नयी दिल्ली। ज्ञानेश कुमार देश के नये मुख्य चुनाव आयुक्त होंगे। वे राजीव कुमार की जगह लेंगे। कानून मंत्रालय ने इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी। पिछले साल मार्च में चुनाव आयुक्त के रूप में नामित किए गए ज्ञानेश कुमार देश के अगले मुख्य चुनाव आयुक्त होंगे। वे इस साल के आखिर में बिहार विधानसभा चुनाव और अगले साल बंगाल, असम और तमिलनाडु में होने वाले चुनावों की देखरेख करेंगे। इसके साथ ही 2027 में राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार के कार्यकाल में होंगे। केरल कैडर के 1988 बैच के आईएएस अधिकारी ज्ञानेश कुमार, तीन सदस्यीय पैनल में दो आयुक्तों में से वरिष्ठ हैं। इससे पहले सोमवार को मुख्य चुनाव आयुक्त के नाम पर विचार के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में नॉर्थ ब्लॉक में हुई बैठक में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी शामिल हुए। पुरानी व्यवस्था के तहत तीन सदस्यी चुनाव आयोग में सबसे वरिष्ठ चुनाव आयुक्त को मुख्य चुनाव आयुक्त बनाया जाता रहा है। हालांकि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति से जुड़े कानून के तहत अब समिति के माध्यम से नए मुख्य चुनाव आयुक्त का चयन होता है। मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तों और कार्यालय की शर्तें) अधिनियम, 2023 के तहत नए मुख्य चुनाव आयुक्त वर्तमान में आयोग में शामिल चुनाव आयुक्त भी हो सकते हैं या फिर कोई नया नाम तय किया जा सकता है। अधिनियम के तहत केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री की अध्यक्षता में एक खोज समिति पांच उम्मीदवारों की एक सूची तैयार करती है। उल्लेखनीय है कि मुख्य चुनाव आयुक्त रहे राजीव कुमार ने यह पदभार वर्ष 2022 में संभाला था। उनके नेतृत्व में चुनाव आयोग ने 2024 में लोकसभा चुनाव संपन्न कराया। इसके अलावा कई राज्यों में विधानसभा चुनाव संपन्न कराए जिनमें जम्मू-कश्मीर, महाराष्ट्र, हरियाणा, कर्नाटक, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, झारखंड और इसी साल हुए दिल्ली विधानसभा के चुनाव भी शामिल हैं।
कोल्ड स्टोरेज मालिकों ने की किराया बढ़ाने की मांग
कोलकाता । पश्चिम बंगाल कोल्ड स्टोरेज एसोसिएशन, पूरे बंगाल में कोल्ड स्टोरेज का एकमात्र सक्रिय एसोसिएशन है। संगठन की ओर से 60वां वार्षिक आम बैठक का आयोजन कोलकाता के स्वभूमि हेरिटेज में किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में गणमान्य लोगों में सुनील कुमार राणा, (अध्यक्ष, डब्लूबीसीएसए), सुभाजीत साहा (उपाध्यक्ष, डब्लूबीसीएसए), राजेश कुमार बंसल (पूर्व अध्यक्ष, डब्लूबीसीएसए), पतित पावन दे, तरुण कांति घोष, गोबिंद कजारिया (पूर्व अध्यक्ष, डब्लूबीसीएसए), दिलीप चटर्जी, कौशिक कुंडू, प्रदीप लोढ़ा (डब्लूबीसीएसए के जिला समितियों के अध्यक्ष) के साथ समाज में कई अन्य प्रतिष्ठित व्यक्ति इस मौके पर शामिल थे। पश्चिम बंगाल कोल्ड स्टोरेज एसोसिएशन के अध्यक्ष सुनील कुमार राणा ने कहा, आलू उत्पादकों में काफी उत्साह देखा जा रहा है। चालू सीजन में लगभग 5.10 लाख हेक्टेयर भूमि पर आलू की खेती की गई है। उन्होंने चालू सीजन में लगभग 135-140 लाख टन आलू उत्पादन का अनुमान लगाया। पश्चिम बंगाल में घरेलू खपत 