Sunday, July 20, 2025
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शिक्षकों को समय के साथ अपडेट होना आवश्यक : डॉ. सोमा बंद्योपाध्याय  

कोलकाता । भारतीय संस्कृति में शिक्षकों का दर्जा श्रेष्ठतम व अतुलनीय है और बात जब नयी पीढ़ी के नव निर्माण की हो तो बिना शिक्षक के अधूरी है । इसी को मद्देनजर रखते हुए गत 1 मार्च को नई पीढ़ी तथा राइटर्स एण्ड जर्नलिस्ट एसोसिएशन ( वाजा इंडिया) कोलकाता इकाई द्वारा “नई पीढ़ी के नव निर्माण में शिक्षकों की भूमिका” नामक ई -परिचर्चा का आयोजन हुआ।
उपरोक्त परिचर्चा का संचालन डॉ. वसुंधरा मिश्रा, अध्यक्ष वाजा इंडिया महिला शाखा ,कोलकाता इकाई ने किया साथ ही स्वागत ज्ञापन शिवेंद्र प्रकाश द्विवेदी ,संस्थापक , ‘नयी पीढ़ी’ तथा संस्थापक महासचिव, वाजा इंडिया द्वारा संपन्न हुआ।

कार्यक्रम में विषय प्रवेश देते हुए वाजा इंडिया, कोलकाता इकाई के अध्यक्ष तथा वरिष्ठ पत्रकार विश्वंभर नेवर (निदेशक ताजा टी.वी. व छपते-छपते) ने कहा कि आजादी के बाद शिक्षा में आए उतार-चढ़ाव के बीच आज शिक्षा की खिचड़ी बन गई है । उन्होंने कहा कि नयी पीढ़ी और वाजा इंडिया द्वारा संपन्न हो रही है यह ई-परिचर्चा हमारा ध्यान एक गंभीर मुद्दे की ओर आकर्षित करती है।

मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित प्रोफेसर सोमा बंद्योपाध्याय का कहना था कि यह विषय बहुत ही महत्वपूर्ण है, हमारे भारतीय परिवेश में माता-पिता के बाद शिक्षक व गुरु का ही महत्व होता है। मेरा मानना है कि शिक्षक को समय के साथ खुद को अपडेट रखना चाहिए और साथ ही यह एक गुरु का दायित्व है कि वह विद्यार्थियों को पढ़ाई के साथ-साथ सामाजिक दायित्व बोध के प्रति भी जागरूक करें। प्रो. सोमा बंद्योपाध्याय ने आगे कहा कि आज नयी पीढ़ी के पास ज्ञान व सूचना के साधन बड़ी आसानी से उपलब्ध हैं तो यहां शिक्षकों के सामने नयी पीढ़ी की बढ़ती आकांक्षाओं की पूर्ति भी बड़ी चुनौती हो जाती है । इस मौके पर सोमा बंदोपाध्याय ने शिक्षकों से अनुरोध किया है कि वह मानव रोबोट ना तैयार कर विद्यार्थियों को व्यवहारिक शिक्षा प्रदान करें।

