Tuesday, July 1, 2025
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टाइम मैगजीन की 100 साल की सर्वश्रेष्ठ फिल्मों की सूची में एकमात्र भारतीय ‘पथेर पांचाली’

कोलकाता । टाइम मैगजीन ने बीते 10 दशकों की सर्वश्रेष्ठ फिल्मों की एक सूची जारी की है जिसमें एक मात्र भारतीय फिल्म पथेर पांचाली को जगह मिली है। मैगजीन ने 1920 से 2010 के दशक को कवर किया है। 100 साल की सर्वश्रेष्ठ फिल्मों की सूची की शुरुआत द कैबिनेट ऑफ डॉ कैलीगरी (1920) से हुई और वन्स अपॉन ए टाइम इन हॉलीवुड (2019) के साथ समाप्त होती है।
इन दो फिल्मों के बीच केवल एक भारतीय फिल्म पथेर पांचाली (1955) को जगह दी गई है जिसका निर्देशन सत्यजीत रे ने किया था। गौरतलब है कि पथेर पांचाली बिभूतिभूषण बंदोपाध्याय के 1929 के बंगाली उपन्यास पर आधारित है। यह फिल्म रे के निर्देशन की पहली फिल्म थी। तब से इसका उल्लेख अब तक की सर्वश्रेष्ठ फिल्मों की कई समान सूचियों में किया गया है। इसमें सुबीर बनर्जी, कानू बनर्जी, करुणा बनर्जी, उमा दासगुप्त और चुनिबाला देवी शामिल हैं। फिल्म की कहानी बंगाल के निश्चिन्दिपुर गांव में रहने वाले अपू और उसकी बड़ी बहन दुर्गा की कहानी है। अपू और दुर्गा गरीबी की कड़वी सच्चाई से अनजा अपने बचपन की अल्हड़ शैतानियों में अपना जीवन बिताते हैं।
100 फिल्मों की सूची और उसमें पथेर पांचाली को कैसे चुना गया? टाइम के जचरक ने एक लेख में लिखा- ‘मैंने चुनने में 50 से अधिक वर्ष बिताए हैं। ये ऐसी फिल्में हैं जो शिल्प कौशल और भावना को जोड़ती हैं। वे अक्सर आकर्षक प्रदर्शन प्रस्तुत करते हैं। किसी भी कारण से, वे मुझे गहराई से छूते हैं।’ गौरतलब है कि हाल ही में, यह साइट एंड साउंड पत्रिका की सर्वकालिक सर्वश्रेष्ठ फिल्मों की प्रतिष्ठित सूची में जगह पाने वाली एकमात्र भारतीय फिल्म थी। और इसे इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ फिल्म क्रिटिक्स (एफआईपीआरईएससीआई) द्वारा अब तक की सर्वश्रेष्ठ भारतीय फिल्म घोषित किया गया था।
100 फिल्मों की सूची ये फिल्में भी शामिल
पथेर पांचाली के अलावा इस सूची में साइकिल थीव्स, ब्रेथलेस, गॉन विद द विंड, सेवन समुराई, टैक्सी ड्राइवर, द गॉडफादर पार्ट 2 जैसे क्लासिक्स का उल्लेख मिलता है। इसके साथ ही ईटी द एक्स्ट्रा-टेरेस्ट्रियल और द एम्पायर स्ट्राइक्स बैक जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्में और वोंग कार-वाई की दो फिल्में – इन द मूड फॉर लव और चुंगकिंग एक्सप्रेस भी शामिल हैं। सबसे हालिया प्रविष्टियाँ टारनटिनो की वन्स अपॉन ए टाइम इन हॉलीवुड और ग्रेटा गेरविग की लिटिल वुमेन हैं।

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खुदीराम बोस सेंट्रल कॉलेज में हिंदी शिक्षण कार्यशाला 

