Saturday, May 24, 2025
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दीघा में हुआ प्रभु जगन्नाथ का आगमन, सीएम ने किया मंदिर का उद्घाटन

कोलकाता। बंगाल को अब अपना जगन्नाथ धाम मिल गया है। बुधवार 30 अप्रैल को अक्षय तृतीया के अवसर पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य में समुद्र किनारे बसे शहर दीघा में नवनिर्मित जगन्नाथ मंदिर का लोकार्पण किया।
उन्होंने इसे ‘भारत का गौरव’ बताते हुए कहा-यह राज्य की संस्कृति व पर्यटन को भी नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा। यह मंदिर केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण नहीं है। यह बंगाल की जनता के लिए आध्यात्मिक शक्ति व एकता का प्रतीक बनेगा। यह बंगाल की सांस्कृतिक विरासत का नया अध्याय है। यह दीघा को देश को प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में भी विकसित करेगा और आने वाले हजारों वर्षों तक लोगों का समागम स्थल बना रहेगा।’

 

मंदिर के गर्भगृह में हुई मूर्तियों की विधिवत प्राण प्रतिष्ठा
लोकार्पण से पहले मंदिर के गर्भगृह में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र व सुभद्रा की मूर्तियों में विधिवत प्राण प्रतिष्ठा की गई। पुरी जगन्नाथ मंदिर की तरह ही दीघा मंदिर में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा की मूर्तियां स्थापित की गई हैं, जिसे पत्थर से तराशा गया है। पुरी की तरह इन मूर्तियों के पीछे नीम की लकड़ी से बनी मूर्तियां भी हैं।
घर-घर भेजी जाएगी तस्वीर व प्रसाद
भगवान जगन्नाथ की तस्वीर व प्रसाद को राज्य के घर-घर में पहुंचाने की व्यवस्था की जाएगी। मंदिर के संचालन व रखरखाव की जिम्मेदारी इस्कॉन को सौंपी गई है, जो यहां रोजाना महाभोग प्रसाद का वितरण करेगा। भगवान विष्णु के आठ तत्वों का नीला चक्र मंदिर के शीर्ष पर स्थापित किया गया है। मंदिर में चार प्रवेश द्वार बनाए गए हैं यानी चारों दिशाओं से मंदिर में प्रवेश किया जा सकता है। चारों ओर पांच सौ से अधिक पेड़ भी लगाए गए हैं।

पर्वतारोहण में एक कैडेट की साहसिक यात्रा

कोलकाता । भवानीपुर एजुकेशन सोसाइटी कॉलेज और 31 बंगाल बीएन एनसीसी के एक एनसीसी कैडेट, एस यू ओ प्रिंस मिश्रा- ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग एंड एडवेंचर स्पोर्ट्स (एनआईएमएएस), दिरांग, अरुणाचल प्रदेश में मूल पर्वतारोहण पाठ्यक्रम (बीएमसी-48) को पूरी तरह से पूरा किया। एक कठोर महीने के दौरान, उन्हें रॉक क्लाइम्बिंग, ग्लेशियर मार्च, टेंट पिचिंग, फर्स्ट एड और सर्वाइवल तकनीकों सहित आवश्यक पर्वतारोहण कौशल में प्रशिक्षित किया गया था। पूरे भारत से 10 एनसीसी कैडेटों सहित 280 प्रतिभागियों में, वह बाहर खड़े थे, चुनौतीपूर्ण इलाकों और चरम जलवायु परिस्थितियों के माध्यम से 20 किलोग्राम के बैकपैक के साथ 300 किमी से अधिक की ट्रेकिंग करते हुए। जब वह राजसी गोरिचेन शिखर के आधार शिविर में पहुंचा, तो उसका दृढ़ संकल्प और लचीलापन बंद हो गया, जो 16,500 फीट तक लंबा था। 101 अन्य प्रशिक्षुओं के साथ, उन्होंने शिखर सम्मेलन को सफलतापूर्वक पूरा किया और न केवल प्रशिक्षण को पूरा करके बल्कि एक अल्फा (ए) ग्रेड भी अर्जित करके हमें गर्व किया। पीक में एनसीसी ध्वज को पकड़ना बेजोड़ गर्व का एक क्षण था, जो इतनी अधिक ऊंचाई पर पश्चिम बंगाल, आपकी एनसीसी इकाई और कॉलेज का प्रतिनिधित्व करता था। डॉ वसुंधरा मिश्र ने बताया कि प्रिंस ने रॉक क्लाइम्बिंग, ग्लेशियर मार्चिंग, टेंट पिचिंग, मेडिकल ट्रीटमेंट और अस्तित्व जैसे कौशल को लिखित परीक्षणों को पारित करने में महारत हासिल की। BMC-48 पाठ्यक्रम आपके लिए एक परिवर्तनकारी अनुभव रहा है, जिसने आत्मविश्वास पैदा किया, धीरज बनाया, और नए कारनामों के लिए दरवाजे खोले। आप साबित कर चुके हैं कि साहस और प्रतिबद्धता के साथ, कोई भी चोटी बहुत अधिक नहीं है। कॉलेज के रेक्टर और डीन प्रो दिलीप शाह और मैनेजमेंट पदाधिकारीगणों ने बधाई और शुभकामनाएं दी।

