Thursday, December 11, 2025
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बंगाल समेत 12 राज्यों में बढ़ी एसआईआर की समय सीमा

– 11 तारीख तक चलेगी प्रक्रिया, पहला ड्राफ्ट 16 दिसम्बर को
-सूची के अंतिम प्रकाशन 14 फरवरी को
कोलकाता। चुनाव आयोग ने 12 भारतीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण की तारीख बढ़ा दी। इसे लेकर चुनाव आयोग ने रविवार को नोटिफिकेशन जारी किया है। भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) ने एसआईआर की समय सीमा सात दिन बढ़ा दी है। अब यह प्रक्रिया 11 दिसंबर तक चलेगी। पहले के शेड्यूल के मुताबिक, वोटरों के एन्यूमरेशन फॉर्म जमा करने और उन्हें डिजिटाइज करने का काम 4 दिसंबर को तय किया गया था। पोलिंग स्टेशनों को ठीक करने या फिर से व्यवस्थित करने की तारीख भी 11 दिसंबर तय की गई है। पहले के शेड्यूल के मुताबिक, ड्राफ्ट इलेक्टोरल रोल के पब्लिकेशन की आखिरी तारीख 9 दिसंबर थी, जिसे अब बढ़ाकर 16 दिसंबर कर दिया गया है।
नए शेड्यूल के मुताबिक, दावे और आपत्तियां दर्ज करने का समय 16 दिसंबर, 2025 से 15 जनवरी, 2026 के बीच तय किया गया है। नोटिस फेज की तारीखें, जिसमें एन्यूमरेशन फॉर्म जारी करना, सुनवाई, वेरिफिकेशन और उन पर फैसला और इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर (ईआरओ) द्वारा दावों और आपत्तियों का निपटारा एक साथ किया जाना शामिल है, 16 दिसंबर, 2025 से 7 फरवरी, 2026 के बीच तय की गई हैं।
चेकिंग की नई तारीख वोटर रोल के हेल्थ पैरामीटर्स की जांच और फाइनल पब्लिकेशन के लिए ईसीआई की अनुमति लेने की आखिरी तारीख 10 फरवरी, 2026 है । मतदाता सूची के अंतिम प्रकाशन की नई तारीख 14 फरवरी है, जो पहले 7 फरवरी तय की गई थी।
शुरू से ही, विपक्षी पार्टियां चुनाव आयोग पर जल्दबाजी में एसआईआर कराने का आरोप लगा रही हैं। इस मुद्दे पर तृणमूल कांग्रेस भी चुनाव आयोग के खिलाफ है। इस मामले पर राजनीतिक पार्टियों की तरफ से अभी बयान आना बाकी है। हालांकि, पश्चिम बंगाल टीएमी के एक सदस्य ने नाम न बताने की सख्त शर्त पर कहा कि सात दिन का एक्सटेंशन सिर्फ दिखावा है। उन्होंने कहा, “इस मामले में कोई भी ऑफिशियल बयान या तो मुख्यमंत्री ममता बनर्जी या हमारी पार्टी के जनरल सेक्रेटरी अभिषेक बनर्जी देंगे।”

 

श्री शिक्षायतन कॉलेज में मनाया गया विश्व एड्स दिवस

कोलकाता । श्री शिक्षायतन कॉलेज की राष्ट्रीय सेवा योजना (एन. एस. एस.) समिति और रेड रिबन क्लब ने पश्चिम बंगाल राज्य एड्स रोकथाम और नियंत्रण सोसायटी, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग, पश्चिम बंगाल के संयुक्त तत्वावधान में राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम के तहत सघन अभियान का आयोजन एच.आई.वी / एड्स से मुक्त दुनिया बनाने के लिए गत शनिवार 29 नवंबर को किया गया। कॉलेज की प्राचार्या डॉ. तानिया चक्रवर्ती ने स्वागत भाषण में एच. आई. वी./ एड्स की रोकथाम और जागरूकता फैलाने की बात पर जोर दिया और संस्थाओं द्वारा इस क्षेत्र में अनुदान की राशि बढ़ाने की ओर भी संकेत किया जिससे कि इस तरह के अभियान को तेज और सक्रिय करने में सहायता प्राप्त हो ।

