नयी दिल्ली । दिल्ली-एनसीआर में मोबाइल चोरी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, जिससे लोगों को न केवल आर्थिक नुकसान होता है, बल्कि उनके व्यक्तिगत डेटा का भी खतरा बढ़ जाता है। इसी समस्या से निपटने के लिए दिल्ली पुलिस ने ‘ऑपरेशन ट्रैक बैक’ शुरू किया, जिसका उद्देश्य चोरी या गुम हुए मोबाइल फोन्स को ट्रैक करके उनके असली मालिकों तक पहुंचाना था। इस अभियान की बदौलत 216 लोगों को उनके खोए हुए फोन वापस मिले, जिससे उनकी उम्मीदें फिर से जाग उठीं।
‘ऑपरेशन ट्रैक बैक’ दिल्ली पुलिस की एक विशेष पहल है, जिसका मकसद चोरी हुए मोबाइल फोन को ढूंढकर उसे उसके असली मालिक तक पहुंचाना है। इस ऑपरेशन के तहत दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने 305 चोरी हुए मोबाइल फोन बरामद किए, जिनमें से 216 फोन उनके मालिकों को लौटा दिए गए। यह ऑपरेशन उन लोगों के लिए किसी वरदान से कम नहीं था, जिन्होंने फोन वापस मिलने की उम्मीद खो दी थी।
इस ऑपरेशन में दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच एक विशेष ट्रैकिंग प्रणाली का उपयोग करती है, जिससे चोरी या गुम हुए मोबाइल फोन्स की लोकेशन पता की जाती है। इसके तहत: – पुलिस ने आईएमईआई नंबर ट्रैकिंग तकनीक का उपयोग किया, जिससे मोबाइल का पता लगाया जा सका।
– कई मामलों में, पुलिस ने सर्विलांस सिस्टम और साइबर एक्सपर्ट्स की मदद से मोबाइल नेटवर्क का विश्लेषण किया। चोरी के फोन खरीदने और बेचने वाले नेटवर्क पर भी निगरानी रखी गई, जिससे कई गिरोहों का पर्दाफाश हुआ। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ‘ऑपरेशन ट्रैक बैक’ के तहत जब्त किए गए 305 मोबाइल फोन्स की कुल कीमत करीब 3 करोड़ रुपये आंकी गई है। दिल्ली पुलिस ने सेंट्रल दिल्ली में आयोजित एक विशेष सभा में इन मोबाइल फोन्स को उनके असली मालिकों को सौंपा। जब लोगों को उनके फोन वापस मिले, तो उनके चेहरे पर खुशी साफ झलक रही थी।
इस ऑपरेशन के तहत दिल्ली पुलिस ने हाल के महीनों में कई चोरी हुए मोबाइल फोन्स को बरामद किया:
– 10 जनवरी को 2 करोड़ रुपये के 195 चोरी हुए मोबाइल जब्त किए गए।
– 30 जनवरी को 3 करोड़ रुपये के 58 चोरी हुए फोन बरामद हुए।
– 10 फरवरी को 52 चोरी हुए फोन बरामद किए गए।
‘ऑपरेशन ट्रैक बैक’ दिल्ली पुलिस की एक बेहद सफल और सराहनीय पहल है, जिसने न केवल चोरी हुए फोन वापस दिलाए, बल्कि मोबाइल चोरी करने वाले गैंग्स पर भी लगाम कसी। इस ऑपरेशन ने साबित किया कि यदि सही तकनीक और रणनीति अपनाई जाए, तो चोरी हुए फोन्स को वापस पाना संभव है। उम्मीद है कि भविष्य में यह ऑपरेशन और बड़े स्तर पर लागू किया जाएगा, जिससे और अधिक लोगों को उनका खोया हुआ फोन वापस मिल सके।
‘ऑपरेशन ट्रैक बैक’? जिससे 216 लोगों को वापस मिले उनके चोरी हुए स्मार्टफोन
विनोद कुमार शुक्ल की तीन कविताएं
जो मेरे घर कभी नहीं आएँगे
मैं उनसे मिलने
उनके पास चला जाऊँगा।
एक उफनती नदी कभी नहीं आएगी मेरे घर
नदी जैसे लोगों से मिलने
नदी किनारे जाऊँगा
कुछ तैरूँगा और डूब जाऊँगा
पहाड़, टीले, चट्टानें, तालाब
असंख्य पेड़ खेत
कभी नहीं आएँगे मेरे घर
खेत-खलिहानों जैसे लोगों से मिलने
गाँव-गाँव, जंगल-गलियाँ जाऊँगा।