प्रोफेसर सोमा बंद्योपाध्याय वर्तमान में पश्चिम बंगाल प्रशिक्षण शिक्षण योजना एवं प्रबंधन विश्वविद्यालय की साथ ही डायमंड हार्बर विश्वविद्यालय की कुलपति हैं तथा यह संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति भी रह चुकी हैं।आमंत्रित वक्ता के रूप में अपना वक्तव्य रखते हुए शिक्षा सदन फॉर गर्ल्स हायर सेकेंडरी स्कूल ,हावड़ा, कोलकाता की पूर्व प्रधानाचार्य दुर्गा व्यास ने कहा कि भारतीय संस्कृति में शिक्षकों को विशेष सम्मान मिला है इसलिए एक शिक्षक का दायित्व है कि नई पीढ़ी का नव निर्माण करें । परिचर्चा के दौरान द बीएसएस स्कूल कोलकाता की हिंदी विभागाध्यक्ष प्रियंका मिश्रा ने कहा कि आज शिक्षा व शिक्षकों का व्यवसायीकरण हो रहा है । इसी तरह आमंत्रित वक्ता के तौर पर भवानीपुर एजुकेशन सोसायटी कॉलेज पश्चिम बंगाल में कार्यरत डॉ.रेखा नारीवाल ने कहा कि आज हम मूल्य और नैतिक मूल्यों पर समझौता कर रहे हैं। यह स्थिति घातक है । कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कोलकाता के प्रतिष्ठित बिरला हाई स्कूल्स की डायरेक्टर मुक्ता नैन ने कहा कि पहले शिक्षक रोल मॉडल्स हुआ करते थे। पूर्व समय के शिक्षक स्कूल को एक जॉब नहीं बल्कि ज्ञान दान की भावना को अपना कर्तव्य समझते थे। कार्यक्रम की प्रायोजक बॉल पेन की निर्माता कंपनी  कोलेराइट’ रही जिसके डायरेक्टर अमित पॉल ने भी कार्यक्रम के अंत में अपने विचार व्यक्त किए। इस परिचर्चा में भारत के तमाम शहरों के शिक्षक ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। कोलकाता ईकाई में साहित्यकार रेणु गौरसरिया, साहित्य प्रेमी शशि कंकानी और बहुत संख्या में विद्यार्थियों की उपस्थिति रही। यह इ- परिचर्चा एक महत्वपूर्ण और गंभीर विषय को लेकर आयोजित हुई जिससे वर्तमान काल खंड में हमारा, देश, समाज व नई पीढ़ी उसमें अपना अक्स देख सके ।

विद्यार्थियों का कौशल बढ़ाने को साथ आए एमसीसीआई और भवानीपुर कॉलेज

कोलकाता । शिक्षा के क्षेत्र में विद्यार्थियों को उत्कृष्ट योगदान और एकेडमी उद्योग के क्षेत्र में विशिष्टता प्राप्त करने के लिए भवानीपुर एजूकेशन सोसाइटी कॉलेज और प्रसिद्ध संस्था मर्चेंट ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री से हाथ मिलाया है। इस अवसर पर भवानीपुर कॉलेज के सीनियर वाइस-चेयरमैन मिराज डी शाह और एमसीसीआई के प्रेसीडेंट ऋषभ कोठारी ने समझौते पर हस्ताक्षर किये। समझौते से उद्योगों के साथ कौशल विकास के क्षेत्र में विद्यार्थियों को प्रशिक्षण, युवाओं को उद्यम क्षमता बढ़ाने, उद्योग में सहभागिता, रोजगार सृजन आदि क्षेत्रों में सहभागिता रहेगी । कोठारी ने कहा कि इससे शिक्षा और उद्योग क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण कार्य किए जा सकेंगे। छात्र और छात्राएँ तथा शिक्षकों को चेंबर में सेमिनार, सत्र, कार्यशाला, वेबिनार आदि आयोजनों में शामिल हो सकेंगे। मिराज शाह ने कहा कि इससे विद्यार्थियों को उद्यम क्षमता बढ़ाने में व्यवहारिक ज्ञान की प्राप्ति होगी जो भविष्य में उनके लिए नयी संभावनाओं और तैयारी करने में मदद करेगा । कॉलेज के जुबली सभागार में कॉमर्स के लगभग सौ से अधिक विद्यार्थियों की उपस्थिति में यह एम ओ यू संपन्न हुआ। कॉलेज के डायरेक्टर जनरल डॉ सुमन मुखर्जी, डीन प्रो दिलीप शाह, टीआईसी डॉ सुभब्रत गंगोपाध्याय, प्रो मीनाक्षी चतुर्वेदी, दिव्या उदेशी, कृपा शाह, नलिनी पारेख,रेणुका भट्ट, सोहिला भाटिया आदि के साथ ऋषभ कोठारी के साथ मर्चेंट चेंबर ऑफ कॉमर्स के कई प्रतिष्ठित व्यक्तित्वों की उपस्थिति रही। इस कार्यक्रम की जानकारी दी डॉ. वसुंधरा मिश्र ने ।

