Monday, September 15, 2025
खबर एवं विज्ञापन हेतु सम्पर्क करें - [email protected]
Home Blog Page 99

भारतीय संग्रहालय में विश्व संग्रहालय दिवस एवं हो चिह्न मिन्ह की 133 जयंती आयोजित

इंडो – वियतनाम सॉलिडैरिटी कमेटी के सहयोग से सेमिनार एवं छायाचित्र प्रदर्शनी
कोलकाता । भारतीय संग्रहालय, कोलकाता ने इंडो – वियतनाम सॉलिडैरिटी कमेटी के सहयोग से विश्व अन्तरराष्ट्रीय संग्रहालय दिवस पर एक सेमिनार तथा छायाचित्र प्रदर्शनी आयोजित की गयी । इसके साथ ही आयोजन के माध्यम से वियतनाम के पूर्व राष्ट्रपति हो चिह्न मिन्ह की 133 जयंती का पालन किया गया । भारतीय संग्रहालय के आशुतोष बर्थ सेनिटेनरी हॉल में गत 18 मई को आयोजित इस कार्यक्रम का उद्घाटन राज्यपाल डॉ. सी.वी. आनंद बोस ने किया । यह इस अवसर पर भारत में वियतनाम के राजदूत नूंग्येन थान हाई भी उपस्थित थे । राज्यपाल डॉ. सी.वी. आनंद बोस ने भारत और वियतनाम के सम्बन्धों को मजबूत बनाने पर जोर दिया । वियतनाम को भारत का पुराना मित्र बताते हुए उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच मजबूत आर्थिक, राजनीतिक सम्बन्ध हैं जो और मजबूत होंगे । भारत में वियतनाम के राजदूत नूंग्येन थान्ह हाई ने कहा कि दोनों देशों के बीच आर्थिक साझीदारी बढ़ी है । वियतनाम में भारतीय संस्कृति को दर्शाने वाली कई धरोहरें हैं जिनका संरक्षण किया जा रहा है। भारतीय पर्यटकों की संख्या भी बढ़ी है । इंडो – वियतनाम सॉलिडैरिटी कमेटी की अध्यक्ष कुसुम जैन ने बताया कि वियतनाम में भारतीय संस्कृति और इतिहास को दर्शाने वाले कई स्थल हैं और यह छायाचित्र प्रदर्शनी उसी को सामने रख रही है । वरिष्ठ साहित्यकार स्व. गीतेश शर्मा ने इसे लेकर काफी काम किया और वियतनाम गये…तस्वीरों में इसी यात्रा को संजोया गया है । स्वागत भाषण भारतीय संग्रहालय, कोलकाता के शिक्षा अधिकारी सायन भट्टाचार्य ने दिया । उद्घाटन सत्र में धन्यवाद ज्ञापन प्रेम कपूर ने दिया । इस एक दिवसीय सेमिनार में कई शिक्षकों, साहित्यकारों एवं विद्यार्थियों ने भाग लिया ।

राजस्थान : पिता हैं दर्जी. एक साथ आईपीएस बने दो सगे भाई

झुंझनू । यूपीएससी परीक्षा का पेपर पास किया और दोनों भाई साथ में आईपीएस ऑफिसर बने । इसके अलावा दोनों भाइयों की रैंक भी आगे-पीछे आई है । बड़े भाई में यूपीएससी परीक्षा में जहां 423वीं रैंक आई, वहीं, छोटे भाई ने 424वीं रैंक हासिल की. दोनों की सफलता देख घर में खुशी का ठिकाना नहीं है । ये दोनों भाई राजस्थान के झुंझुनूं जिले के रहने वाले हैं, अमित कुमावत और पंकज कुमावत. इनके पिता सुभाष कुमावत दर्जी थे, जिन्होंने कपड़े सिलकर अपने दोनों बेटों के अफसर बनाया । सुभाष कुमावत एक छोटी सी दुकान में कपड़े सिलते थे ।

मेहनत और लगन से सपना किया पूरा
बता दें कि इन दोनों भाइयों ने काफी मेहनत के बाद यूपीएससी परीक्षा पास की और अफसर बने, क्योंकि इनके घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी । पढ़ाई के लिए दोनों को काफी संघर्ष करना पड़ा, लेकिन दोनों ने कभी हार नहीं मानी। आज इनकी मेहनत और लगन का ही नतीजा है कि दोनों भाइयों ने एक साथ अफसर बन अपना और अपने पिता का सपना पूरा किया।

