Tuesday, April 22, 2025
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एचआईवी संक्रमण को शत प्रतिशत ठीक करने वाला ट्रायल सफल

केपटाउन । दुनिया भर के एचआइवी और एड्स पीड़ितों के लिए सबसे बड़ी राहत की खबर है। वैज्ञानिकों ने एचआइवी संक्रमण को ठीक करने वाले इंजेक्शन का सफल ट्रायल होने का दावा किया है। साल भर में इस इंजेक्शन की 2 डोज लेनी होगी। इसके बाद एड्स की भी छुट्टी हो जाएगी। बता दें कि दक्षिण अफ्रीका और युगांडा में व्यापक स्तर पर किये गए एक क्लिनिकल ​​​​परीक्षण से पता चला है कि नयी रोग-निरोधक दवा का साल में दो बार इंजेक्शन युवतियों को एचआइवी संक्रमण से पूरी सुरक्षा देता है।

परीक्षण में यह पता लगाने की कोशिश की गई कि क्या ‘लेनकापाविर’ का छह-छह महीने पर इंजेक्शन, दो अन्य दवाओं (रोज ली जाने वाली गोलियों) की तुलना में एचआइवी संक्रमण के खिलाफ बेहतर सुरक्षा प्रदान करेगा। सभी तीन दवाएं ‘प्री-एक्सपोजर प्रोफिलैक्सिस’ (रोग निरोधक) दवाएं हैं। अध्ययन के दक्षिण अफ़्रीकी भाग के प्रमुख अन्वेषक, चिकित्सक-वैज्ञानिक लिंडा-गेल बेकर ने बताया कि कि यह सफलता इतनी महत्वपूर्ण क्यों है और आगे क्या उम्मीद की जाए। लेनकापाविर और दो अन्य दवाओं की प्रभावकारिता का परीक्षण 5,000 प्रतिभागियों के साथ ‘उद्देश्य 1’ परीक्षण युगांडा में तीन स्थलों और दक्षिण अफ्रीका में 25 स्थलों पर किया गया।

5000 लोगों पर ट्रायल सफल

लेनकापाविर (लेन एलए) इंजेक्शन का 5 हजार लोगों पर सफल ट्रायल किया गया। लेनकापाविर एचआईवी कैप्सिड में प्रवेश करता है। कैप्सिड एक प्रोटीन शेल है जो एचआइवी की आनुवंशिक सामग्री और प्रतिकृति के लिए आवश्यक एंजाइमों की रक्षा करता है। इसे हर छह महीने में एक बार त्वचा में लगाया जाता है। पूर्वी और दक्षिणी अफ्रीका में, युवतियां एचआइवी संक्रमणों से सबसे ज्यादा पीड़ित होती हैं। कई सामाजिक और संरचनात्मक कारणों से, उन्हें दैनिक प्री-एक्सपोजर प्रोफिलैक्सिस व्यवस्था को बनाए रखना भी चुनौतीपूर्ण लगता है। परीक्षण के यादृच्छिक चरण के दौरान लेनकापाविर लगवाने वाली 2,134 महिलाओं में से कोई भी एचआइवी से संक्रमित नहीं हुई। इस इंजेक्शन की 100 प्रतिशत दक्षता साबित हुई। इन परीक्षणों का महत्व क्या है? यह सफलता बड़ी उम्मीद जगाती है कि लोगों को एचआइवी से बचाने के लिए हमारे पास एक सिद्ध, अत्यधिक प्रभावी रोकथाम का उपाय है।

एचआइवी को खत्म करने की जगी उम्मीद

इस ट्रायल के सफल होने से अब एचआइवी को खत्म करने की उम्मीद जाग उठी है। पिछले वर्ष वैश्विक स्तर पर 13 लाख नए एचआइवी संक्रमण के मामले आए थे। हालांकि, यह 2010 में देखे गए 20 लाख संक्रमण के मामलों से कम है। यह स्पष्ट है कि इस दर से हम एचआइवी के नए मामलों में कमी लाने के लक्ष्य को पूरा नहीं कर पाएंगे जो यूएनएड्स ने 2025 के लिए निर्धारित किया है (वैश्विक स्तर पर 5,00,000 से कम) या संभावित रूप से 2030 तक एड्स को समाप्त करने का लक्ष्य भी पूरा नहीं कर पाएंगे। प्री-एक्सपोजर प्रोफिलैक्सिस (पीईईपी) दवाएं रोकथाम का इकलौता उपाय नहीं है।

एचआइवी की स्वत: जांच, कंडोम तक पहुंच, यौन संचारित संक्रमणों के लिए जांच और उपचार और बच्चे पैदा करने योग्य महिलाओं के लिए गर्भनिरोधक दवाओं तक पहुंच के साथ-साथ पीईईपी प्रदान की जानी चाहिए। लेकिन इन विकल्पों के बावजूद, हम उस बिंदु तक नहीं पहुंचे हैं जहां हम नए संक्रमणों को रोकने में सक्षम हो सकें, खासकर युवा लोगों में।

साल में 2 इंजेक्शन से एचआइवी नहीं आएगा पास

युवाओं के लिए, रोजाना एक गोली लेने या कंडोम का उपयोग करने या संभोग के समय एक गोली लेने का निर्णय बहुत चुनौतीपूर्ण हो सकता है। एचआइवी वैज्ञानिकों और कार्यकर्ताओं को उम्मीद है कि युवाओं को यह पता चलेगा कि साल में केवल दो बार यह ‘रोकथाम निर्णय’ लेने से मुश्किलें कम हो सकती हैं। किसी युवती के लिए साल में सिर्फ दो बार एक इंजेक्शन लगवाना वह विकल्प है जो उसे एचआइवी से दूर रख सकता है।

 

 

