Friday, December 19, 2025
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केंद्र सरकार ने लॉन्च किया नया आधार ऐप

नयी दिल्ली । डिजिटल सुविधा और गोपनीयता की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए केंद्र सरकार ने एक नया आधार ऐप लॉन्च किया। यह ऐप उपयोगकर्ताओं को अपने आधार विवरण को डिजिटल रूप से सत्यापित और साझा करने की सुविधा देगा। इससे आधार कार्ड ले जाने या फोटोकॉपी जमा करने की आवश्यकता खत्म हो जाएगी। केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस ऐप को आधिकारिक तौर पर राष्ट्रीय राजधानी में लॉन्च किया। डिजिटल नवाचार के महत्व पर प्रकाश डालते हुए, केंद्रीय मंत्री ने ऐप को आधार सत्यापन को आसान, तेज और अधिक सुरक्षित बनाने के लिए एक कदम बताया। अश्विनी वैष्णव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किए गए एक वीडियो संदेश में कहा, “नया आधार ऐप, मोबाइल ऐप के जरिए फेस आईडी प्रमाणीकरण। कोई भौतिक कार्ड नहीं, कोई फोटोकॉपी नहीं।”

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि ऐप उपयोगकर्ताओं को सुरक्षित डिजिटल माध्यमों से केवल आवश्यक डेटा साझा करने का अधिकार उनकी सहमत‍ि से देता है। उन्होंने कहा, “अब केवल एक टैप से, उपयोगकर्ता केवल आवश्यक डेटा साझा कर सकते हैं, जिससे उन्हें अपनी व्यक्तिगत जानकारी पर पूरा नियंत्रण मिलता है।”ऐप की एक खास विशेषता फेस आईडी प्रमाणीकरण है, जो सुरक्षा को बढ़ाता है और सत्यापन को सहज बनाता है। आधार सत्यापन अब केवल एक क्यूआर कोड को स्कैन करके किया जा सकता है, बिल्कुल यूपीआई भुगतान की तरह।केंद्रीय मंत्री ने एक्स पर लिखा, “आधार सत्यापन यूपीआई भुगतान करने जितना ही सरल हो गया है। उपयोगकर्ता अब अपनी गोपनीयता सुनिश्चित करते हुए अपने आधार विवरण को डिजिटल रूप से सत्यापित और साझा कर सकते हैं।” उन्होंने जोर देकर कहा, “होटल के रिसेप्शन, दुकानों या यात्रा के दौरान आधार की फोटोकॉपी सौंपने की कोई आवश्यकता नहीं है।” इस नई प्रणाली के साथ, लोगों को अब होटलों, दुकानों, हवाई अड्डों या किसी अन्य सत्यापन बिंदु पर अपने आधार कार्ड की मुद्रित प्रतियां सौंपने की आवश्यकता नहीं होगी। यह ऐप वर्तमान में अपने बीटा परीक्षण चरण में है। इसे मजबूत गोपनीयता सुरक्षा उपायों के साथ डिजाइन किया गया है।
यह सुनिश्चित करता है कि आधार विवरण में जालसाजी, संपादन या दुरुपयोग नहीं किया जा सकता है। जानकारी सुरक्षित रूप से और केवल उपयोगकर्ता की अनुमति से साझा की जाती है।आधार को कई सरकारी पहलों का “आधार” (नींव) बताते हुए, अश्विनी वैष्णव ने भारत के डिजिटल भविष्य को आकार देने में एआई और डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (डीपीआई) की भूमिका पर भी जोर दिया। उन्होंने हितधारकों को आगे के विकास को गति देने के लिए डीपीआई के साथ कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) को एकीकृत करने के तरीके सुझाने के लिए आमंत्रित किया, जबकि गोपनीयता को केंद्र में रखा गया।

आरबीआई ने जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान घटाकर किया 6.5 प्रतिशत

