Wednesday, September 17, 2025
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भारत की पहली महिला इंजीनियर ए ललिता

ए ललिता देश की पहली महिला इंजीनियर मानी जाती हैं। उनका पूरा नाम अय्योलासोमायाजुला ललिता था। ए ललिता का का जन्म चेन्नई में 27 अगस्त, 1919 को हुआ था। पिता पप्पू सुब्बा राव खुद भी एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर थे। सात भाई-बहनों में ए ललिता पांचवी नंबर पर थीं। जिस वक्त उन्होंने पढ़ाई करने की सोची, उस समय लड़कियों को केवल बेसिक शिक्षा तक ही पढ़ाया जाता था। ए ललिता ने किसी तरह 12वीं तक की पढ़ाई की और फिर 15 साल की उम्र में उनकी शादी कर दी गई।

कठिनाई, संघर्ष लेकिन हार नहीं मानी
शादी के वक्त ए ललिता की उम्र काफी कम थी। उन्होंने पढ़ाई की जिद की तब माता-पिता ने कहा कि शादी के बाद वे आगे की पढ़ाई कर सकती हैं। लेकिन जब ललिता 18 साल की हुई तब उनकी बेटी का जन्म हुआ। मां बनने के चार महीने में ही पति भी दुनिया छोड़कर चले गए। उस वक्त भारतीय समाज में किसी विधवा महिला के साथ का व्यवहार अच्छा नहीं ंहोता था। लेकिन ए ललिता ने अपना सफर खत्म न करते हुए खुद और बेटी दोनों के लिए बेहतर जीवन का दृढ़ निश्चय लिया।

इंजीनियरिंग की पढ़ाई
इसके बाद ललिता ने इंजीनियरिंग कॉलेज, गिंडी, मद्रास विश्वविद्यालय में से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। चार साल के कोर्स में जब उन्होंने एडमिशन  लिया, तब टेक्निकल ट्रेनिंग सिर्फ पुरुषों के लिए ही मानी जाती थी। उस वक्त उनके पिता ने बेटी का साथ दिया और बेटी को दाखिला दिलाने में कॉलेज प्रिंसिपल डॉ. केसी चाको से बात कर बेटी को आगे बढ़ाने का काम किया। कॉलेज से डिग्री हासिल करने के बाद उन्होंने बिहार के जमालपुर में रेलवे वर्कशॉप में बतौर अपरेंटिस काम शुरू किया और फिर केंद्रीय मानक संगठन, शिमला में बतौर सहायक इंजीनियर नौकरी की। करीब दो साल बाद आर्थिक स्थिति ठीक न होने के चलते उन्हें कलकत्ता में एसोसिएटेड इलेक्ट्रिकल इंडस्ट्रीज में जाना पड़ा लेकिन तब तक उनकी पहचान एक बेहतर इंजीनियर के तौर पर बन चुकी थी।

ए ललिता का योगदान
ए ललिता जब कलकत्ता के एआईआईन में थीं, तब उन्होंने भाखड़ा नांगल बांध जैसी भारत के सबसे बड़े बांध की परियोजनाओं पर काम किया। ट्रांसमिशन लाइनों को डिजाइन करने और दूसरी बार प्रोटेक्टिव गियर, सबस्टेशन लेआउट और कॉन्ट्रेक्ट संभालने का काम ए ललिता करती थीं। इस काम की बदौलत उनकी छवि विश्वस्तर पर पहुंची और इंजीनियरिंग में उन्होंने अलग ही पहचान बनाई। 60 साल की उम्र में साल 1979 में उनका निधन हो गया।

दुर्गोत्सव 2022 – हाजरा पार्क दुर्गोत्सव कमेटी की पूजा में थीम बना ‘तांडव’

