बेंगलुरू । स्टार विकेटकीपर बल्लेबाज ईशान किशन इंडियन प्रीमियर लीग नीलामी के इतिहास में युवराज सिंह के बाद दूसरे सबसे महंगे भारतीय खिलाड़ी बन गए जिन्हें मुंबई इंडियंस ने सनराइजर्स हैदराबाद से लंबी होड़ के बाद 15 करोड़ 25 लाख रूपये में फिर खरीदा ।
भारत के इस युवा खिलाड़ी के लिये मुंबई और हैदराबाद के बीच जबर्दस्त होड़ लगी जिसमें मुंबई ने बाजी मारी । ईशान का आधार मूल्य दो करोड़ रूपये था ।
युवराज को दिल्ली डेयरडेविल्स (अब दिल्ली कैपिटल्स) ने 2015 सत्र से पहले रिकॉर्ड 16 करोड़ रूपये में खरीदा था । इससे एक साल बाद रॉयल चैलेंजर्स बेंगलोर ने उन्हें 14 करोड़ रूपये में खरीदा ।
आईपीएल के इतिहास में सबसे महंगे खिलाड़ी दक्षिण अफ्रीका के हरफनमौला क्रिस मौरिस हैं जिन्हें 2021 में मिनी नीलामी में राजस्थान रॉयल्स ने 16 . 25 करोड़ रूपये में खरीदा था जबकि उनका बेसप्राइज 75 लाख रूपये था । मौरिस ने उस सत्र में 11 मैचों में 15 विकेट लिये लेकिन बल्ले से कमाल नहीं कर सके ।
आस्ट्रेलिया के तेज गेंदबाज पैट कमिंस को कोलकाता नाइट राइडर्स ने 2020 में 15 . 5 करोड़ रूपये में खरीदा था जिसे इस नीलामी में साढे सात करोड़ रूपये में फिर खरीदा । न्यूजीलैंड के काइल जैमीसन को आरसीबी ने 2021 में 15 करोड़ रूपये में और इंग्लैंड के हरफनमौला बेन स्टोक्स को राइजिंग पुणे सुपरजाइंट्स ने 2017 में 14.5 करोड़ रूपये में खरीदा था ।
आईपीएल : युवराज सिंह के बाद दूसरे सबसे महंगे भारतीय खिलाड़ी बने ईशान किशन
इसरो का 2022 में पहला प्रक्षेपण : धरती पर नजर रखने वाला उपग्रह सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में स्थापित
श्रीहरिकोटा (आंध्र प्रदेश) । भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 2022 के अपने पहले प्रक्षेपण अभियान के तहत धरती पर नजर रखने वाले उपग्रह ईओएस-04 और दो छोटे उपग्रहों को पीएसएलवी-सी 52 के जरिए सोमवार को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष की कक्षा में स्थापित कर दिया। इसरो ने इसे ‘‘अद्भुत उपलब्धि’’ बताया है।
अंतरिक्ष एजेंसी के प्रक्षेपण यान पीएसएलवी ने अंतरिक्ष के लिए सुबह पांच बजकर 59 मिनट पर उड़ान भरी और तीनों उपग्रहों को अंतरिक्ष की कक्षा में स्थापित कर दिया। साल के पहले मिशन पर करीबी नजर रख रहे वैज्ञानिकों ने इस पर खुशी जतायी और तालियां बजाईं।
सफल प्रक्षेपण की घोषणा करते हुए इसरो ने कहा कि करीब 19 मिनट की उड़ान के बाद प्रक्षेपण यान ने उपग्रहों को निर्धारित कक्षा में स्थापित किया। उसने बताया कि ईओएस-04, इन्सपायर सैट-1 और आईएनएस-2टीडी को सुबह छह बजकर 17 मिनट पर सूर्य की तुल्यकालिक ध्रुवीय कक्षा में स्थापित किया गया और उपग्रहों को जिन कक्षाओं में स्थापित किया गया, वह निर्धारित कक्षाओं के ‘‘बेहद करीब’’ है।
