Saturday, March 15, 2025
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अंतरिक्ष में इसरो की सेंचुरी, ये हैं संस्थान की यात्रा के महत्वपूर्ण पड़ाव

नयी दिल्ली ।  भारत की अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने बुधवार सुबह आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से प्रक्षेपण यान जीएसएलवी-एफ15 के जरिए अपना 100वां मिशन, एनवीएस-02 नेविगेशन सैटेलाइट लॉन्च किया है। अपनी इस कामयाबी को लेकर इसरो ने कहा कि भारत अंतरिक्ष नेविगेशन में नई ऊंचाइयों पर पहुंच गया। जीएसएलवी-एफ15 रॉकेट ने सुबह 6:23 बजे उड़ान भरी, जिसमें एनवीएस-02 नेविगेशन सैटेलाइट अंतरिक्ष में पहुंचाया गया। यह लॉन्च इसरो की एक बड़ी उपलब्धि है, जो देश की अंतरिक्ष अनुसंधान क्षमताओं को दर्शाती है। इस मौके पर इसरो की अंतरिक्ष यात्रा के महत्वपूर्ण ऐतिहासिक पड़ाव की बात करना भी अहम होगा। जी हां, अंतरिक्ष में इसरो ने आज सेंचुरी जरूर लगाई है लेकिन शुरुआत से लेकर अब तक इसरो की अंतरिक्ष यात्रा के कई महत्वपूर्ण ऐतिहासिक पड़ाव रहे हैं जिनके बारे में यहां बताया गया है।

ये हैं इसरो के अंतरिक्ष यात्रा के महत्वपूर्ण ऐतिहासिक पड़ाव :

-1962 में अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए आर के रामनाथन भारतीय राष्ट्रीय समिति का गठन किया गया।
– भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक विक्रम साराभाई के मार्गदर्शन में शुरुआत हुई।
– 1963 में ऊपरी वायुमंडलीय क्षेत्र में दबाव को समझने के उद्देश्य से पहला रॉकेट लॉन्च किया।
– 1975 में भारत में पूरी तरह से डिजाइन किया गया पहला भारतीय उपग्रह आर्यभट्ट रूस से लॉन्च किया गया।
– 1977 में दूरसंचार के लिए पहला उपग्रह बनाया गया।
– 1979 में पहला रिमोट सेंसिंग उपग्रह भास्कर-1 लॉन्च किया गया।
– 1980 में भारत का पहला सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल बनाया गया।
– 1988 में पहला भारतीय रिमोट सेंसिंग (आईआरएस) उपग्रह आईआरएस-1ए के साथ प्रक्षेपित किया गया।
– 2008 में भारत का पहला मानवरहित चंद्र मिशन चंद्रयान-1 सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया गया
– 2009 में सभी मौसमों में काम करने की क्षमता वाला रडार इमेजिंग सैटेलाइट RISAT-2 लॉन्च किया गया।
– 2013 में मंगल ऑर्बिट मिशन प्रक्षेपित किया, जिसका नाम मंगलयान रखा गया।
– 2017 में इसरो ने एक लॉन्चर से 104 उपग्रह प्रक्षेपित करने का रिकॉर्ड बनाया।
– 2019 में चंद्रयान-2 लॉन्च चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाले पहले अंतरिक्ष मिशन के रूप में लॉन्च
– 2023 में इसरो ने चंद्रयान-3 के सफल प्रक्षेपण के साथ एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की।
– 2024 में इसरो ने SPADEX यानी स्पेस डॉकिग एक्सपेरिमेंट मिशन लॉन्च किया।
– जनवरी 2024 में इसरो ने अपना स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट (SPADEX) सफलतापूर्वक पूरा किया।
– भारत सैटेलाइट डॉकिंग हासिल करने वाला चौथा देश बना।

आर्थिक सर्वेक्षण 2025: वित्त वर्ष 26 में 6.3- 6.8 प्रतिशत की दर से बढ़ सकती है अर्थव्यवस्था

 नयी दिल्ली ।  वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा संसद में आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 पेश किया गया। सर्वेक्षण में बताया गया कि वित्त वर्ष 2025-26 में वैश्विक अनिश्चितता के बीच भारत की जीडीपी 6.3-6.8 प्रतिशत की दर से बढ़ सकती है। सर्वेक्षण में बताया गया कि युद्ध और तनाव के कारण भू-राजनीतिक जोखिम बने हुए हैं, जिससे वैश्विक आर्थिक परिदृश्य को खतरा बना हुआ है।”

