कोलकाता । चर्चित फिल्म समीक्षक सुमित कडेल ने फिल्म जगत में 10 साल पूरे कर लिए हैं । सुमित को फिल्म समीक्षक के अतिरिक्त ट्रेड विश्लेषक, इन्फ्लूएन्सर के रूप में जाना जाता है । बॉक्स ऑफिस की ताजा जानकारी और सटीक आँकड़े उनकी विशेषता है । वे सोशल मीडिया पर काफी सक्रिय रहते हैं । ट्विटर, इन्स्टाग्राम एवं फेसबुक पर उनकी फिल्म समीक्षाएं काफी सराही जाती हैं और प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक जैसे प्रमुख मीडिया माध्यमों पर प्रकाशित होती रहती है । उनको अक्सर न्यूज डिबेट्स में भी देखा जाता है । कोलकाता में जन्मे एवं पले – बढ़े सुमित को फिल्मों का शौक हमेशा से था । बतौर फिल्म समीक्षक और विश्लेषक उन्होंने फिल्मी दुनिया के साथ करीब से काम किया है, देखा है और समझा भी है । हालांकि सुमित निर्देशन, डिजाइन, पटकथा, कास्टिंग और अभिनय से प्रभावित रहे हैं मगर फिल्म समीक्षक बनना इनको अंत में सबसे एअच्छा लगा । सोशल मीडिया पर इनके लाखों फॉलोवर्स हैं । ट्विटर एवं फेसबुक पर 1.5 लाख और इन्स्टाग्राम पर 1.65 लाख लोग इनको फॉलो करते हैं । करण जौहर, राकेश रोशन, कार्तिक आर्यन जैसी कई फिल्मी हस्तियाँ सुमित को फॉलो करती हैं ।
नहीं रहे ‘फुटबॉल के जादूगर’ पेले
दुनिया के महान फुटबॉलर पेले का निधन हो गया है, 82 साल के आयु में उन्होंने अंतिम सांस ली। अंतर्राष्ट्रीय न्यूज़ एजेंसी एएफपी को पहले के परिवार ने जानकारी दी है। पेले का पूरा नाम डसन अरांतेस डो नैसिमेंटो है, वह दुनिया के इकलौते ऐसे खिलाड़ी है जिन्होंने तीन बार फीफा विश्व कप जीता है। पेले ने फीफा वर्ल्ड कप 1958, 1962 और 1970 जो फुटबॉल जगत की सबसे बड़ी ट्रॉफी है। पेले पिछले कई महीनों से कोलन कैंसर से जूझ रहे थे। हाल में ही उनको हॉस्पिटल में एडमिट करवाया गया था। मीडिया रिपोर्ट्स द्वारा मिल रही जानकारी के मुताबिक कीमोथेरेपी ट्रीटमेंट का जवाब देना बंद कर दिया था जिसके कारण उनकी मृत्यु हुई है।
महान फुटबॉलर पेले के बारे में
विश्व ने एक महान फुटबॉलर को खो दिया है। सर्वकालिक महान फुटबॉलर में से एक ब्राजील के दिग्गज फुटबॉलर पेले का 82 साल की उम्र में कैंसर के चलते निधन हो गया है।
पेले की बेटी ने इस खबर की पुष्टि की है। कोलन कैंसर के चलते पेले की मृत्यु हुई है। ब्राजील के एक छोटे से इलाके से आए पेले ने दुनिया में फुटबॉल की परिभाषा बदल कर रख दी थी। इन्होंने ब्राजील में फुटबॉल के उत्थान बहुत योगदान दिए हैं।
पेले के कॅरियर के शुरुआत के बारे में
गरीबी में पले बढ़े पेले नें फुटबॉल के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। पेले ने ऐसे रिकॉर्ड अपने फुटबॉल करियर में बना रखे हैं जो आज तक टूटे नहीं है। ऐसे में आज हम आपके लिए इस लेख के माध्यम से इनके रिकॉर्ड लेकर आए हैं जो कि बताते हैं कि पेले कैसे और कितने बैहतरीन फुटबॉलर थे।
