Sunday, July 27, 2025
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ब्रेक लें..खुद को समय दें और इस तरह करें अपने समय का सही इस्तेमाल

घर और दफ़्तर का काम करने के दौरान विराम लेना बहुत ज़रूरी है। इससे तनाव दूर होता है और काम को बेहतर तरीके से पूरा करने की प्रेरणा मिलती है। जब हम काम से चंद मिनट का आराम लेते हैं, तो इस विराम को ‘मी टाइम’ की तरह इस्तेमाल करें, यानी मोबाइल या टीवी पर नज़रें गड़ाने के बजाय ख़ुद के लिए और ख़ुद के साथ समय बिताएं। काम के बीच निकाले हुए समय को कैसे इस्तेमाल कर सकते हैं,
जब ब्रेक 5 मिनट का हो…
अगर आप घर पर हैं, तो फल, हरी सब्ज़ियों का सलाद और सूखे मेवे खा सकते हैं। इससे ऊर्जा मिलेगी और मस्तिष्क क्रिया बेहतर होगी।
आप जो काम कर रहे हैं, उससे नज़रें हटाएं और कोई पसंदीदा आर्टिकल पढ़ें। अगर कोई किताब पढ़ रहे हैं, तो उसका एक भाग भी पढ़ सकते हैं। ये घर और दफ़्तर दोनों जगह कर सकते हैं।
घर हो या दफ्तर, लगातार काम कर रहे हैं, तो पांच मिनट के विराम में अपने हाथों और गर्दन को मसाज दें। इससे रक्त प्रवाह सही रहेगा और तनाव कम होगा।
दिमाग़ी कसरत के लिए पहेलियां सुलझा सकते हैं या ब्रेन गेम्स खेल सकते हैं, जैसे कि सुडोकू, रूबिक क्यूब या वर्ग पहेली आदि।
जब ब्रेक 10 मिनट का हो…
दफ़्तर में लगातार बैठे रहना सेहत के लिए सही नहीं है। बीच-बीच में टहलना भी ज़रूरी है। अगर दस मिनट का ब्रेक ले सकें, तो कॉफी मशीन से कॉफी या चाय ख़ुद तैयार करें और खुले स्थान पर खड़े होकर पिएं। इसे घर पर भी किया जा सकता है।
इस अंतराल में दफ़्तर या घर की अलमारी या दराज साफ़ कर सकते हैं। अतिरिक्त और व्यर्थ सामान छांटकर ठीक और व्यवस्थित कर सकते हैं।
किसी शख़्सियत के प्रेरणादायक वीडियो भी देख सकते हैं। इससे मन को सुकून मिलेगा, मानसिक थकान उतरेगी और काम को पहले से अधिक उत्साह से पूरा कर सकेंगे।
जब ब्रेक 15 मिनट का हो…
यदि पंद्रह मिनट का ब्रेक ले रहे हैं, तो इस समय को शारीरिक क्रिया में उपयोग करें। घर या दफ्तर में अकेले शांति में टहलें। इससे शारीरिक क्रिया हो जाएगी और ऊर्जा स्थिर रहेगी। पर टहलते वक़्त मोबाइल नज़रों से दूर रहे, यह भी सुनिश्चित करें।
व्यस्तता के बीच इस समय आप अपने क़रीबी या परिजन से फोन पर बात कर सकते हैं। पर इस दौरान भी खड़े रहें या टहलते रहें।
संगीत भी मन को शांत करने का सबसे अच्छा ज़रिया है। जब भी काम से विराम लें, तो पसंदीदा संगीत सुनें। बेहतर होगा कि खुली हवा में टहलते हुए अकेले संगीत सुनें।
अगर ब्रेक 30 मिनट का हो…
अगर घर में तीस मिनट निकाल रहे हैं, तो किसी एक व्यक्ति के साथ गेम्स खेल सकते हैं। ऐसे गेम्स जिसमें ध्यान लगाना हो जैसे कि कार्ड, बिज़नेस गेम, चेस आदि।
दफ्तर की कैंटीन या घर की बालकनी में अकेले बैठकर चाय की चुस्कियां लें, आसपास के लोगों पर ध्यान दें और उनकी गतिविधियों को ग़ौर से देखें। इससे आंखों की थकावट दूर होगी और काम पर बेहतर तरीक़े से ध्यान दे पाएंगे। साथ ही अगर आप पूरे सुकून और इत्मीनान के साथ समय गुज़ारना सीख गए, तो संतुलित मन:स्थिति के मालिक बन सकते हैं।
डिजिटल दोस्तों से बाहर निकलकर असल दोस्तों के साथ समय गुज़ारें। दफ़्तर में उनके साथ भोजन करें। अगर घर में हैं, तो हफ्ते में दो-तीन दिन दोस्तों के साथ भोजन की योजना बना सकते हैं।

