Wednesday, July 16, 2025
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भवानीपुर एजुकेशन सोसाइटी कॉलेज को शैक्षणिक सम्मान 

कोलकाता/कोलकाता । भवानीपुर एजुकेशन सोसाइटी कॉलेज को शिक्षा के क्षेत्र में में ब्रांड स्टोरी अवार्ड द इंडिया ब्रांड एंड लीडरशिप कॉन्क्लेव में दिया गया। गत 30 अप्रैल 2022 को नयी दिल्ली कॉलेज की ओर से कॉलेज के डीन प्रो दिलीप शाह को इस सम्मान से सम्मानित किया गया। प्रसिद्ध अभिनेता कबीर बेदी और विनीत गोयनका द्वारा यह पुरस्कार प्रदान किया गया। कॉलेज के टीआईसी डॉ सुभब्रत गंगोपाध्याय ने सभी विभागों के शिक्षकों और विद्यार्थियों को शुभकामनाएँ दीं। इस कार्यक्रम की जानकारी दी डॉ वसुंधरा मिश्र ने ।

भारतीय भाषा परिषद में युवा लेखन कार्यशाला का उद्घाटन

कोलकाता । भारतीय भाषा परिषद में युवा लेखन कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस नयी पहल से इसमें कविता, कहानी, साक्षात्कार विधि, समीक्षा, रपट, प्रूफ रीडिंग आदि की विधिवत शिक्षा दी जाएगी| इसमें जोर रचना पाठ और संवाद पर होगा|  उद्घाटन करते हुए परिषद अध्यक्ष डॉ. कुसुम खेमानी ने कहा कि युवा लेखन ही हिंदी का भविष्य है| परिषद में तीन महीने के इस पाठ्यक्रम से सैकड़ों युवा प्रतिभाओं को मार्गदर्शन मिलेगा और भाषा सुधार के साथ उनकी रचनाओं में परिपक्वता आएगी| परिषद के निदेशक और वरिष्ठ लेखक डॉ. शंभुनाथ ने कहा कि युवा लेखन कार्यशाला कोलकाता और आसपास के जिलों की युवा प्रतिभाओं के लिए एक प्रेरक प्रयोगशाला का काम करेगा| कल्पनाशीलता को बचाने के लिए रचनात्मकता को बचाना जरूरी है| इसमें कविता, कहानी, साक्षात्कार विधि, समीक्षा, रपट, प्रूफ रीडिंग आदि की विधिवत शिक्षा दी जाएगी| इसमें जोर रचना पाठ और संवाद पर होगा|
उद्बोधन सत्र में डॉ अवधेश प्रसाद सिंह ने कहा कि एक लेखक के लिए पढ़ना बहुत जरूरी है| पढ़ने से बुद्धि और ज्ञान का विकास होगा जो रचनात्मक लेखन में सहयोगी होगा| मृत्युंजय ने कहा कि एक लेखक को अपनी संगति का ध्यान रखना पड़ेगा कि हम किससे मिलजुल रहे हैं| अच्छी संगति से रचनात्मकता में निखार आती है| प्रो. संजय जायसवाल ने कहा कि लिखते से रहने से अपने भीतर का आदमी बड़ा बनता है| प्रियंकर पालीवाल ने कहा कि इस दौड़ते समय में स्वयं पर नियंत्रण रखने की जरूरत है| ठहर कर सोचने की जरूरत है| यह भी देखने की जरूरत है कि हमारा समय आखिर कहां जाया हो रहा है| उन्होंने कहा कि बिना पढ़े रह पाना कितना बड़ा विरोधाभास है| साहित्य नहीं पढ़ना मतलब मानवता की सीमा से दूर होना है| युवा कवियों ने अपनी रचनाओं का पाठ किया| कार्यक्रम का संयोजन और संचालन रेशमी सेनशर्मा, तृषान्विता बनिक और राजेश सिंह ने किया| धन्यवाद ज्ञापन साहित्यकार मृत्युंजय ने दिया|

कल्याणी विश्वविद्यालय में‘एम. ए. हिन्दी पाठ्यक्रम नवीनीकरण’ विषय पर राष्ट्रीय कार्यशाला