नयी दिल्ली । टैरिफ चुनौतियों के बीच भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने वित्त वर्ष 25-26 में जीडीपी वृद्धि की उम्मीद को 6.7% से संशोधित कर 6.5% कर दिया है। जी हां, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बुधवार को नीतिगत दरों की घोषणा के दौरान कहा कि भारत की वास्तविक जीडीपी को चालू वित्त वर्ष 2025-26 में 6.5 प्रतिशत की दर से संशोधित किया गया है, जबकि पहले यह 6.7 प्रतिशत रहने का अनुमान था। साथ ही गवर्नर ने इस बात पर रोशनी डाली कि सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (एमओएसपीआई) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार पिछले वित्त वर्ष 2024-25 में दर्ज 9.2 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि के बाद यह वृद्धि अनुमान लगाया गया है।उन्होंने कहा, “जैसा कि आप सभी जानते हैं, इस वर्ष एमओएसपीआई के आंकड़ों के अनुसार वास्तविक जीडीपी 6.5 प्रतिशत की दर से बढ़ने की उम्मीद है। यह पिछले वर्ष 2024-2025 में देखी गई 9.2 प्रतिशत की वृद्धि दर के अतिरिक्त है।” अर्थव्यवस्था के परिदृश्य पर बोलते हुए मल्होत्रा ने कहा कि इस साल कृषि क्षेत्र के बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है, क्योंकि जलाशयों का स्तर अच्छा है और फसल उत्पादन भी अच्छा है।  उन्होंने कहा कि विनिर्माण गतिविधि भी गति पकड़ रही है, और कारोबारी उम्मीदें सकारात्मक बनी हुई हैं। इस बीच, सेवा क्षेत्र में लचीलापन जारी है, जो आर्थिक विकास में लगातार योगदान दे रहा है। उन्होंने माना कि पिछले वित्त वर्ष की पहली छमाही में कमजोर प्रदर्शन के बाद विकास में सुधार हो रहा है, हालांकि यह अभी भी उस स्तर से नीचे है जिसे देश हासिल करना चाहता है। मांग पक्ष पर, गवर्नर ने कहा कि कृषि के लिए सकारात्मक परिदृश्य से ग्रामीण मांग को समर्थन मिलने की संभावना है, जो मजबूत बनी हुई है। विवेकाधीन खर्च में वृद्धि से शहरी खपत भी धीरे-धीरे बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि निवेश गतिविधि ने गति पकड़ी है और इसमें और सुधार होने की उम्मीद है। यह सुधार निरंतर और उच्च-क्षमता उपयोग, बुनियादी ढांचे पर निरंतर सरकारी खर्च, बैंकों और कॉरपोरेट्स की मजबूत बैलेंस शीट और आसान वित्तीय स्थितियों से प्रेरित है। उन्होंने यह भी कहा कि “निवेश गतिविधि में तेजी आई है और निरंतर, उच्च-क्षमता उपयोग, बुनियादी ढांचे के खर्च पर सरकार के निरंतर भरोसे, बैंकों और कॉरपोरेट्स की स्वस्थ बैलेंस शीट और वित्तीय स्थितियों में आसानी के कारण इसमें और सुधार होने की उम्मीद है।” हालांकि, आरबीआई गवर्नर मल्होत्रा ने आगाह किया कि वैश्विक अनिश्चितताओं के कारण व्यापारिक निर्यात पर दबाव पड़ सकता है। दूसरी ओर, सेवाओं के निर्यात में लचीलापन रहने और समग्र विकास गति को समर्थन मिलने की उम्मीद है

50 रुपये महंगा हो गया सिलिंडर

नयी दिल्ली । केंद्र सरकार ने घरेलू रसोई गैस (एलपीजी) सिलेंडर की कीमत में 50 रुपये की बढ़ोतरी का ऐलान किया है। यह नया दाम 8 अप्रैल से लागू होगा। यह बढ़ोतरी 14.2 किलो के सब्सिडी और नॉन-सब्सिडी दोनों तरह के सिलेंडरों पर लागू होगी, जिसमें प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के लाभार्थी भी शामिल हैं। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने बताया कि उज्ज्वला योजना के तहत सिलेंडर की कीमत अब 500 रुपये से बढ़कर 550 रुपये हो जाएगी। वहीं अन्य घरेलू उपभोक्ताओं को अब 803 रुपये की जगह 853 रुपये चुकाने होंगे। पुरी ने बताया कि एलपीजी की कीमतों की समीक्षा हर 2 से 3 हफ्ते में होती है, जो अंतरराष्ट्रीय बाजार की दरों पर निर्भर करती है। यह बढ़ोतरी ऐसे समय में आई है जब ठीक एक हफ्ते पहले 1 अप्रैल को 19 किलो के कमर्शियल एलपीजी सिलेंडर के दाम में 41 रुपये की कटौती की गई थी। अब दिल्ली में कमर्शियल सिलेंडर की कीमत 1,762 रुपये है।गौरतलब है कि भारत अपनी 60% एलपीजी जरूरतें आयात करता है, जिससे इसकी कीमतें वैश्विक बाजार पर काफी निर्भर करती हैं। जुलाई 2023 में एलपीजी की अंतरराष्ट्रीय कीमत 385 डॉलर प्रति मीट्रिक टन थी, जो फरवरी 2025 में 63% बढ़कर 629 डॉलर प्रति मीट्रिक टन हो गई। लोकसभा में पेश सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 1 मार्च 2025 तक प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत 10.33 करोड़ लाभार्थी पंजीकृत हैं। वहीं देश में कुल घरेलू एलपीजी उपभोक्ताओं की संख्या 32.94 करोड़ है। गौरतलब है कि अगस्त 2024 के बाद से घरेलू एलपीजी सिलेंडर की कीमतों में पहली बार बढ़ोतरी हुई है।