पेले के रिकॉर्ड के बारे में
पेले ने देश को तीन वर्ल्ड कप जीताने वाले पहले खिलाड़ी हैं। 1958, 1962 और 1970 में ब्राजील को वर्लडकप जिताया था।
पेले ने 18 साल की उम्र से पहले फीफा वर्ल्ड कप में गोल लगाने वाले दुनिया के पहले खिलाड़ी हैं।
1958 फीफा वर्ल्ड कप में सूडन के खिलाफ वर्ल्ड कप में गोल लगाने वाले दुनिया के इकलौते खिलाड़ी
पेले ने प्रोफेशनल करियर में कुल 1363 में खेले और 1281 गोल लिए थे। पेले ने ब्राजील के लिए 92 मैच में 77 गोल लगाए हैं।
पेले ने साल 1971 में इंटरनेशनल फुटबॉल से संन्यास ले लिया था।
पेले नाम दर्ज कुछ खास रिकॉर्ड
पेले अपने आप में वर्ल्ड कप में कमाल करने वाले खिलाड़ी थे।
17 साल की उम्र में 1958 वर्ल्ड कप में वेल्स के खिलाफ क्वार्टर फाइनल मैच में वर्ल्ड कप का पहला गोल लिया था। इस तरह ये टूर्नामेंट में सबसे कम उम्र के पहले फुटबॉलर बने थे।
पेले ने 17 साल की उम्र में 1958 में हुए वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल के दौरान फ्रांस के खिलाफ हैट्रिक गोल लिए हैं।
उपवन
नाम – स्वाति शर्मा
ची – ची – ची – ची गाना गाते
न सोते हैं न जगते है वो ।
एक हमारी धरती प्यारी
नदी – नदी है क्यारी क्यारी।
वर्षा ऋतु आ रहा है
पुरी दुनियां में खुशहाली
छा रहा हैं ।
पेड़ पौधे नाच रहे हैं
उनकी है ये इच्छा सारी।
पक्षी गाना गा रहे है
ची -ची- ची – गुटर- गू
ये है हमारी उपवन की शोभा सारी।
प्यारी मां
मां तू जन्नत का फूल है,.
प्यार करना उसका उसूल है।
मैं जब भी इस धरती पर आऊँ,
बस मेरी मां की ही गोद पाऊँ।
मां के चरणों में जन्नत है हमारा,
मां के खुशी में खुशी है हमारा।
तुझे छोड़कर मां मैं कहां जाऊँ,
हर जन्म में तुझे ही अपनी मां पाऊ।
दुनिया की मोहब्बत फिजूल है,
मां की हर दुआ कबूल है।
प्यार का मतलब तुम से ही जाना है,
तभी तो तुम्हें अपना खुदा माना है।
विद्यालय – सेठ सूरजमल जालान बालिका विद्यालय
कक्षा – 6
ऐ वर्ष 23

ऐ वर्ष 23
तुझमें कुछ ख़ास नहीं
ये तो पिटारा है
पिछले हिसाब का
वही सुबह वही दिन वही रात
फिर वही रोज़ के काम
ऐ वर्ष 23
मत कर गुमान
ये तो बदले कैलंडर में
फिर से दोहराने के दिन हैं
ऐ वर्ष 23
मत रह अंजान
सोमवार हो या रविवार
आदमी के अपने पैमाने हैं
तुम सिर्फ नंबर हो
ऐ वर्ष 23
कुछ लोग पैदा होते हैं
कुछ अपनी उम्र गिनते हैं
कुछ मरते हैं
यूँ ही तुम भी आगे बढ़ते हो
ऐ वर्ष 23
लोग खुशियाँ मनाते हैं
गमों से दूर
एक रात को गुलज़ार करते हैं
तुम इस साल की तरह फिर आना ।।
अब नहीं भरना होगा भारी-भरकम टोल टैक्स!