कोलकाता । हाजरा पार्क दुर्गोत्सव कमेटी के सदस्य प्रत्येक वर्ष अपने मंडप में अलग-अनोखे थीम के जरिए नए विचारों को सामने लाकर दर्शकों को अचंभित करने की कोशिश करते हैं। दक्षिण कोलकाता की इस दुर्गापूजा कमेटी ने इस बार आकर्षक थीम ‘तांडव’ की रचना पर मंडप को गढ़ा है। हाजरा पार्क दुर्गोत्सव कमेटी इस वर्ष 80वें वर्ष में पदार्पण कर चुकी है। ‘तांडव थीम’ दुनिया के वर्तमान परिदृश्य से संबंधित विषय को रखकर बनाया गया है। इस थीम के जरिए मानव जीवन का कुछ अनोखे पल को दिखाने की कोशिश की गई है। यह पूजा मंडप हाजरा क्रॉसिंग (जतिन दास पार्क के भीतर) पर स्थित है।

ब्रह्माण्ड विज्ञान के अनुसार हिन्दू शास्त्रों में विज्ञान को ‘तांडव’ का वैज्ञानिक सत्य बताया गया है जो प्रतिदिन अनदेखे सृष्टि के रूप में लगातार घटित हो रहा है। ब्रह्मांड के विभिन्न स्तरों पर होने वाली अस्थिरता में विनाश और सृजन का दैनिक चक्र निर्मित होता है, जो संतुलन बनाए रखने में मदद करता है। हिंदू शास्त्रों के अनुसार, तांडव हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग है, जो हमारी जानकारी के साथ या इससे परे होती है।
ड्रम की ध्वनि से निकलने वाले महान ऊर्जा तरंगों की धुन मानव शरीर में तरंगों के रूप में पहुंचती है। इस तरह से संपूर्ण ब्रह्मांड ऊर्जा का एक स्रोत बन जाता है। जिसके बाद फिर से एकल ऊर्जा रूपांतरित हो जाती है और ब्रह्मांड एकल ऊर्जा का भंडार बन जाता है, जिसके बाद वह बहुआयामी ऊर्जा में रूपांतरित हो जाता है। यही ‘तांडव’ की मूल बातें हैं।
यह केवल एक घटना नहीं है, जो किसी विशेष क्षण में घटित होती है, तांडव वास्तव में ब्रह्मांड की एक सतत प्रक्रिया है, जिसे हम आमतौर पर परमात्मा के दृष्टिकोण से जानते हैं। हाजरा पार्क में इस वर्ष की दुर्गा पूजा के लिए हमारा विषय इस प्रकार जीवन की इस शक्ति को प्रदर्शित करने का प्रयास करना है। हम दिखाते हैं कि कैसे यह मानव जीवन और समाज के विभिन्न क्षेत्रों में कलाकार के तांडव की छाप एक वास्तविक हिस्सा बन गया है।

हाजरा पार्क दुर्गोत्सव समिति के संयुक्त सचिव सायनदेव देब चटर्जी ने कहा कि, ‘इस वर्ष का विषय ब्रह्मांड की निरंतर प्रक्रिया के बारे में जानने की, इसे अनुभव जाने की कोशिश करना है। तांडव, वास्तव में मानव जीवन का एक भौतिक दस्तावेज है। यह मूल रूप से कोई विशिष्ट क्षण नहीं है, बल्कि एक सतत प्रक्रिया है। सृष्टि के सिद्धांत के अनुसार इस ब्रह्मांड में कहीं न कहीं प्रतिदिन हिंसा होती रहती है। ब्रह्मांड के विभिन्न स्तरों पर होने वाली अस्थिरता में विनाश और सृजन के भंडार बनते रहते हैं। भवानीपुर में कुछ वर्षों के लिए दुर्गापूजा आयोजित की गई थी। इसे 1945 में हाजरा पार्क में स्थानांतरित कर दिया गया। प्रारंभ से ही इस पूजा ने भेदभाव के खिलाफ बात की है।

इस थीम के जरिए यह संदेश देने की कोशिश की गई है कि, मानव होने के नाते हम अतीत के अपने अनुभव के आधार पर बेहतर कल के निर्माण की आशा के साथ संघर्ष करते रहे। परिवर्तन जीवन का एक हिस्सा है, क्योंकि कुछ भी लंबे समय तक

