Tuesday, August 5, 2025
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संसद में प्लास्टिक की बोतल से बनी जैकेट पहनकर पहुँचे पीएम मोदी

बेंगलुरु । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नीले रंग की जैकेट पहनकर संसद पहुंचे. यह जैकेट प्लास्टिक की पेट बोतलों को रिसाइकल कर बनाई गयी है । इसे इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन ने पीएम मोदी को इंडिया एनर्जी वीक में गिफ्ट के तौर पर दी थी । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बेंगलुरु में इंडिया एनर्जी वीक की शुरुआत की। इस मौके पर इंडियन ऑयल ने उन्हें प्लास्टिक की बोतल को रिसाइकिल करके बनाई गई एक जैकेट भेंट की। कंपनी ने पेट्रोल पंप एवं एलपीजी एजेंसी पर तैनात अपने कर्मचारियों के लिए ऐसी वर्दी बनाने की योजना बनाई है। इसे अन्बॉटल्ड इनिशिएटिव नाम दिया गया है। एक यूनिफॉर्म को बनाने में कुल 28 बोतलों को रिसाइकिल किया जाता है। कंपनी की योजना हर साल 10 करोड़ पेट बोतलों का रिसाइकिल करने की है। इससे पर्यावरण के संरक्षण में मदद मिलेगी और पानी की भी भारी बचत होगी। कॉटन को कलर करने में भारी मात्रा में पानी का इस्तेमाल किया जाता है जबकि पॉलीस्टर की डोप डाइंग की जाती है। इसमें पानी की एक बूंद का भी इस्तेमाल नहीं होता है। आईओसी की योजना पेट बोतलों का इस्तेमाल करके सशस्त्र बलों के लिए नॉन-कॉम्बैट यूनिफॉर्म बनाने की भी है।
मोदी ने आईओसी की इस पहल की तारीफ करते हुए कहा कि ग्रीन ग्रोथ और एनर्जी ट्रांजिशन की तरफ भारत के प्रयास हमारी वैल्यूज को रिफ्लेक्ट करते हैं। सर्कुलर इकॉनमी एक तरह से हर भारतीय की जीवनशैली का हिस्सा है। उन्होंने कहा, ‘रेड्यूस, रीयूज और रिसाइकिल’ का मंत्र हमारे संस्कारों में रहा है। आज इसका भी एक उदाहरण हमें यहां अभी देखने को मिला है। प्लास्टिक की वेस्ट बॉटल्स को रिसाइकिल करके जो यूनिफॉर्म बनाई गई है, आपने उसे देखा है। फैशन की दुनिया के लिए, सुंदरता की दुनिया के लिए उसमें कोई कमी नहीं है। हर साल 10 करोड़ ऐसी बॉटल्स की रिसाइकिलिंग का लक्ष्य पर्यावरण की रक्षा में बहुत मदद करेगा।’
आईओसी ने मोदी को जो जैकेट भेंट की, उसके लिए कपड़ा तमिलनाडु के करूर की कंपनी श्री रेंगा पॉलीमर्स ने बनाया है। कंपनी के मैनेजिंग पार्टनर सेंथिल शंकर ने दावा किया कि उन्होंने इंडियन ऑयल को पेट बोतलों से बने नौ रंग के कपड़े दिए थे। इसमें से मोदी ने चंदन के रंग वाली जैकेट दी गई। इंडियन ऑयल ने गुजरात में प्रधानमंत्री के दर्जी से यह जैकेट तैयार करवाई है। उन्होंने कहा कि इस तरह की जैकेट को बनाने में औसतन 15 बोतलों का इस्तेमाल होता है। एक पूरी यूनिफॉर्म बनाने में औसतन 28 बोतलें उपयोग की जाती हैं।
प्लास्टिक बोतल से बने परिधान की सबसे बड़ी खूबी यह होती है कि इसे कलर करने में एक बूंद पानी की भी इस्तेमाल नहीं होता है। सेंथिल ने बताया कि कॉटन को कलर करने में बहुत पानी बर्बाद होता है। लेकिन पेट बोतलों से बने परिधान में डोप डाइंग का इस्तेमाल होता है। बोतलों से पहले फाइबर बनाया जाता है और फिर इससे यार्न तैयार किया जाता है। यार्न से फिर फैब्रिक बनता है और फिर सबसे अंत में परिधान तैयार किया जाता है। रिसाइकिल बोतल से बनी जैकेट की रिटेल मार्केट में कीमत 2,000 रुपये है।