हावड़ा में खुला एब्सोल्यूट बारबेक्यूज

शुभजिता प्रतिनिधि

हावड़ा । भारत के पसंदीदा विश ग्रिल रेस्तरां, एब्सोल्यूट बारबेक्यूज ने हावड़ा में अपना चौथा आउटलेट खोला है, जिससे देश भर में कंपनी के आउटलेट की कुल संख्या 49 हो गई है। 5,275 वर्ग फुट में फैले, अवनी मॉल, हावड़ा में स्थित नए आउटलेट का उद्घाटन बंगाली अभिनेत्री पायल मुखर्जी ने को किया।
मेनू विशेष रूप से प्रामाणिक बंगाली व्यंजनों के सभी प्रसिद्ध व्यंजनों को शामिल करके तैयार किया गया है। आउटलेट एक पाली में 140 से अधिक मेहमानों की सेवा कर सकता है और लाइव किचन, विश ग्रिल काउंटर, लाइव डेज़र्ट काउंटर और बहुत कुछ के साथ एब्सोल्यूट बारबेक्यू ब्रांड की विरासत और दर्शन को ध्यान में रखते हुए सावधानीपूर्वक डिज़ाइन किया गया है।

मनीष कुमार पांडे, जीएम- संचालन, उत्तर और पूर्वी भारत पूर्ण बारबेक्यू, ने कहा मुझे विश्वास है कि अनुकरणीय भोजन और सेवाओं के साथ हम जल्द ही शहर में सबसे अधिक मांग वाले बारबेक्यू रेस्तरां होंगे, ”असीमित बुफे मेनू के साथ किसी भी अवसर का जश्न मनाने का स्थान और श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ सेवा प्रदान करना हमारे रेस्तरां में भोजन करने वालों के लिए हमारा मूल्य प्रस्ताव है। रेस्तरां की शाखा शीघ्र ही पार्क स्ट्रीट में भी खुलेगी।

नर्सरी एवं किंडरगार्टन की छात्राओं के लिए वर्चुअल स्पोर्ट्स मीट

कोलकाता । सुशीला बिड़ला गर्ल्स स्कूल में नर्सरी एवं किंडरगार्टन की छात्राओं के लिए वर्चुअल स्पोर्ट्स मीट आयोजित की गयी। प्रत्येक कक्षा को 2 समूहों में विभाजित किया गया था और प्रत्येक समूह में 15 छात्राएँ थीं। शिक्षिकाओं ने रोचक और स्किल यानी कौशल पर आधारित गतिविधियाँ प्रत्येक समूह के लिए चुनी थीं। छात्राओं को उनके प्रदर्शन का वीडियो भेजने के लिए समय दिया गया था और कम से कम समय में नियमों का पालन करते हुए कार्य पूरा करने को कहा गया था। इन गतिविधियों के जरिए फाइन मोटर स्किल्स, हाथों और आँखों का संयोजन, संतुलन, शक्ति और एकाग्रता की पहचान की गयी। नर्सरी की छात्राओं के लिए इट्स लॉन्ड्री टाइम प्रतियोगिता आयोजित की गयी। केजी की छात्राओं के लिए कंडिशनिंग कोस्टर्स, जगलर्स एक्ट जैसी गतिविधियाँ शामिल थीं। नर्सरी सी की छात्राओं की प्रिशियस पिगी एक प्रमुख आकर्षण थी।