(साभार – दैनिक भास्कर)

हरियाणा में खुला मेनोपॉज क्लिनिक…मेनोपॉज के प्रति जागरुकता जरूरी

मेनोपॉज….. हर महिला के जीवन से जुड़ा एक महत्वपूर्ण पड़ाव और सच है। हर महिला इस दौर से चुप-चाप गुजरती हैं। महिलाएं मेनोपॉज से जुड़ी परेशानियों के बारे में बिना किसी से बात करे उन्हें झेलती हैं, नतीजन कुछ सालों में महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर, हार्ट अटैक और डिप्रेशन जैसी खतरनाक बीमारियां जकड़ सकती हैं। मगर इन सब परेशानियों के बीच महिलाओं के लिए एक काम की खबर यह है कि, हाल ही में हरियाणा में मेनोपॉज क्लिनिक खुला है। पढ़िए आखिर क्या है मेनोपॉज? इस दौरान महिलाओं को क्या होती है दिक्कतें?
क्या है मेनोपॉज? कितने साल रहती है परेशानी?
40 साल की उम्र पार करने के बाद जब महिला के पीरियड्स रुकने लगते हैं, इसे मेनोपॉज कहा जाता है। यह प्रक्रिया तीन स्टेज में होती है। प्री-मेनोपॉज, मेनोपॉज और पोस्टमेनोपॉज। जिसमें करीब 7 से 8 साल तक का समय लग जाता है। कुछ महिलाएं मेनोपॉज में अलग-अलग शारीरिक और मानसिक स्थिति से गुजरती हैं।​​​​​
प्री-मेनोपॉज : जब महिला में एस्ट्रोजन हार्मोन की मात्रा कम होने लगती है, इसे प्री-मेनोपॉज कहा जाता है। यह आमतौर पर मेनोपॉज शुरू होने के चार से पांच साल पहले शुरू हो जाता है। इस दौरान महिलाओं को हॉट फ्लैशेस यानी ज्यादा गर्मी लगने लगती है। पीरियड्स रेगुलर नहीं रहते, चिड़चिड़ापन बढ़ जाता है। रात में पसीना आने लगता है, वजाइना में ड्राइनेस होने लगती है और कई महिलाओं में सेक्स पेनफुल हो जाता है। ​​​​​​
मेनोपॉज : जब महिला बिना पीरियड्स के एक साल का समय पार कर लेती है, तो उसे मेनोपॉज कहते हैं। इसमें महिला के हार्मोन और वजाइना में भी कई बदलाव आते हैं। हार्मोन में बदलाव के साथ ही भावनात्मक उतार-चढ़ाव होते हैं। महिलाओं का मूड चिड़चिड़ा रहता है। कुछ महिलाएं डिप्रेशन से जूझती हैं।
पोस्ट-मेनोपॉज : मेनोपॉज के बाद भी महिलाओं को एक या दो बार पीरियड्स आ सकते हैं। यह अनुभव हर महिला के साथ अलग होता है क्योंकि इस समय हार्मोन्स में बदलाव की स्थिति बनी रहती है। पोस्ट-मेनोपॉज में महिलाओं का वजन बढ़ने लगता है, बाल झड़ने लगते हैं, सिर दर्द, हड्डियों में जकड़न और हार्ट की समस्या बढ़ जाती है। इसके लिए महिलाओं को समय-समय पर टेस्ट कराते रहने चाहिए।
हरियाणा एक ऐसा राज्य है जहां सेक्स रेशियो की बात की जाए तो यहां आज भी 1000 पुरुषों के मुकाबले 877 महिलाएं हैं। कहने को तो यह रेशियो कई राज्यों के मुकाबले काफी कम है लेकिन हैरान करने वाली बात यह है कि जब बात महिलाओं की स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार की आती है तो हरियाणा इस दिशा में कई कदम आगे चल रहा है।
दिसंबर 2021 में हरियाणा सरकार ने राज्य स्तर पर मेनोपॉज क्लीनिक की शुरुआत की है। इस पहल के तहत महिलाओं को सप्ताह में एक दिन उनके प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में ही मेनोपॉज से जुड़ी जानकारी दी जाएगी। काउंसलिंग के साथ ही उनका हेल्थ चेक-अप किया जाएगा ताकि अगर उन्हें पोस्ट-मेनोपॉज से जुड़ी कोई गंभीर बीमारी होती है, तो समय रहते उनका इलाज किया जा सके।
महिलाओं की होगी हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी, अस्पताल में होगी फ्री टेस्टिंग और इलाज
डॉ. सरोज बताती हैं कि यह प्रोग्राम दो स्तर पर चलेगा। लेवल 1 में महिलाओं को प्राइमरी हेल्थ सेंटर पर लेडी मेडिकल ऑफिसर मेनोपॉज के बारे में जागरूक करेंगी। 40 से अधिक उम्र की महिलाओं को मेनोपॉज के लक्षण बताए जाएंगे। इस दौरान उन्हें किस तरह की डाइट अपनानी है यह यह समझाया जाएगा। साथ ही कैल्शियम की टैबलेट्स दी जाएंगी, ताकि उनकी बोन डेनसिटी अच्छी रहे। जिन महिलाओं को ब्रेस्ट, हार्ट या हड्डियों में ज्यादा दर्द होगा। उन्हें टेस्टिंग के लिए लेवल 2 सेंटर यानी जिला अस्पताल रेफर किया जाएगा। यहां महिलाओं के दो टेस्ट किए जाएंगे। मेमोग्राफी के जरिए ब्रेस्ट कैंसर का पता लगाया जाएगा। दूसरा बोन मिनरल डेनसिटी (बीएमडी) टेस्ट किया जाएगा। जिससे महिलाओं की हड्डियों की मजबूती पता लगेगी। इन टेस्ट में आए रिजल्ट के मुताबिक महिलाओं का इलाज किया जाएगा। जिन महिलाओं को मेनोपॉज के दौरान हार्मोन से संबंधित समस्या है उन्हें हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी कराई जाएगी। इस तरह समय पर इलाज मिलने से महिलाएं पोस्ट-मेनोपॉज बीमारियों से खुद को बचा सकेंगी।