दोनों ने दो बार पास की यूपीएससी परीक्षा
इन दोनों भाइयों ने दो-दो बार यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा पास की । हालांकि पहली बारी उन्होंने साल 2018 में बड़े भाई पंकज को 443वीं रैंक मिली, तो छोटे भाई अमित को 600वीं रैंक मिली थी, जिसमें पंकज को आईपीएस तो अमित को आईआरटीएस का पद मिला। इन दोनों भाइयों ने बिना कोचिंग लिए ही यूपीएससी परीक्षा का पेपर पास किया ।

दोनों भाई साथ में बने आईपीएस
इसके चलते दोनों भाइयों ने एक बार फिर यूपीएससी परीक्षा देने का फैसला लिया । इसी के चलते दोनों साल 2019 में पेपर दिया, जिसमें पंकज ने 423वीं और अमित ने 424वीं रैंक हासिल किया । दोनों की रैंक बिल्कुल आगे-पीछे देख हर कोई हैरान है । इसके बाद दोनों भाइयों को आईपीएस का पद मिला ।

 

6 से 10 डिग्री झुका दुनिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर तुंगनाथ मंदिर !

एएसआई के अध्ययन में खुलासा
देहरादून । उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में 12 हजार 800 फीट की ऊंचाई पर स्थित तुंगनाथ शिव मंदिर झुक रहा है। आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की तरफ से कराए अध्ययन में यह बात निकलकर सामने आई है कि मंदिर में 5 से 6 डिग्री तक का झुकाव और परिसर के अंदर बने मूर्तियों और छोटे स्ट्रक्चर में 10 डिग्री तक का झुकाव देखने को मिला है।
एएसआई अधिकारियों ने हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में बताया कि उन्होंने केंद्र सरकार को इस संबंध में जानकारी देते हुए संरक्षित इमारत के तौर पर शामिल किए जाने की सलाह दी है। इस पर अमल करते हुए सरकार ने इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की कवायद भी शुरू कर दी है। एएसआई मंदिर में झुकाव की मुख्य वजह को जानने और अगर संभव हो तो रिपेयर करने कोशिश करेगा।
एएसआई की देहरादून सर्किल के सुपरिटेंडेंट आर्कियोलॉजिस्ट मनोज कुमार सक्सेना ने बताया सबसे पहले तो हम तुंगनाथ मंदिर में झुकाव और डैमेज की वजह जानने की कोशिश करेंगे। और अगर संभव हुआ तो फौरन रिपेयर का काम शुरू करेंगे। इसके साथ ही मंदिर परिसर के निरीक्षण के बाद डिटेल प्रोग्राम तैयार किया जाएगा।
एएसआई के अधिकारी इसके साथ ही मंदिर की जमीन के नीचे के हिस्से के खिसकने या धंसने की आशंका को भी देख कर चल रहे हैं, जिसकी वजह से मंदिर में झुकाव होगा। उन्होंने बताया कि एक्सपर्ट्स से सलाह के बाद क्षतिग्रस्त नींव के पत्थरों को बदला जाएगा। फिलहाल एजेंसी ने ग्लास स्केल को फिक्स कर दिया, जो मंदिर की दीवार पर मूवमेंट को माप सकता है।
तुंगनाथ को दुनिया की सबसे ऊंचे शिव मंदिर का दर्जा प्राप्त है। आठवीं शताब्दी में कत्यूरी शासकों ने इसका निर्माण कराया था। यह बद्री केदार मंदिर समिति के प्रशासन के तहत आता है। मंदिर में झुकाव के संबंध में एक लेटर बीकेटीसी को भी भेज दिया गया है।
बीकेटीसी के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने बताया इस मैटर को हाल ही में संपन्न हुए बोर्ड की मीटिंग में उठाया गया, जहां सभी लोगों ने एएसआई के प्रस्ताव को खारिज कर दिया। हम इस मंदिर को उसके वास्तविक स्वरूप में वापस लाने के लिए एसआई की सहायता करने को तैयार हैं। लेकिन हम उन्हें पूरी तरह से सौंपने के पक्ष में नहीं है। हम अपने निर्णय के बारे में सूचित कर देंगे‌।

