Thursday, August 21, 2025
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सिनेमाहॉल में खाना हुआ सस्ता, कैंसर की दवाओं पर नहीं लगेगा टैक्स

ऑनलाइन गेमिंग और कैसिनो पर 28 प्रतिशत जीएसटी
नयी दिल्ली । जीएसटी काउंसिल की बैठक में बड़े फैसले लिए गए हैं। मंगलवार को नई दिल्ली में जीएसटी काउंसिल की 50वीं बैठक हुई। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस बैठक की अध्यक्षता की। सीतारमण ने मंगलवार शाम प्रेस ब्रीफिंग कर मीटिंग में लिये गए फैसलों की जानकारी दी। जीएसटी काउंसिल ऑनलाइन गेमिंग, घुड़दौड़ और कैसिनो की फुल वैल्यू पर 28 फीसदी जीएसटी लगाने पर सहमत हो गई है। साथ ही अब सिनेमाहॉल में खाना सस्ता होगा। जीएसटी काउंसिल ने सिनेमाहॉल में खाने-पीने के सामान पर जीएसटी कटौती का फैसला लिया है। जीएसटी काउंसिल ने सिनेमाहॉल में सर्व होने वाले खाने पर टैक्स को घटाकर 5 फीसदी कर दिया है। इसके अलावा अब कैंसर की इंपोर्टेड दवा पर आईजीएसटी नहीं लगेगा। जीएसटी काउंसिल की बैठक में जीएसटी ट्रिब्यूनल के गठन को भी मंजूरी दी गई है।
सिनेमाहॉल में खाना अब मिलेगा सस्ता
अगर आप मूवी लवर हैं, तो आपके लिए अच्छी खबर है। जीएसटी काउंसिल की 50वीं बैठक में एक बड़ा फैसला हुआ है। सिनेमा हॉल्स में सर्व होने वाले फूड्स पर जीएसटी रेट को घटाकर 5 फीसदी कर दिया गया है। यह पहले 18 फीसदी था। इसके अलावा कुछ अन्य उत्पादों पर भी जीएसटी घटाया गया है। बैठक में अनकुक्ड फूड पैलेट, मछली और सॉल्यूब पेस्ट पर भी टैक्स घटाया गया है। इन उत्पादों पर जीएसटी को 18 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी कर दिया गया है।
कैंसर मरीजों को बड़ी राहत
जीएसटी काउंसिल ने कैंसर के मरीजों को एक राहत दी है। अब कैंसर की इंपोर्टेड दवा पर आईजीएसटी नहीं लगेगा। जीएसटी काउंसिल की बैठक में कैंसर से लड़ने में काम आने वाली दवाओं और दुर्लभ बीमारियों के लिए काम आने वाली दवाओं को जीएसटी से छूट देने का फैसला लिया है। इससे कैंसर की दवा Dinutuximab सस्ती हो जाएगी।
इन ऑनलाइन गेमिंग स्टॉक्स पर रहेगा फोकस
जीएसटी काउंसिल में हुए एक फैसले से बुधवार के सत्र में ऑनलाइन गेमिंग स्टॉक्स पर फोकस बढ़ जाएगा। जीएसटी काउंसिल ऑनलाइन गेमिंग को एक झटका दिया है। काउंसिल ने ऑनलाइन गेमिंग की फुल वैल्यू पर 28 फीसदी जीएसटी लगाने का फैसला लिया है। इस समय टॉप गेमिंग शेयरों में रेखा झुनझुनवाला समर्थित नाजारा टेक्नोलॉजीज, जेनसर टेक्नोलॉजीज, डेल्टा कॉर्प, ऑनमोबाइल ग्लोबल, टेक महिंद्रा, टीसीएस और इंफोसिस शामिल हैं।
एसयूवी की परिभाषा में बदलाव
बैठक के बाद सीतारमण ने संवाददाताओं से कहा कि वर्तमान में उपकर लगाने के लिये एसयूवी की परिभाषा में चार मानदंड रखे गये हैं। ये मानदंड हैं- वह एसयूवी के रूप में लोकप्रिय हो, लंबाई चार मीटर या उससे अधिक, इंजन क्षमता 1,500 सीसी या उससे अधिक होनी चाहिए और बिना वजन के उसका ‘ग्राउंड क्लियरेंस’ न्यूनतम 170 मिमी होना चाहिए। हालांकि, अब एसयूवी की परिभाषा में बदलाव करते हुए केवल तीन मापदंडों को ही रखा गया है और उसके एसयूवी के रूप में लोकप्रिय होने वाला मानदंड हटा दिया गया है।