कोलकाता। कोलकाता के सुप्रतिष्ठित खुदीराम बोस सेंट्रल कॉलेज में छह दिवसीय मूल्य वर्द्धक पाठ्यक्रम (वैल्यू एडेड कोर्स) के अंतर्गत ‘बोलचाल की हिंदी सीखें’ कोर्स कराया जा रहा है। आज से इस कोर्स की शुरूआत आई.क्यू.एस.सी एवं हिंदी विभाग के सयुंक्त तत्त्वावधान में अहिंदी भाषी विद्यार्थियों के लिए की गयी है। इस कोर्स में छह दिन अलग-अलग विश्वविद्यालय एवं कॉलेजों के शिक्षकों एवं विद्यार्थियों को हिंदी व्याकरण, वर्णमाला, लिंग की समस्या, वाक्य रचना, काव्य लेखन, साक्षात्कार,पत्र लेखन आदि विषयों पर विस्तार से जानकारी देंगे। एमएसटीसी के पूर्व निदेशक मृत्युंजय श्रीवास्तव, प्रेसीडेंसी विश्वविद्यालय से प्रो. वेद रमन पाण्डेय, स्कॉटिश चर्च कॉलेज से डॉ गीता दुबे, लिटिल थेस्पियन संस्था की निदेशक एवं रंगकर्मी उमा झुनझुनवाला, वागर्थ पत्रिका के सह संपादक एवं नाटककार सुशील कांति के साथ हिंदी विभाग की शिक्षिका डॉ शुभ्रा उपाध्याय, मधु सिंह और राहुल गौड़ क्लास लेंगे। खुदीराम बोस सेंट्रल कॉलेज के अलावा दूसरे कॉलेज के विद्यार्थियों ने भी इस कोर्स में अपना पंजीकरण कराया है।कार्यशाला के पहले दिन कॉलेज के प्राचार्य डॉ सुबीर कुमार दत्ता ने कहा कि कोलकाता में इस प्रकार का कोर्स पहली बार कराया जा रहा है। इस कोर्स से विद्यार्थी लाभांवित होंगे।बतौर विषय विशेषज्ञ खिदिरपुर कॉलेज की विभागाध्यक्ष डॉ इतु सिंह ने ‘वर्णमाला, उच्चारण, मात्राएँ, शब्द निर्माण ‘ विषय पर अपना व्याख्यान देते हुए कहा कि हिंदी सीखने के क्रम में इनकी जानकारी बहुत जरूरी है।डॉ शुभ्रा उपाध्याय ने कहा कि किसी भी भाषा को सीखना एक पूरी संस्कृति को सीखना होता है। आई.क्यू.एस.सी की संयोजिका एवं इतिहास विभाग की प्रो. अनामिका नंदी ने कहा कि यह कोर्स सभी विद्यार्थियों के लिए मददगार है क्योंकि यह कोर्स विद्यार्थियों को नौकरी के क्षेत्र में मदद करेगा।सभी प्रतिभागियों को 31 जुलाई को कोर्स प्रमाणपत्र प्रदान किया जाएगा। आपको बता दें कि इसके पहले अंग्रेजी विभाग की तरफ से लेखन कौशल और कॉलेज लाइब्रेरी की ओर से चैट जीपीटी विषय को लेकर वैल्यू एडेड कोर्स कराया गया था।

भवानीपुर कॉलेज को मिला एसोचेम का द एडुमीट एंड एजूकेशन एक्सीलेंस अवार्ड 2023

कोलकाता । इंडस्ट्री एकेडेमिया लिंकेज को बढ़ावा देने के लिए सर्वश्रेष्ठ संस्थान का एसोचैम पुरस्कार कोलकाता के होटल ताज ताल कुटीर में आयोजित द एडुमीट एंड एजुकेशन एक्सीलेंस अवार्ड्स 2023 के 7वें संस्करण में एसोचैम द्वारा भवानीपुर एजुकेशन सोसाइटी कॉलेज को इंडस्ट्री एकेडेमिया लिंकेज को बढ़ावा देने के लिए सर्वश्रेष्ठ संस्थान के रूप में सम्मानित किया गया है। कार्यक्रम की शुरुआत एसोचैम पूर्व और पूर्वोत्तर की वरिष्ठ निदेशक श्रीमती परमिंदर जीत कौर द्वारा संबोधित उद्घाटन सत्र के साथ हुई। इस संबोधन के बाद कुछ कॉलेजों के गणमान्य व्यक्तियों को संबोधन के लिए आमंत्रित किया गया, जहां छात्र मामलों के डीन प्रोफेसर दिलीप शाह ने भी उद्घाटन सत्र में भाषण दिया। प्रो दिलीप शाह ने अपने वक्तव्य में कहा कि “शिक्षा जटिल है, लेकिन पढ़ाने वालों को प्रासंगिक रहना चाहिए, क्योंकि शिक्षा की भी एक समाप्ति तिथि होती है।” उद्घाटन सत्र के बाद एनईपी 2020, विदेशी सहयोग, प्रतिस्पर्धी शिक्षा, प्रतिस्पर्धी उद्योग शैक्षणिक भागीदारी आदि पर बातचीत से जुड़े तीन पूर्ण सत्रों में मीडिया इंटरेक्शन हुआ। इन पैनल सत्रों के बाद, प्रो शाह को फिर से कार्यक्रम के समापन को संबोधित करने के लिए आमंत्रित किया गया, जहां उन्होंने बताया कि कैसे एनईपी ने अपने पैड से लॉन्च किया है, जैसे 1960 के दशक में एपीजे अब्दुल कलाम और सीआर सत्या ने साइकिल पर लॉन्च के लिए रॉकेट चलाया था। हमने भी एनईपी 2020 के क्लब में शामिल होने के लिए खुद को तेजी से आगे बढ़ाया है। पुरस्कार समारोह में डॉ. राज कुमार रंजन सिंह, माननीय विदेश एवं शिक्षा राज्य मंत्री, भारत सरकार उपस्थित थे। जिन्होंने भारत के उद्योग अकादमी लिंकेज को बढ़ावा देने के लिए सर्वश्रेष्ठ संस्थान का पुरस्कार भवानीपुर कॉलेज का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रोफेसर दिलीप शाह को सौंपा। कार्यक्रम का समापन मुख्य अतिथि डॉ. राज कुमार रंजन सिंह के संबोधन के साथ हुआ, जिन्होंने शिक्षा और एनईपी 2020 के दृष्टिकोण पर उपस्थित लोगों को संबोधित किया। कार्यक्रम की जानकारी दी डॉ वसुंधरा मिश्र ने ।