 

तेज रफ्तार, दुर्घटना की जानकारी देगा बोकारो के छात्र का ऐप

तेज रफ्तार तेज होने पर करेगा अलर्ट
बोकारो । भारत में सड़क दुर्घटना प्रमुख चुनौतियों में से एक है। भागम-भाग और रफ्तार की होड़ में हर साल अपने देश में लगभग डेढ़ लाख लोगों की मौत सड़क हादसे में होती है। इनमें लगभग 30प्रतिशत लोगों की मौत सही समय पर एंबुलेंस नहीं पहुंच पाने के कारण हो जाती है। इस समस्या से निजात पाने और सही समय पर दुर्घटनाग्रस्त लोगों को चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने के उद्देश्य से डीपीएस बोकारो के 10 वीं कक्षा के छात्र रूपेश कुमार ने एक खास डिवाइस और मोबाइल एप्लीकेशन ‘रक्षक’ तैयार किया है।
इसकी मदद से दुर्घटना होने के साथ ही संबंधित घटनास्थल के एक किलोमीटर के दायरे में स्थित सभी अस्पतालों को कॉल और एसएमएस के जरिए वाहन के लोकेशन के साथ सूचना मिल जाएगी। इससे सही समय पर घायल व्यक्ति तक एंबुलेंस पहुंचाई जा सकेगी। इतना ही नहीं, अस्पतालों के साथ-साथ वाहन में सवार लोगों के परिजनों और पुलिस को भी तत्काल सूचना मिल सकेगी। इसके अलावा उक्त एप में रजिस्टर्ड आस पास के कार चालकों को भी लोकेशन और सूचना मिल जाएगी। इस नवाचार के लिए रूपेश का चयन भारत सरकार की महत्वाकांक्षी इंस्पायर अवार्ड मानक योजना के लिए किया गया है। सरकार की ओर से अपना प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए 10 हजार रुपए की प्रोत्साहन राशि भी प्रदान की गई है।
कार की स्पीड और झटके के दबाव का पता लगाकर काम करता है सेंसर
रूपेश की ओर से बनाए गए डिवाइस में कई आधुनिकतम तकनीक का उपयोग किया गया है। इसमें एमसीयू (माइक्रो कंट्रोलर यूनिट), सेंसर, जीपीएस, सिम कार्ड, एक्सलीरेशन डिटेक्टर और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) तकनीक शामिल है। जबकि, इससे जुड़े मोबाइल ऐप में वाहन चालक का नाम, घर का पता, ब्लड ग्रुप और परिजनों के मोबाइल नंबर रजिस्टर्ड रहते हैं। कंप्यूटर कोडिंग की मदद से उक्त डिवाइस में सभी संबंधित डाटा को फीड किया जाता है। रूपेश ने बताया कि इसमें खास तरह के सेंसर का इस्तेमाल किया गया है, जो कार की स्पीड और झटके के दबाव का पता लगाता है। सुरक्षित सीमा से अधिक रफ्तार होने पर यह डिवाइस ड्राइवर को अलर्ट भी करता है। वहीं, एक्सीडेंट होने पर वाहन की गति और गाड़ी पर झटके से अचानक पड़ने वाले दबाव का पता लगाकर सेंसर एमसीयू को संदेश भेजता है, जहां से संबंधित नंबरों पर फोन और एसएमएस चला जाता है।
पिता के दोस्त की सड़क हादसे में मौत के बाद आया आइडिया
रूपेश ने बताया कि लगभग दो वर्ष पहले उसके पिता रविशंकर कुमार के एक पूर्व सैनिक मित्र की सड़क हादसे में दर्दनाक मृत्यु हो गई थी। अगर सही समय पर एंबुलेंस घटनास्थल पर पहुंच गई होती, तो शायद उनकी जान बचाई जा सकती थी। इस दुर्घटना के बाद ही उसे यह आइडिया सूझा कि कुछ ऐसा उपकरण वह बनाए, जिससे सड़क हादसे में घायल लोगों की जान समय रहते बचाई जा सके। उसने इस बारे में अपने विद्यालय में संबंधित गाइड टीचर मो. ओबैदुल्लाह अंसारी से बात की और उनकी मदद से इस प्रोजेक्ट की ओर काम आगे बढ़ाया। इसे मूर्त रूप देने में उसे लगभग एक महीने का समय लगा और करीब 1200 रुपए का खर्च आया। इस प्रोजेक्ट के लिए उसने सभी सामान ऑनलाइन जुगाड़ किए हैं।
कार-निर्माता कंपनियां कर सकती हैं पहल
रूपेश का कहना है कि जिस तरह का सेफ्टी डिवाइस उसने बनाया है, अगर कार निर्माता कंपनियां पहल करें, तो वह अपने आइडिया को व्यापक स्तर पर धरातल पर उतार सकता है। इससे दूसरा फायदा यह भी होगा कि सभी वाहन चालकों का डाटा एक जगह सुरक्षित रह पाएगा। साथ ही, सड़क हादसों के समय मिलने वाले लोकेशन के आधार पर संबंधित इलाके के एक्सीडेंट जोन की भी जानकारी मिल सकेगी।
इंडियन साइंस कांग्रेस में झारखंड का किया
रूपेश ने हाल ही में नागपुर यूनिवर्सिटी में आयोजित 108वीं इंडियन साइंस कांग्रेस में झारखंड का प्रतिनिधित्व कर अपने विद्यालय तथा पूरे राज्य का मान बढ़ाया। नहीं बोल-सुन पाने वालों के लिए बनाए गए खास सॉफ्टवेयर की कंप्यूटर कोडिंग करने के लिए उसे साइंस फॉर सोसाइटी, झारखंड की ओर से उक्त राष्ट्रस्तरीय आयोजन में शामिल होने के लिए चुना गया था। वहां उसे देश-विदेश के 500 से भी अधिक वैज्ञानिकों के साथ समय बिताने और उनके अनुभवों से लाभार्जन का अवसर मिला। बीएसएलकर्मी रविशंकर कुमार और बिहार में राजस्व पदाधिकारी सुनीता कुमारी के होनहार पुत्र रूपेश की शुरू से ही कोडिंग में रुचि रही है। वह आगे चलकर एक सफल कंप्यूटर इंजीनियर बनना चाहता है।