जो लगातार काम में लगे हैं
मैं फ़ुरसत से नहीं
उनसे एक ज़रूरी काम की तरह
मिलता रहूँगा—
इसे मैं अकेली आख़िरी इच्छा की तरह
सबसे पहली इच्छा रखना चाहूँगा।
हताशा से एक व्यक्ति बैठ गया था
हताशा से एक व्यक्ति बैठ गया था
व्यक्ति को मैं नहीं जानता था
हताशा को जानता था
इसलिए मैं उस व्यक्ति के पास गया
मैंने हाथ बढ़ाया
मेरा हाथ पकड़कर वह खड़ा हुआ
मुझे वह नहीं जानता था
मेरे हाथ बढ़ाने को जानता था
हम दोनों साथ चले
दोनों एक दूसरे को नहीं जानते थे
साथ चलने को जानते थे।
आँख बंद कर लेने से
आँख बंद कर लेने से
अंधे की दृष्टि नहीं पाई जा सकती
जिसके टटोलने की दूरी पर है संपूर्ण
जैसे दृष्टि की दूरी पर।
अँधेरे में बड़े सवेरे एक खग्रास सूर्य उदय होता है
और अँधेरे में एक गहरा अँधेरे में एक गहरा अँधेरा फैल जाता है
चाँदनी अधिक काले धब्बे होंगे
चंद्रमा और तारों के।
टटोलकर ही जाना जा सकता है क्षितिज को
दृष्टि के भ्रम को
कि वह किस आले में रखा है
यदि वह रखा हुआ है।
कौन से अँधेरे सींके में
टँगा हुआ रखा है
कौन से नक्षत्र का अँधेरा।
आँख मूँदकर देखना
अंधे की तरह देखना नहीं है।
पेड़ की छाया में, व्यस्त सड़क के किनारे
तरह-तरह की आवाज़ों के बीच
कुर्सी बुनता हुआ एक अंधा
संसार से सबसे अधिक प्रेम करता है
वह कुछ संसार स्पर्श करता है और
बहुत संसार स्पर्श करना चाहता है।
भ्रामक विज्ञापनों के लिए 24 कोचिंग संस्थानों पर 77.60 लाख का जुर्माना
नयी दिल्ली । केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) ने भ्रामक विज्ञापनों के लिए 24 कोचिंग संस्थानों पर 77 लाख 60 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। उपभोक्ता मामले विभाग ने राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन (एनसीएच) के माध्यम से शिक्षा क्षेत्र में 600 से अधिक उम्मीदवारों और छात्रों के लिए 1.56 करोड़ रुपये की राशि का रिफंड सफलतापूर्वक सुरक्षित किया है। यह जानकारी केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के राज्यमंत्री बीएल वर्मा ने आज राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में दी। इसमें बताया गया कि सिविल सेवा, इंजीनियरिंग कोर्स और अन्य कार्यक्रमों के लिए कोचिंग सेंटरों में नामांकित इन छात्रों को पहले कोचिंग संस्थानों द्वारा निर्धारित नियमों और शर्तों का पालन करने के बावजूद सही रिफंड से वंचित किया गया था। विभाग की इस कार्रवाई से छात्रों को अधूरी सेवाओं, देर से आने वाली कक्षाओं या रद्द किए गए पाठ्यक्रमों के लिए मुआवज़ा प्राप्त करने में मदद मिली है। इससे यह सुनिश्चित हुआ है कि वे अनुचित व्यावसायिक प्रथाओं का वित्तीय बोझ नहीं उठा रहे हैं। सीसीपीए द्वारा ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म सहित विभिन्न संस्थाओं के खिलाफ उपभोक्ता अधिकारों के उल्लंघन, झूठे और भ्रामक विज्ञापनों और उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के तहत परिभाषित अनुचित व्यापार प्रथाओं के लिए उपभोक्ताओं को प्रभावित करने के लिए पहले ही कार्रवाई की जा चुकी है। ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर अनिवार्य बीआईएस मानकों को पूरा नहीं करने वाले घरेलू प्रेशर कुकर की बिक्री के खिलाफ भी कार्रवाई की गई है। इसके अतिरिक्त, सीसीपीए के निर्देशों के अनुसार ट्रैवल कंपनियों ने कोविड-19 लॉकडाउन के कारण रद्द की गई उड़ानों के लिए उपभोक्ताओं को 20 मार्च 2024 तक 1,454 करोड़ रुपये वापस कर दिए हैं। सीसीपीए ने यह भी अनिवार्य किया है कि ये कंपनियां रद्द टिकटों से संबंधित रिफंड दावों पर स्पष्ट निर्देशों और स्थिति अपडेट के साथ अपनी वेबसाइटों को अपडेट करें। इसके अलावा सीसीपीए द्वारा पारित आदेशों के आधार पर प्रमुख ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म से कार सीट बेल्ट अलार्म स्टॉपर क्लिप की 13,118 लिस्टिंग हटा दी गई हैं, ताकि ऐसे सभी उत्पादों को सूची से हटाया जा सके, जो उपभोक्ता अधिकारों का उल्लंघन करते हैं और उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के तहत अनुचित व्यापार व्यवहार हैं, क्योंकि उक्त उत्पाद की बिक्री या विपणन सीट बेल्ट न पहनने पर अलार्म बीप बंद करके उपभोक्ता के जीवन और सुरक्षा के साथ समझौता करता है।
बढ़ती गर्मी के मद्देनजर स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों को लिखा पत्र
-जारी किए विस्तृत दिशा-निर्देश
-आवश्यक दवाओं, तरल पदार्थ, आइस पैक, ओआरएस रखन को कहा
नयी दिल्ली । देश में गर्मी का प्रकोप बढ़ रहा है। अभी से उत्तर भारत में पारा 35 से 40 डिग्री छूने लगा है। मौसम विभाग के अनुसार आगामी दिनों में गर्मी का प्रकोप और बढ़ेगा। इस बीच हीट वेब की संभावना को देखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने गुरुवार को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पत्र लिख कर दिशा-निर्देश जारी किए हैं। उन्होंने राज्यों को आवश्यक दवाओं, तरल पदार्थ, आइस पैक, ओआरएस और सभी जरूरी उपकरणों की पर्याप्त मात्रा में उपलब्धता के लिए स्वास्थ्य सुविधा की तैयारियों की समीक्षा करने को कहा है। राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिव, सलाहकारों को लिखे पत्र में स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि 1 मार्च 2025 से दैनिक निगरानी के माध्यम से सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए हीटस्ट्रोक के नैदानिक निदान पर मरीजों की जानकारी एकीकृत स्वास्थ्य सूचना मंच (आईएचआईपी) पर जमा की जा रही है।
श्रीवास्तव ने कहा कि इस संबंध में हाल ही में जलवायु परिवर्तन और मानव स्वास्थ्य पर राष्ट्रीय कार्यक्रम द्वारा वर्चुअल मोड में प्रशिक्षण सत्र आयोजित किए गए हैं। उन्होंने सभी राज्यों को सलाह दी कि राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र द्वारा तैयार किए गए ट्रेनिंग मैनुअल के साथ संबंधित स्वास्थ्य पेशेवरों को मौजूदा पी-फॉर्म स्तर के क्रेडेंशियल्स का उपयोग करके आईएचआईपी पर रिपोर्ट करने के लिए प्रशिक्षित करना सुनिश्चित करना चाहिए।
पत्र में सचिव ने कहा कि मौसम विभाग द्वारा जारी किए जाने वाले दैनिक हीट अलर्ट एनसीडीसी द्वारा राज्यों के साथ साझा किए जाते हैं। इन अलर्ट में अगले 3-4 दिनों के लिए हीट वेव के पूर्वानुमान शामिल होते हैं और इन्हें सभी स्वास्थ्य सुविधाओं में तुरंत प्रसारित किया जा सकता है। राज्य, जिला और शहर के स्वास्थ्य विभाग हीट-हेल्थ एक्शन प्लान के कार्यान्वयन को सुनिश्चित कर सकते हैं और अन्य प्रतिक्रिया एजेंसियों के साथ हीट के प्रति प्रतिक्रिया की योजना बनाने, प्रबंधन और आकलन करने में सहायता कर सकते हैं।