आरएन टैगोर अस्पताल ने की 59 वर्षीय मरीज की सफल बाईपास सर्जरी 

कोलकाता । पूर्वी भारत में अत्याधुनिक चिकित्सा प्रौद्योगिकियों में अग्रणी, आरएन टैगोर अस्पताल (नारायणा हेल्थ की एक इकाई) ने अपनी पहली रोबोट-सहायता बाईपास सर्जरी (सीएबीजी) के सफल समापन के साथ एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। वरिष्ठ सलाहकार डॉ. ललित कपूर और उनके विशेषज्ञ कार्डियक सर्जनों की टीम के नेतृत्व में 3डी हाई डेफिनिशन इमेजिंग और रोबोटिक हथियारों का उपयोग करके की गई अभूतपूर्व सर्जरी ने सर्जनों को अधिक दृष्टि, सटीकता, सटीकता और नियंत्रण प्रदान किया। जानकारी के अनुसार 59 वर्षीय एक मरीज शामिल को सीने में तेज दर्द की शिकायत के साथ अस्पताल की इमरजेंसी में लाया था। पिछले सात वर्षों से मधुमेह और उच्च रक्तचाप की दवा ले रहे मरीज के एंजियोग्राम में ट्रिपल वेसल डिजीज (हृदय की रक्त वाहिकाओं में कई रुकावटें) की पुष्टि हुई, जिससे अनुभवी चिकित्सा टीम ने रोबोट-सहायता से बाईपास सर्जरी करने का निर्णय लिया।                                                     डॉ. ललित कपूर के विशेषज्ञ मार्गदर्शन में, सर्जिकल टीम ने अभूतपूर्व रोबोट-सहायता वाली सीएबीजी प्रक्रिया शुरू की। यह नए युग की तकनीक मेडिकल टीम की सर्जिकल विशेषज्ञता के साथ सर्जिकल रोबोट की सटीकता और थ्री-आयामी इमेजिंग को जोड़ती है, जिसके परिणामस्वरूप सटीकता और बेहतर रोगी परिणाम प्राप्त होते हैं। आरएन टैगोर अस्पताल में कार्डियक सर्जरी के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. ललित कपूर ने विस्तार से बताया कि रोबोट सहायता प्राप्त बाईपास सर्जरी में, सर्जन रोबोट के उपकरणों पर सटीक नियंत्रण रखता है, जिससे छाती के नाजुक क्षेत्रों में अविश्वसनीय रूप से छोटी गतियां होती हैं। रोबोटिक तकनीक द्वारा प्रदान की गई उन्नत 3डी इमेजिंग हमें आश्चर्यजनक सटीकता के साथ नेविगेट करने और जटिल प्रक्रियाओं को आसानी से करने की अनुमति देती है।                                                                  डॉक्टर कपूर ने बताया कि रोबोट-सहायता प्राप्त सीएबीजी के लाभ कई गुना हैं। डॉ. कपूर ने कहा, “पारंपरिक ओपन हार्ट सर्जरी के विपरीत, जिसमें छाती पर 8 से 10 इंच लंबा चीरा लगाया जाता है, रोबोट की मदद से सर्जरी छोटे चीरों के माध्यम से की जाती है, जिससे रक्त की हानि कम होना, जल्दी ठीक होना, कम जटिलताएं और कम समय में अस्पताल में रहना जैसे लाभ मिलते हैं।” विशेषज्ञों के अनुसार, सर्जिकल रोबोट की सटीकता अधिक सटीक है। आरएन टैगोर अस्पताल में पहले रोबोट-सहायक सीएबीजी मामले की सफलता पूरी स्वास्थ्य देखभाल टीम की प्रतिबद्धता का प्रमाण है, जिसमें सहायक सलाहकार- डॉ. धीरज बर्मन और डॉ. अजहर सैय्यद, फिजिशियन सहायक- राकेश गायेन, एनेस्थेटिस्ट- डॉ. राहुल गुहा विश्वास और डॉ. सौमित्र मुखर्जी, परफ्यूजनिस्ट- सुदीप्त सिन्हा और तकनीशियन नूर के साथ-साथ समर्पित नर्सिंग स्टाफ, बर्नाडेट टोपनो, मोल्लिकुट्टी एंटनी और कपरा टुडू शामिल हैं।                                                इस ऐतिहासिक उपलब्धि के लिए टीम की सराहना करते हुए, आरएन टैगोर अस्पताल के सुविधा निदेशक अभिजीत सीपी ने कहा, “हम अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों को अपनाना जारी रखते हैं। रोबोट-सहायता कार्डियक सर्जरी सहित नई प्रौद्योगिकियों को अपनाने के साथ, आरएन टैगोर अस्पताल ने क्षेत्र में एक अग्रणी स्वास्थ्य सेवा संस्थान के रूप में अपनी स्थिति को और मजबूत किया है। हमारी चिकित्सा विशेषज्ञता उन्नत प्रौद्योगिकी के साथ मिलकर रोगियों को बेहतर नैदानिक ​​​​परिणामों से लाभान्वित करती है।
नारायणा हेल्थ के ग्रुप सीओओ आर वेंकटेश ने कहा,“भारत में कुछ ही सुविधाएं हैं जो कार्डियोथोरेसिक रोगियों पर रोबोटिक सर्जरी करती हैं। पूर्वी भारत में, हम रोबोटिक कार्डियोथोरेसिक सर्जरी में अग्रणी हैं। आरएन टैगोर अस्पताल में विभिन्न विशेषज्ञता वाले रोबोटिक सर्जनों की संख्या सबसे अधिक है। हमारे अनुभवी सर्जन जनरल सर्जरी, यूरोलॉजी, थोरैसिक, गायनोकोलॉजी और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल (जीआई) जैसी विशिष्टताओं में सफलतापूर्वक रोबोटिक सर्जरी कर रहे हैं।”

