Sunday, March 16, 2025
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स्टार्टअप इंडिया के नौ साल पूरे: 1.59 लाख स्टार्टअप को मान्यता, 16.6 लाख नौकरियां पैदा हुईं

नयी दिल्ली । भारत ने 16 जनवरी को स्टार्टअप इंडिया पहल के 9 वर्ष पूरे होने का उत्सव मनाया है। देश ने अपने उद्यमशीलता परिदृश्य में एक उल्लेखनीय परिवर्तन देखा है। स्टार्टअप इंडिया की परिवर्तनकारी यात्रा 2016 में शुरू हुई थी। राष्ट्रीय स्टार्टअप दिवस के रूप में नामित, यह अवसर एक सुदृढ़ और समावेशी उद्यमशील इकोसिस्टम को प्रोत्साहन देने में देश की प्रगति का उत्सव मनाता है। भारत सरकार की एक प्रमुख पहल के रूप में लॉन्च किए गए स्टार्टअप इंडिया का उद्देश्य नवाचार को प्रोत्साहन देना और देश भर में स्टार्टअप की प्रगति को उत्प्रेरित करना है।

आपको बता दें, 31 अक्टूबर, 2024 तक, डीपीआईआईटी-मान्यता प्राप्त स्टार्टअप ने विभिन्न क्षेत्रों में 16.6 लाख से अधिक प्रत्यक्ष नौकरियां पैदा कीं, जो रोजगार सृजन में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं। आईटी सेवा उद्योग 2.04 लाख नौकरियों के साथ सबसे आगे है, इसके बाद हेल्थकेयर और लाइफसाइंसेज 1.47 लाख नौकरियों के साथ, और व्यावसायिक और वाणिज्यिक सेवाएं लगभग 94,000 नौकरियों के साथ हैं।

वाणिज्‍य एवं उद्योग मंत्रालय ने एक बयान में बताया कि 15 जनवरी, 2025 तक उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) की ओर से मान्यता प्राप्त 1.59 लाख से अधिक स्टार्टअप के साथ, भारत ने स्वयं को दुनिया के तीसरे-सबसे बड़े स्टार्टअप इकोसिस्टम के रूप में मजबूती से स्थापित किया है। प्रमुख योजनाओं, क्षमता-निर्माण प्रयासों, भास्कर जैसे मंच और स्टार्टअप महाकुंभ जैसे आयोजनों के जरिए पहल के समर्थन ने गैर-मेट्रो शहरों सहित सभी सेक्टर और क्षेत्रों में स्टार्टअप को सशक्त बनाया है। इसके अलावा 100 से अधिक यूनिकॉर्न की ओर से संचालित यह जीवंत इकोसिस्टम, वैश्विक मंच पर नवाचार और उद्यमशीलता को लगातार परिभाषित करता है।

बेंगलुरु, हैदराबाद, मुंबई और दिल्ली-एनसीआर जैसे प्रमुख केंद्रों ने इस परिवर्तन का नेतृत्व किया है, जबकि छोटे शहरों ने देश की उद्यमशीलता की गति में तेजी से योगदान दिया है।

स्टार्टअप इंडिया पहल ने उल्लेखनीय मील के पत्थर हासिल किए

उल्लेखनीय है फिनटेक, एडटेक, हेल्थ-टेक और ई-कॉमर्स में स्टार्टअप ने स्थानीय चुनौतियों का सामना किया है और वैश्विक मान्यता हासिल की है। जोमैटो, नाइका और ओला जैसी कंपनियां भारत के नौकरी चाहने वालों से नौकरी देने वालों की ओर परिवर्तन को दर्शाती हैं, जिससे आर्थिक प्रगति हो रही है। स्टार्टअप इंडिया पहल ने उल्लेखनीय मील के पत्थर हासिल किए हैं जो भारत की अर्थव्यवस्था और समाज पर इसके प्रभाव को प्रकाशित करते हैं।

डीपीआईआईटी-मान्यता प्राप्त स्टार्टअप की संख्या 2016 में लगभग 500 से बढ़कर 15 जनवरी, 2025 तक 1,59,157 हो गई है।

31 अक्टूबर, 2024 तक, कुल 73,151 मान्यता प्राप्त स्टार्टअप में कम से कम एक महिला निदेशक शामिल है, जो भारत में महिला उद्यमियों के उदय को दर्शाता है।

2016 से 31 अक्टूबर 2024 तक, मान्यता प्राप्त स्टार्टअप्स ने कथित तौर पर 16.6 लाख से अधिक प्रत्यक्ष नौकरियां निर्मित की हैं, जो रोजगार निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं।

स्टार्टअप इंडिया पहल की मूल विशेषताएं

ईज ऑफ डूइंग बिजनेस- सरलीकृत अनुपालन, स्व-प्रमाणन, और एकल-खिड़की मंजूरी स्टार्टअप के लिए प्रक्रियाओं को संरेखित करती है।

कर में लाभ-योग्य स्टार्टअप लगातार तीन वित्त वर्ष तक कर छूट का आनंद लेते हैं।

फंडिंग सहायता- ₹10,000 करोड़ का स्टार्टअप्स के लिए फंडों का फंड (एफएफएस) होना शुरुआती चरण की फंडिंग में सहयोग करता है।

क्षेत्र-विशिष्ट नीतियां- जैव प्रौद्योगिकी, कृषि और नवीकरणीय ऊर्जा जैसे क्षेत्रों के लिए केंद्रित नीतियां लक्षित प्रगति को बढ़ावा देती हैं।

स्टार्टअप्स की ओर से उद्योग-वार नौकरियां निर्माण की गईं

31 अक्टूबर, 2024 तक, डीपीआईआईटी-मान्यता प्राप्त स्टार्टअप ने विभिन्न क्षेत्रों में 16.6 लाख से अधिक प्रत्यक्ष नौकरियां पैदा कीं, जो रोजगार सृजन में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं। आईटी सेवा उद्योग 2.04 लाख नौकरियों के साथ सबसे आगे है, इसके बाद हेल्थकेयर और लाइफसाइंसेज 1.47 लाख नौकरियों के साथ, और व्यावसायिक और वाणिज्यिक सेवाएं लगभग 94,000 नौकरियों के साथ हैं।

स्टार्टअप महाकुंभ: नवाचार को आगे ले जाने वाला

स्टार्टअप महाकुंभ एक प्रमुख कार्यक्रम है, जो स्टार्टअप्स, यूनिकॉर्न, सूनीकॉर्न, निवेशकों, उद्योग जगत के नेतृत्वकर्ताओं और इकोसिस्टम के हितधारकों को एक छत के नीचे साथ लाता है। यह देश के स्टार्टअप इकोसिस्टम को सुदृढ़ करने के लिए बातचीत को प्रोत्साहन देते हुए भारत की उद्यमशीलता की भावना और तकनीकी कौशल को प्रदर्शित करता है। 2019 में आयोजित पहला संस्करण, 500 से अधिक स्टार्टअप, निवेशकों और उद्योग के नेताओं की उपस्थिति के साथ एक मील का पत्थर साबित हुआ।