मंत्रालय ने कहा कि गुणवत्तापूर्ण नैदानिक प्रबंधन और निगरानी रिपोर्टिंग सुनिश्चित करने के लिए आपके राज्य एव केंद्र शासित प्रदेशों के चिकित्सकों, बाल रोग विशेषज्ञों, चिकित्सा अधिकारियों और संबंधित सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिकारियों को इन सत्रों में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है। इसके साथ स्वास्थ्य विभागों को गर्मी से होने वाली बीमारियों, इसकी प्रारंभिक पहचान और प्रबंधन के बारे में चिकित्सा अधिकारियों, स्वास्थ्य कर्मचारियों और जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं को संवेदनशील बनाने और उनकी क्षमता निर्माण के लिए प्रयास जारी रखने चाहिए।
शिवाजी के किले महाराष्ट्र सरकार को हस्तांतरित करने की मांग
-राज्य में हैं 54 केंद्रीय संरक्षित और 62 राज्य संरक्षित किले
मुम्बई । महाराष्ट्र के सांस्कृतिक मामलों के मंत्री आशीष शेलार ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के तहत राज्य में संरक्षित शिवाजी के किलों को हस्तांतरित करने के लिए केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को पत्र लिखा है। महाराष्ट्र में 54 केंद्रीय संरक्षित और 62 राज्य संरक्षित किले हैं। मंत्री आशीष शेलार ने बताया कि महाराष्ट्र में स्थित किले कभी छत्रपति शिवाजी महाराज के गढ़ थे, जो आज भी लाखों लोगों को प्रेरणा देते हैं। आने वाली पीढ़ियों के लिए उन्हें संरक्षित करना हमारा पवित्र कर्तव्य है। उन्होंने केंद्रीय मंत्री से त्वरित कार्रवाई करने और किलों को महाराष्ट्र सरकार को हस्तांतरित करने की प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश देने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि हमें इन विरासत स्थलों की रक्षा करने में बहुत गर्व है और आने वाली पीढ़ियों के लिए उनकी विरासत को बनाए रखना जारी रखेंगे। केंद्रीय मंत्री को भेजे गए पत्र में शेलार ने राज्य में संरक्षित किलों के लिए व्यापक संरक्षण प्रयास करके अपनी विरासत की सुरक्षा में महाराष्ट्र की सक्रिय भूमिका पर जोर दिया है। इस पत्र में आशीष शेलार ने राज्य सरकार की 18 फरवरी की कैबिनेट की बैठक का हवाला दिया है। इस बैठक में मराठा-युग के किलों के संरक्षण में सक्रिय रूप से भाग लेने का निर्णय लिया गया था। शेलार ने कहा कि मराठा योद्धा शिवाजी भोसले के किले महाराष्ट्र के लोगों के लिए अत्यधिक सांस्कृतिक और भावनात्मक महत्व रखते हैं। इन किलों को संरक्षित रखने की मांग आशीष शेलार ने केंद्रीय मंत्री को पत्र लिखकर की है।
मई के अंत से यूपीआई व एटीएम से निकाल सकेंगे पीएफ