क्या है शिवलिंग, कैसे हुई इसकी उत्पत्ति

भारत देश एक हिंदू धर्म प्रधान देश है. हालांकि, यहां पर अन्य कई प्रमुख धर्म भी हैं लेकिन हिंदू धर्म की मान्यता यहां पर ज्यादा है। हमारे हिंदू धर्म में हज़ारों करोड़ो देवी-देवता हैं, जिन्हें अलग-अलग क्षेत्रों के लोग अपने-अपने तरीके से पूजते हैं। मान्यता के अनुसार, इस संसार में कुल 33 करोड़ देवी-देवता हैं। लेकिन कुछ देवी-देवता ऐसे हैं जिनकी मुख्य रूप से पूजा होती है और उन्हीं में से एक हैं भगवान शिव। आज हम सभी लोग जिस शिवलिंग की पूजा करते हैं वो शिव का ही प्रतीक है। आमतौर पर शिवजी के भक्त सावन के महीने में या फिर शिवरात्रि के मौके पर शिवालयों में जाकर शिवलिंग पर दूध, जल, बेलपत्र तथा अन्य पूजा सामग्री चढ़ाकर भोलेनाथ की पूजा-अर्चना करते हैं।

शिवलिंग मतलब शिव भगवान, मगर कैसे? शिवलिंग का शिवजी से संबंध कैसे है? क्या है इसका मतलब? इसकी उत्पत्ति कैसे हुई और क्या मान्यता है? इन सब चीजों के बारे में बहुत कम ही लोगों को जानकारी होती है। ज़्यादातर लोगों को बस इतना ही पता रहता है कि शिवलिंग अर्थात भगबान शिव का प्रतीक। मगर आज हम आपको इसका असल मतलब बताएंगे। हम आपको बताएंगे कि आखिर शिवलिंग का अर्थ क्या है और कैसे इसे शिवजी का प्रतीक मानकर भगवान शंकर की पूजा की जाने लगी।

शिवलिंग, अगर इस शब्द का विच्छेद किया जाए तो अर्थ निकलता है ‘शिव का लिंग’। समान्यतः शिवलिंग एक गोलाकार मूर्ति तल पर खड़ा दिखाया जाता है, जिसे कई जगहों पर योनी की संज्ञा दी गयी है। कई लोग इसे गलत और अश्लील तथ्यों से जोड़ते हैं, मगर ऐसा कुछ भी नहीं है। ऐसी बातें करने वाले लोगों को इसका पूर्ण ज्ञान नहीं होता और वह आधा-अधूरा ज्ञान बांटकर अंधों में काना राजा बनने का प्रयास करते हैं और कई-कई बार तो बन भी जाते हैं। हालांकि, आपकी जानकारी के लिए बता दें कि शिवलिंग का उन तमाम तरह के अर्थों से कोई भी ताल्लुक नहीं है। यह शब्द सुनने में तो हिंदी जैसा लगता है, मगर इसका असल अर्थ संस्कृत में छिपा है। संस्कृत जो कि बहुत ही प्राचीन भाषा है उसमें लिंग का अर्थ ‘चिन्ह’ या ‘प्रतीक’ बताया गया है। जबकि जननेन्द्रिय को संस्कृत मे शिशिन कहा जाता है।

जानकारी के लिए बता दें कि स्कंदपुराण में आकाश को स्वयं लिंग की संज्ञा दी गयी है। आपको बता दें कि शिवलिंग का अर्थ है अनंत। अनंत अर्थात जिसका न कोई अंत है और न ही आरंभ। यदि ध्यान दिया जाये तो संपूर्ण ब्रह्मांड में दो ही चीजें व्याप्त हैं, पदार्थ और ऊर्जा। संसार की सभी वस्तु इन ही दोनों चीजों से बनी है। यहां तक कि हमारा शरीर भी पदार्थ का ही बना है, जबकि हमारी आत्मा ऊर्जा का प्रतीक है। शिवलिंग को अन्य कई नामों से भी जाना जाता है, जैसे प्रकाश स्तंभ, अग्नि स्तंभ, उर्जा स्तंभ, ब्रह्मांडीय स्तंभ आदि।

अगर सही-सही समझा जाये तो शिवलिंग का सीधा तात्पर्य यह है कि इस संसार में सिर्फ पुरुष का ही वर्चस्व नहीं है और न ही यह सृष्टि पुरुष से ही चल सकती है। पुरुष के साथ-साथ स्त्री का वर्चस्व भी उतना ही महत्वपूर्ण है और दोनों ही एक-दूसरे के समान तथा पूरक हैं। निश्चित रूप से यह इस संसार को समाज को स्त्री पुरुष के बीच समानता दिखाने का संदेश है। मगर कुछ लोग इस बात की गहराई तक पहुंचे बिना ही कई तरह की मन गढ़ंत बातें करने लगते हैं तथा आधे-अधूरे ज्ञान के साथ लोगों को भ्रमित करते हैं। वैसे इस बात से तो तकरीबन सभी बेहतर वाकिफ होंगे कि इस सृष्टि के रचयिता परमपिता ब्रह्मा जी हैं और भगवान विष्णु को सृष्टि का रक्षक कहा जाता है। बताया जाता है कि संसार में संतुलन पैदा करने के लिए ही शिवलिंग की उत्पत्ति हुई है।

(साभार – क्रिकेट अड्डा)

