Wednesday, July 30, 2025
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साहित्यिकी में मधु कांकरिया के उपन्यास” ढलती सांझ का सूरज” पर चर्चा

कोलकाता । मधु कांकरिया हिंदी उपन्यासकारों में शोधपरक उपन्यासों के लिए जानी जाती हैं। साहित्यिकी संस्था ने “ढलती सांझ का सूरज” चर्चा आयोजित की । कार्यक्रम की शुरुआत में डॉ मंजु रानी गुप्ता ने मंच पर आमंत्रित प्रसिद्ध उपन्यासकार मधु कांकरिया, कलकत्ता विश्वविद्यालय की हिंदी विभागाध्यक्ष साहित्यकार डॉ राज्यश्री शुक्ला (भारतीय भाषा परिषद की सचिव) और वक्ता कथाकार और साहित्यकार डॉ शुभ्रा उपाध्याय कार्यक्रम की अध्यक्ष दुर्गा व्यास (प्रसिद्ध समाज सेवी और साहित्यकार, राजस्थान ब्राह्मण संघ की अध्यक्ष ) सभी विदूषियों ने अपने वक्तव्य रखे।
रेवा जाजोदिया ने संचालन करते हुए उपन्यासकार मधु कांकरिया का परिचय दिया। ढलती सांझ का सूरज उपन्यास पर डॉ राज्यश्री शुक्ला ने अपने महत्वपूर्ण विचारों को व्यक्त करते हुए उपन्यास के कथानक और उसके नए शिल्प पर चर्चा की। बताया कि यह उपन्यास वस्तुतः स्त्री केंद्रित उपन्यास है जिसमें एक माँ पूरे देश अर्थात भारत माँ के रुप में विस्तार पाती है। भौतिकवाद के इस दौर में किसानों की आत्महत्याओं की समस्या विशेषकर महाराष्ट्र के विदर्भ की समस्याएं, बच्चों का विदेश भेजना, भौतिक सुख सुविधाओं के घेरे में पड़कर उपन्यास के पात्र अविनाश का अपनी माँ से मिलने की चाह होते हुए भी बीस वर्ष स्विट्जरलैंड में रह जाना । सफलता के साथ जीवन को सार्थक कैसे बनाएं जैसे अनेक महत्वपूर्ण पहलुओं पर डॉ शुक्ला ने अपने विचार रखे।
डॉ राज्यश्री शुक्ला ने कहा कि उपन्यास की घटनाएँ बहुत ही रोचक हैं जो पाठक को बांधे रखती हैं। स्त्रियों की स्थिति और स्त्री विमर्श पर चर्चा करते हुए स्त्री के सामाजिक विकासक्रम पर भी विचार व्यक्त किया ,लेखिका के उपन्यास ‘पत्ता खोर’ का भी जिक्र किया । किसानों की आत्महत्या, केंद्र में स्त्री, किसान जीवन के अतिरिक्त उपन्यास में सभ्यता संस्कृति और समाज की चर्चा है। जीवन की सफलता के क्या मायने हैं बच्चे कैसे सफल होगें। इस भूमंडलीकरण के दौर में सुख- सुविधाओं के पीछे भागते बच्चों को माँ के दिए संस्कार काम आते हैं और वे देश के लिए अपने उत्तरदायित्व को समझते हैं। माँ देश में रहकर अकेले हताश नहीं होती बल्कि वह एक तार टूटता है तो दूसरे तारों को जोड़ने का कार्य करती है। यही कारण है कि बीस साल बाद भी उसका बेटा अविनाश पूरे महाराष्ट्र के विदर्भ के किसानों के साथ साथ पूरे भारत की चिंता करता है।
जननी जन्मभूमि माँ से जुड़ी है भारत की प्राण नाड़ी को समझना है। उपन्यास में बड़ी सीमा के दर्शन होते हैं। पूरे देश से जुड़ कर उसकी माँ किसानों के परिवार से जुड़ती है। अपने दायरे को बढ़ायी है । जिंदगी के तार टूट जाय तो क्या दूसरे तार नहीं है। नया शिल्प है। सफल सार्थक उपन्यास है जो समाधान की दिशा में ले जाता है। वक्ता डॉ शुभ्रा उपाध्याय ने उपन्यास के मूल में राष्ट्रीय भावना को महत्वपूर्ण बिंदु माना है। विदेश में बेटा अविनाश माँ को याद करता है लेकिन फिर भी उसकी आत्मा भारत माँ से ही जुड़ी हुई है। विदेश स्विट्जरलैंड से बीस साल बाद भारत आता है माँ से मिलने लेकिन अविनाश को मांँ का कंकाल मिलता है। वस्तुतः अविनाश के चरित्र में मूलरूप में माँ के दिए संस्कारँ है। बीस वर्षों के बाद भारत की बदलती स्थिति और समसामयिक समस्याओं पर लिखा उपन्यास दो खंडों में है । किसान की समस्या 5 वें अंक से शुरू होती और दूसरे खंड में भारत माँ की अवधारणा है। इसमें राष्ट्रीय चेतना की भावना जबरदस्त है। उपन्यास का शिल्प नया है।