Sunday, May 25, 2025
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टूट रहा है भारतीय उपमहाद्वीप, आ सकते हैं विनाशकारी भूकंप

-दो भागों में बंट रही है भारतीय प्लेट
-अमेरिकन जियोफिजिकल यूनियन में प्रकाशित लेख में खुलासा

नयी दिल्ली । दुनिया में आने वाली प्राकृतिक आपदाओं को लेकर वैज्ञानिकों की तरफ से अक्सर चेतावनी दी जाती है। अब उन्होंने भारत के भूगर्भीय भविष्य को लेकर की गई एक गंभीर अलर्ट जारी किया है। भूवैज्ञानिकों की तरफ से संकेत दिया गया है कि भारतीय प्लेट दो भागों में बंट रही है। यह इस इलाके के भूवैज्ञानिक स्थिति को हमेशा के लिए एक नया आकार दे सकती है। अमेरिकन जियोफिजिकल यूनियन में एक लेख प्रकाशित किया गया है, जिसमें इस अहम खोज के बारे में जानकारी दी गई है। इसमें बताया गया है कि इस भूभाग में प्लेट अलग हो रही है और पृथ्वी के मेंटल में समा रही है। इस अध्ययन रिपोर्ट में भारतीय उपमहाद्वीप में आने वाले भूकंप और खतरों के बारे में कई बेहद जरूरी जानकारियां दी गई हैं। इस अध्ययन के मुताबिक, जिस भारतीय प्लेट की करीब 60 मिलियन सालों से यूरेशियन प्लेट से टक्कर हो रही है, वो एक नई प्रक्रिया से गुजर रही है। इस प्रक्रिया को डेलैमिनेशन कहा जाता है। इस प्रक्रिया के दौरान प्लेट का घना निचला भाग पृथ्वी के मेंटल में समा रहा है। इससे प्लेट के अंदर एक लंबवत दरार बन रही है। वैज्ञानिकों ने तिब्बती झरनों में भूकंप की तरंगों और हीलियम समस्थानिकों का विश्लेषण किया, जिसके बाद इस घटना की जानकारी मिली। इससे प्लेट में एक ऊर्ध्वाधर दरार की जानकारी मिली है। इस बारे में वैज्ञानिकों को पहले पता नहीं चल पाया था।
डेलैमिनेशन एक तरह की भूगर्भीय प्रक्रिया है। इसमें टेक्टोनिक प्लेट का निचला हिस्सा अलग हो जाता है और मेंटल में समा जाता है। इस प्रक्रिया से प्लेट की स्थिरता प्रभावित हो सकती है। इसके साथ ही क्षेत्र में भूकंप की संभावना बढ़ सकती है। यूट्रेक्ट यूनिवर्सिटी के भूगर्भशास्त्री डौवे वैन हिंसबर्गेन ने बताया कि हम इस बारे में नहीं जानते थे कि महाद्वीप ऐसे व्यवहार कर सकते हैं। यह ठोस पृथ्वी विज्ञान के लिए बहुत ही मौलिक है। उनका कहना है कि यह खोज इसलिए अहम है, क्योंकि यह बताती है कि न सिर्फ प्लेट की सतह की अलग-अलग मोटाई और विशेषताएं हैं, बल्कि टेक्टोनिक शिफ्ट को ऑपरेट करने वाली अंदरूनी प्रक्रियाएं पहले से जानकारी की तुलना में कहीं अधिक जल्दी से बदल रही हैं, जिसे समझना बेहद मुश्किल है। स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के भूभौतिकीविद् साइमन क्लेम्परर ने बताया कि हिमालय टकराव क्षेत्र जैसे हाई कंप्रेशन वाले इलाकों में टेक्टोनिक प्लेटें अक्सर कई दरारें दिखाती हैं, जिससे पृथ्वी की पपड़ी में तनाव निर्माण प्रभावित हो सकता है। इससे भूकंप का खतरा बढ़ जाता है। हिमालय क्षेत्र पहले से ही भूकंपीय गतिविधियों के लिए जाना जाता है। डेलैमिनेशन की प्रक्रिया से इस इलाके में तनाव और बढ़ सकता है। इससे अधिक तीव्र और बार-बार भूकंप आ सकते हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि इस प्रक्रिया से तिब्बती पठार में गहराई से दरारें बन सकती हैं। हालांकि, यह खोज बेहद अहम है, लेकिन वैज्ञानिकों ने कहा कि अभी यह सिर्फ एक शुरुआती संकेत है। उनका कहना है कि अभी और शोध की आवश्यकता है, जिससे लंबे समय तक पड़ने वाले प्रभावों को हम समझ सकें।

