Saturday, September 20, 2025
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नीरज चोपड़ा ने विश्व एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में जीता रजत

19 वर्ष बाद भारत को टूर्नामेंट में पदक मिला है
नयी दिल्ली । ओलिंपिक चैंपियन नीरज चोपड़ा ने विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप के जैवलिन थ्रो इवेंट का रजत पदक जीतते हुए इतिहास रच दिया। वह इस इवेंट में मेडल जीतने वाले पहले भारतीय बने। उन्होंने 88.13 मीटर के अपने सर्वश्रेष्ठ थ्रो के साथ रजत पदक अपनी झोली में डाला। इस तरह 19 वर्ष बाद भारत को टूर्नामेंट में पदक मिला है। इससे पहले 2003 में लॉन्ग जंपर अंजू बॉबी जॉर्ज ने विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता था।
नीरज चोपड़ा का पहला प्रयास फाउल रहा, जबकि दूसरे अटेम्प्ट में उनहोंने 82.39 मीटर का थ्रो किया। यह उनके सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन से काफी दूर था। दूसरी ओर, ग्रेनाडा के एंडरसन पीटर्स ने पहले ही अटेम्प्ट में 90 मीटर को पार कर लिया। उन्होंने लगातार दो अटेम्प्ट में 90.21 और 90.46 मीटर का थ्रो करते हुए अपना मेडल पक्का कर लिया था।नीरज ने तीसरे प्रयास में अपने प्रदर्शन में सुधार किया। उन्होंने 86.37 मीटर का थ्रो करते हुए चौथे नंबर पर पहुंच गए। भारतीय स्टार ने चौथे राउंड में 88.13 मीटर का थ्रो करते हुए दूसरा नंबर पा लिया। नीरज का यह ओलिंपिक से भी बेहतर प्रदर्शन था। उन्होंने ओलिंपिक में 87.58 मीटर का जैवलिन थ्रो करते हए गोल्ड मेडल जीता था। अब चेक रिपब्लिक के याकूब वालडेश तीसरे नंबर पर पहुंच गए थे। छठे राउंड में वह फाउल कर गए।
वह 5वें राउंड में वह फाउल कर बैठे, लेकिन अच्छी बात यह रही कि याकूब वालडेश 81.31 मीटर ही फेंक सके। दूसरी ओर, ग्रेनाडा के एंडरसन पीटर्स को स्वर्ण पदक मिला।

वाहन विनिर्माण क्षेत्र में भी अपनी प्रतिभा दिखा रही हैं महिलाएं

कई कम्पनियां दे रही हैं प्रोत्साहन
नयी दिल्ली । पुरुषों के वर्चस्व वाले वाहन विनिर्माण के क्षेत्र में अब महिलाएं भी अपनी प्रतिभा दिखा रही हैं और इसमें उनकी मदद कर रही हैं देश की प्रमुख वाहन कंपनियां। दरअसल टाटा मोटर्स, एमजी मोटर, हीरो मोटोकॉर्प और बजाज ऑटो अपने विनिर्माण संयंत्रों में लैंगिक विविधता की ओर तेजी से बढ़ रही हैं।
भारत में टाटा मोटर्स के छह संयंत्रों में शॉप फ्लोर में 3,000 से अधिक महिलाएं उत्पादन के क्षेत्र में विभिन्न भूमिकाओं में काम कर रही हैं। वे छोटे यात्री वाहनों से लेकर भारी वाणिज्यिक वाहनों तक के उत्पादन के लिए काम कर रही हैं। कंपनी की अपने कारखानों में और महिलाओं को शामिल करने की योजना है।
वहीं, एमजी मोटर इंडिया की दिसंबर, 2023 तक लैंगिक रूप से संतुलित कार्यबल बनाने की योजना है जहां उसके कुल कार्यबल में महिलाओं की हिस्सेदारी 50 प्रतिशत हो। कम्पनी के गुजरात के हलोल संयंत्र में कारखाने में काम करने वाले 2,000 लोगों में से 34 फीसदी महिलाएं हैं।
हीरो मोटोकॉर्प में 2021-22 के अंत तक 1,500 महिला कर्मचारी काम कर रही थीं और निकट भविष्य में इनकी संख्या और बढ़ाने की योजना है।
बजाज ऑटो के पुणे स्थित चाकन संयंत्र में डोमिनार 400 और पल्सर आरएस 200 जैसी महंगी बाइकों का विनिर्माण का जिम्मा पूरी तरह से महिलाओं के हाथों में है। यहां 2013-14 की तुलना में 2021-22 में महिला कर्मियों की संख्या 148 से चार गुना बढ़कर 667 हो गई है।
कम्पनी की 2021-22 की वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है कि विनिर्माण संयंत्रों और इंजीनियरिंग में काम करने वाले कर्मियों में करीब 64 महिलाएं हैं। टाटा मोटर्स के अध्यक्ष एवं मुख्य मानव संसाधन अधिकारी रवींद्र कुमार ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘कंपनियों ने महिलाओं को अहम पदों पर लाने के लिए व्यापक रूपरेखा बनाई है लेकिन आंकड़े बताते हैं कि आदर्श स्थिति और वास्तविकता में बड़ा अंतर है। इसी अंतर को पाटने के लिए टाटा मोटर्स अपने तरीके से प्रयास कर रही है।’’
बीते दो साल में कम्पनी के पुणे में यात्री वाहन संयंत्र में महिलाओं की संख्या करीब 10 गुना बढ़ी है। इस कारखाने में अप्रैल, 2020 में 178 महिला कर्मी थीं जो अब बढ़कर 1,600 हो गई है। एमजी मोटर इंडिया में निदेशक-एचआर यशविंदर पटियाल ने कहा, ‘‘हमारा प्रयास है 50:50 का अनुपात हासिल करना।’’

