Saturday, August 2, 2025
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सेहत के साथ सौन्दर्य का खजाना है घी

घी सेहत का खजाना है, क्योंकि इसमें विटामिन और कैलोरी समेत कई पोषक तत्व पाए जाते हैं. घी खाने का स्वाद भी दोगुना करता है, साथ ही सेहत भी दुरुस्त रखता है। प्राचीन काल से ही लोग घी का उपयोग इसके सौंदर्य गुणों के लिए भी करते आ रहे हैं, यह त्वचा, होंठ और बालों से संबंधित कई समस्याओं को दूर कर आपको कोमल और चिकनी त्वचा पाने में मदद करता है। आइए जानते हैं इसके चमत्कारी फायदे –
त्वचा से रूखापन दूर करें- सर्दियों में अक्सर त्वचा रूखी और बेजान नजर आती है, ऐसे में अगर आप अपनी रूखी त्वचा पर कॉस्मेटिक क्रीम मॉइश्चराइजर की कितनी भी मात्रा लगा लें, तब भी रूखापन बना रहता है. ऐसे में घी लगाकर कुछ मिनट तक मसाज करें। आपकी रूखी त्वचा की समस्या बहुत जल्द दूर हो सकती है। घी आपकी रूखी त्वचा को हमेशा स्वस्थ रखने में मदद करेगा।
बढ़ती उम्र को करे दूर – बढ़ती उम्र के साथ त्वचा पर उम्र बढ़ने के लक्षण दिखने लगते हैं। ऐसे में आपको चेहरे के लिए एंटी एजिंग गुणों से भरपूर घी का इस्तेमाल करना चाहिए। पानी से चेहरे की मसाज करें, यह फाइन लाइन्स और झुर्रियों को कम करने में काफी असरदार होता है। घी में मौजूद विटामिन ई त्वचा को जवां और चमकदार बनाने में मददगार होता है।
त्वचा को रखता है जवां – घी त्वचा की लचक को बढ़ाता है और त्वचा को लचीला बनाता है, जिससे त्वचा जवां बनी रहती है। यह एक प्राकृतिक स्क्रब भी है। घी में बराबर मात्रा में चीनी मिलाकर इससे एक्सफोलिएट करें। मसाज करते हुए त्वचा को स्क्रब करें ताकि घी त्वचा में गहराई तक जा सके। इसके बाद इसे टिश्यू पेपर या सूखे कपड़े से पोंछ लें।
काले घेरे दूर करें – आंखों के आसपास घी की मालिश करने से काले घेरे दूर हो जाते हैं। साथ ही आंखों की थकान भी दूर होगी।
रूखी त्वचा को करें मॉइस्चराइज– 1 चम्मच देसी घी में 1 चम्मच शहद मिलाकर उसमें थोड़ा सा कच्चा दूध मिलाएं। इस मास्क को लगाएं और सूखने पर धो लें। रूखी त्वचा के लिए यह एक बेहतरीन मॉइश्चराइजर का काम करेगा।
होंठों को बनाएं मुलायम- सर्दियों के मौसम में होंठ बहुत रूखे हो जाते हैं। कई बार वैसलीन या लिप केयर प्रोडक्ट लगाने के बाद भी रूखापन दूर नहीं होता है। अगर आप अपने होठों पर घी लगाते हैं तो आपके होठों का रूखापन बहुत जल्द खत्म हो जाएगा और होंठ चमकदार और मुलायम नजर आएंगे। बालों को बनाएं चमकदार – सिर्फ घी लगाने से ही नहीं बल्कि इसे आहार में शामिल करने से त्वचा और बालों को पोषण मिलता है. यह त्वचा और बालों को चमकदार बनाता है। गुनगुने देसी घी से स्कैल्प की मसाज करें। यह बालों को मुलायम बनाता है। इसमें मौजूद विटामिन ई और ए बालों की सेहत और ग्रोथ के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं।
सन बर्न दूर करे- घी सन बर्न की समस्या को दूर करने में फायदेमंद साबित होता है। आप रात को सोते समय अपने चेहरे को अच्छे से साफ करें फिर प्रभावित जगह पर घी लगाएं। ऐसा करने से आपको सनबर्न की समस्या से राहत मिल सकती है।

 