बारिश की फुहार के साथ बना रहे फैशन का मनभावन अन्दाज

अप्रत्याशित मौसम और बार-बार होने वाली बारिश के कारण मानसून के मौसम में स्टाइलिश तरीके से कपड़े पहनना एक चुनौती हो सकती है। हालाँकि, थोड़ी सी योजना और कुछ फैशन टिप्स के साथ, आप बारिश में भी आकर्षक और आरामदायक रह सकते हैं। यहां कुछ मानसून फैशन टिप्स दिए गए हैं जो आपको बारिश को स्टाइल में मात देने में मदद करेंगे:

  1. हल्के कपड़े चुनें: सूती, लिनन या जल्दी सूखने वाले सिंथेटिक जैसे हल्के और सांस लेने वाले कपड़ों से बने कपड़े चुनें। ये सामग्रियां आपको आर्द्र मौसम के दौरान ठंडा और सूखा रखेंगी और यदि आप भारी बारिश में फंस जाते हैं तो ये तेजी से सूख जाएंगी।
  2. वाटरप्रूफ बाहरी वस्त्र चुनें: अच्छी गुणवत्ता वाले वाटरप्रूफ या पानी प्रतिरोधी जैकेट या रेनकोट में निवेश करें। स्टाइलिश विकल्पों की तलाश करें जो आपकी अलमारी के पूरक हों और भारी बारिश के दौरान आपको सूखा रखें।
  3.  रंगों के साथ खेलें: उदास बरसात के दिनों में खुशी जोड़ने के लिए चमकीले और जीवंत रंगों को अपनाएं। चमकीले शेड्स आपके मूड को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं और भूरे आसमान के खिलाफ एक मजेदार कंट्रास्ट बना सकते हैं।
  4. वाटरप्रूफ जूते: मानसून के दौरान अपने नियमित चमड़े या साबर जूते को त्यागें और रेन बूट्स या जेली जूते जैसे वाटरप्रूफ या रबर जूते चुनें। वे आपके पैरों को गीला और गंदा होने से बचाएंगे।
  5. एक छाता ले जाएं: अपने पहनावे से मेल खाने वाले आकर्षक छाते के साथ सामान पहनना न भूलें। एक अच्छा छाता न केवल आपको बारिश से बचाता है बल्कि आपके लुक में स्टाइल का तड़का भी लगा सकता है।
  6. क्रॉप पैंट और कैप्री: फुल-लेंथ ट्राउजर या जींस पहनने के बजाय क्रॉप पैंट या कैपरी पहनने पर विचार करें। वे मानसून के दौरान एक व्यावहारिक विकल्प हैं क्योंकि वे पोखरों और कीचड़ में नहीं खिंचेंगे।