नितिन गडकरी ने किया ऐलान
नयी दिल्ली । केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने टोल टैक्स को लेकर बड़ी जानकारी दी है । अगर आप भी भारी-भरकम टोल टैक्स से परेशान हैं तो बता दें कि देश में कई लोगों को टोल टैक्स नहीं देना पड़ेगा । इसको लेकर सरकार की तरफ से गाइडलाइन जारी कर बताया गया है । सरकार ने बताया है कि नए नियमों के तहत टोल टैक्स में छूट का फायदा मिलेगा। इसको लेकर पूरी लिस्ट जारी कर दी गई है ।
इन लोगों को नहीं देना होता है टैक्स
आपको बता दें टोल टैक्स को एनएचएआई की तरफ से वसूला जाता है. अगर आप हाइवे पर चार पहिया वाहन से सफर करते हैं तो आपको यह टैक्स देना होता है । वहीं, अगर आप दोपहिया वाहन से सफर करते हैं तो आपसे टोल टैक्स की वसूली नहीं की जाती है । दोपहिया वाहन खरीदते समय ही ग्राहकों से रोड टैक्स ले लिया जाता है । फिलहाल टोल टैक्स की राशि वाहन की लंबाई पर निर्भर करती है ।
पूरी सूची यह रही
>> भारत के राष्ट्रपति
>> भारत के प्रधान मंत्री
>> भारत के मुख्य न्यायाधीश
>> भारत के उपराष्ट्रपति
>> राज्य के राज्यपाल
>> संघ के कैबिनेट मंत्री
>> सुप्रीम कोर्ट के जज
>> लोक सभा के अध्यक्ष
>> संघ राज्य मंत्री
>> संघ के मुख्यमंत्री
>> एक केंद्र शासित प्रदेश के उपराज्यपाल
>> पूर्ण सामान्य या समकक्ष रैंक का पद धारण करने वाला चीफ ऑफ स्टाफ
>> किसी राज्य की विधान सभा के अध्यक्ष
>> एक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश
>> किसी राज्य की विधान परिषद के अध्यक्ष
>> एक उच्च न्यायालय के न्यायाधीश
>> भारत सरकार के सचिव
>> राज्यों की परिषद
>> संसद सदस्य आर्मी कमांडर ,वाइस चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ
>> संबंधित राज्य के भीतर एक राज्य सरकार के मुख्य सचिव
>> किसी राज्य की विधान सभा के सदस्य
>> राजकीय यात्रा पर विदेशी गणमान्य व्यक्ति
इन लोगों को भी नहीं देना होता टैक्स
ऊपर दी गई लिस्ट के अलावा अर्धसैनिक बलों और पुलिस सहित वर्दी में केंद्रीय और राज्य सशस्त्र बल, अग्निशमन विभाग या संगठन, एक कार्यकारी मजिस्ट्रेट, राष्ट्रीय राजमार्गों के निरीक्षण, सर्वेक्षण, निर्माण या संचालन, शव वाहन, रक्षा मंत्रालय और दिव्यांगों के लिए बनाए गए मेकेनिकल वाहन को भी यह टैक्स नहीं देना होता है ।
यात्रा के हिसाब से भरना होता है टैक्स
बता दें अकेले यात्रा के लिए टोल की कीमत अलग होती है । वहीं, आपके पास रिटर्न टोल टैक्स लेने का भी विकल्प होता है । इसके अलावा हर दिन हाइवे पर सफर करने वाले लोग पास की सुविधा का भी फायदा ले सकते हैं ।
एसएमएस से भी चेक कर सकते हैं लिस्ट
एसएमएस के जरिए आप टोल टैक्स की लिस्ट पता कर सकते हैं. इसके लिए आपको अपने फोन से TIS < Toll Plaza ID टाइप करके 56070 नंबर पर मैसेज भेजना है । एसएमएस करते ही टोल टैक्स रेट लिस्ट की सूची आपके फ़ोन पर आ जाएगी ।
सरकार ने कहा- दूसरी खुराक की जरूरत नहीं
कोविड-19 टीके की बूस्टर डोज पर स्पष्ट किया रूख
नयी दिल्ली, एजेंसी। कोविड -19 मामलों में स्पष्ट वृद्धि के बीच सरकारी सूत्रों ने कहा कि अब तक किसी दूसरे कोविड -19 बूस्टर खुराक की आवश्यकता नहीं है। सरकारी सूत्रों ने कहा, ‘पहले हमें देश में बूस्टर ड्राइव को पूरा करना होगा।’ कोविड -19 मामलों में उछाल के बीच सरकारी सूत्रों ने कहा, अब तक की रिपोर्ट्स के आधार पर फिलहाल किसी दूसरे कोविड -19 बूस्टर खुराक की जरूरत नहीं है।
