Thursday, December 18, 2025
खबर एवं विज्ञापन हेतु सम्पर्क करें - [email protected]
Home Blog Page 28

अदहन_के_बहाने_शब्दों_की_समृद्धि…

अदहन गाँवो में दाल या भात बटलोही में बनता है। बटलोही सामान्यतया पीतल या कांसा के हुआ करता है। मिट्टी के चूल्हे पर इसे चढ़ा कर पकाया जाता है। लकड़ी की आग से खाना बनने पर बटलोही की पेंदी में कालिख लग जाती है। करिखा से बचाव हेतु मिट्टी का लेवा लगाया जाता है। लेवा भी गोरिया माटी का। इस हेतु पहले से ही गोरिया माटी की पिंडी बना कर घर में रख लिया जाता है, ताकि दिक्कत नहीं हो लेवा लगाने हेतु। गोरिया माटी का लेवा लगता है फिर चूल्हे पर बटलोही चढ़ाया जाता है। लकड़ी की आग सुलगाई जाती है। चूल्हा पर धुंआ निकलने हेतु खीपटे का उचकुन दिया जाता है। खीपटा खपड़े का टुकड़ा हुआ करता है। जलावन की लकड़ी जरना कहलाती है। जरना भी पूरा सूखा हुआ खन खन होता है नहीं तो मेहराएल जलावन से दिक्कत होती है।
बटलोही में नाप कर अदहन का पानी डाला जाता है। अदहन का पानी जब खूब गर्म हो जाये यानी खौलने लगे तो कहा जाता है कि अदहन हो गया अब चावल या दाल इसमें डाला जाए। अदहन की एक अलग आवाज होती है मानो कोई संगीत हो। स्त्रियां अदहन नाद पर तुरंत फुर्ती से चावल या दाल जो धुल कर रखे होते है उनको बटलोही में डाल देती है। इस डालना को चावल मेराना कहते है । चावल मेराने के पहले चावल के कुछ दाने चूल्हें में जलते आग को अर्पित किया जाता है। अग्नि यानी अगिन देवता को समर्पित। पानी से धुले चावल ही मेराया जाता है। चावल धो कर जो पानी निकलता है वह चरधोइन कहलाता है। क्योंकि चरधोइन में चावल के गुंडे का अंश होता है तो उसे फेंका नहीं जाता है बल्कि गाय,भैंस को पीने हेतु एक घड़े में जमा कर दिया जाता है। चावल जब मेरा दिया गया है तो समआंच पर चावल पकाया जाता है। समय समय पर करछुल से चावल को चलाया जाता है ताकि एकरस पके। चावल जब डभकने लगता है तो उसे पसाया जाता है। यानी माड़ पसाया जाता है। एक साफ बर्तन यानी किसी कठौते या बरगुन्ना में माड़ पसाया जाता है। यह माड़ गर्म गर्म पीने या माड़ भात खाने में जो आनंद होता है वह लिख कर नहीं समझाया जा सकता। माड़ भात सामान्यतया गरीबों का भोजन होता है पर जिसने खाया है उसे पता है कि असली अन्नपूर्णा का आशीर्वाद क्या होता है। भात पसाने हेतु बटलोही पर एक ठकनी डाली जाती है जो तब काठ की होती है। यह भात पसाना भी एक कला होती है नहीं तो नौसिखिया हाथ या पैर ही जला बैठे। ढकनी को एक साफ सूती कपड़े से पकड़ माड़ पसाया जाता है। यह साफ कपड़ा भतपसौना होता है। भोजन जब बन जाये तो भात, दाल ,तरकारी मिला कर अगिन देवता को जीमा कर घर के कुटुंब जीमते है। जीमने हेतु चौका पूरा होता है। गोरिया मिट्टी से ही धरती को एक पोतन से लीप चौका लगता है। इस चौके पर आसन पर बैठ गर्म गर्म भोजन जिसे माँ, दादी बड़े मनुहार से खिलाती है उसका आनंद अलौकिक है।
स्रोत – सोशल मीडिया