नयी दिल्ली । कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) मई के अंत या जून 2025 की शुरुआत तक एक बड़ा बदलाव करने जा रहा है। इस नए बदलाव के साथ ईपीएफओ के सदस्य यूपीआई और एटीएम के जरिए तत्काल अपना भविष्य निधि (पीएफ) निकाल सकेंगे। इस अपडेट के साथ कर्मचारियों को अब अपनी पीएफ बचत तक पहुंचने के लिए लंबी और समय लेने वाली प्रक्रियाओं से नहीं गुजरना पड़ेगा। इस पहल को श्रम और रोजगार मंत्रालय के सहयोग से क्रियान्वित किया जा रहा है और इसे भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) से मंजूरी मिल गई है। इस कदम से देशभर के लाखों ईपीएफओ सदस्यों को पहले से बेहतर सुविधा मिलने की उम्मीद है। श्रम और रोजगार मंत्रालय की सचिव सुमिता डावरा ने कहा कि कर्मचारी तत्काल 1 लाख रुपये तक निकाल सकेंगे। उन्होंने बताया कि सदस्य सीधे यूपीआई प्लेटफॉर्म पर अपना पीएफ बैलेंस भी देख सकेंगे और बिना किसी देरी के अपने पसंदीदा बैंक खातों में फंड ट्रांसफर कर सकेंगे। इससे कर्मचारियों के लिए जरूरत के समय अपने पैसे तक पहुंच आसान हो जाएगी। वर्तमान में, पीएफ फंड निकालने के लिए ऑनलाइन क्लेम जमा करने और अप्रूवल की प्रतीक्षा करने की जरूरत होती है, जिसमें कई दिन या सप्ताह भी लग सकते हैं। हालांकि, यूपीआई इंटीग्रेशन के साथ, निकासी तत्काल और परेशानी मुक्त हो जाएगी। कर्मचारी न केवल जल्दी से धन निकालने में सक्षम होंगे, बल्कि अपने शेष राशि की जांच भी कर सकेंगे और तुरंत लेनदेन भी कर सकेंगे। इसके अलावा, ईपीएफओ अपने सदस्यों के लिए पीएफ बचत निकालने के कारणों में भी विस्तार कर रहा है। चिकित्सा आपात स्थितियों के अलावा, कर्मचारी अब आवास, शिक्षा और विवाह के लिए धन निकाल सकेंगे। डावरा ने कहा, “ईपीएफओ ने 120 से अधिक डेटाबेस को इंटीग्रेट कर अपने डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर में बड़ा सुधार किया है। इन प्रयासों ने क्लेम प्रोसेसिंग समय को केवल तीन दिनों तक कम कर दिया है, अब 95 प्रतिशत क्लेम ऑटोमेटिकली प्रोसेस हो रहे हैं। सिस्टम को अधिक कुशल बनाने के लिए आगे के अपग्रेड पर काम चल रहा है। पेंशनभोगियों को भी ईपीएफओ की डिजिटल पहलों से लाभ हुआ है। दिसंबर 2024 से करीब 78 लाख पेंशनभोगी बिना किसी प्रतिबंध के किसी भी बैंक शाखा से अपने फंड का उपयोग करने में सक्षम हो गए हैं। इससे पहले, केवल विशिष्ट बैंक शाखाओं से ही निकासी की अनुमति थी।
1 मई से एटीएम से पैसे निकालना होगा महंगा
नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने एटीएम से नकद निकासी पर इंटरचेंज शुल्क ₹17 से बढ़ाकर ₹19 करने की मंजूरी दे दी है। यह बदलाव 1 मई 2025 से लागू होगा। घरेलू वित्तीय और गैर-वित्तीय लेनदेन के लिए इंटरचेंज शुल्क को संशोधित किया गया है। एनपीसीआई के 13 मार्च को जारी सर्कुलर के अनुसार, गैर-वित्तीय लेनदेन पर ₹7 का इंटरचेंज शुल्क लगाया जाएगा। बिज़नेस स्टैंडर्ड ने नेशनल फाइनेंशियल स्विच (एनएफएस) एटीएम नेटवर्क के सदस्यों को भेजे गए इस पत्र की समीक्षा की है। इंटरचेंज शुल्क पर अलग से वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) भी लागू होगा।
दिल्ली देश का सबसे प्रदूषित महानगर, दूसरे नंबर पर कोलकाता
-सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वायर्नमेंट (सीएसई) रिपोर्ट में खुलासा