फ्लिपकार्ट के द बिग बिलियन डेज का पेमेंट पार्टनर बना पेटीएम

कोलकाता । पेटीएम ने फ्लिपकार्ट के प्रमुख कार्यक्रम – द बिग बिलियन डेज़ (टीबीबीडी) के साथ अपनी साझेदारी की घोषणा की। इस साझेदारी के साथ, पेटीएम पेटीएम यूपीआई और पेटीएम वॉलेट के माध्यम से किए गए भुगतान पर रोमांचक कैशबैक की पेशकश कर रहा है।
द बिग बिलियन डेज़ के दौरान, फ्लिपकार्ट पर खरीदारी करने वाले ग्राहकों को पेटीएम यूपीआई के माध्यम से भुगतान करने पर ₹250 और उससे अधिक की खरीदारी पर ₹25 का तत्काल कैशबैक और पेटीएम वॉलेट के माध्यम से ₹500 और उससे अधिक के खर्च पर ₹50 का तत्काल कैशबैक प्राप्त होगा।
पेटीएम भारत में डिजिटल भुगतान का चैंपियन है। कंपनी अपने नवाचारों के साथ भारत की डिजिटल क्रांति में सबसे आगे रही है जो रोजमर्रा की जिंदगी को आसान बनाती है। पेटीएम के मजबूत बहु-भुगतान ढांचे ने देश में वित्तीय समावेशन को आगे बढ़ाते हुए अधिक से अधिक अपनाने को सुनिश्चित किया है।
पेटीएम के प्रवक्ता ने कहा, ‘द बिग बिलियन डेज के लिए पेमेंट पार्टनर के रूप में फ्लिपकार्ट के साथ हमारा जुड़ाव भारत के छोटे शहरों और कस्बों के लाखों खरीदारों को सुरक्षित भुगतान का अनुभव प्रदान करेगा। डिजिटल भुगतान के अग्रणी के रूप में, यह पेटीएम यूपीआई और पेटीएम वॉलेट जैसे हमारे उपकरणों के साथ पहुंच बढ़ाने के हमारे दृष्टिकोण के अनुरूप है।
दो घरेलू ब्रांडों के बीच यह साझेदारी ग्राहकों को उत्सव के आयोजन में आराम से खरीदारी और भुगतान अनुभव का आश्वासन देगी। इसके साथ, द बिग बिलियन डेज के दौरान फ्लिपकार्ट पर खरीदारी करने वाले उपयोगकर्ताओं को पेटीएम के साथ तेज, परेशानी मुक्त और सुरक्षित चेकआउट का लाभ मिलेगा।

राज्य में उद्योगों की स्थिति बेहतर हुई है – डॉ. शशि पांजा

कोलकाता । राज्य की उद्योग, वाणिज्य और उद्यम मंत्री डॉ. शशि पांजा ने कहा कि राज्य में औद्योगिक विकास के लिए राज्य सरकार काम कर रही है। उद्योग जगत को भी राज्य के गुलविल अम्बास्डर बनना चाहिए। एमसीसीआई द्वारा राज्य में औद्योगिक प्रगति को लेकर आयोजित एक परिचर्चा में यह बात कही। उन्होंने कहा कि राज्य जलवायु, मौसम, उपभोक्ताओं समेत सभी दृष्टि से अच्छी स्थिति में है। देओचा पंचमी में कोयले की खान और ताजपुर में डीप सीपोर्ट का काम प्रगति पर है। डॉ. पांजा ने सृजनात्मक उद्योगों के तहत कला एवं हस्तशिल्प उद्योग एवं उनके माध्यम से रोजगार सृजन की बात की औऱ इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण पर जोर दिया। उन्होंने इस धारणा को खारिज किया कि राज्य में कोई बड़ा निवेश नहीं है और कहा कि 2011 के बाद से औद्योगिक हड़ताल नहीं हुई,यह निरंतरता एक सकारात्मक संकेत है। एमसीसीआई के अध्यक्ष ऋषभ कोठारी ने अपने स्वागत भाषण में दक्षिण 24 परगना के नुंगी, महेशतला में एक थोक परिधान हब स्थापित करने के लिए पश्चिम बंगाल सरकार की पहल की सराहना की। एमसीसीआई के वरिष्ठ उपाध्यक्ष ललित बेरीवाला ने डॉ. शशि पांजा से बिजली गहन उद्योगों, विशेष रूप से स्टील के टैरिफ मुद्दों पर ध्यान देने का अनुरोध किया। धन्यवाद ज्ञापन एमसीसीआई के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट ललित बेरीवाल ने दिया।