करामाती बंगाली बाबू, साइंस पढ़ी, मगर बनाई 2000 करोड़ की कूरियर कंपनी

कोलकाता । एक मध्यम वर्गीय परिवार में पैदा हुए शुभाशीष चक्रवर्ती की जीवनयात्रा किसी प्रेरणादायी कहानी से कम नहीं है। साइंस पढ़ने में रुचि थी. साइंस की पढ़ाई जारी रखने के लिए उन्होंने छोटी-मोटी नौकरी की। पढ़ाई और नौकरी का संतुलन बनाए रखने के लिए कठोर तपस्या की। इस तप से फल यह मिला कि वे कॉलेज से कैमिस्ट्री में गोल्ड मेडल लेकर निकले. कभी आर्थिक तंगी झेलने वाले इस बंगाली बाबू की जेब में आज 2,000 करोड़ रुपये की कंपनी है। कंपनी का नाम देश के हर कोने-नुक्कड़ पर तो है ही, विदेशों में भी झंडे झूल रहे हैं। शुभाशीष की दृढ़ संकल्प की कहानी यह संदेश देती है कि पूरी मेहनत (तप) की बदौलत कुछ भी किया जा सकता है। यदि 100 लोगों को केवल एक कूरियर कंपनी का नाम लेने को कहा जाए तो 90 लोगों की जुबान पर पहला नाम डीटीडीसी का ही आएगा. सुभाशीष चक्रबर्ती उसी डीटीडीसी (डीटीडीसी) के संस्थापक हैं। फिलहाल कंपनी में चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर के पद पर हैं। इनकी कूरियर कंपनी के माध्यम से आपने भी कई बार कूरियर भेजा होगा और आपके घर-ऑफिस तक डीटीडीसी ने कूरियर पहुंचाया भी होगा।

अब आपके मन में प्रश्न उठ सकता है कि कैमिस्ट्री में स्वर्ण पदक पाने वाला शख्स आखिर कूरियर के धंधे में कैसे चला गया? और चला भी गया तो कैसे हजारों करोड़ की वैल्यू वाली कंपनी खड़ी कर दी? सच तो यह है कि वे खुद भी नहीं जानते थे कि कूरियर का काम करेंगे शायद कभी सोचा भी नहीं था। एक इंटरव्यू में शुभाशीष चक्रवर्ती ने खुद कहा था- “उन दिनों में साफ था कि अच्छे नंबरों के साथ ग्रेजुएशन करने के बाद एक अदद नौकरी करनी है।”

शुभाशीष चक्रवर्ती कोलकाता के एक मध्यमवर्गीय परिवार में पैदा हुए। रामकृष्ण मिशन रेजिडेंशिल कॉलेज में केमिस्ट्री की पढ़ाई की। पढ़ाई के दौरान ही वे एक बड़ी इंश्योरेंस कंपनी पीयरलेस के साथ काम करने लगे। पीयरलेस पूर्वी भारत में तो अच्छा काम कर रही थी, मगर दक्षिण भारत में उसे कोई नहीं जानता था। सो, कंपनी ने 1981 में शुभाशीष को बैंगलोर भेजा और वहां पीयरलेस का इंश्योरेंस व्यवसाय स्थापित करने को कहा। वे गए और कुछ वर्षों तक इंश्योरेंस में काम करते रहे। मन में एक कसक थी कि अपना व्यवसाय किया जाए। इंश्योरेंस सेक्टर की जानकारी थी, मगर रुचि नहीं थी. कैमिकल्स के बारे में अच्छे से जानते थे, और रुचि भी खूब थी।

ऐसे में 6 साल बाद 1987 में उन्होंने इंश्योरेंस कंपनी को अलविदा कहकर केमिकल डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी शुरू की. केमिकल का बिजनेस चल सकता था, मगर चला नहीं। न चलने के पीछे का असली कारण बनी पोस्टल सर्विस. उन्हें कूरियर कंपनी के साथ डील करने में बहुत समस्या हुई। शुभाशीष ने पाया कि पोस्टल सर्विस और ग्राहकों के बीच में एक बहुत बड़ा गैप है। यहीं से पूरा गेम बदल गया। शुभाशीष ने केमिकल से नाता तोड़कर 26 जुलाई 1990 में डीटीडीसी नामक अपनी कूरियर कंपनी शुरू कर दी. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि डीटीडीसी का पूरा नाम डेस्क टू डेस्क कूरियर एंड कार्गो है.

शुरुआत में बड़े शहरों पर फोकस करने के बाद जल्दी ही शुभाशीष चक्रवर्ती को समझ आ गया कि कूरियर सर्विस की ज्यादा मांग छोटे शहरों में है. मैसूर, मैंगलोर, और हुबली के साथ-साथ केरल, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश के छोटे शहरों में ज्यादा जरूरत भी है। 1990 में 20,000 रुपये लगाकर शुरू किए गए व्यवसाय को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था। बैंक ने कर्ज देने से मना कर दिया था, क्योंकि वेंचर कैपिटल ही नहीं थी । शुभाशीष ने दिल पर पत्थर रखकर अपनी मां के गहने बेचकर व्यवसाय को चलाना जारी रखा परंतु वह भी कुछ ही महीनों चल सका। फिर से पैसे का संकट आ पड़ा। 1991 में शुभाशीष को एक ऐसा मंत्र सूझा, जिसने पूरी बाजी पलटकर रख दी। उन्होंने फ्रेंचाइजी मॉडल की शुरुआत की। क्षेत्रों को ज़ोन में बांटा गया। एक रीजनल ब्रांच 30 फ्रेंचाइजी संभालने लगी. कुछ ही समय बाद डीटीडीसी ने अपना सॉफ्टवेयर और कंप्यूटर सिस्टम भी फ्रेंचाइजीज़ पर उपबल्ध करवा दिया, ताकि ऑर्डर की रियल-टाइम ट्रैकिंग हो सके। यह एक ऐसी क्रांति थी, ग्राहक जिसकी जरूरत काफी समय से महसूस कर रहे थे। अब कूरियर भेजने वाला यह जान सकता था कि उसका पैकेट कहां तक पहुंचा है और कब वह सही हाथों तक पहुंच जाएगा। फ्रेंचाइजी आइडिया काम कर गया और गाड़ी अच्छे से चल पड़ी। दक्षिण भारत से व्यवसाय की शुरुआत करने वाली यह कंपनी फिलहाल 14,000 पिन कोड्स तक पहुंच रखती है। रिटेल ग्राहकों और बिजनेस दोनों के लिए डिलीवरी सेवाएं मुहैया कराने वाली कंपनी आपके घर से पिकअप कर सकती है और कहीं भी डिलीवरी दे सकती है। डीटीडीसी की वेबसाइट के मुताबिक, इसके नेटवर्क में 14,000 फिजिकल कस्टमर एक्सेस पॉइन्ट हैं. 96 फीसदी भारत के ही हैं. इसके अलावा इंटरनेशनल लेवल पर की उपस्थिति है. दुनिया के 220 डेस्टिनेशन ऐसे हैं, जहां पर डीटीडीसी की सेवाएं उपलब्ध हैं।

