Sunday, July 27, 2025
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पहनें डेनिम ड्रेस कभी भी कहीं भी

अमेरिकन लेबर क्लास से लेकर फैशन वीक में कई जाने-माने लेबल का हिस्सा बनने तक, डेनिम्स ने काफी लंबा सफर तय किया है।. ऐसा कोई भी मौका नहीं, जहां आप डेनिम में खुद को स्टाइल कर लोगों का ध्यान अपनी तरफ न खींच सकें। आप डेनिम को कई तरीकों से पहन सकती हैं –

denim 2किसी नाइट आउट के लिए डेनिम ड्रेस परफेक्ट है। डेनिम ड्रेस इसके साथ एक ब्लैक या ब्राउन लेदर बेल्ट पहनें और आप तैयार हैं सबके बीच एक स्टाइल स्टेटमेंट बनाने के लिए, और हां! इसके साथ ज्योमेट्रिकल कफ और हाई हील्स (ब्लैक हो तो ज़्यादा बेहतर होगा) पहनना न भूलें।

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याद रखें कि आराम का दूसरा नाम है डेनिम इसीलिए इसकी इस खासियत को बेकार न करें। अगर आप दोस्तों के साथ मूवी या ब्रंच के लिए जा रही हैं तो एक स्लीक बैग और सनग्लासेज़ के क्लासिक शेड्स के साथ अपनी ड्रेस को पेयर करें। शर्ट ड्रेसेज़ इसके लिए अच्छा विकल्प है।

अगर आप जल्दी में हैं और आपको कई सारे काम भी पूरे करने हैं, तो डेनिम ड्रेस आपको इस परेशानी से बचाएगी। अपनी एलीगेंसी और सादगी को बरकरार रखते हुए आपको स्टाइलिश लुक देती है। एक डार्क शेड की डेनिम ड्रेस को टैन ब्राउन लेदर बेल्ट और एक ब्लैक या ब्राउन कार्डिगन या किसी भी डार्क शेड के साथ पेयर करें। बस आप हो गई हैं तैयार।

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डेनिम ड्रेस की सबसे अच्छी बात है कि इसकी चाहे आप जितनी भी लेयरिंग कर लें, इसका रंग खिलकर सामने आएगा ही और आपको देगा एक स्टाइलिश लुक। डेनिम्स, पंक फैशन की क्लासिक निशानी के तौर पर देख सकते हैं। इस ट्रेंड को एक बार फिर से अपनाएं और एक लाजवाब ब्लैक लेदर जैकेट को इसके साथ आजमाएं।

 

परिवार नियोजन की जिम्मेदारी अब पुरुषों की भी

एक नई पॉलिसी के तहत महिलाओं के सशक्त‍िकरण पर जोर दिया जाएगा। इसमें कई पहलू जोड़े गए हैं. सबसे अहम है परिवार नियोजन में पुरुषों की भागीदारी।

आमतौर पर देखा गया है कि परिवार नियोजन कार्यक्रमों मे पुरूष नसबंदी का आंकड़ा बहुत कम होता है और परिवार नियोजन का पूरा भार महिलाओं को ही उठाना पड़ता है। लेकिन इस नई पॉलिसी में महिलाओं के साथ पुरूषों को भी परिवार नियोजन अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया गया है।

इसके अलावा, महिलाओं को साइबर क्राइम से सुरक्षित रहने के गुर भी सिखाए जाएंगे। वहीं उन्हें राजनीति में ज्यादा से ज्यादा भागीदारी के लिए ट्रेनिंग देना, सिंगल मदर की समस्याओं को पहचानने जैसी खास बातों को इस नई पॉलिसी के ड्राफ्ट में शामिल किया गया है.

नई पॉलिसी को लॉन्च करते समय बाल एव महिला विकास मंत्री मेनका गांधी ने कहा कि पूरे 15 साल बाद इसे दोबारा बनाया जा रहा है और इन सालों में महिलाओं से जुड़ी हर समस्या, परेशानियां और चुनौतियों मे बदलाव आया है और नई पाॅलिसी का ड्राफ्ट इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखकर किया गया है।