यह हुआ है संशोधन
वित्त मंत्रालय ने एक अधिसूचना के जरिए से धन शोधन रोधक अधिनियम (पीएमएलए), 2022 में संशोधन किया है। इसके तहत जीएसटी की प्रौद्योगिकी इकाई संभालने वाली जीएसटीएन को उन इकाइयों में शामिल कर लिया गया है, जिनके साथ ईडी सूचना शेयर कर सकता है। इसके अलावा परिषद ने निजी कंपनियों की तरफ से दी जाने वाली उपग्रह प्रक्षेपण सेवाओं को भी जीएसटी से छूट देने का भी फैसला किया।

80 प्रतिशत लोग प्लास्टिक नहीं, पेपर बैग चाहते हैं – सर्वे

नयी दिल्ली । भारत में प्लास्टिक की थैलियों के इस्तेमाल को लेकर एक सर्वे किया गया है। पूरे भारत में 8 लाख से अधिक लोगों को सर्वे में शामिल किया गया। जिनमें से 80 प्रतिशत लोगों का कहना है कि प्लास्टिक की थैलियों को पूरी तरह से पेपर बैग से बदल दिया जाए। यह पर्यावरण के बारे में बढ़ती जागरूकता को प्रदर्शित करता है। विश्व पेपर बैग दिवस के अवसर पर, न्यूज एग्रीगेटर इनशॉर्ट्स ने बुधवार को प्लास्टिक बैग के विकल्प के रूप में पेपर बैग को अपनाने के प्रति लोगों की जागरूकता और इच्छा को जानने के लिए राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण को सार्वजनिक किया। प्लास्टिक प्रदूषण के हानिकारक प्रभावों के बारे में जागरूकता फैलाने और पर्यावरण-अनुकूल विकल्पों को अपनाने को बढ़ावा देने के उद्देश्य से प्रति वर्ष 12 जुलाई को विश्व पेपर बैग दिवस मनाया जाता है। सर्वेक्षण में हिस्सा लेने वाले 85 प्रतिशत लोगों को जानकारी है कि भारत में एकल-उपयोग प्लास्टिक बैग पर प्रतिबंध है। सर्वे के परिणामों से यह भी पता चला कि करीब 79 प्रतिशत लोग जब किराने का सामान और रोजमर्रा की वस्तुओं की खरीदारी के लिए बाहर निकलते हैं तो अपना बैग खुद ले जाते हैं।
इसके अलावा, सर्वेक्षण में शामिल 46 प्रतिशत लोग दुकानदारों द्वारा प्लास्टिक बैग की पेशकश करने पर सक्रिय रूप से स्वीकार करने से इनकार कर देते हैं। जब उनसे पूछा गया कि क्या वे खरीदारी करते समय दुकानों द्वारा उपलब्ध कराए गए पेपर बैग के लिए थोड़ी सी राशि का भुगतान करने में सहज हैं, तो 62 प्रतिशत लोगों ने पॉजिटिव जवाब दिया।
सर्वेक्षण में शामिल लगभग 80 प्रतिशत लोगों का मानना है कि शानदार भविष्य के निर्माण की दिशा में एक कदम के रूप में सभी दुकानों में प्लास्टिक की थैलियों के स्थान पर पेपर बैग का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। सर्वेक्षण के निष्कर्षों से पता चला कि 53 प्रतिशत उत्तरदाताओं का मानना है कि प्लास्टिक बैग, पेपर बैग की तुलना में अधिक सुविधाजनक हैं।

अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट में रविचंद्रन अश्विन के 700 विकेट पूरे