सफलता स्वयं तलाशनी पड़ती है। तभी जीवन की सार्थकता है। बारह अंक में माँ नहीं है बल्कि माँ की मांग है। भारत आकर 28वें अंक में अविनाश बहुत कुछ करता है।वह विदर्भ के किसान के क्षेत्र को चुनता है जहाँ किसानों ने बड़ी संख्या में आत्महत्या की है । समस्या का समाधान भी सोचना, प्रेमचंद के बाद किसानों को संबोधित करते हुए उनकी समस्याओं को जमीनी हकीकत पर लिखा यह पहला उपन्यास है। self help की बात आती है अविनाश किसानों के गांव की सड्कों को हाइ वे से जोड़ता है। हमें सरकारी तंत्र के भरोसे नहीं रहकर स्वयं सहयोग देने से किसानों की बहुत सी समस्याएं हल हो सकती हैं। एनजीओ और कई लोग व्यक्तिगत रूप से सहयोग देने के लिए आगे आ जाते हैं। उपन्यास की पंक्तियाँ हमें किसान के विस्तार के साथ हमारे भीतर के किसान का भी विस्तार करने के लिए प्रेरित करता है ।
रेवा जाजोदिया ने अपने सफल संचालन में उपन्यास को सफल और सार्थक बताते हुए कहा कि माँ ने फलक का विस्तार किया वहीं बेटे को पत्र द्वारा विरासत में भारत प्रेम को विस्तार दिया है । ढलती सांझ का सूरज शोधपरक उपन्यास है।
मधु कांकरिया ने सात उपन्यास, 70-75 कहानी लिखी है और कई साहित्यिक पुरस्कार से सम्मानित हुईं हैं। वे जमीनी स्तर की सिपाही हैं । इच वन टीच वन एनजीओ से जुड़ी हैं। अनाथ बच्चों को साक्षर करने का बीड़ा उठाया ।
मधु कांकरिया का लेखन भावना दर्शन परक है। वे मानती हैं कि आज भौतिकतावाद चरम पर है और सांस्कृतिक जीवन मूल्यों का रह्रा हुए। जरुरत से ज्यादा सुविधाएं है । बुद्ध और गीता का ह्रास हुआ है , जीवन की समस्याओं को दूर किया जा सकता है।आज बच्चों का बचपना कम हो गया है और आत्महत्या बढ़ रही है। हम अच्छा इंसान नहीं बना रहे हैं। जीवन सार्थक हो तो सफल हो सकता है। शर्मिला वोहरा ने – उपन्यास की शीर्ष लाइन समर्थ सफलता के आधार पर उपन्यास के प्रमुख बिंदुओं पर प्रकाश डाला जिसकी सूत्रधार स्वंय लेखिका है। अध्यक्षीय वक्तव्य में दुर्गा व्यास ने सभी वक्ताओं को बधाई देते हुए कहा कि उपन्यास बहुत ही महत्वपूर्ण और समसामयिक है ।अविनाश जाता है तो खरा सोना था लेकिन लौटा तो विचलित होकर। स्वनिर्भर हो जाएं तो समस्याएं खत्म हो जाती है। अम्मा के चरित्र का विस्तार होता है। लेखिका ने महाराष्ट्र की पूरी चित्रात्मक यात्रा उपन्यास में करवाई है जो विशिष्टता है। सार्थक लेखन, दार्शनिकता नैनसी को लिखे पत्रों में दिखाई पड़ती है । आशा जायसवाल ने धन्यवाद ज्ञापन दिया । कोरोना के बाद 16.11.2022 सायं 4.30 पर साहित्यिकी संस्था का प्रथम ऑफलाइन कार्यक्रम भारतीय भाषा परिषद के छोटे सभागार में हुआ। वाणीश्री बाजोरिया और डॉ मंजू रानी गुप्ता ने सक्रिय योगदान दिया।