65 लाख टन है, शेष स्टॉक को राज्य के बाहर विपणन करने की आवश्यकता है। बाजार में आलू की स्थिर कीमत और नियमित आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए उन्होंने अधिकारियों से अनुरोध किया कि वे अनलोडिंग अवधि के दौरान प्रत्येक माह 12% की एक समान दर पर संग्रहीत स्टॉक को जारी करने के लिए एक प्रणाली तैयार करें। उन्होंने आवश्यक कार्य योजना तैयार करने और वास्तविक समय के आधार पर स्टॉक की स्थिति की निगरानी के लिए खेती, कटाई, भंडारण और विपणन पर अखिल भारतीय व्यापक डेटा के संग्रह और विश्लेषण की सिफारिश की। किसानों को उचित ग्रेडिंग, इलाज और वर्गीकरण बनाए रखने के लिए सरकारी पहल का सुझाव दिया गया। चूंकि नवंबर से आगे भंडारण अवधि का विस्तार लगभग हर साल आम अनुभव बन गया है, इसलिए उन्होंने अनुरोध किया कि विस्तारित भंडारण अवधि के लिए अतिरिक्त किराए की मात्रा को आवधिक किराया संशोधन के लिए अधिसूचना में शामिल किया जाना चाहिए। कोल्ड स्टोरेज के लिए इनपुट लागत और पूंजी की लागत में आवधिक वृद्धि को देखते हुए, अन्य आलू उत्पादक राज्यों में किराए के बराबर कोल्ड स्टोरेज किराया बढ़ाने की मांग इस कार्यक्रम में की गई। जिसमें वर्तमान दर 230 रुपए से 270/- रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाने का प्रस्ताव दिया गया है। उन्होंने उल्लेख किया कि दक्षिण और उत्तर बंगाल के लिए कोल्ड स्टोरेज का किराया क्रमशः 190 रुपये और 194 रुपये करने की विशेषज्ञ समिति की सिफारिश के बावजूद सरकार द्वारा कोल्ड स्टोरेज का किराया संशोधित नहीं किया गया। पिछले 4 वर्षों से किराया 168 रुपये और 172 रुपये है। उन्होंने आशंका जताई कि आगामी सीजन में कोल्ड स्टोरेज का संचालन बाधित हो सकता है, क्योंकि स्टोर मालिक वर्तमान किराया ढांचे के साथ अपनी इकाइयों को संचालित करने के लिए तैयार नहीं हैं। इस कारण से 150 से अधिक कोल्ड स्टोरेज बैंक में एनपीए हैं। उन्होंने यह सुझाव दिया कि कोल्ड स्टोरेज किराया गणना 100% भंडारण क्षमता के बजाय 85% भंडारण क्षमता पर आधारित होनी चाहिए, क्योंकि 100% क्षमता का उपयोग शायद ही कभी किया जाता है। सरकार को उनके संगठन द्वारा किए गए मांग पर जल्द विचार करने का अनुरोध किया गया है।
भवानीपुर कॉलेज का एनसीसी कैडेट बना विनिमय कार्यक्रम का युवा राजदूत
कोलकाता । भवानीपुर कॉलेज के नंबर वन बेंगाल एयर स्क्वाड्रन एनसीसी बंगाल सीएसयूओ भीष्मलेंदु ने भारत का प्रतिनिधित्व भूटान में एक युवा राजदूत के रूप में किया। उन्होंने एनसीसी यूथ एक्सचेंज प्रोग्राम 2024 में भाग लिया। मेस बिहेवियर क्लासेस से लेकर ग्रैंड क्लोजिंग समारोह तक, अच्छी तरह से स्ट्रक्चर्ड कैंप शेड्यूल, अनुशासन, सांस्कृतिक विरासत और प्रतिष्ठित इंटरैक्शन आदि एक्सचेंज प्रोग्राम किए जिसने इस यात्रा को विशेष बना दिया। 117 वें राष्ट्रीय दिवस समारोह में भूटान के राजा महामहिम जिग्मे खेशर नामग्येल वांगचुक, आई एफ एस अधिकारियों और भूटानी अधिकारियों के साथ यह कार्यक्रम संपन्न हुआ। राष्ट्रीय उद्यानों और मंदिरों में भूटान की सांस्कृतिक विरासत को जानने का अवसर मिला। यह कार्यक्रम दांताक, इमट्रैट, भारतीय दूतावास और डीजी एनसीसी मुख्यालय में हुआ। यह यात्रा भूटान के साथ एक औपचारिक और राजनयिक संबंध जोड़ने में सहायक रही।डॉ वसुंधरा मिश्र ने बताया कि एनसीसी के कैडट सीएसयूओ भीष्मलेंदु ने भूटान की परंपराओं और भारत-भूटान संबंधों के लिए कैमाडरी, अनुशासन और आपसी प्रतिष्ठा को बढ़ावा दिया है।भूटान में भारतीय प्रतिनिधि माननीय ताशी नामग्याल, निदेशक – शिक्षा मंत्रालय, भूटान के साथ दूतावास में भारतीय युवा राजदूत सीएसयूओ भीष्मलेंदु ने देश का गौरव बढ़ाया।