डोमिनिका । वेस्टइंडीज के खिलाफ पहले टेस्ट मैच में रविचंद्रन अश्विन ने इतिहास रच दिया है। अश्विन इंटरनेशनल क्रिकेट में 700 विकेट लेने वाले गेंदबाज बन गए हैं। वेस्टइंडीज के खिलाफ तीन विकेट लेते ही अश्विन ने इस उपलब्धि को हासिल कर लिया है। इस मामले में उन्होंने हरभजन सिंह और अनिल कुंबले के खास क्लब में एंट्री मार ली है।
वेस्टइंडीज के खिलाफ इस मैच में अश्विन ने सबसे पहले टेगेनारिन चंद्रपॉल को अपना शिकार बनाया। इसके बाद अश्विन ने कप्तान क्रेग ब्रेथवेट को आउट किया। वहीं उनका तीसरा शिकार अल्जारी जोसेफ बने। टेस्ट क्रिकेट में अश्विन के अब 477 विकेट हो गए हैं। अश्विन अपने करियर का यह 93वां टेस्ट मैच खेल रहे हैं।
वहीं भारत के खिलाफ इस मुकाबले में वेस्टइंडीज के कप्तान क्रेग ब्रेथवेट ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला किया था। हालांकि उनका यह फैसला कारगार नहीं रहा और लगातार अंतराल विकेट गंवाते रहे। गेंदबाजी में टीम इंडिया के खिलाड़ियों ने लंच ब्रेक तक ही 68 रन के स्कोर 4 विकेट झटक लिए थे।
बैटिंग बना चुके हैं 4 हजार रन
अश्विन अनिल कुंबले के बाद टेस्ट क्रिकेट में भारत के लिए सबसे अधिक विकेट लेने वाले गेंदबाज हैं। सिर्फ गेंदबाजी में ही नहीं, बैटिंग में अश्विन ने अपना कमाल दिखाया है। अश्विन भारत के लिए बैटिंग में कुल 4 हजार बना चुके हैं। इंटरनेशनल क्रिकेट में 700 विकेट और 4 हजार रन बनाने वाले वह भारत के पहले खिलाड़ी बने हैं।
भारत के लिए सबसे अधिक इंटरनेशनल विकेट लेने के मामले में अनिल कुंबले पहले स्थान पर हैं। उन्होंने भारत के लिए कुल 956 विकेट हासिल किए हैं। वहीं पूर्व ऑफ स्पिनर हरभजन सिंह दूसरे स्थान पर हैं। हरभजन ने अपने करियर में तीनों फॉर्मेट को मिलाकर 711 विकेट लिए हैं।
टेस्ट में दूसरे नंबर हैं अश्विन
रविचंद्रन अश्विन टेस्ट क्रिकेट में विकेट लेने के मामले में दूसरे स्थान पर हैं। भारत के लिए सबसे अधिक अनिल कुंबले ने 132 मैचों में 619 विकेट अपने नाम किए हैं। कुंबले ने 35 बार टेस्ट मैचों में पंजा खोला है। वहीं अश्विन अपने 93वें टेस्ट में 479 विकेट हासिल कर चुके हैं। उन्होंने 33 बार मैच में पांच या इससे विकेट अपने नाम किया है। इसके अलावा हरभजन सिंह के खाते में 474 विकेट दर्ज है। हरभजन ने टेस्ट मैच में 23 बार पांच या इससे विकेट लिया है।

 

द्वारकाधीश मंदिर में अब पांच नहीं हर रोज लगेंगी छह ध्वजा

बुकिंग सिस्टम में होगा बदलाव

अहमदाबाद । गुजरात के द्वारका में स्थित विश्व प्रसिद्ध जगत मंदिर में पांच की बजाए छह ध्वजा फहराई जाएंगी। मंदिर का प्रबंधन संभालने वाली द्वारकाधीश देवस्थान समिति की बैठक में यह ऐतिहासिक फैसला लिया है। ऐसे में अब द्वारकाधीश मंदिर में ध्वजा फहराने का नया नियम लागू किया गया है। पिछले दिनों जब गुजरात में बिपरजॉय चक्रवात आया था तो मंदिर तीन दिनों तक ध्वजा नहीं फहराई जा सकी थी, हालांकि बिपरजॉय संकट को टालने के लिए मंदिर एक साथ दो ध्वजा लगाई गई थी, लेकिन बाद में उन्हें तेज हवा के चलते नहीं बदला जा सका था।द्वारकाधीश देवस्थान समिति की बैठक में प्रतिदिन पांच की बजाए छह ध्वजा फहराने के नियम से वेटिंग कम होने की उम्मीद है। भगवान द्वारकाधीश के जगत मंदिर में प्रतिदिन लाखों श्रद्धालु आते हैं। जगत मंदिर के शिखर पर प्रतिदिन 5 ध्वजा फहराई जाती थी। अब छह ध्वजा लगने से लोगों का इंतजार जल्दी खत्म होगा। बिपरजॉय चक्रवात के गुजरने के बाद मंदिर समिति ने पिछले 15 दिनों तक छह-छह ध्वजा लगाने का फैसला लिया था, ताकि बिपरजॉय के चलते जो वेटिंग हुई थी उसे खत्म किया जा सके। अब समिति ने आगे हर रोज छह ध्वजा लगाने का नियम लागू कर दिया है।2024 तक की है वेटिंग
द्वारकाधीश मंदिर में ध्वजा चढ़ाने के लिए लंबी वेटिंग है। मंदिर प्रशासन के अनुसार अगले साल 2024 तक ध्वजा चढ़ाने के लिए बुकिंग हो चुकी है। मसलन अगर आज कोई बुकिंग करता है तो उसे 2024 में आखिर को कोई स्लॉट मिलेगा। खंभालिया में कलेक्टर सह द्वारकाधीश देवस्थान समिति के अध्यक्ष अशोक शर्मा की अध्यक्षता में समिति की हुई बैठक में यह बड़ा फैसला लिया गया।
ऑनलाइन होगा ध्वजा आवंटन
द्वारकाधीश मंदिर में ध्वजा चढ़ाने के लिए ऑनलाइन पोर्टल शुरू किया जाएगा। इससे लोग घर बैठे द्वारकाधीश मंदिर में ध्वजा चढ़ाने के लिए बुकिंग कर पाएंगे। मंदिर प्रशासन से जुड़े लोगों का कहना है कि ऑनलाइन सिस्टम से देश और विदेश के श्रद्वालुओं को सुविधा होगी और पूरी व्यवस्था पारदर्शी हो जाएगी। आगे ध्वजा चढ़ाने का आवंटन एक ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से किया जाएगा।