एम. आर. बांगुर ,जिला अस्पताल की काउन्सिलर अरुंधति दत्ता, जिन्हें पश्चिम बंगाल स्टेट एड्स प्रिवेंशन एंड कंट्रोल सोसाइटी के तहत नेशनल एड्स कंट्रोल प्रोग्राम के तहत पब्लिक हेल्थ प्रोजेक्ट्स का अनुभव है, ने एच. आई. वी./ एड्स से होने वाले मानसिक तनाव को कम करने    के बारे में जागरूकता फैलाने और ज़्यादा असरदार तरीके से भेदभाव को दूर करने के लिए इन गतिविधियों में युवाओं को शामिल करने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया। अतिथियों और उपस्थित दर्शकों का स्वागत कॉलेज की छात्राओं द्वारा समूह नृत्य प्रस्तुत कर किया गया। कॉलेज की छात्रा ऋषिता, इशिका और शिवांगी ने क्रमशः बंगला, हिन्दी और अंग्रेजी में अपने वक्तव्य से एड्स के प्रति दर्शकों को जागरूक करने का प्रयास किया। एड्स की रोकथाम पर छात्राओं द्वारा नाट्य और गीत की प्रस्तुति के अलावा फ्लैश मॉब द्वारा भी जागरूकता फैलाने का सफल प्रयास किया गया। कार्यक्रम को सफल बनाने में कॉलेज के सचिव प्रदीप कुमार शर्मा के सहयोग एवं एन. एस. एस. समिति की कार्यक्रम अधिकारी डॉ. बर्नाली लाहा, समिति के अन्य सदस्यों एवं छात्राओं का योगदान रहा।

बंगाल में ‘वक्फ कानून लागू, संपत्तियों का विवरण अपलोड शुरू

-केंद्र के ‘उमिद’ पोर्टल पर 6 दिसम्बर तक भरना होगा
कोलकाता । पश्चिम बंगाल के अल्पसंख्यक मामलों और मदरसा शिक्षा विभाग ने सभी जिलाधिकारियों को वक्फ संपत्तियों का विवरण केंद्र के ‘उमिद’ पोर्टल पर अपलोड करने की प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया है। विभाग के सूत्रों के अनुसार, यह केंद्र सरकार द्वारा तय की गई समयबद्ध अनुपालन प्रक्रिया है। सूत्रों ने बताया कि केंद्र ने राज्यों से कहा है कि वे सभी “विवादरहित” वक्फ संपत्तियों की जानकारी को छह दिसम्बर तक पोर्टल पर डाल दें। इसी वजह से राज्य प्रशासन ने तुरंत डेटा एंट्री का काम शुरू कर दिया है। सूचना के मुताबिक जिलाधिकारियों को भेजे गए पत्र में चार मुख्य निर्देश दिए गए हैं। सबसे पहले उन्हें इमामों, मुअज्ज़िनों और मदरसा शिक्षकों के साथ बैठक कर अपलोडिंग प्रक्रिया समझाने को कहा गया है। इसके अलावा जिलाधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिया गया है कि सिर्फ वही संपत्तियां पोर्टल पर दर्ज होंगी जिन पर कोई विवाद नहीं है। राज्य सरकार का कहना है कि सभी जिलों को इसके लिए सुविधा केंद्र बनाने को कहा गया है ताकि प्रक्रिया आसानी से और समय पर पूरी हो सके।

गोवा में भगवान राम की 77 फीट ऊंची प्रतिमा का अनावरण

पणजी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गोवा में भगवान राम की 77 फीट ऊंची कांस्य प्रतिमा का अनावरण किया। गुजरात में ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ डिजाइन करने वाले मूर्तिकार राम सुतार ने भगवान राम की इस प्रतिमा को बनाया है। गोवा के लोक निर्माण मंत्री दिगंबर कामत ने बताया कि यह दुनिया की सबसे ऊंची भगवान राम की प्रतिमा है। यह आयोजन श्री संस्थान गोकर्ण जीवोत्थम मठ के 550वें वर्ष के उत्सव के अंतर्गत हुआ। मोदी ने दक्षिण गोवा के पर्तगाली स्थित मठ में स्थित मंदिर का भी दौरा किया। यह मठ भारत के सबसे पुराने मठ संस्थानों में से एक है और अपने आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक योगदानों के लिए जाना जाता है। सरस्वत समुदाय में इसका महत्वपूर्ण स्थान है। गोवा के राज्यपाल अशोक गजपति राजू और मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत भी समारोह में उपस्थित थे।