इसरो के ‘टेलीमेट्री ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क’ ने बताया कि आने वाले दिनों में उपग्रह को अंतिम परिचालन की स्थिति में लाया जाएगा, जिसके बाद वह आंकड़ें मुहैया कराना शुरू करेगा।
इसरो अध्यक्ष एस सोमनाथ ने सफलतापूर्वक प्रक्षेपण के बाद कहा, ‘‘पीएसएलवी-सी52/ईओएस-04 मिशन सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है। प्राथमिक उपग्रह ईओएस-04 को पीएसएलवी-सी52 ने बेहद सटीक कक्षा में स्थापित किया और इसके साथ ही गए उपग्रह इन्सपायर सैट-1 और आईएनएस-2टीडी को भी सही कक्षा में स्थापित किया।’’
संयोग से आज का प्रक्षेपण सोमनाथ के हाल में अंतरिक्ष विभाग के सचिव और अंतरिक्ष आयोग के अध्यक्ष का कार्यभार संभालने के बाद पहला अभियान भी है। उन्होंने इस मिशन को संभव बनाने के लिए हर किसी का शुक्रिया अदा करते हुए कहा, ‘‘यह अंतरिक्ष यान देश की सेवा करने के वास्ते हमारे लिए बड़ी संपत्तियों में से एक होगा।’’
मिशन के निदेशक एस आर बीजू ने कहा, ‘‘आज हमने जो हासिल किया है, वह वाकई शानदार है।’’
उपग्रह निदेशक श्रीकांत ने कहा कि ईओएस-04 प्रक्षेपण यान से अलग होने के बाद बिल्कुल सही-सलामत है और प्रक्षेपण के बाद सौर पैनल खुद तैनात होते हैं और उन्होंने वांछित ऊर्जा देना शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा, ‘‘कुछ दिनों में उपग्रह धरती की तस्वीरें देने लगेगा। इसकी सेवाएं कई सरकारी विभागों का अहम हिस्सा होंगी। प्रिंट तथा परीक्षण के रूप में उद्योग भागीदारी के साथ अंतरिक्ष क्षेत्र को खोलने के देश के सपने को साकार करने की दिशा में ईओएस-04 ने एक छोटा-सा कदम उठाया है। हम अपने प्रयास में कामयाब हो गए हैं।’’
इससे पहले आज के प्रक्षेपण के लिए रविवार को सुबह चार बजकर 29 मिनट पर साढ़े 25 घंटे की उलटी गिनती शुरू हुई थी। ईओएस-04 एक ‘रडार इमेजिंग सैटेलाइट’ है जिसे कृषि, वानिकी और वृक्षारोपण, मिट्टी की नमी और जल विज्ञान तथा बाढ़ मानचित्रण जैसे अनुप्रयोगों एवं सभी मौसम स्थितियों में उच्च गुणवत्ता वाली तस्वीरें प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया है। इसका वजन 1,710 किलोग्राम है। इस उपग्रह की उम्र 10 वर्ष है। बेंगलुरु के यू आर राव उपग्रह केंद्र से प्रक्षेपित उपग्रह 2,280 वॉट ऊर्जा पैदा करता है।
पीएसएलवी अपने साथ में इन्सपायर सैट-1 उपग्रह भी लेकर गया, जिसे भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईएसटी) ने कोलोराडो विश्वविद्यालय, बोल्डर की वायुमंडलीय और अंतरिक्ष भौतिकी प्रयोगशाला के सहयोग से तैयार किया है जबकि दूसरा उपग्रह आईएनएस-2टीडी एक प्रौद्योगिकी प्रदर्शक उपग्रह है।
