर तीन बच्चों को अकेले बड़ा करने की जिम्मेदारी आ गई। तब हमें पता चला कि वो कितनी मजबूत थीं.

धीरे-धीरे उन्होंने टेक्सटाइल डिजाइनिंग के लिए खुद को तैयार किया और छोटी सी फर्म में नौकरी कर ली। कुछ ही दिनों में उन्होंने खुद को एक प्रासंगिक शख्स बना लिया. अकेले पूरे परिवार की जिम्मेदारी उठाना उनके लिए बहुत मुश्किल रहा होगा लेकिन उन्होंने हमें कभी भी इस बात का एहसास नहीं होने दिया.। उन्होंने तब तक कड़ी मेहनत की,जब तक हम सब कॉलेज की पढ़ाई पूरी कर अपने पैरों पर खड़े नहीं हो गए। मुझे कभी नहीं पता था कि मेरी मां को खुद पर इतना भरोसा है।

अगर आप फुलटाइम जॉब करने वाली मां या पिता हैं तो आपके काम का असर आपके परिवार और रिश्ते पर नहीं पड़ना चाहिए. वो वक्त याद है, जब तुम अमेरिका में पढ़ रही थी और मेरे आईसीआईसीआई बैंक के एमडी और सीईओ बनने की खबरें सारे अखबारों में थीं? तुमने दो दिन बाद मुझे एक मेल किया जिसमें तुमने मुझे लिखा था, ‘आपने हमें कभी महसूस नहीं होने दिया कि आपका करियर इतना तनावभरा और इतना शानदार हो सकता है। घर पर आप सिर्फ हमारी मां थीं,’ तुम अपनी जिंदगी को वैसे ही जीना।

मां से मैंने एक बात और सीखी थी कि मुश्किलों से निपटकर आगे बढ़ते रहने की ताकत होना सबसे जरूरी है, फिर चाहे कुछ भी हो। मुझे आज भी याद है कि कितने धैर्य के साथ उन्होंने पापा के जाने के बाद सब संभाल लिया था। आपको सारी मुश्किलों का सामना कर, उनसे जीतना होता है, न कि उन्हें खुद पर हावी होने देना। मुझे याद है कि 2008 के आखिर में ग्लोबल इकनॉमिक मेल्टडाउन के दौरान आईसीआईसीआई बैंक को बचाए रखना कितना मुश्किल हो गया था। सारे बड़े मीडिया हाउस दूर से हमारी स्थिति को देखकर अंदाजे लगा रहे थे। हर जगह हमारे बारे में बहसें की जा रही थीं।

मैं काम पर लग गई, छोटे से छोटे पैसा जमा करने वाले से लेकर बड़े इनवेस्टर्स तक, सबसे बात की. रेगुलेटर्स से लेकर सरकार तक से बात की. बैंक परेशानी में नहीं था, पर मैं स्टेकहोल्डर्स की परेशानी भी समझती थी, क्योंकि कइयों को डर था कि उनका पैसा खतरे में है।

मैंने हर ब्रांच के स्टाफ को सलाह दी कि बैंक से पैसा निकालने आए हर इनवेस्टर की बात तसल्ली से सुनें। अगर कोई अपनी बारी का इंतजार कर रहा है, तो उन्हें बैठने को कुर्सी और पीने को पानी दें और हां, भले ही लोगों को बैंक से अपना पैसा निकालने की पूरी आजादी थी, पर हमारे स्टाफ ने उन्हें समझाया कि ऐसा करने से उन्हें कोई फायदा नहीं होगा, क्योंकि दरअसल क्राइसिस की कोई बात नहीं थी।

उन्हीं मुश्किल दिनों की बात है, जब एक दिन मैंने तुम्हारे भाई के स्क्वॉश टूर्नामेंट के लिए दो घंटे की छुट्टी ली थी. उस वक्त मुझे अंदाजा नहीं था, पर उस दिन मेरे वहां होने से बैंक के कस्टमर्स का हम पर भरोसा मजबूत हुआ था. कुछ मांओं ने मेरे पास आकर पूछा कि क्या मैं आईसीआईसीआई की चंदा कोचर हूं, और जब मैंने हां में जवाब दिया, तो उनका अगला सवाल था कि इतने क्राइसिस के दौरान खेल के लिए वक्त कैसे निकाला? उन्हें भरोसा हो गया था कि अगर मैं खेल के लिए वक्त निकाल रही हूं, तो बैंक सही हाथों में है और अपने पैसे को लेकर उन्हें डरने की जरूरत नहीं है।