स्टार्टअप महाकुंभ 2024 में 48,000 आगंतुकों, 1,300 प्रदर्शकों और 14 देशों के वैश्विक प्रतिनिधिमंडलों के साथ उल्लेखनीय भागीदारी देखी गई, जो भारत के उद्यमशीलता परिदृश्य को आकार देने में इसकी बढ़ती प्रमुखता को रेखांकित करता है।

स्टार्टअप महाकुंभ का पांचवां संस्करण 7-8 मार्च, 2025 को नई दिल्ली में होने वाला है,स्टार्टअप महाकुंभ 2024 में 48,000 आगंतुकों, 1,300 प्रदर्शकों और 14 देशों के वैश्विक प्रतिनिधिमंडलों के साथ उल्लेखनीय भागीदारी देखी गई, जो भारत के उद्यमशीलता परिदृश्य को आकार देने में इसकी बढ़ती प्रमुखता को रेखांकित करता है।

स्टार्टअप इंडिया पहल क्षमता निर्माण को बढ़ावा देने, आउटरीच को प्रोत्साहित करने और इकोसिस्टम सहयोग को सुविधाजनक बनाने के उद्देश्य से कई पहलों के माध्यम से स्टार्टअप्स को अपना सहयोग प्रदान करती है। ये प्रयास पूरे भारत में एक जीवंत और समावेशी उद्यमशील वातावरण की प्रगति सुनिश्चित करते हैं।

 

81 प्रतिसत भारतीय उद्योग जगत ने पीएम इंटर्नशिप योजना के साथ

80 प्रतिशत से अधिक भारतीय उद्योग जगत प्रधानमंत्री की इंटर्नशिप योजना 2024 का समर्थन कर रहा है और अपनी कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी (सीएसआर) पहलों को इस योजना के साथ जोड़ने के लिए काफी प्रयास कर रहा है। गुरुवार को आई एक रिपोर्ट से यह जानकारी प्राप्त हुई है।

कौशल अंतर पाटने और रोजगार क्षमता बढ़ाने में इंटर्नशिप की बढ़ती भूमिका पर दिया जोर

जी हां, 932 कंपनियों से मिली जानकारी के आधार पर टीमलीज एडटेक की रिपोर्ट में भारत में युवाओं के लिए कौशल अंतर को पाटने और रोजगार क्षमता को बढ़ाने में इंटर्नशिप की बढ़ती भूमिका पर जोर दिया गया है।

76 प्रतिशत अधिक कंपनियां इंटर्नशिप प्रोग्राम में प्रौद्योगिकी भूमिकाओं को दे रही हैं प्राथमिकता

रिपोर्ट में बताया गया है कि 76 प्रतिशत से अधिक कंपनियां अपने इंटर्नशिप कार्यक्रमों में प्रौद्योगिकी भूमिकाओं को प्राथमिकता दे रही हैं, जो उभरती मांगों को पूरा करने के लिए डिजिटल रूप से कुशल प्रतिभाओं पर उद्योग के फोकस को प्रदर्शित करता है। इसके अलावा, 73 प्रतिशत कंपनियां इंटर्नशिप कार्यक्रमों के पूरा होने पर अपने कम से कम 10 प्रतिशत इंटर्न को पूर्णकालिक कर्मचारी के रूप में नियुक्त करने का इरादा रखती हैं।

81 प्रतिशत कंपनियों ने सभी निगमों तक इसके विस्तार की वकालत की

रिपोर्ट में इस योजना के विस्तार के लिए व्यापक समर्थन की भी पहचान की गई है, जिसमें 81 प्रतिशत कंपनियों ने सभी निगमों तक इसके विस्तार की वकालत की है।  अधिकांश उत्तरदाताओं (73 प्रतिशत) ने 1-6 महीने तक चलने वाली लघु-से-मध्यम अवधि की इंटर्नशिप को भी कार्यक्रम दक्षता के साथ सार्थक कौशल विकास को संतुलित करने के लिए इष्टतम माना है। यह योजना भारत इंक की वित्तीय प्रतिबद्धता को भी रेखांकित करती है, जिसमें 34.43 प्रतिशत कंपनियां अपने सीएसआर बजट का 20 प्रतिशत तक इंटर्नशिप कार्यक्रमों के लिए आवंटित करने की योजना बना रही हैं। रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि 83.18 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने रोजगार क्षमता और कार्यबल की तैयारी को बढ़ाने के भारत के राष्ट्रीय लक्ष्यों के साथ पीएम इंटर्नशिप योजना के संरेखण को मान्यता दी।

योजना कार्यबल चुनौतियों का समाधान करने में सार्वजनिक-निजी भागीदारी प्रभाव को दर्शाती है

इस संबंध में टीमलीज एडटेक के संस्थापक और सीईओ शांतनु रूज ने कहा, “पीएम इंटर्नशिप योजना कार्यबल चुनौतियों का समाधान करने में सार्वजनिक-निजी भागीदारी के प्रभाव को दर्शाती है। अधिकांश कंपनियों द्वारा तकनीकी भूमिकाओं पर ध्यान केंद्रित करने और सार्थक अवशोषण दरों के लिए प्रतिबद्ध होने के साथ, हम एक रणनीतिक परिवर्तन देख रहे हैं जो पारंपरिक सीएसआर से परे है।” रूज ने कहा, “यह पहल भारत की महत्वपूर्ण रोजगार चुनौतियों का समाधान करते हुए प्रभावी रूप से एक स्थायी प्रतिभा पाइपलाइन तैयार कर रही है।” इसके अलावा रिपोर्ट में दिखाया गया है कि 32.43 प्रतिशत कंपनियों ने विश्वविद्यालयों और अन्य कॉरपोरेट्स दोनों के साथ साझेदारी के लिए मजबूत प्राथमिकता व्यक्त की है। इसके अलावा, 54.05 प्रतिशत कंपनियों को 1-2 वर्षों के भीतर CSR-संचालित इंटर्नशिप से निवेश पर एक मापनीय सामाजिक प्रतिफल ( एसआरओआई) की उम्मीद है, जो इन कार्यक्रमों के मूर्त लाभों के बारे में आशावादी होने का संकेत देता है।
गौरतलब हो, इस योजना की घोषणा 2024 के केंद्रीय बजट में की गई थी, जिसका मकसद अगले पांच वर्षों में शीर्ष-500 कंपनियों में एक करोड़ युवाओं को इंटर्नशिप के अवसर प्रदान करना है। इसके तहत प्रत्येक इंटर्न को 5,000 रुपये का मासिक वजीफा मिलता है, जिसमें कंपनियों को इस वजीफे और संबंधित प्रशिक्षण लागतों के एक हिस्से को कवर करने के लिए CSR फंड का उपयोग करने की अनुमति होती है। मुख्य रूप से बड़ी कंपनियों को लक्ष्य करते हुए, इस योजना ने छोटी कंपनियों को शामिल करने के लिए इसके संभावित विस्तार पर व्यापक चर्चाओं को जन्म दिया है, जिससे युवाओं की रोजगार क्षमता और कार्यबल विकास के लिए अधिक समावेशी और प्रभावशाली दृष्टिकोण का मार्ग प्रशस्त हुआ है।