स्वच्छता सर्वेक्षण में इंदौर 8वीं बार बना ‘सबसे स्वच्छ शहर’

नयी दिल्ली । स्वच्छ सर्वेक्षण 2024-25 के पुरस्कारों की घोषणा के साथ ही राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इंदौर को “सुपर स्वच्छ लीग शहरों” में सबसे स्वच्छ शहर घोषित किया। इंदौर दस लाख की आबादी वाली श्रेणी में भी सबसे स्वच्छ शहर रहा। स्वच्छ सर्वेक्षण 2024-25 के पुरस्कारों की घोषणा के साथ ही राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इंदौर को “सुपर स्वच्छ लीग शहरों” में सबसे स्वच्छ शहर घोषित किया। इंदौर दस लाख की आबादी वाली श्रेणी में भी सबसे स्वच्छ शहर रहा, उसके बाद सूरत, नवी मुंबई और विजयवाड़ा का स्थान रहा। स्वच्छ सर्वेक्षण के नतीजे बृहस्पतिवार को घोषित किए गए। तीन से 10 लाख की आबादी वाले शहरों की श्रेणी में नोएडा पहले स्थान पर, चंडीगढ़ दूसरे स्थान पर और मैसूर तीसरे स्थान पर रहा। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने यहां आयोजित एक कार्यक्रम में विजेताओं को पुरस्कार प्रदान किए। केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्री मनोहर लाल इस कार्यक्रम में शामिल हुए। केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्री मनोहर लाल और अन्य लोग इस कार्यक्रम में शामिल हुए। 10 जुलाई को, केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के 74वें जन्मदिन के अवसर पर उत्तर प्रदेश के लखनऊ में स्वच्छता अभियान चलाया गया। लखनऊ की महापौर सुषमा खारवाल के नेतृत्व में सफाई कर्मचारियों और स्थानीय लोगों ने स्वच्छता अभियान चलाया। समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए, लखनऊ की मेयर सुषमा खरकवाल ने कहा, “आज लखनऊ के लोकप्रिय सांसद और देश के रक्षा मंत्री का जन्मदिन है। आज लखनऊ एक बड़े स्वच्छता अभियान में हिस्सा ले रहा है। यह लखनऊ की जनता की ओर से उन्हें एक तोहफ़ा है।”

तलाक के बाद असम के माणिक ने दूध से नहाकर मनाया जश्न

नलबाड़ी । असम के नलबाड़ी जिले के माणिक अली का एक अनोखा वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें वह अपने तलाक का जश्न बिल्कुल अलग अंदाज में मनाते दिख रहे हैं। माणिक ने तलाक होने के बाद ‘आजादी दिवस’ मनाया और अपनी खुशी जाहिर करने के लिए दूध से स्नान किया। उनका यह अनोखा जश्न देखकर सोशल मीडिया यूजर्स हैरान रह गए हैं और इस पर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। वायरल वीडियो में माणिक अली अपने घर के बाहर खड़े हैं और उनके पास दूध से भरी चार बाल्टियां रखी हुई हैं। वह एक-एक करके बाल्टियों का दूध अपने ऊपर उड़ेलते हैं और मुस्कुराते हुए कहते हैं, ‘आज मैं आजाद हो गया हूं।’ कुछ लोग जहां उनके तलाक की पूरी कहानी जानने को उत्सुक हैं, वहीं कुछ यूजर्स उनकी इस खुशी में शरीक होते दिख रहे हैं। वीडियो में माणिक अली ने खुद ही इस अनोखे अनुष्ठान के पीछे का कारण बताया। उन्होंने अपनी पूर्व पत्नी का जिक्र करते हुए कहा, ‘वह अपने प्रेमी के साथ भागती रही। मैं अपने परिवार की शांति के लिए चुप रहा।’ स्थानीय लोगों ने भी इस बात की पुष्टि की है कि महिला शादी के दौरान कम से कम दो बार घर से भाग चुकी थी। आखिरकार, दोनों ने आपसी सहमति से कानूनी रूप से अलग होने का फैसला किया। माणिक अली ने खुशी जाहिर करते हुए बताया, ‘मेरे वकील ने मुझे कल बताया कि तलाक हो गया है। इसलिए आज, मैं अपनी आजादी का जश्न मनाने के लिए दूध से नहा रहा हूं।’ यह घटना न केवल उनके निजी जीवन की एक असाधारण अभिव्यक्ति है, बल्कि सोशल मीडिया पर भी बहस का एक नया विषय बन गई है।