शीतकालीन खेलों का लोकप्रिय गन्तव्य उत्तराखंड

पर्यटन के आकर्षक गन्तव्यों की बात हो तो उत्तराखंड बहुत पसन्द किया जाने वाली जगह है । बर्फ से ढके पहाड़ों में शीतकालीन खेलों के लिए घरेलू और विदेशी पर्यटकों को यह स्थान खूब भा रहा है । एक तरफ जहाँ अपने तीर्थ स्थानों के लिए उत्तराखंड जाना जाता है शीतकालीन खेलों के लिए भी पर्यटक यहाँ आ रहे हैं ।
अगर आप साहसी हैं तो पहाड़ों की बर्फबारी में खेलना, ट्रैकिंग करना आपको पसन्द आएगा । अगर आपको शांति और सुकून चाहिए तो खूबसूरत प्राकृतिक दृश्यों से भरे शांत गाँवों में जाना और स्थानीय संस्कृति और जायकों का आनन्द उठाना आपको अच्छा लगेगा ।
गढ़वाल के औली में स्कींग करना यहाँ का मुख्य आकर्षण है । राज्य सरकार यहाँ बच्चों को प्रशिक्षित करने की तैयारी कर रही है और संरचना विकसित करने का काम चल रहा है । सरकार औली में स्किंग चैम्पियनशिप आयोजित करने पर विचार कर रही है । स्किंग बेतुईधार, दायरा बुग्याल, मुन्डली और खलिया टॉप में भी लोकप्रिय है । कुमायुँ में स्थित खलिया टॉप 3500 मीटर ऊँचा है और यहाँ से पंचाचुलीली, राजरम्भा एवं नंद कोट के मनोरम दृश्य देखे जा सकते हैं ।
पिथौरागढ़ जिले में स्थित चौकोरी अपनी प्राकृतिक सुन्दरता से सबका मन मोह रहा है । यहाँ आपको सूर्योदय एवं सूर्यास्त की अद्भुत छटा दिखती है और साथ ही नंदा देवी पंचाचुली, नंद कोट, त्रिशूल एवं चौखंभा के मनोरम वातावरण से आप मुग्ध हो उठेंगे ।
उत्तराखंड के शीतकालीन खेलों की बात चलती है तो रिवर राफ्टिंग ऐसा खेल है जो बहुत पसंद किया जाता है । ऋषिकेश इस खेल के लिए विश्व प्रसिद्ध है और दुनिया भर से यहाँ पर्यटक इस खेल का आनन्द लेने आते हैं । धवल शीत गंगा जल के अतिरिक्त शारदा नदी में यह खेल आरम्भ किया गया है । शारदा नदी सरयू की सहायक नदी है जो चम्पावत जिले के तनकपुर से होकर गुजरती है । इस नदी के साथ एक राफ्टिंग पर्यटन पर्यटकों को टनकपुर में चरण मंदिर और 13 किमी दूर बूम तपस्वी बाबा आश्रम के बीच 4 रैपिड्स के माध्यम से ले जाती है। रिवर राफ्टिंग के लिए सबसे अच्छा समय दिसंबर से फरवरी तक है, जब बारिश के बाद जल स्तर कम होने के बाद ग्लेशियर से लदी नदियां एकदम स्वच्छ जल से भर जाती हैं। रिवर राफ्टिंग के साथ, पर्यटक नदी घाटियों और घाटियों की सुंदरता का आनंद ले सकते हैं, जिसमें रोमांच, आनंद और प्रफुल्ल कर देने वाला अनुभव है ।
अगर आप खुले आसमान में ऊंची उड़ान का अनुभव चाहते हैं तो उत्तराखंड में पैराग्लाइडिंग का प्रयास करें। आसमान की ऊंचाई पर जब पैरों के नीचे जमीन नहीं होती तो पहाड़ों और घाटियों को देखने का रोमांच भरने वाली स्मृति बन जाता है। उत्तराखंड में पैराग्लाइडिंग की सबसे अच्छी बात यह है कि यहां पैराग्लाइडिंग के लिए किसी पूर्व सूचना की जरूरत नहीं है। उत्तराखंड में पैराग्लाइडिंग के लिए दो सबसे प्रसिद्ध स्थान मुक्तेश्वर और रानीखेत हैं; यहां विशेषज्ञों के साथ जोड़ी पैराग्लाइडिंग उड़ानें उपलब्ध हैं। प्रिय शीतकालीन गंतव्य के अलावा, जो सुंदर सैर, साहसिक खेल और दर्शनीय स्थलों की यात्रा प्रदान करता है, पूरे उत्तराखंड में सर्दियों के महीनों में दिन के दौरान तेज धूप और रात में टिमटिमाते सितारों के साथ ट्रेकिंग और कैंपिंग के बेहतरीन अवसर मिलते हैं। तो सर्दियों के रोमांच के लिए उत्तराखंड की ओर निकल पड़िए..और क्या ।