 हिन्दी विभाग द्वारा ने आयोजित की कार्यशाला
कल्याणी। कल्याणी विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग द्वारा ‘एम.ए. हिंदी पाठ्यक्रम नवीनीकरण’ विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला के सफल आयोजन में कल्याणी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. मानस कुमार सान्याल की अहम भूमिका रही।कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि प्रो. दामोदर मिश्र, कुलपति, हिन्दी विश्वविद्यालय, विशिष्ट अतिथि के रूप में, प्रो. गौतम पाल, उपकुलपति, कल्याणी विश्वविद्यालय, प्रो. अमलेंदु भुइयां, अधिष्ठाता, कला एवं वाणिज्य विभाग, इसके साथ ही परामर्श के रूप में कल्याणी विश्वविद्यालय, आई. क्यू. ए. सी. के निदेशक प्रो. नन्द कुमार घोष एवं लोक संस्कृति विभाग के अध्यक्ष प्रो. सुजय कुमार मण्डल कार्यक्रम में उपस्थित थे। कार्यशाला का विषय-प्रवर्तन विभाग की अध्यक्ष डॉ. विभा कुमारी जी ने किया एवं  उद्घाटन सत्र का संचालन विभाग के प्रो. हिमांशु कुमार ने किया।
तकनीकी सत्र में बतौर विषय विशेषज्ञ अपनी बात रखते हुए  प्रो. मुक्तेश्वर नाथ तिवारी, विश्वभारती, शांतिनिकेतन ने कहा कि प्रस्तावित पाठ्यक्रम में नए-पुराने विषयों के संतुलन का संतुलन रखा गया है। प्रो.विजय कुमार भारती, काज़ी नजरुल विश्वविद्यालय ने पाठ्यक्रम को सामाजिक-सांस्कृतिक परिवर्तन की पृष्ठभूमि के रूप में देखने की बात कही। प्रो. आशीष त्रिपाठी, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय ने प्रस्तावित पाठ्यक्रम का बेहद बारीक विश्लेषण करते हुए कहा कि एक आदर्श पाठ्यक्रम में हर  क्षेत्र का प्रतिनिधित्व होना चाहिए। अध्यक्षीय वक्तव्य में प्रो. दामोदर मिश्र सर ने पाठ्यक्रम बनाने की चुनौतियों एवं सीमाओं की विस्तारपूर्वक चर्चा की एवं उन्होंने पाठ्यक्रम पर तटस्थ होकर विचार करने की आवश्यकता को समझा और पाठ्यक्रम को संतुलित बनाने पर जोर दिया।
प्रतिभागियों में प्रो. संजय कुमार जायसवाल, विद्यासागर विश्वविद्यालय ने कहा कि यह पाठ्यक्रम रोजगारमूलक होने के साथ सामाजिक, राष्ट्रीय ,स्थानीय एवं लोक संस्कृति का समावेश है। समकालीन साहित्य को जोड़ने से वर्तमान समय के साथ विद्यार्थियों की एक वैचारिक समझ विकसित होगी। प्रो. रामप्रवेश रजक, कलकत्ता विश्वविद्यालय, ने प्रवासी साहित्य, लोक साहित्य एवं गीत गजल को पाठ्यक्रम में रखने की बात कही। इस अवसर पर सुनीता मण्डल, रमेश यादव, अरुण प्रसाद रजक, दीक्षा गुप्ता आदि आगत शिक्षकों ने अपने सुझावों से कार्यशाला को अर्थपूर्ण बनाया।
तकनीकी सत्र का संचालन  शोधार्थी अनूप कुमार गुप्ता, तकनीकी संयोजन शोधार्थी विकास कुमार एवं पवन कुमार साव एवं अन्य शोधार्थियों और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. हिमांशु कुमार ने दिया।