घरेलू सहायक रखने से पहले रखें इन बातों का ध्यान

पिछले कुछ सालों में बड़े शहरों में हाउस हेल्पर और मेड्स का कल्चर तेजी से बढ़ा है। खासतौर से जिन घरों में पति पत्नी दोनों वर्किंग हैं वहां बिना मेड और हाउस हेल्पर के एक दिन काटना भी मुश्किल हो जाता है। लोग अपने घर और बच्चों को उन हाउस हेल्पर के सहारे छोड़कर दिनभर काम पर रहते हैं। दिल्ली एनसीआर और मुंबई जैसे महानगरों में ये कल्चर बन चुका है। सिंगल फैमिली वाले लोग इस समस्या का सबसे ज्यादा सामना कर रहे हैं। ऐसे में आपको थोडा सतर्क रहने की जरूरत है। अगर आपके घर में कोई हेल्पर रहता है या मेड रहती है तो जान लें कि उसके बारे में आपको कौन-कौन सी चीजें पता होनी चाहिए?

पुलिस वेरिफिकेशन- किसी भी मेड या हेल्पर रखने से पहले उसका पुलिस वेरिफिकेशन जरूर करवा लें। वो मूल रूप से कहां की रहने वाली है या फिर उससे परिवार और पता की पूरी जानकारी होना जरूरी है।

आधार और स्थायी निवास पता करें- आप जिसे भी अपने घर में काम के लिए रख रहे हैं उसका स्थाई निवास का कोई प्रमाण साथ रखें। आधार कार्ड की कॉपी रखें। फोन नंबर और लोकल पता भी जान लें।

कैमरा लगाएं- आजकल सीसीटीवी कैमरा की सुविधा है। इसलिए जब भी घर में कोई मेड या हाउस हेल्पर रखें तो कैमरा जरूर लगवा लें। इससे आप उसकी दिनभर की गतिविधियों पर नजर रख सकते हैं। ऐसे कैमरे भी आते हैं जिन्हें आप ऑफ कर सकते हैं।

कीमती चीजों को लॉक रखें- घर में अगर कैश या ज्वैलरी रखते हैं तो उसे लॉकर में रखें। अपनी जरूरी और कीमती चीजों को किसी अलमारी में बंद करके रखें। इससे किसी वारदात की संभावनाएं कम होती हैं।

संस्था की जानकरी जुटाएं- अगर आप किसी वेबसाइट या संस्था के जरिए मेड रख रहे हैं तो उस साइट के बारे में अच्छी तरह जानकारी हासिल कर लें। कई बार फर्जी साइट्स बनाकर चोरी को अंजाम दिया जाता है। किसी भी अन-रजिस्टर्ड संस्था या कंपनी से हेल्पर न रखें।

किसी दूसरे को घर में न आने दें- नौकर किसी को अपना रिश्तेदार बताकर आपके घर ला रहा है तो ऐसा भूलकर भी न करें। इसकी अनुमति देने से आप मुश्किल में फंस सकते हैं। इस बहाने किसी घटना को अंजाम देने की फिराक हो सकती है।

अंतरिक्ष डॉकिंग में सफलता प्राप्त करने वाला दुनिया में चौथा देश बना भारत 

नयी दिल्ली । भारत ने अंतरिक्ष क्षेत्र में एक और बड़ी उपलब्धि हासिल कर ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने गुरुवार सुबह इतिहास रचते हुए दो उपग्रहों को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में स्थापित कर दिया। इसके साथ ही दुनिया में अमेरिका, रूस, चीन के बाद भारत यह उपलब्धि हासिल करने वाला चौथा देश बन गया। स्पैडेक्स डॉकिंग की सफलता पर इसरो ने टीम और देशवासियों को बधाई दी है। गुरुवार को इसरो ने ट्वीट करके कहा कि अंतरिक्ष यान डॉकिंग सफलतापूर्वक पूरी हुई। यह एक ऐतिहासिक क्षण है। स्पैडेक्स डॉकिंग प्रक्रिया पर इसरो ने कहा कि डॉकिंग की शुरुआत सटीकता से हुई और 15 मीटर से तीन मीटर होल्ड पॉइंट तक पैंतरेबाजी पूरी हुई। इस पूरी प्रक्रिया को सफलतापूर्वक कैप्चर किया गया। भारत अंतरिक्ष डॉकिंग में सफलता प्राप्त करने वाला चौथा देश बन गया। डॉकिंग वह प्रक्रिया है जिसकी मदद से दो अंतरिक्ष ऑब्जेक्ट एक साथ आते और जुड़ते हैं। यह विभिन्न तरीकों का उपयोग करके किया जा सकता है। अंतरिक्ष में ‘डॉकिंग’ प्रौद्योगिकी की तब जरूरत होती है जब साझा मिशन उद्देश्यों को हासिल करने के लिए कई रॉकेट प्रक्षेपित करने की जरूरत होती है। वांछित कक्षा में प्रक्षेपित होने के बाद दोनों अंतरिक्ष यान 24 घंटे में करीब 20 किलोमीटर दूर हो जाएंगे। इसके बाद वैज्ञानिक डॉकिंग प्रक्रिया शुरू करेंगे। ऑनबोर्ड प्रोपल्शन का उपयोग करते हुए टारगेट धीरे-धीरे 10-20 किमी का इंटर सैटेलाइट सेपरेशन बनाएगा। इससे दूरी धीरे-धीरे 5 किलोमीटर, 1.5 किलोमीटर, 500 मीटर, 225 मीटर, 15 मीटर और अंत में 3 मीटर तक कम हो जाएगी, जहां डॉकिंग होगी। डॉक हो जाने के बाद मिशन पेलोड संचालन के लिए उन्हें अनडॉक करने से पहले अंतरिक्ष यान के बीच पावर ट्रांसफर का प्रदर्शन करेगा। सफल डॉकिंग प्रयोग भारत में किए जाने वाले कई मिशन के लिए जरूरी है। भारत की योजना 2035 में अपना अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने की है। मिशन की सफलता इसके लिए अहम है। भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन में पांच मॉड्यूल होंगे जिन्हें अंतरिक्ष में एक साथ लाया जाएगा। इनमें पहला मॉड्यूल 2028 में लॉन्च किया जाना है। यह मिशन चंद्रयान-4 जैसे मानव अंतरिक्ष उड़ानों के लिए भी अहम है। यह प्रयोग उपग्रह की मरम्मत, ईंधन भरने, मलबे को हटाने और अन्य के लिए आधार तैयार करेगा