दूसरों के दुख-दर्द से जुड़ना ही मनुष्य जीवन की सार्थकताः प्रतिभा सिंह

अनाथ बच्चों के बीच वीरांगनाओं ने गुजारा समय

हावड़ा । अंतरराष्ट्रीय क्षत्रिय वीरांगना फ़ाउंडेशन, पश्चिम बंगाल की वीरांगनाओं ने बादामी देवी शिशु कल्याण केन्द्र, मल्लिक फाटक, हावड़ा में अनाथ बच्चों के साथ वक्त बिताया। उनका हालचाल पूछा और उन्हें भोजन भी कराया।
संगठन की प्रदेश अध्यक्ष और विख्यात गायिका व अभिनेत्री प्रतिभा सिंह ने इस अवसर पर कहा कि दूसरों के दुखदर्द से जुड़ना ही मनुष्य जीवन की सार्थकता है। अनाथ बच्चों के बीच संगठन महासचिव प्रतिमा सिंह, संयुक्त महासचिव ममता सिंह, सोदपुर इकाई की अध्यक्ष सुनिता सिंह, महासचिव आशा सिंह, पदाधिकारी जयश्री सिंह, मंजू सिंह, कोलकाता की महासचिव इंदु संजय सिंह, कोषाध्यक्ष संचिता सिंह, पदाधिकारी मीरा सिंह, गीता सिंह, इंदु सिंह, सुमन सिंह तथा वीरांगना नारी शक्ति की पदाधिकारी शकुंतला साव तथा रंजना त्रिपाठी विशेष तौर पर उपस्थित थीं।