बिहार में यहां मिला सोने का भंडार! चमकीले पत्थर देख खिल उठे चेहरे

बांका । बिहार के बांका के कटोरिया प्रखंड के गांवों में जमीन के नीचे सोने के भंडार होने की संभावना जताई गई है। भारत सरकार की टीम सोने की खोज में खुदाई कर रही है। ड्रिलिंग के दौरान चमकीले पत्थर मिलने से उम्मीदें और बढ़ गई है। भागलपुर में कोयले के दो बड़े भंडार मिलने के बाद अब बांका में सोने का अपार भंडार मिलने की उम्मीद है। भू-वैज्ञानिकों की टीम लगातार जुटी हुई है। अनुमान है कि इन गांवों में जमीन के नीचे सोने का खजाना है। ड्रिल मशीन के जरिए करीब 100 फीट तक खुदाई की गई है। 650 फीट तक खुदाई की जाएगी।
खुदाई में मिले चमकीले पत्थर
बांका में खुदाई से निकलने वाले पत्थर और मिट्टी को लैब टेस्ट के लिए जमा किया जा रहा है। कई महीनों से केंद्रीय और राज्य स्तर की भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण टीमें लगातार स्टडी कर रही हैं। इन्हें यकीन है कि कटोरिया प्रखंड के गांवों में सोने का अपार भंडार मिल सकता है। ऐसा कहा जा रहा है कि खुदाई के दौरान निकल रहे पत्थरों की चमक भी अलग तरह की है।
भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण (जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया) टीमें अलग-अलग जगहों से नमूने जुटा रही है। पिछले चार दिनों से विभिन्न प्रकार के मशीनों से खुदाई की जा रही है। हालांकि, जिला खनन पदाधिकारी कुमार रंजन ने मीडिया बताया कि खुदाई से निकले सामान की लैब में जांच करने के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो सकेगी।
अंग्रेजों ने भी की थी खुदाई
जयपुर थाना क्षेत्र के लकरामा पंचायत के चंदेपट्टी गांव में सोना मिलने की उम्मीद जताई गई है। जबकि कटोरिया थाना क्षेत्र के बड़वासिनी पंचायत के बाघमारी गांव में भी अभ्रक सहित कीमती खनिज पदार्थ मिलने की संभावना है। इसे लेकर चार जगहों को चिह्नित करके जीएसआई (जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया) की टीम जांच कर रही है। बांका जिले के कटोरिया प्रखंड के अलग-अलग गांवों में जमीन के अंदर सैकड़ों टन सोना सहित कीमती खनिज के दबे होने का पता चला है।
ऐसा कहा जा रहा है कि बांका की इस बंजर धरती के नीचे सोने का खजाना है। स्थानीय लोगों ने मीडिया से कहा कि अंग्रेजों के वक्त भी इस जगह खुदाई हुई थी। लेकिन तब अत्याधुनिक मशीनें न होने के चलते ज्यादा खुदाई नहीं हो पाई थी। उस वक्त भी अंग्रेज अपने साथ चमकीले पत्थरों के टुकड़े ले गए थे। अब भू-वैज्ञानिक लेंस और दूरबीन की मदद से इन्हीं चमकीले पत्थरों का अध्यन कर रहे हैं।
कोयले की खदान भी मिली
कई दिनों से भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण की टीम अलग-अलग तरह की मशीनों से खुदाई कर रही है। हाल ही में भागलपुर जिले में दो कोयला खदानों का भी पता लगा था। उम्मीद है कि आने वाले दिनों में कोयला भंडार और बेहतर हो जाएगा। मिर्जागांव और लक्ष्मीपुर में दो नए कोयला खदानों की पहचान की गई है। इन खदानों में इतना कोयला है कि 25-30 सालों तक खनन चलता रहेगा।