 

अन्नपूर्णा स्वादिष्ट ने अपने एंकर निवेशकों से जुटाए 8.61 करोड़

कोलकाता । अन्नपूर्णा स्वादिष्ट ने अपने एंकर निवेशकों से 8.61 करोड़ रुपये जुटाए हैं। कम्पनी ने 12,30, 000 इक्विटी शेयर अपने तीन एंकर निवेशकों, राजस्थान ग्लोबल सिक्योरिटीज प्राइवेट लिमिटेड, ऑथम इन्वेस्टमेंट एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड एवं नव कैपिटल वीसीसी – नव कैपिटल इमर्जिंग स्टार फंड को आवंटित किये। प्रति शेयर का इश्यू मूल्य 70 रुपये प्रति शेयर रहा। कम्पनी का आईपीओ 15 सितम्बर को खुला और 19 सितम्बर को बंद हो रहा है। कम्पनी का इश्यू एनएसई एसएमई इमर्ज के तहत सूचीबद्ध होगा।
गौरतलब है कि अन्नपूर्णा स्वादिष्ट अपने शेयरों की कीमत 68-70 रुपये प्रति शेयर निश्चित की है। कम्पनी ने बुक बाइंडिंग इश्यू के तहत 43.22 लाख इक्विटी शेयर जारी किये हैं। बाजार के दिग्गज शंकर शर्मा के नेतृत्व में मार्की निवेशकों ने कंपनी में प्री-आईपीओ राउंड ऑफ फंडिंग में निवेश किया है। इसके अलावा, जीएमओ सिंगापुर पीटीई के पूर्व पार्टनर अमित भरतिया ने भी अपनी व्यक्तिगत क्षमता में निवेश किया है। एनएवी कैपिटल इमर्जिंग स्टार फंड और राजस्थान ग्लोबल सिक्योरिटीज सहित प्रमुख संस्थागत निवेशकों ने भी कंपनी में प्री-आईपीओ हिस्सेदारी में निवेश किया है। इस इश्यू का प्रबंधन कॉरपोरेट कैपिटल वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा किया जा रहा है। लिमिटेड, और स्काईलाइन फाइनेंशियल सर्विसेज प्रा। लिमिटेड इश्यू का रजिस्ट्रार है। निर्गम के बाद, कंपनी का पेड अप इक्विटी कैपिटल बढ़कर रु. 16.42 करोड़ रु. 12.10 करोड़ हो जाएगा।

 

 

 