खुद पीठ पर पत्‍थर गिरने का डर, फिर भी भाई को बचाती रही 7 साल की बहन

17 घंटे बाद मलबे से आए दोनों मासूम
अंकारा । छह फरवरी 2023 का दिन तुर्की और सीरिया के इतिहास से कभी नहीं मिटाया जा सकेगा। तड़के चार बजकर 17 मिनट पर आए एक भूकंप ने सबकुछ तबाह कर दिया। अब तक करीब आठ हजार लोगों की मौत हो चुकी है और कई तस्‍वीरें दिल तोड़ने वाली हैं। कई मासूम बच्‍चों की भी मौत हुई हैं। लेकिन इसी भूकंप के मलबे से एक ऐसी तस्‍वीर आई है जो नाउम्‍मीदगी में भी एक उम्‍मीद जगा जाती है। यह तस्‍वीर है एक सात साल की बच्‍ची और उसके भाई की। इस तस्‍वीर ने भाई बहन के खूबसूरत रिश्‍ते को फिर अमर कर दिया जो इस दुनिया में सबसे प्‍यारा है। इन दोनों बच्‍चों को 17 घंटे बाद मलबे से सुरक्षित बाहर निकाला गया।
अपना डर किनारे, भाई सबसे पहले
भूकंप का मलबा जो खुद अपने आप में डराने वाली चीज है, उसके अंदर यह बच्‍ची बिना डरे-घबराए अपने भाई की रक्षा करती रही। खुद उसकी पीठ से कुछ ऊपर एक पत्‍थर था लेकिन वह अपने प्‍यारे भाई को चोट नहीं लगने देना चाहती थी। हालांकि कुछ लोगों का कहना है कि ये बच्‍ची उसकी बहन है। मगर यूनाइटेड नेशंस (UN) के प्रतिनिधि मोहम्‍मद साफा जिन्‍होंने इस तस्‍वीर को ट्वीट किया है, उन्‍होंने इस दूसरे बच्‍चे को उसका भाई बताया है।
साफा ने लिखा, ‘यह सात साल की बच्‍ची अपने छोटे भाई के सिर पर हाथ रखकर उसकी रक्षा कर रही है जबकि दोनों मलबे में 17 घंटे तक फंसे रहे। इस तस्‍वीर को किसी ने शेयर नहीं किया और अगर वह मर जाती तो हर कोई इसे शेयर कर रहा होता।’ साफा ने अंत में लिखा, ‘पॉजिटिविटी को शेयर करिए।’ तुर्की और सीरिया दोनों ही देशों में जमकर तबाही हुई है। इस तबाही में कई बच्‍चों ने अपनी जान गंवाई है तो कुछ बचकर बाहर निकले हैं। खून जमाने वाला तापमान यहां पर राहत कार्यों में बाधा डाल रहा है। राहत और बचावकर्मी बिना रूके और थके मलबे से बच्‍चों को निकालने का काम कर रहे हैं।
सैंकड़ों राहतकर्मी दूर-दूर तक फैले मलबे से बचे हुए लोगों को निकाल रहे हैं। अथॉरिटीज को डर है कि सोमवार को आए भूकंप के बाद मरने वालों की तादाद में इजाफा हो सकता है। भूकंप के बाद लगातार आ रहे झटकों ने स्थिति को विकट बना दिया है। तुर्की और सीरिया दोनों ही देशों में बर्फीला तूफान आया हुआ है। इसकी वजह से तापमान जीरो से भी नीचे चला गया है। सीरिया में जिस जगह पर भूकंप आया, वो हिस्‍सा सरकार और विद्रोहियों के बीच बंटा हुआ है।
1700 इमारतें तबाह
खबरों के मुताबिक सैंकड़ों की संख्‍या में परिवार इस समय विद्रोहियों के हिस्‍से वाली जमीन पर मलबे के नीचे दबे हुए हैं। तुर्की में भूकंप की वजह से हजारों इमारतें गिर गई हैं। बताया जा रहा है कि करीब 1700 बिल्डिंग्‍स भूकंप में धाराशायी हो गई हैं। तुर्की के दियारबाकिर के अलावा सीरिया के अलेप्‍पा और हमा में हर तरफ बिल्डिंग्‍स का मलबा है। उत्‍तर-पूर्व दिशा में 330 किलोमीटर तक यह मलबा फैला हुआ है।