लाइमलाइट सीवीडी डायमंड्स अब कोलकाता में 

कोलकाता । लाइमलाइट सीवीडी डायमंड्स अब कोलकाता में भी उपलब्ध है।मुंबई में अपने फ्लैगशिप स्टोर के साथ घरेलू लग्जरी ब्रांड के आकर्षक स्टोर के रूप में दिल्ली, बैंगलोर, चेन्नई, हैदराबाद के साथ देश के 20 अन्य शहरों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के बाद अब कोलकाता के फोरम मॉल में लाइमलाइट सीवीडी डायमंड्स का नया आउटलेट स्टोर खोला गया है। इस नए शोरूम में डायमंड्स के गहनों की बिलकुल नई डिजाइन का बेहतरीन कलेक्शन उपलब्ध है।
शोरूम के लांचिंग कार्यक्रम में संसद व अभिनेत्री नुसरत जहां के अलावा ओडिशा के मयूरभंज की शाही राजकुमारी अक्षिता भंजदेव और मृणालिका भंजदेव भी मौजूद थीं। इस मौके पर विनीता शाह निदेशक, लाइमलाइट स्टोर, कोलकाता) और पंकज जालान (निदेशक, लाइमलाइट स्टोर, कोलकाता) उपस्थित रहे ।
इस अंतरराष्ट्रीय लक्जरी बुटीक आउटलुक स्टोर में नए युग की तकनीक और पारंपरिक बढ़िया आभूषणों के कई डिजाइन के गहने मौजूद है, जो आज की पीढ़ी को सबसे अधिक आकर्षित करता है। फोरम मॉल में खोले गए इस आउटलेट में ग्राहकों को बेहतरीन सॉलिटेयर ज्वेलरी रेंज का अद्भुत होलोग्राम डिस्प्ले देखने को मिलेगा। इस आउटलेट में लाइफटाइम बायबैक, 100% एक्सचेंज गारंटी, डिजाइन कस्टमाइजेशन के साथ ग्राहकों को उनके खरीददारी पर ईएमआई की सुविधा भी मिलेगी। जो ग्राहकों के मन में इस ब्रांड के प्रति विश्वास जगाने में काफी अहम भूमिका निभाएगी। सभी लाइमलाइट सीवीडी डायमंड्स आउटलेट स्टोर पर उपलब्ध हीरे दुनिया के सबसे शुद्ध हीरे हैं। यह जीआईए, आईजीआई और एसजीएल जैसे सभी विश्व प्रसिद्ध हीरा ग्रेडिंग संगठनों द्वारा मान्य और प्रमाणित है।

अभिनेत्री और सांसद नुसरत जहां कहती हैं, मुझे हमेशा से ही प्रयोगशाला में विकसित किए जानेवाले हीरे की डिजाइन काफी पसंद है, क्योंकि इन हीरे की गुणवत्ता में कोई समझौता नहीं किया जाता । राजकुमारी अक्षिता ने कहा कि लैब में विकसित हीरों का खनन नहीं किया जाता है, बल्कि इसे अत्याधुनिक तकनीक से विकसित किया जाता है, जिससे यह एक अलग आकर्षक लुक देता है, जो अन्य ग्राहकों की तरह हमे भी काफी आकर्षित करता है। राजकुमारी मृणालिका ने इस मौके पर अपने जीवन की हसीन पुरानी यादें ताजा करते हुए कहा कि, मैं हमेशा बचपन में अपने माता-पिता, दादा-दादी से कोहिनूर के सबसे कीमती और सुंदर हीरा होने के बारे में सुना करती थी, आज यहां मुझे एक नई जानकारी मिली, कि कोहिनूर हीरे की शुद्धता वास्तव में सीवीडी के अत्याधुनिक लैब की शुद्धता से परखी गई है। क्योंकि यहां की तकनीक काफी बेहतरीन प्रभावशाली और कारगर होती है।