65 की उम्र में डिग्री कोर्स पूरा करने के लिए परीक्षा देंगे उद्योगपति सुब्रत बागची

माइंड ट्री के मालिक हैं बागची, दिल्ली विश्वविद्यालय दे रहा है पुराने विद्यार्थियों को मौका

नयी दिल्ली । लोग क्यों पढ़ाई करते हैं…बड़ी-बड़ी डिग्रियां लेते हैं, जिससे एक अच्छी नौकरी मिल सके। अगर आप दिग्गज आईटी कंपनी के मालिक हों, तो किसी यूनिवर्सिटी से डिग्री लेने के बारे में सोचोगे? शायद नहीं। लेकिन माइंडट्री  के मालिक सुब्रत बागची ऐसा कर रहे हैं। वे दिल्ली विश्वविद्यालय से अपना डिग्री कोर्स पूरा करने के लिए परीक्षा में बैठेंगे। दरअसल इस तरह वे अपनी जवानी के सपने को पूरा करना चाहते हैं। बागची को डीयू में दाखिला लेने के बाद अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ी थी। वे हमेशा डीयू के लॉ सेंटर में अपना डिग्री कोर्स पूरा नहीं कर पाने को लेकर चिंतित रहे। लेकिन अब उन्हें 65 साल की उम्र में जाकर अपने अधूरे सपने को पूरा करने का मौका मिल गया है।

नौकरी तलाशने के लिए छोड़नी पड़ी थी पढ़ाई
उड़ीसा कौशल विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष और माइंडट्री के को-फाउंडर बागची इस समय 65 वर्ष के हैं। उन्होंने साल 1978 में डीयू में दाखिला लिया था। लेकिन उन्हें पढ़ाई बीच में ही छोड़कर नौकरी की तलाश करनी पड़ी। अपनी डिग्री पूरी ना कर पाने को लेकर बागची हमेशा चिंतित रहे। लेकिन अब उन्हें अपनी डिग्री पूरी करने का मौका मिल गया है। दरअसल, डीयू अपने शताब्दी कार्यक्रम के हिस्से के रूप में अपने पुराने विद्यार्थियों को डिग्री पूरा करने का अवसर दे रहा है। बागची इस मौके का फायदा उठा रहे हैं और दशकों बाद अपने अधूरे सपने को पूरा करना चाहते हैं।