इन्सपायर सैट-1 उपग्रह का उद्देश्य आयनमंडल के गति विज्ञान और सूर्य की कोरोनल ऊष्मीय प्रक्रियाओं की समझ में सुधार करना है। इसका वजन 8.1 किलोग्राम है। वहीं, 17.5 किलोग्राम वजनी आईएनएस-2टीडी के उपकरण के रूप में एक थर्मल इमेजिंग कैमरा होने से उपग्रह भूमि की सतह के तापमान, आर्द्रभूमि या झीलों के पानी की सतह के तापमान, वनस्पतियों (फसलों और जंगल) और तापीय जड़त्व (दिन और रात) के आकलन में सहायता प्रदान करेगा।
यह पीएसएलवी की 54वीं उड़ान है और 6 पीएसओएम-एक्सएल (स्ट्रैप-ऑन मोटर्स) के साथ ‘पीएसएलवी-एक्सएल कॉन्फिगरेशन’ का उपयोग करते हुए 23वां मिशन है।
सिंगल यूज प्लास्टिक पर 1 जुलाई से लगेगा प्रतिबन्ध
प्लास्टिक की कटलरी, झंडों व बैनर समेत कई उत्पाद शामिल
नयी दिल्ली । पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले प्लास्टिक के झंडों से लेकर ईयरबड तक पर एक जुलाई से पाबंदी होगी। केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने इसके उत्पादन, भंडारण, वितरण और इस्तेमाल से जुड़े सभी पक्षों को नोटिस जारी किया है। इसमें 30 जून से पहले इन पर पाबंदी की तैयारी पूरी करने को कहा गया है।
एक बार इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक को पर्यावरण के लिए बेहद हानिकारक माना जाता है। ये प्लास्टिक उत्पाद लंबे समय तक पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं। नुकसान को देखते हुए अगस्त 2021 में केंद्रीय पर्यावरण मंत्री ने इस पर रोक को लेकर अधिसूचना जारी की थी। इसमें एक जुलाई से इस तरह के तमाम आइटमों पर पाबंदी लगाने को कहा गया था। इसी क्रम में सीपीसीबी की ओर से सभी संबंधित पक्षों के लिए नोटिस जारी किया गया है। इसमें कहा गया है कि 30 जून तक इन आइटमों पर पाबंदी की सारी तैयारी पूरी कर ली जानी चाहिए।
इन वस्तुओं पर रहेगी पाबंदी : सीपीसीबी के नोटिस के मुताबिक एक जुलाई से प्लास्टिक स्टिक वाले ईयरबड, गुब्बारे में लगने वाले प्लास्टिक स्टिक, प्लास्टिक के झंडे, कैंडी स्टिक, आइसक्रीम स्टिक, सजावट में काम आने वाले थर्माकोल आदि शामिल हैं। इसके साथ ही प्लास्टिक कप, प्लेट, गिलास, कांटा, चम्मच, चाकू, स्ट्रॉ, ट्रे जैसी कटलेरी आइटम, मिठाई के डिब्बों पर लगाई जाने वाली प्लास्टिक, प्लास्टिक के निमंत्रण पत्र, 100 माइक्रोन से कम मोटाई वाले पीवीसी बैनर आदि शामिल हैं।
रात में 860 डिग्री पर धधकती रहती है शुक्र ग्रह की सतह, नासा ने खींची पहली तस्वीर