तनिष्क ने पेश किया ‘कोनकोनकोथा कलेक्शन

कोलकाता ।  तनिष्क ने प्रस्तुत किया है ‘कोनकोनकोथा’ – त्योहारों और शादियों में पहने जाने वाले कंगनों का शानदार कलेक्शन। बांग्ला संस्कृति में गहराई से जड़ा हुआ यह कलेक्शन, पहचान, भावना और परंपरा के प्रतीक माने जाने वाले कंगनों का कालातीत महत्व उजागर करता है। मशहूर एक्ट्रेस मिमी चक्रबोर्ती ने कोलकाता के ताज बंगाल में इसका अनावरण किया। कोनकोनकोथा में निपुण कारीगरी के ज़रिए सीज़न के सार को साकार किया है। हर आभूषण इस क्षेत्र की गहरी परंपराओं को दर्शाता है, इसमें अल्पना मोटिफ्स हैं जो शुद्धता और पवित्रता के प्रतीक हैं, बंगाली प्रथाओं, शादियों और त्योहारों की पवित्रता को प्रतिबिंबित करते हैं। हर कंगन निपुण कारीगरी का नमूना है। सोने के कई तरह के कंगन इसमें हैं जैसे कि, कंकण – वैवाहिक आनंद और समृद्धि को दर्शाते हैं, लोहा – मज़बूती, टिकाऊपन और सुरक्षा का प्रतीक है, लचीलेपन का महत्त्व बताता है और बाला – शान प्रदान करता है, चूर – खूबसूरती, शान और जीवन के खुशियों से भरे सफर को दर्शाता है। जामदानी के नाजुक फ्लोरल और पेस्ले पैटर्न, तंत साड़ियों के अर्ध-चंद्रमा जैसे सिग्नेचर मोटिफ और बाटिक के क्षेत्रीय प्रिंट को हर कंगन में बहुत ही खूबसूरती से साकार किया गया है। हर डिज़ाइन में बंगाल की कला विरासत को आधुनिक महिलाओं के लिए बहुत ही सोच-समझकर कैप्चर किया गया है। टाइटन कंपनी लिमिटेड के रीजनल बिज़नेस हेड सोमप्रभ सिंह ने कहा, “कोनकोनकोथा में हर कंगन मात्र एक आभूषण नहीं, बल्कि संजोकर रखी हुई यादों, चिरस्थायी रिश्तों और बंगाली कला का प्रतिबिंब है। पोइला बोइशाख हो या शादी हो, नयी शुरूआत के लिए पूरा परिवार इकठ्ठा आएगा, तब यह खूबसूरत कंगन प्यार, समृद्धि और सांस्कृतिक सम्मान का प्रतीक बनेंगे। तनिष्क को गर्व है कि इस कलेक्शन के साथ हम परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं, साथ ही एक ऐसी विरासत बना रहे हैं जो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को सौंपी जाएगी।”

 