 

बाल सृजन – दो कविताएं

क्रिसमस

क्रिसमस आया क्रिसमस आया
बच्चो के चेहरों पर खुशहाली छाया
सेंटाक्लॉज आयेंगे,
नए खिलौने लायेंगे
ठंडी ठंडी हवाओं में
कोई मैरी क्रिसमस गाता हैं
जिंगल बेल बज रहे हैं
क्रिसमस आ रहा हैं,
क्रिसमस आ रहा हैं।
बच्चे गाना गा रहे हैं,
सेंटा आया सेंटा आया।
क्रिसमस का ये प्यारा सा त्यौहार,
जीवन में लाया खुशियों का उपहार।

नाम- स्वाति शर्मा,

कक्षा – ६

विद्यालय – सेठ सूरजमल जालान बालिका विद्यालय

 

तितली

प्यारी-प्यारी तितली आई,
रंग बिरंगी तितली आई।
रंग-बिरंगे फूलों के,
मीठे रस को चूस रही है।
उपवन में मंडराती रहती,
फूलों से तुम बातें करती।
उन्मुक्त गगन में पंख फैलाती,
सबके मन को है बहलाती।
तुम तितली तो हो ही ऐसी,
बच्चे बूढ़े सभी को भाती।

नाम – दिशा साव
कक्षा- ६
विद्यालय का नाम- सेठ सूरजमल जालान बालिका विद्यालय

शुभजिता क्लासरूम – बाघ कविता पर प्रो. राजश्री शुक्ला का व्याख्यान

 

यह वीडियो हिन्दी के विद्यार्थियों के लिए सादर अनुमति लेते हुए लिया गया है । इस स्तम्भ के माध्यम से हम विषय के बन्धन से परे ऑनलाइन माध्यम से विद्यार्थियों की सहायता करने का प्रयास करते हैं । अगर आप शिक्षक हैं और यूट्यूब पर भी हैं तो अपने आलेखों एवं वीडियो से हमारे इस अभियान को मजबूत बना सकते हैं जिससे शिक्षा वहाँ तक पहुँचे और उन सभी तक पहुँचे…जहाँ इसकी जरूरत है…खासकर उन बच्चों तक जिनके पास महँगी शिक्षा प्राप्त के लिए पर्याप्त आर्थिक संसाधन नहीं हैं । इस तरह की प्रस्तुतियों में चैनल का लिंक आपके चैनल का ही होगा जिससे लोग आपके चैनल तक पहुँच सके अर्थात इस प्रस्तुति में साझेदारी आपके लिए सेतु का काम भी कर सकती है । इस वीडियो को उपयोग में लाने हेतु अनुमति देने के लिए हम प्रो. राजश्री शुक्ला के आभारी हैं ।

  • शुभजिता 

कामायनी में राष्ट्रीयता के साथ सार्वभौमिकता का समावेश – प्रो. सूर्यप्रसाद दीक्षित