अधूरा रह गया छठां सेमेस्टर
टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए बागची ने कहा, “मुझे डीयू के लॉ सेंटर में दाखिला मिला था, जो 1978 में मंदिर मार्ग पर हुआ करता था। उस समय भारतीय आईटी उद्योग नवजात स्थिति में था और मुझे नौकरी के लिए शहर बदलना पड़ा। पहले मैं कोलकाता गया, फिर बेंगलुरु गया और फिर अमेरिका में सिलिकॉन वैली गया। देखते ही देखते छह साल बीत चुके थे और मेरा छठा सेमेस्टर अधूरा रह गया था। मुझे परीक्षा में बैठने से रोक दिया गया था। उसके बाद दशकों बीच गए, लेकिन में अपनी डिग्री पूरी नहीं कर पाया। यह कुछ ऐसा था, जैसे किसी ने मेरी मेहनत को कालकोठरी में डाल दिया हो और चाबियां फेंक दी हों। ”
हजारों लोग उठा रहे मौके का फायदा
बागची अकेले नहीं है, जो डिग्री कोर्स पूरा करने के इस मौके का लाभ उठा रहे हैं। अपने शताब्दी समारोह के एक हिस्से के रूप में, डीयू उन लोगों को अनुमति दे रहा है, जिन्होंने अपना कोर्सवर्क तो पूरा कर लिया , लेकिन डिग्री अधूरी रह गई। ऐसे लोग इस साल अक्टूबर और अगले साल मार्च में होने वाली “शताब्दी मौका” परीक्षाओं में शामिल होने सकते हैं। डीयू द्वारा उपलब्ध कराए गए नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, 8,500 से अधिक उम्मीदवारों ने परीक्षा के लिए आवेदन किया है। दिल्ली विश्वविद्यालय प्रत्येक उम्मीदवार की टाइमलाइन और उस समय प्रचलित पाठ्यक्रम के आधार पर पेपर तैयार करेगा।

मार्कशीट देखकर दुखता था बागची का दिल
एक सफल आईटी उद्यमी के रूप में इतने वर्षों के बाद उन्होंने अपनी कानून की डिग्री हासिल करने का फैसला क्यों किया, इस बारे में बागची ने टीओआई को बताया है। उन्होंने कहा, “मेरे जीवन और काम को देखते हुए, कोई यह नहीं सोचेगा कि मुझे डिग्री अधूरी होने का पछतावा होगा। यह काफी हद तक सच है। फिर भी, जब भी मैंने लॉ सेंटर में पूरे किए गए पांच सेमेस्टर की मार्कशीट देखी, तो मेरा दिल दुखा। मैं अपनी जवानी के अधूरे सपने को पूरा करना चाहता था। अब परीक्षा देकर में अपने जीवन के एकमात्र अधूरे काम को पूरा करना चाहता हूं। मुझे उम्मीद है कि मेरे जैसे हजारों लोग फिर से अपना अधूरा सपना पूरा करना चाहेंगे। डीयू द्वारा अपने पूर्व छात्रों को प्रदान किए जा रहे इस अनूठे अवसर पर बागची ने कहा, “यह कहना गलत नहीं होगा कि विश्वविद्यालय ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 की पूरी भावना को जीवंत कर दिया है।”

(साभार – नवभारत टाइम्स)