संघर्षों को मात देकर एशियन चैम्पियनशिप और एशियाई खेलों में जाएगी प्रीति

फरीदाबाद । जवां गांव की प्रीति लांबा ने एशियन चैंपियनशिप और एशियन गेम्स के लिए क्वॉलिफाई जो कर कर लिया है। झारखंड के रांची में चल रहे 26वें नैशनल फेडरेशन कप में शानदार प्रदर्शन करते हुए यह उपलब्धि हासिल की है। उन्होंने तीन हजार मीटर स्टीपलचेंज रेस में स्वर्ण हासिल किया है। उन्होंने बताया कि यूं तो क्वॉलिफाई करने के लिए रेस को 9:58 मिनट में पूरा करना था और उन्होंने लगभग 11 सेकंड पहले यानी 9:47 मिनट में ही रेस पूरी कर ली। अब प्रीति लांबा 11 से 17 जुलाई तक चीन में होने वाली एशियन चैंपियनशिप में हिस्सा लेंगी। इसके बाद एशियन गेम्स में देश का प्रतिनिधित्व करेंगी। प्रीति ने अपनी जीत का श्रेय पति विक्की तोमर, पिता जगवीर और अपने शुरुआती कोच रोशन लाल मलिक को दिया है।
पैर टूटा, पर हिम्मत नहीं हारीं
प्रीति लांबा ने बताया कि वह साल 2007 से ही दौड़ का अभ्यास कर रही हैं। उन्होंने अपने खेल के लिए काफी संघर्ष किया। उनके पिता पेट्रोल पंप पर काम करते हैं। परिवार की आर्थिक स्थिति शुरू से ही कमजोर रही है। ऐसे में उन्हें खेल खेलने में काफी दिक्कत आई। परिवार में पिता, बहन व भाइयों का काफी सहयोग मिला। गांव के ही रोशन लाल मलिक उनके शुरुआती कोच थे। उन्होंने खेल के लिए ट्रेनिंग देने के साथ ही डाइट आदि का भी पूरा ध्यान रखा।
शादी के बाद पति विक्की तोमर से भी हर कदम पर सहयोग मिल रहा है। उन्होंने बताया कि साल 2017 में नेशनल कैंप में अभ्यास करने के दौरान उनका पैर टूट गया था। उस समय लगा था कि अब वह ट्रैक पर पहले की तरह नहीं दौड़ पाएंगी। सभी लोगों ने हौसला बढ़ाया और मेरी हिम्मत को टूटने नहीं दिया, जिसके चलते एक महीने में ही रिकवरी कर वह दोबारा ट्रैक पर लौट आईं।
बेटी की कामयाबी पर खुश हैं पिता
जगबीर लांबा ने बताया कि उनकी बेटी बचपन से ही होनहार है। अपने संबंधियों से पैसे लेकर प्रीति की ट्रेनिंग व खेल संबंधित अन्य जरूरतों को पूरा किया है। आज वह रेलवे में नौकरी कर रही है और अब एशियन गेम्स में देश का प्रतिनिधित्व करेगी। बेटी ने साल 2009 में पहला मेडल जीता था और अब तक वह नैशनल लेवल पर 50 से अधिक मेडल जीत चुकी हैं। पति विक्की तोमर ने बताया कि प्रीति फिलहाल रेलवे में नौकरी कर रही है।तमिलनाडु में अपने खेल का अभ्यास कर रही है। उन्होंने वर्ल्ड रेलवे गेम्स में दो बार गोल्ड मेडल जीता है। इसके साथ ही साउथ एशियन गेम्स की पांच हजार मीटर रेस में ब्रॉन्ज़ मेडल अपने नाम किया है।