इक्कीसवीं शताब्दी के इक्कीस वर्ष : हिंदी साहित्य पर सीयू में गोष्ठी

कोलकाता | ‘कलकत्ता विश्वविद्यालय’ में गत बुधवार को ‘एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी ‘ का आयोजन किया गया | गत 27 अप्रैल को विश्वविद्यालय के आशुतोष कक्ष में आयोजित इस संगोष्ठी में राज्य के अन्य प्रमुख विश्वविद्यालयों से भी प्राध्यापक और प्रध्यापिकाएं वक्ता के रूप में कार्यक्रम में जुड़े |
आतिथियों के स्वागत व् दीप प्रज्वलन के पश्चात् माँ सरस्वती की वंदना की गयी | संगोष्ठी दो सत्रों में विभाजित रही |
सत्र का उद्घाटन वक्तव्य कलकत्ता गर्ल्स कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ. सत्या उपाध्याय ने दिया। अपने वक्तव्य में उन्होंने साहित्य और जीवन के संबंध में बात करते हुए साहित्य को मानव कल्याण की और उन्मुख करने वाली एक प्रेरणा शक्ति माना| उन्होंने आगे कहा कि साहित्य ही वह साधन हैं जो मनुष्य को पशुता से मुक्त कर उसमें मानवीयता का संचार कर सकता हैं |
प्रथम सत्र के आलोचनात्मक सत्र के आरम्भ से पूर्व कलकत्ता विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग की अध्यक्ष प्रो० राजश्री शुक्ला जी ने विषय प्रवर्तन करते हुए भूमंडलीकरण और बाजारवाद के संबंध पर चर्चा की और साहित्य किस प्रकार इस बाजारवादी सभ्यता के चमत्कार के पीछे के सत्य से हमें अवगत कराता हैं , यह बताया । उन्होंने कहा कि इक्कीसवीं शताब्दी का साहित्य बाज़ारवाद के प्रतिरोध का साहित्य है । इस काल का साहित्य गुण और परिमाण सभी आयामों में बड़ी रचनात्मक सक्रियता की झलक देता है । लोकतंत्र की परिपक्वता का प्रभाव इस साहित्य पर दिखाई देता है। आलोचनात्मक सत्र पश्चिम बंगाल राज्य विश्वविद्यालय के प्राध्यापक डॉ. अरुण होता के वक्तव्य से आरम्भ हुआ | 1991 से देश में आरम्भ हुए भूमंडलीकरणके नुकसानदायक परिणाम और साहित्य द्वारा इन नकारात्मक पक्षों का उद्घाटन करना , यह उनकी चर्चा का विषय रहा | विमर्शों पर चर्चा करते हुए उन्होंने स्त्री विमर्श के व्यापक स्वरुप की छवि को प्रस्तुत किया | समाज में व्याप्त वर्त्तमान समस्याएँ जैसे गरीबी और भ्रष्टाचार के मुद्दे भी उनकी चर्चा के विषय रहे |
सत्र का दूसरा वक्तव्य डॉ. देवेश जी द्वारा दिया गया | उन्होंने 2001 से 2021 तक घटित कई राष्टीय – अन्तर्राष्ट्रीय घटनाओं पर चर्चा करते हुए उद्योगीकरण से उत्पन्न संवेदनहीनता पर प्रकाश डाला |
सत्र के तीसरे वक्ता कल्याणी विश्वविद्यालय के प्राध्यापक डॉ. हिमांशु कुमार ने साहित्य और सिनेमा पर चर्चा करते हुए वर्तमान सिनेमा को आर्थिक लाभ का घर कहा | सत्य ही सिनेमा साम्पदायिक , धार्मिक कट्टरता जातिवाद को बढ़ाने का साधन बन गया हैं , इस पर भी उन्होंने विचार रखे |
प्रथम सत्र की चतुर्थ वक्ता स्कॉटिश चर्च कॉलेज की प्राध्यापिका गीता दूबे ने इक्कीसवीं शताब्दी को ‘रचनात्मक विस्फोट’ की संज्ञा दी, क्योंकि इस शताब्दी ने विमर्शों को विस्तार दिया हैं | नासिर शर्मा जी की रचना ‘कुइयां जान ‘ पर बात करते हुए उन्होंने पर्यावरण विमर्श पर प्रकाश डाला |’यह सच अभी’ कहानी संग्रह के जरिये पुरुष विमर्श , ‘मछली मरी हुई’ और ‘तिरोहित’ रचना के जरिये समलैंगिक विमर्श और ‘पाँव टेल की धूप’ के जरिय नक्सल विमर्श पर उन्होंने चर्चा की |
प्रथम सत्र का अंत हिंदी विश्वविद्यालय के उपकुलपति प्रो. दामोदर मिश्र जी के वक्तव्य के साथ हुआ | प्रथम सत्र का सफल संचालन कलकत्ता विश्वविद्यालय के प्राध्यापक डॉ. रामप्रवेश रजक जी ने किया |
इसे पश्चात डॉ. शुभ्रा उपाध्याय की अध्यक्षता में शोधपत्र वाचन हुआ , जिसमे कलकत्ता विश्वविद्यालय की शोधार्थी अनुराधा त्रिपाठी और अमित कौर ने अपने शोधपत्र का वाचन किया |