 वैश्विक सर्विस निर्यात में देश सातवें स्थान पर –सर्वेक्षण में आगे कहा गया, “भारत का सर्विस ट्रेड सरप्लस में होने के – कारण समग्र व्यापार खाते संतुलन में बना हुआ है। मजबूत सर्विसेज के निर्यात के कारण वैश्विक सर्विस निर्यात में देश सातवें स्थान पर पहुंच गया है, जो इस सेक्टर में भारत की प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता को दिखाता है।” आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक महंगाई नियंत्रण में है। वित्त वर्ष 25 के अप्रैल- दिसंबर की अवधि में औसत महंगाई कम होकर 4.9 हो गई है, जो कि वित्त वर्ष 24 में 5.4 प्रतिशत थी।

चुनौतियों के बावजूद भारत में महंगाई प्रबंधन के सकारात्मक संकेत –सर्वेक्षण में कहा गया कि महंगाई को स्थिर करने में सरकार के सक्रिय नीतिगत हस्तक्षेप महत्वपूर्ण रहे हैं। इन उपायों में आवश्यक खाद्य पदार्थों के लिए बफर स्टॉक को मजबूत करना, समय-समय पर खुले बाजार में सामान जारी करना और आपूर्ति की कमी के दौरान आयात को आसान बनाने के प्रयास शामिल हैं। चुनौतियों के बावजूद भारत में महंगाई प्रबंधन के लिए सकारात्मक संकेत मिल रहे हैं। भारतीय रिजर्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) का अनुमान है कि भारत की खुदरा महंगाई धीरे-धीरे वित्त वर्ष 2026 में लगभग 4 प्रतिशत के लक्ष्य के अनुरूप हो जाएगी।

देश में कृषि क्षेत्र की स्थिति मजबूत –सर्वेक्षण के मुताबिक, कृषि क्षेत्र की स्थिति मजबूत बनी हुई है। 2024 में खरीफ सीजन का खाद्यान्न उत्पादन 1647.05 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी) तक पहुंचने की उम्मीद है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 89.37 एलएमटी की वृद्धि दर्शाता है।उच्च मूल्य वाले सेक्टर जैसे बागवानी, पशुधन और मत्स्य पालन कृषि विकास के प्रमुख चालक बने हुए हैं। पीएम किसान के तहत 1 अक्टूबर तक, 11 करोड़ से अधिक किसानों को लाभ हुआ है, जबकि 23.61 लाख पीएम किसान मानधन के तहत नामांकित हैं।

भवानीपुर कॉलेज में सरस्वती सम्मान समारोह 25

कोलकाता । भवानीपुर एजुकेशन सोसाइटी कॉलेज ने सरस्वती पूजा के उपलक्ष्य पर 70 शिक्षकों को सम्मानित किया। सरस्वती सम्मान पीएचडी, पुस्तक लेखन,यूजीसी स्वीकृत जर्नल में प्रकाशित लेख आलेखों के आधार पर ये सम्मान दिया जाता है।सभी शिक्षक और शिक्षिकाओं को शॉल, उपहार और धनराशि प्रदान कर शिक्षा के क्षेत्र में शिक्षकों को प्रोत्साहन दिया जाता है। प्रो दिलीप शाह ने अपने वक्तव्य में कहा कि अधिक से अधिक शोध करने के लिए भवानीपुर एजूकेशन सोसाइटी कॉलेज प्रयासरत है। इस अवसर पर भवानीपुर कॉलेज के विद्यार्थियों और शिक्षकों ने सरस्वती मूर्ति की पूजा की ।कॉलेज के मैनेजमेंट पदाधिकारियों में अध्यक्ष श्री रजनीकांत दानी सपत्नीक, नलिनी पारेख, रेणुका भट्ट, बुलबुल शाह, जीतू भाई, सोहिला भाटियाकी उपस्थिति रही। विद्यार्थियों और शिक्षकों ने ने श्लोक, शंख और सर्वश्रेष्ठ परिधान प्रतियोगिता में भाग लिया।सभी विजेताओं को रेक्टर और डीन प्रो दिलीप शाह बुलबुल भाई जीतू भाई ने सम्मानित किया। इस अवसर पर पुस्तक का लोकार्पण किया गया। सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए। डॉ वसुंधरा मिश्र ने बताया कि माँ सरस्वती की आराधना पूजा आरती करने के पश्चात फल लड्डू और चरणामृत लिया, सभी ने महाप्रसाद खिचड़ी बेगुनी पायस सब्जियां पूड़ी और कूल की चटनी रसगुल्ला ग्रहण किया । प्रति वर्ष यह आयोजन कॉलेज के गैरशैक्षणिक कर्मचारियों द्वारा संपन्न किया जाता है । भवानीपुर एजूकेशन सोसाइटी कॉलेज ने सभी विद्यार्थियों को शुभकामनाएँ दी। रेक्टर प्रो दिलीप शाह ने सभी शिक्षकों और विद्यार्थियों के महत्वपूर्ण योगदान पर आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम की जानकारी दी डॉ वसुंधरा मिश्र ने ।