कर्नाटक में सिनेमा टिकटों की अधिकतम कीमत 200 रुपये तय

बंगलुरू । जनता के लिए सिनेमा को और अधिक किफायती बनाने के एक बड़े कदम के तहत, कर्नाटक सरकार ने कर्नाटक सिनेमा (विनियमन) नियम, 2014 में संशोधन का प्रस्ताव रखा है, जिसके तहत मनोरंजन कर सहित सिनेमा टिकटों की अधिकतम कीमत 200 रुपये प्रति शो तय की जाएगी। यह मूल्य सीमा राज्य के सभी सिनेमाघरों, मल्टीप्लेक्स और सभी भाषाओं की फिल्मों पर लागू होगी। कर्नाटक सिनेमा (विनियमन) (संशोधन) नियम, 2025 के तहत गृह विभाग द्वारा जारी मसौदा अधिसूचना 15 जुलाई को जारी की गई और प्रकाशन की तिथि से 15 दिनों तक जनता की प्रतिक्रिया के लिए खुली है। सुझाव और आपत्तियां गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव, विधान सौधा को प्रस्तुत की जा सकती हैं। टिकट की कीमतों को नियंत्रित करने पर चर्चा कई वर्षों से चल रही है, लेकिन मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने 2025-26 के बजट में इस प्रतिबद्धता को दोहराया था और ₹200 की सीमा स्पष्ट रूप से बताई थी। इस कदम का उद्देश्य, विशेष रूप से शहरी मल्टीप्लेक्स में, अत्यधिक टिकट कीमतों पर अंकुश लगाना और समाज के सभी वर्गों के लिए सिनेमा तक समान पहुंच सुनिश्चित करना है।
यह पहली बार नहीं है जब कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार ने टिकट की कीमतों पर ध्यान दिया हो। 2017-18 के बजट में, पिछली सरकार ने भी एक समान टिकट दरों का प्रस्ताव रखा था और 11 मई, 2018 को एक सरकारी आदेश जारी किया गया था। हालांकि, अदालती रोक के बाद इसे वापस ले लिया गया था। इसके अतिरिक्त, इस वर्ष के बजट में, मुख्यमंत्री ने सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल के माध्यम से, बेंगलुरु के नंदिनी लेआउट में कर्नाटक फिल्म अकादमी के स्वामित्व वाले 2.5 एकड़ के भूखंड पर एक मल्टीप्लेक्स मूवी थिएटर कॉम्प्लेक्स विकसित करने की योजना की घोषणा की। कन्नड़ सिनेमा को बढ़ावा देने के लिए राज्य ने एक आधिकारिक ओटीटी प्लेटफॉर्म भी लॉन्च करने की घोषणा बजट में की है।