डीटीडीसी लगातार आगे बढ़ रही है। कंपनी के पास बड़े-बड़े क्लाइंट हैं, जिनमें विप्रो, इंफोसिस और टाटा ग्रुप की कंपनियां भी शुमार हैं। 2006 तक कंपनी की 3700 फ्रेंचाइजी हो गई थीं और रेवेन्यू 125 करोड़ रुपये थे. इसी समय इसे रिलायंस कैपिटल से 70 करोड़ रुपये का निवेश मिला और यह 180 करोड़ रुपये की कंपनी बन गई। 2010 आते-आते फ्रेंचाइजी की संख्या 5000 हो चुकी थी। इस समय कंपनी की सेल 450 करोड़ रुपये तक पहुंच गई। 2013 में डीटीडीसी ने निक्कोस लॉजिस्टिक्स में 70 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी। इसी साल कंपनी ने डॉटज़ोट की लॉन्चिंग की, जोकि ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए भारत का पहला डिलीवरी नेटवर्क बना। 2015 में हैदराबाद में ऑटोमेटिक लॉजिस्टिक हब बनाया गया।

2018 का आंकड़ा बताता है कि कंपनी हर साल 150 मिलियन से अधिक पैकेट शिप कर रही है और इसके फ्रेंचाइजी पार्टनर की संख्या 10,700 तक पहुंच गई। चूंकि और भी कंपनियां कूरियर डिलीवर करती हैं तो भी डीटीडीसी के पास लगभग 15 प्रतिशत का मार्केट शेयर है। फिलहाल, एक अनुमान है कि कंपनी का रेवेन्यू 2000 करोड़ के आसपास है। हालांकि इससे जुड़ा कोई आंकड़ा सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध नहीं है, मगर कुछ साल पहले एक बड़े मीडिया घराने ने इसके आईपीओ को लेकर एक खबर छापी थी। उस खबर में कहा गया था कि कंपनी 3,000 करोड़ रुपये का एक आईपीओ लाने वाली है। बता दें कि अभी तक कंपनी अपना आईपीओ नहीं लाई है।

लिटिल थेस्पियन का 24वां रंग अड्डा

कोलकाता । “रंग अड्डा का मुख्य उद्देश्य छात्रों को रंगमंच से जुड़ी बारीकियों को बताने के साथ-साथ रंगमंच से जुड़े विशिष्ट व्यक्ति, नाटककार, निर्देशक आदि के बारे में बताना भी है l स्कूल तथा कॉलेज में नाटक भी कहानी कि तरह ही पढ़ाया जाता रहा है l नाटक के प्रति रुचि पैदा करना भी रंग अड्डा का उद्देश्य है” कहती हैं वरिष्ठ रंगकर्मी और लिटिल थेस्पियन की निर्देशिका, संस्थापिका उमा झुंझुनवाला | गत  23 जून रविवार 2024, को सुजाता देवी विद्या मंदिर हाजरा के प्रांगण में लिटिल थेस्पियन का 24वां रंग अड्डा सम्पन्न हुआ l जून माह का रंग अड्डा भुवनेश्वर, मुद्राराक्षस, देवेन्द्र राज अंकुर, सुरेश भारद्वाज और विष्णु प्रभाकर पर केंद्रित था l विष्णु प्रभाकर के एकांकियों में लोकतान्त्रिक स्वर की अनुगूँज विषय पर आलेख पाठ सीमा शर्मा ने लिखा था जिसका पाठ उनकी  अनुपस्थिती में पार्वती कुमारी शॉ ने किया l मुद्राराक्षस के नाटक आला अफ़सर पर आलेख राधा  कुमारी ठाकुर ने प्रस्तुत किया l कहानी के रंगमंच की अवधारणा और देवेंद्र राज अंकुर पर आलेख पाठ सुधा गौड़ ने प्रस्तुत किया l सुरेश भारद्वाज पर एक साक्षात्कार पर संक्षिप्त चर्चा संगीता व्यास ने प्रस्तुत किया l भुवनेश्वर के नाटक ताम्बे का कीड़ा का अभिन्यात्मक पाठ संगीता व्यास, हीना परवेज, पार्वती कुमारी शॉ, राधा कुमारी ठाकुर, इंतखाब वॉरसी, दानिश वारिस खान, , मो. आसिफ़ अंसारी ने किया l 24वें रंग अड्डे का संचालन पार्वती कुमारी शॉ ने किया l अंत में उमा झुंझुनवाला ने घोषणा की 25 वा रंग अड्डा (सिल्वर जुबली) बड़ी धूम धाम से तथा बड़े पैमाने पर मनाया जायेगा जिसमें चर्चित नाटककार, निर्देशक तथा नाटक से जुड़े व्यक्तित्व को शामिल किया जायेगा तथा उनके द्वारा थिएटर कार्यशाला करवायी जायेगी, जिससे नाटक के प्रति प्रेम रखने वालों को लाभ होगा l  यह कार्यक्रम दिन भर चलेगा l इसमें एक पुस्तक भी आएगी जिसमें अभी तक के रंग अड्डे में प्रस्तुत आलेखों का संकलन होगा l