विद्यासागर विवि में डॉ. दामोदर मिश्र का विदाई समारोह

मिदनापुर । विद्यासागर विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के वरिष्ठ प्राध्यापक एवं हिंदी विश्वविद्यालय के प्रथम कुलपति प्रो. दामोदर मिश्र के सेवानिवृत्ति के अवसर पर विभाग की ओर से एक साहित्यिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत नेहा चौबे, ईशा सिंह, तृणा दास और माही साह के स्वागत गीत से हुई। डिजिटल माध्यम से जुड़े हमारे समय के महत्वपूर्ण आलोचक डॉ. शंभुनाथ ने कहा कि प्रो.दामोदर मिश्र का लेखन और चिन्तन दिशा दिखाने वाला है। डॉ. दामोदर मिश्र ने कहा कि मैं जब हिंदी विभाग में आया तो डीन से लेकर सभी सहकर्मियों से मुझे बहुत सहयोग और आत्मीयता मिली। इस अवसर पर फ़िल्म समीक्षक मृत्युंजय श्रीवास्तव, प्रो. रतन हेंब्रम, डॉ. तपन दे, डॉ. पंकज साहा, हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. प्रमोद कु. प्रसाद ,डॉ. रेणु गुप्ता. डॉ. मधु सिंह समेत कई अन्य लोगों ने डॉ. मिश्र के अवदानों को रेखांकित किया। डॉ. संजय जायसवाल ने कहा कि डॉ. दामोदर मिश्र ने हमेशा हमें सीखने के लिए प्रेरित किया है। विभाग की शोधार्थी सोनम सिंह, रूपेश कुमार यादव, सुषमा कुमारी और गायत्री वाल्मीकि ने अपनी बातें रखी। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. श्रीकांत द्विवेदी ने किया। कार्यक्रम के सफल संयोजन में लक्ष्मी यादव, संजना गुप्ता, नसरीन बानो, सृष्टि गोस्वामी, नीशू कुमारी,मदन शाह, मिथुन नोनिया ने विशेष सहयोग दिया।

रेणु की दृष्टि अंचल केंद्रित नहीं बल्कि मूल्य केंद्रित है:शंभुनाथ

भारतीय भाषा परिषद और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र द्वारा आयोजित पुस्तक परिचर्चा
कोलकाता । भारतीय भाषा परिषद में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र, रांची एवं भारतीय भाषा परिषद द्वारा डॉ कुमार संजय झा के संपादन में प्रकाशित पुस्तक ‘फणीश्वरनाथ रेणु:समय, साहित्य और समाज के शिल्पी’ पर परिचर्चा आयोजित हुई। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डॉ. शंभुनाथ ने कहा कि अंचल पर लिखते हुए भी रेणु की दृष्टि भारत माता और वैश्विक मानव-सत्य पर है। रेणु की आंचलिकता पृथकता नहीं पैदा करती है। यही वजह है कि रेणु की दृष्टि अंचल केंद्रिक नहीं बल्कि मूल्य केंद्रिक है। ऑनलाइन माध्यम से जुड़े कमल कुमार बोस ने कहा, “रेणु के साहित्य में आम जन की बातें हैं, जिनमें भारतीय ग्रामीण, जनजातीय समाज और अस्मिता को स्थान दिया गया है।”प्रोफेसर हितेंद्र पटेल ने कहा, “रेणु ग्राम्य समाज का चित्रण गाँव को देश और दुनिया से काट कर नहीं करते। उनके साहित्य में 1946 से 1977 तक का राजनीतिक इतिहास बोल उठता है। सिर्फ मेला आंचल और परिकथा नहीं, दीर्घतपा के माध्यम से वे शरणार्थियों और 1971 के मुक्ति युद्ध की कथा भी कहते हैं, जिनके नारी पात्र हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण सूत्र देने वाले चरित्र हैं।”डॉ संजय जायसवाल ने कहा, “वर्तमान समय में रेणु को और ज़्यादा याद करने की ज़रूरत है।मैला आंचल का नायक का सपना है प्रेम की खेती करना। रेणु भारतीय लोक जीवन की कथा कहने वाले लेखक हैं। रेणु की प्रतिबद्धता सामाजिक और राजनीतिक थी।” कार्यक्रम का सफल संचालन करते हुए पुस्तक के संपादक डॉ कुमार संजय झा ने पुस्तक के प्रकाशन में सहयोग के लिए सभी के प्रति आभार प्रकट किया। इस अवसर पर विमला पोद्दार,प्रो.ममता त्रिवेदी समेत कोलकाता एवं आसपास के साहित्य प्रेमी उपस्थित थे।