रूस से युद्ध के बीच यूलिया बनीं यूक्रेन की पहली महिला प्रधानमंत्री

कीव । रूस के साथ चल रहे भयानक युद्ध के बीच यूक्रेन ने अपना नया प्रधानमंत्री चुन लिया है। यूक्रेन की संसद वेरखोवना राडा में बुधवार को लिए गए एक ऐतिहासिक फैसले में यूलिया स्विरीदेंको को देश की नई प्रधानमंत्री चुना गया। संसद में हुए मतदान में 262 सांसदों ने उनके पक्ष में मतदान किया, जबकि 22 ने विरोध किया और 26 सदस्यों ने मतदान से दूरी बनाई। इस प्रकार यूलिया को बहुमत से यूक्रेन का नया प्रधानमंत्री चुना गया। राष्ट्रपति जेलेंस्की ने यूलिया को पूरा समर्थन दिया। स्विरीदेंको की उम्मीदवारी को राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेन्स्की का पूरा समर्थन प्राप्त था। राष्ट्रपति कार्यालय ने मतदान से पहले बयान जारी करते हुए कहा था कि स्विरीदेंको के पास आवश्यक प्रशासनिक अनुभव और संकट प्रबंधन की क्षमता है, जो देश को इस कठिन दौर में आगे ले जा सकती है।
प्रधानमंत्री पद पर चुने जाने के बाद अपने पहले संबोधन में स्विरीदेंको ने कहा, “यह यूक्रेन के लिए बेहद संवेदनशील और निर्णायक समय है। मेरा लक्ष्य युद्धकालीन अर्थव्यवस्था को स्थिर करना, अंतरराष्ट्रीय सहयोग को मज़बूत करना और पुनर्निर्माण प्रयासों को गति देना है।” उन्होंने यह भी ज़ोर दिया कि उनकी सरकार यूरोपीय संघ और नाटो में यूक्रेन की सदस्यता की दिशा में सुधारों को तेज़ी से आगे बढ़ाएगी।

पान बेचते हैं और बांग्ला में लिख दीं दर्जनों किताबें

राजा राममोहन रॉय रोड, कोलकाता के बीचोंबीच — जहाँ एक ओर ऑटो की तेज़ हॉर्न सुनाई देती है और दूसरी ओर ताज़े पान के पत्तों की ख़ुशबू हवा में घुली होती है — वहीं एक छोटा-सा पान की दुकान है। और उसके काउंटर के पीछे खड़ा है एक ऐसा इंसान जिसकी कहानी असाधारण है।
पिंटू पोहन, उम्र 47 साल, केवल एक पानवाला नहीं हैं। वे बांग्ला भाषा में 12 से अधिक किताबों के लेखक हैं, और ये सारी किताबें उन्होंने इसी दुकान से लिखी हैं। पास के मदनमोहनतला इलाके में गरीबी में पले-बढ़े पिंटू ने दसवीं के बाद पढ़ाई छोड़ दी थी, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। गुज़ारा करने के लिए कभी हेल्पर बने, कभी फैक्ट्री में काम किया — जो भी मिला, करते रहे।
कई सालों बाद उन्होंने पढ़ाई फिर से शुरू की, ग्रेजुएशन पूरा किया और 2015 में बांग्ला साहित्य में मास्टर डिग्री भी हासिल की। इसी अफरा-तफरी के बीच उन्होंने कहानियाँ लिखीं, जो सानंदा, देश और आनंदमेला जैसी प्रसिद्ध पत्रिकाओं में छपीं। उनकी किताबों में परुल माशी’r छागोल छाना, झिनुककुमार, ठाकुरदार अচर्च्य गल्पो जैसी रचनाएँ शामिल हैं, जो बच्चों और बड़ों — दोनों को समान रूप से प्रभावित करती हैं।
पिंटू ने लंबी काम की घंटियाँ, गरीबी और लम्बर व सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस जैसी गंभीर बीमारियों से जूझते हुए भी हार नहीं मानी। उन्होंने खुद से कंप्यूटर चलाना सीखा, अंग्रेज़ी और हिंदी की समझ विकसित की, और पान बेचते हुए भी लेखन जारी रखा।
पिंटू कहते हैं — “गरीब होना कोई अपराध नहीं है। असली अपराध है ज़िंदगी और सपनों से हार मान लेना।”
एक लेखक। एक योद्धा। एक सपना बुनने वाला जो कोलकाता की भीड़भाड़ भरी सड़क पर कहानियाँ गढ़ता है।
स्रोत: टेलीग्राफ इंडिया