भवानीपुर कॉलेज ने चित्रगुप्त की अदालत में महाभारत के सत्रह पात्रों से की जिरह

कोलकाता । भवानीपुर एजूकेशन सोसाइटी कॉलेज ने महाभारत के पात्रों की अपनी अपनी त्रुटियों और उपलब्धियों को “चित्रगुप्त की अदालत” कार्यक्रम में बतौर हर पात्र को सामने रखकर व्यक्तिगत रूप से जिरह की । कर्ण, कुंती, द्रोपदी, युधिष्ठिर, भीम, द्रोणाचार्य, गांधारी, दुशासन, भीष्म, शकुनि, अश्वत्थामा, अभिमन्यु, बर्बरीक आदि सत्रह पात्रों में विद्यार्थियों ने अपने-अपने पात्र के रूप में निजी वक्तव्य रखे। भवानीपुर एजूकेशन सोसाइटी कॉलेज की कलेक्टिव टीम वॉक्स पॉपूली द्वारा आयोजित यह कॉलेज के छात्रों द्वारा आयोजित एक इंटरैक्टिव चर्चा रही जिसके माध्यम से महाभारत के महान पात्रों की अनंत यात्रा को देखने का अवसर है। कार्यक्रम “चित्रगुप्त की अदालत” इस कालजयी महाकाव्य के सांस्कृतिक प्रभाव की भावना का स्मरण और जश्न भी रहा ।कार्यक्रम का शुभारंभ डॉ वसुंधरा मिश्र ने रामधारी सिंह दिनकर जी की लंबी कविता ‘कृष्ण की चेतावनी’ की शानदार आवृत्ति की जिसने उपस्थित सभी शिक्षकों और 50 विद्यार्थियों में उत्साहवर्धन किया। ‘चित्रगुप्त की अदालत’ छात्र- छात्राओं द्वारा पात्रों के चित्रण के माध्यम से महाभारत के विशिष्ट पात्रों के अंतर्मन की एक झलक है। कसिस शॉ, राजनंदिनी गुप्ता, सुचेतन भद्र के संचालन और प्रो मीनाक्षी चतुर्वेदी के संयोजन में डीन अॉफिस के सहयोग से यह कार्यक्रम आयोजित किया गया। दिनांक बारह जून 2024 कॉन्सेप्ट हॉल में तीन घंटे तक चले इस कार्यक्रम के निर्णायक प्रसिद्ध साहित्य अध्येता परनब मुखर्जी रहे जिन्होंने हर पात्र को पहले प्रश्न दिए जैसे अर्जुन को बड़ा धनुर्धर माना जाता है,द्रोपदी उससे प्रेम करती थी, प्रश्न उठता है कि महाभारत में उसने द्रोपदी के साथ पांचों भाइयों के विवाह और चीर हरण के समय कोई प्रतिरोध क्यों नहीं किया, कर्ण जैसे पराक्रमी का वध भी छल से किया, एकलव्य उससे आगे न आए इस बात का भय था आदि कई प्रसंग है जो अर्जुन के सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर होने को प्रमाणित नहीं करते, सबसे बड़ा सत्य यह था कि वह कृष्ण की छत्रछाया में था। इसी तरह द्रोपदी का अग्नि से जन्म ही प्रतिशोध लेने के लिए हुआ था और गांधारी का ज्येष्ठ पुत्र राजा क्यों नहीं बना, युधिष्ठिर धर्मराज होते हुए भी द्युत खेलता है जिसे बुरा समझा जाता है और सत्य क्या है आदि प्रश्न उठाए गए जो आज भी प्रासंगिक हैं। डॉ वसुंधरा मिश्र ने बताया कि प्रत्येक पात्र को अपनी बात को प्रमाणित करने के लिए ढाई मिनट का समय दिया गया।
प्रो दिलीप शाह ने अपने स्वागत वक्तव्य में कहा कि महाभारत महाकाव्य हर काल और देश का प्रश्न, सांस्कृतिक, नैतिक मूल्यों और आदर्शों की विरासत है। प्रो शाह ने परनब मुखर्जी को उत्तरीय पहना कर सम्मानित किया। यह कार्यक्रम हिंदी, अंग्रेजी दोनों भाषाओं में किया गया। प्रो परनब ने अध्ययन को महत्वपूर्ण मानते हुए विद्यार्थियों को कहा कि महाभारत के साथ साथ भारतीय वांग्मय को अधिक से अधिक पढा़ जाना चाहिए।