एक ही क्लीनिक में मिलेंगे सभी स्वास्थ्य विशेषज्ञ
मेनोपॉज क्लीनिक का संचालन कर रहीं गायनेकोलॉजिस्ट डॉ नताशा बताती हैं कि गांव में रहने वाली ज्यादातर महिलाएं इसे सीरियस नहीं लेती हैं क्योंकि उनके घर में इसे गंभीरता से नहीं लेते। लोगों की यह मानसिकता होती है कि अगर महिला की उम्र 40 से अधिक है तो उन्हें स्वास्थ्य सेवा की क्या जरूरत है। इस कारण ज्यादातर महिलाएं मेनोपॉज में होने वाली परेशानी पर किसी से बात नहीं करती और चुप-चाप सहती रहती हैं। अब मेनोपॉज क्लीनिक शुरू होने से महिलाओं को एक ही जगह पर सारे हेल्थ एक्सपर्ट मिलेंगे ताकि वह अपनी सारी परेशानी एक ही जगह बता सके। क्लीनिक में गायनेकोलॉजिस्ट के साथ ही रेडियोलॉजिस्ट, ऑर्थोपेडिक, कार्डियोलॉजिस्ट और साइकोलॉजिस्ट भी मौजूद रहेंगे और महिलाओं की समस्या सुनेंगे।
डॉ नताशा ने बताया कि गांव से आने वाली ज्यादातर महिलाओं को ज्यादा ब्लीडिंग और कई महीनों तक पीरियड्स होने की शिकायत रहती है। प्री-मेनोपॉज में पीरियड्स अनियमित हो जाते हैं, लेकिन जरूरत से ज्यादा समय तक ब्लीडिंग होने से महिलाओं में खून की कमी हो सकती है। वह अनेमिक हो सकती हैं, ऐसे में हम उन्हें दवाइयां देते हैं ताकि ब्लीडिंग को रोका जा सके।
इसके अलावा महिलाएं सबसे ज्यादा पैरों में दर्द और हड्डियों में दर्द की समस्या लेकर आती हैं। उनका यही कहना होता है कि ‘अब पैरों में पहले जैसी जान नहीं रही’। ऐसे में महिलाओं को कैल्शियम की टैबलेट्स दी जाती हैं। कुछ महिलाएं डिप्रेशन में भी चली जाती हैं, उनका यही कहना होता है कि ‘अब हमें जीने का कोई मकसद नहीं दिख रहा, इच्छा नहीं कर रही’। ऐसे में साइकोलॉजिस्ट और थेरेपिस्ट उनकी काउंसलिंग करती हैं।
1 – ब्रेस्ट कैंसर – मेनोपॉज के बाद महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर होने की संभावना 30% ज्यादा बढ़ जाती है। नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इनफॉर्मेशन की एक रिपोर्ट के मुताबिक जिन महिलाओं को ज्यादा उम्र में मेनोपॉज होता है, उन्हें ब्रेस्ट कैंसर होने की संभावना हर वर्ष 3% तक बढ़ जाती है। इसका मतलब 45 की उम्र में मेनोपॉज से गुजरने वाली महिला के मुकाबले 55 वर्ष की महिला को मेनोपॉज के बाद होने वाली बीमारियां होने की संभावना अधिक है। मेनोपॉज के कारण महिलाओं की ओवरी हार्मोन बनाना बंद कर देती है। एस्ट्रोजन की मात्रा बढ़ने से महिलाओं में फैट टिशूज की मात्रा भी बढ़ जाती है। यह ब्रेस्ट ट्यूमर बढ़ाने का काम करती है।
2 – दिल की बीमारी होना – अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन की 2020 की रिपोर्ट के मुताबिक मेनोपॉज की प्रक्रिया के दौरान हार्ट से जुड़ी बीमारियां बढ़ने और होने की संभावना बढ़ जाती है। ये समस्या उन महिलाओं में सबसे ज्यादा होती है जिन्हें 50 से बाद मेनोपॉज होता है।
3 – हड्डियों का कमजोर होना – अगस्त 2020 में ताइवान में हुई एक शोध में 30 से 70 वर्ष की 7 हजार से अधिक महिलाओं के बीच सर्वे किया गया। इसमें देखा गया कि जो महिलाएं मेनोपॉज से गुजर रहीं है उन्हें सबसे ज्यादा ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या का सामना करना पड़ा। महिलाओं में कैल्शियम की कमी के कारण उनकी हड्डियां पहले से ही काफी कमजोर होती हैं। वहीं मेनोपॉज के दौरान उनकी ये समस्या और भी ज्यादा बढ़ जाती है।
महिलाओं को नहीं मिलती सही जानकारी, रहती हैं परेशान
मेनोपॉज से संबंधित समस्या पर बात करते हुए 28 दिसंबर 2021 को बीएमसी वुमन हेल्थ ने ‘स्टडी ऑन वुमन हेल्थ इन्फॉर्मेशन नीड्स इन मेनोपॉज एज’ नाम से रिपोर्ट जारी हुई थी। जिसमें महिलाओं ने मेनोपॉज पर ज्यादा जागरूकता की मांग की है। सर्वे में 48 से 55 वर्ष की 301 महिलाओं को शामिल किया गया। उनसे मेनोपॉज वुमन हेल्थ से जुड़े सवाल किए गए। इसमें 38% महिलाओं का कहना था कि उन्हें यह नहीं पता कि वह मेनोपॉज के बारे में सही जानकारी कहां से ले सकती हैं। 36% महिलाओं को जानकारी जुटाने के लिए सही सूत्र नहीं पता। इससे यह साफ पता लगता है कि मेनोपॉज के विषय में जागरुकता की कितनी जरूरत है। 40-50 साल की महिलाओं ने यह सवाल उठाया कि आखिर उनके जीवन से जुड़े इनते जरूरी मुद्दे पर सरकार कोई योजना क्यों नहीं बनाती है। महिलाएं चाहती हैं कि मेनोपॉज को ध्यान में रखते हुए विशेष हेल्थ सर्विस शुरू की जाए। जिससे उन्हें मुश्किल समय में मदद मिल सके।
साल 2018 में दिल्ली के आरएमएल अस्पताल में मेनोपॉज क्लीनिक की शुरुआत की गई थी। जिसमें 40 साल से अधिक उम्र की महिलाओं को मेनोपॉज से जुड़ी फिजिकल और साइकोलॉजिकल सलाह दी गई लेकिन यह बड़े पैमाने पर नहीं चल सका। इसके अलावा मुंबई और कई मेट्रो सिटीज में प्राइवेट अस्पतालों में मेनोपॉज एक्सपर्ट के साथ कार्यक्रम चलाए गए।