वॉशिंगटन । अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के वैज्ञानिकों ने पार्कर सोलर प्रोब की मदद से पहली बार शुक्र ग्रह के सतह की अद्भुत तस्वीरें खींची हैं। इस तस्वीर में शुक्र ग्रह के ऊंचाई वाले इलाके और मैदानी क्षेत्र आदि स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहे हैं। इन तस्वीरों को खींचने के लिए पार्कर सोलर प्रोब को कई बार शुक्र ग्रह के उन इलाकों का चक्कर लगाना पड़ा जहां अंधेरा था। कई बार की मेहनत के बाद नासा के वैज्ञानिकों को शुक्र ग्रह की अद्भुत तस्वीर मिली है। नासा के वैज्ञानिक ब्रायन वुड ने कहा, ‘आकाश में शुक्र ग्रह तीसरी सबसे चमकीली वस्तु है लेकिन अभी हाल तक शुक्र ग्रह के बारे में हमें बहुत कम जानकारी थी। शुक्र ग्रह की सतह कैसी दिखती है, यह भी नहीं पता था। ऐसा इसलिए था कि क्योंकि शुक्र ग्रह का वातावरण बहुत घना था जिससे साफ तस्वीरें आ नहीं पाती थीं।’ वुड इस शोध के शीर्ष लेखक हैं और वरिष्ठ भौतिकविद हैं।
शुक्र ग्रह की सतह पर तापमान 863.33 डिग्री फारेहाइट
वुड ने कहा, ‘अब अंतत: हम पहली बार अंतरिक्ष से शुक्र ग्रह की सतह को देख पा रहे हैं।’ इस तस्वीर से शुक्र ग्रह की विविध भौगोलिक स्थिति का पता चला है। इसमें ऊंचाई वाले और निचले इलाके तथा कई भौगोलिक विशेषताएं नजर आ रही हैं जो खोज के लिए काफी अहम हो सकती हैं। इस आंकड़े से यह भी पता चला है कि शुक्र ग्रह की सतह पर तापमान 863.33 फारेहाइट है। इससे पहले भी शुक्र ग्रह की सतह की तस्वीरें ली गई थीं कि लेकिन उतनी साफ नहीं थी जिससे की इंसान की आंखों से उसे देखा जा सके। दरअसल, शुक्र ग्रह पर सल्फ्यूरिक एसिड और कार्बन डॉई ऑक्साइड के बादल छाए रहते हैं। ये इतने घने होते हैं कि तस्वीरें साफ नहीं आ पाती हैं। वह भी तब जब शुक्र ग्रह रोशनी में मोती की तरह से नजर आता है। घने बादल होने की वजह से रोशनी बहुत कम मात्रा पर शुक्र ग्रह की सतह तक पहुंच पाती है।
गर्म लोहे की तरह से चमकती दिखाई देती है चट्टानी सतह
रात के समय भी शुक्र ग्रह बहुत गर्म होता है लेकिन पार्कर प्रोब ने उसकी तस्वीर खींचने में सफलता हासिल कर ली। वुड ने कहा, ‘शुक्र ग्रह की सतह रात में भी 860 डिग्री गर्म रहती है। शुक्र ग्रह की सतह इतना गर्म होती है कि उसकी चट्टानी सतह चमकती दिखाई देती है। यह कुछ उसी तरह से होती है जैसे भट्ठी में से निकाले जाने पर लोहा दिखता है।
ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने बनाया ‘नकली सूरज’, तोड़े ऊर्जा के सारे विश्व रिकॉर्ड
लंदन । ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने ‘नकली सूरज’ बनाने की दिशा में बड़ी कामयाबी हासिल कर ली है। ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने सूरज की तकनीक पर परमाणु संलयन को अंजाम देने वाले एक रिएक्टर को बनाने में सफलता हासिल कर ली है जिससे अपार ऊर्जा निकलती है। ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी के पास किए गए प्रयोग के दौरान 59 मेगाजूल ऊर्जा इस रिएक्टर से निकली जो दुनिया में अपने आप में रेकॉर्ड है। इतनी मात्रा में ऊर्जा पैदा करने के लिए 14 किलो टीएनटी का इस्तेमाल करना पड़ता है।