सुन्दरवन हिंगलगंज में स्वर्णपुरो शिक्षा निकेतन में खुला फलक पुस्तकालय

कोलकाता । सुन्दरवन  हिंगलगंज में फलक पुस्तकालय का उद्घाटन समारोह संपन्न हुआ जो वहाँ के विद्यालय स्वर्णपुरो शिक्षा निकेतन के विद्यार्थियों के लिए खोला जा रहा है। यह पुस्तकालय  सुन्दरवन  के सभी स्थानीय लोगों के लिए भी है जहाँ वे भी अपनी मनपसंद पुस्तकों को पढ़ने का लाभ उठाएंगे। सीबीएसई बोर्ड के लिए प्रस्तावित स्वर्णपुरों शिक्षा निकेतन के बच्चों के लिए फलक पुस्तकालय का विशेष महत्व है क्योंकि उस इलाके में यह पहला अंग्रेजी माध्यम का विद्यालय है।
चौबीस जुलाई को फलक पुस्तकालय का उद्घाटन समारोह मुख्य अतिथि विधायक देब्स मंडल द्वारा किया गया।अन्य गणमान्य अतिथियों में भारतीय फिल्म निर्देशक सुदेशना रॉय, केटलबॉल स्पोर्ट्स सीए शिवानी शाह जो चार बार विश्व चैंपियन रहीं और युवा शिक्षाविद् हर्षित चोखानी की उपस्थिति रही । ।उद्घाटन के बाद विद्यार्थियों द्वारा एक सुंदर सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसके बाद पौधरोपण कार्यक्रम हुआ।
‘फलक स्प्रेडिंग स्माइल्स फाउंडेशन’ द्वारा बनाए गए इस पुस्तकालय का उद्देश्य स्वप्नोपुरन वेलफेयर सोसाइटी की संस्थापक सतरूपा मजूमदार के सद्प्रयास को सुन्दरवन के अंतर्गत सभी आंतरिक क्षेत्र के लोगों तक पुस्तकों की पहुँच और ज्ञान देना है।
‘फलक’ फाउंडेशन के संस्थापक तरंग कनोदिया, और अन्य सदस्य विवेक गोयल, हर्ष भुवलका, आयुष अग्रवाल, हिमांशु अग्रवाल, मिहिर सेठ, ऋतिक केडिया, माधव मनिहार, अंकित रस्तोगी, हितेश गुप्त, अनिकेत खेतान, आदर्श कठोटिया, तुषार सुरेका, उमंग कनोदिया, पूनम कनोदिया, वर्षा कनोदिया और गुरु सुशील जी कनोदिया उपस्थित थे।’फलक’ का मुख्य उद्देश्य है विद्यार्थियों में मुस्कान बिखेरना।
सुंदरबन में शिक्षा की अलख जगाने का मुख्य श्रेय सतरूपा मजूमदार को जाता है जो गत तीन – चार वर्षों से विद्यालय के विकास में अपना योगदान दे रही हैं। यह जानकारी दी डॉ वसुंधरा मिश्र ने ।

भवानीपुर 75 पल्ली में खूंटी पूजा के साथ ही पूजा की तैयारियाँ आरम्भ

कोलकाता । दुर्गापूजा अब आने ही वाली है। भवानीपुर 75 पल्ली ने खूंटी पूजा के साथ ही दुर्गा पूजा की तैयारी आरम्भ कर दी है। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में कोलकाता के मेयर सह राज्य के परिवहन, शहरी विकास, निगम मामलों एवं आवास मंत्री फिरहाद हकीम, कृषि मंत्री शोभनदेव चट्टोपाध्याय, विधायक देवाशीष कुमार, सामाजिक कार्यकर्ता कार्तिक बनर्जी, पार्षद पापिया सिंह, पार्षद संदीप रंजन बक्सी समेत अन्य लोग उपस्थित थे। यह पूजा कमेटी का 58वां वर्ष है। क्लब के सचिव सुबीर दास ने कहा कि इस साल यूनेस्को से दुर्गा पूजा को मिली मान्यता और स्वीकृति का उत्सव मनाया जाएगा। कोविड से जुड़ी सावधानियों को देखते हुए इस बार भी बहुत अधिक लोगों को मंडप में प्रवेश की अनुमति नहीं होगी। हर साल की तरह इस बार भी सामाजिक सेवा से जुड़े कार्य जैसे -रक्तदान शिविर, स्वास्थ्य परीक्षण, कम्बल वितरण जैसे कार्य किये जाएंगे।

द्रौपदी मूर्मू को राष्ट्रपति पद बनने पर बधाई

कोलकाता । देश की 15वीं नवनिर्वाचित राष्ट्रपति बनने वाली द्रौपदी मूर्मु को हर ओर से शुभकामनाएं मिल रही हैं। मर्चेन्ट्स चेम्बर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष ऋषभ सी. कोठारी ने भारत की प्रथम आदिवासी महिला राष्ट्रपति के रूप में निर्वाचित होने पर बधाई दी है। चेम्बर ने कहा है कि आदिवासी समुदाय को शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र के साथ सर्वोच्च पदों पर भी लाये जाने की जरूरत है। देश ने सपनों के लिए परिवेश तैयार किया है और राष्ट्रपति के रूप द्रौपदी मुर्मू का निर्वाचन परिवर्तन और गर्व का क्षण है।
वहीं एसोचेम ने कहा है कि यह निर्वाचन देश के आम आदमी को मजबूत करेगा। द्रौपदी मुर्मू ने अपनी साधारण जीवन शैली, राष्ट्रसेवा और सादगी से यह सफलता प्राप्त की है। यह करोड़ों भारतवासियों को विश्वास दिलाता है कि असम्भव कुछ भी नहीं। एसोचेम के अध्यक्ष सुमन्त सिन्हा ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को बधाई देते हुए कहा कि यह देश के लोकतंत्र के लिए गर्व का विषय है। बधाई सन्देश में एसोचेम के महासचिव दीपक सूद ने कहा कि द्रौपदी मुर्मू का निर्वाचन भारतीय लोकतंत्र की शक्ति को प्रदर्शित करता है। उन्होंने असंख्य भारतीयों को प्रेरित किया है। एसोचेम उनके मार्गदर्शन में कार्य करने के लिए तत्पर है।