पढ़ने के संकट को पर्यावरण संकट जैसी चुनौती के रूप में देखना होगा : डॉ. शंभुनाथ

कोलकाता पुस्तक मेला में पढ़ने के संकट पर चर्चा

कोलकाता । कोलकाता पुस्तक मेला हर साल की तरह पुस्तक प्रेमियों का एक सांस्कृतिक उत्सव बना हुआ है। इस साल वाणी प्रकाशन, नई दिल्ली और कोलकाता की भारतीय भाषा परिषद द्वारा पुस्तक मेला के प्रेस कार्नर में आयोजित परिचर्चा में पढ़ने के संकट पर चर्चा हुई। चर्चा में वरिष्ठ लेखक डा. शंभुनाथ, रांची से आए प्रसिद्ध कथाकार रणेंद्र, बांग्ला पत्रकार शिवाजी प्रतिम बसु, कवि– इंजीनियर सुनील कुमार शर्मा, वरिष्ठ लेखक मृत्युंजय श्रीवास्तव, कहानीकार शर्मिला बोहरा जालान और आशीष झुनझुनवाला ने हिस्सा लिया। वरिष्ठ लेखक शंभुनाथ ने कहा कि पढ़ने के संकट को पर्यावरण संकट जैसी चुनौती के रूप में देखना होगा। पुस्तकें हमारे सोचने और कल्पना की शक्ति को विकसित करती हैं। पुस्तकें सूचनाओं तक सीमित न रखकर ज्ञान तक पहुंचाती हैं। निश्चय ही पुस्तकों के बिना मनुष्य संवेदनहीन और अकेला होता जाएगा। इसलिए पुस्तकें न पढ़ना धीमी आत्महत्या है। संचालन करते हुए प्रो. संजय जायसवाल ने कहा कि इधर वीडियो गेम और मोबाइल में डूबे रहना युवाओं और विद्यार्थियों को पढ़ने से ही विमुख नहीं करता, उनकी पारिवारिकता और सामाजिकता को भी संकुचित कर देता है। शर्मिला बोहरा जालान ने कहा कि पढ़ने की संस्कृति बनी हुई है, पर अब वह डिजिटल माध्यम की तरफ खिसक गई है।
विद्यासागर विश्वविद्यालय के पूर्व–कुलपति और बांग्ला पत्रकार शिवाजी प्रतिम बसु ने कहा कि पढ़ने से पाठक की आलोचनात्मक दृष्टि बनती है। कवि सुनील कुमार शर्मा का कहना था, नई तकनीक के आने के बावजूद पुस्तकों का अपना महत्व है। सवाल है कि हम कैसी चीजें की पढ़ने की आदत डाल रहे है और विचारशील पुस्तकों में कितनी रुचि है। मृत्युंजय श्रीवास्तव ने कहा कि पढ़ने की संस्कृति के खतरे में पड़ने का अर्थ है कि किसी भाषा के शब्दकोश और संविधान का खतरे में पड़ना। रांची से आए वरिष्ठ कथाकार ने कहा कि पुस्तकें पढ़ने से जिज्ञासा बढ़ती है, जबकि विश्वविद्यालयों में हिंदी की पढ़ाई अब इस तरह सीमित कर दी गई है कि साहित्यिक पुस्तकों की व्यापक जरूरत प्रायः खत्म कर दी गई है।
पुस्तक मेला में वाणी प्रकाशन से धर्मवीर भारती की जन्मशती पर आई पुस्तकों के नए संस्करण, कुसुम खेमानी की ’लावण्यदेवी’ के अंग्रेजी अनुवाद और शंभुनाथ की नई पुस्तक ’हिंदू धर्म : भारतीय दृष्टि’ का लोकार्पण किया गया।
भारतीय भाषा परिषद और वाणी प्रकाशन की ओर से आरंभ में आशीष झुनझुनवाला ने प्रेस कार्नर में अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि अंग्रेजी के दुनिया के पाठकों मातृभाषा की पुस्तकें पढ़नी चाहिए। अंत में श्री घनश्याम सुगला ने धन्यवाद किया। प्रेस कार्नर में विशेष रूप से उपस्थित थे रामनिवास द्विवेदी, उदयराज सिंह, उदयभानु दुबे, मंजु श्रीवास्तव,राज्यवर्धन, प्रो. अमित राय, डॉ चित्रा माली, डॉ संजय राय,प्रो.आदित्य गिरी, आदित्य विक्रम सिंह,प्रो.दीपक कुमार, प्रो. पीयूष कांति, डॉ.धीरेंद्र प्रताप सिंह,प्रो.एकता हेला, डॉ.मधु सिंह, विकास कुमार, रूपेश यादव।इस अवसर पर सांस्कृतिक पुनर्निर्माण मिशन की ओर से विशाल साव, सुषमा कुमारी, आदित्य तिवारी,चंदन भगत, महिमा केशरी, संजना जायसवाल, फरहान अज़ीज़ ने पुस्तक संस्कृति पर विभिन्न कवियों की कविताओं पर आधारित कविता कोलाज प्रस्तुत किया।