सॉल्टलेक शिक्षा निकेतन स्कूल ने मनाया 21वां स्थापना दिवस समारोह

कोलकाता । सॉल्टलेक शिक्षा निकेतन ने कोलकाता के साइंस सिटी ऑडिटोरियम में आयोजित एक शानदार कार्यक्रम में अपना 21वां स्थापना दिवस समारोह मनाया। इस कार्यक्रम में समग्र शिक्षा के प्रति स्कूल की प्रतिबद्धता को दर्शाया गया। इस मौके पर प्रसिद्ध और प्रेरक वक्ता सोनू शर्मा द्वारा एक विशेष प्रस्तुति दी गई। इस भव्य समारोह उपस्थित अतिथियों में सज्जन भजनका (अध्यक्ष, सेंचुरी प्लाई), सज्जन बंसल (प्रबंध निदेशक, स्किपर लिमिटेड), अशोक तोदी (अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, लक्स ग्रुप), सुनील अग्रवाल (संस्थापक एवं निदेशक, न्यू टाउन स्कूल), आर एस गोयनका (इमामी समूह) के अलावा एन जी खेतान, सुभाष मुरारका, अशोक गुप्ता, महेंद्र अग्रवाल, राम कृष्ण गोयल के साथ साल्टलेक शिक्षा निकेतन तथा साल्टलेक शिक्षा सदन प्रबंधन के प्रमुख सदस्यों में ललित बेरीवाला (अध्यक्ष), संजय अग्रवाल (सचिव), राधेश्याम गुप्ता (कोषाध्यक्ष), मधुस्मिता बेज बरुआ (प्रधानाचार्या), बी.एल. जाजोदिया (अध्यक्ष), देवराज रावलवासिया (कोषाध्यक्ष), गौरी शंकर खजांची (उपाध्यक्ष), जगदीश प्रसाद अग्रवाल (सचिव), राजेंद्र अग्रवाल (कोषाध्यक्ष) के साथ इस रंगारंग कार्यक्रम में कई अन्य गणमान्य व्यक्ति शामिल हुए। इस अवसर पर साल्टलेक शिक्षा निकेतन के अध्यक्ष ललित बेरीवाला ने कहा, हमारे स्कूल का 21वाँ स्थापना दिवस न केवल हमारी उपलब्धियों का प्रतिबिंब है, बल्कि हमारे विद्यालय को परिभाषित करने वाले सीखने, विकास और जुनून का उत्सव है।