मैंने अपनी मां से परिस्थितियों के हिसाब से ढलना भी सीखा. अपने करियर के लिए कड़ी मेहनत करते वक्त मैंने अपने परिवार की देखभाल भी की. जब भी मेरी मां और मेरे ससुराल वालों को मेरी जरूरत हुई, मैं उनके साथ थी। उन्होंने भी मेरा साथ दिया और मेरे करियर को आगे ले जाने में मेरी मदद की।

याद रखना, रिश्ते बेहद जरूरी हैं और हमें उनका खयाल रखना चाहिए. ये भी याद रखो कि रिश्ते एकतरफा नहीं होते, इसलिए जो आप अपने सामने वाले से उम्मीद रखते हो, वो उसे देने के लिए भी तैयार रहना चाहिए।

आज मेरा करियर जहां है, वहां कभी नहीं पहुंच पाता, अगर तुम्हारे पापा मेरे साथ न होते। उन्होंने घर से बाहर रहने पर मुझसे कभी भी शि‍कायत नहीं की. हम दोनों ही अपने करियर में व्यस्त थे लेकिन फिर भी हम दोनों ने अपने रिश्ते को कमजोर नहीं पड़ने दिया। मुझे भरोसा है कि वक्त आने पर तुम भी अपने पार्टनर के साथ वैसा ही करोगी।

अगर तुमने भी मेरे मेरे घर से काफी समय तक बाहर रहने को लेकर शिकायत की होती तो मैं कभी अपने लिए करियर बनाने की हिम्मत नहीं जुटा पाती। मेरा सौभाग्य है कि मुझे इतना समझदार और साथ देने वाला परिवार मिला है। मुझे यकीन है कि जब तुम अपना परिवार बनाओगी, तुम भी इतनी ही भाग्यशाली रहोगी।

मुझे याद है, जब तुम्हारे बोर्ड एग्जाम शुरू होने वाले थे. मैंने छुट्टी ली थी ताकि मैं तुम्हें खुद एग्जाम दिलाने ले जा सकूं. तब तुमने मुझे बताया कि कितने साल तक तुम्हें अकेले एग्जाम देने जाना पड़ा था। ये सुनकर मुझे मुझे बहुत दुख हुआ था. पर मुझे ये भी लगा कि एक कामकाजी मां की बेटी होने की वजह से तुम बहुत जल्दी ही आत्मनिर्भर हो गई हो। तुम सिर्फ समझदार ही नहीं हुई, बल्कि तुमने अपने छोटे भाई का भी ध्यान रखा. तुमने उसे कभी मेरी कमी महसूस नहीं होने दी. मैंने भी तुम पर भरोसा करना, तुममें विश्वास रखना सीखा और अब तुम एक मजबूत, आत्मनिर्भर महिला बन गई हो. मैं अब वही सिद्धांत अपनी कंपनी में भी अपनाती हूं।

मैं भाग्य में भरोसा रखती हूं लेकिन इसके साथ ही इस बात को भी मानती हूं कि कड़ी मेहनत की हमारी जिंदगी में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है। बड़े मायनों में देखें तो हम सब अपनी किस्मत खुद ही लिखते हैं। अपनी किस्मत को अपने हाथों में लो, जो पाना चाहते हो उसका ख्वाब देखो और इसे अपने मुताबिक लिखो।chanda-1-1460612281

आगे बढ़ते वक्त कई बार तुम्हें मुश्किल फैसले लेने होंगे. ऐसे फैसले जो शायद दूसरों को पसंद न आएं लेकिन तुममें इतनी हिम्मत होनी चाहिए कि तुम उसके लिए खड़ी हो सको जिसमें तुम्हारा विश्वास है। ध्यान रहे कि तुममें वो करने की हिम्मत होनी चाहिए, जो तुम्हें सही लगता है।

आरती, दृढ इच्छा शक्ति से कुछ भी पाया जा सकता है, इसकी सीमा नहीं, पर अपने लक्ष्य के पीछे जाते वक्त अपनी ईमानदारी और मूल्यों से समझौता मत करना. अपने आस-पास के लोगों की भावनाओं का सम्मान करना।

याद रखना कि अच्छा और बुरा, दोनों तरह का वक्त जिंदगी में बराबर आता है. तुम्हें इसे एक ही तरह से लेना सीखना होगा. जिंदगी जो अवसर दे, उसका पूरा फायदा उठाओ और हर अवसर, हर चुनौती से सीखती रहो.।

तुम्हारी प्यारी,
मम्मा

 

मानसून बेहतर रहा तो साल के अंत तक सेंसेक्स पहुंचेगा 35000 के पार!