बंगाल सरकार ने किया 14 आईपीएस अधिकारियों का तबादला

– कई जिलों में बड़े पैमाने पर बदलाव
कोलकाता। पश्चिम बंगाल सरकार ने गुरुवार को पुलिस प्रशासन में बड़े पैमाने पर फेरबदल करते हुए कुल 14 आईपीएस अधिकारियों का तबादला कर दिया। गृह विभाग द्वारा जारी अधिसूचना के मुताबिक, यह बदलाव तत्काल प्रभाव से लागू होंगे और अधिकारी नई जगहों पर अपना कार्यभार संभालेंगे। निर्देश के अनुसार, अरिजीत सिन्हा को एसपी झारग्राम से हटाकर मिदनापुर रेंज के डीआईजी के पद पर नियुक्त किया गया है। वैभव तिवारी को एसपी बांकुड़ा से एसपी पुरुलिया भेजा गया है, जबकि अभिजीत बनर्जी को एसपी पुरुलिया से एसपी मालदा बनाया गया है। इसी तरह प्रदीप कुमार यादव को एसपी मालदा से हटाकर उत्तर दिनाजपुर में ट्रैफिक एसपी की जिम्मेदारी दी गई है। वाई. राघुवंशी को एसपी अलीपुरदुआर से एसपी जलपाईगुड़ी स्थानांतरित किया गया है। आईपीएस सचिन को एसएस, आईबी, डब्ल्यूबी से डीसी न्यू टाउन, बिधाननगर पुलिस कमिश्नरेट में पदस्थ किया गया है। धृतिमान सरकार को एसपी पश्चिम मेदिनीपुर से एसएस, आईबी, डब्ल्यूबी भेजा गया है। खांदबहाले उमेश गणपत को एसपी जलपाईगुड़ी से एसएस अलीपुरदुआर की जिम्मेदारी दी गई है। वहीं डॉ. सोनावणे कुलदीप सुरेश को वेस्ट जोन, आसनसोल दुर्गापुर से हटाकर एसपी रायगंज पुलिस जिला बनाया गया है। सौम्यदीप भट्टाचार्य को एसपी पूर्व मेदिनीपुर से हटाकर एसपी बांकुड़ा भेजा गया है। मानव सिंगला को डीसी न्यू टाउन बिधाननगर पीसी से एसपी झारग्राम बनाया गया है। पलाश चंद्र ढाली को एसपी बारुईपुर से एसपी पश्चिम मेदिनीपुर भेजा गया है। शुभेन्द्र कुमार को एडिशनल एसपी (रूरल) पूर्व मेदिनीपुर से एसपी बारुईपुर पुलिस जिला नियुक्त किया गया है। अधिसूचना में कहा गया है कि ये सभी नियुक्तियां सार्वजनिक हित में की गई हैं और आगे के आदेश तक प्रभावी रहेंगी।