शिक्षकों को प्रशिक्षित करने के लिए साथ आए यू.एस. कौंसुलेट एवं बंगाल सरकार

कोलकाता । नयी दिल्ली स्थित अमरीकी दूतावास टेसोल (टीईएसओएल) इंटरनेशल के सहयोग से हाल ही में अंग्रेजी के शिक्षकों के लिए कार्यशाला आयोजित की। टेसोल के इस कोर सर्टिफिकेट प्रोग्राम (टीसीसीपी) 25 अंग्रेजी के शिक्षकों एवं प्रशिक्षकों ने भाग लिया और प्रमाणपत्र प्राप्त किया। शिक्षक बंगाल के सरकारी एवं सरकारी अनुदान प्राप्त स्कूलों में कार्यरत हैं। यह पहली बार है जब यू.एस.कौंसुलेट, कोलकाता राज्य के शिक्षा विभाग के साथ प्रत्यक्ष तौर पर काम कर रहा है।
टेसोल कोर सर्टिफिकेट प्रोग्राम 140 घंटे का शिक्षकों के लिए तैयार किया गया अंग्रेजी भाषा प्रशिक्षण प्रोग्राम है। प्रशिक्षित शिक्षक अन्य शिक्षकों को भी प्रशिक्षित कर सकेंगे और विद्यार्थी केन्द्रित शिक्षा को बढ़ावा दे सकेंगे।
इन पाठ्यक्रमों के जरिए अमरीकी दूतावास केजी से 12वीं तक के शिक्षकों के पेशेवर विकास में मदद करना चाहता है जिससे वे शिक्षक अन्य शिक्षकों की इसी तरह सहायता कर सकें। नयी दिल्ली में इस मॉडल को काफी सफलता मिली है। यहाँ अब 200 मेंटर शिक्षक 10 हजार अंग्रेजी शिक्षकों की सहायता कर रहे हैं और अब दिल्ली के 2.2 मिलियन विद्यार्थियों को इसका लाभ मिल रहा है।
पाठ्यक्रम के उद्घाटन कार्यक्रम में पब्लिक अफेयर्स के यू.एस. मिशन की मिनिस्टर काउंसिलर ग्लोरिया बरबेना एवं टेसोल इंटरनेशल ग्रैबिएल क्लिकोवा के साथ प्रशिक्षण पाने वालों का स्वागत किया। अमरीकी सरकार क्षेत्रीय भाषाओं के माध्यम से दूतावासों एवं कौंसुलेट्स में अंग्रेजी शिक्षक प्रशिक्षण शिक्षा की सहायता करती है।

राजा नरेंद्र लाल खान महिला कॉलेज (स्वायत्त) में सोलर ट्री स्थापित

मिदनापुर। मिदनापुर के प्रतिष्ठित राजा नरेंद्र लाल खान महिला कॉलेज (स्वायत्त) में एक सोलर ट्री (सौर ऊर्जा के लिए उपकरण) की प्रतिस्थापना की गई। मेदिनीपुर की जिला कलेक्टर डॉ. रश्मि कमल और दुर्गापुर स्थित सी एस आई आर के निदेशक प्रो. हरीश हिरानी ने कॉलेज परिसर में सौर ऊर्जा उपकरण का उद्घाटन किया। इस अवसर पर कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ. जयश्री लाहा ने बताया कि भारत सरकार द्वारा संचालित स्वच्छता अभियान के तहत महाविद्यालय को डिस्ट्रिक्ट चैंपियनशिप का पुरस्कार मिला है, इसलिए अब इस अभियान को और व्यापक बनाने के लिए हम सभी ऊर्जा प्रबंधन की दिशा में 11.55 kwp. की क्षमता वाला यह सोलर ट्री स्थापित कर रहे हैं।
आशा करते हैं कि आने वाले समय में हमारा यह प्रयास स्वच्छ भारत अभियान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। जिला कलेक्टर डॉ रश्मि कमल और दुर्गापुर सी एस आई आर के डायरेक्टर प्रो. हरीश हिरानी ने इसे एक सराहनीय कदम बताते हुए महाविद्यालय की प्रशंसा की ।इस अवसर पर बड़ी संख्या में शिक्षक और विद्यार्थी उपस्थित थे।

 

हेरिटेज लॉ कॉलेज में यूनिफॉर्म सिविल कोड पर वाद – विवाद प्रतियोगिता

कोलकाता । कोविड के बाद पहली बार हेरिटेज लॉ कॉलेज ने एक इंटर कॉलेज वाद – विवाद प्रतियोगिता आयोजित की। प्रतियोगिता का विषय था, “सदन मानता है कि यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड भारत में एक दूर का सपना है”। इस प्रतियोगिता में कलकत्ता विश्वविद्यालय के विधि विभाग, जोगेश चंद्र चौधरी लॉ कॉलेज, साउथ कलकत्ता लॉ कॉलेज, सिस्टर निवेदिता यूनिवर्सिटी , यूनिवर्सिटी ऑफ इंजीनियरिंग एंड मैनेजमेंट के साथ-साथ हेरिटेज लॉ कॉलेज के विद्यार्थियों ने भाग लिया था।
कलकत्ता हाईकोर्ट के अधिवक्ता सत्य सुंदर सारंगी ने निर्णायक की भूमिका निभायी। सारंगी कलकत्ता हाईकोर्ट के अतिरिक्त सुप्रीम कोर्ट एसोसिएशन एवं इंडियन काउंसिल ऑफ आर्ब्रिट्रेशन विद लीगल एड सर्विसेज, पश्चिम बंगाल के सदस्य भी हैं।
हेरिटेज लॉ कॉलेज के डीन प्रो. एस.एस. चटर्जी ने विषय पर अपनी बात रखी। जोगेश चंद्र चौधरी लॉ कॉलेज की छात्र टीम विजेता बनी और विजेता टीम से अद्रिता चौधरी सर्वश्रेष्ठ वक्ता बनीं। हेरिटेज लॉ कॉलेज उपविजेता रहा।

