Wednesday, March 19, 2025
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पत्थर की कुल्हाड़ी, शैलचित्र… अरावली में मिले हजारों साल पुराने चिह्न

फरीदाबाद । अरावली पर्वत शृंखला में बसे फरीदाबाद के कोट गांव में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की टीम ने मानव सभ्यता के कई साल पुराने चिह्न देखे। एएसआई हरियाणा सर्कल की सुप्रिटेंडिंग आर्किलॉजिस्ट कामीसा अथॉयेलूकाबुई ने इसकी पुष्टि की है। पिछले दिनों टीम ने कोट गांव में डेरा डाला था और पुरानी सभ्यता के कई चिह्न, शैलचित्र और पुराने हथियार देखे। हालांकि गांव में रहने वाले तेजवीर मावी ने 2021 में ये चिह्न देखे थे। इसके बाद टीम वहां पहुंची थी। ASI की टीम ने इसकी रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को दे दी है, ताकि पुरानी मानव सभ्यता के चिह्नों पर रिसर्च की जा सके।
कोट गांव के रहने वाले तेजवीर ने बताया कि वह अपनी गाय व भैंस को चरने के लिए पहाड़ों में छोड़ देते थे। उसके बाद उन्हें पहाड़ों के अंदर से लेकर आते थे। एक दिन ऐसे ही घने जंगल और पहाड़ों की तरफ गाय चली गई। उसका पीछा करते हुए जब पहाड़ पर पहुंचे तो वहां पर हाथों के चिह्न दिखे, जो काफी पुराने लग रहे थे। जब इसके बारे में किताबों में पढ़ा तो पता चला कि ये कई वर्ष पुराने हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि उस समय वहां पत्थर की कुल्हाड़ी भी मिली थी। इसका प्रयोग लोग खाल उतारने, शिकार करने के लिए होता होगा।
उन्होंने कहा कि कोट गांव की पहाड़ियों पर शैलचित्र भी दिखे। इसमें हाथ के निशान, पैर के निशान के अलावा अलग-अलग चित्र बने थे। इसके बाद इस बारे में एक जून 2021 को हरियाणा पुरातत्व विभाग को इसकी सूचना दी। विभाग की टीम आई, लेकिन बात आगे नहीं बढ़ी। अब कुछ दिन पहले भारत सरकार की टीम ने कोट गांव का दौरा किया और सभी चिह्नों के फोटो खींच कर अपने साथ ले गए। उम्मीद है कि कोट गांव को पुरातत्व विभाग भारत सरकार के लोग अपने अंडर लेकर कुछ रिसर्च करें।
हज़ारों साल हो सकते हैं पुराने
तेजवीर ने बताया कि जो चिह्न मिले हैं वे हजारों साल पुराने हो सकते हैं, जब लोग अलग-अलग तरह से रहते थे। वैसे भी अरावली रेंज 3.5 मिलियन साल पुरानी है। इसलिए ऐसा कहा जा सकता है कि ये देश की पुरानी रेंज है। अगर इस रेंज में इस तरह से मानव जाति से जुड़ी कुछ चीजें मिली हैं तो इसे सहेजने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि अगर रिसर्च किया जाए तो अरावली में पुरापाषाण काल तक की चीजें मिल सकती हैं।
अब बच सकती है अरावली
अरावली जहां शुद्ध हवा और पानी उपलब्ध कराती है, वहीं कई पौराणिक इतिहास भी संजोए हुए हैं। अरावली के लिए काम करने वाले यश भड़ाना ने बताया कि अगर अरावली के अंदर इस तरह से मानव जाति के चिह्न मिल रहे हैं तो ये काफी अच्छी बात है। इसे तो संग्रहित करना चाहिए। आज के समय में तो अरावली को नुकसान पहुंचाया जा रहा है, अगर इस तरह की चीजें मिल रही हैं तो उसपर शोध होना चाहिए और पूरी अरावली श्रृंखला को बचाना चाहिए।

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