भवानीपुर कॉलेज के विद्यार्थियों ने वाद विवाद प्रशिक्षण कार्यशाला 2024 

कोलकाता । कलकत्ता डिबेटिंग क्लब के सहयोग से भवानीपुर एजुकेशन सोसाइटी कॉलेज (सीडीसी) ने वाद विवाद प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन सोसाइटी हॉल में किया गया। इस कार्यक्रम में हार्वर्ड, कैम्ब्रिज, ऑक्सफोर्ड, येल और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के पेशेवर वाद-विवाद प्रशिक्षकों ने कार्यशाला की अध्यक्षता की और अपनी बहुमूल्य अंतर्दृष्टि साझा की।एमएस हीदर और मिस्टर जॉर्डन ने अन्य वाद-विवाद प्रशिक्षकों के साथ कार्यशाला का नेतृत्व किया और उनकी मदद की।
शॉन डोनान का मानना है कि एक वैज्ञानिक की तरह सोचें, एक कलाकार की तरह बोलें। बहस और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों की दुनिया में एक प्रसिद्ध व्यक्तित्व श्री शॉन डोनन ने एक हार्दिक और अभिभूत करने वाले वीडियो संदेश के माध्यम से दर्शकों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि बहस में केवल एक बात साबित करना शामिल नहीं है, इसमें विश्लेषण करना, पर्याप्त होना और दर्शकों को आश्वस्त करना भी शामिल है।  सत्ताईस जून 2024 को दोपहर 1:00 बजे से यह वाद-विवाद प्रशिक्षण अपराह्न 4:00 बजे तक चला। कार्यशाला के उत्तरार्ध में, सुश्री हीदर ने 18 प्रतिभागियों को 3 समूहों में विभाजित किया जिनमें से प्रत्येक समूह में 6 छात्र थे। एक समूह में बिल्कुल शुरुआती लोग शामिल थे जबकि अन्य दो में वे लोग शामिल थे जिनके पास बहस करने का पूर्व अनुभव था। 90 मिनट का ब्रेक-आउट सत्र छात्रों को “ऑक्सफ़ोर्ड डिबेट प्रारूप” के बारे में बताने के लिए आयोजित किया गया था, जो यूरोप महाद्वीप में प्रभावी है और धीरे-धीरे अन्य देशों में भी अपना रास्ता बना रहा है। “भविष्यवाणी अभी, कार्रवाई तब” कुछ ऐसा था जो सुश्री हीदर और श्रीमान जो ने कहा था ने बहस की तैयारी के लिए बुनियादी बातों के रूप में सिखाया। छात्रों को प्रस्ताव दिए गए, बातचीत करने, प्रस्ताव बनाने के लिए कहा गया और प्रारूप के संबंध में उनके किसी भी संदेह को दूर करने का अवसर दिया गया।  इस रोमांचक और आनंददायक कार्यशाला का समापन हुआ छात्र मामलों के रेक्टर प्रो डीन दिलीप शाह ने धन्यवाद दिया और इस कार्यशाला की उल्लेखनीय सफलता के लिए आभार व्यक्त किया। डॉ वसुंधरा मिश्र ने बताया कि सभी उपस्थित छात्रों ने एक अद्भुत और रोमांचकारी सीखने का अनुभव होने का दावा किया और कहा कि वे इससे भी अधिक सीखने की प्रतीक्षा है। रिपोर्टर धृति मेहता और फ़ोटोग्राफ़र: अग्रग घोष रहे ।

कलकत्ता गर्ल्स कॉलेज में सेमिनार सह कार्यशाला

उच्च शिक्षा को विश्वस्तरीय बनाने की रणनीति पर चर्चा
कोलकाता । कलकत्ता गर्ल्स कॉलेज में राष्ट्रीय शिक्षा नीति को ध्यान में रखते हुए एक दिवसीय राज्य स्तरीय सेमिनार सह कार्यशाला का आयोजन किया गया । कॉलेज की आन्तरिक गुणवत्ता सत्यापन प्रकोष्ठ  द्वारा आयोजित इस सेमिनार में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के सन्दर्भ में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में होने वाले परिवर्तनों के अनुरूप कार्यशैली अपनाने तथा तकनीक के माध्यम से शिक्षा को उन्नत करने पर जोर दिया गया। कलकत्ता गर्ल्स कॉलेज की प्राचार्या डॉ. सत्या उपाध्याय ने इस कार्यक्रम की जानकारी देते हुए बताया कि इस कार्यशाला में  कॉलेज के शिक्षक – शिक्षिकाओं, गैर शिक्षण कर्मियों के अतिरिक्त अन्य कॉलेजों के आईक्यूसी संयोजक शामिल हुए और कुल 70 प्रतिभागियों ने इस कार्यशाला का लाभ उठाया ।इस अवसर पर कई प्राचार्य भी उपस्थित थे।कार्यशाला का विषय उच्च शिक्षा के क्षेत्र में गुणवत्ता की सुनिश्चतता : मापदंड एवं उत्कृष्टता केंद्र हेतु रणनीति था। इस सेमिनार सह कार्यशाला को मुख्य वक्ता के रूप में न्यू अलीपुर कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. जयदीप सारंगी एवं मालदा कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. मानस कुमार वैद्य ने सम्बोधित किया। डॉ. जयदीप सारंगी ने उच्च शिक्षा के क्षेत्र में गुणवत्ता सुनिश्चित करने हेतु उच्च मापदंड के सन्दर्भ में विस्तृत चर्चा की। उन्होंने कहा कि कॉलेजों के लिए सबसे पहले अपनी उपलब्धियों, गतिविधियों के माध्यम से सबके सामने नजर आना आवश्यक है। प्लेसमेंट के सन्दर्भ में उपलब्धियों पर विशेष जोर देते हुए कहा कि संस्थान विभिन्न संस्थाओं एवं संस्थानों के साथ साझेदारी में कई तरह के कार्यक्रम कर सकते हैं और विश्वस्तर पर विकसित देशों के साथ चल सकते हैं। यह उनको अनुदान पाने में भी सहायता करेगा। दूसरी तरफ डॉ. मानस कुमार वैद्य शिक्षा को एआई का उपयोग करते हुए विकसित करने पर जोर दिया । उन्होंने अपनी प्रस्तुति में कई तकनीकी टूल्स से भी सबका परिचय करवाया जिनका लाभ शिक्षक उठा सकते हैं और अपने कार्य को और बेहतर बना सकते हैं। कार्यशाला में कलकत्ता गर्ल्स कॉलेज की संचालन समिति की सदस्य डॉ. मैत्रेयी भट्टाचार्य,डॉ इन्द्रनील कर, कॉलेज की आईक्यूएसी संयोजक  प्रो० प्रेम कुमार घोष डॉ. सुपर्णा भट्टाचार्य, कार्यक्रम की सह संयोजिका समेत कई अतिथि उपस्थित थे। इसके साथ ही डॉ श्यामलेन्दु चटर्जी, डॉ अमृता दत्ता, डॉ सुब्रत राय भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

