Thursday, November 6, 2025
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सदियों पहले देवी कुमारी ऐसे आयीं कन्या कुमारी  

कहते हैं कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक भारत एक है। कश्मीर भारत माता का मस्तिष्क है तो कन्याकुमारी चरण। कन्याकुमारी, तमिलनाडु राज्य का एक प्राचीन शहर है। इस शहर का नाम कन्याकुमारी ही क्यों हैं? इस नाम के पीछे एक पौराणिक कथा का उल्लेख है।

किवदंती है बहुत समय पहले बानासुरन नाम का दैत्य हुआ था। उसने भगवान शिव की तपस्या कर उन्हें प्रसन्न किया और वरदान मांगा कि उसकी मृत्यु कुंवारी कन्या के अलावा किसी से न हो। शिव ने उसे मनोवांछित वरदान दे दिया।

उसी कालक्रम में भारत में ही एक राजा हुए जिनका नाम था भरत। राजा भरत की आठ पुत्रियां और एक पुत्र था। राजा भरत ने अपना साम्राज्य 9 बराबर हिस्सों में बांट दिया। दक्षिण का हिस्सा जहां वर्तमान में कन्या कुमारी है राजा भरत की पुत्री कुमारी को मिला। मान्यता है कि कुमारी को शक्ति देवी का अवतार माना जाता है।

देवी कुमारी पांड्य राजाओं की अधिष्ठात्री देवी थीं। देवी कुमारी ने उस दौर में दक्षिण में कुशलतापूर्वक राज्य किया। कुमारी की हार्दिक इच्छा थी कि उसका विवाह भगवान शिव से हो, जब ये बात शिव को पता चली तो वह भी विवाह के लिए राजी हो गए।

लेकिन देवर्षि नारद चाहते थे कि बानासुरन का अंत कुमारी के हाथों ही हो, इस विघ्न के चलते शिव और कुमारी का विवाह नहीं हो सका। इस दौरान जी बानासुरन को कुमारी की सुंदरता के बारे में पता चला तो वो सुनकर ही मोहित हो गया, उसने कुमारी को विवाह का प्रस्ताव पहुंचाया।

कुमारी ने कहा कि यदि वह उसे युद्ध में हरा दे तो वह बानासुरन से विवाह कर लेगीं। दोनों में युद्ध हुआ और बानासुरन मारा गया। इस तरह देवी कुमारी ने उस दैत्य को मारकर वहां रहने वाले लोगों का जीवन सुखमय कर दिया।

इसलिए दक्षिण भारत के इस स्थान को कन्या कुमारी कहा गया। मान्यता है कि जब शिव और कुमारी का विवाह अधूरा रह गया तो वहां जो भी विवाह के लिए तैयारियां की गईं थी वो सब रेत में बदल गईं। और इस तरह आधुनिक कन्याकुमारी शहर की नींव रखी गई।

यहां और भी हैं मंदिर

कुमारी मंदिर: तट पर ही कुमारी देवी का मंदिर है जहां देवी पार्वती के कन्या रूप को पूजा जाता है। मंदिर में प्रवेश के लिए पुरुषों को कमर से ऊपर के वस्त्र उतारने पड़ते हैं। प्रचलित कथा के अनुसार देवी का विवाह संपन्न न हो पाने के कारण बच गए दाल-चावल बाद में कंकड़ बन गए।

शंकराचार्य मंदिर: कन्याकुमारी में तीन समुद्रों-बंगाल की खाड़ी, अरब सागर और हिन्द महासागर का मिलन होता है। इसलिए इस स्थान को त्रिवेणी संगम भी कहा जाता है। तट पर कांचीपुरम की श्री कांची कामकोटि पीठम का एक द्वार और शंकराचार्य का एक छोटा-सा मंदिर है। यहीं पर 12 स्तंभों वाला एक मंडप भी है जहां बैठ कर यात्री धार्मिक कर्मकांड करते हैं।

तिरुवल्लुवर प्रतिमा: सागर तट से कुछ दूरी पर मध्य में दो चट्टानें नज़र आती हैं। यह प्रतिमा प्रसिद्ध तमिल संत कवि तिरुवल्लुवर की है। वह आधुनिक मूर्तिशिल्प 5000 शिल्पकारों की मेहनत से बन कर तैयार हुआ था। इसकी ऊंचाई 133 फुट है, जो कि तिरुवल्लुवर द्वारा रचित काव्य ग्रंथ तिरुवकुरल के 133 अध्यायों का प्रतीक है।

नागराज मंदिर : यह शहर नागराज मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। इस मंदिर का वैशिष्ट्य देखते ही बनता है। देखने में यह मंदिर चीन की वास्तुशैली के बौद्ध विहार जैसा प्रतीत होता है। मंदिर में नागराज की मूर्ति आधारतल में अवस्थित है। यहां नाग देवता के साथ भगवान विष्णु एवं भगवान शिव भी उपस्थित हैं।