मिसेज बनी जी फाइव की सबसे बड़ी ओपेनर
कोलकाता । जी 5 की पेशकश मिसेज सफलता और तारीफें, दोनों बटोर रही है। यह फिल्म 150 मिलियन से अधिक स्ट्रीमिंग मिनट्स के साथ जी 5 के इतिहास में अब तक का सबसे बड़ी ओपनिंग वीकेंड साबित हुई है। बहुमुखी प्रतिभा की धनी अभिनेत्री सान्या मल्होत्रा के शानदार अभिनय से सजी यह फिल्म अपनी दमदार कहानी के चलते पूरे भारत में दर्शकों के दिलों को छू रही है। यही कारण है कि यह फिल्म न केवल जी 5 पर रिकॉर्ड व्यूअरशिप हासिल कर रही है, बल्कि गूगल पर सबसे अधिक खोजी जाने वाली फिल्म बन गई है, जिसे गूगल पर उपयोगकर्ताओं ने 4.6/5 की शानदार रेटिंग दी है। इसके अलावा, आईएमडीबी पर भी इस फिल्म को 7.3 की प्रभावशाली रेटिंग मिली है। दर्शकों की जबरदस्त प्रतिक्रिया के साथ, मिसेज जी 5 की सबसे प्रिय फिल्मों में से एक बनकर उभरी है, जिससे यह साबित होता है कि मंच उच्च गुणवत्ता वाली, आकर्षक और विविधतापूर्ण कहानियों को प्रस्तुत करने के प्रति प्रतिबद्ध है। यह फिल्म न केवल जी 5 पर अब तक का सबसे बड़ा ओपनिंग वीकेंड दर्ज करने में सफल रही है, बल्कि अपने विशाल दर्शक समूह के अलावा, फिल्म इंडस्ट्री में भी जबरदस्त सराहना बटोर रही है। फिल्म की अनूठी कहानी और दमदार प्रस्तुतिकरण की प्रशंसा गजराज राव, प्रसिद्ध फिल्ममेकर विक्रमादित्य मोटवाने, वसन बाला, सोनम नायर, सुमित पुरोहित, और लोकप्रिय कलाकारों अली फ़ज़ल, वामीका गब्बी, राधिका मदान, पुलकित सम्राट, श्रिया पिलगांवकर, साकिब सलीम, तिलोत्तमा शोम, अक्षय ओबेरॉय, अमोल पाराशर समेत कई दिग्गजों ने की है। फिल्म की निर्देशक आरती कादव ने अपनी खुशी जाहिर करते हुए कहा, “Mrs. पर काम करना एक अविस्मरणीय यात्रा रही है, और जिस तरह से दर्शकों ने इस फिल्म को सराहा है, उससे मैं अभिभूत हूं।” सान्या ने मुख्य किरदार को जिस ताकत और संवेदनशीलता के साथ निभाया है, उसकी हर जगह प्रशंसा हो रही है, खासतौर पर युवा लड़कियां और महिलाएं इस किरदार से गहराई से जुड़ाव महसूस कर रही हैं। उन्होंने आगे कहा, “मैं अपने निर्माता हरमन बावेजा, बावेजा स्टूडियो और जियो स्टूडियो की आभारी हूं, जिन्होंने मुझ पर भरोसा किया और इस कहानी को कहने में मेरा मार्गदर्शन किया।” दुनिया भर के दर्शकों से मिली जबरदस्त प्रतिक्रिया और मिसेज के साथ दर्शकों का गहरा व्यक्तिगत जुड़ाव, दृष्टिकोणों को चुनौती देने वाली मजबूत कहानियों की शक्ति का प्रमाण है।” फिल्म की सफलता पर अपनी खुशी जाहिर करते हुए, अभिनेत्री सान्या मल्होत्रा ने कहा कि यह देखकर बेहद भावुक और उत्साहित महसूस हो रहा है कि दर्शकों ने मिसेज को इतने प्यार से अपनाया है।” यह फिल्म मेरे दिल के बहुत करीब है, और इसे पूरे देश में लोगों पर प्रभाव डालते हुए देखना वास्तव में संतोषजनक है। मिसेज सिर्फ एक कहानी नहीं, बल्कि एक मजबूत विचार है।”
सृजन यात्रा के नौ वर्ष….पथ पर चलें निरंतर