पीएम ने दी आठवें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी

नयी दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आठवें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी प्रदान की है। जल्द ही इसके अध्यक्ष और दो सदस्यों को नियुक्त किया जाएगा। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने गुरुवार को कैबिनेट से जुड़ी पत्रकार वार्ता में इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने आठवें वेतन आयोग को मंजूरी दी है। वेतन आयोग केंद्र सरकार के कर्मचारियों के वेतन और भत्तों की मंजूरी प्रदान करता है। इसकी सिफारिशों पर सरकार कर्मचारियों को वेतन प्रदान करती है। वैष्णव ने बताया कि १९४७ के बाद से नियमित अंतराल पर वेतन आयोग का गठन किया गया है। अब तक सात वेतन आयोग गठित किया जा चुके हैं। सातवें वेतन आयोग की सिफारिश को २०१६ में लागू किया गया था। इसका कार्यकाल २०२६ में पूरा होने जा रहा है। इससे पहले २०२५ में समय से इसकी समीक्षा करने और तय समय पर सिफारिशें लागू करने के लिए वित्त आयोग की स्थापना की गई है।

हिंडनबर्ग रिसर्च ने समेटा अपना कारोबार, उछले अडाणी समूह के शेयर

वाशिंगटन/नयी दिल्ली । गौतम अडाणी, जैक डोर्सी और कार्ल इकान समेत कई अरबपति कारोबारियों को निशाना बनाने वाली हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपना कारोबार समेट लिया है। इसके संस्थापक नाथन एंडरसन ने गुरुवार को कंपनी बंद करने की घोषणा की। हिंडनबर्ग रिसर्च कंपनी के फाउंडर नाथन एंडरसन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्सन’ पोस्टं पर जारी बयान में कहा कि उन्होंने कंपनी को बंद करने का फैसला लिया है। उन्होंने लिखा कि हमारी प्लानिंग थी कि हम जिन विचारों पर काम कर रहे थे, उन्हें पूरा करने के बाद कंपनी को बंद कर दिया जाए। आखिरकार वह दिन आज आ गया है। दरअसल, जनवरी 2023 में अडाणी समूह के शेयरों को लेकर सनसनीखेज आरोपों के कारण ये अमेरिकी शॉर्ट सेलर फर्म चर्चा में आई थी। इस फर्म के मालिक शॉर्ट सेलर नाथन एंडरसन ने गौतम अडाणी, जैक डोर्सी और कार्ल इकान समेत कई अरबपति कारोबारियों को निशाना बनाते हुए उनके खिलाफ झूठे आरोप लगाए थे। कंपनी ने अपनी रिपोर्ट्स के जरिए ना केवल भारत के अडाणी समूह बल्कि अमेरिका की कई बड़ी कंपनियों को भी निशाना बनाया। उल्लेिखनीय है कि यह कंपनी 2017 में स्थापित हुई थी। इसका मुख्य काम शेयर बाजार की गड़बड़ियों, अकाउंट मिस मैनेजमेंट और हेरफेर का पता लगाना था। अब, हिंडनबर्ग रिसर्च के बंद होने के साथ एक दौर खत्म हो रहा है, जो लंबे समय से शॉर्ट-सेलिंग और खुलासों के खेल का हिस्सा था। खबर के बाद
शुरुआती कारोबार के दौरान अदाणी ग्रुप की सभी कंपनियों में अच्छा उछाल दिखा। अदाणी पावर के शेयर की कीमत में 9.2 प्रतिशत (599.9 रुपये प्रति शेयर), अदाणी ग्रीन एनर्जी के शेयर की कीमत में 8.8 प्रतिशत (1,126.8 रुपये प्रति शेयर), अदाणी एंटरप्राइजेज के शेयर की कीमत में 7.7 प्रतिशत (2,569.85 रुपये प्रति शेयर), अदाणी टोटल गैस के शेयर की कीमत में 7.1 प्रतिशत (708.45 रुपये प्रति शेयर), अदाणी एनर्जी सॉल्यूशंस के शेयर की कीमत में 6.6 प्रतिशत (832 रुपये प्रति शेयर) और अदाणी पोर्ट्स के शेयर की कीमत में 5.4 प्रतिशत (1,190 रुपये) की वृद्धि हुई। हालांकि, बाद में मुनाफावसूली के चलते इनमें कुछ करेक्शन भी हुआ।

अब बिहार में भी चलेगी वाटर मेट्रो, 20 लाख लोगों को मिलेगा लाभ

पटना । कोच्चि जल मेट्रो की सफलता के बाद अब सरकार बिहार में भी वाटर मैट्रो चलाने की तैयारी कर रही है। बता दें कि, राजधानी पटना की सघन ट्रैफिक व्यवस्था को देखते हुए अब पटना में वाटर मेट्रो भी चलेगी। कोच्चि मेट्रो रेल लिमिटेड की ओर से यह जानकारी दी गई। जानकारी के मुताबिक, देश भर में 18 स्थानों पर यह सुविधा मुहैया कराने की तैयारी है। पर्यावरण अनुकूल इस नए जल परिवहन मॉडल को दोहराने की प्लानिंग चल रही है। जानकारी के मुताबिक, पटना के गंगा तट पर कई मेट्रो स्टेशन बनाये जायेंगे। गंगा नदी का बड़ा किनारा होने का कारण विस्तारित ग्रेटर पटना (कोईलवर से बख्तियारपुर) के नदी किनारे वाली 20 लाख से अधिक की आबादी को आवाजाही में सीधा फायदा मिलेगा। दानापुर से फतुहा तक लोगों का सफर चंद मिनटों में पूरा होगा। इसके लिए खास तरह के स्पीट बोट का उपयोग होगा। बयान में कहा गया कि, बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालय ने विभिन्न क्षेत्रों में इसी प्रकार का जल मेट्रो सिस्टम की क्षमता का आकलन करने का काम सौंपा है। हाल ही में अपने निदेशक मंडल से परामर्शदात्री शाखा बनाने की मंजूरी मिली है। इसके बाद केएमआरएल ने प्रारंभिक कार्य के लिए एक आंतरिक समिति गठित की है। जरूरत पड़ने पर इस कार्य के लिए बाहरी विशेषज्ञों को भी शामिल किया जाएगा।’ बयान में कहा गया कि, यह नई पहल केएमआरएल केरल के नवाचार और विशेषज्ञता के लिए गौरव की बात है। बता दें कि, केएमआरएल की विज्ञप्ति में उन शहरों के बारे में भी बताया गया जहां जल मेट्रो चलाए जाने की तैयारी है। इनमें अहमदाबाद, सूरत, मंगलुरु, अयोध्या, धुबरी, गोवा, कोल्लम, कोलकाता, पटना, प्रयागराज, श्रीनगर, वाराणसी, मुंबई, कोच्चि और वसई शामिल हैं।
केएमआरएल की ओर से जारी बयान में जानकारी दी गई कि, जल मेट्रो रेल सिस्टम को आधुनिक सुविधाओं और पर्यावरण के हिसाब से तैयार किया गया है। इसका डिजाइन टिकाऊ है। इस तरह कोच्चि जल मेट्रो ने शहरी जल परिवहन के लिए एक नया मानक स्थापित किया है। फिलहाल नदियों, झीलों और तटीय क्षेत्रों में जल मेट्रो सेवा स्थापित करने की संभावना पर चर्चा जारी है। संभावित जगहों में गुवाहाटी में ब्रह्मपुत्र नदी, जम्मू कश्मीर में डल झील व अंडमान और लक्षद्वीप में द्वीपों को जोड़ा जाएगा। इसे लेकर अलग-अलग स्तर पर स्टडी की जा रही है और संभावित मार्गों को अंतिम रूप दिया जा रहा है।

