भगवान श्रीकृष्ण की ‘बेट द्वारका’ का होगा विश्वस्तरीय कायाकल्प
57 वर्षीय शख्स ने घर-बार बेचकर 500 अनाथ बच्चों को पढ़ाया
अब 183 बने वकील और इंजीनियर
नयी दिल्ली । 57 वर्षीय बलराम करण 500 अनाथ बच्चों के लिए माता-पिता की भूमिका निभा रहे हैं। पिछले 30 वर्षों से वे इन बच्चों की देखभाल कर रहे हैं। इसके लिए उन्होंने अपनी दुकान, घर और जमीन तक बेच दी। पैसे की कमी होने पर उन्होंने गांव-गांव जाकर लोगों से मदद भी मांगी। आज इनमें से 183 बच्चे आत्मनिर्भर हो चुके हैं। कुछ इंजीनियर बने हैं, कुछ वकील और कुछ नर्स हैं। बलराम करण की यह प्रेरणादायक कहानी 1995 से शुरू हुई, जब 27 साल की उम्र में उन्होंने पहला अनाथ बच्चा अपने घर लाया। 2004 में जर्मनी में रहने वाले प्रवासी बंगाली विमल राय ने अनाथ बच्चों के लिए अपनी मां, पिता और बहन के नाम पर 50 लाख रुपए की मदद दी और 3 इमारतें बनवाने के लिए कहा। अब 20 बीघा जमीन पर पूरा आश्रम है। यहां रहने वाले बच्चे अब आश्रम के लिए दान भी भेजते हैं। इसके अलावा बीरभूम और बर्दवान में भी उनके आश्रम स्थापित हैं। बलराम करण बताते हैं कि एक दिन जब वे कहीं जा रहे थे, उन्होंने देखा कि 2-3 साल का बच्चा कूड़ेदान से खाना निकालकर खा रहा था। यह देखकर वे बहुत प्रभावित हुए और उसे अपने घर ले आए। उनकी पहले से ही 3 बेटियां और एक बेटा था और गुजारा मुश्किल से होता था, फिर भी वे जहां भी अनाथ बच्चा देखते उसे अपने घर ले आते। बलराम ने तस्करी की शिकार गर्भवती युवती को भी अपनी बहू बनाया। वे बताते हैं कि उस युवती को अपने बच्चे के स्कूल में भर्ती करवाने के लिए पिता का नाम चाहिए था। इसलिए उन्होंने अपने बेटे के साथ 2020 में उसकी शादी करवा दी। आज उसका पोता छह साल का हो चुका है। बलराम ने आश्रम में पली 49 युवतियों का कन्यादान पिता की तरह किया है। यह आश्रम ही उनके लिए मायका बन गया है। बिहार की रहने वाली शीतल और राधी यादव, जो 4 और 3 साल की उम्र से यहां रह रही हैं, अब सफल हो चुकी हैं। शीतल की छोटी बहन कलकत्ता हाईकोर्ट में वकालत कर रही है, जबकि शीतल को कोलकाता के आरएन टैगोर अस्पताल में नौकरी मिली है।
युवा सपने..समाज और स्मार्ट फोन की आभासी दुनिया
साहित्य व संस्कृति के रंग से सजी मुंशी प्रेमचंद जयंती





कॉलेज के छात्रों गुनगुन गुप्ता, कुमकुम जायसवाल और संजिनी राय ने काव्य आवृत्ति एवं नृत्य प्रस्तुति की। कार्यकम का कुशल संचालन तमोघ्ना दत्त ने किया और धन्यवाद ज्ञापन गौतम दास ने किया। मंच पर उपस्थित थे आंतरिक गुणवत्ता और आश्वासन प्रकोष्ठ को-ऑर्डिनेटर प्रो. रमा दे नाग, एक्सटेंडेड कैंपस की प्रभारी प्रो. मर्सी हेंब्रम, अरुण कुमार बनिक, डॉ. अरूप बख्शी, कावेरी कर्मकार, पूजा मुखर्जी, सोनाली चक्रवर्ती आदि के साथ तृणमूल छात्र परिषद के भूषण प्रसाद सिंह, आनंद रजक, अमित सिंह, सुष्मिता सिंह आदि छात्र उपस्थित थे।
अपने अधिकारों के प्रति जागरुक हों महिलाएं-प्रतिभा सिंह
रक्षाबंधन पर बना लें यह मिठाइयां
इंद्र देव सहित इन भगवानों ने भी निभाया था राखी का रक्षा वचन
सावन माह की पूर्णिमा के दिन रक्षा बंधन का पर्व मनाया जाता है। इस बार 19 अगस्त 2024 सोमवार के दिन यह त्योहार मनाया जाएगा। बहन अपने भाई की कलाई पर राखी यानी रक्षा सूत्र बांधती है जिससे भाई की रक्षा होती है और तब भाई भी बहन को रक्षा का वचन देता है। प्राचीन काल या पौराणिक काल में इस राखी के बंधन को भगवानों ने भी निभाया था, जानते हैं ऐसे ही किस्सें।
1. सबसे पहले भगवान इंद्र अपना राज्य असुर वृत्रा के हाथों गंवाने के बाद उसके विरुद्ध जब युद्ध के लिए जाने लगे तो भगवान बृहस्पति के अनुरोध पर इंद्र देव की पत्नी सचि ने उन्हें रक्षासूत्र बांधकर संग्राम में विजय होने के साथ-साथ उनकी रक्षा की प्रार्थना की थी। इंद्र ने इस बंधन की लाज रखी और वृत्तासुर को हराकार घर लौटे।