14 की उम्र में शादी, 34 में तलाक… आज 13 बसों की मालकिन

नयी दिल्ली । नीता की कहानी एक ऐसी साहसी महिला की है, जिन्‍होंने भाग्य के आगे हार मानने से इनकार कर दिया। उन्‍होंने अपनी तकदीर खुद लिखने का फैसला किया। 14 साल की उम्र में शादी, 15 साल की उम्र में मां, फिर 34 साल की उम्र में तलाक के बाद नीता आज 13 बसों वाली कंपनी ‘श्री नीता ट्रैवल्स’ की मालकिन हैं। उन्होंने समाज के तानों और मुश्किलों का सामना करते हुए यह मुकाम हासिल किया है। आइए, यहां नीता की सफलता के सफर के बारे में जानते हैं।अक्सर समाज में शादी को महिलाओं का अंतिम लक्ष्य माना जाता है। लेकिन, कई महिलाओं के लिए यह बंधन बन जाता है। वे चुपचाप दुख सहती हैं। हिंसा झेलती हैं। समाज के डर से दबी रहती हैं। दुख की बात है कि इस बंधन को तोड़ना आसान नहीं होता। सामाजिक बदनामी का डर, आर्थिक असुरक्षा और बच्चों के भविष्य की चिंता के कारण कई महिलाएं असफल और दर्दनाक रिश्तों में बंधी रहती हैं। हालांकि, कुछ महिलाएं हिम्मत जुटाती हैं। इन परिस्थितियों से बाहर निकलकर अपने लिए एक नया रास्ता बनाती हैं।
नीता की कहानी ऐसी ही एक महिला की है। वह महाराष्‍ट्र की रहने वाली हैं। उनकी शादी सिर्फ 14 साल की उम्र में हो गई थी। 15 साल की उम्र तक वह मां बन गई थीं। उनकी जिंदगी संघर्षों से भरी थी। अपने तीन बच्चों के लिए उन्होंने सालों तक एक हिंसक रिश्ता सहा। हर बार जब उनके पति ताना मारते थे तो नीता के अंदर एक आग जल उठती थी। यह आग उन्हें खुद को साबित करने की प्रेरणा देती थी। इसी प्रेरणा ने उन्हें अपना रास्ता चुनने के लिए प्रोत्साहित किया। नीता ने विपरीत परिस्थितियों में भी हार नहीं मानी। उन्होंने अपने स्कूटर चलाने के कौशल को व्यवसाय में बदलने का फैसला किया। उन्होंने स्कूली बच्चों को लाना ले जाना शुरू कर दिया। हालांकि, सफलता की राह आसान नहीं थी। उद्योग में उनके पुरुष सहयोगियों ने उन्हें एक खतरे के रूप में देखा। उन्होंने उनके खिलाफ साजिश रची। पति को उनके खिलाफ उकसाया। जब पति ने कहा, ‘मैं तुम्हें जान से मार दूंगा’ तो नीता ने हिम्मत दिखाई और अपने तीन बच्चों के साथ उस जीवन से नाता तोड़ने का फैसला किया। तब उनकी उम्र 34 साल की थी। इसके बाद उन्होंने पढ़ाई भी शुरू कर दी। अपने बच्चों के साथ खुद को शिक्षित किया। आठ साल बाद नीता की मेहनत रंग लाई। आज वह ‘श्री नीता ट्रैवल्स’ के तहत 13 बसों की मालकिन हैं। उनकी बेटियां आत्मनिर्भर हो गई हैं। उनका बेटा कनाडा में एक सफल जीवन जी रहा है।