स्वाद के खजाने से मुमकिन किया गृहिणी से उद्यमी तक का सफर…

उमा चंद्रशेखर और उमा नटराजन रोज मॉर्निंग वॉक पर जाती थीं। गृहस्‍थी की बातें होती थीं। इन बातों में एक-दूसरे के घर का हाल-चाल लेना हमेशा शामिल होता था। उन्‍हें बिल्‍कुल अंदाजा नहीं था कि बातों-बातों में वे बिजनस आइडिया पा लेंगी। इन दोनों गृह‍िणियों ने ‘उमा मामीज’ नाम की कंपनी की नींव रख दी। यह अलग-अलग तरह की मिठाइयां, स्‍नैक्‍स और अचार बनाती है। सिर्फ भारत में ही नहीं, यूरोप, ब्रिटेन और अमेरिका में भी उनके ग्राहक बन चुके हैं। उनके पास पारंपरिक स्‍नैक्‍स के ऑर्डर की कमी नहीं रहती है। दोनों बिजनस को बढ़ाने की कोशिश में जुटी हुई हैं।
उमा चंद्रशेखर और उमा नटराजन चेन्‍नई की रहने वाली हैं। इन दोनों की दोस्‍ती मॉर्निंग वॉक से पक्‍की हुई। सालों से ये साथ वॉर्निंग वॉक पर निकलती थीं। दोनों का गृहिणी से उद्यमी बनने का सफर 2017 से शुरू हुआ। उमा चंद्रशेखर की बेटी की सगाई थी। उस दिन दोनों ने ट्रेडिशनल फ्राइड स्‍नैक मुरुक्‍कू बनाए। मेहमान इन स्‍नैक्‍स की वाहवाही करते थक नहीं रहे थे। उमा नटराजन और चंद्रशेखर रोज मॉर्निंग वॉक पर जाती थीं। एक-दूसरे के साथ ये काफी बातें शेयर करती थीं।
सगाई पर मिली तारीफ ने दोनों के मनोबल को बढ़ा दिया था। उस एक दिन ने सबकुछ बदल द‍िया था। फिर उन्‍होंने अपने किचन से ही पारंपरिक स्‍नैक्‍स और मिठाइयां बेचनी शुरू कर दीं। उमा चंद्रशेखर के मुताबिक, उनका प्रचार लोगों ने आपसी बातचीत में कर दिया। उनके प्रोडक्‍ट विदेश ले जाने वाले कई ग्राहकों ने अपने दोस्‍तों और परिजनों के साथ इनकी चर्चा की। इसके चलते उन्‍हें और ऑर्डर मिलने लगे।
नौबत यह आ गई अब दोनों के पास ऑर्डरों की कमी नहीं रहती है। अकेले दिवाली पर ही उन्‍हें 80,000 रुपये का ऑर्डर मिला। दोनों चाहती हैं कि यह आंकड़ा अगली दिवाली पर 1 लाख रुपये के स्‍तर को पार करे। एक किलो रेगुलर स्‍वीट्स की कॉस्‍ट करीब 450 रुपये पड़ती है। बादाम और काजू वाली मिठाई की लागत 550 रुपये है। उनके मेनू के लोकप्रिय आइटमों में मुरुक्‍कू, अधीरसम और कई तरह की मिली-जुली मिठाइयां हैं।

 

राजमहल की पहाड़ियों में छुपा है जुरासिक काल का इतिहास

साहेबगंज । दुनिया के सबसे प्राचीनतम जीवाश्म (फॉसिल्स) झारखंड में साहेबगंज जिले के राजमहल पहाड़ियों में मौजूद हैं। जिले के मंडरो प्रखंड के तारा पहाड़ में आज भी पादप जीवाश्म के कई जीवंत उदाहरण मौजूद हैं। यहां हजारों वर्ष पहले बड़-बड़े हरे-भरे पेड़ हुआ करते थे, जो आज पत्थर के बन गए हैं। इसे देखने और शोध करने वाले भूगर्भशास्त्र के स्टूडेंट हर वर्ष यहां आते रहते हैं। राज्य सरकार की ओर से फॉसिल्स को सुरक्षित और संरक्षित करने के साथ ही शोध को बढ़ावा देने की भी कोशिश की जा रही है। करोड़ साल पुराने जीवाश्म पूरे संताल परगना में फैला हुआ है, लेकिन मंडरो तारा पहाड़ी, गुरमी, बसकोबेड़ो, राजमहल, तालझारी, सकरिगली, ललमटिया, अमरापाड़ा, मिर्जाचौकी, काठीकुंड बरसलोई नदी के किनारे अब भी फॉसिल्स मिलते हैं। जानकारों का मानना है कि राजमहल पहाड़ी श्रृंखला में अवशेषों के भंडार पड़े हुए है। यहां मंडरों के तारा पहाड़ पर कई पादप जीवाश्म अब भी जीवंत उदाहरण है। इसे देखते हुए सरकार की ओर से फॉसिल्स पार्क बनाया गया है, ताकि इन जीवाश्मों के विषय में दुनिया को जानकारी मिल सके। जानकार बताते है कि राजमहल पहाड़ी क्षेत्र में में जीवाश्म के अलावा कई औषधि भी मौजूद हैं। दवाईयां बनाने के लिए इन पहाड़ियों से जड़ी-बुटी लेने लोग पहले काफी संख्या में आते थे।
हिमालय से पुरानी फॉसिल्स की उम्र 68 से 280 मिलियन वर्ष
हिमालय से भी 500 करोड़ पुरानी राजमहल पहाड़ियों में जुरासिक काल के अनगिनत जीवाश्म मौजूद हैं। भूगर्भ शास्त्रियों और पुरा-वनस्पति विज्ञानियों ने इन फॉसिल्स की उम्र 68 से 280 मिलियन वर्ष आंकी है। कई रिसर्च में यह बात सामने आई है कि यह एक बड़ा समुद्रीय प्रक्षेत्र था। बाद में ज्वालामुखी विस्फोट की कई घटनाओं ने यहां के जियोलॉजिकल स्ट्रक्चर और इकोलॉजी को बदल डाला। राजमहल की पहाड़ियों का निर्माण इसी भू-गर्भीय उथल-पुथल से हुआ। भूगर्भशास्त्रियों का मानना है कि अगर पूरे इलाके में वैज्ञानिक तरीके से खुदाई की जाए, तो डायनासोरों के अस्तित्व से जुड़े कई रहस्यों को डिकोड किया जा सकता है।
वैज्ञानिक और विशेषज्ञों का कहना है कि साहेबगंज जिले में प्लांट्स फॉसिल्स अध्ययन से पर्यावरण के फ्यूचर प्लानिंग में बड़ी मदद मिलेगी। रिसर्च से क्षेत्र में मौजूद प्राकृतिक संपदा और संसाधन के बारे में भी जानकारी मिल पाएगी।

