वह चेहरा बिगड़ने के बाद बनीं ब्यूटी क्वीन

ग्लैमर की दुनिया में एक खूबसूरत चेहरा बेहद जरूरी है। एक सफल जिंदगी गुजारते हुए हादसे आपसे यही पूँजी छीन लें तो जीना बेहद मुश्किल हो जाता है। जिस चेहरे पर आप गुमान करते हों वो इस कदर विकृत हो जाए कि आप अपने ही चेहरे से नफरत करने लगें। यह कहानी है हैदराबाद की उद्यमी रुचिका शर्मा की. साल 2004 में वह 9 टीवी चैनलों पर कुकरी शो होस्ट करती थीं –

सड़क हादसे से पूरी तस्वीर बदल गई…
बेहद खूबसूरत जिंदगी गुजार रही रुचिका एक भयानक सड़क दुर्घटना की चपेट में आ गईं। इस दुर्घटना में उनके हाथ-पांव की हड्डियां टूटने के साथ-साथ उनका चेहरा भी विकृत हो गया। हमेशा हंसने-खिलखिलाने वाली रुचिका के लिए चार कदम चलना भी दूभर हो गया। लोगों के लिए स्वादिष्ट खाद्य पदार्थों की नई-नई वैराइटी बनाने वाली रुचिका की जिंदगी बेड और व्हील चेयर तक सिमट गई। अपनी यह हालत उनसे बर्दाश्त नहीं हुई और वह डिप्रेशन की शि‍कार हो गईं.

मां की हिम्मत और फेशियल योगा ने किया कमाल…
रुचिका तो इस दुर्घटना के बाद पूरी तरह आत्मसमर्पण कर चुकी थीं लेकिन उनकी मां ने हिम्मत नहीं हारी। उनकी मां उन्हें प्रेरक कहानियां सुनाया करतीं. मेडिटेशन और अध्यात्म से जोड़ने की कोशिश करतीं। सड़क हादसे से उबरने के लिए उन्हें कई ऑपरेशन करवाने पड़े। यहां तक की पांव में स्क्रू भी इम्पलांट करवाना पड़ा।  रुचिका ने इसी दौरान फेशियल योगा का सहारा लिया। योगा से उन्हें खूब मदद मिली और चेहरे की खोई रौनक फिर से लौटने लगी.

हॉस्पिटल के बेड से गिनीज बुक तक का सफर किया तय…बचपन के सपने को फिर से पूरा करने की कोशिश की…
रुचिका बचपन से ही मॉडल बनना चाहती थीं लेकिन जैसा कि भारत की अधिकांश आम जनता के साथ होता रहा है, उन्होंने भी अपने सपनों से समझौते कर लिए. उनके ऐसे सपने पूरे नहीं हो सके थे लेकिन इस उभार के बाद उन्होंने ठान लिया था कि हादसे से उभरने के बाद वो सौंदर्य प्रतियोगिता में हिस्सा लेंगी.।
एक दिन वो यूं ही इंटरनेट ब्राउज कर रही थीं कि उन्हें ‘मिसेस इंडिया’ के बारे में पता चला. उन्होंने फौरन इसके लिए आवेदन कर दिया। वह सेलेक्ट भी हो गईं. यहां वह इस प्रतियोगिता में सबसे बड़ा खिताब तो नहीं जीत सकीं लेकिन उनके हुनर-जज्बे और खूबसूरती की वजह से मिसेस इंडिया -पॉपुलर के खिताब से नवाजा गया।
इसके अलावा वह ‘मिसेस इंडिया हैदराबाद इंटरनेशनल’ और ‘मिसेस साउथ एशिया’ का खिताब भी अपने नाम कर चुकी हैं।

हादसे के बाद वह लंबे समय तक हॉस्पिटल के बेड पर पड़ी रहीं. असहाय और हताश लेकिन वहां से एक बार उठने के बाद उन्होंने पलट कर नहीं देखा. वह अब एक आत्म-निर्भर महिला हैं और गृहणि‍यों के लिए कुकिंग स्कूल चला कर कमाई भी करती हैं. इतना ही नहीं रुचिका ने फेशियल योगा में भी कमाल कर दिखाया. हादसे के बाद वह फेशियल योगा से उबरीं और दूसरे लोगों को फेशियल योगा सिखाने का जिम्मा उठाया।
उनकी एक क्लास में तो 1961 लोग शामिल रहे और इसी वजह से उनका नाम आज गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज है.
साथ ही रुचिका बताती हैं कि योग-ध्यान तो भारत की पैदाइश हैं लेकिन इसका अधिकांश पेटेंट व रिकॉर्ड दूसरे देशों के नाम पर है. रुचिका ने इस रिकॉर्ड को अपने नाम कर भारत को गर्व का एक और मौका दिया है. ऐसे तमाम लोगों के लिए उनका सक्सेम मंत्रा है ‘नेवर गिव अप’.

 

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