बोर्ड परीक्षाओं में सुशीला बिड़ला गर्ल्स स्कूल की छात्राओं का सराहनीय प्रदर्शन

कोलकाता । सीबीएसई की बोर्ड परीक्षाओं में सुशीला बिड़ला गर्ल्स स्कूल की छात्राओं ने सराहनीय प्रदर्शन किया। सीबीएसई की बारहवीं की बोर्ड परीक्षा में स्कूल का परिणाम 87.60 प्रतिशत रहा। स्कूल में कॉमर्स की वनीशा खेमका ने 98.80 प्रतिशत अंक पाकर प्रथम स्थान प्राप्त किया। द्वितीय स्थान पर संयुक्त रूप से 98.60 प्रतिशत अंक पाकर कॉमर्स की मंजरी बागड़ी, भूमि कुमारी और तेजल चांडक रहीं। तीसरे स्थान पर ह्यूमैनिटीज की आंकाक्षा केडिया रही जिसे 98.40 प्रतिशत अंक मिले।
साइंस में गरिमा सेकसरिया (97.8 प्रतिशत) प्रथम, शारन्या बसाक (97.2 प्रतिशत) द्वितीय, स्वाति अग्रवाल (96.8 प्रतिशत) तृतीय रहीं।
कॉमर्स में स्कूल टॉपर वनीशा खेमका 98.8 प्रतिशत अंक पाकर सबसे आगे रही। द्वितीय स्थान पर 98.6 प्रतिशत अंक पाकर मंजरी बागड़ी, भूमि कुमारी और तेजल चांडक रहीं। तीसरे स्थान पर राजवी अग्रवाल, ऋषिका कायन, स्तुति सराफ संयुक्त रूप से रहीं और इनको 98.2 प्रतिशत अंक मिले।
ह्यूमैनिटीज में 98.4 प्रतिशत अंक पाकर आकांक्षा केडिया अव्वल रही। दूसरे स्थान पर तस्मिता भौमिक (96.8 प्रतिशत) और तीसरे स्थान पर प्राची जोशी (96.2 प्रतिशत) रहीं।
परीक्षा में बिजनेस स्टडीज में 14, अकाउंटेंसी में 5, ऑन्ट्रोप्रेनियरशिप में 5, साइकोलॉजी में 4, इकोनॉमिक्स में 3, मैथेमेटिक्स में 2, पॉलिटिकल साइंस में 1 और इन्फॉरमेटिक्स प्रैक्टिसेज में 1 छात्रा को शत – प्रतिशत अंक मिले।

साहित्यिकी में लेखिका रेणु गौरिसरिया और प्रमिला धूपिया के व्यक्तित्व और कृतित्व पर की चर्चा