अर्चना ने मनाया हिन्दी दिवस

कोलकाता । हिंदी दिवस के अवसर पर अर्चना संस्था के सदस्यों ने हिंदी भाषा और उसके साथ अपनी मातृभाषा प्रेम और देशप्रेम के प्रति अपनी जिम्मेदारी को स्वरचित रचनाओं , गीत और गजल के द्वारा अपनी भावनाओं को व्यक्त किया। उषा श्राफ ने मैने हिंदी को नहीं चुना, हिंदी ने मुझे चुना है।
राजस्थानी और हिंदी में मृदुला कोठारी ने लो फेरू आग्योहिंदी पखवारोअंग्रेजी की गोदी में बैठो जाने गांव रो गवारू छोरो और हिंदी हमारी साख है है,टहनियां, सांस प्राण धमनिया है और तुलसी पौधे पर एक गीत, प्रसन्न चोपड़ा ने सीने से लगाकर पाला, अपने से दूर किया थाजैसे कड़वा घूंट, मैंने कोई पिया था, हिम्मत चोरडिया प्रज्ञा ने कुण्डलिया-हिन्दी हिन्दुस्तान की, हमको है अभिमान।
जन-जन की भाषा बने, मिले इसे पहचान।।कुछ दोहे- सीधी सरल सुहावनी, माता हिन्दी बोल।गहन ज्ञान इसमें छिपा, आँखें अपनी खोल, मीना दूगड़ ने हिंद हिंदुस्तान भारत इंडिया,कहलाया जो सोने की चिड़िया
हर शब्द के पीछे छुपा राज गहरा,पग पग पर संस्कृति देती पहरा।, प्रसन्न चोपड़ा ने सीने से लगा के पाला ,अपने से दूर किया था। जैसे कड़वा घूंट, मैंने कोई पिया था। शीतल बयार सी आती ,तपन होती कुछ कम है। मन का दर्द समझती बेटी मानो जीवन है।संगीता चौधरी ने शीर्षक हिंदी और मैं कविता की प्रस्तुति दी। बड़े प्रेम से मेरे देश में हिंदी दिवस मनाया जाता है। सुशीला चनानी ने एक सूत्र में बांधे रखती हिन्दी जैसे अन्नपूर्णा सी माँ जोड़कर रखती परिवार लगा कर भाल पर बिन्दी,संस्कृत के गोमुख से निकली गंगा सी पावन हिन्दी, एक सूत्र मे बांधे रखती ऐसी है मन भावन हिन्दी, शिक्षक पर एक गीत -अंधियारी गलियों मे राह जो दिखाते हैं वो और नही कोई मेरे गुरुदेव ही हैं ,मेरे मन में दीप ज्ञान का जलाते हैं। इंदू चांडक ने प्यारी प्यारी मातृभाषा, हमारी है हिंदी, जन जन के होठों पर गूँजे, गर्व से हिंदी, कोई आसमां के पार से बुलाता है मुझे, हर पलअपने होने का आभास दे जाता है मुझे, डॉ वसुंधरा मिश्र ने हिंदी की रेल चली हिंदी की रेल चली इतराती इठलाती कई भाषाओं की विविध रचनाओं को हिंदी भाषा के प्रति समर्पित किया गया।

हिन्दी दिवस पर विशेष : हिन्दी

बब्बन

प्रयागराज/इलाहाबाद

(१)
अपने भारत देश महान में,
उल्लिखित आठवीं अनुसूची जो संविधान में,
विराजमान 22 भाषाएं,
हम सम्मान पूर्वक इन्हें यूं बताएं

असमी,उड़िया, गुजराती, बँगाली,
कन्नड़ ,बोड़ो,संस्कृत, संथाली।
पंजाबी, मलयालम, मराठी, मैथिली,
तमिल, तेलगू, उर्दू ,नेपाली।
इसी कड़ी मे कोंकणी, मणिपुरी।
जुड़ी हुई डोगरी, कश्मीरी।
और सुशोभित सिन्धी है।
ऐ भाषाएँ भारत माँ के गहने हैं।
और सभी आपस मे बहनें हैं।
इन बहनों के माथे की जो बिन्दी है,
वह हमारी भाषा हिंदी है।
(२)
आजादी जब मिली वतन को,
तो राष्ट्रभाषा हिन्दी ही होगी,
सबने कसमें खाती थी।
यही वह भाषा है जिसमें,
क्रान्ति ने लिया अंगड़ाई थी।
आजादी के हर योद्धा ने,
हिंदी की महिमा गाई थी।
जन-जन की सम्पर्क कड़ी बन,
स्वतन्त्रता हिन्दी ने ही दिलायी थी।
हिन्दुस्तान की पहचान यह भाषा,
यहीं की मूल वसिन्दी है।
राजभाषा गद्दी की असली वारिस,
हिन्द की भाषा हिन्दी है।
(३)
स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद देश में,
हिन्दी का हुआ न उचित सम्मान।
अंग्रेज़ यहां से चले गए,
पर उनकी भाषा रही विराजमान।
सिंहासन पर जिसको होना था,
होता रहा उसका अपमान।
राजनेताओं के कुचक्र से,
हिन्दी हुई बहुत परेशान।
घुट घुट कर रह मरने वाली,
अधमरी होकर भी ज़िन्दी है।
राष्ट्रभाषा की जायज अधिकारिणी,
मातृभाषा हमारी हिन्दी है।