शुभजिता 13 फरवरी को अपनी सृजन यात्रा का एक और पड़ाव पार कर रही है। 2026 में पूरा एक दशक होने जा रहा है। 2025 में आपकी यह वेब पत्रिका 9 वर्ष पूरे कर चुकी है। जब 2016 में वसंत पंचमी के दिन आज की शुभजिता ने अपराजिता बन चलना आरम्भ किया था, तब कहां पता था कि यहां तक आ सकेंगे। इस पर एक जिद थी कि लीक से हटकर चलना है, पत्रकारिता की सकारात्मकता को सामने रखना है, मुद्दे रखने हैं, सनसनी से बचना है। यह एक विनम्र…बहुत विनम्र शुरुआत थी और हमें कतई उम्मीद नहीं थी कि इसे कोई गम्भीरता से लेगा..यह भी उम्मीद नहीं थी कि लोग जुड़ेंगे..लिखेंगे..किसी अन्य मीडिया संस्थान की तरह हमें कार्यक्रमों में बुलाया जाएगा। हमारे पास था भी क्या उम्मीदों के लिए तो खोने के लिए भी कहां कुछ था। आज मुझे खुद मीडिया में 21 साल हो रहे हैं । पत्रकारिता की दुनिया से बहुत कुछ मिला है..पहचान भी और प्रेम भी..प्रेम इतना मिला कि कड़वाहटें हावी नहीं हो पायीं। इतने संघर्ष और इतनी बाधाएं देखीं कि लगा कि ऐसी जगह हो जहां काम करने का मन करे । अपनी शक्ति भर युवाओं की अभिव्यक्ति को मंच दे सकें हम..प्रतिभाओं को सामने ला सकें। कोरोना काल हमने बहुत कुछ ऐसा किया जो हम करना चाहते थे..संसाधनहीन थे..सार्मथ्यहीन नहीं थे। हमें नहीं पता कि हम कहां तक क्या कर सके हैं क्योंकि यह निर्णय लेना हमारा काम नहीं है..यह फैसला आप करेंगे। हमने शुभजिता का पीडीएफ संस्करण भी निकालना आरम्भ किया। दो दर्जन अंक निकाले भी मगर व्यस्तता व तकनीकी कारणों से इसमें विध्न पड़ते रहे। दरअसल, आर्थिक जरूरतें और आर्थिक दिक्कतें अपनी जगह है और जीवन संचालन एक महती कार्य है इसलिए दोनों कार्य साथ ही संचालित करने पड़ते हैं। आज 10 लाख से अधिक अतिथि इस वेबपत्रिका पर आ चुके हैं। हम दो शुभजिता सृजन प्रहरी तथा तीन शुभ सृजन सारथी सम्मान आयोजित कर चुके हैं। यू ट्यूब पर भी 1 हजार से अधिक सदस्य शुभजिता के चैनल पर हैं। प्रयास जारी है। हो सकता है कि खबरें लाने में थोड़ा विलम्ब हो मगर खबरें आती रहेंगी, यह तय है। इस सृजन यात्रा पर पथ एकाकी भी हो तो भी हम चलते ही रहेंगे क्योंकि यही हमारा कर्म है। फल हमारे हाथ में नहीं है पर जो कर्म है..वह हम करते ही रहेंगे और हमें विश्वास है कि आपका सहयोग हमें मिलता ही रहेगा…एक विनम्र धन्यवाद के अतिरिक्त हम और क्या दें..जब रहीम के शब्दों में –
देनहार कोई और है, भेजत है दिन रैन
लोग भरम हम पर करें, ताते नीचे नैन
शुभजिता का सारा लोहा आप ही हैं, अपनी तो केवल धार ही है. नयी यात्रा पर शुभजिता का नया अवतार…
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अशेष आभार
सुषमा त्रिपाठी कनुप्रिया
सम्पादक, शुभजिता
ऐसी स्थिति में बदल डालिए टूथ ब्रश
सही तरह से ब्रश करने का मतलब सिर्फ सही टूथपेस्ट या ब्रश करने का तरीका नहीं, बल्कि इसमें समय-समय पर टूथब्रश बदलना भी शामिल है। अक्सर लोगों के टूथब्रश के ब्रिसल बुरी तरह से फैल कर खराब हो जाते हैं, फिर भी लोग उसे फेंकते नहीं हैं। नया टूथब्रश न लेने के आलस में या पैसे बचाने के चक्कर में वे उसी पुराने ब्रश को इस्तेमाल करते रहते हैं, जो बिल्कुल सरासर गलत है। जरूरत से ज्यादा ब्रश का इस्तेमाल करने से ब्रश करने का असली मकसद खत्म हो जाता है।ब्रश करने का मकसद है दांतों और ओरल कैविटी की सफाई, जिससे कैविटी और अन्य बीमारियों से बचाव किया जा सके। हालांकि, ज्यादा समय तक एक ही ब्रश का इस्तेमाल करने से उसमें बैक्टीरिया पनपने लगते हैं और सफाई करने की उनकी क्षमता खत्म हो जाती है, जिससे ब्रश साफ करने से ज्यादा ओरल कैविटी को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