द्वितीय सत्र

द्वितीय सत्र का आरम्भ विद्यासागर विश्वविद्यालय के प्राध्यापक डॉ. संजय जायसवाल के वक्तव्य से हुआ | उन्होंने लंदन – अमेरिका से शुरू हुए खोखले विकासवाद पर चर्चा करते हुए भारत पर पड़े इसके नकारात्मक परिणामों की चर्चा की | बहुराष्ट्रीयवादी कंपनियों की धन उपार्जन की लालसा , लोगों की पहचान मात्र संख्या बन कर रह जाना , अन्नदाताओं की बुरी स्थिति का चित्रण आदि विषयों पर अपने वक्तव्य के माध्यम से प्रकाश डाला| द्वितीय सत्र की दूसरी वक्ता लेडी ब्रेबोर्न कॉलेज की प्रधायापिका डॉ. संध्या सिंह रही |
वक्ता ने लेखक शिरीष खरे की रचना ‘एक देश बारह दुनिया :हाशिए पर छूते भारत की तस्वीर ‘ को संदर्भित करते हुए कहा कि एक और तो इक्कीसवी शताब्दी को आपर संभावनाओं का घर माना हैं , विज्ञान ने हर चीज को संभव बना दिया हैं और लोगो को नया मंच प्रदान किया है , जिससे हाशिये के लोगों की आवाज भी सुनी जा रही हैं , पर वही दूसरी ओर वह यह भी कहती हैं कि हमने इक्कीसवी शताब्दी को कुछ नहीं दिया हैं | हम आज भी धार्मिक कट्टरता , विकास – लोभ की भूख , बर्बरता में जी रहे हैं और जैविक हथियार बनकर प्रकृति का दोहन कर रहे हैं | आज का साहित्य हमारे इसी दूसरे रूप का चित्र प्रस्तुत करता हैं | उन्होंने इंडिया और भारत के दो भिन्न चेहरों पर भी चर्चा की | जहाँ इंडिया विकसित देश हैं तो वही भारत भूखे सोते किसानों – मजदूरों का देश है |उन्होंने विस्थापन की पीड़ा ,न केवल मनुष्य बल्कि प्रकृति – इस विषय पर भी चर्चा की| उन्होंने कहा कि साहित्य में ही यह क्षमता है जो इन स्थितियों को सुधार सकता हैं |
द्वितीय सत्र की तीसरी वक्ता कचरापारा कॉलेज की प्राध्यापिका डॉ. सुनीता मंडल रही |उन्होंने अपने वक्तव्य में भूमण्डलीकरण , वैश्विक महामारी , आतंकवाद आदि समस्याओं पर चर्चा करते हुए लोगों में बची जिजीविषा पर रेखा खींची | वह जिजीविषा जिसे साहित्य ने जिन्दा रखा है |
द्वितीय सत्र का अंत प्रेसीडेंसी विश्वविद्यालय की प्राध्यापिका प्रो. तनुजा मजुमदार जी के अध्यक्षीय भाषण के साथ समाप्त हुआ | इस सत्र का सफल संचलान कलकत्ता विश्वविद्यालय के प्राध्यापक प्रो. विजय कुमार साव जी ने किया |
इसके पश्चात प्रो. ममता त्रिवेदी जी की अध्यक्ष्यता में शोधवाचन समारोह हुआ , जिसमे कलकत्ता विश्वविद्यालय की शोधार्थी दीक्षा गुप्ता , प्रीतम रजक और अमर कुमार चौधरी द्वारा अपने शोधपत्र का वाचन किया गया। संगोष्ठी का अंत कलकत्ता विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग की अध्यक्ष प्रो. राजश्री शुक्ला जी द्वार धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ |

ब्लैक कर्टन थिएटर की एक शाम, रंगमंच और ग़ज़लों के नाम

कोलकाता । ब्लैक कर्टन थिएटर के मंच प्रदर्शन कार्यक्रमों के उद्घाटन के अवसर रंगमंच और ग़ज़लों की शाम का आयोजन मंगलवार की देर शाम तक किया गया। इस अवसर पर संस्था के प्रमुख अमन जायसवा  ल ने 21 लेनिन सरणी स्थित इस थिएटर स्थल को रंगमंच और विविध कला-प्रेमियों के प्रदर्शन के लिए समर्पित करने की घोषणा की। थिएटर के प्रदर्शन कार्यक्रम समारोह का उद्घाटन मशहूर नाट्य निर्देशक डॉ. जनार्दन घोष, साहिर सिद्दीकी और प्रतिष्ठित साहित्यकार डॉ.अभिज्ञात ने किया।
 कार्यक्रम के पहले सत्र में डॉ. जनार्दन घोष ने वैश्विक रंगमंच से लेकर भारतीय नाटकों की स्थिति पर प्रकाश डाला और कहा कि इससे फर्क नहीं पड़ता कि मंचन कितने लोगों के बीच हो रहा है। महत्वपूर्ण है रंगमंच को हर परिस्थिति के बीच जीवित रखना। साहिर सिद्दीकी ने कहा कि रंगमंच की दुनिया में आकर लगा कि कलाकार केवल वाहवाही पाने और अपने को स्थापित करने के लिए ही अभिनय नहीं करते हैं बल्कि समाज को कुछ देने का भी जज्बा रखते हैं। यह उन्हें उर्जा देती है। नाट्य समीक्षक प्रेम कपूर ने कहा कि यदि रंगमंच में लोगों की दिलचस्पी घटें और लोग उनके पास न आयें तो रंगकर्मियों को सीमित साधनों के बावजूद उनके बीच जाना होगा और अपनी बात कहनी होगी।
कार्यक्रम का दूसरा सत्र डॉ. अभिज्ञात की ग़ज़लों के एकल पाठ का था, जिसमें उन्होंने अपनी ताज़ा एक दर्जन ग़ज़लों का पाठ कर खूब वाहवाही बटोरी। उनकी पहली ही ग़ज़ल ने श्रोताओं पर अपनी पकड़ मजबूत कर ली-‘तुझे बस तपते होठों के मसाले गर्म रक्खेंगे। मेरे ये मशवरे दिल में बसा ले गर्म रक्खेंगे।’ उनकी एक ग़ज़ल यूं थी-छोड़ दी है हर कहानी बीच में। आ गयी जब रातरानी बीच में। चाहते हैं कि तअल्लुक भी बनें/दीवार भी है इक बनानी बीच में।’
कार्यक्रम के तीसरे सत्र में ब्लैक कर्टन थिएटर ग्रूप के सदस्यों अमन जायसवाल द्वारा लिखित व निर्देशित लघुनाटक ‘फिश करी’ का मंचन किया। ‘फिश करी’ में सिमरन सहगल, कर्मा घोसी, मोहम्मद वसीम, विपुल अग्रवाल और वासिम अकरम ने अपने जादुई अभिनय का प्रदर्शन किया।

वरिष्ठ रंगकर्मी अजहर आलम की स्मृति में आयोजित हुआ काव्य कोलाज ‘रेत और इंद्रधनुष’