वर्जिनिया वूल्फ के व्यक्तित्व और कृतित्व पर चर्चा

कोलकाता । भवानीपुर एजूकेशन सोसाइटी कॉलेज की लाइब्रेरी नोलेज रिसोर्स में बुक रिडिंग सेशन में बीसवीं सदी की प्रमुख अंग्रेजी लेखिका वर्जिनिया वूल्फ के दो उपन्यासों टू दि लाइट हाउस और श्रीमती डलोवे पर चर्चा की गई। डॉ वसुंधरा मिश्र ने कहा कि वर्जिनिया वूल्फ के उपन्यास पाठकों की भावनाओं को बहुत गहराई तक खोदता है और कई भावनाओं को बाहर लाता है जो सभी को छूता है। सबके भीतर की इन आंतरिक अनुभूतियों को वह अद्भुत ढंग से यथार्थ से जोड़ता है। यह वास्तव में पाठक को कथानक के भीतर डुबो देता है, जो समुद्र की लहरों की तरह तीव्र भावनाओं से दूर हो जाता है
कम्युनिकेशन और सॉफ्ट स्किल ट्रेनर समीक्षा खंडूरी ने बताया कि वर्जीनिया वूल्फ के उपन्यास में एक तरह से कथा के माध्यम से क्या और कैसे को परिभाषित किया गया है।सतही समानता से अधिक उपन्यास उसकी वास्तविक जीवन की कहानी को दर्शाता है, व्याख्यात्मक आधारों का संदर्भ देता है , अवचेतन चिंतन जो कथानक को आगे बढ़ाता है और एक द्विआधारी संदर्भ में पारिवारिक गति का पारभासी अभिप्राय सेक्सवाइज, वूल्फ के सबसे चिह्नित भेद सभी इस पुस्तक में उनकी तेजस्विता में प्रदर्शित होता है। विद्यार्थियों द्वारा दोनों उपन्यासों पर विवेचनात्मक चर्चा की गई। मिसेज़ डलोवे उपन्यास दो कहानियों के माध्यम से व्यक्तिगत अनुभव में समय की प्रकृति को संबोधित करता है, विशेष रूप से पात्र क्लेरिसा की वह एक पार्टी की तैयारी करती है और उसकी मेजबानी करती है और मानसिक रूप से क्षतिग्रस्त युद्ध के अनुभवी सेप्टिमस वॉरेन स्मिथ की। दो पात्रों को एक दूसरे के लिए पन्नी के रूप में देखा जा सकता है। टू द लाइट हाउस जीवन और उसकी वास्तविकता पर सवाल उठाता उपन्यास है। एक ओर जब यह विवाह और समाज में महिलाओं की स्थिति की जांच करता है, तो यह जीवन की कठिन जटिलताओं जैसे अलगाव और उन्मूलन को भी चित्रित करता है। श्री और श्रीमती रामसे, अपने आठ बच्चों के साथ, विभिन्न पड़ोसियों और नौकरों से घिरे हेब्राइड्स के घर में रहते हैं। वर्जीनिया वूल्फ पारिवारिक जीवन में अंतर-संबंधों की विसंगतियों और पेचीदगियों की एक आश्चर्यजनक कहानी बुनती है। बीसवीं शताब्दी में वर्जीनिया वूल्फ के सबसे लोकप्रिय कार्यों में से एक टू द लाइटहाउस है।
कार्यक्रम के प्रारंभ में डीन प्रो दिलीप शाह ने कहा कि लेखक द्वारा रचित पात्रों का चित्रण ही जीवंत होता है तभी लेखिका या लेखक प्रसिद्धि प्राप्त करता है। समीक्षा ने मिसेज़ डलोवे उपन्यास के पात्रों की चर्चा करते हुए कहा कि उपन्यास में लेखिका एक नैरेटर की तरह है। दोनों उपन्यास के कुछ अंशों को विद्यार्थियों ने बहुत ही प्रभावशाली ढंग से पढ़ा। डॉ वसुंधरा मिश्र ने बताया कि दुनिया की सभी भाषाओं में लिखे श्रेष्ठ साहित्य और लेखक के व्यक्तित्व को हमें जानना चाहिए तभी विचार समृद्ध होते हैं। फज़ल करीम ने बुक रिडिंग का महत्व बताया। उज्जवल करमचंदानी ने उपन्यास की महत्वपूर्ण उक्तियों को पढ़ा जो जीवन की महत्वाकांक्षा, सफलता और असफलता को दर्शाता है। नम्रता चौधरी ने उपन्यास के आधार पर जीवन में बदलते हुए संबंधों पर आज के संदर्भ में अपनी बात कही जो प्रासंगिक है। आदित्य मुखर्जी, कशिश शॉ, अनिकेत दास गुप्ता, रूपेश कुमार झा, शेख मोहम्मद जहिरुददीन, यश सिन्हा का सक्रिय योगदान रहा। संयोजक डॉ वसुंधरा मिश्र और समीक्षा ने डीन प्रो दिलीप शाह और पुस्तकालय के अधिकारियों को धन्यवाद दिया जिन्होंने इस कार्यक्रम के लिए सुविधा उपलब्ध कराई।