पिता जेल में, भाई नशेड़ी, प्रदेश में टॉप कर आगे बढ़ गयी बेटी

दुर्ग । कहते हैं जिनके हौसले बुलंद होते हैं वो दुनिया की किसी थी परिस्थिति से लड़कर लक्ष्य हासिल कर लेते हैं। छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले की सानिया मरकाम ने ऐसा ही करके दिखाया है। सानिया मरकाम ने 10वीं क्लास में टॉप किया है। मेरिट लिस्ट में उसका 7वां स्थान है। उसे 97.33 फीसदी मार्क्स मिले हैं। सानिया ने इस मुकाम को हासिल करने के लिए कड़ा संघर्ष किया है। उसके पिता और भाई जेल में हैं। घर की आर्थिक स्थिति भी खराब है। लेकिन इसके बाद भी सानिया ने हार नहीं मानी। कठिनाई और समस्याओं से लड़कर उसने सफलता पाई है। बुधवार को दुर्ग जिले के एसपी अभिषेक पल्लव, टॉपर छात्रा से मिलने उसके घर पहुंचे। सानिया ने एसपी से कहा कि तीन सालों से उसने अपने पिता को नहीं देखा है। मैं अपने पिता से मिलना चाहती हूं।
एसपी अभिषेक पल्लव गुरुवार को टॉपर्स सानिया मरकाम को लेकर जेल पहुंचे। बेटी और पिता की मुलाकात करवाई। तीन साल बाद बेटी ने जब पिता को देखा तो भावुक हो गई। पिता को भी जब बेटी के सफलता की कहानी पता चली तो वो भी रो पड़े। एसपी अभिषेक पल्लव ने कहा- बेटे ने घर पर कलंक लगाया और बेटी ने उस कलंक को धो दिया। परिवार का लड़का नशा करता है और चाकूबाजी करता है, लेकिन बेटी ने पढ़ाई को ही अपना हथियार बना लिया।
पिता से मिलने की जाहिर की थी इच्छा
सानिया, दुर्ग शहर के पोलसाय पारा में रहती है। दसवीं की परीक्षा में प्रदेश में 7वां स्थान मिलने पर उसके परिवार में खुशी थी। इसी दौरान जिले के एसपी अभिषेक पल्लव भी टॉपर बच्ची को शुभकामनाएं देने के लिए उसके घर पहुंचे। इस दौरान सानिया ने जेल में बंद अपने पिता से मिलने की इच्छा जताई। उसके बाद एसपी ने फौरन जेल अधीक्षक से चर्चा की। इसके बाद गत गुरुवार को जेल प्रबंधन ने छात्रा की मुलाकात उसके पिता से कराने की व्यवस्था की।

विडम्बना ! यौन उत्पीड़न की जांच के लिए आंतरिक समिति ही नहीं!