बरगद के पेड़ से शुरू हुआ एशिया के सबसे पुराने स्टॉक एक्सचेंज का सफर

150 साल का हुआ बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई)

बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) 9 जुलाई को 150 साल का हो गया। एशिया के पहले स्टॉक एक्सचेंज की स्थापना 9 जुलाई, 1875 को दक्षिण मुंबई में टाउन हॉल के पास हुई थी। हालांकि, इससे दो दशक पहले बीएसई का सफर 1855 में तब शुरू हुआ था, जब बरगद के पेड़ के नीचे कॉटन की खरीद-बिक्री करने के लिए ट्रेडर्स मिलते थे। इस स्थान पर समय के साथ-साथ ट्रेडर्स की संख्या बढ़ती चली गई और बड़ी संख्या में ट्रेडर्स के आने के चलते 9 जुलाई, 1875 को नेटिव शेयर एंड स्टॉक ब्रोकर्स एसोसिएशन की स्थापना हुई, जो आगे चलकर बीएसई बना। बीएसई की स्थापना जापान के मौजूद टोक्यो स्टॉक एक्सचेंज से भी तीन साल पहले हुई थी। इस कारण बीएसई को एशिया का सबसे पुराना स्टॉक एक्सचेंज भी कहा जाता है।
बीएसई के मुख्य संस्थापकों में प्रेमचंद रॉयचंद भी शामिल थे, जिन्हें बंबई का ‘कॉटन किंग’ कहा जाता था।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, शुरुआत में नेटिव शेयर एंड स्टॉक ब्रोकर्स एसोसिएशन के सदस्यों की संख्या 318 थी। इसका प्रवेश शुल्क एक रुपया था।
रिपोर्ट्स के अनुसार, बीएसई के लिए मौजूदा भूमि 1928 में खरीदी गई थी, जबकि बिल्डिंग का निर्माण 1930 में शुरू हुआ था। फिर आजादी के बाद 1957 में सिक्योरिटीज कॉन्ट्रैक्ट (रेगुलेशन) एक्ट (एससीआरए) के जरिए बीएसई को आधिकारिक तौर पर मान्यता दी गई।
मौजूदा बीएसई बिल्डिंग – पीजे टावर्स का निर्माण 1970 में हुआ था।
इस बिल्डिंग का नाम बीएसई के पूर्व चेयरमैन फिरोज जमशेदजी जीजीभॉय के नाम पर रखा गया, जिन्होंने 1966 से 1980 तक बीएसई का कामकाज संभाला था।
बीएसई ने 1986 में 100 के आधार के साथ भारत का पहला स्टॉक इंडेक्स सेंसेक्स लॉन्च किया गया।
सेंसेक्स ने पहली बार 1,000 का आंकड़ा 1990 में छुआ था। इसके बाद 1999 में पहली बार 5,000 और 2007 में 20,000 और 2024 में 80,000 का आंकड़ा पार किया था। मौजूदा समय में बीएसई दुनिया के बड़े स्टॉक एक्सचेंजों में से एक है, जिस पर 4,100 से ज्यादा कंपनियां सूचीबद्ध हैं और इसका बाजार पूंजीकरण 461 लाख करोड़ रुपए से अधिक हो गया है।

आईलीड ने सुंदरबन में पुनर्जीवित किया ‘लाइफलाइन हॉस्पिटल’