बारूद पर बैठी दुनिया को एक शांतिदूत चाहिए

दुनिया इस समय ऐसे मोड़ पर खड़ी हैं जहाँ सब कुछ अनिश्चित लग रहा है। दुनिया बारूद के ढेर पर बैठी है, लोग मर रहे हैं, शिक्षा प्राप्त कर कुछ बनने के इरादे से परदेस जाने वाले युवाओं के सामने जीवन को बचा लेना ही चुनौती बन गया है। रूस और यूक्रेन की जंग का शिकार बन रहे हैं बच्चे, युवा, आम नागरिक। कुछ समय तक यूक्रेन और यूक्रेन की जनता पीड़ित लग रहे थे और वह पीड़ित हैं मगर गौर से देखने पर लग रहा है कि यूक्रेन कुछ और नहीं, अमेरिका के हाथ का खिलौना है, मोहरा है। असल युद्ध तो चिर प्रतिद्वंद्वी रूस और अमेरिका का ही है। यूक्रेन को बचाने की आड़ में पश्चिमी देश एक बार फिर से एक हो रहे हैं और भारत तटस्थता की स्थिति में है। यह वर्चस्व और साम्राज्यवाद के साथ रंगभेद की लड़ाई भी बनती जा रही है। भारतीय विद्यार्थियों को प्रताड़ित करना और यूक्रेन का नर्म लहजे में धमकी देना कि 20 हजार भारतीय छात्र यूक्रेन में हैं…इसका प्रमाण है। भारत की तटस्थता से नाराज यूक्रेन की पुलिस अब भारतीयों को निशाना बना रही है।
ऐसा लग रहा है कि रूस को रोकने और अकेला करने के लिए अब सारे देश एक होने लगे हैं और युद्ध का सीधा लाभ अमेरिका को होगा। रूबल कमजोर हो रहा है, डॉलर मजबूत हो रहा है। अमेरिका प्राकृतिक गैस का निर्यात बढ़ाने की तैयारी में है जबकि रूस का निर्यात घट रहा है। रूस की ताकत कम करने के लिए यह युद्ध अमेरिका की एक चाल भी हो सकता है। अगर उसे वास्तव में शांति की जरूरत थी तो वह तालिबान के हाथों में अफगानिस्तान की जनता को कभी न छोड़ता। एशियाई लोगों के प्रति यूरोप में रंगभेद का भाव अभी तक है मगर इन दो देशों की लड़ाई में पिस रहा है आम नागरिक और भारतीय। यह समय कदम फूँक – फूँक कर रखने का है मगर फिलहाल तो अपने बच्चों को सकुशल घर लाने का है।

महाशिवरात्रि पर विशेष – आदियोगी- प्रथम योगी

योग संस्कृति में, शिव भगवान के रूप में नहीं, बल्कि आदियोगी या प्रथम योगी- योग के जनक के रूप में जाने जाते हैं। सबसे पहले उन्होंने ही मानव मन में इसका बीजारोपण किया था। योग कथाओं के अनुसार, लगभग पंद्रह हज़ार साल से भी पहले, हिमालय पर पूर्ण आत्मज्ञान प्राप्त करके शिव अत्यंत आनंदविभोर हो झूम उठे। उन्होंने हिमालय पर उन्मुक्त होकर परमानंद नृत्य किया। जब वह हद से परे चला गया, तो वे बिलकुल निश्चल हो गए।