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कविता सृजन और प्रतिरोध की जमीन है : रामनिवास द्विवेदी
कोलकाता । 48वां कोलकाता पुस्तक मेला में सांस्कृतिक पुनर्निर्माण मिशन और आनंद प्रकाशन के संयुक्त तत्वावधान में आनंद प्रकाशन बुक स्टॉल संख्या-462 पर आयोजित काव्य उत्सव में कविता पाठ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए सांस्कृतिक पुनर्निर्माण मिशन के संरक्षक श्रीरामनिवास द्विवेदी ने कहा कविता सृजन और प्रतिरोध की जमीन है। कविताएं हमारे भीतर मनुष्यता का भाव भरती हैं।इस अवसर पर शंभुनाथ , अभिज्ञात, मृत्युंजय श्रीवास्तव, मंजु श्रीवास्तव, अतुल कुमार, महेश जायसवाल, शुभ्रा उपाध्याय, शिप्रा मिश्रा, मनोज मिश्र, संजय जायसवाल, विकास कुमार जायसवाल, शिव प्रकाश दास, रूपेश यादव,रेशमी सेनशर्मा, सूर्य देव रॉय, सुषमा कुमारी, आदित्य तिवारी ने अपनी स्वरचित कविताओं का पाठ किया। इस अवसर पर दिनेश त्रिपाठी, डॉ. सुशीला ओझा, डॉ. सुशील पाण्डेय, राजेश पाण्डेय, सौमित्र आनन्द, संजय दास, विनोद यादव, डॉ. अश्विनी झा, प्रीति सहित अन्य साहित्य व पुस्तक प्रेमी उपस्थित थे। कार्यक्रम का सफल संचालन रूपेश कुमार यादव एवं धन्यवाद ज्ञापन नीलकमल त्रिपाठी जी ने दिया।
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नीता बाजोरिया द्वारा लिखित ‘अर्बन क्रॉनिकल्स 4’ का लोकार्पण