एफटीएस युवा ने आयोजित किया एकल रन का छठां संस्करण 

कोलकाता । फ्रेंड्स ऑफ ट्राइबल्स सोसाइटी की युवा शाखा एफटीएस युवा ने रविवार को कोलकाता में गोदरेज वाटरसाइड में अपना वार्षिक प्रमुख कार्यक्रम एकल रन का भव्य आयोजन किया। जिसमें 5000 से अधिक प्रतिभागियों ने इस मैराथन में समयबद्ध दौड़ की अपनी चुनी हुई श्रेणी – 21 किमी, 10 किमी, 5 किमी और 3 किमी की गैर-समयबद्ध और मजेदार दौड़ में भाग लिया। इस दौड़ में सभी आयु वर्ग के लोगों ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया। एकल रन का धमाकेदार उद्घाटन पैरालंपिक एथलीट और भाला फेंक खिलाड़ी नवदीप सिंह ने किया। इस दौरान उनके साथ अभिनेता राहुल देव बोस, आरपी संजीव गोयनका समूह के महाप्रबंधक विनीत कंसल, फोर्टिस हेल्थकेयर में रणनीति और संचालन प्रमुख ऋचा सिंह देबगुप्ता, पश्चिम बंगाल और सिक्किम एनसीसी निदेशालय के उप महानिदेशक ब्रिगेडियर एन. रोमियो सिंह, बीएसएफ के दक्षिण बंगाल फ्रंटियर में डीआईजी नीलोत्पल कुमार पांडे, जैस्मिना ठक्कर (चार्टर्ड अकाउंटेंट और ईवाई जीडीएस – एश्योरेंस क्वालिटी सर्विसेज एक्यूएस, की कार्यकारी निदेशक), पश्चिम बंगाल सरकार के उच्च शिक्षा विभाग के उप निदेशक डॉ. धनंजय साहा, अभिनेत्री देबद्रिता बसु, क्रॉसफिट एथलीट रोहित छेत्री, तनुश्री सरकार, आईटी पेशेवर और पीडब्ल्यूसी में प्रमुख सलाहकार तनुश्री सरकार, फिटनेस और लाइफस्टाइल इन्फ्लुएंसर श्रीया मनिहार, फैशन और लाइफस्टाइल इन्फ्लुएंसर के अलावा इवेंट प्लानर गरिमा बांका, डिजिटल क्रिएटर रितु सराफ, सेलिब्रिटी पॉडकास्टर सिद्धांत दिग्विजय जैथा के साथ एफटीएस के वरिष्ठ सदस्यों में सज्जन बंसल, रमेश सरावगी, अनिल करीवाला, किशन केजरीवाल, महेंद्र अग्रवाल, प्रवीण अग्रवाल, सुभाष मुरारका, बुलाकी दास मिमानी, रूपा अग्रवाल, शांता सारदा, बीना धानुका और कई अन्य वरिष्ठ सदस्य मौजूद थे।
मीडिया से बात करते हुए एफटीएस युवा, कोलकाता चैप्टर के अध्यक्ष गौरव बागला ने कहा, हम एकल रन के 6वें संस्करण में जबरदस्त भागीदारी और उत्साह देखकर वास्तव में उत्साहित हैं। पैरालिंपिक स्वर्ण पदक विजेता नवदीप सिंह द्वारा इस वर्ष की मैराथन का उद्घाटन करना सम्मान की बात थी, जिनकी यात्रा दृढ़ता की शक्ति का प्रतीक है। इस एकल रन से जुटाई गई धनराशि एकल विद्यालयों के माध्यम से ग्रामीण भारत में आदिवासी बच्चों की शिक्षा में सहायता करने में मददगार बनेगी। हम अपने सभी प्रतिभागियों, स्वयंसेवकों और प्रायोजकों को उनके अटूट समर्थन के लिए धन्यवाद देते हैं।
प्रमुख सदस्य: एफटीएस युवा बोर्ड के सदस्य – नीरज हरोदिया (राष्ट्रीय समन्वयक), गौरव बागला (अध्यक्ष), ऋषभ सरावगी, विकास पोद्दार, अभय केजरीवाल (उपाध्यक्ष), विनय चुघ (सलाहकार), रौनक फतेसरिया (सचिव), रोहित बुचा (संयुक्त सचिव), ऋषव गादिया (कोषाध्यक्ष), रचित चौधरी (संयुक्त कोषाध्यक्ष), मयंक सरावगी, अंकित दीवान, योगेश चौधरी, वैभव पंड्या, आश्रय टंडन, मनीष धारीवाल, पंकज झावर (कार्यकारी समिति के सदस्य) और नम्रता अग्रवाल ( सदस्य) ने इसे सफल बनाने में अहम भूमिका निभाई।