बिहार का एक अनोखा आरोग्य मंदिर, जो बन गया है अस्पताल

-विपिन कुमार पाठक ने की थी इस मंदिर की स्थापना

-वैदिक चिकित्सा से इलाज

मुजफ्फरपुर । बिहार के मुजफ्फरपुर में एक अनोखा मंदिर है, जो वैदिक चिकित्सा के लिए प्रसिद्ध है। इस मंदिर का नाम आरोग्य मंदिर है। यहां बिना दवा के, सिर्फ नस के एक पॉइंट को दबाकर असाध्य रोगों का इलाज किया जाता है। लोग यहां दमा, कब्जियत, मधुमेह और कई अन्य बीमारियों से छुटकारा पा रहे हैं। यह मंदिर देश ही नहीं, दुनिया भर में अपनी पहचान बना चुका है। इसकी स्थापना विपिन कुमार पाठक ने की थी। उनका लक्ष्य था लोगों को स्वस्थ करना। आरोग्य मंदिर, मुजफ्फरपुर के अखाड़ाघाट में स्थित है। यह गायत्री मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। अब यह वैदिक चिकित्सा के कारण आरोग्य मंदिर के नाम से मशहूर हो गया है। यहां उत्तर प्रदेश, झारखंड, मुंबई, और कई अन्य राज्यों से लोग इलाज कराने आते हैं। नेपाल, श्रीलंका, ऑस्ट्रेलिया और जापान से भी लोग यहां गंभीर बीमारियों से मुक्ति पाने के लिए आते हैं। इस केंद्र में मरीजों को बिना दवा के बीमारियों से छुटकारा मिलता है। आरोग्य मंदिर में कई बीमारियों का इलाज किया जाता है। इनमें दमा, कब्जियत, मधुमेह, कोलाइटिस, अल्सर, अम्ल पित्त, ब्लड प्रेशर, अर्थराइटिस, एग्जिमा, थायराइड, मोटापा और एलर्जी जैसी बीमारियां शामिल हैं। तनाव, अनिद्रा, उच्च रक्तचाप, घबराहट, जोड़ों के दर्द और चर्म रोगों के इलाज में भी यहां सफलता मिलती है। यहां का प्राकृतिक वातावरण लोगों को रोगों से मुक्ति दिलाता है। इससे लोग बहुत खुश होते हैं और मंदिर की प्रशंसा करते हैं।
आरोग्य मंदिर की स्थापना विपिन कुमार पाठक ने की थी। उन्होंने बताया कि बचपन में उनके छोटे भाई और दादी की असाध्य रोग से मृत्यु हो गई थी। इसके बाद उन्होंने लोगों को स्वस्थ करने का संकल्प लिया। उन्होंने मेडिकल की तैयारी शुरू की, लेकिन आर्थिक समस्या के कारण एमबीबीएस में दाखिला नहीं ले पाए। विपिन पाठक ने कहा कि अंग्रेजी इलाज सिर्फ महंगा नहीं होता उसकी पढ़ाई भी काफी महंगी होती है जो एक आम इंसान की पहुंच से बाहर है। फिर उन्होंने महाराष्ट्र से न्यूरोथैरेपी की ट्रेनिंग ली। इसके बाद वे अपने घर में ही लोगों का इलाज करने लगे। शुरू में लोग उनका मजाक उड़ाते थे। लोगों को लगता था कि बिना दवा के सिर्फ हाथों से कोई ठीक नहीं हो सकता। लेकिन जब बीमार लोगों में सुधार होने लगा, तो आसपास के जिलों से भी लोग आने लगे। अब तो दूर-दूर से लोग यहां आते हैं। विपिन पाठक कहते हैं कि वैदिक चिकित्सा एक प्राचीन और पारंपरिक उपचार पद्धति है। इसमें शरीर, मन और आत्मा के संतुलन पर ध्यान दिया जाता है। यह प्राकृतिक और सुरक्षित उपचार पद्धति है। यह शरीर की प्राकृतिक उपचार क्षमता को बढ़ावा देती है। इससे विभिन्न प्रकार के रोगों के इलाज में रोगियों को लाभ मिलता है। विपिन पाठक के अनुसार, वैदिक चिकित्सा में शरीर को स्वस्थ रखने के लिए प्राकृतिक तरीकों का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें दवाइयों का उपयोग नहीं होता। बल्कि, शरीर की ऊर्जा को संतुलित करके रोगों को ठीक किया जाता है।