इस  ड्राफ्ट में महिलाओं के सामने आने वाली कई चुनौतियों को पहचान कर उसे दूर करने की भी चर्चा है। ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को राजनीति मे लाने के लिए पंचायत स्तर पर महिलाओ की ट्रेनिंग शुरू कर दी गई है। देशभर ने इस समय लगभग 6 लाख पंचायतों में 2 लाख महिला प्रधान हैं लेकिन ज्यादातर मामलों में काम उनके पति देख रहे हैं मेनका गांधी के अनुसार इन महिला प्रधानों को प्रशिक्षण देने का काम शुरू कर दिया गया है। अभी तक 40 महिलाओं को प्रशिक्षण दिया जा चुका है।

इस पॉलिसी में कृषि के क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने पर भी बात की गई है। कुल मिलाकर इस पॉलिसी में हर क्षेत्र में महिलाओं को आगे बढ़ाने, उनकी नई चुनौतियों को समझने और दूर करने के लिए विस्तार से योजनाएँ हैं।

स्त्रोत – आजतक

जानिए कौन थीं सीता की मां

मिथिला के राजा जनक माता सीता के पिता और सुनयना, सीताजी की मां थीं। सुनयना अत्यंत सरल, साध्वी, धर्म परायण, विनयी एवं उदार थीं। इनके ह्दय में जीव मात्र के के प्रति अटूट दया थी।

वहीं, जनक मिथिला के राजा और निमि के पुत्र थे। जनक का वास्तविक नाम ‘सिरध्वज’ था। इनके छोटे भाई का नाम ‘कुशध्वज’ था। त्रेतायुग में राजा जनक अपने अध्यात्म तथा तत्त्वज्ञान के लिए बहुत ही प्रसिद्ध थे। उनकी विद्वता की हर कोई प्रशंसा करता था।

जनक के पूर्वज निमि या विदेह के वंश का कुलनाम मानते हैं। यह सूर्यवंशी और इक्ष्वाकु के पुत्र निमि से निकली एक शाखा है। इस विदेह वंश के द्वितीय पुरुष मिथि जनक ने मिथिला नगरी की स्थापना की थी। इतिहासकार जनक को कृषि विशेषज्ञ के रूप में स्वीकार करते हैं।

शिव की धरोहर के रक्षक थे जनक

शिव-धनुष ( पिनाक)उन्हीं की धरोहरस्वरूप राजा जनक के पास सुरक्षित था। हिंदू पौराणिक ग्रंथों में उल्लेख मिलता है कि प्रजापति दक्ष ने यज्ञ विनष्ट होने के अवसर पर रुष्टमना शिव ने इसी धनुष को टंकार कर कहा था कि देवताओं ने उन्हें यज्ञ में भाग नहीं दिया, इसलिए वे धनुष से सबका मस्तक काट लेंगे। देवताओं ने बहुत स्तुति की तो भोलेनाथ ने प्रसन्न होकर यह धनुष उन्हीं देवताओं को दे दिया। देवताओं ने राजा जनक के पूर्वजों के पास वह धनुष धरोहरस्वरूप रखा था।

हिंदू शास्त्रों में यह प्राचीन कहानी सीता के संबंध में मिलती है। सवाल फिर भी आज रहस्य बना हुआ है कि सीता आखिर किसकी पुत्री थीं। गत्समद ऋर्षि की, मंदोदरी की या फिर राजा जनक की?

 

सेहत के लिए रखें कैलोरी का हिसाब

वजन को संतुलित रखने के लिए आपने बकायदा एक वर्कआउट रूटीन अपना लिया। आप उसी हिसाब से रोज कसरत कर रहे हैं और पसीना बहा रहे हैं। लेकिन फिर भी नतीजा वैसा नहीं मिल पा रहा जैसा आपने सोचा था। अगर ऐसा है तो एक बार अपने कैलोरी के हिसाब-किताब पर जरूर नजर डालें।

अपने खान-पान को लेकर अक्सर हम यह बात नजरअंदाज कर डालते हैं कि हम शरीर को जितनी जरूरत है उतनी कैलोरीज दे पा रहे हैं या नहीं और यदि कैलोरीज जरूरत से ज्यादा हो रही हैं तो क्या हम उन्हें उसी मात्रा में खर्च भी कर पा रहे हैं? यही गणित असल में तमाम रिजल्ट पर असर डालता है। उदाहरण के लिए, एक स्वस्थ आदमी को संतुलित वजन रखने के लिहाज से प्रतिदिन लगभग ढाई हजार किलो कैलोरीज की आवश्यकता होती है।