 

हड्डियों को मजबूत करना है तो कीजिए यह योगासन

शरीर की संरचना को ठीक रखने के लिए हड्डियों का स्वस्थ होना बहुत आवश्यक माना जाता है। मजबूत हड्डियां अच्छे स्वास्थ्य की निशानी होती हैं। बढती उम्र के साथ हड्डियों का कमजोर होना लाजमी हैं। आजकल बदलती लाइफ स्टाइल और गलत खान-पान के चलते कम उम्र में ही कमजोर हड्डियों की शिकायत होने लगी है खासकर महिलाओं में। कुछ लोगों में हड्डियों की बोन डेंसिटी तेजी से कम होने लगती है और बॉडी इतनी जल्दी इसे रिकवर नहीं कर पाती। इससे निपटने के लिए लोग कई तरह की दवाइयों का सेवन करने लगते हैं। लेकिन आज इस कड़ी में हम आपको कुछ ऐसे योगासन के बारे में बताने जा रहे हैं जो किसी भी दवाई से बेहतर परिणाम देते हुए हड्डियों को मजबूत बनाने का काम करेगा। आइये जानते हैं इन योगासन के बारे में…
वज्रासन
इसके करने के लिए पैरों को मोड़कर घुटनों के बल पर बैठ जाएं। फिर अपने पैर के पंजों को पीछे करें। अब आराम से अपने शरीर को नीचे ले जाकर हिप्स को एड़ियों पर टिका दें। अब अपने हाथों को घुटनों पर रखें और सिर सीधा करें। फिर अपनी सांसों की गति पर ध्यान केंद्रित करें। आंखें बंद कर लें और सांस की गति पर ध्यान दें। इस आसन को कम से कम 5 मिनट और अधिकतम 10 मिनट तक करें।
त्रिकोणासन
इस आसान में आपकी मुद्रा त्रिकोण के समान हो जाती है। अगर आप कमर दर्द से परेशान है तो यह आसन आपकी इस समस्या से छुटकारा दिला सकता है। त्रिकोणासन मोटापा दूर करने के साथ ही आपको डाइबिटीज की परशानी को भी बैलेंस रखता है । यह हड्डियों को मजबूती देने के साथ ही आपको एक्टिव रखता है। इस आसन में आप सीधे खड़े हो जाएं दोनों हाथों को कंधे की बराबरी में सीधा रखें अब दायी तरफ झुकते हुए पैरो के तलवो तक हाथ ले जाए इस मुद्रा में आप दो से तीन मिनट तक रहें। वापस आप रिलेक्स की अवस्था मे आएं।
वीरभद्रासन
इस आसन की सहायता से आप हड्डियों की कमजोरी को दूर कर सकए हैं। इसके लिए जमीन पर खड़े हो जाएं और अपने पैरों को हिप-चौड़ाई से अलग रखें और अपनी भुजाओं को अपने बगल में रखें। सांस छोड़ें और अपने बायीं ओर एक बड़ा कदम उठाएं। अब अपने बाएं पैर की उंगलियों को बाहर की ओर मोड़ें और अपने घुटनों को 90 डिग्री के कोण पर मोड़ें। अपने दाहिने पैर को लगभग 15 डिग्री अंदर की ओर मोड़ें। आपके दाहिने पैर की एड़ी बाएं पैर के केंद्र में होनी चाहिए। अपने दोनों हाथों को साइड में उठाएं। इसे अपने कंधों के स्तर पर लाएं। आपकी हथेलियां ऊपर की ओर होनी चाहिए। इस पोजीशन में कुछ गहरी सांसें लें।