पेटीएम से बुकिंग पर मुफ्त सिलेंडर की सुविधा

नये यूजर्स को मिलेगा कैशबैक

कोलकाता । पेटीएम ने अपने प्‍लेटफॉर्म से एलपीजी सिलेंडर बुक कराने वाले नये यूजर्स के लिये रोमांचक डील्‍स की घोषणा की है। देखभर में लाखों यूजर्स अपने एलपीजी सिलेंडर्स बुक करने के लिये सुविधाजनक रूप से पेटीएम का इस्‍तेमाल करते हैं। अभी पेटीएम ऐप पर भारत गैस के लिये बुकिंग विशेष तौर पर उपलब्‍ध है। पेटीएम के मौजूदा यूजर्स के पास मुफ्त में सिलेंडर  पाने का मौका है। इसके लिये उन्‍हें पेटीएम ऐप पर भुगतान प्रक्रिया पूरी करने से पहले कूपन कोड ‘FREEGAS’ का इस्‍तेमाल करना होगा। कंपनी ने हाल ही में यूजर्स को अपने गैस सिलेंडर की बुकिंग ट्रैक करने और रिफिल्‍स के लिये ऑटोमेटेड इंटेलिजेंट रिमाइंडर्स पाने में सक्षम बनाने वाले खोजपरक फीचर्स जोड़कर सिलेंडर की बुकिंग का अनुभव बेहतर बनाया है।

पेटीएम के मुताबिक इस ऑफर में नये यूजर्स अपनी पहली बुकिंग पर 30 रुपये का फ्लैट कैशबैक पा सकते हैं। इसके लिये उन्‍हें पेटीएम ऐप पर भुगतान पूरा करते समय “FIRSTCYLINDER” प्रोमोकोड अप्‍लाय करना होगा। यह कैशबैक ऑफर सभी 3 प्रमुख एलपीजी कंपनियों- इण्‍डेन, एचपी गैस और भारत गैस की सिलेंडर बुकिंग पर लागू है। यूजर्स ‘पेटीएम नाऊ पे लेटर’ प्रोग्राम पेटीएम पोस्‍टपैड में एनरोल कर सिलेंडर बुकिंग के लिये अगले महीने भी भुगतान कर सकते हैं।

ऐसे करें बुकिंग

  • यूजर को केवल ‘Book Gas Cylinder’ टैब पर जाना है
  • गैस प्रोवाइडर को सिलेक्‍ट करना है
  • मोबाइल नंबर/एलपीजी आईडी/कंज्‍यूमर नंबर एंटर करना है
  • फिर पेमेंट के लिये अपने पसंदीदा तरीके से भुगतान करना है
  • जैसे पेटीएम वैलेट, पेटीएम यूपीआई, कार्ड्स और नेट बैंकिंग।
  • नजदीकी गैस एजेंसी सिलेंडर को पंजीकृत पते पर डिलीवर कर देगी।