कोलकाता । वरिष्ठ रंगकर्मी अज़हर आलम की जयंती पर लिटिल थेस्पियन की ओर से काव्य कोलाज कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर कवयित्री शशि सहगल की 20 कविताओं के कोलॉज ‘रेत और इंद्रधनुष’ का अभिनयात्मक आयोजन सुजाता सदन थियेटर हॉल में हुआ। इसका निर्देशन लिटिल थेस्पियन की निदेशक उमा झुनझुनवाला ने किया। एक्सिस बैंक के क्षेत्रीय अध्यक्ष श्रीलाल सिंह, बी.एस. एफ पूर्वी कमांड के विशेषज्ञ विजेंद्र शर्मा, दैनिक छपते- छपते के प्रधान संपादक  विश्वम्भर नेवर, अज़हर आलम मेमोरियल ट्रस्ट की अध्यक्ष सुमित्रा झुनझुनवाला और साहित्य टाइम के एम. डी. केयुर मजमुदार उपस्थित थे। केक काटकर सभी दर्शकों का मुंह मीठा कराया गया। अज़हर आलम को याद करते हुए वरिष्ठ पत्रकार विश्वम्भर नेवर ने कहा कि अजहर ने इतने कम समय में इतनी सफलता प्राप्त की। श्रीलाल सिंह ने अजहर आलम को याद करते हुए आयोजन की सराहना की। उन्होंने कहा कि कविता में आदमी होने का एहसास है। प्रकाश योजना भी इंद्रधनुष का पूरी कविता के माध्यम से रखे गए जीवन में विभिन्न अर्थ के साथ व्यजित होती है। उन्होंने संगीत संयोजन पर भी विचार रखे। इस कार्यक्रम में कलकत्ता गर्ल्स कॉलेज की प्राचार्य डॉ. सत्या उपाध्याय, स्कॉटिश चर्च कॉलेज की प्रोफेसर डॉ गीता दूबे,  खुदीराम बोस सेंट्रल कॉलेज की प्रोफेसर शुभ्रा उपाध्याय भी उपस्थित थीं।

इस प्रकार रोजमर्रा के जीवन में स्त्री एक ही देह में कई जीवन जीती चली जाती है इसी बीच में उसकी अखंडता कई खंडों में विभाजित हो जाती है पेड़ों को मनुष्य काटते जा रही हैं और मनुष्य मनुष्य को भी काट रहा है प्रकृति गोल है हर कर्म वापस मनुष्य के पास वापस आता है यह दर्शन उभर कर आता है संप्रदायिक जीवन के बीच सच्चे सिर की तलाश में मनुष्य कई सवालों से गुजरता है फिर वह अपने अस्तित्व को चुनौती देते हुए धर्म ग्रंथों से भी प्रश्न करता है उसके उत्तर में हिमालय का बर्फ भी पिघलने लगता है जो पूरी मनुष्य जाति का शर्म से पानी होने के बिंब को दर्शाया गया है हमारा मन हमेशा यही चाहता है कि खिड़की वाली सीट हमारी हो जहां बैठकर पूरी दुनिया को हम करीब से देख सकें इस काव्य मंचन का नित्यात्मक काव्य प्रस्तुति की परिकल्पना उमा झुनझुनवाला ने की। मंच पर कलाकार के रूप में उपस्थित रहे हिना परवेज , मनोहर झा ,पार्वती रघुनंदन, राकेश शर्मा , राहुल शर्मा , नेहा यादव और प्रियंका सिंह |

हीरो इलेक्ट्रिक इविफाई को करेगी 1,000 इलेक्ट्रिक स्कूटरों की आपूर्ति

नयी दिल्ली । हीरो इलेक्ट्रिक ने कहा कि उसने प्रौद्योगिकी-आधारित इलेक्ट्रिक वाहन लॉजिस्टिक कंपनी इविफाई के साथ गठजोड़ किया है। इस करार के तहत हीरो इलेक्ट्रिक अगले दो वर्षों में इविफाई को 1,000 इलेक्ट्रिक स्कूटरों की आपूर्ति करेगी।
हीरो इलेक्ट्रिक ने एक बयान में कहा कि आपूर्ति की जाने वाली पहली 50 इकाइयां पहले से ही उत्पादन चरण में हैं और अगले महीने तक सौंप दी जाएंगी।
इसके अतिरिक्त, कंपनी साल के अंत तक कई टियर-2 एवं टियर-3 शहरों में इविफाई की तरफ से तैनात किए जाने वाले 500 इलेक्ट्रिक स्कूटरों की भी आपूर्ति करेगी।
हीरो इलेक्ट्रिक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) सोहिंदर गिल ने कहा, “बी2बी साझेदारी ईवी उद्योग को शून्य-उत्सर्जन लक्ष्य की दिशा में काम करने के लिए पार्टनर विशेषज्ञता और ताकत का आदान-प्रदान और उपयोग करने में सक्षम बनाएगी।” उन्होंने कहा कि कंपनी अपने संसाधनों का लाभ उठाएगी और भविष्य में इस तरह की कई और भागीदारी करेगी। इविफाई के सीईओ देवर्षि अरोड़ा ने कहा, “यह साझेदारी हमें भारत में ईवी लॉजिस्टिक परिदृश्य की नए सिरे से कल्पना करने में मदद करेगी।”