लागू हो गया नया वक्फ कानून, केंद्र ने जारी की अधिसूचना

नयी दिल्ली । वक्फ संशोधन अधिनियम पूरे देश में 8 अप्रैल से लागू हो गया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से इसकी अधिसूचना जारी कर दी गई है। इस अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई से पहले केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल किया है। इसमें कोर्ट से अनुरोध किया गया है कि कोई भी आदेश पारित करने से पहले केंद्र सरकार को भी सुना जाए। भारत सरकार के कानूनी दस्तावेजों में से एक, भारत का राजपत्र है। इसमें सरकार के सभी आदेश और सूचनाएं प्रकाशित होती हैं।केंद्र सरकार की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया है, ‘केंद्र सरकार, वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 (2025 का 14) की उप-धारा (2) की धारा 1 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, 8 अप्रैल, 2025 को वह तारीख नियुक्त करती है जिस दिन उक्त अधिनियम के प्रावधान लागू होंगे।’केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक कैविएट दाखिल किया है। कैविएट एक तरह की अर्जी होती है। इसे कोई भी पक्ष हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में दाखिल कर सकता है। इसका मकसद यह सुनिश्चित करना होता है कि कोई भी आदेश बिना उसे सुने पारित न किया जाए। केंद्र सरकार ने यह कैविएट वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं के खिलाफ दाखिल किया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 5 अप्रैल को वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 को मंजूरी दी थी। इस विधेयक को संसद के दोनों सदनों में बहस के बाद पारित किया गया था। राज्यसभा में 128 सदस्यों ने वक्फ विधेयक के पक्ष में और 95 सदस्यों ने विरोध में वोट दिया। वहीं लोकसभा में 288 सदस्यों ने इसे समर्थन दिया जबकि 232 ने विरोध में मतदान किया।

नहीं रहे ‘राई’ के राजा रामसहाय पांडे 

-कमर में मृदंग, पैरों में घुंघरू बांध जापान-फ्रांस तक को नचाया
सागर। बुंदेलखंड के प्रसिद्ध राई नर्तक रामसहाय पांडे का 97 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। उन्होंने राई नृत्य को 24 देशों में पहचान दिलाई। उनका निधन सागर के एक निजी अस्पताल में हुआ। वे लंबे समय से बीमार थे। उनके निधन पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने दुख जताया है। रामसहाय पांडे ने 12 साल की उम्र से ही राई नृत्य करना शुरू कर दिया था। उन्होंने इस नृत्य को दुनिया भर में पहचान दिलाई। उन्होंने 24 देशों में अपनी कला का प्रदर्शन किया। भारत सरकार ने उन्हें 2022 में पद्मश्री से सम्मानित किया था। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने उनके निधन पर दुख जताते हुए कहा कि यह मध्य प्रदेश के लिए एक बड़ी क्षति है। रामसहाय पांडे ने 12 साल की छोटी उम्र से ही राई नृत्य करना शुरू कर दिया था। बुंदेलखंड को पिछड़ा इलाका माना जाता था। इसलिए शुरुआत में इस नृत्य को ज्यादा पहचान नहीं मिली लेकिन रामसहाय पांडे ने हार नहीं मानी। उन्होंने अपनी मेहनत से राई नृत्य को पूरी दुनिया में पहुंचाया। उनका जन्म 11 मार्च 1933 को सागर जिले के मड़धार पठा गांव में हुआ था। बाद में वे कनेरादेव गांव में बस गए। यहीं से उन्होंने राई नृत्य की शुरुआत की। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए लिखा, ‘बुंदेलखंड के गौरव, लोकनृत्य राई को वैश्विक पहचान दिलाने वाले लोक कलाकार पद्मश्री श्री रामसहाय पांडे जी का निधन मध्यप्रदेश और कला जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। लोक कला एवं संस्कृति को समर्पित आपका सम्पूर्ण जीवन हमें सदैव प्रेरित करता रहेगा। परमपिता परमेश्वर से प्रार्थना है कि दिवंगत की पुण्यात्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान और परिजनों को यह गहन दुःख सहन करने की शक्ति दें।’ रामसहाय पांडे कद में छोटे थे, लेकिन राई नृत्य में उनका कोई मुकाबला नहीं था। जब वे कमर में मृदंग बांधकर नाचते थे, तो लोग हैरान रह जाते थे। उन्होंने जापान, हंगरी, फ्रांस, मॉरिसस जैसे कई बड़े देशों में राई नृत्य का प्रदर्शन किया। रामसहाय पांडे ब्राह्मण परिवार से थे। उनके परिवार में राई नृत्य को अच्छा नहीं माना जाता था। क्योंकि इसमें महिलाओं के साथ नाचना होता है। जब रामसहाय पांडे ने राई नृत्य किया, तो उन्हें समाज से बाहर कर दिया गया था। लेकिन जब उन्होंने इस लोकनृत्य को गांव से निकालकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंचाया, तो सभी ने उन्हें अपना लिया। सरकार ने भी उनकी कला को सराहा और उन्हें मध्य प्रदेश लोककला विभाग में जगह दी।रामसहाय पांडे जब 6 साल के थे, तभी उनके पिता का निधन हो गया था। उनकी मां अपने बच्चों को लेकर कनेरादेव गांव आ गईं। 6 साल बाद उनकी मां भी चल बसीं। उनका बचपन बहुत मुश्किलों में बीता था। राई नृत्य बुंदेलखंड का सबसे प्रसिद्ध नृत्य है। यह साल भर हर बड़े आयोजन में होता है। इसमें पुरुष और महिलाएं दोनों नाचते हैं। राई नृत्य करने वाली महिलाओं को बेड़नियां और पुरुषों को मृदंगधारी कहते हैं। महिलाएं पैरों में घुंघरू बांधकर और सज-धज कर मृदंग की थाप पर नाचती हैं। इस दौरान पुरुष और महिलाएं देशी स्वांग भी गाते हैं। बुंदेलखंड में शादी और बच्चों के जन्म पर राई नृत्य सबसे ज्यादा होता है।