मुंबई।मौसम विभाग ने इस साल बेहतर मानसून के संकेत दिए हैं। इसके बाद अनुमान लगाया जा रहा है कि शेयर बाजार रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच सकता है।

बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि बेहतर मानसून की उम्मीद से बाजार में निवेश बढ़ेगा। अगर जुलाई से सितंबर तक मानसून बेहतर रहा तो सेंसेक्स में करीब 13 फीसदी की बढ़ोतरी हो सकती है। इसके अलावा सरकार की मौद्रिक नीति भी निवेशकों को बाजार में निवेश करने के लिए प्रेरित करेगी।

अंग्रेजी अखबार द इकनॉमिक टाइम्स ने डच बैंक के मैनेजिंग डॉयरेक्टर अभय लाइजावाला के हवाले से कहा है कि मानसून बेहतर होता है तो इससे ग्रामीण भारत में विकास की गति और तेज करने में बढ़त मिलेगी।

पिछले दो सालों से कमजोर मानसून देखने के बाद मौसम विभाग ने पिछले हफ्ते बयान जारी कर कहा था कि इस साल पूरे देश में उम्मीद से बेहतर मानसून देखने को मिलेगा।

मौसम विभाग के इस अनुमान के बाद से ही शेयर बाजार में रौनक नजर आई और सेंसेक्स करीब 351 अंक तक उछलकर 27 हजार के पार हो गया। इसके अलावा विकास दर और निवेश की बेहतर संभावनाएं भी बाजार को मजबूत करने में अहम भूमिकाएं निभाएंगी।

बाल विवाह की सूचना देने वाले को 100 रुपए का टॉक टाइम

मंदसौर। महिला सशक्तिकरण एवं बाल संरक्षण विभाग ने हाल ही में जिले में बाल विवाह की सूचना देने वालों को 100 रुपए का टॉकटाइम देने की योजना लागू की है।

शुरुआत में ही योजना के अच्छे परिणाम मिलने ले हैं। अभी तक जिले में 7 लोगों को 100-100 रुपए का टॉकटाइम दिया जा चुका है। जिले के बंजारों का खेड़ा गांव में बाल विवाह होने की सूचना के लिए तीन लोगों को टॉक टाइम दिया गया है।

विभाग के राघवेंद्र शर्मा ने बताया कि यह योजना केवल आम लोगों के लिए ही है सरकारी, संविदा कर्मचारियों व जनप्रतिनिधियों पर लागू नहीं है।

हालात ये हैं कि एक बाल विवाह की शिकायत दो या तीन जगहोें से मिल रही है। बाल संरक्षण अधिकारी ने बताया कि वर्ष 2014-15 में कुल 42 बाल विवाह स्र्कवाए गए थे। इस वर्ष 16 अप्रैल तक ही 59 बाल विवाह स्र्कवाए जा चुके हैं

पद्मश्री लेकर लौटे ‘राजा’ का यूं हुआ स्वागत

रांची (झारखंड)। राष्ट्रपति द्वारा पद्मश्री से सम्मानित पहड़ा राजा सिमोन उरांव शनिवार को रांची लौटे। रेलवे स्टेशन पर अखिल भारतीय आदिवासी महासभा ने उनका शानदार स्वागत किया। उनके सम्मान में ढोल-नगाड़े और गाने-बाजे के साथ सैंकड़ों लोग मौजूद थे। सिमोन उरांव राजधानी एक्सप्रेस से नई दिल्ली से रांची आए। स्टेशन पर सबसे पहले उर्सलाइन स्कूल की स्टूडेंट्स ने सिमोन उरांव को बुके देकर स्वागत किया।

स्टेशन पर सिमोन उरांव को देखने भीड़ लगी हुई थी। यात्री और रेलवे कर्मचारी पद्मश्री से सम्मानित उरांव की फोटो मोबाइल में कैद करते दिखे।