8.2 प्रतिशत बढ़ी भारत की जीडीपी

– पीएम ने बताया उत्साहजनक
नयी दिल्‍ली। देश की अर्थव्यवस्था दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में 8.2 फीसदी की दर से बढ़ी है, जो पिछले छह तिमाहियों में सबसे तेज वृद्धि है। चालू वित्त वर्ष की (अप्रैल-जून) पहली तिमाही में यह वृद्धि दर 7.8 फीसदी थी। सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने शुक्रवार को राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के जारी आंकड़ों में बताया कि चालू वित्‍त वर्ष 2025-26 की (जुलाई-सितंबर) दूसरी तिमाही में देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 8.2 फीसदी की दर से बढ़ी है, जो पिछली छह तिमाहियों में सर्वाधिक है। पहली तिमाही में यह 7.8 फीसदी रही थी, जबकि पिछले वित्त वर्ष 2024-25 की समान तिमाही में यह 5.6 फीसदी थी। एनएसओ के मुताबिक भारतीय अर्थव्यवस्था ने लगार तीसरी तिमाही में शानदार प्रदर्शन जारी रखा है। यह छह तिमाहियों में सबसे ज्‍यादा 8.2 फीसदी की दर से बढ़ी है, जबकि पिछली तिमाही में यह 7.8 फीसदी थी। आंकड़ों के अनुसार विनिर्माण, जो देश के सकल घरेलू उत्पाद जीडीपी का 14 फीसदी है, दूसरी तिमाही में 9.1 फीसदी बढ़ा है, जबकि पिछले वित्त वर्ष 2024-25 की इसी तिमाही में यह 2.2 फीसदी था। विनिर्माण क्षेत्र देश की जीडीपी में लगभग 14 फीसदी का योगदान देता है। वहीं, चालू वित्‍त वर्ष के पहले सात महीनों अप्रैल से अक्‍टूबर के बीच भारत का राजकोषीय घाटा 8.25 लाख करोड़ रुपये रहा। यह वार्षिक अनुमानों का 52.6 फीसदी है। इस बार राजकोषीय घाटा पिछले वर्ष के 46.5 फीसदी से अधिक है। सरकार का लक्ष्य इस वित्‍त वर्ष में राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 4.4 फीसदी तक कम करना है, यह एक साल पहले 4.8 फीसदी था। आर्थिक मामलों के विशेषज्ञों का कहना है कि वस्‍तु एवं सेवा कर (जीएसटी) दरों में कटौती और उपभोक्ता मांग में तेजी के कारण कारखानों ने उत्पादन बढ़ाया, जिससे समग्र विकास दर में तेजी आई है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2025-26 की दूसरी तिमाही में भारत की अर्थव्यवस्था में दर्ज 8.2 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि पर प्रसन्नता व्यक्त की है। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह उपलब्धि सरकार की विकासोन्मुख नीतियों और सुधारों के सकारात्मक प्रभाव के साथ-साथ देशवासियों की मेहनत और उद्यमशीलता को दर्शाती है। प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि दूसरी तिमाही में 8.2 प्रतिशत की जीडीपी वृद्धि अत्यंत उत्साहजनक है और यह दर्शाती है कि देश सही दिशा में आगे बढ़ रहा है। सरकार सुधारों को गति देने तथा प्रत्येक नागरिक के ईज ऑफ लिविंग को सुदृढ़ करने के लिए संकल्पित है, ताकि विकास का लाभ समाज के हर वर्ग तक पहुंच सके। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था की लगातार प्रगति सरकार की नीतिगत स्थिरता, पारदर्शिता और सुधारों के प्रति निरंतर प्रतिबद्धता को प्रतिबिंबित करती है।

 