भवानीपुर कॉलेज के एनसीसी कैडेट आदित्य राज को किया गया सम्मानित

-पश्चिम बंगाल और सिक्किम निदेशालय के एनसीसी महानिदेशक ने किया सम्मान
कोलकाता । गत 17 अप्रैल 2025 को, लेफ्टिनेंट जनरल गुरबिरपाल सिंह, पीवीएसएम, एवीएसएम, वीएसएम , नेशनल कैडेट कॉर्प्स (एनसीसी) के महानिदेशक, कोलकाता में पश्चिम बंगाल और सिक्किम निदेशालय का दौरा किया। मेजर जनरल विवेक त्यागी के साथ, निदेशालय के अतिरिक्त महानिदेशक, डीजी को 2 राज्यों के तहत 6 समूहों और 54 एनसीसी इकाइयों द्वारा की गई गतिविधियों के व्यापक स्पेक्ट्रम पर जानकारी दी गई थी । इस अवसर पर लेफ्टिनेंट जनरल गुरबिरपाल सिंह ने निदेशालय में कैडेटों के साथ बातचीत की, प्रोत्साहित और मार्गदर्शन दिया। कैडेट्स ने अपनी प्रतिभा दिखाते हुए उत्कृष्ट सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी।डॉ वसुंधरा मिश्र ने बताया कि यह कार्यक्रम उन्नत एनसीसी प्रशिक्षण संस्थान में प्रस्तुत किया गया । डीजी एनसीसी ने दार्जिलिंग समूह को डीजी एनसीसी बैनर से सम्मानित किया और सर्वश्रेष्ठ इकाई पुरस्कार आर्मी विंग – *10 बंगाल बीएन एनसीसी (बर्डवान समूह) * एयर/नेवी – *2 बंगाल नेवल यूनिट एनसीसी (कोल ‘सी ‘ग्रुप) *व्यक्तिगत उत्कृष्टता को भी मान्यता दी गई। • *लेफ्टिनेंट आदित्य राज *, 31 बंगाल बीएन एनसीसी (एनो, भवानीपुर-कॉलेज-का-एनसीसी एजुकेशन सोसाइटी कॉलेज) को *डीजी एनसीसी पट्टिका *से सम्मानित किया गया।*CSUO प्रिंस गुप्ता *, (सेमेस्टर 4 भवानीपुर-कॉलेज-का-एनसीसी एजुकेशन सोसाइटी कॉलेज के छात्र) को *डीजी एनसीसी पदक से सम्मानित किया गया।
अपने संबोधन में, डीजी ने युवा नेताओं को आकार देने में निदेशालय के प्रयासों की सराहना की, कैडेटों से “नेशन फर्स्ट” के एनसीसी आदर्श वाक्य को बनाए रखने का आग्रह किया। उन्होंने राष्ट्र-निर्माण में एनसीसी के पूर्व छात्रों की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला और एनसीसी ने युवाओं के लिए अवसरों की पुष्टि की। एकता, अनुशासन और सेवा की भावना को मजबूत करते हुए, कैडेट्स, अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ अनौपचारिक बातचीत भी की।

लिटिल थेस्पियन ने मनाई संस्थापक निर्देशक एस.एम. अजहर आलम की जयंती

-किया अंतिम लिखित नाटक चाक का मंचन
कोलकाता । लिटिल थेस्पियन ने अपने संस्थापक, निर्देशक और गुरु एस.एम. अज़हर आलम का जन्मदिन गत 17 अप्रैल 2025 को ज्ञान मंच में, उनके द्वारा लिखित उनका अंतिम नाटक चाक का मंचन करके मनाया | इस नाटक को उमा झुनझुनवाला ने डिज़ाइन और निर्देशित किया है। नाटक चाक 1971 में पाकिस्तान और पूर्वी पाकिस्तान के विभाजन के दौरान भारतीय मुसलमानों के सामने आने वाली विभिन्न चुनौतियों और मुद्दों के बारे में है। नाटक एक प्रशंसनीय कृति है जो एक ऐसे मुस्लिम परिवार के संघर्षों को प्रदर्शित करती है जहां गफूर खान (पिता) अपनी विरासत में मिली पारिवारिक संपत्ति के लिए अंतहीन अदालती मुकदमों में उलझा हुआ है और अरशद (मध्यम बेटा) विभिन्न स्तरों पर क्रोध, दुख और चिंता के साथ भावनाओं का एक कैनवास दिखा रहा है। ज़ोहरा (मां), माजिद (सबसे बड़ा बेटा), और रज़िया (सबसे छोटी बेटी) के अपने-अपने आघात और कष्ट हैं। इस नाटक के लिए संगीत का डिज़ाइन संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार श्री मुरारी रायचौधरी द्वारा किया गया है और प्रकाश व्यवस्था जॉयदीप रॉय द्वारा की गयी । जिन अभिनेताओं ने पात्रों को मंच पर जीवंत बनाया उनका नाम इस प्रकार है: उमा झुनझुनवाला ज़ोहरा के रूप में, सागर सेनगुप्ता पिता ग़फूर ख़ान के रूप में, मो. आसिफ़ अंसारी अरशद के रूप में, मो. आफ़ताब आलम माजिद के रूप में, प्रियंका सिंह रज़िया के रूप में, इंतेखाब वारसी मुतावल्ली के रूप में, विशाल कुमार राउत बाबुल/ आदमी -1 के रूप में और एकर्षी चौधरी जोकर/ आदमी-2 के रूप में। यह उल्लेखनीय है कि अपने छोटे से जीवनकाल में, अज़हर आलम ने हिंदी और उर्दू रंगमंच दोनों के विकास के लिए विशाल कार्य किए थे और विशेष रूप से देश भर में उर्दू रंगमंच के मानकों को ऊंचा उठाया था, कोलकाता को इसके मुख्य केंद्रों में से एक बनाया था। एक नाटककार के रूप में उन्होंने 5 नाटक लिखे और 4 नाटकों को रूपांतरित/अनुवादित किया। वह हमेशा एक महान कहानीकार थे और लेखन में उनकी अच्छी पकड़ थी। उनकी नाटककार के रूप में सफलता का श्रेय उनके चतुर कथानक, विश्वसनीय चरित्र चित्रण, अभिनय और थीम विकसित करने की क्षमता को दिया जा सकता है।