कोलकाता ।  साहित्यिकी संस्था द्वारा वर्चुअल गोष्ठी में संस्था की वरिष्ठ लेखिका रेणु गौरीसरिया और प्रमिला धूपिया के व्यक्तित्व और कृतित्व पर परिचर्चा का आयोजन किया गया ।दोनों का ही जन्म 1941 का है और दोनों ही बालिका शिक्षा सदन विद्यालय की छात्रा रही हैं। प्रमुख वक्ताओं में गीता दूबे और कुसुम जैन ने क्रमशः रेणु गौरिसरिया और प्रमिला धूपिया की साहित्यिक यात्रा के महत्वपूर्ण पहलुओं पर विचार व्यक्त किए ।
कथाकार और साहित्यकार रेणु गौरीसरिया के जीवन यात्रा पर गीता दूबे ने विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि रेणु जी बालिका शिक्षा सदन में प्रसिद्ध कथाकार मन्नू भंडारी की शिष्या और साहित्य मर्मज्ञ रहीं। साथ में एक लोकप्रिय शिक्षिका भी रहीं। उनके जीवन के संघर्षों और दुखों को कभी भी हाईलाइट न करते हुए सकारात्मक ऊर्जा सोच से अपने अस्सी वर्ष में आज भी ऊर्जा से भरी हुई हैं। बताया कि रेणु जी की हिंदी आत्मकथा ‘जकारिया स्ट्रीट से मेफेयर तक’ का अब द्वितीय संस्करण आ रहा है और बांग्ला में भी अनुवाद हो रहा है। रेणु जी के आलेख ‘समस्या’ को साहित्यिकी की वरिष्ठ सदस्या मीना चतुर्वेदी ने पढ़ा।
रेणु गौरीसरिया ने अपने वक्तव्य में संस्था को धन्यवाद देते हुए कहा कि उन्हें जीवन के हर मोड़ पर प्रेम मिला। पुस्तकें पढ़ना, फिल्म, नाटक आदि देखना रुचि रही है और हंँसते रहना ही जीवन का मूलमंत्र माना है, रोना कोई नहीं सुनता। लेखिका प्रकृति से सौम्य हैं और जीवंतता इनके जीवन के महत्वपूर्ण अंग है। उनकी अनुभूतियों को उनकी रचनाओं में पढ़ा जा सकता है। बीस जुलाई 2022 को हुई इस गोष्ठी में मीना चतुर्वेदी ने रेणु के आलेख ‘समस्या’ का पाठ बहुत ही भावपूर्ण होकर किया जो बहुत ही सहज और प्रभावी रचना है। रेणु गौरीसरिया ने अपने वक्तव्य में अपने जीवन के अनुभवों को साझा किया।स्कॉटिश चर्च कॉलेज की हिंदी विभागाध्यक्ष और साहित्यकार गीता दूबे ने रेणु गौरीसरिया के व्यक्तित्व और कृतित्व पर चर्चा करते हुए कहा कि वे एक शिक्षिका होने के साथ-साथ एक सफल लेखिका हैं। इस अवसर पर उषा श्राफ और पूनम पाठक ने प्रश्न भी किए जो रेणु जी के जीवन के दुखों और अच्छी शिक्षिका कैसे बनें से संबंधित रहे।
साहित्यिकी की दूसरी वरिष्ठ सदस्या प्रमिला धूपिया रानी जीजी के रूप में लोकप्रिय हैं। जिनकी कविता ‘स्वागत है स्वर्ग में तुम्हारा ‘का पाठ बबीता माँधणा ने किया। माँधणा ने स्वरचित दोहे के साथ दोनों लेखिकाओं के गुणों और विशेषताओं का वर्णन किया। प्रमिला जी ने बताया कि संस्था की निदेशक कुसुम जैन की प्रेरणा से उन्होंने लिखना शुरू किया। विशारद प्रमिला जी भी बालिका शिक्षा सदन में मन्नू भंडारी जी की शिष्या रहीं और वहीं से पढ़ने-लिखने लिखने की रुचि विकसित हुई।
कुसुम जैन ने प्रमिला धूपिया के साथ अपने पचास वर्षों की यात्रा के अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि संयुक्त परिवार की परंपरा और पुरुष प्रधान संस्कृति में एक सशक्त महिला के रूप में अपने को प्रतिष्ठित करते हुए प्रमिला यानी रानी जीजी को एक सशक्त व्यक्तित्व की मलिका बताया। समझौता और प्रतिरोध दोनों ही उनके व्यक्तित्व के महत्वपूर्ण पहलू हैं। उनके प्रगतिशील विचारों से भरे लेखन पर विस्तार से जानकारी दी।
प्रमिला धूपिया ने कहा कि मेरे लेखन पर इस तरह की चर्चा करने के लिए संस्था को धन्यवाद देती हूँ अपने जीवन में आए अच्छे शिक्षकों मन्नू भंडारी और रमेश सर के संस्कार और पढ़ने की रुचि को महत्वपूर्ण बताया।
अध्यक्षता करते हुए भवानीपुर एजूकेशन सोसाइटी कॉलेज की हिंदी व्याख्याता डॉ वसुंधरा मिश्र ने वरिष्ठ लेखिकाओं की रचनाधर्मिता पर अपने महत्वपूर्ण विचारों को व्यक्त करते हुए कहा कि वर्तमान संदर्भ में रेणु गौरीसरिया और प्रमिला धूपिया के व्यक्तित्व और कृतित्व दोनों ही प्रेरित करने वाले हैं। दोनों ही अपने – अपने जीवन में
एक संपूर्ण महिला हैं । अस्सी की उम्र में रेणु जी का लेखन अभी भी अपनी ऊंँचाइयों को छू रहा है और प्रमिला धूपिया की जीवन शैली, अनुशासन, संकल्प और आदर्शों को लेकर परिवार, समाज और संस्कृति की विरासत के रूप में सभी को प्रेरित करता है। अनुभूति जब लेखन में उतरती है तो वह सृजन बन समष्टि से जुड़ जाती है।
कार्यक्रम का संयोजन व संचालन वरिष्ठ सदस्या डॉ सुषमा हंस ने किया। संस्था की सचिव डॉ मंजु रानी गुप्ता ने कार्यक्रम के प्रारंभ में सभी का स्वागत करते हुए अपने विचार व्यक्त किए। अंत में, डॉ वसुंधरा मिश्र ने सभी सदस्याओं को धन्यवाद देते हुए कहा कि इस प्रकार के कार्यक्रम लेखन को बढ़ावा देते हैं और साहित्यिकी कई महत्वपूर्ण लेखिकाओं से समय-समय पर रूबरू कराती रहती है जिससे दूसरे लेखकों को प्रेरणा मिलती है। इस प्रकार की साहित्यिक परिचर्चा से विचारों का आदान-प्रदान होने के साथ-साथ लेखन और पाठक समृद्ध होता है। तकनीकी सहयोग दिया नुपूर अशोक ने। कार्यक्रम में साहित्यिकी संस्था की सदस्याओं की अच्छी-खासी उपस्थिति रही।