कोलकाता ।आईलीड ने सुंदरबन के गोसाबा द्वीप पर बंद पड़े एक अस्पताल को पुनर्जीवित कर स्वास्थ्य सेवा में क्रांतिकारी बदलाव की शुरुआत की है, जिससे अब 10 लाख से अधिक लोगों को लाभ मिलेगा। यह पहल शिक्षा, स्वास्थ्य और नवाचार के संगम के रूप में क्षेत्र में आशा और उपचार का संदेश लेकर आई है। आईलीड के एलाइड हेल्थ साइंसेज विभाग ने हाल ही में स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन किया, जिनमें थैलेसीमिया जांच, रक्तदान अभियान और नेत्र परीक्षण शामिल थे। साथ ही, जीवन रक्षक संसाधनों की त्वरित उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए एक स्थानीय ब्लड बैंक की भी स्थापना की जा रही है। परियोजना में ऑप्टोमेट्री, क्रिटिकल केयर टेक्नोलॉजी, हॉस्पिटल मैनेजमेंट, मीडिया साइंस और इंटीरियर डिज़ाइन जैसे पाठ्यक्रमों के स्नातक और स्नातकोत्तर छात्र शामिल हैं। छात्र न केवल स्वास्थ्य सेवा प्रशिक्षण में भाग लेंगे, बल्कि अस्पताल के इन्फ्रास्ट्रक्चर की सुंदरता बढ़ाने और रोगी संचार की योजना बनाने में भी सहयोग करेंगे।  आधुनिक चिकित्सा उपकरण आरबी डायग्नोस्टिक प्राइवेट लिमिटेड के अग्रवाल एवं गोयनका परिवार के द्वारा दान किए जा रहे हैं। यह अस्पताल नॉन-प्रॉफिट लेकिन सस्टेनेबल मॉडल पर संचालित होगा, जिसमें आईलीड की स्वास्थ्य टीम और प्रशिक्षित छात्र मिलकर संचालन करेंगे। इसके अलावा, टेलीमेडिसिन विशेषज्ञों और स्थानीय स्वास्थ्यकर्मियों का भी सहयोग प्राप्त होगा। इससे सुंदरबन के लोगों को दीर्घकालिक, विश्वसनीय और सुलभ स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध हो सकेंगी।  आईलीड के एलाइड हेल्थ साइंसेज कोर्सेज ऑप्टोमेट्री, क्रिटिकल केयर टेक्नोलॉजी, हॉस्पिटल मैनेजमेंट और मेडिकल लैब टेक्नोलॉजी जैसे क्षेत्रों में विशेषज्ञता प्रदान करते हैं, जो छात्रों को स्वास्थ्य सेवा में प्रभावशाली भूमिका निभाने में सक्षम बनाते हैं।