राघवेश अस्थाना के उपन्यास “अमरत्व” को पढ़ते हुए

डॉ वसुंधरा मिश्र

“अमरत्व” किसी को श्राप किसी को वरदान राघवेश अस्थाना का उपन्यास बहुत ही रोचक तथ्यों से भरा हुआ है। इसमें सनातन और पौराणिक कथाओं और उपन्यासकार की वर्षों की यात्रा के अनुभवों को अट्ठाइस अध्यायों में पिरोया गया है। कथाकार के लेखन का आरंभ बचपन की स्मृतियों में ही जन्म ले चुका था जिसका निचोड़ यह उपन्यास है। लेखक वाराणसी स्थित ‘खोजवांँ आदर्श पुस्तकालय’ के पाठक रहें हैं जहां लाइब्रेरियन पंडित जी द्वारा विभिन्न पुस्तकों को पढ़ने का अवसर प्राप्त हुआ। लेखक पर मामा स्वर्गीय श्री लक्ष्मी चंद्र श्रीवास्तव और दीदी पद्मजा अस्थाना का वरद हस्त रहा जिनकी प्रेरणा मिलती रही। महान फिल्मकार गुरु स्वर्गीय श्री के. बालचंदर और गुरु व्यंग सम्राट अशोक चक्रधर के ऋणी हैं लेखक।उपन्यास का
पहला पड़ाव अरुल है जहां से चित्रकूट के घने वन में रिशेल के साथ नायक घने वन में अंधाधुंध भागा जा रहा है और उसके पीछे डकैत गालियां देते हुए दौड़े चले आ रहे हैं। जो एक स्वप्न है और फिर नायक अपना परिचय देता है। मॉरीशस के ट्रीओले गाँव में जन्मे अरुलबुद्धन है जिसकी माँ तमिल और पिता भोजपुरी अंचल के हैं । भारत से एग्रीमेंट करके जो भी भारतीय लोगों का परिवार मॉरिशस में बसा है वे गिरमिटिया के नाम से जाने जाते हैं।
दुनिया के किसी भी कोने में रह लें लेकिन उसका जन्म किस लिए हुआ है उसे भविष्य में क्या करना है और किस उद्देश्य के लिए भगवान ने भेजा है ।उसकी मृत्यु भी उसके हाथ में नहीं है। कोई सुपर पावर है जिसके निर्देश पर व्यक्ति अपनी जीवन यात्रा को पूर्ण करता है। कहा गया है – – सब कुछ, चाहे वह ज्ञान, धन, शक्ति, या सुख हो, सब कुछ परमेश्वर के हाथ में है, और वह सब कुछ देने वाला है। यह श्लोक इसी बात को दर्शाता है कि उस ईश्वर के हाथ में ही सब कुछ है – – वयं विश्वतो जनेभ्यः सर्वगुणैरुत्कृष्टमिन्द्रं परमेश्वरं परि हवामहे, स एव वो युष्माकमस्माकं च केवलः पूज्य इष्टोऽस्तु।”अर्थात जो हम सभी लोगों से श्रेष्ठ है, इंद्र, परमेश्वर, हम उसकी स्तुति करते हैं, वह आपके लिए भी, हमारे लिए भी, केवल पूजनीय और इष्ट है।मॉरिशस में अरुलबुध्दन का स्वामी शाश्वत जी से मिलना और नीदरलैंड की रिशेल के साथ हिमालय की यात्रा का कार्यक्रम बन जाना इत्तफ़ाक नहीं है यह किसी प्रारब्ध का संदेशा था ऐसा प्रतीत हो रहा था। लगा कि स्वामी जी ने अरुल के मन की बात पढ़ ली और इतनी भीड़ में भी उसे ही अपने आश्रम में बुलाया और उसको भारत की आध्यात्मिक जानकारी के निमित्त बने। अरुल के लिए यह सब एक स्वप्न जैसा था ।स्वामी जी भी मानो किसी के आदेश का पालन कर रहे हों।
भारत के संतों की महिमा अपरंपार है उनकी तपस्या हजारों वर्षों से लगातार चलती आ रही है। इस उपन्यास में स्वामी जी की कही ये पंक्तियाँ बहुत ही महत्वपूर्ण है, “बस इतना हमेशा स्मरण रहे कि जीव ब्रह्म से अलग नहीं, किसी को कष्ट न पहुंचाओगे आगे आध्यात्मिक शक्तियाँ स्वयं तुम्हारा मार्ग प्रशस्त कर देंगी।” (अमरत्व, पृ. 57)
उपन्यास में प्रेम भी है, प्रेम का अधिकार भी है, ईर्ष्या भी है लेकिन नायक कभी भी अपने लक्ष्य से भटकता नहीं है ।नायक अरुल नीदरलैंड की रिशेल महिला सहयात्री के प्रति सदैव मर्यादा में रहा और सनातन धर्म को गहराई से समझना चाहता है ।विदेशी डेविड भी अरुल की यात्रा को आगे बढ़ाने में सहायक बनता है।
सनातन धर्म और संस्कृति के अनेक चरित्रों, भारतीय वांग्मय, ऋषि मुनियों के शाप और वरदानों की कथाएँ इस उपन्यास का केंद्र बिंदु है। धर्म के मिथकों के विषय में जानकारी दी,माया कहाँ से आई क्या देवताओं की साजिश थी, महाभारत क्या सचमुच धर्मयुद्ध था?, जैन बौद्ध धर्म का आना कहीं ब्राह्मणों के धर्म के वर्चस्व को तोड़ना तो नहीं था, तंत्र मंत्र और आडंबरों का प्रादुर्भाव क्यों हुआ आदि प्रश्नों को उपन्यास में उठाया गया है जो एक सुधि पाठक के मन मस्तिष्क में जिज्ञासा उत्पन्न करते हैं ।
उपन्यास के शीर्षक भी रहस्य, अध्यात्म और उत्सुकता को जगाते हैं। अरुल अन्नू रिशेल सुन्दर सुभूमि, हरिद्वार, हाथी, हिमालय, गुफा, देव प्रयाग, स्विट्जरलैंड, केदारनाथ,नर नारायण, नर्मदा, खर्जुवार्हिका, सरभंगा, चित्रकूट, विदाई, कौन थे वे? आदि बीस अध्याय में उपन्यास की भारत यात्रा का कथानक और सूत्र जुड़े हैं। नायक अरुल विचित्र गुफाओं आदि में जाता है जहाॅं कई संत या ऋषि हजारों वर्षों से विचरण कर रहे हैं ।उनका उद्देश्य अरुल को कष्ट में मदद करना और उसके प्राणों की रक्षा करना था। अरुल कौन है यह भी रहस्य की रचना करता है।
इस पृथ्वी पर अश्वत्थामा, बलि, व्यास, हनुमान, विभीषण, कृपाचार्य और परशुराम अभी भी जीवित घूम रहे हैं जो रोमांचित करने वाले विश्वास की सृष्टि करते हैं ।
उपन्यास की भाषा सहज होने के साथ साथ शुद्ध हिंदी, संस्कृत, अंग्रेजी आदि का यथोचित प्रयोग मिलता है। मूर्तिकार वंदना सिंह द्वारा बनाया गया इसका आवरण चित्र बहुत ही आकर्षक और अर्थपूर्ण है जो विषय को स्पष्ट कर रहा है ।उपन्यास पठनीय और रुचिकर है ।उपन्यास के लेखक राघवेश अस्थाना जी ने अपनी भूमिका में स्पष्ट स्वीकार किया है कि यह उपन्यास लेखक के बीस वर्षों के अनुभवों का निचोड़ है।
—डॉ वसुंधरा मिश्र
अंशकालिक हिंदी प्राध्यापिका
भवानीपुर एडुकेशन सोसाइटी कॉलेज, 5,लाला लाजपत राय सरणी, कोलकाता – 700020
मो. 9874977382, ई-मेल – [email protected]