(साभार – दैनिक भास्कर)

ब्रह्मोस मिसाइल के आधुनिक संस्करण का सफल परीक्षण

नयी दिल्ली । भारत ने आधुनिक सुपरसोनिक ब्रह्मोस मिसाइल के नये संस्करण का भारतीय नौसेना के गुप्त तरीके से निर्देशित मिसाइल विध्वंसक पोत से सफल परीक्षण-प्रक्षेपण किया। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने कहा कि मिसाइल ने सटीक तरीके से निर्धारित लक्ष्य पर निशाना साधा। डीआरडीओ ने ट्वीट किया, ‘‘ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के समुद्र से समुद्र में प्रहार करने वाले आधुनिक संस्करण का आज आईएनएस विशाखापत्तनम से परीक्षण किया गया। मिसाइल ने निर्धारित लक्ष्य पर सटीक तरीके से निशाना साधा।’’
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि मिसाइल के सफल प्रक्षेपण से भारतीय नौसेना की ‘मिशन संबंधी तैयारियों’ की दृढ़ता स्पष्ट हुई है।
उन्होंने ट्वीट कर भारतीय नौसेना और डीआरडीओ को इस उपलब्धि के लिए बधाई दी। भारत-रूस का संयुक्त उपक्रम ‘ब्रह्मोस एयरोस्पेस’ सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का उत्पादन करता है जिन्हें पनडुब्बियों, जलपोतों, विमान या भूतल पर स्थित प्लेटफॉर्मों से प्रक्षेपित किया जा सकता है। ब्रह्मोस मिसाइल 2.8 मैक या ध्वनि की गति से लगभग तीन गुना रफ्तार से प्रक्षेपित हो सकती हैं।