(४)
यह ऐसी भाषा है,
जिससे होता अभिव्यक्ति और विकास।
भावों के प्रकटीकरण का,
यह करती है सफल प्रयास।
राष्ट्र भाषा बिन गूँगा मुल्क है,
इससे बड़ा नहीं संत्रास।
बिन भाषा सम्मान ,देश अवनति पथ पर,
देखो उठाकर तुम इतिहास।
अपनों से ही पाकर उपेक्षा,
यह दशकों से हुयी शर्मिन्दी है।
अधिकतम प्रतिष्ठा की प्रबल अधिकारिणी,
वह भाषा हमारी हिंदी है।
(५)
अपने पूरे प्रवाह को पाकर,
देगी यह जन जन को जोड़।
वोट के खातिर कुछ स्वार्थी नेता,
इसके महत्व को देते तोड़ मरोड़।
76 प्रतिशत जनता इसे समझती है,
बोलते हैं इसे लोग साठ करोड़।
प्रगति पथ पर इसे ले जाना है,
रखकर अपने मन में होड़।
22 भाषाओं की सरिता में,
सात लाख शब्दों की मल्लिका,
यह अविरल कालिन्दी है।
गंगोत्री की गंगा जल सी पवित्र,
यह मेरी भाषा हिंदी है।
(६)
राष्ट्रीय एकता सुदृढ़ होगी,
भारत देश बनेगा महान।
संसद से लेकर डगर डगर तक,
गर दोगे हिन्दी को सम्मान।
हिन्दी हमारी मातृभाषा है,
अंग्रेजी को मत समझो शान।
हिन्दी में सब कार्य करेंगे,
आज से लिजिए मन में ठान।
मातृभूमि की तरह हमारी,
मातृभाषा भी अभिनन्दी है।
भारतीय भाषाओं में जो सबसे सशक्त है,
वह भाषा केवल हिन्दी है।

हिन्दी दिवस पर विशेष : हिंदी की रेल चली

– डॉ. वसुंधरा मिश्र

हिंदी की रेल चली, हिंदी की रेल चली
हिंदुस्तान की सिरमौर रेख्ता, रेख्ती खड़ी बोली
आज हिंदी बन विकास की उच्च सीढ़ियों पर चढ़ती चली
इतराती इठलाती कई भाषाओं की सखी सहेली
हिंदी की रेल चली हिंदी की रेल चली

देश विदेश की सरहदें पार कर दिलों में बसने लगी
अरबी-फ़ारसी उर्दू पुर्तगीज को गले लगा सबकी स्नेही बनी
पूर्व से पश्चिम उत्तर से मध्य भारत में हिंदी के रंग की बेल चढ़ती चली
हिंदी की रेल चली हिंदी की रेल चली

होली दिवाली तीज-त्यौहार हिंदी के रंग में रंगे
विभिन्नता में एकता को मजबूत करती हिंदी की लहर हवाओं में घुली।
हिंदी की रेल चली हिंदी की रेल चली

देश के पार विदेशों में हिंदी की सुरभि फलीफूली
मेरे और तुम्हारे बीच संपर्क सेतु बनी
हमजोली बनी हिंदी
हिंदी की रेल चली हिंदी की रेल चली

नागपुर से भोपाल मॉरिशस युगांडा से फिजी फिर त्रिनिदाद गुयाना
दिल्ली की शान बनी हिंदी, राजभाषा बनी
निज भाषा की शान लगी हिंदी
हर दिल की आवाज़ बनी हिंदी
हिंदी की रेल चली हिंदी की रेल चली

सरल सहज और गतिशील धारा में बहती रही
वेदों और संस्कृत से निःसृत गंगा सी फैलती रही
भारत की विशाल धरती पर
दूब बनी देवों के सिर पर चढ़ती रही
भागीरथी देव भाषा की प्रहरी बन
संस्कृति और संस्कार बन बहने लगी
हिंदी की रेल चली हिंदी की रेल चली