ऐसे में यदि वह इससे डेढ़ या दो गुना अतिरिक्त कैलोरीज लेता है लेकिन वर्कआउट इतना करता है कि केवल ढाई-तीन हजार किलो कैलोरी को ही बर्न कर सके तो ऐसे में बाकी बची कैलोरीज एक्स्ट्रा कैलोरीज में आएंगी। अगर उसका रूटीन रोज ऐसा ही होता है तो जाहिर है कि उसके शरीर पर वर्कआउट का कोई खास असर नहीं पड़ेगा। इसमें एक और ध्यान रखने लायक बात यह भी है कि कैलोरीज के खर्च होने की क्षमता पर उम्र, मेटाबॉलिज्म और स्थितियों का भी बहुत असर रहता है। इसलिए इन बिंदुओं पर भी काम जरूर करें।

अब कैलोरीज के जमा-खर्च को संतुलित बनाए रखने के लिए आपको जरूरत है थोड़े से गणित को लागू करने की। ऐसा भी नहीं कि इसके लिए आप बिलकुल एक-एक ग्राम का आंकड़ा ध्यान में रखें लेकिन एक बार किसी विशेषज्ञ से सलाह लेकर अपने लिए एक मोटा-मोटा चार्ट बना लें कि किस खाने से आपको कितनी कैलोरीज मिलेंगी। एक बार जब आपको इसकी आदत पड़ जाएगी तो अपने आप अंदाज आता चला जाएगा और आप सही तरीके से अपने लक्ष्य की ओर बढ़ पाएंगे। पहले-पहल इसमें थोड़ा कन्फ्यूजन हो सकता है लेकिन धीरे-धीरे यह रूटीन बन जाएगा।

अब खान-पान के साथ ही अपने व्यायाम के तरीकों पर फोकस करें। सबसे पहले तो यह रूल खुद पर लागू करें कि व्यायाम के तुरंत बाद आप कुछ भी नहीं खाएंगे और इसके आधे घंटे बाद भी वह डाइट लेंगे जिसमें फाइबर और पानी ज्यादा हो जैसे फल, अंकुरित अनाज, सलाद, उपमा, कॉर्नफ्लेक्स, ओट्स, नट्स आदि।

अगर आपके फिटनेस सेंटर के आस-पास की नाश्ते की दुकानें आपको आकर्षित करती हैं तो खुद पर कंट्रोल करना सीखिए क्योंकि जिम जाने वाले कई लोगों में वजन के न घटने या कई मामलों में तो बढ़ जाने के पीछे भी यह एक बड़ा कारण होता है। अब जो भी व्यायाम आप कर रहे हैं उसे बदलते रहें। जैसे कार्डियो, एरोबिक्स, योगा आदि का मिश्रण अपनाएं। यानी व्यायाम को एक जैसा न रहने दें। इससे आपके शरीर को किसी भी एक व्यायाम की आदत नहीं पड़ेगी और ऐसा होने से वजन को घटाने में ज्यादा मदद मिल सकेगी।

अपने भोजन को टुकड़ों में बांटना हर लिहाज से सर्वोत्तम तरीका है। इससे न केवल सामान्यतौर पर स्वस्थ रहने में मदद मिलेगी बल्कि डायबिटीज, उच्च रक्तचाप जैसी लाइफस्टाइल डिसीज को भी इससे कंट्रोल में रखा जा सकेगा। सबसे खास बात यह कि इस तरीके से कैलोरीज के जमा होने और खर्च होने में सही संतुलन बनाया रखा जा सकेगा।

 

महानगर को मिला गोल्डन ट्यूलिप होटल

महानगर को हाल ही में मिला एक नया होटल। विधाननगर में खुला गोल्डन ट्यूलिप होटल जिसमें 55 कमरे हैं और कोलकाता आने वाले यात्रियों के लिए यह बिलकुल फिट है। इसका उद्घाटन करने के लिए अभिननेत्री महिमा चौधरी तथा टॉलीवुड अभिनेत्री स्वस्तिका, रिद्धिमा और अभिनेता साहब भट्टाचार्य पहुँचे थे। गोल्डन ट्यूलिप होटल के एम डी आशीष मित्तल के अनुसार यहाँ आने वालों को जायकों का खजाना मिलेगा। होटल में एक हुक्का बार भी है। सामाजिक कार्यक्रमों तथा बैठकों के लिए गोल्ड फिंच हैं। मेहमानों को यहाँ ब्लूटूथ और वाई – फाई से कनेक्टिविटी के साथ डिजिटल रूम की सुविधा भी मिलेगी।

