श्रावण मास विशेष – इन देशों में मौजूद हैं भगवान शिव के प्रसिद्ध मंदिर

देवों के देव ‘महादेव’ यानी भगवान शिव की साधना या पूजा हमें हर दुख और भय से मुक्ति दिलाती है । हिंदू धर्म में महादेव की साधना करने से सुख एवं समृद्धि पाई जा सकती है. आज से सावन का महीना शुरू हो गया है । ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव को ये माह अति प्रिय है और इसमें पूजा-साधना करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है । भगवान शिव की उपासना के अलावा उनके मंदिरों में दर्शन करने से भी जीवन में सुख और समृद्धि आती है । क्या आप जानते हैं कि भारत ही नहीं देश के बाहर भी कई ऐसे शिव मंदिर हैं जो दर्शनीय हैं –
गुप्तेश्वर मंदिर ऑस्ट्रेलिया
ऑस्ट्रेलिया के न्यू साउथ वेल्स में भगवान शिव को समर्पित है मुक्ति गुप्तेश्वर मंदिर । इस मंदिर का संबंध 13वें ज्योतिर्लिंग से है । सावन के दौरान यहां खासी रौनक देखने को मिलती है ।
नेपाल का पशुपतिनाथ मंदिर
कहते हैं कि इस मंदिर का संबंध पांडवों से हैं और ये भगवान शिव को समर्पित है । नेपाल की राजधानी काठमांडू में मौजूद इस मंदिर में शिव की प्रसिद्ध प्रतिमा है जिसे बड़ी रोचक धार्मिक कथा जुड़ी हुई है । मंदिर में दर्शन के लिए हजारों की संख्या में देसी और विदेशी यात्री या श्रद्धालु आते हैं । पशुपतिनाथ न सिर्फ शिव के दर्शन बल्कि अपनी खूबसूरती के लिए भी चर्चित है ।
श्रीलंका में है मुन्नेस्वरम मंदिर
पौराणिक कथाओं के मुताबिक इस मंदिर का संबंध भगवान राम और रावण से माना जाता है । कहा जाता है कि भगवान राम ने रावण पर विजय प्राप्त करके यहीं पर भगवान शिव की पूजा की थी । इसी कारण ये मंदिर रामायण काल से जुड़ा हुआ है । इस मंदिर में दर्शन करने से मनोकामनाएं पूर्ण हो सकती हैं ।
इंडोनेशिया में प्रमबनन मंदिर
इंडोनेशिया में हिंदू धर्म के लोग ज्यादा संख्या में मौजूद हैं और यहां कई मंदिर भी हैं । इनमें से एक इंडोनेशिया के जावा में प्रमबनन मंदिर है । यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज साइट के रूप में पहचाने जाने वाले इस मंदिर का परिसर काफी बड़ा है । रोचक बात है कि इसमें करीब 240 मंदिर मौजूद हैं ।
पाकिस्तान में कटासराज शिव मंदिर
कहा जाता है कि पाकिस्तान के इस शिव मंदिर का इतिहास 900 साल पुराना है । इस मंदिर का इतिहास भगवान शिव और माता सति के अलावा पांडवों से भी जुड़ा हुआ है । कहते हैं कि मां सती ने खुद को अग्नि को समर्पित किया था उस दौरान भगवान शिव के कुछ आंसू यहां गिरे थे । तभी यहां अमृत कुण्ड सरोवर बन गया था । शिवरात्रि और सावन के दौरान इस मंदिर में अलग ही रौनक रहती है ।

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