कोलकाता । नीता बाजोरिया की प्रशंसित अर्बन क्रॉनिकल्स श्रृंखला की नवीनतम पुस्तक “अर्बन क्रॉनिकल्स 4” का बहुप्रतीक्षित विमोचन सफलता पूर्वक कोलकाता के “द क्रिएटिव आर्ट्स” में हुआ। इस मौके पर साहित्यिक हस्तियों और कलाकारों की एक प्रतिष्ठित सभा ने इस कार्यक्रम की शोभा कई गुना बढ़ाई। जिससे शहरी कहानी कहने के उभरते परिदृश्य पर व्यावहारिक चर्चाओं, समारोहों और चिंतन से भरी शाम एक सुनहरी महफिल में तब्दील हो गई। विमोचन कार्यक्रम में शामिल होने वाले समाज की प्रतिष्ठित हस्तियों में आलोकानंद रॉय (नृत्य शिक्षाविद् और कोरियोग्राफर) मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहीं। उन्होंने शहरी जीवन की जटिलताओं को पकड़ने में कला के महत्व पर प्रकाश डाला। इस मौके पर हर्ष मोहन चट्टोराज (प्रसिद्ध ग्राफिक उपन्यासकार) ने समकालीन कहानी कहने में ग्राफिक उपन्यासों की उभरती भूमिका पर अपने विचार साझा किए। वहीं रमनजीत कौर (अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता) थिएटर निर्देशक और आर्टप्रेन्योर ने सार्वजनिक चेतना को आकार देने में कला की भूमिका पर एक विचारोत्तेजक चर्चा के माध्यम से कार्यक्रम का संचालन किया। पुस्तक विमोचन कार्यक्रम को सफल बनाने में नमित बाजोरिया एमडी कुचीना (लेखक के पति), प्रणय पोद्दार, मानद वाणिज्यदूत (केन्या गणराज्य), अरुणाभा करमाकर (चित्रकार) सिद्धार्थ सेन (लेखक), विधि बेरी (स्वास्थ्य और कल्याण कोच) के अलावा कई अन्य प्रतिष्ठित हस्तियां इसमें शामिल हुए। कलमोस द्वारा प्रकाशित और वेस्टलैंड बुक्स द्वारा विशेष रूप से वितरित अर्बन क्रॉनिकल्स 4 पुस्तक में एक आकर्षक ग्राफिक उपन्यास के प्रारूप में तीन मार्मिक लघु कथाएँ शामिल हैं। इसकी कहानियाँ शहरी जीवन की जटिलताओं का पता लगाती हैं। प्रत्येक कथा आधुनिक सामाजिक विषयों को दर्शाती है, जो पहचान, रिश्तों और हलचल भरे शहरी वातावरण में रहने की चुनौतियों को हर समय छूती है। कार्यक्रम की शुरुआत पुस्तक के अनावरण के साथ हुआ। पुस्तक लॉन्च के बाद एक आकर्षक पैनल चर्चा भी हुई, जिसमें ग्राफिक उपन्यास, साहित्य और शहरी संस्कृति के बीच के अंतर संबंधों पर चर्चा की गई। कोलकाता की लेखिका और ग्राफिक उपन्यासकार नीता बाजोरिया ने अर्बन क्रॉनिकल्स 4 के पीछे की प्रेरणा और रचनात्मक प्रक्रिया को साझा किया। पैनलिस्टों ने समकालीन साहित्य में दृश्य कला की भूमिका और ग्राफिक उपन्यास प्रारूप के एक शक्तिशाली उपकरण के रूप में विकसित होने के तरीके पर चर्चा की, जो उस दुनिया को दर्शाता है जिसमें हम रहते हैं।

सरस्वती वर्ल्ड स्कूल में ‘ऊर्जा 2025’