लोगों ने देखा कि वो कुछ ऐसा अनुभव कर रहे हैं जिसके बारे में पहले किसी को पता तक नहीं था, वो उसकी कल्पना तक करने में असमर्थ थे। यह जानने की उत्सुकता में, कि यह क्या है – लोग उनके आसपास इकट्ठा होने लगे। वे आए, उन्होंने प्रतीक्षा की और वे चले गए क्योंकि वह व्यक्ति अन्य लोगों की उपस्थिति से बेखबर थे। वो या तो उन्मुक्तता से झूमते थे या पूरी तरह निश्चल हो जाते थे। अपने आसपास होने वाली घटनाओं से पूरी तरह बेपरवाह। जल्द ही, सब चले गए …

इन सात लोगों ने ठान लिया था कि वे वो सब सीखेंगे, जो इस आदमी के भीतर है, लेकिन शिव ने उन पर ध्यान नहीं दिया। उन्होंने उनसे विनती की, याचना की और कहा – “हम जानना चाहते हैं कि आप क्या हैं।” शिव ने उनकी प्रार्थना टालते हुए कहा,” अरे मूर्खों, तुम लोग जिस हाल में हो, दस लाख साल में भी जान नहीं पाओगे। इसके लिए जबरदस्त तैयारी की जरूरत है। यह कोई हँसी-मज़ाक नहीं है।”

तो उन्होंने इसके लिए तैयारी शुरू कर दी। दिन-ब-दिन, सप्ताह-दर-सप्ताह, महीने-दर-महीना, साल-दर-साल वे तैयारी करते रहे। शिव उनकी उपेक्षा करते रहे। चौरासी साल की साधना के बाद एक पूर्णिमा को, जब संक्रांति ग्रीष्म संक्रांति से शीत संक्रांति में प्रवेश करी- जिसे पारंपरिक तौर पर दक्षिणायन कहा जाता है- आदियोगी ने इन सात लोगों पर दृष्टि डाली और देखा कि ज्ञान के दैदीप्यमान पात्र बन गये हैं। वे ग्रहण करने के लिए पूरी तरह से योग्य हो गए थे। अब शिव उनको अनदेखा नहीं कर सकते थे। उन्होंने शिव का ध्यान अपनी ओर कर लिया था।

उन्होंने अगले कुछ दिनों तक उन्हें ध्यान से देखा और जब अगली पूर्णिमा आई, तो उन्होंने गुरु बनने का फैसला किया।आदियोगी ने स्वयं को आदिगुरु में बदल लिया; उस दिन प्रथम गुरु का जन्म हुआ जिसे आज गुरू पूर्णिमा के रूप में जाना जाता है। केदारनाथ से कुछ किलोमीटर ऊपर एक झील – कांति सरोवर – के तट पर, उन्होंने मानव जाति पर अपनी कृपा बरसाने के लिए दक्षिण की ओर रुख किया और इन सात लोगों पर योग विज्ञान की दीक्षा प्रारंभ हुए। योग विज्ञान उन योग कक्षाओं के बारे में नहीं है जिसमें आप सीखते हैं कि शरीर को कैसे मोड़ा जाए- ये तो हर नवजात शिशु को पता है- या अपना साँस कैसे रोका जाए- जो कि हर अजन्में बच्चे को मालूम है। ये संपूर्ण मानव तंत्र की प्रक्रिया को समझने का विज्ञान है।

कई सालों के पश्चात, दीक्षा पूर्ण होने पर, इसने सात पूर्ण आत्मज्ञानी जनों को जन्म दिया- प्रसिद्ध सात योगी जो आज सप्तऋषि के नाम से जाने जाते हैं और भारतीय संस्कृति में पूजित और सम्मानित हैं। शिव ने इनमें से हरेक के अंदर योग का एक अलग आयाम स्थापित किया और ये आयाम योग के सात मूल रूप बन गए। आज भी, योग ने इन सात विशिष्ट रूपों को बनाए रखा है ।

सात ऋषियों को योग विज्ञान की दीक्षा

सप्तर्षियों को इस आयाम के प्रसार के लिए सात अलग-अलग दिशाओं में दुनिया के विभिन्न हिस्सों में भेजा गया, ताकि मनुष्य अपनी मौजूदा सीमाओं के परे विकसित हो सके। इस ज्ञान और तकनीक से सुसज्जित होकर कि इस संसार में मनुष्य कैसे स्वयं ही सृजनकर्ता बन कर रहे- वे शिव के अंग बन गए। समय ने बहुत सी चीजों को उजाड़ दिया है, पर उन स्थानों की संस्कृति को ध्यान से देखने पर पता चलता है कि वहाँ इन लोगों के कामों के कुछ अंश अभी भी जीवित हैं।