समकालीन साहित्य में किन्नर विमर्श पर संगोष्ठी का आयोजन

कोलकाता। भारतीय भाषा परिषद में प्रगति शोध फाउंडेशन द्वारा पुस्तक विमोचन और ‘समकालीन साहित्य में किन्नर विमर्श’ पर एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन हुआ। कार्यक्रम की शुरुआत श्रीप्रकाश गुप्ता के शोक ज्ञापन के साथ किया गया। इस अवसर पर प्रकाश त्रिपाठी की संपादित पुस्तक ‘समकालीन साहित्य में किन्नर विमर्श’, अशोक आशीष की पुस्तक ‘गुम हुई पगडंडियों की तलाश’, गरिमा भाटिया की पुस्तक ‘पहल; बढ़ते कदम कामयाबी की ओर’ और डॉ. मीना घुमे निराली की पुस्तक ‘मुक्ति; स्त्री मुक्ति के आधुनिक संदर्भ’ का विमोचन हुआ। बीज वक्तव्य देते हुए महेंद्र भीष्म ने कहा कि कोई स्त्री लेखिका अपनी पीड़ा को लिख सकती है, दलित अपनी पीड़ा को दर्ज कर सकते हैं लेकिन किन्नर अपनी पीड़ा को शब्दबद्ध नहीं कर सकते क्योंकि ये अक्सर पढ़े-लिखे नहीं है इसलिए लेखक समाज को इनकी पीड़ा को व्यक्त करने के लिए सामने आना चाहिए, परिषद के निदेशक डॉ. शम्भुनाथ ने कहा कि पौराणिक काल से लेकर आज तक किन्नर हमारे समाज में अपनी सह्रदयता, प्रतिभा और शुभाकांक्षा के साथ रहते आए हैं।विगत पंद्रह वर्षों से किन्नर विमर्श ने समाज में अपने लिए स्पेस बनाया है।उनको संवैधानिक अधिकार के साथ सामाजिक स्वीकृति अभी मिलना बाकी है। ताजा टीवी के निदेशक विश्वम्भर नेवर ने कहा कि किन्नर के जीवन में आर्थिक और सामाजिक दो समस्याएं मुख्य रूप से बनी हुई हैं। प्रथम सत्र की अध्यक्षता करते हुए प्रो मंजूरानी सिंह ने कहा कि दिवंगत श्रीप्रकाश गुप्ता के सपने का प्रतिफलन है किन्नर विमर्श पर आयोजित यह संगोष्ठी।किन्नर हमारे जीवन के अभिन्न अंग हैं।उन्हें उपेक्षित दृष्टि की जगह संवेदनशील ढंग से देखने की जरूरत है। डॉ. इतु सिंह ने समकालीन हिंदी कविता में मौजूद किन्नर विमर्श को रेखांकित करते हुए कहा कि किन्नर की स्थिति पर उपहास की जगह हमें उन्हें प्रोत्साहित करते हुए उन्हें उनकी विशिष्टताओं के साथ जीवन व्यतीत करने में मदद करना चाहिए।इस अवसर पर डॉ. मीना घुमे, डॉ रश्मि वार्ष्णेय और प्रिया पाण्डेय रोशनी में शोध सार का वाचन किया। दूसरे सत्र की अध्यक्षता करते हुए विजय किशोर पाण्डेय ने कहा कि हिंदी का समकालीन कथा साहित्य किन्नर विमर्श का आख्यान है।साहित्य में उपस्थित विमर्श को आज समाज और जीवन में सहानुभूति के साथ रूपायित करने की जरूरत है। डॉ गरिमा भाटी ने कहा कि हमें किन्नरों के विकास के लिए पहल करनी चाहिए और उन्हें शिक्षा और रोजगार से सम्बद्ध करना होगा।इस अवसर पर रीता दास, डॉ करुणा पाण्डेय और स्वाति चौधरी ने शोध सार का वाचन किया। कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ संजय जायसवाल, प्रकाश कुमार त्रिपाठी और दिव्या प्रसाद ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन इंदु गुप्ता दिया। इस कार्यक्रम में सत्यप्रकाश गुप्ता,वंदना तिलावत, विनोद यादव,प्राची गुप्ता, श्रद्धा गुप्ता, शालिनी गुप्ता, प्रिया श्रीवास्तव और सुषमा कुमारी का विशेष सहयोग रहा।इस आयोजन में अजय राय,सेराज खान बातिश,मृत्युंजय, राज्यवर्धन, अल्पना नायक,सुरेश शा,इबरार खान,मधु सिंह, विकास कुमार सहित कोलकाता के सैकड़ों साहित्यप्रेमी उपस्थित थे।

सफलता ने सम्मानित किए विभिन्न विभागों में चयनित 32 विद्यार्थी

नैहाटी। राजभाषा हिंदी में रोजगार के लिए प्रतियोगितामूलक तैयारी के क्षेत्र में बहुचर्चित नाम सफ़लता संस्थान की ओर से संस्था के 32 विद्यार्थियों को भारत सरकार के विभिन्न विभागों में चयनित होने पर सम्मान समारोह 2023के अवसर पर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर बतौर अतिथि उपस्थित थे शिव कुमार राम, आईएएस, वरिष्ठ सचिव, वित्त विभाग, प. बं. सरकार,  मनिंद्रनाथ विश्वकर्मा, सहायक निदेशक (राजभाषा), स्वाति बिस्वास, सहायक निदेशक (राजभाषा), डॉ. संजय जायसवाल, सहायक प्रोफेसर, डॉ विनोद कुमार, सहायक प्रोफेसर, नारायण साव, मुख्य प्रबंधक (राजभाषा)। कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथियों के द्वारा दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ । इस शुभ अवसर पर श्रद्धा साव के हाथों एक एप्पलीकेशन लांच किया गया जिसके माध्यम से देश के किसी भी भाग से अभ्यर्थी जुड़ कर तैयारी के साथ साथ ऑनलाइन मॉक टेस्ट भी दे सकते है। संस्थान के संस्थापक व शिक्षक धर्मेंद्र साव ने प्रगति के बारे में बताया तथा भविष्य में संस्थान के द्वारा किये जाने वाले प्रगतिमूलक कार्यों का रोडमैप भी प्रस्तुत किया। इस अवसर पर पर्यावरण जागरूकता पर केंद्रित नाटक का मंचन किया गया। कार्यक्रम का सफल संचालन अपराजिता विनय और शिवानी पांडे एवं धन्यवाद ज्ञापन प्रो. राहुल गौड़ ने दिया। संस्थान की शुरुआत श्री धर्मेद्र साव के प्रयास से मात्र 28 छात्रों के साथ हुई थी आज 700 से अधिक विद्यार्थी इस संस्थान से जुड़ चुके हैं। सम्मान समारोह कार्यक्रम में सरिता प्रसाद, देवानंद साव, राजेश कुमार पांडे, योगेश साव, राजकुमार साव, अमरजीत पंडित,डॉ. बिक्रम साव, धीरज केशरी उपस्थित थे। अतिथियों ने अपने संबोधन में बताया कि धर्मेंद्र साव के प्रयास से किस प्रकार गौरीपुर राजभाषा के क्षेत्र में एक नया नाम बनता जा रहा है ।