सिमोन ने जब बांध बनाना शुरू किया था तो लोग उनका मजाक तक उड़ाते थे। बीते मंगलवार को इन्हें राष्ट्रपति ने पद्मश्री सम्मान से नवाजा।

स्टेशन से बाहर खुले जिप्सी में उरांव को सम्मान के साथ ले जाया गया। वे सबसे पहले रेलवे गेस्ट हाउस गए। वहां पर उनका जोरदार स्वागत हुआ।

सिमोन के स्वागत में युवा कई बाइकों पर सवार होकर आए थे। वे सिमोन के स्वागत में सड़क के दोनों ओर मौजूद रहे।

छोटी-छोटी नहरों को मिलाकर तीन बांध बना डाले

सिमोन ने छोटी-छोटी नहरों को मिलाकर तीन बांध बना दिया। आज इन्हीं बांधों से करीब 5000 फीट लंबी नहर निकालकर खेतों तक पानी पहुंचाया जा रहा।

सिमोन झारखंड के रहने वाले हैं। इनकी उम्र 83 है। ये पहड़ा राजा हैं।

हौसले पर उम्र को नहीं होने दिया हावी

सिमोन का कॉपी-किताब से दूर-दूर तक कोई रिश्ता नहीं रहा। न कोई तकनीक और न ही पैसे थे। इनके पास था तो सिर्फ जिद और कुछ कर गुजरने का जज्बा।

पहड़ा राजा सिमोन उरांव ने अपने हौसले पर उम्र को कभी हावी होने नहीं दिया।

बाबा के नाम से प्रसिद्ध सिमोन ने वह कारनामा कर दिखाया, जो सरकारी मशीनरियां करोड़ों खर्च करने के बाद भी नहीं कर पाईं।

साल में तीन फसलें उगाई जाती हैं

आज उनके बनाए बांधों से पांच गांवों की सूरत बदल गई है। एक ब्लॉक की यह कहानी पूरे झारखंड के लिए मिसाल बन गई।

सिंचाई सुविधा के अभाव में जहां एक फसल के लाले थे, वहां साल में तीन फसलें उगाई जाने लगीं।

पलायन यहां की सबसे बड़ी समस्या थी। सिमोन को यह कचोटता था। 1961 में वे कुदाल लेकर निकल पड़े।

बांध बनाना शुरू किया। लोग उनका मजाक उड़ाते थे। मगर हार नहीं मानी। धीरे-धीरे ग्रामीणों का साथ मिला और कारवां बनता गया।

ग्रामीणों की आर्थिक समस्याएं दूर करने के लिए फंड बनाया। बैंक में खाता खुलवाया।

अब ग्रामीणों को जरूरत के समय इसी फंड से 10-10 हजार रुपए की सहायता दी जाती है।

 

ओलिंपिक का टिकट पाने वाली पहली भारतीय बनीं दीपा

नई दिल्ली. सीनियर जिम्नास्ट दीपा कर्माकर ने रियो ओलिंपिक के लिए क्वालिफाई कर लिया है। ऐसा करने वाली वे भारत की पहली जिम्नास्ट हैं। रविवार को उन्होंने रियो डि जेनेरियो ओलिंपिक के आखिरी क्वालिफायर में शानदार परफॉर्मेन्स दी थी। 22 साल की दीपा ने कुल 52.698 प्वाइंट्स अपने नाम किए।

दीपा वुमन कैटेगरी में चार डिवीजन में से पहली में नौवें स्थान पर  रहीं।
दीपा ने सबसे मुश्किल माने जाने वाला प्रोडुनोवा वॉल्ट किया। इससे उन्हें 15.066 प्वाइंट्स मिले।
14 कैंडिडेट्स में यह सबसे ज्यादा स्कोर था। लेकिन अनईवन बार पर उनका परफॉर्मेन्स अच्छा नहीं रहा, जिसके कारण उन्हें केवल 11.700 प्लाइंट ही मिले। ये 14 में से दूसरी सबसे खराब परफॉर्मेन्स थी।

इसके बाद त्रिपुरा की इस प्लेयर ने बीम और फ्लोर एक्सरसाइज में 13.366 और 12.566 जुटाए। इसी के साथ ही, उनकी सीट ओलिंपिक के लिए पक्की हो गई।