जागो इंडिया जागो फिटनेस कैंपेन ने पूरे किए एक साल

कोलकाता । सौमेन वर्कआउट (नो मशीन ज़ोन फिटनेस और स्लिमिंग सेंटर, ने अपने राष्ट्रीय स्तर पर शुरू किए गए “जागो इंडिया जागो फिटनेस कैंपेन” के एक वर्ष पूरे होने का जश्न बड़े गर्व के साथ मनाया। यह अभियान 1 मार्च 2024 को शुरू किया गया था, जिसका उद्देश्य था लोगों को एक स्वस्थ और एक्टिव जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित करना और देश में बढ़ते मोटापे के खतरे को कम करना। “जागो इंडिया जागो फिटनेस कैंपेन” का मकसद है – मोटापे के खिलाफ लड़ाई और फिट इंडिया का निर्माण। यह अभियान हर उम्र के लोगों को जागरूक करने और फिटनेस को जीवन का हिस्सा बनाने की कोशिश करता है। पिछले एक साल में यह कैंपेन देश के 15 बड़े शहरों में पहुंचा – जैसे कोलकाता, दिल्ली, जयपुर, मुंबई, हैदराबाद, बेंगलुरु, भुवनेश्वर, जमशेदपुर, चेन्नई, गुवाहाटी, गोवा, अहमदाबाद, अमृतसर आदि। इस दौरान 5 साल के बच्चों से लेकर 90 साल के बुज़ुर्गों तक हज़ारों लोगों ने एक्सपर्ट्स के साथ वर्कआउट और मोटिवेशनल एक्टिविटीज़ में हिस्सा लिया। अभियान का सबसे प्रेरणादायक पहलू रहा अलग-अलग उम्र के लोगों की भागीदारी – खासकर एक 13 साल का मोटापे से जूझ रहा बच्चा, और 70 व 75 साल के दो बुज़ुर्ग, जिन्होंने बताया कि नियमित व्यायाम से कैसे वो इस उम्र में भी फिट हैं। इनकी कहानियां इस कैंपेन का मजबूत संदेश देती हैं – फिटनेस की कोई उम्र नहीं होती। यह अभियान “नो मशीन ज़ोन” कॉन्सेप्ट पर आधारित था, जिसमें पारंपरिक जिम की जगह खुले मैदान, पार्क, बीच और स्टेडियम में सुबह-शाम फिटनेस प्रोग्राम आयोजित किए गए, ताकि हर कोई अपनी सुविधा अनुसार जुड़ सके। सिर्फ फिटनेस ही नहीं, सौमेन वर्कआउट ने “वर्ल्ड नो टोबैको डे” और “वर्ल्ड ओबेसिटी डे” जैसे स्वास्थ्य जागरूकता अभियानों का भी आयोजन किया, जो पिछले कई वर्षों से लगातार हो रहे हैं। सौमेन वर्कआउट के प्रोप्राइटर सौमेन दास, ने कहा कि ‘जागो इंडिया जागो फिटनेस कैंपेन’ का एक साल पूरा होना हमारे लिए बहुत गर्व की बात है। पिछले 26 सालों से हम फिटनेस को लोगों की ज़िंदगी का हिस्सा बनाने में लगे हैं और यह अभियान हमारे मिशन को पूरे देश तक ले गया है। बच्चों से लेकर 90 साल के बुज़ुर्गों तक सभी का जोश देख कर लगता है कि अब फिटनेस एक आंदोलन बन चुका है। हम आगे और भी शहरों में इसे ले जाने की तैयारी कर रहे हैं।