2. येन बद्धो बलिः राजा दानवेन्द्रो महाबलः। तेन त्वामभिबध्नामि रक्षे मा चल मा चल॥ इस श्लोक का हिन्दी भावार्थ है- “जिस रक्षासूत्र से महान शक्तिशाली दानवेन्द्र राजा बलि को बांधा गया था, उसी सूत्र से मैं तुझे बांधती हूं, तू अपने संकल्प से कभी भी विचलित न होना।”
दरअसल, भगवान वामन ने महाराज बलि को वचन के सूत्र में बांधकर उससे तीन पग भूमि मांगकर उन्हें पाताललोक का राजा बना दिया तब राजा बलि ने भी वर के रूप में भगवान से रात-दिन अपने सामने रहने का वचन भी ले लिया था। भगवान को वामनावतार के बाद पुन: लक्ष्मी के पास जाना था लेकिन भगवान ये वचन देकर फंस गए और वे वहीं रसातल में बलि के यहां रहने लगे। उधर, इस बात से माता लक्ष्मी चिंतित हो गई। ऐसे में नारदजी ने लक्ष्मीजी को एक उपाय बताया। तब लक्ष्मीजी ने राजा बलि को राखी बांधकर अपना भाई बनाया और अपने पति को अपने साथ ले आईं। उस दिन श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि थी। तभी से यह रक्षा बंधन का त्योहार प्रचलन में हैं।
3. एक और वृत्तांत के अनुसार यमराज की बहन यमुना ने राखी बांध कर उन्हें अजरता और अमरता के वरदान से संपूर्ण किया था।
4. शिशुपाल का वध करते समय सुदर्शन चक्र से भगवान श्रीकृष्ण की तर्जनी में चोट आ गई थी तो कहते हैं कि द्रौपदी ने लहू रोकने के लिए अपनी साड़ी फाड़कर उनकी अंगुली पर बांध दी थी। यह द्रोपदी का बंधन था। इसके बाद जब द्रौपदी का जब चीरहरण हो रहा था तब श्रीकृष्ण ने इस बंधन का फर्ज निभाया और द्रौपदी की लाज बचाई थी।
5. जब युधिष्ठिर ने भगवान कृष्ण से पूछा कि मैं सभी संकटों को कैसे पार कर सकता हूं, तब कृष्ण ने उनकी तथा उनकी सेना की रक्षा के लिए राखी का त्योहार मनाने की सलाह दी थी।
(साभार – वेबुदुनिया)
आरजीकर कांड : न्याय की मांग आधी रात सड़क पर उतरी नारी शक्ति
कोलकाता। कोलकाता के सरकारी आरजी कर अस्पताल की स्नातकोत्तर प्रशिक्षु महिला चिकित्सक के साथ दुष्कर्म व उसकी हत्या की घटना के खिलाफ कोलकाता व राज्य के जिलों में बुधवार आधी रात को महिलाएं-लड़कियां सड़कों पर उतरीं और उन्होंने न्याय की मांग की। इस विरोध प्रदर्शन में पुरुष भी शामिल थे। जिस अकेली युवती के आह्वान पर आधी रात को सड़कों पर महिलाएं उतरीं उनका नाम रिमझिम सिन्हा है। प्रेसिडेंसी विश्वविद्यालय की पूर्व छात्रा व वर्तमान शोधार्थी महिला चिकित्सक से साथ दुष्कर्म व हत्या की घटना का इंसाफ चाहती हैं। पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर में आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल बलात्कार-हत्या की घटना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया गया। प्रदर्शनकारी महिलाओं ने पीड़िता को श्रद्धांजलि भी दी। दरअसल 10 अगस्त की रात को उन्होंने फेसबुक पर पोस्ट करके लड़कियों से आधी रात को सड़क पर उतरने का आह्वान किया था। इसका उन्हें लड़कियों की ओर से जबरदस्त समर्थन मिला। इस कार्यक्रम का नाम लड़कियां रात पर कब्जा करें दिया गया था। कार्यक्रम का नारा था स्वंतत्रता दिवस की आधी रात महिलाओं की आजादी के लिए। लड़कियों ने इस कार्यक्रम के लिए अनेक वाट्सएप ग्रुप बनाया था। कोलकाता में कॉलेज स्ट्रीट से लेकर बागुईआटी से लेकर न्यूटाउन से लेकर श्यामबाजार की सड़कों पर सैलाब उमड़ा। देश भर में इस आन्दोलन की गूंज सुनाई दी और महिलाओं का ऐतिहासिक विरोध भी दर्ज हुआ।
न चलती बस में, न अपने घर, न ऑफिस में… मेरी आजादी किस डिब्बे में बंद है?