ओलिंपिक अगस्त में होना है।

जीत चुकी हैं ब्रॉन्ज

2014 कॉमनवेल्थ गेम्स में ब्रॉन्ड मेडल जीता था। ऐसा करने वाली भी पहली महिला जिम्नास्ट थीं।

अगस्त 2015 में हिरोशिमा एशियन चैम्पियनशिप में ब्रॉन्ज जीता।

नवंबर 2015 में दीपा वर्ल्ड चैम्पियनशिप में ओलिंपिक का टिकट पाने से चूक गई थीं। हालांकि, यहां भी वे फाइनल तक पहुंचने वाली पहली इंडियन वुमन जिम्नास्ट थीं।

 

द फर्न रेसिडेंसी ने पोएला बैशाख को बनाया खास

पोएला बैशाख हाल ही में गुजरा और बंगाल की इस अनोखी परम्परा में स्वाद का रिश्ता न जुड़े, ऐसा तो हो ही नहीं सकता। हाल ही में द फर्न रेसिडेंसी होटल ने पोएला बैशाख को खास बनाते हुए पेश किया बंगाली फूड फेस्टिवल। इस मौके को खास बनाने के लिए टॉलीवुड अभिनेत्री सुचन्द्रा वानिया भी मौजूद थीं। इस फूड फेस्टिवल में कई तरह के परम्परागत वेज  और नॉनवेज व्यंजन मौजूद थे जिनका लुत्फ लोगों ने बखूबी उठाया।

बॉक्स ऑफिस पर छा गयी ‘द जंगल बुक’

शाहरुख खान की ‘फैन’ जैसी फिल्म से सामना कर रही हॉलीवुड फिल्म ‘द जंगल बुक’ ने 100 करोड़ क्लब में एंट्री ले ली है। यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर शाहरुख खान की फिल्म को टिकने ही नहीं दे रही है। रविवार को इस फिल्म ने 10.67 करोड़ रुपए कमाए और कुल कमाई 101.82 करोड़ कर ली।

‘फैन’ के सामने शुक्रवार को ‘मोगली’ स्टारर इस फिल्म ने आठ करोड़ रुपए की कमाई की। शनिवार को यह कमाई बढ़कर 8.51 करोड़ रुपए हो गई। फिर रविवार को तो कमाल हो गया, इस दिन 25 फीसद बढ़त हासिल हुई।

यह अपने पहले हफ्ते में ही 74 करोड़ रुपए का आंकड़ा पार करने में कामयाब हो गई थी। ‘द जंगल बुक’ भारत में आठ अप्रैल को चार भाषाओं हिंदी, अंग्रेजी, तमिल और तेलुगु में रिलीज हुई। रिलीज होने के तीन दिनों के भीतर ही यानि अपने पहले सप्ताहांत में यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर 40 करोड़ रुपए से ज्यादा की कमाई कर ले गई।

‘द जंगल बुक’ इस साल पहले हफ्ते में सबसे ज्यादा कमाई करने वाली दूसरी फिल्म बनी। इस मामले में पहले नंबर पर अक्षय कुमार की फिल्म ‘एयरलिफ्ट’ है। वहीं यह भी कहा जा रहा है कि यह भारत में एक हफ्ते में सबसे ज्यादा कमाने वाली पहली हॉलीवुड फिल्म है।

आपको बता दें कि जॉन फेवरू की फिल्म ‘द जंगल बुक’ रूडयार्ड किपलिंग की किताब पर बेस्ड है। इस फिल्म के हिंदी वर्जन में प्रियंका चोपड़ा जैसे कई दिग्गज कलाकारों ने अपनी आवाज दी है। जंगल के माहौल को वीएफएक्स की मदद से बखूबी पेश किया गया है।

 

आशियाने को न लगे गर्मी की नजर

गर्मियां दस्तक चुकी हैं। ऐसे में हम अपने कपड़ों के साथ ही थोड़ा बदलाव अगर घर की सजावट में भी लाएंगे तो ज्यादा बेहतर महसूस करेंगे। जानिए किस तरह से अपने घर को समर-फ्रेंडली लुक दिया जा सकता है…

वाज केवल फूल सजाने के लिए ही नहीं होते हैं। आप चाहें तो अपने किसी खूबसूरत से प्लांट की ब्रांच यानी डाली भी काटकर पानी भरकर इसमें सजा सकते हैं। इस तरह की ब्रांच या घास घर में आउटडोर कनेक्शन को गहरा देते हैं। इस तरह के मजेदार लेकिन जोरदार प्रयोग, जेड, यूकेलिप्टस और अन्य तरह के पौधों के साथ भी किए जा सकते हैं।