पत्नी के गहने बेचकर बनाया था चलता-फिरता बिस्तर, सीज हो गयी

-सोशल मीडिया पर नवाब का वीडियो हुआ वायरल
-डेढ़ साल का लगा समय और सवा लाख किए खर्च

मुर्शिदाबाद । मुर्शिदाबाद में एक 27 साल के युवक ने कमाल कर दिया। नवाब शेख नाम के इस युवक ने एक चलता-फिरता बिस्तर बनाया है। यह बिस्तर गाड़ी की तरह चलता है। लेकिन, नवाब की खुशी ज्यादा दिन नहीं टिक पाई। डोमकल पुलिस ने उनकी गाड़ी को जब्त कर लिया है। पुलिस का कहना है कि नवाब ने मोटर व्हिकल्स एक्ट के नियमों का उल्लंघन किया है। अब नवाब पुलिसवालों के सामने गिड़गिड़ा रहे हैं क्योंकि उन्होंने अपना यह बेड ऑन व्हील अपनी पत्नी के गहने बेचकर बनवाया था। नवाब शेख पेशे से पूल कार ड्राइवर हैं। उन्होंने एक ऐसा बिस्तर बनाया है जो गाड़ी की तरह चल सकता है। इस अनोखे बिस्तर में 5×7 फीट का गद्दा, तकिए और चादरें हैं। बिस्तर के पास ही ड्राइवर के बैठने की जगह है। यहां स्टीयरिंग व्हील, रियर-व्यू मिरर और ब्रेक भी लगे हैं। यह ‘बिस्तर गाड़ी’ रानीनगर और डोमकल के बीच चल रही थी। इसे देखने के लिए लोगों की भीड़ जमा हो गई। इससे ट्रैफिक जाम होने लगा। नवाब के फेसबुक पेज पर इस गाड़ी के वीडियो को 2.4 करोड़ से ज्यादा बार देखा गया। बांग्लादेश के एक चैनल पर इसे 20 करोड़ बार देखा गया। नवाब ने बताया कि इस प्रोजेक्ट को पूरा करने में उन्हें 1.5 साल से ज्यादा का समय लगा। उन्होंने कहा कि मेरा बस एक सपना था कि मैं वायरल हो जाऊं। उन्होंने आगे कहा कि इस प्रोजेक्ट पर उन्होंने लगभग 2.15 लाख रुपये खर्च किए। एक स्थानीय वर्कशॉप से इंजन, स्टीयरिंग, फ्यूल टैंक और एक छोटी कार का बॉडी खरीदा। उन्होंने एक बढ़ई को लकड़ी का बिस्तर बनाने के लिए भी बुलाया था। नवाब महीने में सिर्फ 9,000 रुपये कमाते हैं। फिर भी उन्होंने अपनी पत्नी के गहने बेचकर इस प्रोजेक्ट के लिए पैसे जुटाए। ईद से एक हफ्ते पहले बिस्तर गाड़ी बनकर तैयार हो गई थी। नवाब ने ईद के दिन इसे पहली बार चलाया। पुलिस ने उनसे व्यस्त राजमार्ग पर गाड़ी चलाने से मना किया था, लेकिन उन्होंने पुलिस की बात नहीं मानी।