इस शानदार प्रॉजेक्ट को ज्वाइंट यूरोपीयन टोरुस ने कूल्हाम में अंजाम दिया है। वैज्ञानिकों की इस उपलब्धि को मील का पत्थर करार दिया जा रहा है। इस तकनीक की मदद से सितारों की ऊर्जा का दोहन किया जा सकेगा और धरती पर सस्ती और साफ ऊर्जा मिलने का रास्ता साफ होगा। प्रयोगशाला ने 59 मेगाजूल ऊर्जा पैदा करके साल 1997 में बनाया गया अपना ही रेकॉर्ड तोड़ दिया है। ब्रिटेन के परमाणु ऊर्जा प्राधिकरण ने बुधवार को इस सफल प्रयोग का ऐलान किया।
परमाणु संलयन पर आधारित ऊर्जा को वास्तविक रूप दिया।
एजेंसी ने कहा कि 21 दिसंबर को आए परिणाम विश्वभर में परमाणु संलयन की तकनीक पर आधारित ऊर्जा के सुरक्षित और सतत आपूर्ति की क्षमता का प्रदर्शन है। ब्रिटेन के विज्ञान मंत्री जार्ज फ्रीमैन ने इस परिणाम की तारीफ की है और इसे मील का पत्थर करार दिया है। फ्रीमैन ने कहा, ‘ये इस बात का प्रमाण हैं कि ब्रिटेन में उल्लेखनीय शोध और नई खोजों को बढ़ावा दिया गया है और यूरोपी सहयोगियों की मदद से परमाणु संलयन पर आधारित ऊर्जा को वास्तविक रूप दिया गया है।
परमाणु संलयन तकनीक में ठीक उसी तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है जो सूरज गर्मी पैदा करने के लिए करता है। ऐसा माना जाता है कि भविष्य में इससे मानवता को भरपूर, सुरक्षित और साफ ऊर्जा स्रोत मिलेगा जिससे जलवायु परिवर्तन की समस्या से निजात मिल सकेगा। परमाणु संलयन पर केंद्रीत ब्रिटिश प्रयोगशाला में यह सफलता वर्षों के प्रयोग के बाद मिली है। इस प्रयोगशाला में डॉनट के आकार की मशीन लगाई गई है जिसे टोकामैक नाम दिया गया है।
सूरज के केंद्र की तुलना में 10 गुना ज्यादा गर्म किया
जेईटी प्रयोगशाला में लगाई टोकामैक मशीन दुनिया में सबसे बड़ी और सबसे शक्तिशाली है। इस मशीन के अंदर बहुत कम मात्रा में ड्यूटीरियम और ट्रीटीयम भरा गया। ये दोनों ही हाइड्रोजन के आइसोटोप हैं और ड्यूटीरियम को हैवी हाइड्रोजन कहा जाता है। इसे सूरज के केंद्र की तुलना में 10 गुना ज्यादा गर्म किया गया ताकि प्लाज्मा का निर्माण किया जा सके। इसे सुपरकंडक्टर इलेक्ट्रोमैग्नेट का इस्तेमाल करके एक जगह पर रखा गया। इसके घूमने पर अपार मात्रा में ऊर्जा निकली। परमाणु संलयन से पैदा हुई ऊर्जा सुरक्षित होती है और यह एक किलोग्राम में कोयला, तेल या गैस से पैदा हुई ऊर्जा की तुलना में 40 लाख गुना ज्यादा ऊर्जा पैदा करती है।
भारत की ‘राइटिंग विद फायर’ ऑस्कर 2022 के लिए नामांकित
नयी दिल्ली । भारत के डॉक्यूमेंट्री ‘राइटिंग विद फायर’ ने 94वें ऑस्कर अवॉर्ड्स की अंतिम नॉमिनेशंस लिस्ट में जगह बनाई है। ट्रेसी एलिस रॉस और लेसली जॉर्डन ने मंगलवार शाम को ‘अकैडमी ऑफ मोशन पिक्चर आर्ट्स एंड साइंसेज’ के ट्विटर अकाउंट पर इस नॉमिनेशंस की घोषणा की।