आजादी के बाद रेलवे ; स्टीम इंजन से वंदे भारत तक का तय किया सफर
वैसे तो भारतीय रेलवे का इतिहास आजादी से पहले का है, लेकिन जब सफर की बात आती है तो इसमें बड़े बदलाव आजादी के बाद देखने को मिले। अपने उतार-चढ़ाव भरे सफर के साथ आज भारतीय रेलवे अमृत महोत्सव के गंतव्य तक पहुंच गया है।
दुनिया के लिए मिसाल है भारतीय रेलवे – दुनिया में सबसे बड़े रेल नेटवर्क की जब भी बात आती है तो भारतीय रेलवे का नाम जरूर आता है। भारतीय रेलवे का नेटवर्क लगभग वर्तमान में करीब 1.26 लाख किलोमीटर से ज्यादा का हो गया है। भारतीय रेल नेटवर्क के जरिए हर दिन करोड़ों की संख्या में लोग यात्रा करते हैं। भारत में ट्रेनें रोजाना जितनी दूरी तय करती हैं, अगर उसे मापें तो कुल दूरी करीब 36.78 लाख किलोमीटर की होगी। अब अगर इसकी तुलना अंतरिक्ष में धरती का एक चक्कर लगाने से करें, तो यह 97 बार पृथ्वी का चक्कर लगाने जितनी होगी। इसका मतलब है कि भारतीय रेलवे रोजाना धरती के चारों ओर 97 बार चक्कर लगाने जितनी दूरी तय करती है।
भारतीय रेलवे का विकास – आजादी के बाद से भारतीय रेलवे ने काफी विकास किया है। भारतीय रेलवे का भाप इंजन से लेकर वंदे भारत तक का यह सफर काफी अनोखा है। उम्मीद है कि आगामी पांच सालों में यह सफर शानदार रहने वाला है। देश के अभी कई रूट्स पर वंदे भारत दौड़ रही है और कुछ सालों में पहाड़ी इलाकों पर भी वंदे भारत दौड़ने लगेगी। अब रेलवे नेटवर्क में कश्मीर, पूर्वोत्तर और लद्दाख जैसे पहाड़ी इलाकों को भी जोड़ा जा रहा है। इसके अलावा आर्थिक विकास के लिए रेलवे डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर का निर्माण हो रहा है। रेलवे के विकास में वंदे भारत की अहम भूमिका है। यह भारत की बड़ी आबादी के लिए महत्वपूर्ण जीवन रेखा है। आने वाले कुछ वर्षों में भारतीय रेलवे विश्व स्तरीय सुविधाओं और अत्याधुनिक तकनीक वाली ट्रेनों से लैस होगा। इसका मतलब है कि रेलवे यात्रियों को और सुगम सुविधाएं मिलेगी।
जल्द दौड़ेगी बुलेट ट्रेन – भारत में वर्ष 2026 तक बुलेट ट्रेन के चलने की संभावना है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बुलेट ट्रेन परियोजना की समीक्षा की थी और बताया था कि साल 2026 तक भारत की पटरियों पर बुलेट ट्रेन दौड़ती हुई दिख सकती है। भारत की पहली बुलेट ट्रेन मुंबई और अहमदाबाद के बीच चलेगी। आज के समय में जहां मुंबई और अहमदाबाद के बीच सफर करने में छह घंटे लगते हैं। वही, बुलेट ट्रेन के बाद यह समय आधा हो जाएगा।
आर्च ब्रिज है उपलब्धि – भारत के चिनाब नदी पर आर्च ब्रिज बन चुका है। इस ब्रिज का निर्माण यूएसबीआरएल प्रोजेक्ट के तहत हुआ। आर्च ब्रिज और अंजी ब्रिज इंजीनियरिंग का एक अद्वितीय उदाहरण पेश करती है। आर्च ब्रिज की वजह से रेल नेटवर्क में कश्मीर को सफलतापूर्वक जोड़ा गया है। आर्च ब्रिज के जरिये देशवासी आसानी से ट्रेन के माध्यम से कश्मीर पहुंच पाएंगे।
भारतीय रेलवे अपने नेटवर्क के विस्तार के साथ यात्रियों की सुरक्षा के लिए भी काम कर रहा है। इसके लिए भारतीय रेलवे द्वारा राजधानी दिल्ली के करीब 118 किलोमीटर और बाकी मंडलों पर भी 1175 किलोमीटर रेलवे ट्रैक पर ट्रेनों की टक्कर को रोकने के लिए आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। इस तकनीक का नाम’कवच’ है, इससे ट्रेन हादसे को रोकने में सफलता हासिल होगी।