डॉ. गीता दूबे को शुभजिता सृजन प्रहरी सम्मान -2024

कोलकाता । गत 20 जून 2024 की संध्या को भारतीय भाषा परिषद में ‘साहित्यिकी’ एवं ‘शुभजिता’ के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित गोष्ठी में संस्था कवि- आलोचक डॉ गीता दूबे को शुभजिता की ओर से ‘सृजन प्रहरी’ सम्मान प्रदान किया गया एवं शुभ सृजन प्रकाशन द्वारा सद्य प्रकाशित पुस्तक “विस्मृत नायिकाएँ” पर विस्तार से चर्चा हुई। इस शोधपरक पुस्तक में हिंदी साहित्य की उन 35 विस्मृति के अंधकार में गुम सृजनशील कवयित्रियों का उल्लेख है, जिनकी इतिहास में उपेक्षा या अनदेखी हुई है।
साहित्यिकी संस्था की संस्थापिका डॉ सुकृति गुप्ता जी को उनकी पुण्यतिथि पर याद करते हुए श्रद्धांजलि दी गयी। संस्था की सचिव डॉ मंजू रानी गुप्ता ने अतिथियों का स्वागत करते हुए शुभजिता की संस्थापिका और संचालक सुषमा त्रिपाठी को शुभजिता प्रहरी सम्मान डॉ. गीता दूबे को देने के लिए साधुवाद दिया। रानी बिड़ला गर्ल्स कॉलेज की प्राध्यापिका डॉ विजया सिंह ने अभिनंदन पत्र का पाठ किया। मुख्य अतिथि डॉ चन्द्रकला पाण्डेय ने अपनी शिष्या डॉ गीता दूबे को उत्तरीय पहना कर स्मृति चिन्ह प्रदान किया। उन्होंने कहा कि अविस्मरणीय शाम में विस्मृत नायिकाओं पर चर्चा करना सचमुच महत्वपूर्ण है। हमें पुरानी शब्दावली में नहीं जीना है। डॉ. शुभ्रा उपाध्याय ने गीता दूबे को अभिनंदन पत्र प्रदान करते हुए उन्हें बधाई दी। सदस्य वक्ता डॉ इतु सिंह नें पुस्तक के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि इसमें रत्नावली, जुगलप्रिया, विरंचि कुँवरि, आम्रपाली आदि अनेक स्त्री रचनाकारों की दास्तान है जिनका लेखन उनके समकालीन पुरुष रचनाकारों से कहीं भी कमतर नहीं, बावजूद इसके उनको इतिहास में यथोचित स्थान नहीं मिला। गीता दूबे ने हिंदी साहित्य के इतिहास को देखते हुए हाशिये पर पड़ी हुई बुद्धिमती स्त्री रचनाकारों को केंद्र में लाने की कामयाब कोशिश की है। अतिथि वक्ता डॉ शुभ्रा उपाध्याय के अनुसार “विस्मृत नायिकाएँ” आधी आबादी की भूली दास्तानों का इनसाइक्लोपीडिया है। पुस्तक में उद्घृत पैंतीस नायिकाओं पर विशद प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि विस्मृत नायिकाएँ हिन्दी साहित्य के इतिहास का कृष्णपक्ष है और गीता दूबे ने इस पुस्तक के माध्यम से एक नई खिड़की खोली है। पुस्तक में भावपक्ष, कलापक्ष, शब्द चयन ,शिल्प आदि सभी कुछ उत्कृष्ट है। डॉ. गीता दूबे नें सम्मान के लिए शुभजिता प्रकाशन की संस्थापिका एवं कार्यक्रम की संचालिका सुषमा त्रिपाठी को धन्यवाद देते हुए अपनी गुरु डॉ. चन्द्रकला मैम के प्रति श्रद्धा व्यक्त करते हुए कहा कि हर स्त्री के अपने संघर्ष होते हैं। हमें पूरे परिवेश को बदलने की कोशिश करनी चाहिए। अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में कुसुम जैन जी ने डॉ गीता दूबे के लेखन कौशल तथा दृष्टि की तारीफ करते हुए उनके लेखन को मन को छूने वाला बताया। संस्था की अध्यक्ष विद्या भण्डारी ने लेखिका की बेबाकी की प्रशंसा करते हुए उन्हें बधाई दी तथा सभी का आभार ज्ञापन कर कार्यक्रम का समापन किया।
रिपोर्टिंग – मीतू कानोडिया

श्री शिक्षायतन कॉलेज तथा आई. सी. ए. आई. के बीच समझौता

विद्यार्थियों को मिलेगा विशेष लाभ   
 कोलकाता । गत 21 जून को श्री शिक्षायतन कॉलेज और इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया ने एक ऐतिहासिक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए, जिसका उद्देश्य शैक्षणिक सहयोग को बढ़ावा देना तथा विद्यार्थियों को उच्च गुणवत्ता की शिक्षा और व्यावसायिक कौशल प्रदान करना है I हस्ताक्षर के इस महत्वपूर्ण आयोजन मे उपस्थित थे – सी.ए.(डॉ.) राजकुमार एस. अधुकिया, मेम्बर सेंट्रल काउंसिल (2022-25), सी. ए. संजीव संघी, चेयरमैन (2024-25) आई. सी. ए. आई, इस्टर्न इंडिया रीजनल काउंसिल , सी. ए. मयूर अग्रवाल , सेक्रेटरी (2024-25) आई. सी. ए. आई , इस्टर्न इंडिया रीजनल काउंसिल, श्री प्रदीप कुमार शर्मा , सेक्रेटरी श्री शिक्षायतन कॉलेज , डॉ. काजल गांधी, इंचार्ज मॉर्निंग कॉमर्स डिपार्टमेंट, श्री शिक्षायतन कॉलेज, डॉ. उज्जयिनी साहा गुप्ता, संकाय सदस्य, मॉर्निंग कॉमर्स डिपार्टमेंट, श्री शिक्षायतन कॉलेज l
एक प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थान तथा एक अग्रणी व्यावसायिक निकाय के बीच का यह समझौता ज्ञापन शिक्षा और व्यावसायिक अभ्यास के बीच की खाई पाटने की दिशा मे एक महत्वपूर्ण कदम है l उम्मीद की जा रही है कि इस साझेदारी से विद्यार्थियों को व्यावसायिक उत्कृष्टता के लिए सर्वोत्तम संसाधन तथा मार्गदर्शन प्रदान कर उन्हे उद्योग की आवश्यकता के अनुरूप तैयार किया जा सकेगा , जिससे वे अपने करियर में नई ऊँचाइयाँ प्राप्त कर सकें l