कोलकाता । सरस्वती वर्ल्ड स्कूल ने अपने स्कूल परिसर में बहुप्रतीक्षित वार्षिक कार्यक्रम ‘ऊर्जा 2025’ का आयोजन किया। जिसमें स्कूल से जुड़ी शैक्षणिक उपलब्धियों, कलात्मक अभिव्यक्ति और सांस्कृतिक जीवंतता का एक उल्लेखनीय उदाहरण प्रस्तुत किया गया। इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में समाज के विभिन्न क्षेत्र से जुड़ी प्रतिष्ठित हस्तियां शामिल हुए। जिसमें प्रमुख शैक्षिक नेता, अभिभावक, संकाय सदस्य और छात्र मौजूद थे। समारोह की शुरुआत एक स्वागत भाषण के साथ हुई। इसके बाद एक परिचयात्मक संबोधन और ज्ञान और बुद्धि के प्रकाश का प्रतीक एक औपचारिक दीप-प्रज्वलन हुआ। माननीय अध्यक्ष विक्रांत सिंह (उपाध्यक्ष), विनोद सिंह और निदेशक (स्नेहा सिंह) सहित प्रमुख गणमान्य व्यक्तियों ने कार्यक्रम का नेतृत्व किया। इस अवसर पर मुख्य अतिथियों में प्रख्यात पर्यावरणविद् और सामाजिक कार्यकर्ता विश्वजीत मुखर्जी और प्रतिष्ठित शोधकर्ता और लेखक श्री देबाशीष मुखोपाध्याय की उपस्थिति ने इस अवसर को और भी गौरवान्वित कर दिया, जिन्होंने शिक्षा में बौद्धिक गतिविधियों के महत्व और संधारणीय प्रथाओं पर विचारोत्तेजक भाषणों से श्रोताओं को प्रेरित किया। इस मौके पर प्रधानाचार्य श्यामाश्री बिस्वास ने विद्यालय की वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें पिछले वर्ष संस्थान की महत्वपूर्ण उपलब्धियों, मील के पत्थरों और प्रगति पर प्रकाश डाला गया। अध्यक्ष के संबोधन ने युवा मस्तिष्कों के भविष्य को आकार देने में शिक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका को और भी रेखांकित किया। इस कार्यक्रम का एक प्रमुख आकर्षण वाइस चेयरमैन विनोद सिंह की नई पुस्तक “स्कूल एजुकेशन इन इंडिया इन 2024” का विमोचन था। यह पुस्तक में शैक्षणिक उत्कृष्टता के प्रति विद्यालय की अटूट प्रतिबद्धता और शिक्षा क्षेत्र में इसके निरंतर योगदान को दर्शाती है। इस कार्यक्रम में सांस्कृतिक प्रस्तुतियों की एक रोमांचक श्रृंखला प्रस्तुत करते हुए छात्रों की रचनात्मक प्रतिभा को प्रदर्शित किया गया जिसमें: शिव तांडव, नारी शक्ति, अच्युतन केशवम, विवेकानंद-थीम वाली प्रस्तुति, शिक्षा का मूल्यांकन और राम की दया, ब्लैक एंड व्हाइट युग के नृत्य अनुक्रम, स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह नृत्य नाटक और देशभक्ति और वीरता का एक शक्तिशाली चित्रण प्रमुख आकर्षण का केंद्र बनी। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के एक भावपूर्ण गायन के साथ हुआ, जिसने दर्शकों को एकता और देशभक्ति की स्थायी भावना से भर दिया।

जवाहरलाल नेहरू विद्यापीठ (बॉयज़) में 76वाँ गणतंत्र दिवस

कोलकाता । कोलकाता के खिदिरपुर के बाबूबाजार स्थित जवाहरलाल नेहरू विद्यापीठ (बॉयज़) हाई स्कूल में इस वर्ष 76वाँ गणतंत्र दिवस समारोह बड़े ही धूमधाम और भव्य तरीके से मनाया गया। रविवार, 26 जनवरी को सुबह 9 : 30 बजे मुख्य अतिथि शक्ति पाल के द्वारा ध्वजारोहण के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। विशिष्ट अतिथि के रूप में भीमल राम उपस्थित थे। ध्वजारोहण के बाद राष्ट्रगान गाया गया। इस अवसर पर विद्यालय के सभी छात्र, शिक्षक-शिक्षिकाएँ एवं गैर शिक्षणकर्मी उपस्थित थे। विद्यालय की प्रधानाध्यपिका मधुरिमा चंद्रा ने छात्रों को संबोधित करते हुए गणतंत्र और संविधान का महत्व बतलाया। उन्होंने छात्रों में देशभक्ति और राष्ट्रप्रेम की भावना का संचार करते हुए देश के लिए अपना जीवन बलिदान देने वाले देशभक्तों के जीवन से प्रेरणा लेने को कहा। इस अवसर पर विद्यालय के छात्रों द्वारा कई सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए। जिसे देखकर सभी देशप्रेम की भावना में भावविभोर हो गए। छात्रों ने देशभक्ति के गीत बड़े ही मनमोहक अंदाज में प्रस्तुत किए। इन सभी सांस्कृतिक कार्यक्रमों की तैयारी और अभ्यास मो. इब्राहिम और सुमन कुमार दास ने करवाया था। गणतंत्र दिवस के इस आयोजन का कुशलतापूर्वक संचालन द्वारा नितेश्वर चौधरी ने सभी का दिल जीत लिया। इस आयोजन को सफल बनाने में कौशिक साधुखाँ, राजेंद्र रजक, राजेश कुमार शर्मा, गिरिजेश शर्मा, विनोद यादव, सुनीता राउत, समीना हसन, सुमन राम, संतोषी गौड़, बब्लू सिंह आदि ने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।