सावन विशेष : भस्म, चंद्रमा और गंगा… महादेव के गले में विराजित नागदेव का रहस्य

विश्व के नाथ को समर्पित सावन का पवित्र महीना 11 जुलाई से शुरू होने वाला है। महादेव के साथ ही उनके भक्तों के लिए भी यह महीना बेहद मायने रखता है। शिवालयों में लगी लंबी कतारें ‘बोल बम’ और ‘हर हर महादेव’ की गूंज चहुंओर सुनाई देगी। भोलेनाथ का स्वरूप निराला है। उनका रूप जितना रहस्यमय है, उतना ही आकर्षक भी है। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि उनके शरीर पर भस्म, माथे पर चंद्रमा, जटा में गंगा और गले में नागदेव क्यों विराजमान रहते हैं?
शरीर पर भस्म, माथे पर चंद्रमा, जटा में गंगा और गले में नागदेव—हर भक्त के मन में जिज्ञासा जगाता है। पौराणिक ग्रंथों में इन सवालों का सरल अंदाज में जवाब मिलता है और भोलेनाथ के स्वरूप और श्रृंगार के बारे में भी विस्तार से जानकारी मिलती है।
महादेव को ‘भस्मभूषित’ भी कहा जाता है, क्योंकि वह अपने शरीर पर भस्म लगाते हैं। शिव पुराण के अनुसार, भोलेनाथ को भस्म बेहद प्रिय है। ये वैराग्य और नश्वरता का प्रतीक है। यह दिखाता है कि यह संसार क्षणभंगुर है और आत्मा ही शाश्वत है। शिव यह संदेश देते हैं कि सांसारिक मोह को त्यागकर आत्मिक शांति की ओर बढ़ना चाहिए। इतना ही नहीं, भस्म में औषधीय गुण भी माने जाते हैं, जो नकारात्मक ऊर्जा को दूर करती है।
पौराणिक कथा के अनुसार, जब माता सती ने क्रोध में आकर खुद को अग्नि के हवाले कर दिया था, उस वक्त महादेव ने उनका शव लेकर धरती से आकाश तक हर जगह भ्रमण किया। विष्णु जी से उनकी यह दशा देखी नहीं गई और उन्होंने माता सती के शव को छूकर भस्म में बदल दिया था। अपने हाथों में भस्म देखकर शिव जी और परेशान हो गए और उनकी याद में वो राख अपने शरीर पर मल ली।
धार्मिक ग्रंथों में यह भी उल्लेख मिलता है कि भगवान शिव कैलाश पर्वत पर वास करते थे और वहां बहुत ठंड होती थी। ऐसे में खुद को ठंड से बचाने के लिए वह शरीर पर भस्म लगाते थे।
‘भस्मभूषित’ के साथ ही शिव को ‘चंद्रशेखर’ भी कहते हैं, क्योंकि उनके मस्तक पर चंद्रमा सुशोभित है। भागवत पुराण के अनुसार, जब चंद्रमा ने दक्ष प्रजापति की 27 पुत्रियों (नक्षत्रों) से विवाह किया, लेकिन केवल रोहिणी को प्राथमिकता दी, तो दक्ष ने उन्हें क्षय रोग का श्राप दे दिया था। इसके बाद चंद्रमा ने शिव की तपस्या की, जिससे प्रसन्न होकर शिव ने उन्हें अपने मस्तक पर रहने का वरदान दिया।
महादेव की जटाओं में गंगा का वास है, इसलिए उन्हें ‘गंगाधर’ कहा जाता है। हरिवंश पुराण के अनुसार, जब पवित्रता और मुक्ति की दात्री गंगा स्वर्ग से पृथ्वी पर अवतरित हुईं, तो उनकी प्रचंड धारा को संभालने के लिए शिव ने उन्हें अपनी जटाओं में बांध लिया था।
औढरदानी को ‘नागेंद्रहार’ भी कहते हैं, क्योंकि उनके गले में नागराज वासुकी विराजते हैं अर्थात गले में नाग रूपी हार को धारण किए हुए हैं। शिव पुराण के अनुसार, समुद्र मंथन में वासुकी ने रस्सी बनकर शिव के प्रति अपनी भक्ति दिखाई थी। प्रसन्न होकर शिव ने उन्हें अपने गले में स्थान दिया और नागलोक का राजा बनाया।