श्रीरामनवमी विशेष : देश का एक ऐसा बैंक, जहां राम नाम पर मिलता है ऋण

वाराणसी। शिव नगरी काशी का राम रमापति बैंक बताता है कि राम नाम से बड़ा धन कुछ नहीं है, तभी तो यहां पर लोन लेने के लिए अनगिनत लोग आते हैं और कहते हैं ‘पायो जी मैंने राम रतन धन पायो…’। 6 अप्रैल को रामनवमी है, इस अवसर पर आइए जानते हैं विश्वनाथ मंदिर के ठीक पीछे स्थित रामलला के राम बैंक से श्रद्धालु कैसे लोन लेते हैं, इसके क्या-क्या नियम हैं?
मोक्षनगरी स्थित राम बैंक में लाल रंग की पोटलियों में राम नाम भर-भरकर रखा है, जिसका पैसों से कोई लेना-देना नहीं है, यहां चलता है तो बस राम का नाम। जमा होता है पुण्य और लोन के रूप में मिलता है राम का नाम। हालांकि, लोन लेने और उसे चुकाने के भी सख्त नियम हैं। इनकी संख्या अरबों से ऊपर हो गई है। इस बैंक में बाकायदा कर्मचारी भी नियुक्त हैं, जो प्रक्रियाओं को पूरा करते हैं। लोन लेने के लिए फॉर्म भरा जाता है, जिसमें पूरे नियम लिखे गए हैं।

क्या आप राम बैंक की अनूठी अवधारणा से प्रभावित हैं? –राम रमापति बैंक के मैनेजर सुमित मेहरोत्रा ने राम बैंक की स्थापना से जुड़े किस्से को बयां किया। उन्होंने बताया कि राम बैंक की स्थापना हमारे परदादा छन्नू लाल जी ने की थी। वह साधु-संतों के साथ रहते थे और पूजा-पाठ में लगे रहते थे। उनकी मुलाकात हिमालय के एक बाबा से हुई थी और उन्होंने उनसे कहा था कि तुम्हारे हाथों जगत का कल्याण लिखा है। इसे प्रचार की जरूरत नहीं है। भक्त ही इसका प्रचार करेंगे। इस बैंक की स्थापना 90 साल पहले हुई थी। उन्होंने बताया कि राम रमापति बैंक में लोन कैसे मिलता है और इसके कायदे-कानून क्या हैं, इस पर भी रोशनी डाली। उन्होंने बताया कि राम रमापति बैंक से आप राम के नाम का कर्ज लेते हैं, तो कुछ नियमों का सख्ती के साथ पालन करना पड़ता है। यह लोन वास्तव में धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष चारों को साधने के लिए लिया जाता है। आपको एक बार में सवा लाख राम नाम का कर्ज दिया जाएगा, जब आपने अपने आपको रामलला के शरणागत मान लिया है और रामलला के आगे आकर आपने अपनी विशेष मनोकामना की पूर्ति के लिए राम नाम का अनुष्ठान किया है और यहां के बताए हुए नियमों को मंजूरी दी कि मैं इतने नियमों का पालन करूंगा।