 

रेप पीड़ितों पर होने वाले टू-फिंगर टेस्ट पर मद्रास हाईकोर्ट ने लगाई रोक

चेन्नई । बलात्कार पीड़ितों पर होने वाले टू-फिंगर टेस्ट पर मद्रास हाईकोर्ट ने राज्य को तत्काल प्रभाव से रोक लगाने के आदेश दिए हैं। मद्रास हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि डॉक्टरों द्वारा रोप पीड़ितों पर किए जाने वाले टू-फिंगर टेस्ट की इस प्रथा पर तत्काल रूप से प्रतिबंध लगाया जाए। यह आदेश जस्टिस आर. सुब्रमण्यम और जस्टिस एन सतीश कुमार की पीठ ने जारी किया है।
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि इस परीक्षण का उपयोग यौन अपराध के मामलों में अभी भी किया जा रहा है। विशेष रूप से नाबालिगों के खिलाफ। मद्रास हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि यह टेस्ट बलात्कार के पीड़िताओं की निजता, शारीरिक और मानसिक अखंडता और गरिमा के अधिकार का उल्लंघन करता है।
क्या था मामला
दरअसल खंडपीठ एक नाबालिग के साथ हुए यौन उत्पीड़न के मामले में दोषी ठहराए गए एक व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इस व्यक्ति ने अपनी उम्रकैद की सजा को रद्द करने की माँग की थी। मामला 16 साल की लड़की के साथ कथित यौन उत्पीड़न से संबंधित था। लड़की का टू-फिंगर टेस्ट कराने के बाद महिला कोर्ट ने आरोपी को दोषी पाया और उसे पॉक्सो एक्ट के तहत उम्रकैद की सजा सुनाई।
खंडपीठ का आदेश
पीठ ने कहा कि उपरोक्त न्यायिक घोषणाओं के मद्देनजर, हमें कोई संदेह नहीं है कि टू-फिंगर टेस्ट को जारी रखने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। हम राज्य सरकार को निर्देश जारी करते हैं कि चिकित्सा पेशेवरों द्वारा यौन अपराधों की पीड़िताओं पर किए जाने वाले टू-फिंगर टेस्ट की प्रथा पर तत्काल प्रतिबंध लगाया जाए।