रिंटू थॉमस और सुष्मित घोष द्वारा निर्देशित ‘राइटिंग विद फायर’ में ‘खबर लहरिया’ के उत्थान की कहानी बयान की गई है, जो दलित महिलाओं द्वारा निकाला जा रहा भारत का एकमात्र अखबार है। इस डॉक्यूमेंट्री में दलित महिलाओं के एक समूह की कहानी दिखाई गई है, जिन्होंने अपनी मुख्य संवाददाता मीरा के नेतृत्व में अखबार को प्रासंगिक रखने के उद्देश्य से उसे प्रिंट से डिजिटल माध्यम में लाया। ऑस्कर पुरस्कार समारोह का आयोजन मार्च 27 को लॉस ऐंजलिस के डॉल्बी थिएटर में किया जाएगा। इस डॉक्यूमेंट्री के को-डायरेक्टर घोष ने कहा, ‘हम काफी खुश हैं। यह हमारे लिए और भारतीय सिनेमा के लिए एक बहुत बड़ा क्षण है।’
महाभारत के भीम प्रवीण कुमार सोबती का निधन
नयी दिल्ली । बीआर चोपड़ा के सीरियल महाभारत में भीम का किरदार निभाने वाले अभिनेता प्रवीण कुमार सोबती का हृदय गति रुक जाने से निधन हो गया। प्रवीण कुमार 74 साल के थे। अभिनेता ने सोमवार देर रात को दिल्ली में अशोक विहार स्थित अपने आवास पर अंतिम सांस ली। उनके परिवार में पत्नी, बेटी, दो छोटे भाई और एक बहन है।
प्रवीण अपने विशाल कदकाठी के लिए जाने जाते थे। उन्होंने कई बॉलीवुड फिल्मों में खलनायक की भूमिका निभाई। साढ़े 6 फीट लंबे अभिनेता और खिलाड़ी पंजाब के रहने वाले थे। अभिनय में आने से पहले प्रवीण एक हैमर और डिस्कस थ्रो एथलीट थे। वह एशियाई खेलों में चार मेडल (2 स्वर्ण, 1 रजत और 1 कांस्य) जीत चुके थे।
उन्होंने दो ओलंपिक खेलों (1968 मैक्सिको खेलों और 1972 म्यूनिख खेलों) में भी भारत का प्रतिनिधित्व किया है। वह अर्जुन पुरस्कार विजेता भी रहे। खेल के कारण ही प्रवीण कुमार को सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) में डिप्टी कमांडेंट की नौकरी मिली।
प्रवीण ने 70 के दशक के अंत में मनोरंजन की दुनिया में कदम रखा। टाइम्स ऑफ इंडिया के को दिए एक इंटरव्यू में, प्रवीण ने अपनी पहली बॉलीवुड फिल्म साइन करने को याद करते हुए था वह एक टूर्नामेंट के लिए कश्मीर में थे। उनकी पहली भूमिका रविकांत नागाइच के निर्देशन में बनी थी जिसमें उनका कोई डायलॉग नहीं था।
भारतीय भाषा परिषद में कविता बसंतोत्सव
कोलकाता । कोरोना महामारी के धीरे-धीरे अंत के साथ उल्लसित बसंत का स्वागत करने के लिए भारतीय भाषा परिषद में कविता बसंतोत्सव का आयोजन हुआ| परिषद की अध्यक्ष ने अपने समापन वक्तव्य में कहा कि हम बसंत और हर तरह की सृजनात्मकता का परिषद प्रांगण में स्वागत करते हैं| अध्यक्षता करते हुए परिषद के निदेशक डॉ.शंभुनाथ ने कहा कि बसंत नवजीवन के फिर से शुरू होने का संकेत है| कविता और समाज के बीच खाई चौड़ी हुई है, फिर भी कविताएं लिखी जा रही हैं क्योंकि कविता मनुष्य के भावजगत का प्रसार करती है| कवि संसार की सांस्कृतिक आंखें हैं| इसलिए उनकी दृष्टि संकीर्णता से ऊपर उठने की प्रेरणा देती है| कविता के शब्द भय, छद्म और शोर के पार ले जाते हैं| अतिथियों का स्वागत करते हुए विद्यासागर विश्वविद्यालय के प्रो संजय जायसवाल ने कहा कि बसंत पेड़-पौधों में भेदभाव नहीं करता, वह हर जगह छाता है| मनुष्य का हृदय भी बसंत की तरह विशाल होना चाहिए|