सभी धर्मों का समन्वय करना होगा – जस्टिस श्यामल सेन

पद्मश्री स्वामी शिवानंद का सम्मान समारोह एवं पुस्तक लोकार्पण सम्पन्न
कोलकाता । 127 वर्ष के गृही संन्यासी पद्मश्री स्वामी शिवानंद को महानगर में आयोजित एक समारोह में सम्मानित किया गया। इसके साथ ही 9 पुस्तकों का लोकार्पण भी किया गया । समारोह में उपस्थित स्वामी शिवानंद ने अपनी शुभकामनाएं प्रेषित कीं। मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित पं. बंगाल के पूर्व राज्यपाल जस्टिस श्यामल कुमार सेन ने सर्वधर्म सद्भाव पर जोर दिया । उन्होंने कहा कि आज के युग में भले ही हमारे पास भौतिक सुख बहुत हैं पर हम मूल्यबोध खो रहे हैं, इसे बचाने की जरूरत है और इसके लिए सभी धर्मों का समन्वय करना होगा । भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव राहुल सिन्हा ने कहा कि योग चर्चा से ही रोग मुक्ति सम्भव है और स्वामी शिवानंद ने जीवन भर इस दिशा में कार्य किया है। हम सभी को योग, आयुर्वेद जैसी परम्पराओं का प्रसार करना चाहिए। कैथेड्रल चर्च के प्रो वॉयसर फादर फ्रैंकलिन मेंजिस ने कहा कि हमें भारतीय परम्पराओं पर गर्व होना चाहिए और इसका प्रसार भी करना चाहिए । रामकृष्ण कथामृत भवन के स्वामी सिद्धेश्वरानंद ने कहा कि त्याग में ही आनंद है और मानव सेवा में ही मुक्ति है। रामकृष्ण परमहंस, माँ शारदा और स्वामी विवेकानंद के पथ पर चलकर हम पूरे विश्व में मानवता का प्रसार कर सकते हैं और वसुधैव कुटुम्बकम की भावना को आगे बढ़ा सकते हैं । इंटरनेशनल वेदान्त सोसायटी के स्वामी अच्युतानंद ने कहा कि शांत रहकर ही शांति स्थापित की जा सकती है । आईसीसीआर के पूर्व निदेशक गौतम दे ने कहा कि संस्कृति लोगों तक पहुँचने का सर्वश्रेष्ठ तरीका है । वीर चक्र विजेता कर्नल एस. के. पुरी ने कहा कि परम्पराओं को लुप्त नहीं होने देना चाहिए ।
समारोह में 9 पुस्तकों एवं आराधना नामक सीडी का लोकार्पण किया गया । इन 9 में 6 पुस्तकों का बांग्ला से हिन्दी अनुवाद गायत्री चक्रवर्ती ने किया है । इन पुस्तकों में असीम कृष्ण पाइन द्वारा लिखित ‘दैवी कृपा से रोगमुक्ति व समस्या का समाधान’ (स्वामी शिवानंद की जीवनी), डॉ. सुशील भट्टाचार्य द्वारा लिखित ‘अनन्य व्यक्तित्व के अधिकारी पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी’ एवं ‘आदरणीय व्यक्तित्व श्यामल कुमार सेन’, समीर कुमार घोष द्वारा लिखित ‘आमार आमि’ (चण्डीदास घोष की जीवनी) , शौमिक राहा की पुस्तक ‘जगद्जननी श्री माँ शारदा ‘, अमृतेन्द्र हाइत का काव्य संग्रह ‘अन्य स्वाद’, का लोकार्पण किया गया । इसके अतिरिक्त गायत्री चक्रवर्ती द्वारा रचित ‘वास्तु के 45 देवता’, ‘नवकाव्य मंजरी’ ( पूर्व राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी के संचयिता काव्य संग्रह से कुछ कविताओं का हिन्दी से बांग्ला अनुवाद) एवं ‘किछु कोविता, किछु गान’ का लोकार्पण भी किया गया । इसके साथ ही इस अवसर पर आराधना नामक सीडी का लोकार्पण भी किया गया। इसमें प्रो. डॉ. सुजय कुमार विश्वास, अमिताभ चक्रवर्ती, सौमी मजुमदार, सुमित राय ने आवाज दी है। गीत पूर्व राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी, गायत्री चक्रवर्ती, सुमित राय के हैं। संगीत सुमित राय, अशोक दास एवं अमृतेन्द्र हाइत के हैं। इस सीडी का विपणन आशा ऑडियो द्वारा किया जा रहा है। इस अवसर पर बच्चों द्वारा योग प्रदर्शन किया गया एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम भी हुए । पुस्तक एवं मीडिया संयोजन शुभ सृजन नेटवर्क ने किया ।

बीएचएस में वाहनों के शोर एवं प्रदूषण के विरोध में अभियान

कोलकाता । बिड़ला हाई स्कूल में ध्वनि प्रदूषण को केन्द्र में रखते हुए प्रदूषण के खिलाफ अभियान चलाया गया । कोविड के बाद से ही आस – पास व्याप्त प्रदूषण और वाहनों के शोर के खिलाफ अब नो हॉर्न अभियान नियमित तौर पर चलाया जा रहा है। 15 नवम्बर से सुबह 7.20 से 8 बजे तक हंगरफोर्ड स्ट्रीट इलाके में बिड़ला हाई स्कूल के 8वीं एवं 9वीं के विद्यार्थी इस अभियान में भाग ले रहे हैं । टीचर इंचार्ज गौतम घोष, एन.एन. मिश्रा एवं प्रभारी विनय विश्वास के मार्गदर्शन में विद्यार्थी प्लेकार्ड के माध्यम से जागरूकता ला रहे हैं। स्कूल की प्रिंसिपल लवलीन सैगल एवं कोऑर्डिनेटर श्रीमती सेन एवं रेनु बुबना का समर्थन भी उल्लेखनीय है ।

 

 