कोलकाता। सर्दियों के मौसम में वायु प्रदूषण के मामले में कोलकाता दिल्ली के बाद दूसरे स्थान पर पहुंच गया है। सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वायर्नमेंट (सीएसई) द्वारा देश के छह प्रमुख महानगरों दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, हैदराबाद व बेंगलुरु की वायु गुणवत्ता के एक अक्टूबर, 2024 से 31 जनवरी, 2025 की अवधि के दौरान किए गए विश्लेषण में यह चिंताजनक तथ्य सामने आया है।
विश्लेषण कोलकाता के सतत परिवेशी वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशनों (सीएएक्यूएमएस) के रियल टाइम डेटा पर आधारित है। कोलकाता में पिछली सर्दियों में औसत पीएम2.5 स्तर 65 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर पाया गया है, जो दिलली (175) के बाद सर्वाधिक है।
वहीं, अधिकतम पीएम 2.5 स्तर दो नवंबर, 2024 को 135 दर्ज हुआ, हालांकि सर्दियां जब अपने उच्चतम स्तर पर थी, उस वक्त कोलकाता में प्रदूषण का स्तर पिछले वर्ष से कम रहा है, हालांकि इसके बावजूद यह खराब वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआइ) की श्रेणी में ही रहा है।
जनवरी, 2025 कोलकाता के लिए सबसे प्रदूषित महीना रहा है। कोलकाता में खराब एक्यूआई वाले दिनों की कुल संख्या 15 रही, जो दिल्ली के बराबर है, वहीं बेहद खराब एक्यूआइ वाला एक दिन भी दर्ज हुआ। कोलकाता में अच्छे एक्यूआई वाले मात्र 11 दिन ही देखे गए।
कोलकाता के सबसे प्रदूषित इलाकों में बालीगंज (80), फोर्ट विलियम्स (71), जादवपुर (63), विक्टोरिया (62). रवींद्र भारती विश्वविद्यालय (62) व बिधाननगर (57) शामिल रहे, हालांकि ‘सिटी ऑफ ज्वाय’ के नाम से मशहूर इस शहर में पिछले चार वर्षों में सर्दियों में पीएम 2.5 स्तर सबसे कम रहा है। पिछली तीन सर्दियों की तुलना में इसमें 19 प्रतिशत की गिरावट देखी गई है।
सीएसई की कार्यकारी निदेशक, (अनुसंधान व वकालत) अनुमिता राय चौधरी ने कहा कि किसी भी जलवायु क्षेत्र में सर्दियों के समय प्रदूषण का चरम पर पहुंचना तेजी से शहरीकरण व मोटरीकरण वाले शहरों में लगातार वायु प्रदूषण की अंतर्निहित समस्या का संकेत है।
प्रदूषण के स्थानीय स्रोतों का बढ़ता प्रभाव इन शहरों में प्रदूषण के हॉटस्पाट में दिखाई देता है, जिससे स्थानीय जोखिम और बढ़ रहे हैं। इन शहरों को स्वच्छ वायु मानकों को पूरा करने के लिए सभी स्रोतों से प्रदूषण को रोकने के लिए सख्त कार्रवाई करने की आवश्यकता है। दिल्ली और कोलकाता जैसे शहरी केंद्रों को प्रतिकूल मौसम विज्ञान की अतिरिक्त चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जो सांद्रता को बढ़ाता है।
वरिष्ठ कवि विनोद कुमार शुक्ल को मिलेगा ज्ञानपीठ सम्मान
नयी दिल्ली । हिंदी के प्रसिद्ध कवि विनोद कुमार शुक्ल को इस साल का सबसे बड़ा साहित्यिक सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित करने की घोषणा की गई है। विनोद कुमार शुक्ल समकालीन हिंदी साहित्य के प्रतिष्ठित लेखक और कवि हैं। वे अपनी अद्वितीय लेखन शैली, गहरी संवेदनशीलता और सरल भाषा में गूढ़ भावनाओं को व्यक्त करने की कला के लिए जाने जाते हैं। उनकी रचनाएँ मानवीय अनुभूतियों, ग्रामीण जीवन, सामाजिक संरचनाओं और अस्तित्ववादी प्रश्नों को सहज लेकिन गहरे तरीके से प्रस्तुत करती हैं। विनोद कुमार शुक्ल का जन्म 1 जनवरी 1937 को राजनांदगांव, छत्तीसगढ़ में हुआ था। उनकी शिक्षा भी वहीं हुई और बाद में उन्होंने नागपुर विश्वविद्यालय से एम.