प्रो. कल्याणमल लोढ़ा जन्मशती समारोह का समापन

सेठ सूरजमल जालान पुस्तकालय एवं श्री बड़ाबाजार कुमारसभा पुस्तकालय का साझा आयोजन
कोलकाता । ‘आनन्द के भारतीय दर्शन के शाश्वत कालजयी स्वरूप को प्रसाद प्रस्तुत करते हैं। कामायनी प्रासंगिकता का नहीं, शाश्वतता का प्रमाण है। रामचरितमानस की भाँति कामायनी भी शाश्वत कृति है। उसकी प्रासंगिकता की नहीं शाश्वत दर्शन की चर्चा होनी चाहिए। ‘सेठ सूरजमल जालान पुस्तकालय एवं श्री बड़ाबाजार कुमारसभा पुस्तकालय’ के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित प्रो. कल्याणमल लोढ़ा जन्मशती समारोह में बतौर मुख्य वक्ता उपस्थित प्रो. सूर्यप्रसाद दीक्षित (लखनऊ) ने कामायनी के दर्शन पर विचार रखते हुए यह बात कही। जन्मशती समारोह की श्रृंखला में आयोजित इस चतुर्थ एवं समापन समारोह को सम्बोधित करते हुए प्रो. दीक्षित ने अपने वैदुष्यपूर्ण वक्तव्य में ‘कामायनी के दर्शन’ में विश्वदर्शन की अवधारणा, वैज्ञानिकता और उपनिषदीय तत्वों के समावेश की चर्चा की। प्रसाद की समन्वयवादी– समष्टिवाद चेतना द्वारा समस्त मानव जाति, संस्कृति विचारधारा को व्याख्यायित किया। उन्होंने कहा कि जयशंकर प्रसाद की कामायनी में राष्ट्रीयता के साथ सार्वभौमिकता भी है।
विशिष्ट वक्ता डॉ. राहुल अवस्थी ने जयशंकर प्रसाद की प्रासंगिकता पर विचार करते हुए कहा कि अतीत के माध्यम से भविष्य को संवारने की दृष्टि प्रसाद साहित्य से प्राप्त होती है। डॉ. प्रेमशंकर त्रिपाठी ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में प्रो. कल्याणमल लोढ़ा से जुड़े प्रेरक संस्मरणों का उल्लेख किया एवं कवि – हृदय की चर्चा की। उन्होंने पाठकों को कामायनी के अध्ययन हेतु ‘चैतन्यवादी–आनंदवादी–समष्टिवादी’ सूत्र दिया। कार्यक्रम का संयोजन एवं संचालन करते हुए डॉ. कमल कुमार ने प्रो. लोढ़ा की जन्मशती के दौरान हुये कार्यक्रमों की रूपरेखा प्रस्तुत की। सेठ सूरजमल जालान पुस्तकालय के अध्यक्ष भरत जालान ने धन्यवाद ज्ञापित किया। मंच पर श्री बड़ाबाजार कुमारसभा पुस्तकालय के अध्यक्ष महावीर बजाज भी उपस्थित थे।
कार्यक्रम की शुरुआत महानगर के लोकप्रिय गायक ओम प्रकाश मिश्र द्वारा प्रसाद के गीतों की सांगीतिक प्रस्तुति से हुई। स्वागत भाषण सेठ सूरजमल जालान पुस्तकालय की मंत्री दुर्गा व्यास ने दिया। अथितियों का स्वागत किया प्रो. राजश्री शुक्ला, डॉ सत्या उपाध्याय, डॉ. तारा दूगड़, विश्वम्भर नेवर, डॉ अभिजीत सिंह, अरुण प्रकाश मल्लावत ने।
इस अवसर पर बड़ी संख्या में महानगर के साहित्यकार, पत्रकार, शिक्षाविद एवं विद्यार्थी विद्यार्थी उपस्थित थे। जिनमें अनिल ओझा नीरद, राजगोपाल सुरेका, डॉ. कमलेश पाण्डेय, डॉ किरण सिपानी, डॉ. कमलेश जैन, रामपुकार सिंह, लक्ष्मण केडिया, डॉ. संजय कुमार जायसवाल, विधुशेखर शास्त्री, रमाकांत सिन्हा, नंदलाल रोशन, योगेशराज उपाध्याय, डॉ. रामप्रवेश रजक, डॉ. राकेश पाण्डेय, मनीषा त्रिपाठी, डॉ. अभिजीत सिंह, मंटू दास, ब्रह्माशंकर दूबे, दिव्या प्रसाद, रोशन पाण्डेय, गायत्री बजाज, बलवंत सिंह, सत्यप्रकाश राय, देवेश मिश्रा, मौसमी प्रसाद, राहत सिंह प्रमुख थे। कार्यक्रम को सफल बनाने में पुस्तकाध्यक्ष श्रीमोहन तिवारी, परमजीत पंडित, विवेक तिवारी, मनीषा गुप्ता, अरविंद तिवारी एवं विजय कुमार जोशी समेत अन्य कई लोगों का योगदान रहा।