भवानीपुर एजूकेशन सोसाइटी कॉलेज में इलमाइसु 25 फेस्ट प्रतियोगिता संपन्न 

कोलकाता । भवानीपुर एजूकेशन सोसाइटी कॉलेज द्वारा आयोजित इलमाइसु 25फेस्ट प्रतियोगिता कोलकाता ही नहीं भारत के कई हिस्सों से इसमें विद्यार्थी रुचि दिखाते हैं। इलमाइसु शब्द फिनलैंड की जड़ों से जुड़ा हुआ शब्द है जिसका अर्थ भावनाओं को प्रदर्शित करने और कला से संबंधित है एवं विभिन्न प्रतिभाओं से मिला-जुला शब्द है । इसमें आर्ट एंड मी,सैलूलायड और फैशन की विभिन्न कला प्रतिभाओं द्वारा प्रदर्शन किया जाता है । यह इलमाइसु 25 फेस्ट दूसरा एडिशन है जिसकी थीम है वेरी बोहेमियन। बोहेमियन” का अर्थ हिंदी में “रूढ़िमुक्त” या “अपरंपरागत” होता है। यह शब्द उन लोगों के लिए इस्तेमाल किया जाता है जो सामाजिक नियमों और मान्यताओं से अलग और अनोखे जीवन जीने में विश्वास करते हैं। ये लोग अक्सर कलाकार, लेखक, संगीतकार या अन्य रचनात्मक क्षेत्रों में काम करते हैं। इस कार्यक्रम की सभी सजावट मिट्टी के रंगों से जुड़ी थी जिसे कालेज के आर्ट एंड मी के विद्यार्थियों ने अपनी कलात्मक रुचि से संवारा था। ऐसे ही कलाकारों और फैशन के क्षेत्र में विशेष रुचि रखने वाले विद्यार्थियों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया।
कोलकाता के प्रतिष्ठित कॉलेजों में श्री शिक्षायतन , श्री अग्रसेन कॉलेज ,लॉरेटो कॉलेज, टेक्नो इंडिया यूनिवर्ससिटी, टीएचके जैन कॉलेज ,सिस्टर निवेदिता कालेज,स्कॉटिश चर्च कॉलेज ,सेठ आनंद राम जयपुरिया कॉलेज ,आईआईएचएम ,बनारस हिंदू विश्वविद्यालय और मेज़बान भवानीपुर एजूकेशन सोसाइटी कॉलेज रहे।
नैक ए ग्रेड प्राप्त भवानीपुर एजूकेशन सोसाइटी कॉलेज के उपाध्यक्ष मिराज डी शाह ने जहाँ विद्यार्थियों को को इस प्रकार के विभिन्न सृजन के प्रति प्रोत्साहित किया, वहीं रेक्टर और डीन प्रो दिलीप शाह ने कहा कि विद्यार्थियों की प्रतिभाएँ उनकी कल्पनाशीलता का ही प्रतिबिंब है।
कालेज के जुबली सभागार, कांसेप्ट सभागार, प्लेसमेंट सभागार और वालिया हाल में सभी प्रतियोगिताएं आयोजित की गईं थीं।
इलमाइसु 25फेस्ट चुनौतियों और आत्मविश्वास का महत्वपूर्ण प्रदर्शन है जिसमें शार्ट फिल्म,फैशन, मिस्टर और मिस इलमाइसु 25,क्रिएटिव मेकओवर ,फैशन फोटोग्राफी, डुडलिंग , रील मेकिंग, फेस पेंटिंग ,कैलीग्राफी आदि विविध कलाएं शामिल थे।
उद्घाटन समारोह में रेक्टर और डीन प्रो दिलीप शाह ने जुबली सभागार के मंच के पर्दे पर वर्चुअल दीप प्रज्ज्वलित किया और उसी समय सभागार में बैठे सभी विद्यार्थियों और शिक्षकों ने अपने-अपने मोबाइल की भी लाइट जलाई। प्रो दिलीप शाह ने कहा भारतीय संस्कृति में तमसो ज्योतिर्गमय की परंपरा रही है।यह उसी का प्रतीक है। प्रो मीनाक्षी चतुर्वेदी और डॉ वसुंधरा मिश्र ने सभी निर्णायकों को कालेज मोमेंटो प्रदान कर सम्मानित किया।
डॉ वसुंधरा मिश्र ने बताया कि सभी प्रतियोगियों के अलग-अलग निर्णायक मंडल थे जिनमें तीन तीन निर्णायकों की भूमिका थी और निर्णायकों के निर्णय ही अंतिम निर्णय रहे। विभिन्न प्रतियोगिताओं में पूर्ण रूप से रनर अप सिस्टर निवेदिता विश्वविद्यालय और चैंपियन टेक्नो इंडिया यूनिवर्सिटी रहे।