एक करोड़ युवाओं को नौकरी एवं रोजगार देगी बिहार सरकार

पटना । बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गुरुवार को राज्य में सरकारी नौकरी को लेकर बड़ा आदेश दिया है। उन्होंने कहा कि अगले 5 सालों में एक करोड़ युवाओं को नौकरी एवं रोजगार देना सरकार की प्राथमिकता है। सीएम नीतीश कुमार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “राज्य में अधिक से अधिक युवाओं को सरकारी नौकरी और रोजगार मिले, ये शुरू से ही हम लोगों की प्राथमिकता रही है। सात निश्चय-2 के तहत वर्ष 2020-25 के बीच राज्य में 50 लाख युवाओं को सरकारी नौकरी एवं रोजगार दिया गया है। अगले 5 वर्षों (2025-30) में हम लोगों ने 1 करोड़ युवाओं को नौकरी एवं रोजगार देने का लक्ष्य निर्धारित किया है।” उन्होंने लिखा, ”नई सरकार के गठन के पश्चात राज्य में अधिक से अधिक सरकारी नौकरी एवं रोजगार के अवसर उपलब्ध करने के लिए हम लोगों ने तेजी से काम शुरू कर दिया है। सरकारी नौकरी की रिक्तियों को जल्द से जल्द भरने के लिए कई ठोस कदम उठाए गए हैं। राज्य के अधीन सभी प्रशासी विभाग, सभी प्रमंडलीय आयुक्त, पुलिस मुख्यालय के अधीन सभी कार्यालय एवं सभी जिलाधिकारियों को निर्देशित किया है कि वे सामान्य प्रशासन विभाग को रिक्तियों से संबंधित अधियाचना दिनांक 31.12.2025 तक अवश्य उपलब्ध करा दें। सामान्य प्रशासन विभाग प्राप्त अधियाचनाओं को यथाशीघ्र जांच कर संबंधित विभिन्न नियुक्ति आयोगों को भेज दें।”
मुख्यमत्री नीतीश कुमार ने आगे लिखा, ”सभी नियुक्ति आयोगों एवं चयन एजेंसियों को निर्देशित किया गया है कि जनवरी 2026 में नियुक्ति हेतु पूरे साल का कैलेंडर प्रकाशित करें, जिसमें अन्य आवश्यक सूचनाओं के अतिरिक्त विज्ञापन प्रकाशन की तिथि, परीक्षा आयोजन की संभावित अवधि, अंतिम परीक्षाफल प्रकाशन की तिथि आदि का स्पष्ट रूप से उल्लेख हो। परीक्षा के चाहे जितने भी चरण हों, किसी भी परिस्थिति में विज्ञापन प्रकाशन से अंतिम परीक्षाफल में एक साल से अधिक समय नहीं लगना चाहिए।” उन्होंने एक्स पोस्ट में लिखा, ”सभी परीक्षाओं को पारदर्शी एवं स्वच्छ तरीके से संपन्न कराने हेतु सभी नियुक्ति आयोगों एवं चयन एजेंसियों को निर्देशित किया गया है। परीक्षाओं में अनुचित साधन की रोकथाम के लिए सख्त और तत्काल कार्रवाई की जाए। परीक्षा में किसी भी प्रकार की अनियमितता पाए जाने पर दोषियों को चिन्हित करते हुए उनके विरुद्ध फास्ट ट्रैक कोर्ट के माध्यम से दंडित कराने का भी निर्देश दिया गया है।” सीएम नीतीश कुमार ने बताया कि बिहार में ऑनलाइन परीक्षा सीबीटी (कंप्यूटर आधारित टेस्ट) हेतु परीक्षा केन्द्रों की संख्या को बढ़ाने का भी निर्देश दिया गया है ताकि परीक्षाओं का आयोजन ससमय एवं सुचारू रूप से किया जा सके। राज्य के युवाओं के सुखद भविष्य के लिए हमलोग शुरू से काम कर रहे हैं। अधिक से अधिक सरकारी नौकरी एवं रोजगार देने के लिए राज्य सरकार प्रतिबद्ध है। सभी परीक्षाएं ससमय एवं पूर्ण पारदर्शिता के साथ आयोजित की जाएंगी। बिहार के युवा दक्ष एवं आत्मनिर्भर हों तथा उन्हें अधिक से अधिक रोजगार मिल सके, और उनका भविष्य सुरक्षित हो, इसके लिए हमलोग कृतसंकल्पित हैं।