बिहार को मिलेगी अमृत भारत एक्सप्रेस और नमो भारत रैपिड रेल

पटना । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वंदे भारत, अमृत भारत और नमो भारत रैपिड रेल को आधुनिक भारतीय रेल की त्रिवेणी कहा है। इस त्रिवेणी की दो नई रेलगाड़ियां का परिचालन बिहार से होने वाला है। बिहार में पहले से ही कई वंदे भारत एक्सप्रेस का परिचालन किया जा रहा है, जबकि एक अमृत भारतीय एक्सप्रेस का परिचालन पहले से दरभंगा और आनंद विहार टर्मिनल के बीच वाया अयोध्या किया जा रहा है। हाल ही में, रेलवे ने बिहार के लिए कई नई परियोजनाएं स्वीकृत की है। पर्याप्त फंड आवंटन से पुरानी परियोजनाओं के निर्माण काम में भी तेजी आई है जिसकी बदौलत परियोजनाएं द्रुत गति से पूरी हो रही हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बिहार की ऐसी ही तीन परियोजनाएं राष्ट्र को समर्पित भी करने वाले हैं। नई गाड़ियों के परिचालन और नवनिर्मित परियोजनाओं के प्रारंभ होने से बिहार का रेल परिदृश्य पहले से और भी बेहतर हो जाएगा। परियोजनाओं में सुपौल पिपरा नई लाइन, खगड़िया अलौली नई लाइन और हसनपुर विथान नई लाइन शामिल हैं। इन नई लाइनों पर दो पैसेंजर गाड़ियों का परिचालन भी प्रारंभ किया जाएगा। लेकिन बिहार वासियों के बीच सबसे अधिक उत्साह नमो भारत रैपिड रेल और सहरसा से लोकमान्य तिलक के बीच प्रारंभ की जा रही है अमृत भारत एक्सप्रेस के परिचालन को लेकर है। नमो भारत रैपिड रेल वंदे भारत एक्सप्रेस के साथ ही ने भारत की नई पहचान बनी है। कम दूरी के शहरों के बीच विश्वस्तरीय रेल सेवा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से तैयार किए गए नमो भारत रैपिड रेल ने इंटरसिटी ट्रैवल के क्षेत्र में एक नया मुकाम गढ़ा है। पहले नमो भारत रैपिड रेल का परिचालन गुजरात के अहमदाबाद और भुज के बीच किया गया और अब दूसरी नमो भारत रैपिड रेल का परिचालन जयनगर और पटना के बीच किए जाने की घोषणा की गई है। पहले नमो भारत में जहां एयर कंडीशन्ड 12 कोच थे,वहीं बिहार की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए जयनगर-पटना नमो भारत रैपिड रेल में 16 कोचों की व्यवस्था की गई है जिसमें 2000 से अधिक यात्री एक साथ सफर कर सकते हैं। नमो भारत रैपिड रेल जो मेड इन इंडिया कार्यक्रम के तहत बनाया गया है, कई नए सेफ्टी एवं पैसेंजर एमेनिटी फीचर से लैस है। इस ट्रेन में कवच सुरक्षा सिस्टम लगाया गया है। साथ ही सभी कोचों में सीसीटीवी तथा फायर डिटेक्शन सिस्टम भी इंस्टॉल किया गया है। आपातकालीन स्थिति में ट्रेन के मैनेजर से यात्री बात कर सकें, इसके लिए प्रत्येक कोच में आपातकालीन टॉकबैक सिस्टम भी लगाया गया है। वंदे भारत एक्सप्रेस की तर्ज पर नमो भारत रैपिड रेल में भी दोनों छोर पर लोको पायलट कैब लगाया गया है जिससे इंजन रिवर्सल की समस्या समाप्त हो गई है। इस ट्रेन में यात्रियों के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर की एर्गोनॉमिकली डिजाइन सीटें लगाई गई है जो काफी कंफर्टेबल हैं। ट्रेन में यात्रियों की सुविधा के लिए टाइप सी और टाइप ए चार्जिंग सॉकेट लगाए गए हैं। ट्रेन के सभी टॉयलेट्स को आधुनिक वैक्यूम आधारित बनाया गया है। दिव्यांगों के लिए अलग से फ्रेंडली शौचालय की सुविधा उपलब्ध कराई गई है। ट्रेन में ऑटोमेटिक दरवाजे और डस्ट प्रूफ शील्ड गैंगवे की व्यवस्था की गई है। ट्रेन में सेमी परमानेंट कपलर भी लगाए गए हैं। मेट्रो ट्रेन की तर्ज पर रेलवे ओपन लाइन में पहली बार हर कोच में रूट मैप इंडिकेटर की व्यवस्था की गई है जो यात्रियों को आने वाले स्टेशनों के संबंध में जानकारी देगी।