भुजंगासन
अगर आपकी कलाइयों या फिंगर्स के जॉइंट्स में दर्द रहता है तो आपको यह आसन जरूर करना चाहिये। इससे आप अपने लोअर बैक के दर्द से भी मुक्ति पा सकते हैं। भुजंगासन आपकी डबल चिन की परेशानी को भी जड़ से खत्म कर देता है। आप पेट के बल लेट जाए दोनों हाथों को कंधे के पास रखें दोनों पंजे साथ जुड़े रहे। अपने शरीर का पूरा भार हाथों पर रखे और अपने हाथों की सहायता से अपने शरीर का ऊपरी हिस्सा ऊपर उठायें। शरीर को स्ट्रेच करें कुछ देर इसी अवस्था में रहने के बाद रिलैक्स की मुद्रा में आएं। शुरुआत में आप यह दो से तीन बार दोहराएं।
सेतु बंध सर्वांगासन
जोड़ों की हड्डियों को यह आसन मजबूती प्रदान करता हैं। अपने घुटनों को मोड़कर और पैरों को जमीन पर सपाट करके अपनी पीठ के बल लेट जाएं। आपके पैर एक-दूसरे से थोड़े अलग होने चाहिए और बाहें आपके बगल में टिकी हुई हों। पैरों को फर्श में दबाएं, श्वास लें और धीरे से अपने कूल्हों को ऊपर उठाएं और रीढ़ को फर्श से ऊपर उठाएं। अपनी छाती को ऊपर उठाने के लिए अपनी बाहों और कंधों को जमीन पर दबाएं।
वृक्षासन
इस आसन को करने से आपकी हड्डिया मजबूत बनती हैं साथ आपको मानसिक एकाग्रता की प्राप्ति होती है इससे मन शांत होता है। इस आसन के लिए आप सीधे खड़े हो जाये। दाएं पैर को मोड़ कर बाएं घुटने से लगाएं दोनों हाथों को ऊपर की ओर प्रार्थना की मुद्रा में जोड़ कर रखें। शरीर सीधा रखें और खुद को स्ट्रेच करें। शुरू में आप पांच मिनट तक इस मुद्रा में रहें धीरे-धीरे इस आसन को बीस मिनट तक करें।
फलकासन
इस योग का अभ्यास करने से हड्डियों को मजबूत करने और ऑस्टियोपोरोसिस के जोखिम को कम करने में मदद मिल सकती है। इसके लिए चटाई पर पेट के बल सीधे लेट जाएं। श्वास लें और धीरे-धीरे अपने हाथों को सीधा करके अपने शरीर को तख़्त मुद्रा में आने के लिए उठाएं और साथ ही अपने पैर की उंगलियों को नीचे करें। आपकी बाहें फर्श से होनी चाहिए और कंधे सीधे कलाई के ऊपर होने चाहिए। आपका शरीर सिर से एड़ी तक एक सीध में होना चाहिए। इस स्थिति में कुछ सेकंड के लिए रुकें और गहरी सांस लें। धीरे-धीरे वापस सामान्य स्थिति में आ जाएं।

 