कन्याकुमारी का इतिहास: कन्याकुमारी दक्षिण भारत के महान शासकों चोल, चेर, पांड्य के अधीन रहा है। यहां के स्मारकों पर इन शासकों की छाप स्पष्ट दिखाई देती है।

यह स्थान एक खाड़ी, एक सागर और एक महासागर का मिलन बिंदु है।यहां आकर प्रकृति के अनंत स्वरूप के दर्शन होते हैं। इस पवित्र स्थान को ‘एलेक्जेंड्रिया ऑफ़ ईस्ट’ की नाम से विदेशी सैलानियों ने नवाजा है

 

राजपथ पर गणतंत्र की खूबसूरती को इस बार निखारेंगी ये झाँकियाँ

इस बार गणतंत्र दिवस के दौरान राजपथ पर भारत का सांस्कृतिक रंग दिखेगा। इस बार परेड में कुल 23 झांकियां निकलेंगी, जिनमें 16 राज्यों की और 7 केंद्रीय मंत्रालयों की होंगी। इस साल गणतंत्र दिवस परेड पिछले साल की तुलना में 17 से 18 मिनट कम होगी। पिछले साल परेड का समय 114 मिनट था जो इस बार 96 से 97 मिनट रहेगा।

राजस्थान का पैलेस ऑफ विंड

गुलाबी और लाल पत्थरों से बना ‘पैलेस ऑफ विंड’ यानी हवा महल को इस बार राजस्थान की ओर से रिपब्लिक डे परेड में दिखाया जाएगा। रानियों के लिए बने इस महल में कुल 953 खिड़कियां और झरोखे हैं। दुनियाभर में चर्चित हवा महल भीतर से भी बहुत खूबसूरत है। हर साल दुनियाभर के लोग इसे देखने जयपुर पहुंचते हैं। पांच मंजिला पैलेस में ज्यादा सीढ़ियां नहीं हैं। ऊपर और नीचे आने के लिए इसमें ढलान का इस्तेमाल किया गया है। इसके बीच एक बड़ा बरामदा है, जो किले की दो मंजिला इमारत से घिरा हुआ है।

गुजरात के शेर दिखेंगे राजपथ पर
गुजरात की झांकी में इस बार गिर अभ्यारण्य के शेरों को दिखाया जाएगा। इसके अलावा झांकी में गाय और चिड़ियों को भी दिखाया जाएगा। अभ्यारण्य में शेरों की संख्या बढ़कर 523 हो गई है। झांकी में इस तथ्य को भी दिखाया जाएगा।

मध्य प्रदेश की व्हाइट टाइगर सफारी
रिपब्लिक डे की झांकी में मध्य प्रदेश की ओर से मुकुंदपुर रीवा की व्हाइट टाइगर सफारी को दिखाई जाएगी। मुकुंदपुर में 1000 हेक्टेयर वन क्षेत्र में जू एंड रेस्क्यू सेंटर तथा व्हाइट टाइगर सफारी बनाई जा रही है।

पश्चिम बंगाल की झांकी में संगीत की तान

पश्चिम बंगाल की झांकी में इस बाद बाउल संगीत सुनने को मिलेगा। गेरुआ कपड़े पहने महिलाओं और पुरुष अपने हाथों में इकतारा, दुतारा, डुग्गी, आनंद लहरी, बांसुरी और करताल लिए राजपथ पर बंगाल की तान को सुनाएंगे।

उत्तर प्रदेश की झांकी में जरदोजी कढ़ाई
उत्तर प्रदेश की झांकी में इस बार पुरानी और सबसे महंगी कढ़ाई में से एक जरदोजी को दिखाया जाएगा। झांकी में एक बुजुर्ग को रेशमी कपड़े पर कढ़ाई करते दिखाया गया है। प्रदेश के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जरदोजी को दिखाने के पीछे का मकसद परंपरागत कला के बारे में बताना है।

जम्मू कश्मीर की झांकी में मेरा गांव मेरा जहां
जम्मू-कश्मीर एक ऐसा राज्य है, जहां हर 15 किलोमीटर के बाद संस्कृति बदल जाती है। इस बार राजपथ पर परेड में कश्मीर की संस्कृति को दिखाया जाएगा। झांकी में कश्मीर के सेब, लद्दाख की खूबानी, जम्मू की बासमती उत्पादन के अलावा ग्रामीण विकास को भी दिखाया जाएगा।