टूथब्रश हैबिट को मैनेज करना बहुत जरूरी है। सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन (सीडीसी) और इंडियन डेंटल एसोसिएशन (आईडीए) के अनुसार हर 3 से 4 महीने में टूथब्रश बदल लेना चाहिए। इसके अलावा कुछ और मामलों में भी टूथब्रश बदलना जरूरी हो जाता है, जिनमें निम्न शामिल हैं-
अगर टूथब्रश के ब्रिसल फैल गए हैं या फिर टेढ़े हो गए हैं, तो इन्हें बदल लें।
अगर ब्रश के कुछ ब्रिसल टूट गए हैं, तो टूथब्रश बदलें। टेढ़े-मेढ़े और फैले हुए ब्रिसल दांतों को साफ करने में सक्षम नहीं होते हैं।
अगर बहुत तेजी से ब्रश करते हैं, तो टूथब्रश को हर दूसरे महीने ही बदलना सही होता है। हालांकि, तेज और जोर से ब्रश करना ठीक नहीं होता है और अक्सर बच्चे ही तेजी से ब्रश करते हैं, जिसका ख्याल पेरेंट्स को रखना चाहिए।
अगर आप गंभीर रूप से बीमार हैं, तो इस दौरान आपने जिस ब्रश का इस्तेमाल किया है, उसे बदल देना ही उचित है। क्योंकि बीमारी के दौरान बैक्टीरिया और माइक्रोब्स की मात्रा बढ़ जाती है, जो आपके ब्रश में ट्रांसफर हो जाती है।
अगर आप इलेक्ट्रिक टूथब्रश का इस्तेमाल करते हैं, तो अमेरिकन डेंटल एसोसिएशन (एडीए) के अनुसार इसके हेड को भी हर 3 महीने पर बदल लेना चाहिए। साथ ही इलेक्ट्रिक टूथब्रश को हर 3 से 5 साल में बदल देना चाहिए। कई इलेक्ट्रिक टूथब्रश के ब्रश हेड में कलर इंडिकेटर भी होते हैं, जो कि ब्रश हेड बदलने का संकेत देते हैं।
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गीले चावल से बनाइए अनोखे व्यंजन
अक्सर पानी ज्यादा पड़ जाने या फिर कुकर में सीटी ज्यादा लग जाने के चलते चावल खराब हो जाते हैं। ऐसे में जल्दी काम करना हो और काम बिगड़ जाए फिर तो और भी ज्यादा गुस्सा आता है। इनसे ही बनाइए स्वादिष्ट व्यंजन-
क्रिस्पी कॉइन
सामग्री – चावल,मसले हुए उबले आलू, नमक, काली मिर्च, चाट मसाला, चिली फ्लैक्स, ऑरिगेनो और ब्रेड क्रम्स
विधि – इसको बनाने के लिए सबसे पहले आपको गीले चावलों को लेना है। अब इसमें उबले(कद्दूकस किए) हुए आलू भी मैश कर लें। फिर आपको नमक, काली मिर्च, चाट मसाला, चिली फ्लैक्स, ऑरिगेनो और ब्रेड क्रम्स डालें। सभी चीजों को अच्छी तरह मिला लें। इसके बाद आपको इस मिश्रण की गोल लोई बनाकर हथेली से दबाते हुए गोल शेप देना है। गैस पर पैन रखकर उसमें तेल डालकर गर्म करें और इन कोइन को हल्की आंच पर सेक लें। आपके क्रिस्पी कॉइन बनाकर तैयार हैं आप इनको सॉस के साथ गर्मागर्म सर्व करें।
स्पाइसी टेंगी वेजिटेबल रोल
सामग्री – चावल, गाजर, पत्ता गोभी, प्याज, शिमला मिर्च, मटर, सरसो तेल,करीपत्ता, काली मिर्च, सोया सॉस, टोमेटो सॉस, नमक