बीएचएस में मनाया गया बाल दिवस

कोलकाता । बिड़ला हाई स्कूल में बाल दिवस समारोह का आयोजन किया गया। गत 14 नवम्बर को बाल दिवस के दिन विद्या मंदिर सभागार में आयोजित यह कार्यक्रम दो भागों में विभाजित था। बच्चों के बेहतर भविष्य को थीम बनाते हुए यह बच्चों में आपसी सहयोग की भावना को विकसित करना कार्यक्रम का उद्देश्य था । 2 साल के बाद स्कूल में आभासी दुनिया से बाहर बाल दिवस मनाया गया । कक्षा छठी से बारहवीं तक के विद्यार्थियों ने अपने आकर्षक परिधानों से परिसर की शोभा बढ़ाई। शिक्षकों ने शानदार प्रदर्शन के साथ अपनी शानदार पोशाक तैयार की। कार्यक्रम की शुरुआत देवी सरस्वती के आह्वान के साथ हुई, इसके बाद प्रिंसिपल लवलीन सैगल ने बच्चों का उत्साहवर्द्धन किया । स्कूल के एसीएमडी शिक्षकों द्वारा एक शानदार संगीत कार्यक्रम की व्यवस्था की गई थी। जीवंत और भावपूर्ण बंगाली हिंदी और अंग्रेजी गीतों का एक अद्भुत समागम हुआ और एकांकी प्रस्तुत की गयी । शिक्षकों के समर्पण और उनकी बुद्धि ने संवाद की हर दूसरी पंक्ति के बाद दर्शकों को हँसी में उड़ा दिया। शिक्षकों ने कुछ पसंदीदा बॉलीवुड हिट गाने गाए । बारहवीं के विद्यार्थियों ने धन्यवाद दिया ।

 

 

द हेरिटेज स्कूल में राउंड टेबल इंडिया का ‘तारे जमीन पर’

कोलकाता । द हेरिटेज स्कूल, कोलकाता ने हाल ही में राउंड टेबल इंडिया का सांस्कृतिक कार्यक्रम ‘तारे जमीन पर’ आयोजित किया गया । इसके तहत चित्रांकन प्रतियोगिता समेत कई प्रतियोगिताएं आयोजित की गयीं। जरूरतमंद बच्चों के लिए आयोजित इस कार्यक्रम में विभिन्न गैर सरकारी संगठनो (एनजीओ) के 3500 बच्चों ने भाग लिया । उद्घाटन समारोह में द हेरिटेज स्कूल के चेयरमैन विक्रम स्वरूप, कल्याण भारती ट्रस्ट के सचिव एवं कार्यक्रम के प्रायोजक सेंचुरी प्लाई के चेयरमैन सज्जन भजनका, हेरिटेज ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के सीईओ पी. के. अग्रवाल. कोलकाता विक्टोरियन्स राउंड टेबल 227 के टीआर. विनोद जैन., टीआर. केशव भजनका, द हेरिटेज स्कूल की प्रिंसिपल सीमा सप्रू, कल्याण भारती ट्रस्ट के निदेशक प्रबीर राय एवं एचआईटीके के प्रिंसिपल प्रो. बासव चौधरी उपस्थित थे। कार्यक्रम में अभिनेत्री प्रियंका सरकार एवं पूर्व क्रिकेटर अशोक डिंडा उपस्थित थे। द हेरिटेज स्कूल की प्रिंसिपल सीमा सप्रू ने आयोजन की सराहना की ।

कोविड काल की कहानी कहती है मधुर भंडारकर की “इंडिया लॉकडाउन”

कोलकाता । देश के सबसे बड़े घरेलू वीडियो स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म जी फाइव पर 2 दिसंबर को नई फिल्म ‘इंडिया लॉकडाउन’ का प्रीमियर शुरू होने वाला है। मधुर भंडारकर द्वारा निर्देशित डायरेक्ट-टू-डिजिटल इस फिल्म में कोविड महामारी के दौरान देश के लोगों पर पड़े इसके भयंकर प्रभाव पर आधारित यह पहला हिंदी फीचर फिल्म है।
मधुर भंडारकर के साथ अमित जोशी और आराधना साह द्वारा लिखे गए इस फिल्म की कहानी में श्वेता बसु प्रसाद, अहाना कुमरा, प्रतीक बब्बर, साई तम्हनकर और प्रकाश बालेवाड़ी की महत्वपूर्ण भूमिका है । इसके मुख्य भूमिका में ऋषिता भट्ट भी दिखेंगी।
पेन स्टूडियोज के डॉ. जयंतीलाल गडा, मधुर भंडारकर के भंडारकर एंटरटेनमेंट और प्रणव जैन के पीजे मोशन पिक्चर्स द्वारा निर्मित ‘इंडिया लॉकडाउन’ का 21 नवंबर को आईएफएफआई गोवा में ग्लोबल प्रीमियर हुआ था, जिसमे इसे जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली थी। 2021 में शूट की गई इस फिल्म में कोरोना महामारी के कारण घोषित किए गए लॉकडाउन में अलग-अलग पात्रों की चार समानांतर कहानियां दर्शायी गई है, जिनका जीवन एक अप्रत्याशित नाटकीय मोड़ पर पहुंच जाता हैं।
आदर्श टेलीमीडिया के संस्थापक अमित अग्रवाल अपने दोस्त और निर्देशक मधुर भंडारकर के लिए कोलकाता में इंडिया लॉकडाउन के प्रीमियर की जिम्मेदारी संभाल रहे है।