 

बरसात में बच्चों को बीमारियों से बचाएं और इम्यूनिटी बढ़ायें इस तरह

बारिश के मौसम में बीमारियां फैलने लगती हैं, जिससे नवजात से लेकर बुजुर्ग तक हर उम्र के लोगों के बीमार होने का डर बढ़ जाता है। बरसात के मौसम में जरा सी लापरवाही, बच्चों पर भारी पड़ जाती है। बड़ों की अपेक्षा में बच्चों की इम्यूनिटी कम होती है, ऐसे में बीमारियों का खतरा उन पर ज्यादा रहता है। माता-पिता को मानसून के मौसम में बच्चों का खास ख्याल रखना होता है, ताकि वह बीमारियों से बच सकें। यहां हम आपको कुछ टिप्स देने वाले हैं, जिन्हें फॉलो करके आप बच्चों को सर्दी-खांसी, फ्लू, डायरिया और पेट से जुड़ी समस्याओं से दूर रख सकते हैं। बरसात के मौसम में बच्चों की डाइट अच्छी रखें। बच्चों की डाइट में डेयरी प्रोडक्ट्स के साथ हरी सब्जियां, फल और नट्स शामिल करें और बाहर के जंक फूड न खाने दें। रेहड़ियों पर बिकने वाला स्ट्रीट फूड जैसे चाट, बर्फ गोला और समोसे बच्चे को बीमार कर सकते हैं।
मानसून के मौसम में बीमारियों से बचने के लिए बच्चों को एक्सरसाइज की आदत डलवाएं। बारिश के कारण अगर बच्चा बाहर खेलने न जा सके तो घर में ही उसको एक्सरासाइज करवाएं। एक्सरसाइज से बच्चों का शरीर फिट रहता है और बच्चा सक्रिय रहता है।
बच्चों को बारिश में भीगने से बचाएं और उन्हें घर में फलों और सब्जियों का जूस पिलाएं। जूस से बच्चों की इम्यूनिटी अच्छी होगी।
बच्चों में हाथ धोने की आदत डलवाएं और हमेशा हाथ धोने में हैंडवॉश का प्रयोग करवाएं। कई बार बच्चे हाथ धोने की आदत नहीं डाला करते हैं, जिसके कारण बीमारियों का डर बढ़ जाता है। हाथ धोने से बच्चे को कई तरह के इंफेक्शन से बचाया जा सकता है।
बच्चों का स्क्रीन टाइम कम करें और उन्हें समय से सोने और जागने की आदत डलवाएं। स्वस्थ जीवनशैली से बच्चे बीमारियों से बचेंगे और स्वस्थ रहेंगे।

शिव ही संगीत के आदिगुरु – प्रतिभा सिंह

प्रतिभा संगीत एकेडमी का उद्घाटन

टीटागढ़ । प्रतिभा संगीत एकेडमी का उद्घाटन वरिष्ठ संगीतकार नगेन्द्र चौधरी ने किया। एकेडमी की निदेशक प्रसिद्ध गायिका और फ़िल्म अभिनेत्री प्रतिभा सिंह ने कहा कि एकेडमी में गायन वादन और नृत्य में पारंगत कलाकार छात्रों को संगीत की तालीम देंगे। पवित्र सावन महीना शिव को अतिप्रिय है। यह एकेडमी भगवान शिव को समर्पित है। शिव ही संगीत के आदिगुरु हैं। भगवान शिव ने ही दुनिया में सबको नृत्य, वाद्य यंत्रों को बजाना और गाना सिखाया। राग शिवरंजनी की उत्पत्ति की कथा भी शिव से जुड़ी है। मान्यता है कि जब शिव तांडव कर रहे थे, तो उन्हें शांत करने के लिए साधु-संतों ने यह राग गाया था। समारोह में विशेष तौर पर उपस्थित कलाकार राकेश पाण्डेय, कुमार सुरजीत, बेबी काजल, साईं मोहन, शकुंतला साव, सुजाता गुप्ता, सुनीता सिंह, जय प्रकाश पाण्डेय आदि ने शिव भजनों की प्रस्तुति दी।