इस साल 6.2 प्रतिशत रहेगी भारत की विकास दर : आईएमएफ

नयी दिल्ली। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने ‘ट्रंप-टैरिफ’ से उत्पन्न व्यापार तनाव और अनिश्चितताओं का हवाला देते हुए इस साल के लिए वैश्विक अर्थव्यवस्था का विकास पूर्वानुमान 0.5 प्रतिशत घटाकर 2.8 प्रतिशत कर दिया है। हालांकि, उसने उम्मीद जताई है कि तमाम बाधाओं के बावजूद भारत की जीडीपी वृद्धि दर छह प्रतिशत से ऊपर रहेगी। आईएमएफ ने मंगलवार को वाशिंगटन में अप्रैल 2025 का विश्व आर्थिक परिदृश्य (डब्ल्यूईओ) जारी किया। इसमें कहा गया है कि जनवरी 2025 के डब्ल्यूईओ अपडेट के तुरंत बाद, अमेरिका ने प्रमुख व्यापारिक भागीदारों और महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर टैरिफ की कई घोषणाएं कीं। इस कारण से, हम उम्मीद करते हैं कि 2 अप्रैल को टैरिफ और अनिश्चितता दोनों में तेज वृद्धि से निकट भविष्य में वैश्विक विकास में महत्वपूर्ण कमी आएगी। उसने वैश्विक विकास दर 2025 में 2.8 प्रतिशत और 2026 में तीन प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है, दोनों जनवरी अपडेट के 3.3 प्रतिशत से कम हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था के 2025 में 6.2 प्रतिशत और 2026 में 6.3 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान लगाया गया है। ट्रंप प्रशासन द्वारा टैरिफ की घोषणाओं से पहले जनवरी 2025 में आईएमएफ ने दोनों वर्षों के लिए भारत का विकास अनुमान 6.5 प्रतिशत पर स्थिर रखा था। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के लिए 2025 में विकास का पूर्वानुमान 6.2 प्रतिशत पर अपेक्षाकृत अधिक स्थिर है, जिसे निजी खपत, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में समर्थन प्राप्त है।