भारत के लिए चिप डिजाइन, इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण सेवाओं में सम्भावना है : आर चंद्रशेखर

नयी दिल्ली । इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी राज्य मंत्री आर चंद्रशेखर ने कहा कि भारत अगले 5-7 वर्षो में अपनी मुख्य क्षमता के अलावा अर्धचालक (सेमीकंडक्टर) डिजाइन, इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम डिजाइन और इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण सेवाओं जैसे क्षेत्रों में नए अवसरों का दोहन कर सकता है।
माइक्रोसॉफ्ट के कार्यक्रम ‘फ्यूचर रेडी’ में मंत्री ने कहा कि कंप्यूटिंग प्रदर्शन की अगली लहर सॉफ्टवेयर महत्तम उपयोग (ऑप्टिमाइजेशन), सेमीकंडक्टर डिजाइन, इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम डिजाइन और नवीन खोजों से आने वाली है। उन्होंने कहा, ‘‘… हम सिर्फ सॉफ्टवेयर प्रदाता हुआ करते थे और अब हम अगले पांच से सात वर्षों में हार्डवेयर प्रदाता बन सकते हैं, हम सेमीकंडक्टर डिजाइन प्रदाता हो सकते हैं। हम ‘ई-आरएंडडी’ प्रदाता हो सकते हैं। हम इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम, डिजाइन प्रदाता हो सकते हैं और हम इलेक्ट्रॉनिक, विनिर्माण सेवा प्रदाता हो सकते हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘पिछले 15-20 वर्षों से हमारी जो मुख्य क्षमता रही है, उसके आगे भी अवसरों का एक नया क्षितिज है।’’ चंद्रशेखर ने कहा कि देश में 1,000 अरब डॉलर की डिजिटल अर्थव्यवस्था के निर्माण का लक्ष्य उद्योग, उद्यमियों और शिक्षाविदों के साथ साझेदारी में हासिल किया जाएगा।
बढ़ते डिजिटलीकरण के बीच उपयोगकर्ता डेटा सुरक्षा के बारे में बात करते हुए, चंद्रशेखर ने कहा कि भारत में इंटरनेट हमेशा खुला, सुरक्षित, भरोसेमंद और जवाबदेह रहेगा।

वीवो की जगह टाटा समूह बना आईपीएल का प्रायोजक

नयी दिल्ली । भारत के सबसे बड़े व्यवसाय समूह में से एक टाटा समूह इस साल से चीनी मोबाइल निर्माता कंपनी वीवो की जगह आईपीएल का प्रायोजक होगा । आईपीएल की संचालन परिषद ने गत मंगलवार को हुई बैठक में यह फैसला किया । आईपीएल अध्यक्ष बृजेश पटेल ने बताया ,‘‘ हां , टाटा समूह अब आईपीएल का प्रायोजक होगा ।’’वीवो ने 2018 से 2022 तक आईपीएल के प्रायोजन अधिकार 2200 करोड़ रूपये में खरीदे थे लेकिन गलवान घाटी में 2020 में भारत और चीन के बीच सैन्य टकराव के बाद वीवो ने एक साल का ब्रेक लिया था । उसकी जगह ड्रीम 11 प्रायोजक था । वीवो 2021 में फिर प्रायोजक बना हालांकि अटकलें लगाई जा रही थी कि वे उचित बोली लगाने वाले को अधिकार का हस्तांतरण करना चाहते हैं और बीसीसीआई ने इसका समर्थन किया ।