प्रेम सृष्टि का सनातन भाव है….हर घड़ी बदलने वाला मौसम नहीं

फरवरी का महीना…आ चुका है…और 14 फरवरी भी आ रही है । आधुनिक युग का वेलेन्टाइन्स डे…और भारतीय संस्कृति का वसन्तोत्सव जो फाल्गुन के माह में रंग – रंगीला बनकर प्रेम के कई रंगों में सराबोर कर जाने वाला है। जब इतिहास पर नजर जाती है तो पता चलता है कि प्रेम नाम के शब्द को आधुनिकता के आडम्बर वाला चोला पहनाकर हमने कितना मटमैला कर दिया है । अहंकार, स्वार्थ और वासना की कलुषित भावना ने प्रेम शब्द की सौम्यता और पवित्रता पर ऐसा प्रहार किया है कि महज स्त्री – पुरुष के दाम्पत्य सम्बन्धों को ही प्रेम की परिभाषा में समेट दिया जाने लगा है । कहने का मतलब यह है कि स्त्री -पुरुष के प्रेम की अनिवार्य परिणति विवाह और शारीरिक सम्पर्कों के इर्द – गिर्द समेट ली गयी है जबकि ढाई अक्षरों का यह शब्द इतना व्यापक है कि स्वयं ईश्वर भी प्रेम के धागे में बंध जाते हैं..। स्थिति यह है कि ऐसे समय में अगर कोई सिंगल है तो युगल उसका मजाक उड़ाने से भी पीछे नहीं हटते जबकि प्रेम सम्बन्धों का यह हाल कर दिया गया है कि अब फ्रिज में उसके टुकड़े रखे जाने लगे हैं…क्या आप इसे प्रेम कहेंगे..और जो प्रेम है..तो इतनी क्रूरता कहाँ से आ जाती है…? नहीं, यह प्रेम नहीं है..प्रेम के नाम पर किया गया छलावा है, महत्वाकांक्षा और स्वार्थ की वह जंजीर है जिसमें बंधकर व्यक्ति अपनी मनुष्यता, अपना विवेक सब कुछ भुला रहा है ।
तो फिर प्रेम का आदर्श क्या है…दूर क्यों जाना…अपनी संस्कृति में देखिए..भारत के कण – कण में प्रेम ही प्रेम है…हर रूप में…हर रंग में..प्रेम का अर्थ अपने व्यक्तित्व को समाप्त कर देना भी नहीं है…सच कहिए तो आखिर ऐसा कौन सा सम्बन्ध है जिसके लिए प्रेम की जरूरत नहीं है..? सबसे पहले खुद से प्रेम करना जरूरी है…यहाँ खुद से प्रेम करने का अर्थ आत्मकेंद्रित या स्वार्थी बनकर दूसरों का अधिकार मारना नहीं बल्कि अपने अधिकारों की रक्षा के लिए खड़ा होना है..अपने व्यक्तित्व का विकास करना है । प्रेम एक भाव है…जो किसी से भी बंध सकता है…प्रकृति से…देश से…अपने दोस्तों से…य़ा किसी भी ऐसे व्यक्ति से…जिससे आपकी आत्मा के तार जुड़े और जो आपके मौन को आपके कहे बगैर पढ़ने की क्षमता रखता हो…जो न आपके लिए खुद को बदले और न आपको बदलने पर मजबूर करे..। वस्तुतः एक दूसरे के व्यक्तित्व के विकास में सहायक हो…बाधक न बने…राधा और द्रोपदी से कृष्ण का यही सम्बन्ध था और दोनों ने कृष्ण के व्यक्तित्व को अगर गरिमा दी तो कृष्ण ने भी यही गरिमा दी और उनका मान रखा….अपने हर एक सम्बन्ध में रखा…। प्रेम आपको सही राह पर ले जाता है बगैर किसी बंधन के…जैसे यशोधरा ने बुद्ध की तपस्या को एक दिशा तब दी जब उन्होंने अपना सर्वस्व राहुल बुद्ध को सौंप दिया..समाज कल्याण के लिए…। प्रेम गलत होने पर साथी का आँख मूंदकर साथ नहीं देता बल्कि वैसे ही राह दिखाता है जैसे रत्नावली ने तुलसीदास को दिखायी और तुलसी को उनके राम से मिलवाने का माध्यम बन गयी । प्रेम वह समानता है जो शिव एवं पार्वती के सम्बन्धों में है..तमाम लौकिक बन्धनों से दूर..कि शिव और शक्ति एक दूसरे के पर्याय हैं । प्रेम एक दूसरे के साथ चल देना है…समाज की बाधाओं से आगे जाकर अमृता और इमरोज की तरह एक दूसरे को स्वीकार कर लेना है और दूर मत जाइए अभी तो सब्यसाची और ओएन्द्रिला का उदाहरण हमारे सामने ही है…क्या आपको लगता है कि भारत में कम से कम किसी को प्रेम को समझाने की जरूरत है…प्रेम को तो हर रूप…लौकिक परिभाषाओं से आगे जाकर बगैर कोई शर्त रखे समझने की जरूरत है..विश्वास रखने की जरूरत है…मीरा की तरह….सूर की तरह…। अपनी महत्वाकांक्षाओं को प्रेम मत कहिए…अपनी वासना को प्रेम मत कहिए… प्रेम को प्रेम ही रहने दीजिए…प्रेम संरक्षण है, प्रेम सृष्टि का सनातन भाव है….हर घड़ी बदलने वाला मौसम नहीं ।