पर्यावरण, रोजगार और स्वास्थ्य के लिए फायदे का सौदा है पत्तलों में खाना

एक समय था जब किसी भी मांगलिक कार्य में या दुकानों पर पत्तलों का उपयोग हर जगह किया जाता था । पत्तलें उपयोग में तो अब भी लायी जा रही हैं मगर प्लास्टिक एवं थर्मोकॉल के कारण लोग इनका उपयोग कम करते हैं । दरअसल, पत्तल में खाना भारत की प्राचीन संस्कृति का अंग रहा है और रामायण से लेकर महाभारत में पत्तल के उपयोग का उल्लेख है । राजसूय यज्ञ में श्रीकृष्ण पत्तल उठाते हैं तो पत्तलों में छिपाकर पन्ना धाय महाराणा के पिता उदय सिंह के प्राण बचा लेती हैं । समय बदला और पत्तलों में सब्जी का रस या कोई भी तरल पदार्थ आम लोगों के लिए समस्या बन गया । पत्तलों में खाना लेकर खड़ा होना एक समस्या थी । हालांकि समस्या होती है तो समाधान होता ही है मगर समस्या यही है कि हम समाधान से अधिक विकल्प खोज लेते हैं । पत्तल को लेकर यदि शोध किये जाते, उसे मजबूत बनाने के तरीखे खोज लिए जाते तो योग की तरह पत्तल भी विश्व को भारत की अनुपम देन होता, जो है भी मगर इसके प्रचार की जरूरत है और उससे भी अधिक उपयोग की जरूरत है । अच्छी बात यह है कि आज स्टार्टअप की दुनिया में पत्तलों की वापसी हुई है और अब तो यह ई कॉमर्स साइटों पर भी बिक रहा है….मजे की बात यह है कि हमारी पत्तलों को विदेशी कम्पनियाँ हमें ही हर्बल और इको फ्रेंडली कहकर बेच रही हैं ।
ध्यान रखने वाली बात यह है कि सुपारी के पत्तों से बनी पत्तल या ऐसे कई पत्ते हैं, जिनसे बनी पत्तलें मजबूती वाली समस्या का समाधान कर चुकी हैं । बहरहाल हम आपको पत्तलों की बहुरंगी, पर्यावरण अनुकूल दुनिया में लिए चलते हैं और हमें लगता है कि पत्तल पर खाने के फायदे पढकर आप भी पत्तलों पर खाने से पीछे नहीं हटेंगे –


हमारे देश मे 2000 से अधिक वनस्पतियों की पत्तियों से तैयार किये जाने वाले पत्तलों और उनसे होने वाले लाभों के विषय में पारम्परिक चिकित्सकीय ज्ञान उपलब्ध है पर मुश्किल से पांच प्रकार की वनस्पतियों का प्रयोग हम अपनी दिनचर्या में करते हैं। आम तौर पर केले के पत्तों में खाना परोसा जाता है। प्राचीन ग्रंथों में केले के पत्तों पर परोसे गये भोजन को स्वास्थ्य के लिये लाभदायक बताया गया है।
आजकल महंगे होटलों और रिसोर्ट मे भी केले के पत्तों का प्रयोग होने लगा है। हर्बल आचार्य डॉ. दीपक आचार्य बताते हैं कि डिस्पोजल थर्माकोल में खाना खाने से उसमे उपिस्थ्त रसायन पदार्थ खाने में मिलकर पाचन क्रिया पर प्रभाव डालता, जिससे कैंसर होता है एंव डिस्पोजल के गिलास में बिस्फिनोल नामक केमिकल होता है जिसका असर छोटी आंत पर पड़ता है।                                                                                                                           ये हैं लाभ – पलाश के पत्तल में भोजन करने से स्वर्ण के बर्तन में भोजन करने का पुण्य व आरोग्य मिलता है। रक्त की अशुद्धता के कारण होने वाली बीमारियों के लिये पलाश से तैयार पत्तल को उपयोगी माना जाता है। पाचन तंत्र सम्बन्धी रोगों के लिये भी इसका उपयोग होता है। आम तौर पर लाल फूलों वाले पलाश को हम जानते हैं पर सफेद फूलों वाला पलाश भी उपलब्ध है। इस दुर्लभ पलाश से तैयार पत्तल को बवासीर (पाइल्स) के रोगियों के लिये उपयोगी माना जाता है। केले के पत्तल में भोजन करने से चांदी के बर्तन में भोजन करने का पुण्य व आरोग्य मिलता है। जोड़ों के दर्द के लिये करंज की पत्तियों से तैयार पत्तल उपयोगी माना जाता है। पुरानी पत्तियों को नयी पत्तियों की तुलना मे अधिक उपयोगी माना जाता है। लकवा (पैरालिसिस) होने पर अमलतास की पत्तियों से तैयार पत्तलो को उपयोगी माना जाता है।