प्रेस क्लब, कोलकाता में प्रभाकर पुरस्कार निर्णायक मंडल की बैठक

कोलकाता । प्रेस क्लब कोलकाता की ओर से इस बार संवाद प्रभाकर पुरस्कार 2023 दिये जाने की घोषणा की गयी है। ये पुरस्कार विभिन्न भाषाओं यथा बांग्ला, हिन्दी, अंग्रेजी जैसी में प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया तथा फोटो पत्रकारिता के क्षेत्र में सर्वोत्तम कृति को दिये जायेंगे। इस सिलसिले में गत 7 जुलाई 2023) क्लब परिसर में निर्णायकों व क्लब पदाधिकारियों की बैठक हुई । हिन्दी प्रिंट मीडिया के मामले में निर्णायकों में वरिष्ठ पत्रकार सीताराम अग्रवाल भी शामिल रहे । ये पुरस्कार क्लब के स्थापना दिवस पर आगामी 22 जुलाई को दिये जायेंगे। ज्ञातव्य है कि प्रेस क्लब की ओर से इस तरह का आयोजन पहली बार किया जा रहा है, जिसके लिए क्लब विशेष रूप से वर्तमान अध्यक्ष स्नेहाशीष सूर, सचिव किंगसुक प्रामाणिक सहित पूरी कार्यकारिणी बधाई के पात्र है। संवाद प्रभाकर पुरस्कार योजना को कार्यान्वित करने का गुरुतर भार क्लब के उपाध्यक्ष शैबाल विश्वास को सौंपा गया है।