हीरों के आभूषण ब्रांड जिवाराह का नया शोरूम महानगर में

कोलकाता । हीरा आभूषण निर्माता ब्रांड जिवाराह का शोरूम महानगर में खुल गया है । महानगर के सॉल्टलेक में सिटी सेंटर 1 मॉल में अपना दूसरा आउटलेट शुरू किया है । यह ब्रांड हल्के वजन वाले असली हीरों से बने नवीनतम ज्वेलरी कलेक्शन के लिए काफी प्रसिद्ध है। टॉलीवुड अभिनेत्री नुसरत जहाँ ने शोरूम का उद्घाटन किया ।
कम्पनी के मुताबिक इसका प्रत्येक उत्पाद आईजीआई प्रमाणित है, जिस पर डायमंड वेट लेजर एन्क्रिप्टेड है, जो बेहतरीन कट और चमक के साथ प्राकृतिक हीरे की सुंदरता प्रदान करता है। इस ब्रांड की सोने की चेन, सोने के गहने, हीरे के आभूषण, प्राचीन आभूषण, मंदिर के आभूषण और जड़ाऊ आभूषण का नवीनतम कलेक्शन इसमें शामिल हैं। इसके अलावा लेटेस्ट डिजाइन की अंगूठियां, झुमके, टॉप, कंगन, आकर्षण कंगन, चूड़ियाँ, नाक पिन, चेन, हार, लटकन, बच्चों का संग्रह और भी बहुत कुछ इन स्टोर में उपलब्ध है।

प्रदर्शित हुई बांग्लादेशी फिल्म ‘हवा’

कोलकाता । लोकप्रिय बांग्लादेशी अभिनेता चंचल चौधरी ने अपनी फिल्म ‘हवा’ के बांग्लादेश की ओर से ऑस्कर के लिए के आधिकारिक प्रविष्टि बनने के बीच भारत और बांग्लादेश के बीच मुक्त कलात्मक आदान- प्रदान पर जोर दिया। । चौधरी ने कहा कि उन्हें खुशी है कि ‘विजय दिवस’ पर शुक्रवार से पश्चिम बंगाल के सिनेमाघरों में -‘हवा’ प्रदर्शित की गयी । 1971 में पाकिस्तान पर भारत की जीत के तौर पर विजय दिवस मनाया जाता है। इस युद्ध के फलस्वरूप बांग्लादेश अस्तित्व में आया था जो पूर्वी पाकिस्तान के तौर पर पाकिस्तान का हिस्सा था। चौधरी ने कहा, ‘‘ हमारी फिल्में कोलकाता के सिनेमाघरों में नहीं दिखायी जा सकती हैं, आपकी फिल्में ढाका के सिनेमाघरों में नहीं दिखायी जा सकती हैं। जब जिंसों का व्यापारिक विनिमय आसान बनाया गया है और साहित्यिक विनिमय बढ़ गया है, तब बांग्लादेश और भारत में बनने वाली फीचर फिल्मों के साथ ऐसा क्यों नहीं हो सकता है?’’

चौधरी को अतीत में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का बांग्लादेश का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिल चुका है। उनकी हाल की फिल्म ‘हवा’ मछुआरों के एक समूह की कहानी है जिसके जाल में गहरे समुद्र में एक सुंदर महिला आ जाती है। चौधरी 28 वें कोलकाता अंतरराष्ट्रीय फिल्मोत्सव में हिस्सा लेने के लिए कोलकाता पहुँचे थे ।