अगर खरीदनी हो आपको छतरी

सर्दियों को छोड़कर गर्मियों और मानसून इन दोनों ही मौसम में हमें छतरी की जरूरत पड़ती है। छतरी बारिश के अलावा तेज धूप से भी बचाव करती है। इतना बड़ा काम करने के बावजूद भी इसकी शॉपिंग करते वक्त ज्यादातर लोगों का फोकस कलर और प्रिंट पर होता है न कि क्वॉलिटी पर। जिससे छाता कुछ ही दिनों में जवाब दे जाता है। तो इसकी शॉपिंग करते वक्त किन बातों का रखना चाहिए खास ध्यान, आइए जान लें यहां..
1. पकड़ने में हो आरामदायक
छाते का हैंडल बहुत ही सुविधाजनक होना चाहिए क्योंकि सबसे ज्यादा हैंडल का ही इस्तेमाल होता है। तो कैरी करके देख लें कि इसे पकड़ते वक्त हाथों में दर्द तो नहीं हो रहा। ग्रिप अच्छे से बन रही है ना।
2. हर एक मौसम के लिए हो उपयोगी
छाता हमेशा इस तरह का चुनें जो न सिर्फ बारिश बल्कि गर्मियों में भी आप इसका इस्तेमाल कर सकें।
3. लंबाई-चौड़ाई देखना न भूलें
आजकल मार्केट में ऐसे छाते आ रहे हैं जिन्हें आप आराम से कैरी कर सकें। लेकिन आपका फोकस सिर्फ ईज़ी टू कैरी पर नहीं होना चाहिए बल्कि ये भी देख लें कि छाते में आप पूरे समा सकें। अगर आपके पास कोई बैग या दूसरी वस्तु हो तो उसे भी भीगने से बचाया जा सके।
4. मजबूत हो
मानसून में बारिश के साथ ही जब तेज हवाएं चलती हैं तो खराब क्वॉलिटी का छाता पलट जाता है और कई बार तो टूट भी जाता है तो ऐसी प्रॉब्लम का सामना आपको न करना पड़े इसके लिए मजबूत छाता खरीदें। थोड़े पैसे ज्यादा लग सकते हैं लेकिन ये काफी समय तक आपका साथ देगा।
5. बच्चों के लिए अलग छाता
बच्चों के लिए अलग छतरी खरीदें। बड़ों का छाता उनके लिए कंफर्टेबल होता है और आजकल तो बच्चों के लिए टोपी की तरह छाते मिलते हैं जिन्हें पकड़ने की जरूरत नहीं होती और ये बारिश से बचाव भी करते हैं।