बोपन्ना-रामकुमार ने जीता एडीलेड इंटरनेशनल का खिताब

एडीलेड । एटीपी टूर पर पहली बार जोड़ी बनाकर खेल रहे भारत के रोहन बोपन्ना और रामकुमार रामनाथन ने इवान डोडिग और मार्सेलो मेलो की शीर्ष वरीय जोड़ी को सीधे सेटों में हराकर उलटफेर करते हुए एडीलेड इंटरनेशनल टेनिस टूर्नामेंट का पुरुष युगल खिताब जीता।
भारत की गैरवरीय जोड़ी ने एक घंटे और 21 मिनट में 7-6 (6) 6-1 से जीत दर्ज की। भारतीय जोड़ी ने चारों ब्रेक प्वाइंट बचाए जबकि दो बार विरोधी जोड़ी की सर्विस तोड़ी। यह बोपन्ना का 20वां एटीपी युगल खिताब और रामकुमार के साथ पहला खिताब है। रामकुमार इस स्तर पर सिर्फ दूसरा फाइनल खेल रहे थे। वह 2018 में हॉल आफ फेम टेनिस चैंपियनशिप में उप विजेता रहे थे।
बोपन्ना ने कहा, ‘‘जब रामकुमार आपके साथ सर्विस कर रहा हो तो आप जल्दी अंक जीत सकते हो इसलिए यह फायदे की स्थिति है।’किसी अन्य हमवतन और बायें हाथ के खिलाड़ी दिविज शरण की तुलना में रामकुमार के साथ खेलना किस तरह अलग है, इस बारे में पूछने पर बोपन्ना ने कहा, ‘‘दिविज के साथ हमें अंक का मौका बनाना पड़ता है, सुनिश्चित करना होता है कि पहली वॉली पर मिलने वाले मौके को भुनाया जाए जबकि राम के साथ अंक जल्दी हासिल किया जा सकता है।’’
बोपन्ना और रामकुमार इस खिताबी जीत के लिए इनामी राशि के रूप में 18700 डॉलर बांटेंगे जबकि प्रत्येक को 250 रैंकिंग अंक मिले। ऑस्ट्रेलियाई ओपन क्वालीफायर से पहले इस जीत से रामकुमार का आत्मविश्वास बढ़ेगा। वह एक बार फिर ग्रैंडस्लैम टूर्नामेंट के एकल वर्ग के मुख्य ड्रॉ में जगह बनाने के लिए चुनौती पेश करेंगे।
बोपन्ना और रामकुमार ने शुरुआत में ही ब्रेक प्वाइंट बचाया और फिर बेहतर खेल दिखाया। सातवें गेम में मेलो 30-0 के स्कोर पर सर्विस कर रहे थे तब बोपन्ना ने डोडिग के दाईं ओर सर्विस रिटर्न के साथ अंक जुटाया और फोरहैंड विनर लगाकर स्कोर 30-30 किया। ब्राजील का खिलाड़ी हालांकि सर्विस बचाने में सफल रहा।
बोपन्ना ने अगले गेम में ब्रेक प्वाइंट बचाया और फिर सर्विस बचाकर स्कोर 4-4 किया। रामकुमार ने इसके बाद 5-6 के स्कोर पर अपनी सर्विस बचाकर पहले सेट को टाईब्रेक में खींचा। बोपन्ना ने 6-6 के स्कोर पर मेलो के सर्विस रिटर्न पर अंक बनाया और फिर ऐस के साथ पहला सेट जीता। दूसरे सेट में भारतीय टीम ने विरोधी जोड़ी को कोई मौका नहीं देते हुए जीत दर्ज की।

वाणी प्रवाह 2022 – सिद्धि जैन

सिद्धि जैन महादेवी बिड़ला शिशु विहार में कक्षा 8 की छात्रा हैं। यह कविता स्वरचित कविता है।

 

विश्व हिंदी दिवस एवं हिंदी विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस पर वेब संगोष्ठी