सुरेंद्रनाथ इवनिंग कॉलेज, कोलकाता राज्य-स्तरीय संगोष्ठी

कोलकाता । सुरेंद्रनाथ इवनिंग कॉलेज, कोलकाता के हिंदी विभाग द्वारा ‘राजभाषा हिंदी’ विषय पर राज्य स्तरीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. जाफर अली अखान ने हिंदी भाषा और उसकी विविधता पर अपने विचार रखे। स्वागत वक्तव्य देते अंग्रेजी के विभागाध्यक्ष डॉ. सोभिक दत्ता ने हिंदी को देश की एकता का प्रतीक बताते हुए इसके महत्वपूर्ण पक्षों को उजागर किया।ससंगोष्ठी में अतिथि और मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित उमेशचन्द्र कॉलेज के हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ.कमल कुमार ने हिंदी की संवैधानिक स्थिति एवं हिंदी के वृहत्तर क्षेत्र पर प्रकाश डालते हुए हिंदी भाषा को जमीनी स्तर पर विकसित करने की बात कही। संगोष्ठी का संयोजन और संचालन विभागाध्यक्ष दिव्या प्रसाद ने किया। इस अवसर पर छात्रों के अलावा हिंदी, बांग्ला, संस्कृत, अंग्रेजी, इतिहास, वाणिज्य और राजनीतिक विज्ञान के प्राध्यापक भी उपस्थित रहे। इस आयोजन को सफल बनाने में विभाग के शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका रही।

बसंत पंचमी पर बनाइए केसर पेड़ा

सामग्री: 1 लीटर दूध, 1 कप चीनी, 1/2 कप मावा (खोया), 1/2 छोटा चम्मच केसर, 1 चम्मच देसी घी, 1/4 छोटा चम्मच इलायची पाउडर, बादाम और पिस्ता (गार्निश के लिए)
विधि: केसर पेड़ा बनाने के लिए सबसे पहले एक भारी तले की कड़ाही में दूध डालें और उसे मध्यम आंच पर उबालें। दूध को लगातार चलाते रहें ताकि यह तले में न जले। जब दूध आधा रह जाए और गाढ़ा हो जाए, तो इसे आंच से उतार लें। इसके बाद एक छोटे कटोरे में केसर के कुछ धागे लें और उन्हें 1 चम्मच गर्म दूध में भिगो दें। इससे केसर का रंग और सुगंध दूध में अच्छी तरह मिल जाएगी। अब अगर आपके पास ताजा मावा नहीं है, तो आप इसे घर पर भी बना सकते हैं। इसके लिए दूध को धीमी आंच पर गाढ़ा करें और लगातार चलाते रहें। जब दूध पूरी तरह गाढ़ा हो जाए और मावा का रूप ले ले, तो इसे आंच से उतार लें। फिर एक कड़ाही में घी गर्म करें और उसमें मावा डालें। मावा को धीमी आंच पर लगातार चलाते हुए भूनें। जब मावा हल्का सुनहरा हो जाए, तो इसमें गाढ़ा किया हुआ दूध डालें। अच्छी तरह मिलाएं। अब इसमें चीनी डालें और लगातार चलाते हुए मिश्रण को पकाएं। जब चीनी पूरी तरह घुल जाए और मिश्रण गाढ़ा हो जाए, तो इसमें केसर वाला दूध और इलायची पाउडर डालें। अच्छी तरह मिलाएं। मिश्रण को आंच से उतार लें और इसे थोड़ा ठंडा होने दें। जब यह हल्का गर्म रह जाए, तो इसे हाथों से गोल आकार दें और पेड़ा बना लें। आप चाहें तो इसे सांचे में भी डाल सकते हैं। पेड़े को बादाम और पिस्ता के स्लाइस से सजाएं। आप चाहें तो केसर के धागे भी ऊपर से डाल सकते हैं। बस केसर पेड़ा तैयार है। इसे मां सरस्वती को भोग लगाएं और फिर प्रसाद के रूप में बांटकर खाएं।