इसलिए अक्षय तृतीया पर ही क्यों शुरू होती है चारधाम यात्रा

चार धामों की पवित्र तीर्थ यात्रा 30 अप्रैल यानी अक्षय तृतीया से शुरू होने वाली है। अक्षय तृतीया के दिन यमुनोत्री, गंगोत्री के कपाट खुल जाते हैं। इस साल अक्षय तृतीया 30 अप्रैल को है। लेकिन क्या आपको पता है कि अक्षय का अर्थ क्या है और इसी दिन से चारधाम यात्रा की शुरुआत क्यों होती है? आइए अक्षय तृतीय के आध्यात्मिक महत्व के बारे में भी जानते हैं। सनातन धर्म में अक्षय तृतीया को युगादि पर्व कहा जाता है। बैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि, जिसे अक्षय तृतीया के नाम से जाना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन दान, जप, तप और पूजा करने से अक्षय पुण्य फल मिलता है। इस दिन किसी भी कार्य की शुरुआत करने को भी अति शुभ माना जाता है। इस तिथि पर कोई भी काम करने से सफल माना जाता है।

अक्षय के अर्थ पर बात करें तो सरल शब्दों में कह सकते हैं, जिसका क्षय न हो। इसलिए इस दिन लोग कभी क्षय न होने वाली धातु सोना को बढ़-चढ़कर खरीदते हैं। कहते हैं कि अक्षय तृतीया के दिन स्वर्ण की खरीदारी करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों को संपन्नता और वैभव का आशीर्वाद देती हैं। भविष्य पुराण, नारद पुराण से लेकर कई पवित्र ग्रंथों में अक्षय तृतीया का उल्लेख मिलता है।

अक्षय तृतीया को स्वयं सिद्ध मुहूर्त माना जाता है और इस दिन किसी भी काम की शुरुआत बहुत शुभ होती है। इसलिए इन दिन चारधाम यात्रा की शुरुआत भी होती है। अक्षय तृतीया के दिन यमुनोत्री और गंगोत्री के कपाट खुल जाते हैं। हिंदू धर्म में चार धाम यात्रा का विशेष महत्व है। चार धाम यात्रा की शुरुआत यमुनोत्री से होती है। इसके पीछे धार्मिक कारण हैं। चार धाम यात्रा का क्रम यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ है।