विधि – सबसे पहले आपको चिपचिपे चावलों को मिक्सी जार में बिना पानी डालें अच्छी तरह पीस लेना है। अब इस मिश्रण को के बाउल में निकालें और उसमें एक चुटकी नमक और ज्यादा गाढ़ा हो तो अपनी डालकर मिला करें। एक नॉन स्टिक तवा गैस पर रखकर गर्म करें और उसपर ये मिश्रण डालें और पेपर डोसा जैसा बना लें। जब सब बन जाएं तो आप गाजर, पत्ता गोभी, प्याज, शिमला मिर्च को अच्छी तरह बारीक काट लें और मटर उबाल लें। अब एक कड़ाही गैस पर रखें और उसमें एक चम्मच तेल डालकर राई और करीपत्ता डालें। फिर इसमें सभी सब्जियां डालकर नमक, काली मिर्च, सोया सॉस और टोमैटो सॉस डालकर हल्का सोटे कर लें। सभी चीजों को गैस से उतारकर ठंडा करें फिर तैयार किए गए पेपर डोसा में आपको यह भरना है और टूथपिक से बंद करें। अब गैस पर कड़ाही रखकर तेल डालें हल्का गर्म होने पर इन रोल्स को ब्राउन होने तक सेंक लें। प्लेट में निकलकर गर्मागर्म पीस कट करके चटनी, सॉस या डिप के साथ सर्व करें।
महाशिवरात्रि पर आलता से करें अपने पैंरों का श्रृंगार
महाशिवरात्रि हिंदुओं के लिए बहुत बड़ा त्योहार होता है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की शादी हुई थी। हर साल इस दिन को बहुत ही धूम-धाम से मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं भी सोलह श्रृंगार में कोई कसर नहीं छोड़ती हैं। ऐसे में हाथों में मेहंदी और पैरों में आलता लगाए बिना तो उनका श्रृंगार ही पूरा नहीं होता है। इस बार महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर पैरों में अगर आप आलता लगाने के बाद में सोच रही हैं तो आज हम आपको उसके भी कुछ डिजाइंस दिखाएंगे।
आपने साधारण दिखने वाली आलता डिजाइंस तो कई बार लगाई होंगी आज हम आपको कुछ बेहद खूबसूरत और स्टाइलिश आलता डिजाइंस दिखाएंगे, जिन्हें आप यदि पैरों पर लगा लें तो लोग आपकी तारीफ करते नहीं रुकेंगे।
अगर आप अपने पैरों को एक अनोखा और आकर्षक रूप देना चाहती हैं, तो मेहंदी के साथ आलता का तालमेल एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है। इसमें आप पहले पैरों पर मेहंदी की सुंदर डिजाइन बनाएं और फिर किनारों पर आलता से आउटलाइनिंग करें। यह कॉम्बिनेशन ट्रेडिशनल के साथ आलता डिजाइन को मॉडर्न टच भी देता हैं और महाशिवरात्रि जैसे खास मौकों पर एकदम परफेक्ट लगता है। मेहंदी और आलता का यह मेल राजस्थानी और बंगाली संस्कृति में काफी लोकप्रिय है और इसे विशेष अवसरों पर महिलाएं अपनाती हैं।
आलता का नाम जहन में आता है तो केवल गोल टिक्की डिजाइन की छवि ही दिमाग में उभरती है। मगर अब आलता में भी आपको महंदी जैसी घनी और खूबसूरत डिजाइन देखने को मिलेगी। अगर आप गहरे और बोल्ड डिजाइन पसंद करती हैं, तो घनी आलता डिजाइन आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है। इसमें पूरे पैर को गहरे लाल रंग से खूबसूरती से सजाया जाता है, जिससे पैर आकर्षक और पारंपरिक दिखते हैं। इस डिजाइन को विशेष रूप से बंगाल और ओडिशा की महिलाएं शादी, त्योहारों और धार्मिक अनुष्ठानों के दौरान अपनाती हैं। आप इसे सिंपल रख सकती हैं या फिर हल्के फूलों और ज्यामितीय पैटर्न के साथ एक्सपेरिमेंट कर सकती हैं। अगर आप इसे और भी ज्यादा सजाना चाहती हैं, तो आपको इसमें व्हाइट कलर का भी प्रयोग करना चाहिए। इसके लिए आप फैब्रिक कलर इस्तेमाल कर सकती हैं।