टैरिफ वॉर : अमेरिका से बोइंग जेट नहीं खरीदेगा चीन

-भारत को मिलेगा लाभ
बीजिंग । अमेरिका और चीन के बीच चल रहे टैरिफ वॉर ने वैश्विक व्यापार को हिलाकर रख दिया है। अब इस टैरिफ जंग का एक नया मोड़ सामने आया है। चीन ने अमेरिकी विमान निर्माता कंपनी बोइंग के जेट खरीदने से इनकार कर दिया है। इससे बोइंग को बड़ा झटका लगा है। हालांकि भारत के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। एयर इंडिया सहित भारतीय विमानन कंपनियां इन बोइंग जेट्स को खरीदने की दौड़ में शामिल हो सकती हैं। यह कदम भारत के विमानन क्षेत्र को मजबूती दे सकता है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अप्रैल 2025 में चीनी आयात पर 145 प्रतिशत तक टैरिफ बढ़ा दिया था। इसके जवाब में चीन ने अमेरिकी सामानों पर 125 प्रतिशत टैरिफ लगाए। इस टकराव का असर बोइंग पर पड़ा। दरअसल, चीन ने अपनी एयरलाइंस को बोइंग के 737 मैक्स जेट्स की डिलीवरी लेने से मना कर दिया। एक रिपोर्ट के अनुसार, चीन ने अपनी एयरलाइंस को अमेरिकी विमान-संबंधी उपकरण और पुर्जों की खरीद रोकने का भी निर्देश दिया है। इससे यह हुआ कि शियामेन एयरलाइंस के लिए बनाया गया एक 737 मैक्स जेट, जो चीन के झोउशान सेंटर में डिलीवरी के लिए तैयार था, 19 अप्रैल को सिएटल के बोइंग फील्ड में वापस लौट आया। इस जेट की कीमत करीब 55 मिलियन डॉलर आंकी गई है। बोइंग की उम्मीदें चीनी बाजार पर टिकी थीं, जो अगले दो दशकों में वैश्विक विमान मांग का 20 प्रतिशत हिस्सा हो सकता है। लेकिन टैरिफ वॉर ने इस उम्मीद को करारा झटका दिया है। वहीं भारत इस स्थिति का फायदा उठाने की स्थिति में है। एक्स पर हालिया पोस्ट्स के अनुसार, एयर इंडिया बोइंग के इन रिजेक्टेड जेट्स को खरीदने पर विचार कर रही है। यह सौदा न केवल भारत के विमानन क्षेत्र को सस्ते दामों पर आधुनिक विमान उपलब्ध कराएगा, बल्कि भारत को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी के रूप में स्थापित करेगा। भारत पहले से ही एपल जैसी कंपनियों के लिए विनिर्माण केंद्र बन रहा है, और अब विमानन क्षेत्र में यह अवसर भारत की स्थिति को और मजबूत कर सकता है।

पोएला बैशाख पर बाजार में लौटी खाता -बही व कैलेंडर की परम्परा

कोलकाता। जिले में पोइला बोइशाख (बंगाली नववर्ष) की दस्तक के साथ एक बार फिर बाजारों में पारंपरिक कैलेंडर और खाता-बही की मांग बढ़ती नजर आ रही है। आधुनिक तकनीक के दौर में जहां डिजिटल रिकॉर्डिंग और ऑनलाइन ग्रीटिंग्स ने पारंपरिक चीजों को पीछे छोड़ दिया था, वहीं अब पुराने तौर-तरीके एक बार फिर लोकप्रिय हो रहे हैं।
बंगाली संस्कृति में पोइला बोइशाख को विशेष स्थान प्राप्त है। इस दिन व्यवसायी नए साल की शुरुआत ‘हाल खाता’ से करते हैं—यानी पुराने खाते बंद कर नए बहीखातों की शुरुआत। पहले की तुलना में पिछले कुछ सालों में इसकी मांग में भारी गिरावट आई थी। कारण साफ था—कंप्यूटर और मोबाइल ने कागज़ की जगह ले ली थी। नदिया के कृष्णगंज स्थित माजदिया के प्रसिद्ध कैलेंडर व्यापारी स्वप्न कुमार भौमिक बताते हैं, “पिछले 50 वर्षों से मैं इस व्यवसाय में हूं। हाल के वर्षों में बिक्री 80% तक गिर गई थी, लेकिन इस बार फिर से पुराने जैसे ऑर्डर मिलने लगे हैं। चैत्र माह में अब भीड़ वैसी ही हो रही है जैसी पहले हुआ करती थी।” प्रिंटिंग प्रेस संचालक गोपाल मंडल कहते हैं, “हम और हमारे कर्मचारी दिन-रात कैलेंडर और हलखाता कार्ड की छपाई में जुटे हैं। हलखाता की परंपरा अब केवल पोइला बोइशाख तक सीमित नहीं रही। अक्षय तृतीया, बुद्ध पूर्णिमा, यहां तक कि रथयात्रा जैसे पर्वों पर भी हलखाता का चलन शुरू हो गया है।”