ये भी मिलेगी राहत – सबसे पहले तो उसे धोना नहीं पड़ेगा, इसको हम सीधा मिट्टी में दबा सकते हैं। न पानी नष्ट होगा, न ही घरेलू सहायक की जरूरत पड़ेगी, मासिक खर्च भी बचेगा। न केमिकल उपयोग करने पड़ेंगे, न केमिकल द्वारा शरीर को आंतरिक हानि पहुंचेगी। अधिक से अधिक वृक्ष उगाये जायेंगे, जिससे कि अधिक आक्सीजन भी मिलेगी।                प्रदूषण भी घटेगा- सबसे महत्वपूर्ण झूठे पत्तलों को एक जगह दबाने पर, खाद का निर्माण किया जा सकता है, एवं मिट्टी की उपजाऊ क्षमता को भी बढ़ाया जा सकता है। पत्तल बनाए वालों को भी रोजगार प्राप्त होगा। सबसे मुख्य लाभ, आप नदियों को दूषित होने से बहुत बड़े स्तर पर बचा सकते हैं, जैसे कि आप जानते ही हैं कि जो पानी आप बर्तन धोने में उपयोग कर रहे हो, वो केमिकल वाला पानी, पहले नाले में जायेगा, फिर आगे जाकर नदियों में ही छोड़ दिया जायेगा, जो जल प्रदूषण में आपको सहयोगी बनाता है।
(साभार – गाँव कनेक्शन)

कुछ मिनटों की योग निद्रा से आप ले सकते हैं 8 घंटे की नींद

आज की जीवनशैली में हम कई तरह की बीमारियों का सामना करते हैं। इस व्यस्त जीवनशैली के कारण तनाम और मानसिक समस्याएं काफी अधिक बढ़ गई है। अत्यधिक स्ट्रेस होने के कारण आपको नींद की समस्या भी हो सकती है। कई लोगों को तनाव या अन्य बीमारी के कारण सही से नींद नहीं आती है। इस कारण से वे दिनभर थकान महसूस करते हैं। स्ट्रेस और बीमारियों को कम करने के लिए योग एक बेहतरीन विकल्प है। योग की मदद से आप कई तरह की समस्या से राहत पा सकते हैं। नींद न आने पर आप योग निद्रा भी कर सकते हैं। योग निद्रा आपकी नींद की समस्या को कम करेगा और आपको तनाव से राहत देगा। चलिए जानते हैं कि क्या है योग निद्रा और इसे कैसे करें….
क्या है योग निद्रा?
योग निद्रा को आध्यात्मिक नींद भी कहा जाता है। दरअसल योग निद्रा सोने व जागने के बीच की एक अवस्था है। इस अवस्था में आपके शरीर को आराम मिलता है और आपका माइंड रिफ्रेश होता है। योग निद्रा करने के बाद आपका शरीर एक ऊर्जा महसूस करता है। जिनकी नींद सही से पूरी नहीं होती है उनके लिए योग निद्रा बहुत फायदेमंद है। शुरुआत में योग निद्रा करते समय आप सो सकते हैं लेकिन धीरे-धीरे अभ्यास के ज़रिए आपको इसे ठीक से करना आ जाएगा।इसे करते समय आप जमीन पर मैट या कंबल बिछा लें। इसके बाद आप शवासन की तरह लेट जाएं। लेटने के बाद अपनी बॉडी को ढीला छोड़ दें और अपनी सांसों पर ध्यान दें। इसके बाद अपने अंतर्मन में झाकने की कोशिश करें। कुछ समय बाद आपका माइंड रिलैक्स हो जाएगा और आप शांति महसूस करेंगे।
बिहार स्कूल ऑफ योग के संस्थापक स्वामी सत्यानंद सरस्वती के अनुसार कुछ समय की योग निद्रा आपको घंटों की नींद से प्राप्त हुए आराम के सामान ही होती है। लगातार या नियमित रूप से योग निद्रा करने से आपका दिमाग पहले की अपेक्षा से कई अधिक सक्रिय हो जाता है। अगर आप नियमित रूप से योग करते हैं तो आप अन्य आसनों के बाद योग निद्रा कर सकते हैं।
क्या हैं योग निद्रा के फायदे?
योग निद्रा की मदद से आपका दिमाग शांत हो जाता है।
योग के अन्य आसन करने के बाद योग निद्रा करने से आपके शरीर का तापमान सामान्य हो जाता है।
योग निद्रा की मदद से आपका कंसंट्रेशन बढ़ता है और आपका दिमाग सक्रिय होता है।
स्ट्रेस रिलीफ के लिए योग निद्रा एक बेहतरीन विकल्प है जो आपके दिमाग को शांत करता है।
योग निद्रा की मदद से आप अपनी मेंटल हेल्थ को भी बैलेंस कर सकते हैं।
कैसे करें योग निद्रा?
योग निद्रा करने के लिए सबसे पहले आप एक खुली जगह चुनें जिसमें आपको कोई डिस्टर्ब न करें।
योग निद्रा करने के लिए ढीले कपड़े पहनें और नीचे बिछाने के लिए मैट या कंबल का इस्तेमाल करें।
इसके बाद मैट या कंबल पर शवासन की तरह लेट जाएं और आपनी बॉडी को रिलैक्स करें।
साथ ही अपने दिमाग को भी शांत करें और दिमाग में जो भी चल रहा है उसे भूल जाएं।
अब अपने ध्यान को आप दाएं पंजे या पैर पर ले जाएं और कुछ सेकंड तक वहां दयां केन्द्रित करें।
आप ध्यान को शरीर के ऊपर की ओर लाते हुए घुटनों व जांघों पर ध्यान दें।
यह प्रक्रिया अब आप बाएं पैर पर भी अपनाएं और ध्यान केन्द्रित करें।
इसके साथ आप अपने मध्य अंगों जैसे छाती, पेट व नाभि पर भी ध्यान केन्द्रित करने की कोशिश करें।
सभी जगह ध्यान केन्द्रित पर आप गहरी सांस लें और शरीर को रिलैक्स करें।
थोड़ी देर बाद आप दाहिने करवट लेते हुए, बाई ओर की नासिका से सांस बहार छोड़ दें।
इसके बाद आपके शरीर का तापमान सामान्य स्तर पर आ जाएगा और कुछ देर बाद आप उठकर बैठ जाएं।