कविता बसंतोत्सव में कविता पाठ करने वाले वरिष्ठ और युवा कवियों में थे- सेराज खान बातिश,आशुतोष, अभिज्ञात, जितेंद्र जितांशु, रावेल पुष्प, गीता दुबे, रचना सरन, यशवंत सिंह, जीवन सिंह, कलावती कुमारी, मानव जायसवाल, ओम प्रकाश प्रसाद, रोहित प्रसाद पथिक, मधु सिंह, इबरार खान, सीमा प्रजापति, राजेश सिंह, तृषानिता बनिक, रेशमी सेन शर्मा, मुकुंद शर्मा, सपना कुमारी, शिवप्रकाश दास, नगेंद्र पंडित, मनीषा गुप्ता, नीतू सिंह भदौरिया| इस अवसर पर उदयराज सिंह, अवधेश प्रसाद, महेश जायसवाल सहित बड़ी संख्या में शहर के साहित्य और संस्कृति प्रेमी उपस्थित थे।
प्रो संजय जायसवाल ने कविता सत्र का संचालन किया और परिषद के मंत्री डॉ केयूर मजमुदार ने धन्यवाद दिया|
प्रेम की खोज

मैं भटका
पलायन करने लगा
घर छोड़ हवा में उडा़
एक और घर बनाया
घर टँगा रहा
समाज देखता रहा
क्रिया प्रतिक्रिया चलती रही
मेरे अंश घर में रह गए
प्रेम खो गया, मैं खो गया लटके घर में
प्रेम की परिभाषा बदल गई
सिर्फ कंधे तक रह गया मैं
प्रेम बँट गया कई रूपों में
जीवन से गया भटक
कर्तव्य बोध से रहा अनजान
कोशिशें खत्म होने लगीं
मैं निहारने लगा मुझको
उम्र के इस पड़ाव पर ठहर
स्थिर हो, देखता रहा
पीछे छूटती गलियों, पगडंडियों पर
पैरों के निशान देते रहे
तुम्हारे होने का प्रमाण
कुरेदना, खोदना एक – एक कण को सहेजना
कितना कठिन है इस भाषा को पढ़ना
तुम भी तब अनजान भटका करते थे
अपनी पहचान पाने के लिए
आज सिर्फ़ तुम्हारे पैरों के पीछे ही
लोगों की जमात भाग रही है
अर्चना संस्था ने ऋतुराज वसंत का किया स्वागत
कोलकाता । अर्चना संस्था की ओर से आयोजित स्वरचित गोष्ठी में संस्था के सदस्यों ने सर्वप्रथम सुरों की देवी भारत रत्न लता मंगेशकर जी को अपनी शब्दांजलि अर्पित की।’सुर शब्द बन बदली सी विलीन हो गई शून्य आकाश में’कविता मृदुला कोठारी द्वारा और गीत ‘स्वर देवी को स्वरों से देते हम स्वरांजलि’ भारती मेहता और विद्या भंडारी ने ‘गाँऊगी हर गीत में तुमको /हृदय में तुम्हें बसाऊँगी ‘, संगीता चौधरी ने ‘तुम हो स्वर की मल्लिका’ प्रस्तुत कर सुर साम्राज्ञी को श्रद्धांजलि अर्पित की।
हिम्मत चोरड़़िया ने कुंडलिया-गागर में सागर भरूँ, देना ऐसा ज्ञान।दोहे-दुश्मन भ्रम मत पालना, ये वीरों का देश।