अपने किचन में पीले रंग की बहार लेकर आएं। एक सफेद बाउल या कांच का वाज लें और इसमें पीले नीबू भर दें। ये बेहद सस्ता डेकॉर साबित होते हैं। इसके अलावा जब ये आपकी नजर के बिल्कुल सामने रहेंगे तो आप जब इच्छा होगी तब इन्हें उठाकर काम में भी ले सकेंगे। सलाद में डालने के लिए या नीबू शर्बत बनाने के लिए ये बेहद हैंडी हो जाएंगे। पीले डैफोडिल्स किसी भी कमरे को जगमगा सकते हैं।

अपने वॉल फ्रेम में फ्लोरल पेंटिंग या फिर पिक्चर लगाएं। गर्मियों के मौसम में जब चिड़ियों का चहकना शुरू हो जाता है तब सीजनल प्लांट्स अंदर लेकर आ जाना चाहिए। इन्हें सबसे अच्छे तरीके से डिस्प्ले भी करना चाहिए। एक तरीका ये है कि प्रेस्ड फ्लॉवर को एक कलरफुल पेपर पर चिपकाकर एक ब्राइट से फ्रेम में लगाकर सजा दें। फूल को प्रेस करने के लिए एक हेवी किताब के अंदर इसे एक हफ्ते के लिए दबा रहने दें। इस काम में पार्चमेंट पेपर का भी यूज करें।

अपने वॉल फ्रेम में फ्लोरल पेंटिंग या फिर पिक्चर लगाएं। गर्मियों के मौसम में जब चिड़ियों का चहकना शुरू हो जाता है तब सीजनल प्लांट्स अंदर लेकर आ जाना चाहिए। इन्हें सबसे अच्छे तरीके से डिस्प्ले भी करना चाहिए। एक तरीका ये है कि प्रेस्ड फ्लॉवर को एक कलरफुल पेपर पर चिपकाकर एक ब्राइट से फ्रेम में लगाकर सजा दें। फूल को प्रेस करने के लिए एक हेवी किताब के अंदर इसे एक हफ्ते के लिए दबा रहने दें। इस काम में पार्चमेंट पेपर का भी यूज करें।

यहां कलर से ज्यादा बात टेक्स्चर की है। अपने वेलवेट पिलोज हटा दें। लाईट टेक्स्टाइल यूज करें। ज्यादा केयरफ्री अपील के लिए कॉटन फैब्रिक यूज करें।

हरियाली अपने घर के चारों ओर बिखरा दें। हाउज-प्लांट किसी भी घर के इंटीरियर को ज्यादा चीयरफुल बना देते हैं। प्लांट्स नैचरल एयर फिलटर्स का काम करते हैं इसलिए इन्हें रखने से घर के अंदर भी ताजी हवा चलती रहेगी। हर कमरे में दो प्लांट्स रखने की कोशिश करें। एक बड़ा प्लांट जमीन पर और दूसरा डेस्क या टेबल पर रखें। इंडोर प्लांट्स में फर्न्स और ऑर्किड्स सबसे अच्छे रहेंगे। ये लो-मेन्टेंनेंस प्लांट्स हैं जिन्हे आसानी से घर में जगह दी जा सकती है।

वाज का काम तो कोई भी कंटेनर कर सकता है। तो क्यों न कुछ नया ट्राय करें! आपके कलरफुल रेन-बूट्स जिन्हें अब यूज नहीं करते हैं उन्हें वाज की तरह यूज करें। इसी तरह मेसन जार, कैंडल होल्डर, टिन कैंस, बीकर्स, टी-कप्स या फिर पेंट की हुई बॉटल भी वाज की तरह यूज की जा सकती है।

एंट्री वे पर अपनी पुरानी बास्केट को प्लांट होल्डर की तरह लटका सकते हैं। इस तरह से अलग-अलग हाइट पर जब ये बास्केट लटकती हैं तो बेहद खूबसूरत दिखाई देती हैं। आप चाहें तो गेस्ट के आने से ठीक पहले इनमें पॉटेड प्लांट्स भी रखे जा सकते हैं।