ए. (हिंदी) की पढ़ाई की। उनका शुरुआती जीवन एक साधारण ग्रामीण परिवेश में बीता, जिसने उनके लेखन को गहराई और मौलिकता प्रदान की। विनोद कुमार शुक्ल ने कविता, उपन्यास और कहानियों के माध्यम से साहित्य जगत में अपनी अलग पहचान बनाई। उनकी रचनाएँ आम जीवन की संवेदनाओं को अनूठे तरीके से प्रस्तुत करती हैं। उनकी भाषा में सहजता है, लेकिन उसमें छिपी गहराई पाठकों को भीतर तक प्रभावित करती है। विनोद कुमार शुक्ल की लेखन शैली बहुत ही सरल, सहज, लेकिन गहरी और दार्शनिक है। वे रोजमर्रा के जीवन की छोटी-छोटी घटनाओं के माध्यम से बड़े प्रश्न उठाते हैं। उनकी रचनाओं में कल्पनाशीलता और यथार्थ का अद्भुत संतुलन देखने को मिलता है। उनके पात्र आम जीवन से आते हैं, जिनका संघर्ष और विचारधारा समाज की वास्तविकता को प्रतिबिंबित करती है। उनकी रचनाएँ न केवल हिंदी साहित्य बल्कि समकालीन भारतीय लेखन में भी एक महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं। वे अपने लेखन के माध्यम से पाठकों को गहराई से सोचने पर मजबूर कर देते हैं और साहित्य की शक्ति को सहज रूप में प्रस्तुत करते हैं। विनोद कुमार शुक्ल हिंदी साहित्य के उन चंद लेखकों में से हैं, जो साधारण में असाधारण खोजते हैं। उनकी लेखनी जीवन के सूक्ष्म पहलुओं को पकड़ने की क्षमता रखती है और पाठकों को एक अनोखे साहित्यिक अनुभव से जोड़ती है। उनकी सादगीपूर्ण अभिव्यक्ति और गहरी संवेदनशीलता हिंदी साहित्य में उन्हें विशेष स्थान प्रदान करती है।
चैत्र नवरात्रि विशेष : मां वैष्णो देवी मंदिर का महत्व
चैत्र नवरात्रि सनातन धर्म का एक प्रमुख पर्व है, जो मां दुर्गा की नौ शक्तियों की उपासना के लिए समर्पित है। इस साल 2025 में चैत्र नवरात्रि 30 मार्च से 6 अप्रैल तक मनाई जाएगी। वैसे तो इन नौ दिनों में देशभर के मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिलती है, लेकिन जम्मू-कश्मीर के त्रिकूट पर्वत पर स्थित मां वैष्णो देवी मंदिर का विशेष महत्व है। मान्यता है कि नवरात्रि में मां वैष्णो के दर्शन करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में सुख-शांति आती है। लेकिन अगर आप पहली बार वैष्णो देवी घूमने की प्लानिंग कर रहे हैं तो इस लेख में आपको वहां के बारे में पूरी जानकारी मिल जाएगी।
वैष्णो देवी मंदिर भारत के सबसे पवित्र तीर्थस्थलों में से एक है। ये मंदिर 5,200 फीट की ऊंचाई पर एक नेचुरल गुफा में स्थित है, जहां मां वैष्णो देवी तीन पिंडियों के रूप में विराजमान हैं। ये पिंडियां मां काली, मां लक्ष्मी और मां सरस्वती का प्रतीक हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, ये मंदिर उन 108 शक्तिपीठों में से एक है, जहां माता सती का अंग गिरा था। चैत्र नवरात्रि के दौरान यहां लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं। भक्तों का विश्वास है कि मां का ‘बुलावा’ आने पर ही कोई इस पवित्र स्थान तक पहुंच सकता है। नवरात्रि में इस मंदिर को फूलों और रंगीन रोशनी से सजाया जाता है, जो इसे और भी आकर्षक बनाता है।
वैष्णो देवी मंदिर तक पहुंचने का आधार कटरा है, जो जम्मू से 50 किलोमीटर दूर स्थित है। यहां तक पहुंचने के लिए तीन सुविधाजनक रास्ते उपलब्ध हैं: हवाई मार्ग, रेल मार्ग और सड़क मार्ग।