मानवाधिकार आयोग का डब्ल्यूएफआई, बीसीसीआई समेत 15 खेल संगठनों को नोटिस
नयी दिल्ली । भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) और चार अन्य खेल संगठनों में यौन उत्पीड़न के आरोपों से निपटने के लिए आंतरिक शिकायत समिति (आईसीसी) नहीं होने पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने संज्ञान लिया है। उसने युवा मामलों और खेल मंत्रालय को नोटिस जारी की। एनएचआरसी ने भारतीय खेल प्राधिकरण (साइ), भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई), भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) और कई अन्य राष्ट्रीय खेल संघों को उन रिपोर्टों पर नोटिस भेजी है, जिनमें कहा गया है कि उनके पास कानून के मुताबिक शिकायत की कोई आंतरिक समिति नहीं है।
यही नहीं, नोटिस में यहां तक कहा गया है कि कुछ के पास समिति हैं तो वह उचित तरीके से काम नहीं कर रही है। ये नोटिस ऐसे समय में आया हैं जब कई पहलवान महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न के आरोपों को लेकर डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन कर रहे है। पहलवान उन्हें बर्खास्त और गिरफ्तार करने की मांग कर रहे हैं।
एनएचआरसी ने एक मीडिया रिपोर्ट का स्वत: संज्ञान लिया है कि भारतीय कुश्ती महासंघ में कोई आंतरिक शिकायत समिति नहीं है, जैसा कि यौन उत्पीड़न रोकथाम (पीओएसएच) अधिनियम, 2013 के तहत अनिवार्य है। एनएचआरसी के बयान के मुताबिक, ‘डब्ल्यूएफआई कथित तौर पर इकलौता खेल निकाय नहीं है जिसके पास विधिवत गठित आईसीसी नहीं है। देश के 30 राष्ट्रीय खेल संघों में से 15 ऐसे हैं जो इस अनिवार्य आवश्यकता को पूरा नहीं करते हैं।’
आयोग ने पाया कि अगर मीडिया रिपोर्ट सही है तो यह कानून का उल्लंघन है और इससे खिलाड़ियों के वैधानिक अधिकार और गरिमा पर असर पड़ सकता है। आयोग ने युवा मामलों और खेल मंत्रालय के सचिव, साइ, बीसीसीआई , डब्ल्यूएफआई और 15 अन्य राष्ट्रीय खेल महासंघों (हैंडबॉल, वॉलीबॉल, बास्केटबॉल, भारोत्तोलन, याचिंग, जिम्नास्टिक, टेबल टेनिस, बिलियडर्स और स्नूकर, कयाकिंग और केनोइंग, जूडो, स्क्वाश, ट्रायथलन, कबड्डी, बैडमिंटन, तीरंदाजी) को नोटिस जारी किया है। इन्हें चार सप्ताह के भीतर विस्तृत रिपोर्ट जमा कराने के लिये कहा गया है।

गर्मियों में पौधों का रखें खास ख्याल

गर्मी के मौसम में पौधों का खास ख्याल रखना पड़ता है नहीं तो वो मुरझा जाते हैं । एक बार पौधे की सेहत खराब हो जाती है तो दोबारा उसको सुधारने में मेहनत लगती है इसलिए ऐसी नौबत आए पहले से ही सजग रहें ।आप गर्मी के मौसम में कुछ खास तरीके से इनकी देखभाल करें । आइए जानते हैं ऐसे कुछ तरीके –
पौधों का ख्याल कैसे रखें
– अगर आप चाहती हैं कि पेड़ पौधे गर्मी के मौसम में मुरझाएं नहीं तो फिर उन्हें धूप से बचाकर रखें । पानी नियमित देते रहें उन्हें । इससे सूखने का डर नहीं रहता है । वहीं आप चाहें तो उनमें नमी बनाए रखने के लिए गिले कपड़े से ढ़क सकती हैं ।
– गर्मी के मौसम में आप सुबह और शाम में पौधों को पानी जरूर दीजिए । लेकिन दोपहर के समय बिल्कुल पानी देने की गलती न करें । इससे मुरझा सकते हैं पौधे ।
– वहीं, पौधों को पर्याप्त खाद देते रहें ताकि उनके न्यूट्रिशन यानी पोषण में कमी न आए ।आप पौधों के लिए ऑर्गेनिक फर्टिलाइजर का उपयोग भी कर सकते हैं ।
– इसके अलावा आप सारे पौधों को छांव में नहीं रख सकते हैं तो फिर आप हरे रंग का शेड डाल दें जहां पौधे रखे हैं आपने । इससे पौधे की हरियाली बनी रहेगी । तो अब से आप इन नुस्खों से अपने पौधों को गर्मी की मार से बचा सकती हैं ।