एसआईआर पर फिलहाल रोक नहीं : सुप्रीम कोर्ट

नयी दिल्ली । राज्यों में एसआईआर पर चल रही राजनीतिक बहस के बीच, सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को पूछा कि क्या सरकारी स्कीमों का लाभ प्राप्त करने के लिए आधार कार्ड रखने वाले “घुसपैठियों” को भी वोट देने की अनुमति दी जानी चाहिए। पीठ ने कहा कि चुनाव आयोग कोई पोस्ट आफिस नहीं है, जो बिना कुछ पूछे फार्म-6 स्वीकार कर ले। आयोग के पास हमेशा दस्तावेज की सत्यता जांचने का वैधानिक अधिकार होता है। सिब्बल ने कहा कि जैसा इस बार हो रहा है, वैसा देश में पहले कभी नहीं हुआ।”आधार कार्ड एक क़ानून की रचना है। और वैध है। इस हद तक कि यह उस पर आधारित लाभों या विशेषाधिकारों को स्वीकार करता है। कोई भी इस पर विवाद नहीं कर सकता। चीफ जस्टिस सूर्य कांत ने सामाजिक कल्याण और मताधिकार के बीच एक स्पष्ट अंतर खींचा। सीजेआई ने टिप्पणी की, “मान लीजिए कि कुछ व्यक्ति हैं जो किसी दूसरे देश से, पड़ोसी देशों से घुसपैठ करते हैं, वे भारत आते हैं, वे भारत में काम कर रहे हैं। भारत में रह रहे हैं, कोई गरीब रिक्शा चालक के रूप में काम कर रहा है, कोई निर्माण स्थल पर मजदूर के रूप में काम कर रहा है। अगर आप उसे आधार कार्ड जारी करते हैं ताकि वह रियायती राशन या किसी अन्य लाभ का फायदा उठा सके। तो यह हमारे संवैधानिक लोकाचार का हिस्सा है, यह हमारी संवैधानिक नैतिकता है। लेकिन क्या इसका मतलब यह है कि अब उसे मतदाता भी बनाया जाना चाहिए?” चीफ जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जयमाल्य बागची की बेंच कई राज्यों में मतदाता सूचियों को साफ करने के उद्देश्य से एसआईआर की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल, जो पश्चिम बंगाल और केरल राज्यों का प्रतिनिधित्व कर रहे थे, ने एसआईआर प्रक्रिया को “जल्दबाजी, और अनुचित” करार देते हुए इसकी निंदा की। उसी दौरान बीच चीफ जस्टिस का यह क्लासिकल सवाल सामने आया। सिब्बल ने अदालत से आग्रह किया, “एक अनुमान है। एक स्व-घोषणा, कि मैं एक नागरिक हूं। मैं यहां रहता हूं। मेरे पास एक आधार कार्ड है। यह मेरा निवास है। अगर आप इसे हटाना चाहते हैं, तो एक प्रक्रिया के माध्यम से हटा दें।” उन्होंने अनपढ़ और हाशिए पर रहने वाले मतदाताओं, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं की दुर्दशा पर जोर दिया, जिनके बाहर होने का खतरा है। उसी पर चीफ जस्टिस ने टिप्पणी की थी।