सूत्रों ने कहा, ‘पहले देश में बूस्टर ड्राइव को पूरा करना होगा।’ केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, पिछले 24 घंटों में 134 नए मामले दर्ज किए जाने के साथ भारत में सक्रिय मामलों की संख्या वर्तमान में 2,582 है।
मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, राष्ट्रव्यापी टीकाकरण अभियान के तहत अब तक कुल 220.11 करोड़ टीके की खुराक (95.13 करोड़ दूसरी खुराक और 22.41 करोड़ एहतियाती खुराक) दी जा चुकी है।
अहसास – दिवंगत बीवी की प्रतिमा को सजा हर रोज करते हैं श्रृंगार
कोलकाता । आज के वक्त में जहां मानवीय रिश्तें बेजार से हो चुके हैं, वहीं अगर कोई अपनी पत्नी के पुतले से प्रेम करे तो उसे क्या कहा जाएगा। जी हां, ये किस्सा बेहद भावुक और संजीदा है। जहां एक पति अपनी पत्नी के मौत के बाद उसका प्रतिमा बनाकर न सिर्फ उसकी उपस्थिति महसूस करता है बल्कि हर रोज उसे सजाता और संवारता भी है। दरअसल, इसके पीछे की कहानी या वजह कह लें.. वो बेहद भावुक करने वाली है।
कोराना की दूसरी लहर में चल बसी पत्नी
ये किस्सा है कोलकाता के रहने वाले 65 वर्षीय बुजुर्ग तापस शांडिल्य की जिन्होने लगभग दो साल कोराना के चलते अपनी पत्नी को हमेशा के लिए खो दिया है। कोराना की दूसरी लहर में तापस शांडिल्य की पत्नी इंद्राणी इस गंभीर बीमारी से संक्रमित हुई और फिर इसी के चलते 4 मई, 2021 को उनकी मौत हो गई। इस तरह से तापस शांडिल्य और इंद्राणी के सात जन्मों का सफर फिलहाल इस जन्म के लिए खत्म हो गया। ऐसे में अपनी पत्नी से बेहद स्नेह करने वाले शांडिल्य के लिए अकेले रहना मुश्किल हो गया तो उन्हें पत्नी की वो बात याद आई जो उन्होनें सालों पहले मजाक में कही थी।
सालों पहले के वाकये ने सुझायी नायाब तरकीब
असल में मृत पत्नी की प्रतिमा बनाने का विचार तापस शांडिल्य को इनकी पत्नी इंद्राणी ने ही दिया था। मालूम हो कि तापस शांडिल्य लगभग 10 साल पहले इंद्राणीके साथ मायापुर के इस्कॉन मंदिर दर्शन करने गए थे। यहीं पर पहली बार इन्होनें मंदिर में ए. सी. भक्तिवेदांत स्वामी की एक सजीव प्रतिमा देखी थी। तापस शांडिल्य बताते हैं कि उस सजीव प्रतिमा को देख तभी इंद्राणी ने उनसे कहा था कि अगर मेरी मौत हो जाए तो आप भी मेरी ऐसी ही प्रतिमा बनवा कर अपने पास रख लेना।
ऐसे में जब इंद्राणी की मौत हुई तो तापस ने उनकी सालों पहले कही हुई बात को सच करने की ठानी और इसके लिए वो जानकारी इक्ठ्ठा करने लगे कि किस तरह से सजीव प्रतिमा बनाई जाए। तापस ने इसके लिए इंटरनेट पर खंगालना शुरू किया कि सिलिकॉन की प्रतिमा कौन बनाता है और कैसे बनाता है?आखिरकार तापस की तलाश साल 2022 में खत्म हुई जब उन्हें मूर्तिकार सुबीमल दास के रूप में उनके सपने को साकार करने वाला मिला। तापस ने इंद्राणी की तस्वीरें और बाकी जानकारी लेकर मूर्तिकार ने काम शुरू किया। इसके लिए सुबीमल ने सबसे पहले मिट्टी का एक मॉडल तैयार किया और फिर उस पर फाइबर मोल्डिंग और सिलिकॉन कास्टिंग कर इंद्राणी के मूर्त रूप को गढ़ा।
2.5 लाख खर्च कर बनवाया पत्नी की प्रतिमा
तापस बताते हैं कि पत्नी की प्रतिमा बनाने में कुल ढ़ाई लाख का खर्च आया और 6 महीने में वो बनकर तैयार हो गई। प्रतिमा बनने के बाद तापस उसे पत्नी के रूप में घर लेकर आए और उसे ठीक उसी तरह से रखा जैसा कि कभी इंद्राणी रहा करती थी। उसे सोने के गहने पहनाए और श्रंगार किया। हालांकि तापस का ये फैसला शुरूआत में उनके करीबियों और सगे सबंधियों को सही नहीं लगा। पर बाद में तापस का इंद्राणी के प्रति अगाढ़ प्रेम देख सभी ने इसे स्वीकार कर लिया।