समर भूमि में एक हैं, भले अलग परिवेश।।, सिमट अंधेरा अब गया, हुआ शिशिर का अंत।मृदुला कोठारी ने कू-कू कोयल बोलती,आया सुखद बसंत।।मन मंजीरा सुर वीणा के साथअधरों की बंसरी के संगछेड़ता जब अनहद मीठे राग विद्या भंडारी ने खुशबू मिट्टी की, संगीता चौधरी ने दोहे- कृपा करो मां शारदे और पतझड़ का ना जाने कैसा नाता है, क्यों मनाऊं मैं वैलेंटाइन डे, नोरतन मल भंडारी ने प्यार होता है/रेशमी धागों की गिरह की तरह/ हो जाये,/तो तोङना मुश्किल /जोङना मुश्किल। (2)खामोशी की भी होती है/ एक आवाज /कौन कहता है/उस तक नहीं/ पहुंच पाएगी / मेरी खामोशी।, हिम्मत चोरड़़िया ने मुक्तक विधाता छंद -हरा ये रंग कहता है, सदा खुशहाल बन रहना।, धनाक्षरी छंद-खेत अब लहराये, उपवन सरसाये,शशी कंकानी ने गीत -हर दिल में मस्ती छाने लगी/ये कैसा चढ़ने लगा खुमार/हौले से दस्तक किसने दी/कोई और नहीं ये है बसंत बहार,सुना कर कार्यक्रम का जोश बढ़ाया। वहीं मीना दूगड़ ने पूरे कार्यक्रम की रिपोर्ट अपनी कविता के द्वारा प्रस्तुत की – सुरीले मधुर दोहा गीत के साथ सजीला शुभारंभ और उतने ही सुरीले गीत के साथ आज की गोष्ठी की मनभावन संपन्नता। मध्य भाग सज उठा बसंत की बयार से, गुलाब की सौरभ से,लता जी के अमर स्मरण से, जीवन संगीत से, मिट्टी की खुशबू से, धरती आकाश के फासले में बसे ख्वाबों से, धनाक्षरी के हरे भरे लहलहाते खेतों से, प्यार के रेशमी धागों से, खामोशी की जुबां से,क्रोध की जहरीली गोली के दुष्प्रभाव से,मधुसिक्त मकरंद में डूबे श्रद्धा स्वरों से सभी सदस्यों की रचनाओं को शब्दों में पिरो कर रचनाओं की माला भेंट की। और अपनी कविता -कल रात सपने में गुलाब से मुलाकात हो गई / बगीचे में खिले खिले, सफेद गुलाबी लाल पीले-वैलेंटाइन डे की संस्कृति/मात्र सात दिनों पर टिकी प्यार की बंजर धरती सुनाया।
सुशीला चनानी ने ऋतु बसन्त में ए सखी,धरा करे श्रृंगार। जैसे पिय घर पग धरे,दुल्हन पहली बार।, हाइकु-बासन्ती हवा/भरे मदिर भाव/धिरकें पाव/गीत-खोलो खोलो सखी मन के किंवाड,बसन्त ऋतु आयी है !, लता जी को समर्पित दोहा-सारा जीवन कर दिया,सात सुरों के नाम
सांस सांस संगीत था,सप्तक ही था धाम।।, उषा सराफ ने धरती से आकाश तक का फ़ासला न होता, /तो ख्वाबों का कारवाँ कहाँ होता सुनाया। इंदू चांडक – आया आया जी बसंत ऋतुराज /मावड़ळी रै आंगणियै/बाज्या ढोल मंजीरा चंग सुरीला साज/मावड़ळी रै आंगणियै गीत से वसंत का स्वागत किया। व्यंग्य के वरिष्ठ कवि बनेचंद मालू नेे क्रोध किए गुण बहुत हैं,/क्रोध कीजिए रोज…….पैराशूट और दिमाग,/रह जाएँ अधखुले तो / हो जाए सत्यानाश…….सुनाया जो नया प्रयोग रहा। डॉ वसुंधरा मिश्र ने कविता ‘वसंत’ नभ से उतरता वसंत /इतराता इठलाता /भर गया जब सूखी टहनियों पर /तभी तो उतर आता है जमीन पर /मदमस्त हो वसंत भी। और’ रचना ‘ गर्भ के किस कोने में /तुम छिपी थी, सुनाया। कार्यक्रम का संचालन और तकनीकी सहयोग इंदु चांडक की काव्यात्मक अभिव्यक्ति से पूर्ण रहा।