मदर इंडिया – पितृसत्ता के खिलाफ स्त्री विमर्श का मुखर स्वर

कई क्लासिकल फिल्मों ने कई बॉलीवुड स्टार्स को रातों-रात स्टार बना दिया। इनमें से एक है ‘मदर इंडिया’। नारीवाद की नई लहर शुरू करने वाली इस फिल्म ने तीन पुरुषों को सुपरस्टार बना दिया। जिसमें सुनील दत्त, राज कुमार और राजेंद्र कुमार जैसे सितारों के नाम शामिल हैं। इस फिल्म में नरगिस ने मुख्य भूमिका निभाई, लेकिन यह पहली बार था कि एक शीर्ष अभिनेत्री अपनी युवावस्था में दो बड़े बच्चों की मां के रूप में बड़े पर्दे पर दिखाई दी। फिर जब ये फिल्म रिलीज हुई तो इसे देश के साथ-साथ विदेश में भी खूब प्यार मिला।
मदर इंडिया 1957 में रिलीज हुई थी। मेहबूब खान के निर्देशन में बनी यह फिल्म 1940 में आई फिल्म ‘औरत’ की रीमेक थी। जिसे इसकी ओरिजिनल फिल्म से भी ज्यादा प्यार मिला। यह फिल्म 60 लाख रुपए के बजट में बनी थी। जिसने बॉक्स ऑफिस पर 8 करोड़ का कलेक्शन किया था। ये अपने समय की रिकॉर्ड तोड़ कमाई थी।
ये फिल्म पितृसत्तात्मक समाज के खिलाफ सशक्त स्त्री की कहानी थी जो एक आम महिला की कहानी कहती है। इस फिल्म में नरगिस, सुनील दत्त, राजेंद्र कुमार और राज कुमार ने मुख्य भूमिका निभाई थी। ‘मदर इंडिया’ की कहानी गरीबी से जूझ रही राधा (नरगिस) नाम की एक ग्रामीण महिला के इर्द-गिर्द घूमती है जो अपने पति की अनुपस्थिति में अपने बेटों का पालन-पोषण करने और सभी बाधाओं से लड़ते हुए अपना जीवन यापन करने के लिए संघर्ष करती है। ऐसा कहा जाता है कि फिल्म का शीर्षक अमेरिकी लेखिका कैथरीन मेयो की 1927 की विवादास्पद पुस्तक मदर इंडिया का मुकाबला करने के लिए चुना गया था, जिसमें भारतीय संस्कृति की निंदा की गई थी।