कोलकाता। विश्व हिंदी दिवस एवं हिंदी विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस के अवसर पर एक वेब संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस मौके पर कोरोना प्रोटोकॉल को ध्यान में रखते हुए विश्वविद्यालय परिसर में माननीय कुलपति प्रो. दामोदर मिश्र ने झंडोत्तोलन किया। स्वागत गीत अनुवाद विभाग की छात्रा सीमा प्रजापति ने प्रस्तुत किया। प्रथम सत्र में वैश्विक परिप्रेक्ष्य में हिंदी में हिंदी विषय पर भारतीय भाषा परिषद के निदेशक डॉ शंभुनाथ ने कहा कि हिंदी वह भाषा है जिसने अपनी महान परंपराओं से संबंध बनाए रखा है। साथ ही हिंदी ने धार्मिक और सामाजिक संकीर्णताओं से संघर्ष किया और खुद को बनाए रखा।
आज हिंदी को विविध कलाओं और कौशलों से जोड़ते हुए एक उत्सव के रूप में मनाना चाहिए। विशिष्ट अतिथि डॉ शुभ्रा उपाध्याय ने कहा कि हिंदी पूरे देश को जोड़ने वाली भाषा है। प्रथम सत्र का विषय प्रवर्तन करते हुए कुलसचिव डॉ सुकीर्ति घोषाल ने कहा कि हिंदी दुनिया की चौथी सबसे बड़ी भाषा है। हिंदी का वैश्विक परिप्रेक्ष्य काफी व्यापक है।अध्यक्षता करते हुए हिंदी विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रो.दामोदर मिश्र ने हिंदी के समावेशी रूप की चर्चा करते हुए भारतीय भाषाओं के साथ उसके महत्वपूर्ण संबंधों की चर्चा की। उन्होंने हिंदी के विकास में बंगाल की भूमिका को भी रेखांकित किया।उन्होंने अनुवाद के जरिए भारतीय भाषाओं के जातीय स्वरूप को एक दूसरे से संबद्ध माना। उन्होंने सभी वक्ताओं के विचारों की सराहना करते हुए कहा कि हमें मिलजुलकर अंग्रेजी साम्राज्यवाद का विरोध करना चाहिए। दूसरे सत्र में शिक्षा के माध्यम-भाषा का प्रश्न और हिंदी विषय पर विषय प्रवर्तन करते हुए कलकत्ता गर्ल्स कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ सत्या उपाध्याय ने त्रिभाषा सूत्र के साथ नई शिक्षा नीति में भाषा की स्थिति पर विस्तार से चर्चा की। मुख्य अतिथि वक्ता प्रो. अमरनाथ शर्मा ने अंग्रेजी के बढ़ते वर्चस्व पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि आज अंग्रेजी के बढ़ते प्रभाव से हिंदी एवं भारतीय भाषाओं पर संकट गहराता जा रहा है। मातृभाषा के साथ अंग्रेजी को बनाए रखना एक बड़ी साजिश है।हमें सजग होकर अपनी भाषा को बचाने की जरूरत है। विशिष्ट वक्ता डॉ प्रमोद कुमार प्रसाद ने कहा कि हिंदी का व्यापक प्रयोग होने से तथा अनुवाद कार्य को प्रोत्साहन देने से हम अपनी भाषाओं के बीच बेहतर संबंध स्थापित कर सकते हैं।
कार्यक्रम को सफल बनाने में हिंदी विश्वविद्यालय के द्वय समन्वयक प्रतीक सिंह एवं मंटू दास का विशेष योगदान रहा। कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ जे.के.भारती एवं डॉ अंजू सिंह तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ बिजेंद्र कुमार एवं डॉ श्रीनिवास सिंह यादव ने दिया।इस अवसर पर भारी संख्या में शिक्षक ,विद्यार्थी एवं साहित्य प्रेमी उपस्थित थे।

विश्व हिंदी दिवस पर काव्यपाठ का आयोजन

कोलकाता । विश्व हिंदी दिवस के अवसर पर सांस्कृतिक पुनर्निर्माण मिशन द्वारा काव्यपाठ का आयोजन किया गया। मिशन के अध्यक्ष डॉ शम्भुनाथ ने कहा कि हिंदी की समृद्ध परंपरा का संबंध सृजन और चेतना से जुड़ा है। कविताएं मनुष्यता की आख्यान हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए भाषाविद अवधेश प्रसाद सिंह ने कहा कि नौजवानों की पीढ़ी में कविता का संस्कार देखकर अच्छा लग रहा है। कवियों को कविता के लिए भाषा का ज्ञान होना जरूरी है। सह्दयता के साथ शिल्प की समझ हमें काव्यात्मक रूप से समृद्ध करती है। इस अवसर पर राजेश मिश्र,सुरेश शॉ, जितेश चौबे, सपना कुमारी, राधा ठाकुर, निशा राजभर, स्वरागिनी अग्रहरि, प्रीति साव, कोमल साव, निखिता पाण्डेय, अभिषेक पाण्डेय, राजेश सिंह, सूर्यदेव रॉय, रेशमी सेन शर्मा, विशाल कु. साव, पंकज सिंह, इंद्रेश कुमार, आकाश गुप्ता, प्रकाश त्रिपाठी ने अपनी कविताओं का पाठ किया। कार्यक्रम का सफल संचालन रूपेश कु. यादव ने तथा धन्यवाद ज्ञापन देते हुए संरक्षक रामनिवास द्विवेदी ने कहा कि नई पीढ़ी रचनात्मक संभावनाओं से भरी है।इस अवसर पर डॉ शुभ्रा उपाध्याय, डॉ रेणु गुप्ता, मृत्युंजय, मंजु श्रीवास्तव, प्रतीक सिंह सहित सैकड़ों साहित्य एवं संस्कृति प्रेमी उपस्थित थे। कार्यक्रम का संयोजन मधु सिंह एवं राहुल गौड़ ने किया।