रिपल फ्रेगनेंस एयर केयर मार्केट में उतारे नए उत्पाद

साइकिल प्योर अगरबत्ती के निर्माता एन आर ग्रुप के रिपल फ्रेगनेंसेस के तहत मैजिक ऑफ फ्रेंगनेंस बाजार में उतारा है। उसने अपने एयर केयर ब्रांड लिया को नये रूप में पेश किया। रिपल फ्रेंगनेंस की मैनेजिंग डायरेक्टर किरण रंगा ने उम्मीद जतायी कि नया ब्रांड ग्राहकों को पसंद आएगा। लिया के तहत रूम फ्रेशनर की लैवेंडर, चंदन, रोज और सी शोर की वैरायटी भी पेश की गयी।

जब दफ्तर में करनी हो दोस्ती

दफ्तर में आप नए हों या पुराने, एक दोस्त की जरूरत तो पड़ती है मगर जब आप किसी को जानते नहीं हैं तो यह काफी मुुश्किल हो जाता है। दफ्तर में दोस्त जरूरी है और दोस्त बनाना जरूरी है। हर ऑफिस में एक गैदरिंग पॉइंट होता ही है जहां सभी इकट्ठा बैठ सकते हैं, या समूह बनाकर बैठते हैं, बातें करते हैं, खाते-पीते हैं। कॉफी वेंडिंग मशीन और वॉटरकूलर्ज ऐसे ही कुछ स्पॉट्स हैं। ये जानने कि को शिश करें कि जिन कलीग्स को आप जानना चाहते हैं वे कहां बैठते हैं। एक बार जगह पता चल जाए तो आप भी वहां उसी वक्त पहुंचे जिससे कि आपको उनसे बात करने का मौका मिल सके। कॉफी पसंद न हो तो भी ऐसे ब्रेक्स जरूर लें क्योंकि इस तरह के कॉफी ब्रेक्स की वजह से ही आपको अच्छे दोस्त मिल सकते हैं।

अपने कलीग के दिल में जगह बनाने के लिए भी रास्ता पेट से होकर ही जाता है। बहुत से आईटी फर्म्स में काम करने वालों की मानें तो अपने जैन, या डायबेटिक कलीग्स के पसंद का खाना लाकर उन्हें खिलाएंगे तो आपस में बेहतर रेपो बन सकेगा। इसलिए ऑफिस वालों के डायटरी पसंद-नापसंद पर ध्यान देना शुरू कर दें।

किसी को ही ऐसे किसी व्यक्ति के आसपास रहना पसंद नहीं आता है जो हमेशा सीरियस होकर घूमता रहता हो या ज्यादा चिढ़-चिढ़ा हो। खुद को हमेशा चीयरफुल बनाकर रखें और बातचीत करते हुए खुश नजर आएं। अगर कोई अच्छा दिख रहा है तो उसकी तारीफ करना न भूलें, किसी ने अच्छा काम किया तब भी तारीफ जरूर करें और दिल से करें।

ऐसे लोगों से आपकी दोस्ती करने की इच्छा नहीं भी हो सकती है जो सारा दिन गॉसिप और ऑफिस पॉलिटिक्स में उलझे रहते हैं। अपने ताल्लुक और बातचीत साफ रखें और इस तरह आपके पास सही लोग ही ठहरेंगे। वर्कपेस के बारे में कुछ अच्छा बोलने पर फोकस करें, इस तरह गुडविल बनेगी। अगर आप गलत लोगों के साथ उठेंगे-बैठेंगे तो न चाहते हुए भी आपका इम्प्रेशन गलत ही पड़ेगा। इसलिए सही लोगों के साथ ताल-मेल बनाएं।

किसी नए रेस्टोरेंट में सभी को लेकर जाएं। ये ट्रिक हमेशा काम करती है। ऐसा रेस्टोरेंट चुनें जो वाकई अच्छा हो और अपने साथियों की राय भी लें। अपनी आउटिंग को यादगार बनाने की पूरी कोशिश करें। इस तरह अपने कलीग्स को बेहतर जानने का आपको पूरा मौका मिलेगा।इसी तरह उन लोगों को बभी आपको जानने का अवसर मिलेगा।

अगर आप ज्यादा बात नहीं करते हैं और ज्यादा मेल-जोल रखने में झिझकते हैं या करना नहीं चाहते तो वॉट्स ऐप ग्रुप के जरिए बात शुरू करें। इस तरह लोगों से बात करना आपके लिए आसान हो जाएगा।