छत्तीसगढ़ की खैरागढ़ यूनिवर्सिटी
रिपब्लिक डे परेड में छत्तीसगढ़ की ओर से सैरागढ़ यूनिववर्सिटी को झांकी के रूप में दिखाया जाएगा। 1956 को खैरागढ़ के राजा वीरेन्द्र बहादुर सिंह और रानी पद्मावती देवी ने अपनी बेटी इंदिरा की याद में म्यूजिक और फाइन आर्ट की यूनिवर्सिटी की शुरुआत करने अपना खानदानी पैलेस दान कर दिया था।

 बिहार की यंग गांधी फॉर यंग इंडिया
रिपब्लिक डे परेड में इस बिहार की झांकी को दो साल बाद शामिल किया गया है। गुजराती वेषभूषा वाले महात्मा गांधी पर बनी ‘यंग गांधी फॉर यंग इंडिया’ को सूचना एवं जन संपर्क विभाग की देखरेख में बनाया गया है।

बीएसएफ के ऊंट नहीं, इस बार दिखेंगे आर्मी के डॉग्स

रिपब्लिक डे फंक्शन के इतिहास में पहली बार सीमा सुरक्षा बल का ऊंट दस्ता इस बार 26 जनवरी को राजपथ पर नहीं उतरेगा। वहीं करीब 26 साल बाद इस बार गणतंत्र दिवस परेड में सेना के डॉग स्कवॉयड को उतारा गया है।

इंडियन आर्मी के साथ दिखेगी फ्रांस की सेना

राजपथ पर होने वाली रिपब्लिक डे परेड में भारतीय सेना के साथ फ्रांस की आर्मी भी परेड करती नजर आएगी। रिपब्लिक डे परेड के इतिहास में पहली बार ऐसा होगा की कोई विदेशी सेना परेड में हिस्सा लेगी। फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद इस साल की रिपब्लिक डे परेड के चीफ गेस्ट हैं।

राजपथ पर दिखेगी तमिलनाडु की टोडा जनजाति

नीलगिरी इलाके में रहने वाले टोडा जनजाति की जीवनशैली को इस बार तमिलनाडु की झांकी में दिखाया जाएगा। प्रकृति की पूजा करने वाली इस जनजाति में महिलाओं का बड़ा सम्मान होता है। पहाड़ी क्षेत्र में रहने वाली इस जनजाति की महिलाओं को पारंपरिक ड्रेस में नृत्य करते हुए दिखाया जाएगा।

 उत्तराखंड की झांकी में रम्मन महोत्सव होगा खास
रामायण की कहानी पर आधारित उत्तराखंड के रम्मन महोत्सव को इस बार राजपथ पर झांकी में दिखाया जाएगा। इस त्योहार को यूनेस्को की ओर से विश्व धरोहर भी घोषित किया जा चुका है।

 

 

अपराजिता – जो माने कभी न हार

अपराजिता – यह शब्द जीजिविषा के साथ सृजनात्मकता की उर्जा से भरा है। अपराजिता एक कोशिश है जो महिलाओं के नजरिए से महिलाओं की बात करना चाहती है। घटना जीवन की हो या देश या फिर समाज की, उसका सबसे अधिक अच्छा या बुरा प्रभाव स्त्री पर पड़ता है। मेरा मानना है कि घटना हो या उसकी प्रतिक्रिया, इन सबका असर एक स्त्री के जीवन पर पड़ता है मगर खबरों की दुनिया में भी उसके हिस्से का कोना शायद खाली सा रह गया। आधुनिकता और परम्परा के बीच फँसी स्त्री खुद को भी दूसरों की नजर से तोल रही है। क्या करे कि सब खुश रहें मगर यह ख्याल एक क्षण के लिए नहीं आता कि एक क्षण उसका भी होना चाहिए। आम खबरों में महिलाओं पर होने वाला असर हो या महिलाओं से जुड़ी खबर, अपराजिता इनकी पड़ताल करने का काम करेगी। सौंदर्य, फैशन, घर बच्चे और सफलता की जद्दोजहद में जुटी स्त्री की दुनिया इससे आगे हो सकती है और उसे बहुत सी बातों से फर्क पड़ता है। अपराजिता का अर्थ पेज 3 की रोशनी में दिखने वाली औरते ही नहीं हैं बल्कि अपनी अलग जमीन की तलाश करने वाली स्त्रियाँ हैं। स्त्री तभी सशक्त होगी जब वह समझे और उसे समझा जाए इसलिए पुरुषों की सोच को समझना जरूरी है इसलिए होगा पुरुष क्षेत्र। गणतंत्र में स्त्री अपने अधिकारों की बात कर तो रही है उसे अपना विवेक औऱ सकारात्मक दृष्टिकोण साथ लेकर चलना होगा। यह सफर तो बस शुरू हो रहा है, राह अभी भी लम्बी है मगर विश्वास यह है कि यात्रा आरम्भ की है तो मंजिल भी जरूर मिलेगी क्योंकि हर स्त्री अपराजिता है।