राज्य में उद्योगों की स्थिति बेहतर हुई है – डॉ. शशि पांजा

कोलकाता । राज्य की उद्योग, वाणिज्य और उद्यम मंत्री डॉ. शशि पांजा ने कहा कि राज्य में औद्योगिक विकास के लिए राज्य सरकार काम कर रही है। उद्योग जगत को भी राज्य के गुलविल अम्बास्डर बनना चाहिए। एमसीसीआई द्वारा राज्य में औद्योगिक प्रगति को लेकर आयोजित एक परिचर्चा में यह बात कही। उन्होंने कहा कि राज्य जलवायु, मौसम, उपभोक्ताओं समेत सभी दृष्टि से अच्छी स्थिति में है। देओचा पंचमी में कोयले की खान और ताजपुर में डीप सीपोर्ट का काम प्रगति पर है। डॉ. पांजा ने सृजनात्मक उद्योगों के तहत कला एवं हस्तशिल्प उद्योग एवं उनके माध्यम से रोजगार सृजन की बात की औऱ इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण पर जोर दिया। उन्होंने इस धारणा को खारिज किया कि राज्य में कोई बड़ा निवेश नहीं है और कहा कि 2011 के बाद से औद्योगिक हड़ताल नहीं हुई,यह निरंतरता एक सकारात्मक संकेत है। एमसीसीआई के अध्यक्ष ऋषभ कोठारी ने अपने स्वागत भाषण में दक्षिण 24 परगना के नुंगी, महेशतला में एक थोक परिधान हब स्थापित करने के लिए पश्चिम बंगाल सरकार की पहल की सराहना की। एमसीसीआई के वरिष्ठ उपाध्यक्ष ललित बेरीवाला ने डॉ. शशि पांजा से बिजली गहन उद्योगों, विशेष रूप से स्टील के टैरिफ मुद्दों पर ध्यान देने का अनुरोध किया। धन्यवाद ज्ञापन एमसीसीआई के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट ललित बेरीवाल ने दिया।

  साहित्य अकादेमी में अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस के अवसर पर कार्यक्रम

कोलकाता । साहित्य अकादेमी द्वारा अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस के अवसर पर श्री शिक्षायतन कॉलेज, कोलकाता के संयुक्त तत्वावधान में कॉलेज परिसर में दो-दिवसीय पुस्तक प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। प्रदर्शनी का उद्घाटन प्रतिष्ठित अंग्रेजी लेखिका संयुक्ता दासगुप्त ने किया। इस अवसर पर कॉलेज की प्रधानाचार्या अदिति दे की अध्यक्षता में ‘भारतीय ‘भारतीय साहित्य’ पर केंद्रित एक कार्यक्रम भी आयोजित हुआ। कार्यक्रम के आरंभ में स्वागत भाषण देते हुए अकादेमी के क्षेत्रीय सचिव देवेंद्र कुमार देवेश ने अकादेमी की गतिविधियों पर प्रकाश डालते हुए भारतीय साहित्य की अवधारणा और साहित्य से आम जनता के सरोकार पर चर्चा की। इस अवसर पर मालिनी मुखर्जी ने परिचयात्मक वक्तव्य प्रस्तुत किया। मुख्य वक्ता संयुक्ता दासगुप्त ने विभिन्न राज्यों में भाषाओं की स्थिति और साहित्य पर विचार करते हुए इस बात को सामने रखा कि किस प्रकार एक समय भारत के किसी भी भाग की भाषा न होने के बावजूद आज अंग्रेजी संपूर्ण भारत में स्वीकृत और व्यवहृत भाषा बन गई है और विभिन्न भाषाओं के साहित्य का अंग्रेजी में अनुवाद अथवा भिन्न भाषी लेखकों द्वारा अंग्रेजी में लेखन के कारण अंग्रेजी भारतीय साहित्य को प्रस्तुत करने का माध्यम बन गई है। चित्रिता बनर्जी ने अठारहवीं सदी से अद्यतन विभिन्न भारतीय भाषाओं के साहित्य पर तुलनात्मक विमर्श प्रस्तुत करते हुए भारतीय साहित्य के प्रतिनिधि स्वरूप और विशिष्टताओं को श्रोताओं के समक्ष प्रस्तुत किया। कार्यक्रम के अंत में कॉलेज की छात्राओं ने हिंदी, उर्दू, बांग्ला और अंग्रेजी के महत्वपूर्ण कवियों की कविताओं का कविता कोलाज प्रस्तुत किया तथा अंग्रेजी विभागाध्यक्ष देवलीना गुह ठाकुरता ने औपचारिक धन्यवाद ज्ञापन किया।