आदियोगी इस संभावना को लेकर आए कि मनुष्य को अपनी प्रजाति की निर्धारित सीमाओं में ही संतुष्ट हो जाने की जरूरत नहीं है। भौतिकता में संतुष्ट होते हुए भी उसपर निर्भर नहीं रहने के लिए एक तरीका है। शरीर में रहते हुए भी शरीर न बन जाएँ इसका एक उपाय है। अपने मन को उसके सर्वोच्च संभावित क्षमता तक उपयोग करते हुए भी उसकी पीड़ाओं से अछूते रहने का एक उपाय है। आप अस्तित्व के किसी भी आयाम में हों, आप उससे परे जा सकते हैं- जीने का एक और भी तरीका है। उन्होंने कहा,” अगर आप स्वयं पर जरूरत के अनुसार काम करते हैं तो आप अपने वर्तमान सीमाओं के परे विकसित हो सकते हैं,”। वही आदियोगी की महत्ता है।

(साभार – ईशा सद्गुरू की वेबसाइट)

कर प्रणाली को सरल बनाने के लिए सरकारें आगे आएँ – जस्टिस शुभ्रकमल मुखर्जी

ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ टैक्स प्रैक्टिशनर्स एआईएफटीपी के पूर्वी क्षेत्र ने किया आयोजन

कोलकाता । कर्नाटक हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस शुभ्र कमल मुखर्जी ने कर प्रणाली और प्रक्रिया को सरल बनाने पर जोर दिया है। ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ टैक्स प्रैक्टिशनर्स (एआईएफटीपी) के पूर्वी क्षेत्र द्वारा गत 26 एवं 27 फरवरी को आयोजित दो दिवसीय सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए उन्होंने यह बात कही। जस्टिस मुखर्जी ने कहा कि कर आम जनता के लिए होते हैं इसलिए उनको भरा जाना चाहिए मगर कर प्रक्रिया सरल होनी चाहिए जिससे आम जनता को रिटर्न भरने में परेशानी न हो। इसके लिए सभी सरकारों को साथ आना चाहिए। वहीं उद्घाटन सत्र पर में वाणिज्यिक कर निदेशालय, पश्चिम बंगाल के आयुक्त खालिद अजीज अनवर ने कर प्रणाली को लेकर राज्य की चिंता पर बात की और फर्जी पंजीकरण की समस्या भी उठायी। इस सम्मेलन की थीम “न्यू टैक्स लॉ इम्पैक्ट एंड प्रमोशन थी। आयोजन में देश भर के 400 से अधिक प्रख्यात टैक्स प्रैक्टिशनर्स ने भाग लिया।
यह राष्ट्रीय सम्मेलन के जरिए प्रोफेशनल टैक्स प्रैक्टिशनर्स की दक्षताओं को बनाए रखने और उन्हे इस बारे में उनकी जानकारी को और विकसित करने के लिए, जिससे कोर्ट में मुकदमेबाजी और विभिन्न क्षेत्रों में उनके ज्ञान, विशेषज्ञता और कौशल सेट को बढ़ाने के लिए एक प्रयास किया गया है।
इसके साथ इस सम्मेलन में डी.के. गांधी (एआईएफटीपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष), माननीय न्यायमूर्ति मोहम्मद निजामुद्दीन, (न्यायाधीश कलकत्ता उच्च न्यायालय), अचिंत्य भट्टाचार्जी (सम्मेलन अध्यक्ष) उपस्थित थे।
सम्मेलन सचिव और राष्ट्रीय संयुक्त सचिव एआईएफटीपी विवेक अग्रवाल ने कहा, यह  अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन टैक्स प्रैक्टिशनर्स के प्रोफेशन का एक अभिन्न अंग है, जो टैक्स प्रोफेशनल्स को उनके ज्ञान को बढ़ाने में मदद करता है। डॉ. अशोक सराफ और एन.डी. साहा के कुशल मार्गदर्शन में फेडरेशन नई ऊंचाई और उपलब्धि के शिखर पर बढ़ता जा रहा हैं।