अगर आप बहुत बोलते हैं तो ज्यादा ध्यान रखें। अपनी बातचीत से किसी को डराएं नहीं न ही किसी को कॉम्प्लेक्स में डालें और न ही खुद का दबदबा कायम करने की कोशिश करें।

 

जब बच्चा जा रहा हो पहले दिन स्कूल

बच्चों का स्कूल खुलना एक मुश्किल भरा समय होता है। पहले दिन बच्चे को स्कूल भेजना तो मम्मियों के लिए काफी कठिन होता है। स्कूल के वातावरण में उसको ढालना और मानसिक रूप से तैयार करना किसी भी माँ के लिए आसान नहीं होता। बच्चा स्कूल जाने और नए साथियों से मिलने में हिचकिचाता है। हम आपको बता रहे हैं बच्चे को स्कूल के लिए पहले दिन तैयार करने के लाइक कुछ टिप्स…

बच्चे को बता दें कि उसका शेड्यूल कैसा होगा। उसके स्कूल के शुरू होने का खत्म होने का समय बता दें।

बच्चे को स्कूल के बारे में अच्छी और बुरी बातें पूछें, उससे जानें कि वह स्कूल में कैसा महसूस करता है।

बच्चे के साथ स्कूल जाएँ और स्कूल का टाइम शुरू होने से पहले उसके नए टीचर से मिलें।

उसको स्कूल खुलने की सकारात्मक बातें बताएं। यह मजेदार होगा, उसे नए दोस्त मिलेंगे।

वह चेहरा बिगड़ने के बाद बनीं ब्यूटी क्वीन

ग्लैमर की दुनिया में एक खूबसूरत चेहरा बेहद जरूरी है। एक सफल जिंदगी गुजारते हुए हादसे आपसे यही पूँजी छीन लें तो जीना बेहद मुश्किल हो जाता है। जिस चेहरे पर आप गुमान करते हों वो इस कदर विकृत हो जाए कि आप अपने ही चेहरे से नफरत करने लगें। यह कहानी है हैदराबाद की उद्यमी रुचिका शर्मा की. साल 2004 में वह 9 टीवी चैनलों पर कुकरी शो होस्ट करती थीं –

सड़क हादसे से पूरी तस्वीर बदल गई…
बेहद खूबसूरत जिंदगी गुजार रही रुचिका एक भयानक सड़क दुर्घटना की चपेट में आ गईं। इस दुर्घटना में उनके हाथ-पांव की हड्डियां टूटने के साथ-साथ उनका चेहरा भी विकृत हो गया। हमेशा हंसने-खिलखिलाने वाली रुचिका के लिए चार कदम चलना भी दूभर हो गया। लोगों के लिए स्वादिष्ट खाद्य पदार्थों की नई-नई वैराइटी बनाने वाली रुचिका की जिंदगी बेड और व्हील चेयर तक सिमट गई। अपनी यह हालत उनसे बर्दाश्त नहीं हुई और वह डिप्रेशन की शि‍कार हो गईं.

मां की हिम्मत और फेशियल योगा ने किया कमाल…
रुचिका तो इस दुर्घटना के बाद पूरी तरह आत्मसमर्पण कर चुकी थीं लेकिन उनकी मां ने हिम्मत नहीं हारी। उनकी मां उन्हें प्रेरक कहानियां सुनाया करतीं. मेडिटेशन और अध्यात्म से जोड़ने की कोशिश करतीं। सड़क हादसे से उबरने के लिए उन्हें कई ऑपरेशन करवाने पड़े। यहां तक की पांव में स्क्रू भी इम्पलांट करवाना पड़ा।  रुचिका ने इसी दौरान फेशियल योगा का सहारा लिया। योगा से उन्हें खूब मदद मिली और चेहरे की खोई रौनक फिर से लौटने लगी.