अगले साल 23 सितंबर से शुरू होंगे एशियन गेम्स

चीन के हांगझू में होने वाले एशियन गेम्स की नई तारीखें आ गई हैं। एशियन गेम्स का आयोजन अगले साल 23 सितंबर से आठ अक्तूबर के बीच होगा। ओलंपिक काउंसिल ऑफ एशिया ने मंगलवार को इसकी घोषणा की।
पहले एथियाई खेलों का आयोजन इसी साल 10 सितंबर से 25 सितंबर के बीच झेजियांग प्रांत की राजधानी हांगझू में आयोजित होना था। यह चीन की आर्थिक राजधानी शंघाई से करीब 175 किलोमीटर दूर है। ओलंपिक काउंसिल ऑफ एशिया ने एशियन गेम्स को स्थगित करने के पीछे कोई वजह नहीं बताई थी, लेकिन माना जा रहा है कि चीन में कोरोना के मामले बढ़ने के कारण एशियन गेम्स को स्थगित किया गया।
ओसीए ने कहा- पिछले दो महीनों में टास्क फोर्स ने चीनी ओलंपिक समिति, हांगझू एशियाई खेलों की आयोजन समिति और अन्य हितधारकों के साथ इन खेलों की नई तारीखों पर काफी विचार-विमर्श किया। इस दौरान यह भी ध्यान रखा गया कि इन खेलों का किसी और प्रमुख अंतरराष्ट्रीय खेलों के साथ तारीखें टकराव न हो।
टास्क फोर्स द्वारा चुनी गई तारीखों पर ओसीए के एग्जीक्यूटिव बोर्ड ने भी हामी भर दी है। इसके साथ ही गवर्निंग बॉडी ने चीनी आयोजकों और सरकार को महामारी के दौरान खेलों की तैयारी में कड़ी मेहनत करने और यह खेल अगले साल हो सके, यह सुनिश्चित करने के लिए धन्यवाद दिया।
56 खेलों के लिए तैयार हो चुके थे मैदान
आयोजकों ने बताया था कि चीन के पूर्वी शहर हांगझू, जिसकी आबादी 12 मिलियन (1.2 करोड़) है, वहां 56 खेलों के लिए मैदान तैयार कर लिए गए थे। इन्हीं मैदानों पर एशियन गेम्स और एशियन पैरा गेम्स होना था। हालांकि, अब एक साल बाद चीन को फिर से इन मैदानों को तैयार करना होगा। चीन इससे पहले शीतकालीन ओलंपिक की मेजबानी कर चुका है, जिसमें कोरोना के मामलों को रोकने के लिए कोविड से सुरक्षित बायो बबल बनाया गया था। हालांकि, एशियन गेम्स के मामले में ऐसा नहीं हो पाया।
संशय में थी भारत की भागीदारी
भारत के एशियाई खेलों में भाग लेने पर खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा था कि इस पर फैसला चीन की तरफ से फीडबैक मिलने के बाद ही किया जाएगा। एक कार्यक्रम के दौरान बात करते हुए अनुराग ठाकुर ने कहा था- वहां (चीन) की क्या परिस्थिति है और मेजबान देश स्थिति के बारे में क्या कहता है, यह महत्वपूर्ण है। भाग लेने वाले सभी देश इस पर चर्चा कर रहे हैं और जल्दी ही भारत भी फैसला लेगा, लेकिन उससे पहले मेजबान देश का पक्ष और यह जानना जरूरी है कि उनकी तैयारी कैसी है। अब उम्मीद की जा रही कि अगले साल तक हांगझू में कोरोना का खतरा टल जाएगा और सभी देश अपने खिलाड़ियों को भेज पाएंगे।