महाकुम्भ – भीड़ प्रबन्धन हेतु पुलिसकर्मियों को मिली एवरैडी के साइरेन टॉर्च

प्रयागराज । इस साल महाकुम्भ मेले में आने वाले लाखों श्रद्धालुओं की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए देश के प्रमुख फ्लैशलाईट और बैटरी निर्माता एवरैडी इंडस्ट्रीज़ इंडिया लिमिटेड के सहयोग से महाकुम्भ पुलिस को सुरक्षा के विशेष इंतज़ाम में सक्षम बनाया गया है। इस पहल के तहत मेले में तैनात पुलिस कर्मियों को पावरफुल सुरक्षा अलार्म से युक्त 5000 एवरैडी साइरेन टॉर्च उपलब्ध कराए जाएंगे, जिससे उन्हें मेले में व्यवस्था बनाए रखने में मदद मिलेगी। इसके अलावा मेला परिसर में 56 पुलिस स्टेशनों में सुरक्षा नियमों का प्रचार-प्रसार भी किया जाएगा।
उम्मीद है कि इस साल महाकुम्भ मेले में तकरीबन 40 करोड़ श्रद्धालु पहुंचेंगे। इतनी बड़ी संख्या को देखते हुए महाकुम्भ पुलिस सहित अधिकारियों के लिए सर्वोपरि होगा कि वे सभी श्रद्धालुओं के लिए शांतिपूर्ण एवं बदलावकारी अनुभव को सुनिश्चित करें। इसी उद्देश्य से एवरैडी ने महाकुम्भ पुलिस को अपने नए इनोवेशन साइरेन टॉर्च डीएल 102 उपलब्ध कराए हैं।
एवरैडी अल्टीमा बैटरीज़ एण्ड साइरेन टॉर्च, कुम्भ वीआईपी डोम सिटी और पावन शहर के विभिन्न हिस्सों में स्पष्ट रूप से दिखाई देंगे। इस पहल पर बात करते हुए एसएसपी कुम्भ मेला, श्री राजेश द्विवेदी ने कहा, ‘‘हमने तीर्थयात्रियों की सुरक्षा के लिए व्यापक इंतज़ाम किए हैं। एवरैडी के साइरेन टॉर्च भी इस इंतज़ाम का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। इससे निश्चित रूप से हमारे प्रयासों में मदद मिलेगी।’’
एवरैडी साइरेन टॉर्च, पारम्परिक फ्लैशलाईट की तरह काम करते हुए पावरफुल सुरक्षा डिवाइस की भूमिका निभाता है, इससे जुड़ी कीचेन को खींचते ही इसका 100dbA साउण्ड अलार्म एक्टिवेट हो जाता है। इस पहल के तहत एवरैडी महाकुम्भ पुलिस के लिए प्रेक्टिकल डेमो भी देगा, जिसमें डिवाइस की फंक्शनेलिटी और उपयोगिता के बारे में बताया जाएगा। यह किफ़ायती और बहुमुखी टॉर्च एक प्रोडक्ट से कहीं बढ़कर है, यह सुरक्षा, सशक्तीकरण का दूसरा नाम है। इसकी मदद से एक व्यक्ति मुश्किल के समय में आवाज़ उठाकर मदद मांग सकता है।
अनिरबन बैनर्जी, सीनियर वाईस प्रेज़ीडेन्ट एवं एसबीयू हैड (बैटरीज़ एण्ड फ्लैशलाईट्स), एवरैडी इंडस्ट्रीज़ लिमिटेड ने कहा, ‘‘महाकुम्भ मेला दुनिया के सबसे बड़े आयोजनों में से एक है। इस साल 44 दिन चलने वाले मेले में बड़ी संख्या में आगंतुकों के पहुंचने की उम्मीद है। पिछले सालों के दौरान पुलिस ने मेले में आने वाली लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ का प्रबन्धन करने के लिए सराहनीय काम किया है। इस साल हमें गर्व है कि हमने उनके इन प्रयासों में योगदान देने के लिए पुलिसकर्मियों के साथ हाथ मिलाया है, हम उन्हें पावरफुल साइरेन टॉर्च दे रहे हैं, जिससे उन्हें भीड़ के प्रबन्धन में और मेले में सुरक्षा बनाए रखने में मदद मिलेगी।’’ साइरेन टॉर्च की मदद से पुलिस भीड़ का बेहतर प्रबन्धन कर सकेगी, साथ ही इससे मेले में सुरक्षा और निगरानी भी बढ़ेगी। इसके अलावा महाकुम्भ पुलिस और एवरैडी, मुख्य पुलिस पोस्ट्स पर एमरजेन्सी कॉन्टेक्ट नंबर भी डिस्प्ले करेंगे। इससे मेले में आने वाले श्रद्धालु किसी भी मुश्किल स्थिति में अधिकारियों से संपर्क कर सकेंगे। रेवोल्यूशनरी डीएल102 साइरेन टॉर्च एक बेहतरीन उपकरण है, जो लोगों, खासतौर पर महिलाओं को सुरक्षा के साथ आत्मविश्वास देता है। यह पावरफुल डिवाइस उन्हें साहस एवं निडरता के साथ निश्चिंत होकर आगे बढ़ने की ताकत देती है।

परिवार और हम- बढ़ते तलाक और लड़कियों की बदलती दुनिया

दूसरी कड़ी

एक समय था जब तलाक की बात सोचना ही पाप समझा जाता था । खासकर महिलाओं के मामले में डोली जाएगी, अर्थी निकलेगी वाली मानसिकता के कारण औरतों ने घरों में घुट-घुटकर प्रताड़ित होकर मार खाते हुए जिन्दगी गुजार दी । उनके पास आर्थिक मजबूती नहीं थी, सामाजिक सहयोग नहीं था और बच्चों का मोह भी एक बंधन था…शादियां खींच दी जाती थीं । लोग एक छत के नीचे दो अजनबियों की तरह रहते हुए जिन्दगी गुजार दिया करते थे । पुरुष हमेशा विन – विन सिचुएशन में रहते थे क्योंकि स्त्रियां उनको नहीं, वह अपनी स्त्रियों को छोड़ दिया करते थे । कुछ ऐसे विद्वान भी देखे गये जो शहरों से ताल मिलाने की जुगत में अपनी गंवार पत्नी को छोड़कर आगे बढ़ गये और पत्नी उपेक्षा के अन्धकार में दफन हो गयी । इसके बाद महिलाओं के अधिकारों की बात चली, कानून बने..गुजारा -भत्ता, भरण – पोषण जैसी सुविधाएं मिलीं । औरतें आर्थिक स्तर पर मजबूत हुईं, मुखर हुईं और सहनशक्ति कम हुई । आज भी हालिया आंकड़ों के अनुसार भारत में तलाक की दर एक प्रतिशत से भी कम है। यह विश्व में सबसे कम है। हालांकि पहले के मुकाबले तलाक के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। यह बात फैमिली ला इन इंडिया विषय पर वकीलों की संस्था न्यायाश्रय द्वारा किए गए शोध में सामने आई है। एक समय था जब लड़कियों को बचपन से ही ससुराल में मार खाने और ताने सुनने के लिए मानसिक तौर पर तैयार किया जाता था और इस तैयारी की आड़ में लड़कियों के मायके में उनका खूब शोषण किया गया है । पराई लड़की..दूसरे घर जाना है…कम खाओ…पतली हो जाओ….पढ़कर क्या करोगी…रसोई सीखो…की आग में लड़कियों के सपने आग में खूब झोंके गये हैं । लड़कों पर भी कमाने का दबाव रहा है, बेरोजगार लड़के भी अविवाहित लड़कियों की तरह कोने में धकेल दिए जाते रहे हैं..। कहने का मतलब है कि उत्पीड़न और प्रताड़ना बराबर की रही मगर लड़कों का पलड़ा भारी रहा क्योंकि शादी में उसकी स्थिति तुलनात्मक रूप से बेहतर रही । संयुक्त परिवारों में जिनके पति कमाते नहीं थे..उनकी पत्नियों की जिन्दगी नर्क बना दी जाती रही है..करोड़पति परिवारों में बच्चे पाई – पाई को मोहताज रहे हैं । अमीर घरों में रहने वालों ने गरीबी को बहुत नजदीक से देखा है मगर तब संयुक्त परिवारों में कोई न कोई एक बड़ा जरूर रहता था जिसने समझदारी से काम लेते हुए डोर को जोड़े रखा। एकल परिवारों में वह डोर नहीं दिख रही और जो संयुक्त परिवार हैं, वहां पर बड़ों का हस्तक्षेप अपने व्यक्तिगत परिवार तक सिमट गया है । शोध में कहा है कि पिछले 10 सालों के आंकड़ों के विश्लेषण से यह बात सामने आई है कि भारत में प्रति 1000 विवाह में से लगभग 7 विवाह तलाक की वजह से समाप्त होते थे, किंतु यह आंकड़ा तेजी से बढ़ रहा है। वर्तमान में यह प्रत्येक 200 विवाह में 3 विवाह तक पहुंच गया है। यह पहले के मुकाबले लगभग दोगुना है। दिल्ली और मुंबई जैसे महानगरों में तलाक दर 30 प्रतिशत तक पहुंच रही है। यही स्थिति अब अन्य शहरों की भी होती जा रही है।आयुवर्ग के हिसाब से देखें तो 25 से 34 वर्ष के बीच सबसे ज्यादा तलाक के मामले आ रहे हैं। शोध में यह बात भी सामने आई है कि भारत में तलाक के कारणों में नगरीयकरण, आधुनिकीकरण, मोबाइल इंटरनेट का अत्याधिक इस्तेमाल, व्यक्तिगत स्वतंत्रता, घटती निर्भरता, महिला सशक्तिकरण, ससुराल पक्ष का व्यवहार, बढ़ता मतभेद, वैचारिक तालमेल का न मिलना, कानून का दुरुपयोग इत्यादि शामिल हैं। यह बात भी सामने आई है कि दहेज प्रताड़ना के मुकदमे यानी धारा 498 के केस प्रस्तुत होने के बाद परिवार फिर से जुड़ पाना बहुत मुश्किल होता जा रहा है। इसी प्रकार भरण पोषण देने में त्रुटि करने वाले पति को जेल होने के पश्चात तलाक के मामले भी बढ़ रहे हैं। काउंसलिंग एवं अनुभवी समाजशास्त्रियों की मदद लेकर इन समस्याओं को दूर किया जा सकता है। शोध में यह सुझाव भी दिया गया है कि पारिवारिक मामलों में कानूनी दखल को कम से कम किया जाना चाहिए।