केंद्र सरकार के विभिन्न संस्थानों में ‘सफलता’ संस्थाऩ से चयनित अभ्यर्थी सम्मानित  

नैहाटी । प्रसिद्ध शिक्षण संस्थान ‘सफलता, श्रद्धा ग्रुप ऑफ एजुकेशन’ द्वारा आयोजित “सम्मान समारोह-2024” में भारत सरकार के अधीनस्थ विभिन्न मंत्रालयों, कार्यालयों एवं सरकारी प्रतिष्ठानों में राजभाषा अधिकारी, अनुवाद अधिकारी, हिंदी शिक्षक, हिंदी सहायक के पद पर चयनित 33 विद्यार्थियों को सभागार में और 30 चयनित विद्यार्थियों को ऑनलाइन एवं पोस्टल माध्यम से सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर गणमान्य अतिथि के रूप श्री एन. गोपी राव, श्री नारायण साव, डॉ बिक्रम साव, डॉ स्नेहलता जायसवाल, डॉ. आशीष साव, श्री मंटू दास, सुश्री पिंकी साव, श्री असित पांडेय, श्री विजय चौधरी, श्री अनूप साव, डॉ कार्तिक कुमार साव, श्री सुभाष साव, श्री उत्तम ठाकुर, सुश्री कविता केशरी एवं श्री रवि केशरी उपस्थित थे।इस अवसर पर प्रसिद्ध शिक्षाविद डॉ सूर्यदेव शास्त्री पर आधारित एक डाक्यूमेंट्री का प्रदर्शन  एवं स्वच्छता पर आधारित नाटक का मंचन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए मुख्य अतिथि कलकत्ता विश्वविद्यालय के पूर्व  हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो.अमरनाथ ने कहा कि सूर्यदेव शास्त्री ने इस अंचल के शैक्षणिक एवं रोजगारपरक विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। मैं यहां आकर अभिभूत हूं। यहां हिंदी का भविष्य उज्ज्वल है। कल्याणी विश्वविद्यालय की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. विभा कुमारी ने कहा कि ‘सफलता’ द्वारा संचालित यह प्रशिक्षण निश्चित तौर पर एक बड़ी उपलब्धि है। यह विद्यार्थियों के लिए एक पथ प्रदर्शक है। पूर्व-सलाहकार श्री नवीन प्रजापति ने कहा कि बिना समर्पण और जुनून के सफलता संभव नहीं है। केंद्रीय हिंदी प्रशिक्षण संस्थान से सहायक निदेशक (भाषा), श्रीमती श्रुति मिश्रा जी ने कहा विद्यार्थियों को लगन से पढ़ना चाहिए, तभी वे अपने लक्ष्य में सफल होंगे। एसोसिएट प्रोफेसर डॉ सत्यप्रकाश तिवारी ने कहा कि सफलता पाने के लिए हमें योजनाबद्ध तरीके से अध्ययन करना चाहिए। केंद्रीय हिंदी प्रशिक्षण संस्थान से सहायक निदेशक (भाषा), श्रीमती इंदु पांडे ने कहा कि विद्यार्थियों की यह सफलता राजभाषा हिंदी की सफलता है। विद्यासागर विश्वविद्यालय के डॉ संजय जायसवाल ने कहा कि जिस तरह से डॉ सूर्यदेव शास्त्री ने इस अंचल के विद्यार्थियों का भविष्य निर्मित किया, उसी तरह से आज धर्मेंद्र साव जी विद्यार्थियों को तैयार कर रहे हैं। आज इस अंचल के सैकड़ों विद्यार्थी देशभर में चयनित होकर अपनी सेवाएं दे रहे हैं।संस्था के प्रमुख धर्मेंद्र साव ने इस अवसर पर स्वागत वक्तव्य देते हुए कहा कि हमारी संस्था विद्यार्थियों की सफलता के लिए प्रतिबद्ध है। इस अवसर पर बिसाखा साव ,पंजाब नेशनल बैंक, प्रियंका साव ,कैग, रोहित मेहता,पीएनबी, दुर्भा चौधरी,  केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड, सूरज जैसवारा, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया ,साम्या सिंह,सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम ,ज्योति राय -एफसीआई, सत्य प्रकाश राउत,आईआईटी, श्वेता तिवारी, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण , अंजू सिंह,बीपीएससी,राजेश चौधरी,न्यूक्लियर पॉवर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड, करन सिंह , बैंक ऑफ इंडिया , कौशिकी राय,एफसीआई, अपराजिता सिंह, एनएचपीसी , स्वेता रविदास ,कैग, प्रियंका गुप्ता , बैंक ऑफ इंडिया , साहिल सिन्हा,एयरफोर्स, राजेश सिंह, एनएचपीसी, तेज प्रताप ठाकुर ,एफसीआई, सेठू कुमार तांती,बीपीएससी,निधि सिंह, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, प्रिया कुमारी रजक,केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड, पूजा साव – बैंक ऑफ इंडिया, आदित्य अवस्थी ,बीपीएससी, सोनू कुमार साव,एनएचपी, बिसाखा साव ,सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम, सूरज जैसवारा – केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड , रोहित मेहता,आयकर विभाग, विवेक कुमार यादव , एनएचपीसी, रुकसार बानो, बीपीएससी, सत्य प्रकाश राउत ,भारतीय सर्वेक्षण विभाग,श्री रोहित मेहता राष्ट्रीय दृष्टि दिव्यांगजन सशक्तिकरण संस्थान, देहरादून, आकाश मिश्रा,भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण को सभागार में सम्मानित किया गया।कार्यक्रम का सफल संचालन शिवानी पांडे,अपराजिता विनय एवं धन्यवाद ज्ञापन उत्तम कुमार ने दिया।