दीयों के त्योहार पर बढ़े घर की सजधज
स्वास्थ्य के प्रति सजग रहकर मनाएं दिवाली
दीपावली हम हिन्दुओं के सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक है। हम में ज्यादातर लोग इस त्योहार का सालभर इंतजार करते हैं। यह लोगों के जीवन में आनंद और खुशियों का त्योहार है। देशभर में यह दिवाली का त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। लेकिन जैसा कि हम सभी जानते हैं, इस त्योहार पर लोगों के घरों में तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं और खूब मिठाइयों का सेवन किया जाता है। तला-भुना, नमकीन, मीठा, मसालेदार चीजों का अधिक सेवन स्वास्थ्य को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है। इसके अलावा, दिवाली का त्योहार जिस समय पड़ता है, इस दौरान देश में प्रदूषण काफी अधिक होता है। त्योहार के दिन भी खूब बम-पटाखे फूटते हैं, जिसकी वजह से प्रदूषण का स्तर काफी अधिक बढ़ सकता है। यह स्वास्थ्य के लिए और भी खतरनाक साबित हो सकते हैं। ऐसे में अगर आप त्योहार के समय अगर अपने स्वास्थ्य की सही तरीके से देखभाल नहीं करते हैं, तो इससे आपके स्वास्थ्य को गंभीर नुकसान पहुंच सकता है। अब सवाल यह उठता है कि आखिर दिवाली पर सेहतमंद कैसे रह सकते हैं और स्वस्थ तरीके से किस तरह हम यह त्योहार मना सकते हैं। आपको बता दें कि कुछ सरल टिप्स को फॉलो और जरूरी बातों को ध्यान में रखकर आप आसानी से सेहतमंद तरीके से खुशियों का त्योहार मना सकते हैं। इस लेख में हम आपको इसके बारे में विस्तार से बता रहे हैं.
सीमित मात्रा में खाएं – भले ही दिवाली खुशियों, मिठाईयों और खाने-पीने का त्योहार है। लेकिन इस दौरान कोशिश करनी चाहिए, आप कुछ भी अधिक मात्रा में न खाएं। अपनी सामान्य डाइट पर ही रहें। ज्यादा मीठा और पकवान खाने से बचें। यह आपके स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है।
मधुमेह के मरीज मीठा खाने से बचें – जिन लोगों को डायबिटीज की समस्या है ऐसे लोगों को त्योहार पर भूलकर भी मिठाइयों का सेवन नहीं करना चाहिए। सिर्फ डॉक्टर की सलाह से ही कम मात्रा में खाना चाहिए। अपनी दवाओं का भी खास ध्यान रखें।
अस्थमा के मरीज बरतें सावधानी – अस्थमा के मरीजों के लिए दीपावली का त्योहार और भी खतरनाक साबित हो सकता है। इसलिए क्योंकि प्रदूषण की वजह सांस लेने में परेशानी हो सकती है। कोशिश करें कि अपने घर के भीतर ही रहें। घर में एयर प्यूरीफायर का प्रयोग करें।
मास्क लगाकर रहें – त्योहार पर होने वाला प्रदूषण सिर्फ अस्थमा के मरीजों के लिए ही नहीं, सामान्य लोगों के लिए भी घातक हो सकता है। यह आंखों को भी गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए मांस्क पहनें और आंखों पर चश्मा लगाकर रखें।
पौष्टिक आहार लें – अपने खानपान का खास ध्यान रखें। थोड़ा बहुत मीठा और पकवान भले ही खाएं, लेकिन अपने नियमित आहार को न छोड़ें। स्वस्थ और पोषक तत्वों से भरपूर आहार लें। फल-सब्जियों का सेवन अधिक करें। साबुत अनाज खाएं, प्रोटीन और फाइबर से भरपूर आहार लें।
भरपूर पानी पिएं – आपको दिनभर पानी जरूर पीना चाहिए। पानी स्वास्थ्य के लिए बहुत आवश्यक है। आपको हमेशा यह कोशिश करनी चाहिए कि आप दिनभर खूब पानी पिएं। यह शरीर की आंतरिक रूप से साफ-सफाई करने में मदद करता है। इससे शरीर हाइड्रेट रहता है।
दिवाली पर अगर न मिल रही हो छुट्टी तो इस तरह मनाएं उत्सव