बंगाल में 26 लाख मतदाताओं का 2002 के रिकॉर्ड से मिलान नहीं

-मुंबई में 11 लाख से अधिक डुप्लीकेट नाम मिले

कोलकाता । पश्चिम बंगाल में विशेष मतदाता सूची पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर सियासी घमासान के बीच अब चुनाव आयोग ने एक बड़ा खुलासा किया है। बंगाल की मौजूदा मतदाता सूची और 2002 में तैयार हुई सूची के मिलान में करीब 26 लाख नाम मेल नहीं खाते। चुनाव आयोग ने बताया कि मुंबई की मतदाता सूची में भी 10.64 प्रतिशत यानी 11 लाख से अधिक डुप्लीकेट नाम पाए गए हैं। लेकिन बंगाल का मामला कहीं अधिक बड़ा और संवेदनशील माना जा रहा है, क्योंकि यहां एसआईआर प्रक्रिया को लेकर राजनीतिक दल लगातार विरोध जता रहे थे। चुनाव आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मौजूदा मतदाता सूची की तुलना पिछली SIR प्रक्रिया (2002-2006) के रिकॉर्ड से करने पर इन 26 लाख नामों की विसंगति सामने आई। आयोग के पोर्टल पर बुधवार दोपहर तक पश्चिम बंगाल से 6 करोड़ से अधिक गणना प्रपत्र अपलोड किए जा चुके थे। अधिकारी के अनुसार, जब ये प्रपत्र मैपिंग प्रक्रिया में आते हैं, तब उनका मिलान पुराने रिकॉर्ड से किया जाता है। प्रारंभिक निष्कर्ष बताते हैं कि बंगाल में लगभग 26 लाख मतदाताओं का मिलान 2002 के रिकॉर्ड से नहीं हो पा रहा है। यह बयान उस समय आया है, जब राज्य के कई हिस्सों में एसआईआर को लेकर राजनीतिक स्तर पर विरोध हो रहा है और सत्तारूढ़ दल इसे अनुचित हस्तक्षेप बताता रहा है। विशेषज्ञों के मुताबिक, मतदाता सूची में इतनी बड़ी संख्या में रिकॉर्ड मिसमैच चाहे वह आउटमाइग्रेशन, डेथ रिकॉर्ड्स, एड्रेस शिफ्ट या डुप्लिकेशन की वजह से हो; चुनाव की पारदर्शिता को सीधे प्रभावित करने वाला पहलू है। चुनाव आयोग का यह खुलासा अब उस राजनीतिक बहस को और तेज कर सकता है, जिसमें राज्य सरकार और विपक्ष एक-दूसरे पर मतदाता सूची में गड़बड़ी कराने के आरोप लगाते रहे हैं।
दूसरी ओर, मुंबई की ताजा मतदाता सूची भी चिंताजनक तस्वीर पेश करती है। महाराष्ट्र राज्य चुनाव आयोग के अनुसार, 1.03 करोड़ मतदाताओं में से 11 लाख से अधिक नाम डुप्लीकेट पाए गए हैं। कुछ वार्डों में एक ही व्यक्ति का नाम 2 से लेकर 103 बार तक दर्ज मिला। एसईसी ने आपत्तियां दर्ज करने की अंतिम तारीख अब 3 दिसंबर कर दी है और अंतिम सूची 10 दिसंबर को प्रकाशित होगी। विश्लेषकों का मानना है कि मुंबई की स्थिति बताती है कि देशभर में मतदाता सूचियों का पुनरीक्षण कितना आवश्यक है, जबकि बंगाल के आंकड़े इस दिशा में सबसे बड़ा अलार्म हैं।

असम में बहुविवाह प्रतिबंध विधेयक पारित

गुवाहाटी । असम विधानसभा ने गुरुवार को असम प्रोहिबिशन ऑफ पॉलिगैमी बिल, 2025 को मंजूरी दे दी। इसी दौरान मुख्यमंत्री डॉ हिमंत बिस्व सरमा ने सदन में यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) को लेकर एक बड़ा राजनीतिक संदेश दिया। मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि यदि वे अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनावों के बाद फिर से सत्ता में लौटते हैं तो नई सरकार के पहले सत्र में ही यूसीसी पेश किया जाएगा और बिना किसी देरी के लागू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि बहुविवाह प्रतिबंध कानून “यूसीसी की दिशा में उठाया गया ठोस कदम” है और सभी समुदायों में व्यक्तिगत कानूनों की एकरूपता लाना उनकी प्रतिबद्धता है। विधेयक में बहुविवाह को दंडनीय अपराध माना गया है, जिसके लिए 10 साल तक की सजा का प्रावधान है। हालांकि, अनुसूचित जनजातियों और षष्ठ अनुसूची के अधीन क्षेत्रों को इस कानून से मुक्त रखा गया है। सरमा ने स्पष्ट किया कि यह कानून “धर्म निरपेक्ष” है और किसी एक समुदाय को लक्षित नहीं करता। उनके अनुसार, “हिंदू, मुस्लिम, क्रिश्चियन—सभी समाजों में बहुविवाह के मामले मिलते हैं, इसलिए यह कानून सभी पर समान रूप से लागू होगा।” सरकार की एकता की अपील के बावजूद एआईयूडीएफ और माकपा ने विधेयक में संशोधन की मांग की, लेकिन सभी संशोधन ध्वनिमत से खारिज कर दिए गए। सरमा ने यह भी घोषणा की कि सरकार फरवरी अंत तक “छलपूर्वक विवाह” के खिलाफ एक अलग विधेयक लाएगी, जिसे वे आम बोलचाल में “लव-जिहाद” से जुड़े मामलों पर कार्रवाई की दिशा में एक कदम बताते हैं।