इस पर उन्होंने बताया, लोन लेने से प्रतिदिन सुबह स्वच्छ होकर कम से कम पांच सौ राम नाम लिखना होगा। इसके साथ ही खान-पान के नियम का भी पालन करना होगा। आपको शुद्ध शाकाहारी भोजन करना होगा, जिसमें प्याज, लहसुन भी न हो और मांस, मछली, मदिरा, अंडे वगैरह कुछ भी न हो। उन्होंने आगे बताया कि यदि आप इन नियमों से सहमति जताते हैं, तो आपसे एक प्रार्थना पत्र भरवाया जाता है, जिसमें आपका नाम, पता, उम्र, समेत अन्य विवरण होते हैं। साथ ही एक कॉलम मनोरथ की भी होती है, जिसमें आपको बताना होता है कि आप किस मनोरथ के लिए लोन ले रहे हैं। सुमित मेहरोत्रा ने बताया कि राम नाम लिखने के लिए बैंक की ओर से कागज, कलम, स्याही फ्री में मिलती है। राम बैंक में लोन लेने के लिए केवल बनारस, देश से ही नहीं,बल्कि विदेश से भी लोग यहां आते हैं। श्रद्धा, भक्ति, विश्वास के साथ भगवान से अपनी प्रार्थना करते हैं और वह पूर्ण भी होती है। रामनवमी के अवसर पर राम लला के दर्शन के लिए लाखों की संख्या में लोग यहां आते हैं और फेरी लेते हैं, पूजा करते हैं। रामलला को मक्खन-मिश्री भोग लगाई जाती है और खिलौना भी चढ़ाया जाता है। रामलला के दर्शन के लिए श्रद्धालु रीता त्रिपाठी हमेशा पहुंचती रहती हैं। उन्होंने बताया कि मेरा पूरा बचपन भगवान के प्रांगण में ही गुजरा है। दरअसल, मेरे पिता जी दामोदर दास ओझा राम रमापति बैंक में मैनेजर और पुजारी थे और वह कार्यभार संभालते थे। भगवान के दर्शन करने और सच्चे मन से मनोकामना मांगने से वह जरूर पूरा होता है। राम बैंक विश्वनाथ मंदिर के ठीक पीछे त्रिपुरा भैरवी गली में स्थित है। यहां वाराणसी कैंट रेलवे स्टेशन से सीधे जाया जा सकता है। गोदौलिया से राम बैंक लगभग 300 मीटर दूर है।

(साभार – नवभारत टाइम्स)

रामनवमी से पहले अयोध्या में भगवान रामलला के ललाट पर हुआ ‘सूर्य तिलक’

90 सेकंड तक चला सफल ट्रायल
अयोध्या । राम नवमी 2025 की तैयारियां अयोध्या में जोर-शोर से चल रही हैं। पूरी अयोध्या को भव्यता से सजाया गया है। राम मंदिर में सुरक्षा के सभी इंतजाम पूरे कर लिए गए हैं। इस बीच, राम नवमी के पूर्व भगवान राम लला के ललाट पर भगवान सूर्य ने तिलक किया। सूर्य तिलक का ट्रायल शनिवार ठीक दोपहर 12:00 बजे किया गया और यह 90 सेकंड तक चला। इस ट्रायल में आईआईटी रुड़की और आईआईटी चेन्नई के एक्सपर्ट मौजूद रहे। अब 6 अप्रैल 2025 को राम नवमी के दिन ठीक 12:00 बजे भगवान सूर्य फिर से राम लला के ललाट पर तिलक करेंगे और यह ट्रायल सफल रहा है।
अयोध्या के रेंजआईजी, प्रवीण कुमार ने कहा कि राम नवमी पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु अयोध्या आते हैं। सुरक्षा, स्वास्थ्य और अन्य सुविधाएं पूरी की गई हैं। सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ड्रोन और सीसीटीवी कैमरों का इस्तेमाल किया जाएगा। साथ ही यातायात प्रबंधन भी किया गया है। बयान के अनुसार, राम कथा पार्क के पास आयोजित इन कार्यक्रमों में देश के प्रसिद्ध कलाकारों को आमंत्रित किया गया है। जिलाधिकारी चंद्र विजय सिंह ने कहा कि राम नवमी के दिन श्रद्धालुओं पर सरयू नदी के पवित्र जल की फुहार डाली जाएगी, जिसके लिए ड्रोन का उपयोग किया जाएगा।
जिलाधिकारी ने कहा कि इस पहल से न केवल धार्मिक भावनाओं का सम्मान होगा, बल्कि परंपरा और तकनीक का अद्भुत संगम भी देखने को मिलेगा। इस वर्ष राम नवमी के अवसर पर अयोध्या में दो लाख से अधिक दीप जलाए जाएंगे जो राम कथा पार्क के सामने, पक्का घाट और राम की पैड़ी पर प्रकाशमान होंगे।