रवींद्र संगीत गायिका सुमित्रा सेन का 89 साल की उम्र में निधन
कोलकाता । रवींद्र संगीत की लेजेंड्री सिंगर सुमित्रा सेन का मंगलवार को कोलकाता में उनके घर पर निधन हो गया. वो 89 साल की थीं । सुमित्रा सेन ब्रोंको-निमोनिया से पीड़ित थीं और उन्हें 21 दिसंबर को अस्पताल में भर्ती कराया गया था । हालांकि तीन दिन बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई थी । उनकी दोनों बेटियां उन्हें दक्षिण कोलकाता में स्थित उनके घर ले आई थीं ।
उनकी बेटी श्रावणी सेन ने एक फेसबुक पोस्ट में कहा, मां आज सुबह हमें छोड़कर चली गयी । बता दें कि सुमित्रा सेन की दोनों बेटियां श्रावणी और इंद्राणी भी रविंद्र संगीत की मशहूर गायिका हैं । उनके परिवार ने कहा कि सुमित्रा सेन को दिसंबर के मध्य में ठंड लग गई थी और उम्र के कारण उनकी स्थिति गंभीर हो गयी ।
हाल ही में श्रावणी सेन ने कहा था कि उनकी मां की उम्र ज्यादा है और वो उम्र जनित बीमारियों से जूझ रही हैं । उन्होंने बताया था कि उनकी मां की हालत ठीक नहीं है । डॉक्टरों से सलाह लेकर वो मां को घर ले आए थे ।
ममता बनर्जी ने बताया दुख
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सुमित्रा सेन के निधन पर शोक जताया है । उन्होंने कहा । मैं सुमित्रा सेन के आकस्मिक निधन से बहुत दुखी हूं, जिन्होंने दशकों तक दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया. मेरे उनके साथ करीबी संबंध थे । पश्चिम बंगाल सरकार ने 2012 में उन्हें संगीत महासम्मान से सम्मानित किया था । सीएम ममता ने कहा, उनके निधन से संगीत जगत को अपूरणीय क्षति हुई है । सुमित्रा दी की बेटियों इंद्राणी और श्रावणी तथा उनके प्रशंसकों के प्रति मेरी संवेदनाएं हैं ।
चार दशकों तक गाए गाने
सुमित्रा सेन ने मेघ बोलेछे जाबो जाबो, तोमारी झारनतालार निर्जन, सखी भबोना कहारे बोले, अच्छे दुखो अच्छे मृत्यु जैसे सैकड़ों गीत गाए । इन गानो ने चार दशक से अधिक समय तक रविंद्र संगीत के प्रेमियों का मनोरंजन किया ।
पहली बार दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र में महिला अधिकारी तैनात
भारतीय सेना के फायर एंड फुरी कॉर्प्स की महिला अधिकारी कैप्टन शिवा चौहान को दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र में तैनात किया गया है । कैप्टन शिवा 15,632 फीट की ऊंचाई पर मौजूद कुमार पोस्ट पर ड्यूटी कर रही हैं ।
भारतीय सेना ने पहली बार किसी महिला अधिकारी को इस खतरनाक पोस्ट पर तैनात किया है । फायर एंड फुरी कॉर्प्स ने ट्वीट करके कहा कि कैप्टन शिवा चौहान फायर एंड फुरी सैपर्स हैं । वह कुमार पोस्ट पर तैनात होने वाली पहली भारतीय महिला हैं. यह दुनिया का सबसे ऊंचा युद्धक्षेत्र है । कैप्टन शिवा ने इस जगह की तैनाती से पहले काफी कठिन प्रशिक्षण पूरा किया है । फायर एंड फुरी कॉर्प्स का मुख्यालय लेह में है। यह सेना के उत्तरी कमांड के तहत आता है । इनकी तैनाती चीन और पाकिस्तान की सीमाओं पर होती है । साथ ही ये सियाचिन ग्लेशियर की रक्षा करते हैं ।
फायर एंड फुरी कॉर्प्स को आधिकारिक तौर पर 14वां कॉर्प्स कहा जाता है। फिलहाल सियाचिन में दिन का तापमान माइनस 21 डिग्री सेल्सियस है जबकि रात में पारा माइनस 32 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच रहा है । ऐसे में हमारे वीर जवान मौसम से जंग लड़ते हुए सीमा की सुरक्षा में लगे हैं ।