लड़कियों को दहेज नहीं, पैतृक सम्पत्ति में से अधिकार दीजिए

सम्बन्धों का आधार विश्वास होता है परन्तु सम्बन्धों का महत्वपूर्ण आधार एक दूसरे के प्रति सम्मान भी होता है । सबसे आवश्यक यह जान लेना है कि एक दूसरे के प्रति सम्मान का आधार आयु नहीं होता, व्यक्ति, वर्ग और सामाजिक या आर्थिक पृष्ठभूमि नहीं होती बल्कि एक दूसरे के व्यक्तित्व का, चरित्र का सम्मान होता है । हम यह बात इसलिए कह रहे हैं कि श्रावण का महीना चल रहा है और यह शिव और शक्ति को समर्पित सबके लिए यह सम्भव नहीं होता और न ही यह सबके वश की बात है कि वह किसी को पूर्ण रूप से उपरोक्त आधारों को छोड़कर सम्मान दे । जब एक दूसरे के प्रति सम्मान और विश्वास समाप्त हो जाए तो यह उचित समय होता है कि दूरी बना ली जाए, थोड़ा समय दिया जाए, आत्ममंथन किया जाए और इस पर भी बात न बने तो आगे बढ़ जाया जाए ।
हम भारतीय परिवारों में संयुक्त परिवारों को महत्व अवश्य दिया गया है मगर उसका आधार प्रेम से अधिक सामाजिक बन्धन ही है । परिवारों में स्त्रियों की स्थिति एक आश्रित की होती है या उपेक्षिता की होती है । जो आश्रित रहकर परिवार की एकता के नाम पर अपने साथ होने वाले हर अन्याय को सहती जाए और हर अन्याय में सम्बन्ध निभाने के नाम पर खड़ी हो जाए…परिवार हो या समाज, जय -जयकार उसी की होती है, दूसरी तरफ उपेक्षिता वह है जो प्रश्न उठाती है, अपने अधिकारों की बात करती है और उसके लिए लड़ती है और हर तरफ से उसे त्याज्य समझा जाता है । कारण यह नहीं है कि उसके सवाल गलत हैं बल्कि कारण यह है कि आपके पास इन प्रश्नों के उत्तर ही नहीं है । आपको पीड़ित – प्रताड़ित, मौन रहने वाली घुट – घुटकर जीने वाली औरतें आदर्श लगती हैं मगर मुखर स्त्रियों से आप डरते हैं मगर आप सम्मान इनमें से किसी का नहीं करते , यही तथ्य है ।
इन दिनों सोशल मीडिया से लेकर पारम्परिक मीडिया तक, रील और मीम निर्माताओं तक ज्योति मौर्य – आलोक मौर्य का प्रकरण छाया है । सबने अपने – अपने पक्ष चुन लिए हैं जबकि सत्य कोई नहीं जानता मगर दुःखद यह है कि इस घटना की आड़ में अपनी कुत्सिल और दमित इच्छाओं को पूरा करने का जरिए पितृसत्तात्मक समाज ने निकाल लिया है । ऐसा नहीं है कि इस तरह की घटना पहली बार हुई है परन्तु पुरुषों का बड़ा वर्ग खुद को स्वयंभू मानता है और स्त्रियों को अधीनस्थ..यह मानसिकता खुलकर सामने आ गयी है । क्या यह सिर्फ पति – पत्नी का मामला है, वास्तविकता यह है कि है मगर इसमें से अपने अहं की तुष्टि के लिए कैंची और जंजीर लेकर चलने वाले स्त्रियों के पर काटने निकल पड़े और अब होगा यह कि स्त्रियाँ अपनी जंजीरें निकाल फेकेंगी ।
यह जो बार – बार आप कहते हैं कि हर पुरुष एक जैसा नहीं होता तो आप यह क्यों नहीं समझते कि हर एक महिला एक जैसी नहीं होती और सबसे बड़ी बात यह है कि आपने एक पक्ष को तो सुन लिया मगर दूसरे पक्ष की बात नहीं सुन रहे और न ही समझना चाहते हैं क्योंकि नहीं समझने में आपकी सत्ता है । नहीं समझने में आपकी कुंठा, अहंकार, अशिक्षा..सब छुप जा रही है…आप खुद को खड़ा नहीं कर सके तो अब जो स्त्रियाँ आगे बढ़ रही हैं, उनकी प्रगति में बाधक बन रहे हैं…जबकि वह स्त्री आपके घर में एक घरेलू सहायक नहीं है..। चाहे वह आपकी बहन हो या पत्नी हो, दोनों का अपना सम्मान है, उनका स्वतंत्र व्यक्तित्व है और आगे बढ़ना आपके द्वारा दी गयी भिक्षा नहीं बल्कि उनका अधिकार है जिसे आप छीन नहीं सकते ।
इसके साथ ही यह भी समझना होगा कि अपने सपने अपने दम पर पूरे किये जाते हैं, अगर आप किसी पर निर्भर रहकर आसमान छूना चाहती हैं तो आप शायद आसमान छू भी लें मगर उसे पा नहीं सकतीं और न ही वह पूरा आसमान आपका होगा । कम से कम शिक्षित स्त्रियों को अपना खर्च और अपनी जिम्मेदारियों का बोझ खुद उठाना चाहिए । कोई किसी पर भी निर्भर होगा तो जटिलताएं और बढ़ेंगी । बचपन से ही माता – पिता यह कड़वी सच्चाई अपने बच्चों को बताकर बड़ा करेंगे तो वह मानसिक रूप से मजबूत होंगे और भविष्य के लिए तैयार भी । इसके लिए जरूरी है कि समय की माँग को समझते हुए लड़कियों को दहेज की जगह पैतृक सम्पत्ति में उनका अधिकार दीजिए..क्लेश और कलुषता दोनों कम होगी ।
यह ठोकर बहुत जरूरी थी कि स्त्रियाँ अपनी नींद से जागें और अपना सम्मान प्राप्त करें..अपने अधिकारों की रक्षा के लिए आगे बढ़ें ।

 