हवाई मार्ग: सबसे नजदीकी हवाई अड्डा जम्मू एयरपोर्ट है, जो कटरा से 50 किलोमीटर दूर है। बड़े शहरों जैसे दिल्ली, मुंबई, श्रीनगर से नियमित उड़ानें उपलब्ध हैं। इसके बाद जम्मू से कटरा तक टैक्सी या बस से आसानी से पहुंचा जा सकता है, जिसमें 1-2 घंटे लगते हैं।
रेल मार्ग: देवी का दर्शन करने के लिए रेल मार्ग सबसे सुगम, सहज और सस्ता विकल्प है। जम्मू तवी या श्री माता वैष्णो देवी कटरा रेलवे स्टेशन सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन हैं। देश के कई प्रमुख शहरों से यहां ट्रेनें चलती हैं। कटरा स्टेशन से मंदिर की यात्रा शुरू होती है।
सड़क मार्ग: दिल्ली, चंडीगढ़ और जम्मू से कटरा तक नियमित बसें चलती हैं। सड़क मार्ग से भी यात्रा आरामदायक और सुगम है। कटरा से मंदिर तक 13 किलोमीटर की चढ़ाई है। इसे पैदल, घोड़े, पालकी या हेलिकॉप्टर से पूरा किया जा सकता है। बहुत से लोग पैदल या पालकी से जाना पसंद करते हैं। इसके अलावा कुछ लोग हेलिकॉप्टर का भी प्रयोग करते हैं। हेलीकॉप्टर सेवा कटरा से संझीछत तक उपलब्ध है, जो लगभग 8 मिनट में पहुंचाती है। टिकट की कीमत लगभग 2,100 रुपये (एक तरफ) है और इसे ऑनलाइन बुक करना होता है। संझीछत से मंदिर 2.5 किलोमीटर दूर है। पैदल यात्रा के लिए कटरा में मुफ्त यात्रा पर्ची मिलती है। रास्ते में भोजन और विश्राम की सुविधाएं उपलब्ध हैं।
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नवरात्रि पर बनाएं पौष्टिक आहार
मखाना उत्तपम
सामग्री : 250 ग्राम मखाना, 1 कप दही, समा के चावल 3 बड़े चम्मच, गाजर , शिमला मिर्च, अदरक एक इंच टुकड़ा, हरी मिर्च, बारीक कटा हरा धनिया, सेंधा नमक, देसी घी या मूंगफली का तेल, कुटी काली मिर्च, पनीर.
विधि : सबसे पहले मखाने को हल्का सा कढ़ाही में ड्राई रोस्ट कर लें। नमी खत्म होने के बाद इसे आसानी पीस लें। जब आपके मखाने रोस्ट हो जाएं और तो उसमें समा के चावलों को पीसकर पाउडर बना लें। इसके बाद किसी बाउल में मखाना, समा के चावल और दही लेकर ग्राइंडर जार पलट दें। इसमें हरी मिर्च और अदरक के टुकड़े डाल दें। अब थोड़ा सा पानी डालकर सारी चीजों का बारीक पेस्ट बना लें। फिर इस पेस्ट में घिसे हुए गाजर, महीन कटा शिमला मिर्च डाल दें। इसके साथ ही बारीक कटी हरी धनिया, कुटी काली मिर्च मिक्स कर दें। इसके साथ ही पनीर को क्रश करके डाल दें। नमक स्वादानुसार डालें और अच्छे से मिक्स करें। अब तवे पर देसी घी या मूंगफली का तेल डालें, जिससे ये पूरी तरह से फलाहारी बनकर तैयार हुई। तवा गर्म होते ही तैयार बैटर को तवे पर फैलाएं और कुछ देर ढंक कर पकाएं। ताकि ये फटाफट और आसानी से पक जाए। 2 मिनट में इसे पलट कर दोनों तरफ से अच्छे से पका लें। यह लीजिए आपका गर्मागर्म मखाना उत्तपम तैयार है और इसे हरी चटनी के साथ सर्व करें।
आलू टिक्की
सामग्री: 2-3 उबले हुए आलू, 1-2 हरी मिर्च, 1 कप कुट्टू का आटा, नमक स्वादानुसार, हरा धनिया सजाने के लिए
विधि: सबसे पहले एक बर्तन में आलू को मसल लें। अब इसमें हरी मिर्च, हरा धनिया और नमक डालें। अब इन्हें टिक्की का आकार दें। इसे कुट्टू के आटे में लपेटकर तलें या तवे पर सेंकें।