अपनी भाषा में लौटना अपने ‘चित्त’ में लौटना है : डॉ. विजय बहादुर सिंह

कोलकाता  । ‘अपनी भाषा’ संस्था का ‘जस्टिस शारदा चरण मित्र स्मृति भाषा सेतु सम्मान 2022’ अपने रचनात्मक अवदान एवं अनुवाद कार्य द्वारा हिन्दी व संताली के बीच सेतु निर्मित करने वाले विशिष्ट अनुवादक साहित्यकार अशोक सिंह को प्रदान किया गया। यह समारोह महाबोधि सदन सभागार में संपन्न हुआ। समारोह के उत्सव- मूर्ति रहे श्री अशोक सिंह ने संताली भाषा के इतिहास और वर्तमान पर विशद चर्चा की। उन्होंने संताली की वाचिक परम्परा से लिखित स्वरूप तक आने के भाषाई संघर्ष को रेखांकित करते हुए उसकी व्यापकता में अनुवाद की महत्वपूर्ण भूमिका पर बात रखी । इस अवसर पर ‘भाषिक उदासीनता और हमारा समय’ विषय पर एक राष्ट्रीय संगोष्ठी भी आयोजित की गई। संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए डॉ. विजय बहादुर सिंह ने कहा कि भाषा के मामले में समाज को पहले सचेत और आजाद होना होगा । केवल सरकार, राजनीति या बाजार को दोष न देकर भाषा की अस्मिता को बचाया जाना चाहिए । उन्होंने धर्मपाल की प्रसिद्ध पुस्तक भारतीय चित्त मानस और काल के हवाले से कहा कि अपनी भाषा में लौटने का सवाल अपने चित्त में लौटने से है । प्रधान वक्ता के तौर पर डॉ. राकेश पांडेय ने कहा कि देश की सारी भाषाओं को संरक्षण मिलना चाहिए और उन्हें समृद्ध किया जाना चाहिए । हिंदी के लगातार सिमटते जाने के मूल में हमारी भाषिक उदासीनता ही जिम्मेवार है । विशिष्ट वक्ता डॉ. सुप्रकाश सरकार ने बांग्ला में अपनी बात रखते हुए कहा कि भाषा का समाजीकरण करना जरूरी है ताकि विभिन्न भाषा-भाषी एक दूसरे के और करीब आ सकें । डॉ. इबरार खान ने भाषा और धर्म के घालमेल पर चिंता जताते हुए कहा कि भाषा को धर्म के साथ जोड़ना विल्कुल अनुचित है । संस्था के मुख्य संरक्षक व पुर्व अध्यक्ष प्रो. अमरनाथ ने कार्यक्रम में नई पीढ़ी की सार्थक सहभागिता को धन्यवाद देते हुए कहा कि आने वाला समय बड़ा खतरनाक है । हम सभी को एकजुट होकर भारतीय भाषाओं की उन्नति के लिए लगातार संघर्ष करना होगा । स्वागत भाषण रखते हुए संस्था के महासचिव डॉ. सत्यप्रकाश तिवारी ने अपनी भाषा संस्था के अब तक के संघर्ष को रेखांकित किया । सत्र का सफल संचालन डॉ. विक्रम साव ने किया। कार्यक्रम का समापन सुश्री लिली साह के धन्यवाद ज्ञापन से हुआ।  कार्यक्रम की सफलता में संस्था के अध्यक्ष डॉ. अरूण होता की महती भूमिका रही । इस अवसर पर विभिन्न विद्यालयों, महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालय से बड़ी संख्या में आए विद्वानों एवं विद्यार्थियों ने शिरकत की ।

 प्रस्तुतिः डॉ.बीरेन्द्र सिंह

 

 

 

 

 

 

 

 

आदिवासी जीवन और संस्‍कृति पर केंद्रित होगा 28वां हिंदी मेला 

कोलकाता । देश में मातृभाषा प्रेम, सांस्कृतिक विविधता और अभिव्यक्ति की आजादी के पक्ष में कोलकाता का सात दिनों का हिंदी मेला आगामी 26 दिसंबर को शुरू हो रहा है। इसका उद्घाटन मानिकतला के राममोहन हाल में लघु नाटक मेला के साथ होगा और 1 जनवरी तक बाकी 6 दिनों का आयोजन पास के फेडरेशन हॉल सोसाइटी में होगा।