अर्चना संस्था के रचनाकारों ने किया नये वर्ष का स्वागत

कोलकाता । अर्चना संस्था की ओर से रचनाकारों ने नए वर्ष का स्वागत किया और कोरोना जैसी भयंकर बिमारी से छुटकारा करने के लिए ईश्वर से प्रार्थना की। गोष्ठी में सभी ने अपनी रचनात्मक ऊर्जा से भरी रचनाएंँ सुनाई । वरिष्ठ कवयित्री विद्या भंडारी के संचालन में दो घंटे तक ऑनलाइन पर हुई गोष्ठी का आरंभ इंदु चांडक के नव वर्ष गीत से हुआ – मंगलमय हो जिसका हर पल/वर्ष की शुरुआत सुखद हो। उसके पश्चात संगीता चौधरी -सर्दी की धूप गर्म दुशालों सी लगती है।,कोरोना पूर्ण विश्व से,छाया हर वृक्ष को। देबी चितलांगिया – मूक बधिर प्राण, लौटा लाते हैं, एक कविता :एक गान, मृदुला कोठारी – हे पृथ्वी किस शक्ति पर इतनी प्रबल होकर रहती हो खड़ी चिर युवा चिर सुंदरी, दूसरा गीत राजस्थानी तावड़ो चोखो लागे रे, इंदू चांडक – हाइकु- वाद विवाद /असफल संवाद/ युद्ध का नाद, हठ सतत/मन भेद प्रदत्त/महाभारत, भिक्षा का अन्न/ कर लूँगा ग्रहण/ना करूँ रण, भारती मेहता (अहमदाबाद) – पुरूष कप,प्लेट नारी/कप जहाँ- तहाँ टँगने के लिये /सुविधाजनक/प्लेट अपने निश्चित घेरे में फैली/गर्म को शीतल कर देने वाली !,वरिष्ठ कवयित्री प्रसन्न चोपड़ा ने विद्या भंडारी के लिए दो कविताएँ समर्पित की – मुझे नाज तुम पर है साथी प्रणय प्रीत के गीत हूं गाती,मैं मुस्कान अनूठी हूं जो तेरे होठों पर आती, सफलता की सीढ़ियां चढ़ती गई धीरे-धीरे धूप भी हटती गई,छा हर वृक्ष की मिलती रही,आपदाएं स्वयं ही हटती गई। विद्या भंडारी – बाहर प्रदर्शन भीतर सुषुप्ति क्यों ।, यदि मैं होती खजूर का वृक्ष , रहती खङी तनी हुई/ किन्तु मैं हूँ कोमल – कोमलान्गिनी, झुकती चली गयी।/छोटा सा हमारा संसार विविधता का है सार/शुभकामनायें अपार। /लेखन में हो विस्तार। सुशीला चनानी – दोहे ,क्षणिका ,कविता/मन में दृढ संकल्प हो,सफल। ओर सब काज/प्रेम पर दो क्षणिका/ प्रेम करना है तो कर!/पहले गणित की किताब / संदूकची में धर!/ प्रेम के पहले पन्ने पर/मत नाच/आगे तो बांच!/घड़ी तो बेचते हो /समय बेच सकते हो क्या, एन एम भंडारी – जिन्दगी/देखना चाहता हूॅ/करीब से/पढना चाहता हूॅ/बारीकी से/मगर मेरी पकङ से /बाहर है/उसकी उङान।,शब्द। / बह्म है/परिचायक है/ ज्ञान का/ उद्बोध है/मानसिक चेतना का । हिम्मत चोरड़़िया – सासू से बोली बहुरानी- सरसी छंद आधारित जोगीरा सारा रा रा रा रा/सच्चा साथी तू ही तेरा- सरसी छंद आधारित गीत, दोहा-रंग बिखेरे नित नये, खोले अभिनव द्वार।/ प्यारी मेरी अर्चना, गूँज उठे संसार।, शशि कंकानी – आओ करें चिंतन मनन मंथन/खुशी बाँटे सभी में/ना दुःखी हो किसी का मन, और राजस्थानी रचना आ पत्ते री नहीं पते री बात है/कदे तक रह्यो कोई रो साथ है। वसुंधरा मिश्र – दिन में भी ख्वाब/जब भी बंद करती हूँ/आँखों को/ख्वाब चोरी हो जाते हैं/खुली आँखें सपने देख नहीं पातीं और हर पल नई सुबह /हर क्षण है परिवर्तित/हर पल बीत रहा है /जीवन तो चलने का नाम आदि रचनाएँ सुनाई। बने चंद मालू ने व्यंग्य रचनाएँ कुम्हार ने माटी के लौंदे से /चिलम बनाई/ बनाते बनाते मष्तिष्क में /एक चिनगारी उभर आई,/उसकी मति बदल गई,/और सुराही बनाने की मन में /आगई।, जो आदमी अपने को /सर्व विजयी महान मान बैठा था /कहता था मरने तक की फ़ुरसत / नहीं,/वह आज मरने के डर से/फ़ुरसत में बैठा है। सुनाई। श्रोताओं में मीना दूगड़, समृद्धि, गुलाब बैद, उषा श्राफ आदि सदस्याएँ उपस्थित रहीं । अंत में, धन्यवाद दिया इंदु चांडक ने।