उर्दू पुस्तक ‘शम्स कलकत्तावी : शख्स और शायर’ का लोकार्पण

कोलकाता । कलकत्ता गर्ल्स कॉलेज के उर्दू विभाग में शिक्षक जनाब डॉ. वामिकुल इरशाद अलकादरी की किताब ‘शम्स कलकत्तावी : शख्स और शायर’ का लोकार्पण हुआ । इस मौके पर कलकत्ता गर्ल्स कॉलेज की प्राचार्या डॉ, सत्या उपाध्याय के अलावा डॉ. दबीर अहमद, डॉ. सयेदा शरेकतुल मौला, विभागाध्यक्ष डॉ. नईम अनीस और निसार अहमद ने विचार रखे । कार्यक्रम का संचालन डॉ. इम्तियाज अहमद ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन शिरीन जफर ने किया । डॉ. अलकादरी के शोधकार्य पर उनकी यह किताब आधारित है । शम्स के व्यक्तित्व पर रोशनी डालते हुए लेखक ने उर्दू साहित्य के विकास में बंगाल की महत्वपूर्ण भूमिका पर अपने विचार रखे हैं । प्राचार्या डॉ. सत्या उपाध्याय ने स्वागत भाषण दिया । उन्होंने साहित्यिक – सांस्कृतिक एकता, भाईचारे एवं मानवीय मूल्यों का जिक्र किया जिनके बिना शिक्षा जगत की उन्नति सम्भव नहीं है ।

भारतीय भाषा परिषद में मुक्तिबोध जयंती का आयोजन

कोलकाता । कवि मुक्तिबोध को मध्यमवर्ग से यह आशा रही है कि ये लोग अच्छे-बुरे के बीच संघर्ष से अच्छे को चुनकर देश में ऐतिहासिक भूमिका निभाएंगे| मुक्तिबोध आधुनिक हिंदी कविता के एक बड़े आलोक स्तंभ हैं| आज उनकी जयंती के अवसर पर भारतीय भाषा परिषद द्वारा आयोजित विशेष व्याख्यान और काव्य पाठ के एक कार्यक्रम में वक्ताओं ने यह कहा| आसनसोल गर्ल्स कॉलेज के प्रो. कृष्ण कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि मुक्तिबोध की कविताएं आत्मसंघर्ष को महत्व देती हैं और वे अंधविश्वास की भावनात्मक जगह की आवाजें हैं|
सभा के अध्यक्ष और परिषद के निदेशक डॉ.शंभुनाथ ने कहा कि मुक्तिबोध आधुनिकता को फैशन नहीं परंपरा-विवेक और नवीनता-विवेक के रूप में देखते थे| उन्हें उन भारतीय श्रेष्ठताओं को लेकर चिंता थी, जो सांस्कृतिक ह्रास के दौर में खोती जा रही हैं| आज मनुष्य अंध-तकनीकी आधुनिकता और धार्मिक कूपमंडूकता के बीच सैंडविच है| मुक्तिबोध की कविता मनुष्य होने का बोध देती है| विद्यासागर विश्वविद्याल के प्रो.संजय जायसवाल ने सभा का संचालन करते हुए कहा कि मुक्तिबोध आधुनिक हिंदी कविता में प्रयोगशीलता और प्रगतिशीलता के बीच सेतु हैं| उन्हें नौजवानों से बड़ी आशा थी|
इस अवसर पर सेराज खान बातिश, राज्यवर्द्धन, मनोज मिश्र, गीता दूबे, सुरेश शॉ, पंकज सिंह, इबरार खान, प्रिया श्रीवास्तव, शिव प्रकाश दास, अमित साव, आशुतोष राउत, संजीव महतो, मोहित शर्मा, ज्योति चौरसिया, सुषमा कुमारी, शिप्रा मिश्रा पांडेय, रोशमी सेन शर्मा, सुमन शर्मा आदि ने कविता पाठ किया| डॉ. कुसुम खेमानी ने अपने शुभकामना संदेश में मुक्तिबोध के प्रति श्रद्धांजलि व्यक्त की| श्री रामनिवास द्विवेदी ने धन्यवाद ज्ञापन किया|