सियाचिन को 1984 में मिलिट्री बेस बनाया गया था । तब से लेकर 2015 तक 873 सैनिक सिर्फ खराब मौसम के कारण अपनी जान गंवा चुके हैं । सियाचिन ग्लेशियर पर 3 हजार सैनिक हमेशा तैनात रहते हैं । इन तीन हजार जवानों की सुरक्षा भी बेहद जरूरी है । भारत सरकार सियाचिन पर मौजूद जवानों हर दिन करीब 5 करोड़ रुपये खर्च करती है । इसमें सैनिकों की वर्दी, जूते और स्लीपिंग बैग्स भी शामिल होते हैं ।
सियाचिन ग्लेशियर पर ज्यादातर समय शून्य से कई डिग्री नीचे तापमान रहता है । एक अनुमान के मुताबिक भारत और पाकिस्तान के कुल मिलाकर 2500 जवानों को यहां अपनी जान गंवानी पड़ी है । 2012 में पाकिस्तान के गयारी बेस कैंप में हिमस्खलन के कारण 124 सैनिक और 11 नागरिकों की मौत हो गई थी ।
पटवारी से बने आईपीएस अधिकारी, 6 साल में मिली 12 सरकारी नौकरियां
आमतौर पर कोई भी एक सरकारी नौकरी मिलना नेमत की तरह है । लेकिन कुछ ऐसे लोग हैं जिन्हें एक के बाद एक नौकरियां मिलती जाती हैं । इसके पीछे उनकी लगन, मेहनत और प्रतिभा होती है. ऐसे ही हैं गुजरात कैडर के आईपीएस अधिकारी प्रेमसुख डेलू. राजस्थान के बीकानेर जिले के निवासी आईपीएस प्रेमसुख डेलू को एक के बाद एक 12 नौकरियां मिली । उनका चयन पटवारी से लेकर कांस्टेबल और तहसीलदार जैसे 12 पदों पर हआ । आखिर में उनका यह सफर पूरा हुआ यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा पर जाकर. वह यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा क्रैक करके आईपीएस बने ।
पिता चलाते थे ऊंट गाड़ी
राजस्थान के बीकानेर के रहने वाले प्रेमसुख डेलू का जन्म एक सामान्य से किसान परिवार में हुआ था । उनके पिता ऊंट गाड़ी चलाते थे और उससे सामान ढोते थे । प्रेमसुख डेलू बचपन से ही अपने परिवार को गरीबी से जंजाल से निकालना चाहते थे और उनका पूरा ध्यान पढ़ाई पर था । उन्होंने 10वीं तक की पढ़ाई गांव के ही सरकारी स्कूल से की । आगे की पढ़ाई बीकानेर के सरकारी डूंगर कॉलेज से की । प्रेमसुख डेलू इतिहास से एमए किया. जिसमें वह गोल्ड मेडलिस्ट रहे. पीजी के बाद उन्होंने इतिहास में यूजीसी नेट-जेआरएफ परीक्षा पास की । हालांकि उन्होंने प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी 2010 में ग्रेजुएशन पूरा करने के बाद ही शुरू कर दिया था । इसके लिए प्रेरित उनके भाई ने किया जो राजस्थान पुलिस में कांस्टेबल हैं ।
सबसे पहले पटवारी बने प्रेमसुख डेलू
आईपीएस प्रेमसुख डेलू को सबसे पहले पटवारी की नौकरी मिली । इसके बाद राजस्थान ग्रामसेवक परीक्षा में दूसरा स्थान हासिल किया लेकिन उन्होंने तैयारी जारी रखी और राजस्थान की सहायक जेलर भर्ती परीक्षा न सिर्फ पास की बल्कि टॉपर रहे । जेलर का पद ग्रहण करते इसके पहले ही वह राजस्थान पुलिस में सब इंस्पेक्टर बन गए । तब तक वह यूजीसी नेट परीक्षा पास करने के साथ बीएड भी कर चुके थे । अब उन्हें कॉलेज में लेक्चरर की नौकरी मिल गयी । इसके बाद उन्होंने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा देने का फैसला किया । इसके बाद उनका चयन राजस्थान पीसीएस परीक्षा के जरिए तहसीलदार पद पर हुआ ।
तहसीलदार पद पर रहते हुए की सिविल सेवा की तैयारी
तहसीलदार जैसा बेहद व्यस्तता और जिम्मेदारी भरा पद संभालते हुए भी उन्होंने आईएएस बनने का सपना नहीं छोड़ा। वह ऑफिस ड्यूटी खत्म होने के बाद पढ़ते रहे। आखिरकार साल 2015 में दूसरे प्रयास में यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में कामयाबी मिली. वह आईपीएस बन गए। प्रेमसुख डेलू की ऑल इंडिया रैंक 170 थी. उनकी पहली पोस्टिंग गुजरात के अमरेली जिले में एसीपी के पद पर हुई ।