अगर आप सिंपल लेकिन स्टाइलिश लुक चाहती हैं, तो बॉर्डर आलता डिजाइन ट्राई कर सकती हैं। इसमें पैरों के किनारों को आलता से खूबसूरती से लगा सकती हैं। अगर आपको महीन और भरी-भरी डिजाइन चाहिए तो तीली भी आपको पतली ही लेनी चाहिए। अगर आप लाल रंग की स्याही वाले पेन से पहले ही पैर पर खूबसूरत डिजाइन बना जेती हैं, तो नोकीली तीली से आपको डिजाइन पर आलता घुमाने में आसानी होगी और ज्यादा वक्त भी नहीं लगेगा। यह डिजाइन उन महिलाओं के लिए परफेक्ट है, जो हल्का लेकिन ट्रेडिशनल लुक चाहती हैं। यह खासतौर पर बंगाल, बिहार और उड़ीसा की दुल्हनों और विवाहित महिलाओं द्वारा अधिक पसंद किया जाता है। इसे महाशिवरात्रि पर पारंपरिक साड़ी या लहंगे के साथ अपनाकर आप अपने लुक को और भी खूबसूरत बना सकती हैं।
अगर आप फूलों से प्रेरित डिजाइंस पसंद करती हैं, तो फ्लोरल आलता डिजाइन आपके लिए एकदम सही है। इसमें पैरों पर फूलों की आकृतियां बनाई जाती हैं, जो बेहद आकर्षक और स्त्रीत्व का प्रतीक होती हैं। इस डिजाइन में आप छोटे फूलों, बेलों या बड़े फ्लोरल पैटर्न को चुन सकती हैं। यह न केवल पैरों को खूबसूरत बनाता है, बल्कि इसे पहनने से एक पारंपरिक और फेस्टिव फील भी आता है। फ्लोरल डिजाइंस खासकर शादी, तीज, कजरी तीज और महाशिवरात्रि जैसे त्योहारों पर बेहद लोकप्रिय होती हैं।
अगर आप एक क्लासिक और पारंपरिक लुक चाहती हैं, तो गोल टिक्की आलता डिजाइन एक बेहतरीन विकल्प है। इसमें पैरों के बीचों-बीच आलता से एक गोलाकार आकृति यानी टिक्की बनाई जाती है और उसके चारों ओर छोटे-छोटे पैटर्न उकेरे जाते हैं। यह पैटर्न आप व्हाइट फैब्रिक कलर से भी बना सकती हैं। यह डिजाइन बेहद मिनिमलिस्ट और क्लासी लगता है। इसे बनाना आसान भी है और यह कम समय में भी लग जाता है।
गीता प्रेस ने 87 वर्षों बाद ‘श्री कृष्ण लीला दर्शन’ का किया पुनर्मुद्रण
गोरखपुर । गोरखपुर के विश्व प्रसिद्ध गीता प्रेस ने 87 वर्षों के बाद प्रतिष्ठित पुस्तक ‘श्रीकृष्ण लीला दर्शन’ को पुनः प्रकाशित किया है, जो मूल रूप से 1938 में छपी थी। गीता प्रेस प्रबंधन ने मंगलवार को यह जानकारी दी। उसने बताया कि उच्च गुणवत्ता वाले ‘आर्ट पेपर’ पर मुद्रित नए संस्करण में पहली बार जीवंत रंग चित्रण शामिल है, जो भगवान कृष्ण की दिव्य लीलाओं को एक आकर्षक तरीके से जीवंत करता है। गीता प्रेस के अधिकारियों ने कहा कि कुल 3,000 प्रतियां छापी गई हैं, जिनमें से 50 नेपाल भेजी गई हैं। संत प्रभुदत्त ब्रह्मचारी द्वारा लिखित यह पुस्तक भगवान कृष्ण की बचपन का लीलाओं का विस्तार से वर्णन करती है। पहला संस्करण 1938 में छपा था और तब उसकी कीमत मात्र 2.50 रुपये थी। गीता प्रेस के प्रबंधक लालमणि तिवारी ने बताया कि इस बार, उच्च-गुणवत्ता वाली छवियों को शामिल करके इसकी अपील को बढ़ाया है, जिससे पाठकों के लिए कथन अधिक प्रभावशाली हो गया है। उन्होंने कहा कि 256 पृष्ठों वाली यह पुस्तक कृष्ण के जीवन के महत्वपूर्ण क्षणों, उनके जन्म से लेकर उनके चंचल बचपन के प्रसंगों को शब्दों और उत्कृष्ट कलाकृति दोनों के माध्यम से चित्रित करती है। तिवारी ने कहा कि पिछले संस्करणों के विपरीत, जो पूरी तरह से पाठ-आधारित थे, यह सचित्र संस्करण युवा पाठकों और भक्तों को समान रूप से जोड़ने के लिए डिज़ाइन किया गया है। उन्होंने कहा कि गीता प्रेस ने भारत भर में अपनी शाखाओं में उसकी प्रतियां वितरित की हैं और मांग के आधार पर अतिरिक्त प्रिंट पर विचार कर सकता है। तिवारी ने कहा, “यह पुस्तक हमेशा पाठकों द्वारा पसंद की गई है। मांग को देखते हुए, हमने इसे एक नए, अधिक आकर्षक प्रारूप में वापस लाने का फैसला किया। अगर दिलचस्पी बढ़ती रही तो हम और प्रतियां छापेंगे।”