भारतीय प्रवासी बंगाली हेतु ‘आईएफए शील्ड यू.के. 2023’ आयोजित

हेरिटेज बंगाल ग्लोबल ने आयोजित किया फुटबॉल टूर्नामेंट

कोलकाता । यूके में रहनेवाले भारतीय प्रवासी बंगाली समुदाय के लोग पिछले 6 वर्षों से (2020 के कोरोना काल के वर्ष को छोड़कर) हर गर्मियों के मौसम में आयोजित फुटबॉल टूर्नामेंट आईएफए (इंडियन फैन्स अलायंस) शील्ड में खेले जानेवाले मैच में हमेशा अपने पसंदीदा क्लब ईस्ट बंगाल या मोहन बागान की जर्सी पहने हुए देखे जाते हैं। इस साल 9 जुलाई को आर्बर पार्क में एक दिवसीय इस सुप्रसिद्ध फुटबॉल टूर्नामेंट ‘आईएफए शील्ड यूके 2023’ का आयोजन किया गया है, इसमें खेलने के लिए वहां फुटबाल प्रेमियों का उत्साह पूरे चरम पर है, इस प्रतियोगिता को इंग्लैंड के एफए द्वारा मान्यता प्राप्त है। हर साल इस फुटबॉल प्रतियोगिता में मैच के दौरान बंगाली समुदाय में काफी लोकप्रिय मेनू इलिश और चिंगड़ी (झींगा) के साथ मजेदार व्यंजन के साथ फुटबॉल और फूड डे एकसाथ मनाया जाएगा। इस साल मोहम्मडन स्पोर्टिंग क्लब के सचिव दीपेंदु बिस्वास के समर्थन और पहल से क्लब के प्रशंसक टूर्नामेंट में पहली बार दिखेंगे। इस वर्ष के आयोजन में सोने पर सुहागा यह है कि भारतीय उच्चायोग ने स्वयं उप उच्चायुक्त सुजीत घोष के नेतृत्व में इस आयोजन में शामिल होने के लिए एक टीम भेजी है। पूर्व भारतीय अंतर्राष्ट्रीय जूल्स अल्बर्टो और हैरो काउंसिल के सबसे युवा काउंसिलर मैथ्यू गुडविन फ्रीमैन के साथ टीम काफी यह टीम दिलचस्प और दमदार लग रही है!

यह टूर्नामेंट पुरुषों, महिलाओं और बच्चों के समूह के बीच खेला जाता है, जिसमें केवल महिलाएँ पेनल्टी शूटआउट करती हैं। इसके कारण इस आयोजन में शुरुआत से लेकर अंत तक भरपूर मजा ही मजा है । इस आयोजन में हेरिटेज बंगाल ग्लोबल के राजीब साहा, सौरव पॉल, रमिता घोष, सुदीप्तो भौमिक के लिए इस साल सबसे बड़ी संख्या में टीमों को शामिल करना एक नई चुनौती बन गई है। वही दूसरी ओर पॉइंटर्स बिजनेस फोरम (पीबीएफ) पिछले दो वर्षों से इस टूर्नामेंट का एक अभिन्न अंग रहा है, जिसका नेतृत्व इसके अध्यक्ष आईआईएचएम के सुबर्नो बोस, मुंबई स्थित एक्विस्ट रियल्टी के सचिव संजय गुहा, कोलकाता के देबाशीष घोष और हैरो के शौमो चौधरी कर रहे हैं।

एचबीजी के उपाध्यक्ष महुआ बेज हर इसकी तैयारियों में व्यस्त हैं, जो टूर्नामेंट की लगातार बदलती आवश्यकताओं को दर्शाते हैं और सुचारू वितरण सुनिश्चित करने के लिए बाहरी निकायों के साथ संपर्क कर रहे हैं। ईस्ट बंगाल, मोहन बागान और मोहम्मडन स्पोर्टिंग के लिए खेलने वाले खिलाड़ी सायंतन चक्रवर्ती, अबिरभाव बंद्योपाध्याय और ऋषिक बोस इस टूर्नामेंट की ट्रॉफी जीतने का लक्ष्य लेकर पिछले कुछ महीनों से हर हफ्ते अभ्यास में व्यस्त हैं। दिब्येंदु दूसरी बार खेलने के लिए स्विट्जरलैंड से आ रहे हैं। एचबीजी के निदेशक अनिर्बान मुखोपाध्याय कहते हैं, ‘इसकी सफलता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है, कि यह इस तरह का आयोजन ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका में भी होने जा रहा है। सिडनी 23 सितंबर को अपने आईएफए शील्ड की मेजबानी करेगा। यूके में रहनेवाले प्रवासी बंगाली का एक बड़ा हिस्सा अब इस टूर्नामेंट से अपनी पहचान बना रहा है।