सभी को लाभ देने वाला सप्तर्षि बजट है यह

डॉ वसुंधरा मिश्र, भवानीपुर एजूकेशन सोसाइटी कॉलेज, कोलकाता

हर वर्ग के लोगों के लिए कुछ न कुछ लाभ देने वाला बजट है। वैसे भी बजट का पिटारा भारत की आम जनता के लिए जब खुलता है तो सत्तासीन प्रशासन कुछ लुभावने लॉलीपॉप रखते हैं।

सिगरेट, शराब आदि के दाम बढ़ाने से सरकार को रेवेन्यू अधिक मिलेगा। 15 लाख से अधिक आय पर 30 फीसदी टैक्स लगेगा जो आम लोगों के लिए अच्छा है।

सरकार को बड़े व्यावसायिक संगठनों का टैक्स भी बढ़ाने पर विचार करना चाहिए। शिक्षा, खेल, मेडिकल आदि क्षेत्रों में विकास के लिए सरकार अधिक धनराशि खर्च करने का पहल की है जो सराहनीय है। सरकार ने पारदर्शिता दिखाई है जो एक अच्छा कदम है।

 

कृतिऋचा सिंह

भारत के भविष्य को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है यह बजट

समग्र रूप से अगर 2023 का बजट देखा जाए तो यह सप्तऋषि बजट है। पहले ही वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सूचित कर दिया था कि इस बार के बजट को सरकार ने कम ज्यादा करके हर सेक्टर पर ध्यान देने का कोशिश की है। और कहीं ना कहीं यह भी दिख रहा है कि कोविड-19 का असर हर क्षेत्र पर पड़ा है क्योंकि साफ दिख रहा है कि हेल्थ सेक्टर और एजुकेशन पर ज्यादा ध्यान दिया गया है । हां यह अलग बात है कि हेल्थ सेक्टर का पिछले बजट के मुकाबले बजट थोड़ा कम कर दिया गया है और एजुकेशन का बजट भी कुछ ख़ास नहीँ बढाया गया लेकिन एजुकेशन पर ध्यान दिया गया है और ज्यादा से ज्यादा एम्स खोलने का भी वादा किया गया है।
डिजिटल लाइब्रेरी भी खोलने की बात कही गई है जिसे पढ़ने लिखने में और आसानी होगी। यदि हम एक लॉ स्टूडेंट के नजरिए से देखे तो सरकार ने एक और सूचना दी है कि कुछ मुजरिम जो जुर्माने ना देने की वजह से जेलों में बंद है उनका अपराध छोटा है पर अज्ञानता और पैसे की कमी के कारण वे जुर्माना माना नहीं दे पा रहे हैं तो ऐसे लोगों का जुर्माना सरकार स्वयं देगी क्योंकि सरकार का मानना है कि जेल में रहने पर उनके ऊपर जो व्यय होता है उससे कहीं बेहतर है क्यों उनके जुर्माने की रकम अदा कर दी जाए और वह आजाद हो जाएं।

इस बजट में जो बाहरी कंपनियां है उसके ऊपर भी टैक्स बढ़ाया गया है और साथ ही साथ सिगरेट पीने वालों के ऊपर भी टैक्स लगाया गया है । मेटल भी महंगा हुआ है टैक्स स्लैब देखा जाए तो इनकम टैक्स में जो पहले 500000 पर लिया जाता था इस बार बढ़ाकर 700000 कर दिया गया है । पुराने टेक्स् स्लैब के मुकाबले नया टेक्स्ट स्लैब ज्यादा अच्छा है क्योंकि पुराने वालों में सी.ए. लोग धांधली करते थे इंश्योरेंस में इन्वेस्ट करने पर टैक्स नहीं देना होता था जैसी चीजें का फायदा उठाते थे तो यह कहा जा सकता है कि टैक्स की धांधली ना हो इसके लिए सरकार ने 700000 रुपये तक की वालों तक को टैक्स में छूट दी है और उसके बाद कहा है कि आप टैक्स दें।