दिवाली साल भर का त्योहार होता है और भारत में पर्व व त्योहार लोग अपने परिवार के साथ मनाना पसंद करते हैं। जो लोग घर से दूर किसी दूसरे शहर में नौकरी या पढ़ाई करते हैं, वो भी दिवाली की छुट्टी पर घर वापसी करते हैं और घरवालों के साथ ही ये त्योहार सेलिब्रेट करते हैं। वैसे तो दिवाली के मौके पर लगभग देशभर में छुट्टी होती है, लेकिन पुलिस और स्वास्थ्य सेवा से जुड़े लोगों के अलावा कई ऐसी कंपनियां या नौकरी हैं, जिसमें छुट्टी नहीं मिल पाती। वहीं एक या दो दिन की छुट्टी में दूसरे शहर स्थित अपने घर जा पाना कई लोगों के लिए मुश्किल हो जाता है।
ऐसे लोग चाहकर भी दिवाली पर अपने घर, गांव व परिवार के साथ त्योहार नहीं मना पाते हैं। अगर आप भी ऐसे लोगों में शामिल हैं, जो किसी कारणवश दिवाली पर घर नहीं जा पा रहे हैं या त्योहार के दिन उन्हें दफ्तर जाकर काम करना पड़ रहा है तो उदास न हों। त्योहार का मौका है, ऐसे समय को भी खुलकर एंजॉय करें और कुछ मजेदार तरीकों से दफ्तर में दिवाली का पर्व मनाएं, ताकि परिवार की कमी को कम किया जा सके और दिवाली की रौनक को महसूस किया जा सके।
कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां 24*7 काम होता है। इसलिए जरूरी नहीं कि दिवाली पर हर शख्स को छुट्टी मिल सके। ऐसे में किसी ना किसी को तो अपनी छुट्टी के साथ समझौता करना ही पड़ता है। अगर इस बार आपको दिवाली पर दफ्तर जाना पड़ रहा है तो इन आसान टिप्स के साथ अपनी ऑफिस वाली दिवाली का आनंद उठा सकते हैं। जानिए, इन टिप्स के बारे में…
उत्सव के लिए पारंपरिक कपड़े पहनकर दफ्तर जाएं, ताकि और दिनों की तुलना में आपको अलग महसूस हो।
तैयार होकर गए हैं तो सेल्फी और फोटो तो बनती हैं। अपने सहकर्मियों के साथ तस्वीरें लें और दिवाली को यादगार बनाने की कोशिश करें।
टीम के सदस्यों के लिए मिठाइयां लेकर जाएं और सबके साथ मिलकर इस त्योहार को एंजॉय करें।
काम से समय निकालकर अपने घरवालों को और दोस्तों को कॉल या वीडियो कॉल करें और घरवाली दिवाली का भी हिस्सा बनें।
वक्त मिले तो दफ्तर को सजाएं, दीये जलाएं और रंगोली भी बना सकते हैं।
दफ्तर में हुई फेस्टिव डेकोरेशन के साथ अपनी तस्वीर लें और इन्हें अपने घरवालों के साथ शेयर करें।
सहकर्मियों के साथ कुछ गेम्स भी खेल सकते हैं, जिससे सभी का मन फ्रेश हो जाएगा और घर से दूर होने के बाद भी किसी को अकेलापन महसूस न हो।
– घरवालों और दोस्तों को ऑनलाइन दिवाली के गिफ्ट और मिठाइयां भेज सकते हैं।
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देश भर में मनाए जाने वाले प्रख्यात दशहरा उत्सव
दशहरा भारत के बड़े त्योहारों में से एक है । दशहरे के दिन अधिकतर जगहों पर रावण के पुतले का दहन किया जाता है. लेकिन, कुछ स्थान ऐसे हैं, जो इस पर्व की भव्यता व आकर्षण के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध हैं –
मैसूर में होता है राज्य त्योहार का आयोजन – मैसूर में इस पर्व को स्टेट फेस्टिवल यानी राज्य त्योहार के रूप में मनाया जाता है। दशहरे के दिन मैसूर का राज दरबार सभी लोगों के लिए खोल दिया जाता है। नृत्य, संगीत और प्रदर्शनी के साथ दस दिनों तक यहां दशहरा मेला लगता है। दसवें दिन जम्बू की सवारी नामक भव्य जुलूस निकाला जाता है। 21 तोपों की सलामी के साथ महल से हाथियों के जुलूस की शुरुआत होती है। इस जुलूस का नेतृत्व सजे-धजे हाथी करते हैं। इसमें से एक हाथी पर 750 किलो सोने का हौदा लगा होता है, जिस पर देवी चामुंडेश्वरी की प्रतिमा रखी होती है। इस जुलूस में ड्रम बजानेवाले, विशाल कठपुतलियां, एनसीसी कैडेट स्काउट और गाइड, लोक नर्तक और संगीतज्ञ और झांकी शामिल होती है। मैसूर का दशहरा देखने के लिए देश-विदेश के लोग आते हैं।