दरअसल, बच्चे एक यूटोपिया में जी रहे हैं और इसे मजबूत करने में सिनेमा का महत्वपूर्ण योगदान है क्योंकि इनके सपनों में उनका एक साथी है, एक बच्चा है…और उसके आस – पास कोई नहीं है । कभी सोशल मीडिया पर नजर दौड़ाइए तो पता चलेगा कि 95 प्रतिशत लोग परिवार के नाम पर मैं…बीबी या मेरे साहेब व हमारा बच्चा टाइप तस्वीरें लगा रहे हैं तो बच्चों को पारिवारिक मूल्य कैसे पता चलेंगे जब उन्होंने वह रिश्ते देखे ही नहीं हैं । जब उनको दादा – दादी, नाना – नानी की जगह ग्रैंडपैरेट्ंस ही समझाए जा रहे हैं। कॅरियर के बाद परिवार के कहने पर जब शादियां हो रही हैं तब भी वह एक वायवीय दुनिया से बाहर निकलने को तैयार नहीं हैं क्योंकि शादी उनके लिए सपना है, जिम्मेदारी नहीं और जिम्मेदारी अगर है भी तो वह अपने माता – पिता तक ही सीमित है । आज की पीढ़ी के लिए मौसी – मौसा, बुआ – फूफा जैसे रिश्ते एक मेहमान हैं, परिवार का हिस्सा नहीं हैं…जिनके आते ही जाने के दिन गिनने की तैयारी शुरू हो जाती है। ऐसे में शादी होने पर अनायास जब वे यथार्थ से टकराते हैं तो सपने चकनाचूर होते हैं..। तालमेल, एडजस्टमेंट…जैसे शब्द ऑफिस में चल सकते हैं क्योंकि नौकरी करके कमाई होती है मगर घर में नहीं । कई बार घर के बड़े भी युवाओं के लिए ऐसी स्थिति उत्पन्न कर देते हैं क्योंकि वह भी कहीं न कहीं वर्चस्व चाहते हैं । उनके दिमाग में अब भी नाती – पोते देखने या सेवा करवाने जैसे सपने हैं जो पूरे नहीं हो पा रहे हैं तो यह जेनरेशन गैप हमेशा से रहा है । इस दबाव और निजता के लिए चाहे – अनचाहे दूरी हो जाती है और बहुओं के दबाव में बेटे घर से दूर हो रहे हैं । यहां तक तो फिर भी बात समझ आ रही है मगर तलाक और जरा – जरा सी बात पर तलाक और उसे व्यवसाय बना लेना..इसका समर्थन कतई नहीं किया जा सकता…कम से कम वहां..जहां पर महिला शिक्षित है, आत्मनिर्भर है, अच्छा – खासा कमा रही है । गुजारा भत्ता उन औरतों को मिले जिनके पास नौकरी नहीं, आय का दूसरा साधन नहीं है..मगर यहां भी बात समानता पर अटक जाती है । यह कौन सी समानता है कि आप अपने गुजारे के लिए जीवन भर उस व्यक्ति पर निर्भर रहने को तैयार हैं जिसके साथ आप रहना नहीं चाहते, जिसकी सूरत तक आप देखने को तैयार नहीं हैं । डेटिंग ऐप बंबल पर हाल ही में शादी और रिलेशनशिप को लेकर सर्वे किया गया। जिसमें भारत की महिलाओं की एक अलग ही तस्वीर उभर कर सामने आई। अध्ययन के मुताबिक 5 में से करीब 2 (39%) डेटिंग करने वाले भारतीयों का मानना ​​है कि उनके परिवार वाले उनसे शादी के मौसम के दौरान पारंपरिक जोड़े बनाने को कहते हैं। शादी के मौसम आते ही शादी करने के लिए दबाव दिया जाता है। डेटिंग ऐप बंबल के एक हालिया अध्ययन के अनुसार भारत में 81 प्रतिशत महिलाएं अविवाहित और सिंगल रहने में सहज महसूस करती हैं। उन्होंने कहा कि वो सिंगल रहने में ज्यादा आराम और अच्छा महसूस करती हैं।वहीं, 83 प्रतिशत महिलाओं ने कहा कि वो जल्दीबाजी में शादी नहीं करेंगी। तबतक प्रतीक्षा करेंगी जब तक की कोई सही व्यक्ति नहीं मिल जाता है। वहीं, 63 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे अपनी प्राथमिकताओं, जरूरतों या आवश्यकताओं के आगे नहीं झुकेंगे। सर्वे में यह पूछा गया कि वे कब शादी करना चाहते हैं? इसपर 39 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वो इसके लिए प्रेशर महसूस करते हैं। खासकर शादियों के सीजन में।
कुंवारे भारतीयों में से करीब एक तिहाई (33 प्रतिशत) ने कहा कि वे एक लॉन्गटर्म और कमिटेड रिलेशनशिप में जाने के लिए मजबूर महसूस करते हैं। वो लंबे समय तक चलने वाली शादी के रिश्ते के लिए खुद को प्रेशर में फील करते हैं। भारत में अभी भी माता-पिता अपने बच्चों की शादी तय करते हैं। शादी का मौसम आते ही उनपर शादी के लिए दबाव बनाया जाता है। कुछ लोग तो इसके आगे झुक जाते हैं। लेकिन अब लड़का हो या लड़की अपनी च्वाइंस को पैरेंट्स से बताने लगी हैं। बता दें कि 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में 7.14 करोड़ सिंगल वुमन हैं। इसमें बिना शादीशुदा महिलाओं के साथ-साथ तलाकशुदा और विधवा भी शामिल हैं। साल 2001 में ये संख्या 5.12 करोड़ थी। 2001 से 2011 में यह अनुपात 40 फीसदी बढ़ा है। मतलब भारतीय महिला बदल रही है।