महाशिवरात्रि विशेष : ये हैं बिहार के प्रसिद्ध शिव मंदिर
महाशिवरात्रि इस साल 26 फरवरी 2025 को मनाई जाएगी। इस पावन अवसर पर श्रद्धालु भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। बिहार में कई प्रसिद्ध शिव मंदिर हैं, जहां इस दिन भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। माना जाता है कि इन मंदिरों में सच्चे मन से की गई पूजा से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। आइए जानते हैं बिहार के उन प्रख्यात शिव मंदिरों के बारे में-
बाबा कोटेश्वर नाथ धाम, जहानाबाद-गया – बिहार के गया और जहानाबाद जिले की सीमा पर स्थित बाबा कोटेश्वर नाथ धाम एक प्राचीन शिव मंदिर है। यह मंदिर अपने ऐतिहासिक महत्व के कारण प्रसिद्ध है। मंदिर का गर्भगृह लाल पत्थर के टुकड़ों से बना है, जो इसकी खास पहचान है। इस मंदिर के निर्माण को लेकर एक रोचक कथा प्रचलित है।
उषा और अनिरुद्ध के विवाह से है सम्बन्ध – बाणासुर की बेटी उषा भगवान श्रीकृष्ण के पोते अनिरुद्ध से प्रेम करती थीं, लेकिन बाणासुर श्रीकृष्ण को अपना शत्रु मानता था। उषा ने अनिरुद्ध को पाने के लिए इस मंदिर की स्थापना करवाई। जब उषा ने भगवान शिव की उपासना की, तो शिव प्रकट हुए और उसे 1008 शिवलिंग स्थापित करने का आदेश दिया। उषा ने एक विशाल शिवलिंग की स्थापना की, जिसमें सभी 1008 शिवलिंग समाहित थे। बाद में उषा और अनिरुद्ध का विवाह हुआ, और तब से इस मंदिर की पूजा की परंपरा चली आ रही है। हर साल महाशिवरात्रि और सावन के महीने में यहां हजारों श्रद्धालु जलाभिषेक करने आते हैं।
अशोक धाम मंदिर, लखीसराय – लखीसराय स्थित अशोक धाम मंदिर बिहार का एक प्रमुख शिव मंदिर है, जिसे “बिहार का देवघर” भी कहा जाता है। इस शिवलिंग की खोज 1977 में एक चरवाहे अशोक ने की थी, जिसके नाम पर ही इस मंदिर का नाम रखा गया। दरअसल, चरवाहा अशोक गाय चराने के दौरान गिल्ली-डंडा खेल रहा था। खेल के दौरान गिल्ली की तलाश में उसने मिट्टी के नीचे एक विशाल शिवलिंग पाया। बाद में स्थानीय लोगों की मदद से उस स्थान पर अशोक धाम मंदिर का निर्माण कराया गया। हर साल महाशिवरात्रि के दिन यहां भव्य शिवरात्रि महोत्सव का आयोजन किया जाता है। श्रद्धालु जलाभिषेक, रुद्राभिषेक और भजन-कीर्तन के माध्यम से भगवान शिव की पूजा-अर्चना करते हैं।
बाबा गरीबनाथ मंदिर, मुजफ्फरपुर – बाबा गरीबनाथ मंदिर बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में स्थित एक ऐतिहासिक शिव मंदिर है। यह मंदिर सौ वर्षों से भी अधिक पुराना है। माना जाता है कि पहले इस स्थान पर एक विशाल बरगद का पेड़ था। जब इस पेड़ को काटने का प्रयास किया गया, तो पेड़ के नीचे एक अद्भुत शिवलिंग प्रकट हुआ। तभी से इस स्थान पर भगवान गरीबनाथ शिव की पूजा की जाने लगी। इस मंदिर में मनोकामना पूरी होने की कई कहानियां प्रचलित हैं। एक कथा के अनुसार, एक गरीब भक्त की बेटी की शादी में धन की कमी थी। उसने बाबा गरीबनाथ से प्रार्थना की, और अगले ही दिन उसके घर में चमत्कारिक रूप से विवाह का सारा सामान आग गया। तभी से इस मंदिर में आने वाले श्रद्धालु मनोकामना पूर्ति के लिए विशेष पूजा करते हैं।