बस्तर में 75 दिनों तक चलता है यह पर्व – छत्तीसगढ़ के बस्तर में दशहरा पूरे 75 दिनों तक मनाया जाता है। बस्तर के दशहरे का संबंध रावण वध से नहीं, बल्कि महिषासुर मर्दिनी मां दुर्गा से जुड़ा है। यहां दशहरे के पर्व में मां दंतेश्वरी का रथ खींचा जाता है। बड़े पैमानै पर आदिवासी इस आयोजन में शामिल होते हैं। प्रत्येक वर्ष हरियाली अमावस को इस पर्व की पहली रस्म के तौर पर पाट जात्रा का विधान पूरा किया जाता है। पाट जात्रा अनुष्ठान के अंतर्गत स्थानीय निवासियों द्वारा जंगल से लकड़ियां एकत्रित की जाती हैं जिसका उपयोग विशालकाय रथ बनाने में होता है। बस्तर के तहसीलदार द्वारा समस्त ग्रामों के देवी देवताओं को दशहरा में शामिल होने के लिए आमंत्रण भेजा जाता है जिसमें 6166 ग्रामीण प्रतिनिधि बस्तर दशहरे की पूजा विधान को संपन्न कराने के लिए विशेष तौर पर शामिल होते हैं।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध है कुल्लू का दशहरा – हिमाचल प्रदेश के कुल्लू का दशहरा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध है। जब पूरे भारत में विजयादशमी की समाप्ति होती है, उस दिन से कुल्लू की घाटी में इस उत्सव की रौनक बढ़नी शुरू होती है। इस पर्व की शुरुआत मनाली के हिडिंबा मंदिर की आराधना से होती है, फिर पूरे कुल्लू में रथ यात्रा आयोजित की जाती है। रथ यात्रा में रघुनाथ, सीता और हिडिंबा मां की प्रतिमाओं को मुख्य स्थान दिया जाता है। इस रथ को एक जगह से दूसरी जगह लेकर जाते हैं और छह दिनों तक रथ को यहां रोक कर रखा जाता है। उत्सव के 7वें दिन रथ को ब्यास नदी के किनारे ले जाया जाता है, जहां लंकादहन का आयोजन होता है। सात दिनों तक चलनेवाले इस पर्व में नाच-गाने के साथ ही सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है।
कृष्णा नदी में स्नान का है विशेष महत्व – आंध्र प्रदेश, विजयवाड़ा में कृष्णा नदी के किनारे बने श्री कनका दुर्गा मंदिर से दशहरा के आयोजन की शुरूआत होती है। यहां कनक दुर्गा देवी को दस दिनों तक अलग-अलग अवतारों में सजाया जाता है। वहीं विजयवाड़ा कनक दुर्गा मंदिर की भी खास आभा देखते ही बनती है। यहां दशहरा के समय कई तरह की पूजा होती है, जिसमें सरस्वती पूजा की खास मान्यता है। इस पर्व पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु कृष्णा नदी में स्नान करते हैं।
कोटा में लगता है दर्शकों का तांता – राजस्थान के कोटा शहर मे भी दशहरा बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस पर्व को देखने के लिए दूर-दूर से लोग यहां आते हैं। कोटा में मेले का आयोजन महाराव भीमसिंह द्वितीय ने किया था। तब से यह परंपरा आज तक निभायी जा रही है। इस दिन यहां पर मेले का आयोजन होता है। भजन कीर्तन के साथ-साथ कई प्रकार की प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाती है. इसलिए यह मेला प्रसिद्ध मेलों में से एक माना जाता है।
(साभार – प्रभात खबर)
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