यमुनोत्री और गंगोत्री के बाद दो मई को केदारनाथ और चार मई को बद्रीनाथ धाम के कपाट भी खुल जाते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार,, यमुनोत्री से यात्रा शुरू करने पर चारधाम यात्रा में किसी भी प्रकार की रुकावट भक्तों को नहीं आती है। यमुनोत्री, यमुना नदी का उद्गम स्थल है। यमुना जी यमराज की बहन हैं और उन्हें वरदान प्राप्त है कि वह अपने जल के माध्यम से सभी का दुख दूर करेंगी। मान्यता है कि जो श्रद्धालु यमुनोत्री में स्नान करता है, उसे मृत्यु के भय से मुक्ति मिल जाती है। इसी वजह से भक्त चारधाम यात्रा की शुरुआत यमुनोत्री से करते हैं। चार धाम यात्रा का धार्मिक के साथ ही भौगोलिक महत्व भी है। चार धामों में यमुनोत्री पश्चिम दिशा में स्थित है। यात्रा पश्चिम से पूरब की ओर होती है। ऐसे में यह दिशा यात्रा के लिए उत्तम मानी जाती है, इससे यात्रा न केवल आसान बल्कि सुविधाजनक भी बन जाती है।

अब बात करते हैं अक्षय तृतीया 2025 के शुभ मुहूर्त की। तो दृक पंचांगानुसार तृतीया तिथि 29 अप्रैल को शाम 05:32 मिनट पर प्रारंभ होगी और 30 अप्रैल को दोपहर 02:12 बजे पर समाप्त होगी। इस दिन पूजन का शुभ मुहूर्त सुबह 05 बजकर 41 मिनट से दोपहर 12 बजकर 18 मिनट तक रहेगा। शुभ मुहूर्त की कुल अवधि 06 घंटे 37 मिनट की है। पूजन के साथ गृह प्रवेश का भी समय सर्वोत्तम है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अक्षय तृतीया पर सोना-चांदी न ले सकें तो सुख-समृद्धि के लिए मिट्टी का बर्तन, कौड़ी, पीली सरसों, हल्दी की गांठ, रूई खरीदना बेहद शुभ रहेगा। अक्षय तृतीया के दिन दही, चावल, दूध, खीर आदि के दान का भी काफी महत्व होता है।

औषधीय गुणों से युक्त, महिलाओं के लिए विशेष है सीता का शोक हरने वाला ‘अशोक’,

“तरु अशोक मम करहूं अशोका…” माता सीता कहती हैं “अशोक वृक्ष ने मेरी विरह वेदना को दूर किया, इसलिए मैं इसका सम्मान करती हूं।” माता सीता की विरह वेदना को दूर करने वाले अशोक के वृक्ष के पास महिलाओं की हर समस्या का समाधान है। अशोक की पत्तियों, छाल से कई बीमारियों का इलाज किया जाता है।
आयुर्वेदाचार्य बताते हैं कि इस वृक्ष के पास महिलाओं की हर समस्या का हल है। धर्म शास्त्रों में भी अशोक वृक्ष को विशेष महत्व दिया जाता है। मान्यता है कि पवित्र वृक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव से हुई थी। वृक्ष की चैत्र महीने की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को पूजा की जाती है। मान्यता है कि अशोक अष्टमी के दिन पूजा करने से न केवल सुख-शांति की प्राप्ति होती है, बल्कि रोग-शोक भी दूर होते हैं।
ये तो था पौराणिक महत्व, इसके औषधीय गुणों से आयुर्वेदाचार्य और पंजाब स्थित ‘बाबे के आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल’ के डॉ. प्रमोद आनंद तिवारी ने रूबरू कराया।
उन्होंने बताया, “अशोक के वृक्ष का आयुर्वेदिक महत्व है। इसे महिलाओं का दोस्त कहें तो ज्यादा नहीं होगा। इसका इस्तेमाल स्त्री रोग और मासिक धर्म की समस्याओं जैसे- भारीपन, ऐंठन, अनियमितता और दर्द को कम करने में भी सहायक है।”
आयुर्वेदाचार्य ने बताया कि समस्याओं से राहत पाने के लिए इसे भोजन के बाद दिन में दो बार गर्म पानी या शहद के साथ चूर्ण के साथ ले सकते हैं। अशोक की छाल खून साफ करती है, जिससे महिलाओं की त्वचा में निखार आती है। अशोक की छाल को चेहरे पर लगाने से डेड स्किन से छुटकारा मिलता है।
रिसर्च बताती है कि अशोक की छाल पीरियड्स में होने वाले तेज दर्द और ऐंठन, सूजन को कम कर देती है। यह बढ़े हुए वात को नियंत्रित करती है। अशोक के सेवन से वात की समस्या खत्म होती है। इससे पाचन तंत्र भी मजबूत होता है, जिससे कब्ज, वात, ऐंठन, दर्द में राहत मिलती है।
अशोक के पेड़ में कई प्रकार के पौष्टिक तत्व पाए जाते हैं, जो हमारी विभिन्न रोगों से रक्षा करने में सहायक होते हैं। इसमें प्रचुर मात्रा में ग्लाइकोसाइड्स, टैनिन, फ्लेवोनोइड्स तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर के लिए टॉनिक के रूप में काम करते हैं। अशोक के पेड़ की जड़ें और छाल मुहासे और त्वचा संबंधित समस्याओं को दूर करने में सहायक हैं।
आयुर्वेदाचार्य प्रेग्नेंसी के दौरान और उच्च रक्तचाप की समस्या से ग्रसित लोगों को इसके इस्तेमाल में सावधानी बरतने और बिना डॉक्टर के परामर्श के इस्तेमाल न करने की सलाह देते हैं।