हॉस्पिटल के बेड से गिनीज बुक तक का सफर किया तय…बचपन के सपने को फिर से पूरा करने की कोशिश की…
रुचिका बचपन से ही मॉडल बनना चाहती थीं लेकिन जैसा कि भारत की अधिकांश आम जनता के साथ होता रहा है, उन्होंने भी अपने सपनों से समझौते कर लिए. उनके ऐसे सपने पूरे नहीं हो सके थे लेकिन इस उभार के बाद उन्होंने ठान लिया था कि हादसे से उभरने के बाद वो सौंदर्य प्रतियोगिता में हिस्सा लेंगी.।
एक दिन वो यूं ही इंटरनेट ब्राउज कर रही थीं कि उन्हें ‘मिसेस इंडिया’ के बारे में पता चला. उन्होंने फौरन इसके लिए आवेदन कर दिया। वह सेलेक्ट भी हो गईं. यहां वह इस प्रतियोगिता में सबसे बड़ा खिताब तो नहीं जीत सकीं लेकिन उनके हुनर-जज्बे और खूबसूरती की वजह से मिसेस इंडिया -पॉपुलर के खिताब से नवाजा गया।
इसके अलावा वह ‘मिसेस इंडिया हैदराबाद इंटरनेशनल’ और ‘मिसेस साउथ एशिया’ का खिताब भी अपने नाम कर चुकी हैं।

हादसे के बाद वह लंबे समय तक हॉस्पिटल के बेड पर पड़ी रहीं. असहाय और हताश लेकिन वहां से एक बार उठने के बाद उन्होंने पलट कर नहीं देखा. वह अब एक आत्म-निर्भर महिला हैं और गृहणि‍यों के लिए कुकिंग स्कूल चला कर कमाई भी करती हैं. इतना ही नहीं रुचिका ने फेशियल योगा में भी कमाल कर दिखाया. हादसे के बाद वह फेशियल योगा से उबरीं और दूसरे लोगों को फेशियल योगा सिखाने का जिम्मा उठाया।
उनकी एक क्लास में तो 1961 लोग शामिल रहे और इसी वजह से उनका नाम आज गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज है.
साथ ही रुचिका बताती हैं कि योग-ध्यान तो भारत की पैदाइश हैं लेकिन इसका अधिकांश पेटेंट व रिकॉर्ड दूसरे देशों के नाम पर है. रुचिका ने इस रिकॉर्ड को अपने नाम कर भारत को गर्व का एक और मौका दिया है. ऐसे तमाम लोगों के लिए उनका सक्सेम मंत्रा है ‘नेवर गिव अप’.

 

चट्टान की तरह मजबूत और अजेय थे गामा पहलवान

दतिया/भोपाल.बॉडी बिल्डिंग के लिए आधुनिक युग में भले ही कई मशीनें आ रही हो, लेकिन अगर पत्थर से बने कसरत करने के सामानों को देखना है तो वह इस दतिया में रखे हुए हैं। यहां के म्यूजियम में वर्ल्ड चैम्पियन गामा पहलवान द्वारा यूज किए ये सामान आज भी सुरक्षित हैं। इनमें पत्थर के डंबल, हंसली, गोला आदि प्रमुख रूप से शामिल हैं ।

दतिया के होलीपुरा में गामा का जन्म सन् 1889 में हुआ था। हालांकि, उनके जन्म को लेकर विवाद है कुछ यह भी मानते हैं कि उनका जन्म 1880 में पंजाब के अमृतसर में हुआ था। गामा के बारे में कहा जाता है कि वह 80 किलो वजनी हंसली (कसरत के लिए गले में पहनी जाने वाली पत्थर की भारी वस्तु) पहन कर उठक बैठक लगाते थे। डंबल के रूप में भी वह भारी भरकम पत्थर का उपयोग करते थे। आम आदमी के लिए इन्हें उठाना मुश्किल ही है।  कहा जाता है कि गामा एक बार में एक हजार से अधिक दंड बैठक लगाया करते थे। कई बार बैठक की संख्या पांच हजार तक पहुंच जाती थी।

यह थी गामा की खुराक

बताया जाता है कि गामा पहलवान की खुराक एक समय में पांच किलो दूध व उसके साथ सवा किलो बादाम थी। दूध 10 किलो उबाल कर पांच किलो किया जाता था। उनकी खुराक का खर्चा तत्कालीन राजा भवानी सिंह द्वारा उठाया जाता था।

विदेशी पहलवानों को भी चटाई थी धूल

सन् 1910 में दुनिया में कुश्ती के मामले में अमेरिका में जैविस्को का नाम काफी था। गामा ने इसे भी परास्त कर दिया था।पूरी दुनिया में गामा को कोई हरा नहीं सका। इसीलिए उन्हें वर्ल्ड चैम्पियन का खिताब मिला था। गामा ने अपने जीवन में देश के साथ विदेशों के 50 नामी पहलवानों से कुश्ती लड़ी और सभी जीतीं।