हिंदी मेला की राष्ट्रीय संगोष्ठी में देश के कई सुप्रसिद्ध हिंदी साहित्यकार और आदिवासी विमर्शकार आ रहे हैं। उनमें मोहनदास नैमिषराय, भगवानदास मोरवाल, रवि भूषण, मधु कांकरिया, अवधेश प्रधान, महादेव टोप्पो,मृत्युंजय कुमार सिंह आदि प्रमुख हैं। एक प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए मिशन के संयुक्त महासचिव प्रो. संजय जायसवाल ने 28वें हिंदी मेले की केंद्रीय थीम पर चर्चा करते हुए कहा कि आदिवासी साहित्य -संस्कृति से महानगर के लोगों का संवाद इस बार का फोकस है। इसका उद्देश्य भारतीय संस्कृति की अखंडता को मजबूत करना है। इस अवसर पर विशेष रूप से उपस्थित प्रसिद्ध कवि आलोचक डा. विजय बहादुर सिंह ने कहा कि हिंदी मेला में गांवों के मेले की आत्मा है और पूरे देश में यह एक अनोखा प्रयोग है। शिक्षाविद और मिशन के अध्यक्ष शंभुनाथ ने कहा कि जब देश में कहीं लिटरेरी फेस्टिवल नहीं होता था, तब से हिंदी मेला हो रहा है। इसमें पटाखे न हों, पर यह हिंदी में अखंड भारतीय आत्मा का उत्सव है। इस अवसर पर डा. राजेश मिश्र, रामनिवास द्विवेदी और महेश जायसवाल ने भी हिंदी मेला का अभिनंदन किया।

कोलकाता का हिंदी मेला युवाओं और विद्यार्थियों के लिए एक पहचान बन चुका है। इस मेले का मुख्य आकर्षण इस बार विभिन्न भाषाओं के गान पर नृत्य और मल्टीमीडिया काव्य प्रस्तुति है। हिंदी मेला में देश के दूसरे राज्यों के विश्वविद्यालयों के भी विद्यार्थी बड़ी संख्या में भाग लेते हैं। हिंदी मेला विद्यार्थियों और नौजवानों के बीच खासतौर पर लोकप्रिय है और कोलकाता का गौरव है।

हिंदी मेला भारत में अपनी तरह का अनोखा है। यह बच्चों, विद्यार्थियों और नौजवानों के बीच साहित्य को लोकप्रियकरण बनाने का अभियान है। इसमें पश्चिम बंगाल के विभिन्न कोनों से 3000 से अधिक बच्चे, विद्यार्थी और नौजवान भाग ले रहे हैं। हिंदी मेले का उद्देश्य युवाओं के मन में हिंदी भाषा, साहित्य और उदार भारतीय संस्कृति के प्रति अनुराग पैदा करना है और युवाओं की सृजनात्मक प्रतिभा को प्रकाश में लाना है।

28वें हिंदी मेले में कई सांस्कृतिक प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया है, जिनमें लघु नाटक, काव्य आवृत्ति, काव्य संगीत, काव्य नृत्य, आशु भाषण, हिंदी प्रश्न मंच, लोक गीत, कविता पोस्टर, मल्टीमीडिया, रचनात्मक लेखन, कविता कोलाज, वाद-विवाद, फोटोग्राफी और चित्रांकन प्रमुख हैं। इन प्रतियोगिताओं में भाग लेने वाले नौजवानों और विद्यार्थियों के पुरस्कार हिंदी के बड़े साहित्यकारों के नाम पर हैं। बच्चे और युवा निराला, प्रसाद, महादेवी वर्मा, नागार्जुन, अज्ञेय, मुक्तिबोध, हरिवंश राय बच्चन, धूमिल, सर्वेश्वर, केदारनाथ सिंह, मंगलेश डबराल, अनामिका, कात्‍यायनी, कुमार अंबुज, दुष्यंत कुमार आदि की कविताओं की आवृत्ति करते हैं, उन्हें वाद्ययंत्र पर गाते हैं, उन कविताओं के भाव पर आधारित नृत्य करते हैं और पोस्टर या चित्र बनाते हैं। हिंदी मेला में लोक धुनों के बाजारीकरण के समानांतर स्वस्थ लोकगीत सांस्कृतिक उमंग के साथ गाए जाते हैं। हिंदी मेला साहित्य और कलाओं का अंत:संबंध मजबूत करने का अभियान भी है।