शराब से भी ज्यादा खतरनाक हैं ये ड्रिक्स, बचें इनके प्रयोग से

अनजाने में आप बहुत से ऐसे ड्रिक्स हैं जिन्हें पीते हैं लेकिन नहीं जानते हैं कि ये शराब की तरह खतरनाक हो सकते हैं वजन के लिए।

सिर के भयंकर दर्द में आराम देंगे ये आसान घरेलू उपाय

सिर दर्द बहुत ही आम समस्या है लोगों के बीच। इसके कई कारण हो सकते हैं, तनाव, माइग्रेन या फिर नींद पूरी ना होना। लेकिन कभी ये समस्याएं गंभीर हो जाती हैं। इसके निजात पाने के लिए अगर कुछ घरेलू उपाय किए जाएं तो फायदा होगा।

अलविदा 2015: सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोरने वाली 5 कारें

ऑटो इंडस्ट्री के लिए साल 2015 को काफी उत्साहजनक और सफलता देने वाला कहा जा रहा है। इसका अंदाजा हुंडई की क्रेटा, मारुति की बलेनो और रेनॉ क्विड को मिली बंपर सफलता से लगाया जा सकता है।

लग्जरी सेगमेंट में कंपनियों ने अच्छा प्रदर्शन किया। मर्सिडीज ने 12 महीनों में 15 मॉडल लॉन्च किए। हालांकि साल के आखिरी चार महीने कई वजहों से कुछ कार कंपनियों के लिए मुश्किल भरे भी रहे।

इस साल शेवरले, होंडा, टोयोटा, फोर्ड जैसी कंपनियों ने अलग-अलग वजहों से बड़ी संख्या में कारें रिकॉल कीं। फॉक्सवैगन का डीजलगेट स्कैंडल और राजधानी दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण का मुद्दा कार कंपनियों के लिए कारोबारी चिंता और उलझन का प्रमुख कारण बना।

लेकिन इन सभी मुद्दों के बीच कुछ कारें ऐसी भी रहीं जो साल की शुरुआत से लेकर आखिर तक चर्चा में बनी रहीं। यहां हम बात करेंगे ऐसी ही कुछ कारों के बारे में…

अब स्मार्टफोन ऐप से खोज निकालें छिपा कैमरा, आखिर कैसे!

आजकल हर जगह कैमरे पहुंच गए हैं। शायद ही कोई ऐसी जगह बची हो जहां आप पर कैमरे की नजर न हो। कई जगह कैमरे के बारे में लिखा होता है लेकिन कई जगह छिपे हुए कैमरे लगे होते हैं जो चुपचाप सभी लोगों पर नजर रखते हैं।

कभी ऐसा भी हो सकता है कि कोई आप पर कैमरे के साथ नजर रख रहा हो। जाने अनजाने में आपकी किसी भी हरकत को गलत समझा जा सकता है। बढ़िया बात ये है कि स्मार्टफोन का इस्तेमाल करके आप ये पता कर सकते हैं कि क्या आपके आसपास कोई छिपा हुआ कैमरा तो नहीं है। अगर कोई और इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस हो, तो उसका भी पता लगाया जा सकता है।

अपने स्मार्टफोन के हार्डवेयर की मदद से आप इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फील्ड की पहचान कर सकते हैं। बस एक ऐप डाउनलोड कर लीजिये और आप जिस भी जगह हैं, वहां पर अपने स्मार्टफोन को साथ लेकर एक बार थोड़ा घूम लीजिये। अगर आपके ऐप पर आपको उसका सिग्नल मिलता है तो उसका मतलब है कि इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस को कहीं छिपाकर रखा गया है।

ऐसे उमड़ा किताबों पर प्यार, बुकफेयर में एक लाख दर्शक

प्रगति मैदान में पुस्तक मेले का दूसरा दिन हाउसफुल रहा। वीकेंड पर रविवार को प्रवेश द्वार खुलते ही दिल्लीवासी विश्व पुस्तक मेले में पहुंचने लगे थे। दोपहर बाद मेले के सभी हॉल में भारी भीड़ दिखी। इसमें बड़ी संख्या में कॉलेज जाने वाले छात्र भी थे और मम्मी-पापा के साथ चहलकदमी करते बच्चे भी। दूसरे दिन ही आम लोगों की दिलचस्पी से आयोजक के साथ प्रकाशक भी खुश नजर आए। आयोजकों के मुताबिक, शाम तक दर्शकों की संख्या एक लाख से ऊपर पहुंच गई। मेले में सबसे ज्यादा भीड़ अपने बच्चों के साथ-साथ चल रहे अभिभावकों की दिखी। स्टॉल पर वह बच्चों के फायदे की पुस्तकों को पलटते रहे। (सभी फोटो: विवेक निगम/अमर उजाला, नई दिल्ली)