खुद को निखारिए बासन्ती बहार से

लड़कियों में बसता है वसन्त। जहां पैर रख दें, वहीं बहार आ जाती है। वह मुस्कुरा दें तो प्रकृति खिल जाती है। सब कुछ नीरस है आपके बिना तो दुनिया को अपनी सादगी और सकारात्मकता से सुन्दर बना देना आप ही की जिम्मेदारी है। सजिए, अपने लिए, अपना आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए …दूसरों की नजर से खुद को मत परखिए और वसन्त में बासन्ती हवा की तरह अपने फैशन को निखारिए वसंत के मिजाज से इस तरह –
लहंगा – बसंत पंचमी के दिन पीले रंग की लहंगा चोली पहनना एक क्लासिक और ट्रेंडिंग विकल्प है। यह आउटफिट न सिर्फ ट्रेडिशनल लगता है, बल्कि इसे स्टाइलिश बनाने के लिए आप इसमें कई मॉडर्न ट्विस्ट्स भी जोड़ सकती हैं। जैसे, जरी वर्क या कढ़ाई वाली लहंगा चोली, जिसमें गोटा पट्टी या मिरर वर्क का इस्तेमाल किया गया हो। साथ ही, डुपट्टे को स्टाइलिश तरीके से ड्रेप करके आप अपने लुक को और भी आकर्षक बना सकती हैं।
पीले रंग की साड़ी -साड़ी भारतीय संस्कृति की पहचान है और बसंत पंचमी के दिन पीले रंग की साड़ी पहनना एक बेहतरीन विकल्प है। आप चाहें तो पीले रंग की साड़ी में गोल्डन बॉर्डर या जरी वर्क का चुनाव कर सकती हैं। इसके अलावा, सिल्क साड़ी या जॉर्जेट साड़ी भी इस मौके के लिए परफेक्ट है। साड़ी को स्टाइलिश बनाने के लिए आप ब्लाउज के डिजाइन पर ध्यान दे सकती हैं। ऑफ-शोल्डर ब्लाउज या बैकलेस ब्लाउज जैसे विकल्प आपके लुक को और भी ट्रेंडी बना सकते हैं। साड़ी के साथ मैचिंग ज्वैलरी और बिंदी का चुनाव करके आप अपने लुक को परफेक्ट बना सकती हैं।
 पीले रंग का अनारकली सूट – अनारकली सूट एक ऐसा आउटफिट है जो हर मौके पर खूबसूरती से फिट बैठता है। वसंत पंचमी के दिन पीले रंग का अनारकली सूट पहनना एक शानदार विकल्प हो सकता है। इस आउटफिट को और भी आकर्षक बनाने के लिए आप इसमें जरी वर्क, कढ़ाई या स्टोन वर्क का चुनाव कर सकती हैं। अनारकली सूट के साथ डुपट्टे को स्टाइलिश तरीके से ड्रेप करके आप अपने लुक को और भी खूबसूरत बना सकती हैं। इसके अलावा, मैचिंग ज्वैलरी और स्टाइलिश जूतियों का चुनाव करके आप अपने लुक को परफेक्ट बना सकती हैं।
पीले रंग का इंडो-वेस्टर्न आउटफिट – अगर आप पारंपरिक और मॉडर्न लुक का कॉम्बिनेशन पसंद करती हैं, तो पीले रंग का इंडो-वेस्टर्न आउटफिट आपके लिए बेस्ट हो सकता है। इसके लिए आप पीले रंग का कुर्ता या टॉप पेयर कर सकती हैं, जिसे स्किनी जींस या पलाजो के साथ स्टाइल किया जा सकता है। इसके अलावा, आप पीले रंग का लॉन्ग कोट या जैकेट भी पहन सकती हैं, जो आपके लुक को और भी स्टाइलिश बना देगा। इंडो-वेस्टर्न आउटफिट के साथ स्टाइलिश जूते और मैचिंग एक्सेसरीज का चुनाव करके आप अपने लुक को और भी आकर्षक बना सकती हैं।
 पीले रंग की प्रिंटेड ड्रेस – अगर आप कुछ हल्का और कम्फर्टेबल पहनना चाहती हैं, तो पीले रंग का प्रिंटेड ड्रेस एक बेहतरीन ऑप्शन हो सकता है। इसके लिए आप फ्लोरल प्रिंट्स, ज्यामितीय डिजाइन या एब्स्ट्रैक्ट प्रिंट्स वाले ड्रेस का चुनाव कर सकती हैं। पीले रंग का प्रिंटेड ड्रेस न केवल आपको स्टाइलिश लुक देगा, बल्कि यह आपके लुक को और भी फ्रेश और यंग बना देगा। इसके

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