यह चिंताजनक है कि उच्चत्तर उद्देश्यों को समर्पित शिक्षण-संस्थान भी पॉप कल्चर की चपेट में आ गए हैं। हिंदी मेला की सांस्कृतिक प्रतियोगिताएं पॉप कल्चर के प्रतिवाद और असहमति में खड़ी हैं। सांस्कृतिक पुनर्निर्माण मिशन ने यह निर्णय लिया है कि इस वर्ष कोलकाता विश्वविद्यालय की पूर्व प्रोफेसर चंद्रकला पांडेय (कोलकाता) एवं बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर अवधेश प्रधान (बनारस) को ‘कल्याणमल लोढ़ा-लिली लोढ़ा शिक्षा सम्मान’ प्रदान किया जाएगा। हिंदी मेला हिंदी की अखंडता और भारतीय भाषाओं के आत्मसम्मान की रक्षा के लिए एक विशिष्ट आवाज है। यह उल्लेखनीय है कि हिंदी मेला शिक्षकों, लेखकों और साहित्य प्रेमियों के आर्थिक सहयोग के साथ हो रहा है। जमीन से जुड़ा इस तरह का हिंदी मेला अन्य हिंदी राज्यों में भी आयोजित होना चाहिए।

ब्रेथवेट को 2023 में 1 हजार करोड़ के टर्नओवर की उम्मीद

वैगन निर्माण पर निर्भरता 50 प्रतिशत कम हुई
कोलकाता । ब्रेथवेट एंड कम्पनी लिमिटेड ने अपने राजस्व के लिए वैगन निर्माण पर निर्भरता 50 प्रतिशत कम कर दी है । 2022 में कम्पनी की आय 764 करोड़ रुपये रही और वित्त वर्ष 2023 में कम्पनी को राजस्व में 30 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 1 हजार करोड़ रुपये के टर्नओवर की उम्मीद है । मर्चेन्ट्स चेम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री द्वारा आयोजित परिचर्चा सत्र को सम्बोधित करते हुए ब्रेथवेट एंड कम्पनी लिमिटेड के चेयरमैन एवं एम डी यतीश कुमार ने यह जानकारी दी । उन्होंने कहा कि 2017 में ब्रेथवेट एक बीमार इकाई थी और कम्पनी की नेट वर्थ 2017 -18 में जहाँ 5.8 करोड़ रुपये थी । यहीं से बदलाव शुरू हुआ और अब चालू वित्त वर्ष में 200 करोड़ रुपये हो जायेगी ।
कुमार ने कहा कि “2018-19 में हमारा 98 प्रतिशत राजस्व वैगनों से आता था, लेकिन हमने घाटे से उबरने के लिए नए क्षेत्रों में विविधीकरण के माध्यम से निर्भरता को घटाकर 50 प्रतिशत कर दिया है। कम्पनी ने 4 साल में 11 नये व्यवासयिक द्वार खोले हैं और हर माह 1 हजार वैगन कम्पनी बना रही है ।

हमने बड़े पैमाने पर सेवा क्षेत्र में प्रवेश किया है जैसे – ओ एंड एम, सिविल निर्माण, कंटेनर निर्माण, फाउंड्री, सामग्री हैंडलिंग और सौर उर्जा जैसे क्षेत्र । रेल मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत काम कर रहे इस पीएसयू का लक्ष्य 2025 तक 2,500 करोड़ रुपये के राजस्व का है । इसके बाद वह पूँजी बाजार में प्रवेश के लेकर विचार करेगा । यतीश कुमार ने कहा कि कम्पनी के पास 500 करोड़ रुपये की ऑर्डर बुक है और फिलहाल घरेलू बाजार प्राथमिकता है । ब्रेथवेट सौर उर्जा के क्षेत्र में भी प्रवेश कर रही है और डीवीसी के साथ 10 मेगावाट का सोलर पावर प्लांट लगा रहा है औप महाराष्ट्र के लिए 500 मेगावाट सोलर पावर प्लांट लगा रहा है ।
ध्यातव्य है कि कम्पनी को मिनी रत्न -1 का दर्जा प्राप्त है और अब महारत्न का दर्जा पाने हेतु प्रयासरत है और कुछ वर्षों में इसे प्राप्त कर लिया जाएगा । स्वागत भाषण एमसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष अतुल चूड़ीवाल ने दिया । धन्यवाद ज्ञापन एमसीसीआई की लॉजिस्टिक्स, ट्रान्सपोर्ट एवं शिपिंग कमेटी के चेयरमैन लवेश पोद्दार ने दिया ।