जो लड़कियां या लड़के शादी के बाद एकछत्र राज्य चाहते हैं, उनसे हमारा विनम्र निवेदन है कि अगर आप मीशो से नहीं आईं या आए तो आपका जीवनसाथी भी फ्लिपकार्ट से डिलिवर नहीं किया गया। उसका पालन – पोषण किया गया है और वह आपकी सास – ननद या जेठ अथवा देवर ने किया है। आंकड़ों की मानें तो 2005 और 2012 के बीच 20 मिलियन महिलाओं ने अपनी नौकरी छोड़ दी और उनमें से लगभग 65 प्रतिशत महिलाओं ने दोबारा नौकरी नहीं की। ऐसी स्थितियों में, गुजारा भत्ता तलाक के बाद उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाने में मदद करता है। ऐसे में तलाक के बाद इसकी मांग करने वाली महिला को शर्मसार करना ठीक नहीं है। हिंदू विवाह अधिनियम 1965 के अनुसार अगर पत्नी पति से अधिक कमाती है या पुरुष पैसा कमाने में असमर्थ है तो वो भी गुजारा भत्ता की मांग कर सकते हैं। 2008 में, दिल्ली उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया कि अगर कोई पत्नी तलाक के बाद खुद का पाल-पोषण करने में सक्षम है तो उसका गुजारा भत्ता का रद्द भी किया जा सकता है। हालांकि एक अध्ययन के अनुसार, भारत में महिलाओं में बेरोजगारी दर पुरुषों की तुलना में दोगुने से भी अधिक है।
आपको कोई अधिकार नहीं है कि अपनी कुंठित मानसिकता के लिए किसी का बसा – बसाया परिवार तोड़ डालें । अगर आपको सास – ननद, देवर नहीं चाहिए तो प्लीज डोंट गेट मैरेड….। अलग होकर भी आप अपने परिवार के लिए मटर जरूर छीलेंगी तो सास – ननदों के साथ मटर छीलने में आपत्ति क्यों है? आपको किसने अधिकार दे दिया कि आपकी ननद कब आएगी, कब तक रहेगी…अपने घर से क्या लेगी या क्या नहीं लेगी..यह आप तय करें जबकि आप अपने मायके में अपने माता – पिता के साथ अपनी भाभी का यह व्यवहार नहीं सह पा रहीं । आपके अधिकार आपके पति पर हैं..आप अपने देवर – ननदों के जीवन से जुड़े फैसले नहीं ले सकतीं, ठीक उसी प्रकार जैसे आपके पति तय नहीं करेंगे कि आपके भाई – बहन जिंदगी कैसे जीएंगे । अगर अपने मायके को कुछ देना है तो वह आप अपनी कमाई से दीजिए । आप अपने मायके से कुछ नहीं मांगेंगी…अच्छी बनी रहेंगी और ससुराल में हिस्सा हड़पने के लिए चालें चलती रहेंगी….नॉट फेयर । यह घर आपके पिता ने नहीं बनाया…आपके पति के पिता ने बनाया है जो आपकी ननद के भी पिता हैं…इस रिश्ते में दरार डालकर अपना घर बसाने से बाज आइए और अधिकार मांगना है तो अपने मायके से मांगिए….फिर देखिए कि आपके वह अपने कितने अपने हैं । बहनों का अधिकार उनके भाइयों पर होता है, भौजाइयों पर अधिकार मत जताइए…हुक्म मत चलाइए…मानिए कि रिश्ते में दूरी है और उसे बने रहना चाहिए । मजे की बात यह है कि सोशल मीडिया पर देवरानी व जेठानी व सास को लेकर मेलजोल और अंडर स्टैंडिंग वाले मीम बन रहे हैं… क्या आपको नहीं लगता कि यह बड़े ही सुनियोजित तरीके से हो रहा है…यह अनायास नहीं है……अपना कॅरियर, अपना परिवार..अपना फ्यूचर मगर आपको यह सब करने के लिए जरूरत दूसरों की पड़ रही है….सोलह श्रृंगार करके कैमरे पर इतराने वाली वधुएं जरा बताएं..अगर इतनी ही तकलीफ है रिश्तेदारों से तो शादी ही क्यों की? मां की गालियां और चप्पल अमृत समान है और मां जैसी बुआ कुछ कह दे तो उसने जीना हराम कर रखा है…वाह रे हिप्पोक्रेट जेनेरेशन तो अब बुआ को लेकर मीम बनाना बंद करो यूट्यूबरों । जीवन में परफेक्ट कुछ नहीं होता…अगर कुछ बुरा होता है तो वह है मौकापरस्त होना…आप खुद स्वार्थी हैं तो दूसरों से दरियादिली की उम्मीद क्यों? आपके पति के पास अपनी बहन को देने के लिए समय चाहिए…वह आपके भाई..आपके माता – पिता की इज्जत करे मगर अपने भाई – बहनों का पक्ष ले तो वह खलनायक बन गया….गजब हैं जी आप। या तो किसी के साथ रहिए या बिल्कुल मत रहिए…तलाक के नाम पर भरण – पोषण और गुजारा भत्ता जैसे हथियारों से किसी का जीवन नर्क मत बनाइए। जिसकी शक्ल तक नहीं देखनी, उसके पैसे से काहे का मोह..एक समय तक आर्थिक तौर पर कमजोर लड़कियां जरूर गुजारा भत्ता लें मगर सक्षम बनाकर खुद को अलग कर लें वरना जिस रिश्ते से निकलना चाह रही हैं, कभी निकल नहीं सकेंगी।
शादी बहुत बड़ी जिम्मेदारी है…इसे खेल मत बनाइए…नहीं निभा सकते तो अकेले रहिए..।
कहीं न कहीं…दोनों को ठहरकर सोचने की जरूरत है…लड़का हो या लड़की हो…समझने की जरूरत है कि शादी वह नहीं है जो फिल्मी परदे पर या सोशल मीडिया पर दिखती है…। हो सकता है कि आप जिनके मीम देख रहे हैं…वह आपका सबसे बड़ा सपोर्ट सिस्टम बन जाएं…। कदम मिलाकर चलना सीखिए.. क्योंकि अगर आप किसी की आँख का नूर हैं तो वह भी किसी की आंख का तारा है ।