भारत में एंटरप्राइस जॉब के लिए महिलाओं के आवेदन 92 प्रतिशत बढ़े : रिपोर्ट

नयी दिल्ली। भारत में कामकाजी महिलाओं की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। सोमवार को जारी हुई नई रिपोर्ट के मुताबिक, एंटरप्राइस जॉब के लिए महिलाओं के आवेदनों की संख्या में 92 प्रतिशत का इजाफा हुआ है।
जॉब्स और प्रोफेशनल नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म अपना द्वारा जारी की गई रिपोर्ट में बताया गया कि इस साल की पहली तिमाही में रिकॉर्ड तोड़ 1.81 करोड़ जॉब एप्लीकेशन मिले हैं जो पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत अधिक है। यह भारत के बढ़ते आर्थिक आशावाद और सभी क्षेत्रों में डिजिटल हायरिंग बूम को दर्शाता है।

रिपोर्ट में बताया गया कि जॉब मार्केट में महिलाओं की भागीदारी में तेजी से इजाफा हो रहा है और जनवरी से मार्च की अवधि में महिलाओं के जॉब एप्लीकेशन की संख्या 62 लाख रही। इसमें सालाना आधार पर 23 प्रतिशत का उछाल दर्ज किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, चंडीगढ़, इंदौर और जमशेदपुर जैसे टियर 2 और 3 शहरों में सबसे अधिक वृद्धि देखी जा रही है। इसकी वजह काम करने के लचीले विकल्प होना है। इन शहरों में बीपीओ, फाइनेंस और एचआर जैसे सेक्टरों में अच्छे अवसर हैं। फ्रैशर्स के लिए भी भारत में रोजगार के अवसर बढ़ रहे हैं। इस दौरान फ्रैशर्स की ओर से करीब 66 लाख जॉब एप्लीकेशन आए। इसमें सालाना आधार पर 46 प्रतिशत की बढ़त हुई।

इसके अलावा, जॉब प्लेटफॉर्म पर 3.1 लाख जॉब पोस्टिंग देखी गईं, जो 2024 की पहली तिमाही से 26 प्रतिशत अधिक है। एसएमबी ने सबसे आगे रहते हुए 2.1 लाख से अधिक जॉब पोस्ट कीं, जिनमें 28,547 नौकरियां विशेष रूप से महिलाओं के लिए थीं। अपना के संस्थापक और सीईओ निर्मित पारिख ने कहा, “हम देख रहे हैं कि लोग न केवल कोई भी नौकरी पा रहे हैं, बल्कि सही नौकरी प्राप्त कर रहे हैं। सिर्फ एक तिमाही में अपना पर 1.81 करोड़ से ज्यादा नौकरी के आवेदन दर्ज किए गए। टियर 1 मेट्रो से लेकर सबसे दूरदराज के टियर 3 शहरों तक, भारत सिर्फ काम नहीं कर रहा है, बल्कि भारत जीत रहा है।” रिपोर्ट के मुताबिक, भारत का डिजिटल परिवर्तन गति पकड़ रहा है, विशेष रूप से टियर 2 शहरों में, जहां एडवांस टेक टैलेंट की मांग बढ़ रही है।