स्थानीय ग्राहक इंद्रजीत बिस्वास बताते हैं कि बकाया भुगतान और ग्राहक-व्यापारी संबंधों के लिहाज से यह परंपरा बेहद कारगर साबित हो रही है। वहीं विद्युत बिस्वास मानते हैं कि डिजिटल निमंत्रण जितना भी तेज हो, उसमें वह आत्मीयता नहीं जो एक कार्ड या कैलेंडर में होती है—जो सालभर दीवार पर टंगा रहता है और याद दिलाता है अपने रिश्ते का।कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि डिजिटल युग की चमक के बीच भी परंपराओं की गर्माहट बनी हुई है। बहीखाता और कैलेंडर फिर से दुकानों की शोभा बन रहे हैं, और शायद यही वो सांस्कृतिक जड़ें हैं, जो समय के साथ और मजबूत होती जा रही हैं।

कोलकाता के न्यू टाउन में एक ही छत के नीचे होंगे सीबीआई के सभी विभाग

कोलकाता । कोलकाता में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के सभी विभागों को अब एक ही भवन में लाने का निर्णय लिया गया है। सूत्रों के अनुसार, इस कदम का उद्देश्य विभिन्न शाखाओं के बीच बेहतर अंतर-विभागीय समन्वय सुनिश्चित करना है। वर्तमान में कोलकाता में सीबीआई की चार प्रमुख शाखाएं —भ्रष्टाचार निरोधक शाखा, विशेष अपराध शाखा, आर्थिक अपराध शाखा और बैंक सुरक्षा एवं धोखाधड़ी शाखा —दो अलग-अलग परिसरों से संचालित हो रही हैं। एक कार्यालय निजाम पैलेस (कोलकाता के मध्य भाग) में स्थित है, जबकि दूसरा कार्यालय सॉल्ट लेक स्थित केंद्रीय सरकारी कार्यालय (सीजीओ) परिसर में है। अब ये सभी विभाग न्यू टाउन स्थित एक 14 मंजिला भवन में स्थानांतरित किए जाएंगे। इस नई इमारत में सीबीआई को चार मंजिलें आवंटित की गई हैं। जानकारी के अनुसार, दस्तावेजों और तकनीकी उपकरणों को निजाम पैलेस और सीजीओ परिसर से न्यू टाउन स्थित नए कार्यालय में स्थानांतरित करने का कार्य शुरू हो चुका है। प्रयास किया जा रहा है कि इसी माह या अधिकतम अगले माह से नए कार्यालय से कार्य संचालन शुरू कर दिया जाए। सूत्रों ने बताया कि इस समय सीबीआई के विभिन्न विभागों, विशेष रूप से भ्रष्टाचार निरोधक शाखा, विशेष अपराध शाखा और आर्थिक अपराध शाखा के अधिकारी पश्चिम बंगाल में कई उच्च-प्रोफ़ाइल मामलों की जांच में व्यस्त हैं। इनमें स्कूल नौकरी घोटाला, नगरपालिकाओं में भर्ती अनियमितता, राशन वितरण घोटाला और आर.जी. कर अस्पताल में बलात्कार-हत्या मामला प्रमुख हैं। कुछ मामलों की जांच में सीबीआई के विभिन्न विभागों के अधिकारियों को एक साथ काम करना पड़ता है। उदाहरण के लिए, आर.जी. कर अस्पताल मामले में बलात्कार और हत्या के पहलू की जांच विशेष अपराध शाखा कर रही है, जबकि वित्तीय अनियमितताओं की जांच भ्रष्टाचार निरोधक शाखा के अधिकारी कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में बेहतर समन्वय और कार्यकुशलता बढ़ाने के उद्देश्य से सभी विभागों को एक ही छत के नीचे लाने का निर्णय लिया गया है। इसी को ध्यान में रखते हुए न्यू टाउन में नए कार्यालय में स्थानांतरण की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।