एसी और कूलर चलाते हैं तो इस तरह कम कीजिए बिजली का बिल

गर्मी का मौसम आ चुका है। तापमान बढ़ते ही घरों में पंखे, कूलर और एसी चलने लगे हैं। इन उपकरणों की मदद से गर्मी से तो राहत मिल रही है लेकिन बिजली का बिल जेब पर भारी पड़ रहा है। ऐसे में हम आपको बिल घटाने के कुछ तरीके बताने जा रहे हैं जिसका इस्तेमाल करके आपको थोड़ी राहत मिल सकती है।
पंखों में इलेक्ट्रॉनिक रेगुलेटर का ही इस्तेमाल करें
गर्मी में पंखे सबसे ज्यादा चलते हैं। ऐसे में समय-समय पर पंखों की सर्विसिंग कराते रहें. पंखे में इलेक्ट्रॉनिक रेगुलेटर का ही इस्तेमाल करें। कंडेंसर और बाल बेयरिंग खराब हो रहा है तो इसको तुरंत बदलवा लें।
कूलर के पंखों और पंप की ऑलिंग-ग्रीसिंग कराएं
भारत में अधिकतर घरों में कूलर का ज्यादा इस्तेमाल होता है। कूलर के पंखे और पंप की ऑलिंग-ग्रीसिंग कराना जरूरी होता है। ज्यादा चलने से पंप ज्यादा बिजली खीचता है, ऐसे में समय-समय पर ऑएलिंग करते रहें। कूलर के पंखे के कंडेंसर और रेगुलेटर की जांच भी जरूर कराएं। इलेक्ट्रॉनिक रेगुलेटर से भी बिजली कम खर्च होती है।
24 से 26 डिग्री के बीच सेट करें एसी
घंटों एसी चलने से बिजली की ज्यादा खपत होती है। एसी को चलाने के साथ-साथ पंखा भी चलाते रहें रखें। एसी के तापमान को 24 से 26 डिग्री के बीच सेट करें। हर 10 से 15 दिन में एयर फिल्टर को अच्छी तरह धोकर साफ करें। फिल्टर में धूल जमने से पूरी ठंडक नहीं मिलती और एसी ज्यादा देर तक चलाना पड़ता है। याद रखें कि जब एसी चल रहा हो तो खिड़की-दरवाजें बंद हो, नहीं तो एसी की ठंडी हवा बाहर ज्यादा जाएगी और कमरा ठंडा नहीं हो पाएगा।

टमाटर लम्बे समय तक रहेंगे ताजा इस तरह

टमाटर आपकी रसोई में बिना फ्रिज के भी लंबे समय तक ताजा बना रहेगा, बस आप इसे स्टोर करते हुए इन दो बातों का ध्यान रखें। अगर फ्रिज में रखे टमाटर का स्वाद आपको पसंद नहीं आता है, तब भी ये टिप्स काम आएंगी। टमाटर का उपयोग ज्यादातर सब्जियां और दाल बनाने में किया जाता है। खाने में जब तक टमाटर की ग्रेवी से बनी सब्जी ना हो, तब तक स्वाद नहीं आता। देसी सलाद का स्वाद भी टमाटर के बिना अधूरा रहता है लेकिन इस टमाटर को रसोई में लंबे समय तक स्टोर करके रखना बहुत टेढ़ा काम होता है।
फ्रिज में स्टोर करने पर इनका स्वाद बदल जाता है और वो बात भी नहीं रहती, जो ताजे टमाटरों में होती है। अब सवाल उठता है कि अगर फ्रिज में भी टमाटर ताजे नहीं रह पाते हैं तो इन्हें लंबे समय तक ताजा रखा कैसे जाए… क्योंकि हर बार सब्जी बनाने से पहले टमाटर खरीदने मंडी तो नहीं जाया जा सकता। तो इसका समाधान है, टमाटर रखने की ये खास ट्रिक. जब भी आप टमाटर स्टोर करें, इन बातों का ध्यान रखें –
1. टमाटर को धोते समय इसके पीछे से इसका हरा भाग, जहां से टमाटर पौधे से जुड़ा होता है, उसे ना हटाएं बल्कि उसे लगा रहने दें और टमाटर आराम से धोकर साफ करें।
2. टमाटर को जब रखें तो इसका स्टेम यानी टहनी वाला भाग नीचे की तरफ रहें और टमाटर का लाल भाग ऊपर की तरफ रहना चाहिए।
इन दोनों बातों का ध्यान रखने पर टमाटर लंबे समय तक ताजे बने रहते हैं और नर्म भी नहीं होते। ऐसा इसलिए क्योंकि स्टेम साइड ढकी रहने के कारण टमाटर के अंदर हवा और नमी का प्रवेश बहुत ही कम मात्रा में हो पाता है। इस कारण ये जल्दी खराब नहीं होते हैं।
अगर आप अधिक लंबे समय के लिए टमाटर स्टोर करना चाहते हैं और फ्रिज में रखना चाहते हैं तो इन दोनों बातों का ध्यान रखते हुए टमाटर को पहले पेपर की थैली में रखें और फिर किसी प्लास्टिक बैग या फिर डब्बे के अंदर रखकर फ्रिज में स्टोर करें। इन टमाटर का स्वाद और टेक्सचर दोनों सही बने रहेंगे।