ऑनलाइन बिजनेस को सफल बनाने के लिए फॉलो करें ये तरीके

डिजिटल जमाने में सोशल मीडिया का इस्तेमाल सिर्फ चिट-चैट के लिए नहीं बल्कि अन्य तमाम कामों के लिए भी हो रहा है। ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचने के लिए लोग ऑनलाइन बिजनेस का सहारा ले रहे हैं। क्योंकि इसमें निवेश और जोखिम अधिक नहीं होता है। अगर आप भी घर बैठे अपनी स्किल्स और क्रिएटिविटी का इस्तेमाल करके पैसा कमाना चाहते हैं, तो आप भी ऑनलाइन बिजनेस शुरूकर सकते हैं। आज के समय में ऑनलाइन बिजनेस करना बहुत आसान है। वहीं ऑनलाइन बिजनेस को अधिक लोगों तक पहुंचाने के लिए सही प्लानिंग और स्ट्रेटजी की जरूरत होती है। वहीं सक्सेस पाने के लिए आप सही बिजनेस आइडिया चुनने से लेकर सोशल मीडिया के सही इस्तेमाल तक की जरूरत होती है। ऐसे में अगर आप भी ऑनलाइन बिजनेस शुरू करना चाहते हैं, तो यह आर्टिकल आपके लिए है। ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको ऑनलाइन बिजनेस शुरू करने के कुछ टिप्स के बारे में बताने जा रहे हैं-

ऑनलाइन बिजनेस शुरू करने के टिप्स – सबसे पहले आप एक ऐसा बिजनेस चुनें, जो आपके इंट्रेस्ट और स्किल्स के साथ मार्केट की डिमांड से मेल खाता हो। क्योंकि बिना इंट्रेस्ट और स्किल्स के आप लंबे समय तक बिजनेस को नहीं चला सकेंगे। वहीं अगर बिजनेस आइडिया मार्केट की डिमांड से मेल नहीं खाता होगा। तो आपको नुकसान हो सकता है।

फील्ड रिसर्च – किसी भी बिजनेस को शुरू करने से पहले आपको मार्केट की रिसर्च जरूर करना चाहिए। ऐसे इसलिए जरूरी होता है, जिससे आपको मार्केट की डिमांड और उसमें किस तरह से प्रोडक्ट फिट होगा, इस बारे में जानकारी मिलती है।

बिजनेस प्लान – बिजनेस शुरू करने से पहले उसकी प्लानिंग करना जरूरी होता है। इससे आपको अपनी काबिलियत के साथ-साथ प्रॉफिट, मार्केटिंग स्ट्रेटेजी और टारगेट ऑडियंस पर फोकस करें।

बिजनेस रजिस्टर करें – बिजनेस की प्लानिंग के बाद आपको बिजनेस का रजिस्ट्रेशन जरूर कराएं। इसके लिए सबसे पहले बिजनेस स्ट्रक्चर बनाएं और जरूरी लाइसेंस के लिए अप्लाई करें।

ऑनलाइन प्लेटफॉर्म – शॉपिंग प्लेटफॉर्म पर अपना डालने के साथ ही आप खुद का भी ऑनलाइन पेज क्रिएट करें। आप यूजर फ्रेंडली वेबसाइट बनाने के साथ शॉपिफाई और वर्डप्रेस का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।

सेट करें पेमेंट गेटवे – ऑनलाइन प्लेटफॉर्म बनाने के बाद आपको पेमेंट गेटवे सेट करें। इससे पेमेंट आपके अकाउंट में आ जाएगी। आप फोन पे, पेटीएम और पेटीएम जैसे पेमेंट प्रोवाइडर्स के साथ भी पार्टनरशिप कर सकते हैं।

डिजिटल मार्केटिंग – जब तक आप प्रोडक्ट की मार्केटिंग नहीं करेंगे, तब तक आपका प्रोडक्ट बिकेगा नहीं। क्योंकि आज का समय टेक्नोलॉजी का है, इसलिए मार्केटिंग के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से अच्छा ऑप्शन कुछ नहीं है। इसलिए आप अपने प्रोडक्ट की मार्केटिंग करने के लिए फेसबुक, ईमेल मार्केटिंग, सोशल मीडिया, डिजिटल मार्केटिंग और इन्फ्लुएंसर्स के कैंपेन की भी सहायता ले सकते हैं।

कस्टमर सपोर्ट – आपको सिर्फ अपना प्रोडक्ट बेचना नहीं है, बल्कि कस्टमर को बांधकर भी रखना होता है। इसलिए आफ्टर सेल सर्विस जरूरी है। इसके लिए आपको कस्टमर सपोर्ट तैयार करना होगा और 24/7 सपोर्ट करने वाले ईमेल, चैटबोट और टोल फ्री नंबर जनरेट करें।

लगातार सीखते रहें और अपडेट रहें – बता दें कि आज के समय हर दिन टेक्नोलॉजी बदल रही है और ऑनलाइन बिजनेस की दुनिया भी लगातार बदल रही है। इसलिए बिजनेस शुरू करके हर दिन नई चीजें सीखने का प्रयास करें। साथ ही आप प्रोडक्ट क्वालिटी मेंटेन, कस्टमर बिहेवियर और मार्केटिंग ट्रेंड्स को बेहतर बनाने के लिए काम करते रहें।