और यह भी कहा जा सकता है कि इस बार बजट में इलेक्शन पर पूरा ध्यान दिया गया है आगे आने वाले 2 सालों में 11 राज्यों में चुनाव है तो इस बात को ध्यान रखते हुए सरकार ने राशन फ्री कर रखा है । बजट में मिडिल क्लास को बैकबोन की तरह रखा है । ज्यादा से ज्यादा पापुलेशन को स्किल डेवलपमेंट की तरफ आकर्षित किया है क्योंकि सर्टीफिकेट वाली पढ़ाई से नौकरी वैसे भी मिलने वाली नहीं थी तो उन्होंने प्रयास किया है कि लोगों के अंदर स्किल ज्यादा होता कि वह अच्छे से अच्छा और ज्यादा से ज्यादा नौकरी कर सके।

तो कहा यह जा सकता है कि आगे आने वाले 10 साल को ध्यान में रखते हुए एक पिच तैयार किया गया है । इस बार आदिवासियों पर भी ध्यान दिया गया है एकलव्य योजना और भी अन्य कई योजनाओं के तहत आने के लिए भी कहा जा सकता है कि जब तक हम 10 ट्रिलियन पर ना पहुंच जाए तब तक कुछ नहीं हो सकता है क्योंकि अभी तक तो हम सिर्फ 3:50 ट्रिलियन इकनोमिक पर है।
यह भी बताने में सक्षम हो पाई है सरकार की भारत और कृषि के ऊपर निर्भर नहीं है बल्कि हम आईटी सेक्टर में भी काम कर रहे हैं भारत में मैंन पावर और ब्रेन पावर अत्यधिक मात्रा में है और इसका सही प्रयोग करना सरकार ने इस बार ठान लिया है। तो देश अगर हम डैशबोर्ड देखें किसी भी देश का मान लीजिए अमेरिका का डैशबोर्ड देखते हैं तो हमें दिखता है कि 1% इंडियन 3% टैक्स पे करता है । अमेरिका का तो क्यों ना वह तीन परसेंट टैक्स पर इंडिया में ही रहे और अपने आप को स्किल्ड बना ले।

कृषि के क्षेत्र में भारत दाल और गेहूं और चावल के अलावा बाजरा ज्वार इन सब के ऊपर भी अब ध्यान आकर्षित कर रहा है अब मिल्ट्स के ऊपर भी रिसर्च किए जा रहे हैं ताकि इनको भी मुख्यधारा में लाया जाए और अनाज का प्रोडक्शन बढ़ाया जाए ताकि जितने भी अन्य रिसर्च और सेंटर और प्रोग्राम है वह इन सारे मेलेट्स के ऊपर भी काम कर सकें और इन अनाजों को भी मुख्यधारा में हम प्रयोग कर में ला सकें । इसका प्रमुख कारण यह है कि हमारे पास अलग-अलग प्रकार का मौसम और मिट्टी है और हम उसका सही फायदा नहीं उठा पा रहे हैं तो सरकार ने प्रयास किया है कि इस बार अलग-अलग प्रकार के मौसम और अलग-अलग प्रकार की मिट्टी का भरपूर फायदा उठाया जाए और अनाज उत्पादन को 3 गुना कर दिया जाए जिससे छोटे किसानों को बहुत फायदा होगा । इसका एक प्रमुख उदाहरण यूक्रेन वार हो सकता है क्योंकि यूक्रेन वार के दौरान स्ट्रिपिंग का वह जो मैदान था जो कि क्रॉप कल्टीवेशन के लिए बहुत अच्छा माना जाता था वह पूरी तरीके से नष्ट हो गया नष्ट हो जाने के कारण उन्होंने मिलटस के ऊपर कार्य करना प्रारंभ किया और उनके पास अब अनाज उगाने भर का पर्याप्त मैदान नहीं था जिसके कारण उन्हें दूसरे देशों से मदद लेनी पड़ गई गेहूं के लिए।
इसके अलावा बजट में मशीनरी के ऊपर कार्य किया गया है इस बार के बजट में टूरिज्म पर विशेष ध्यान दिया गया है शुरुआत में उन्होंने ग्रीन एनर्जी पर भी बहुत ज्यादा ध्यान देने का प्रयास किया है और यह कहा है कि शिमला में एक ग्रीन एनर्जी ट्रेन भी प्रारंभ करेंगे अब कहां तक प्रारंभ करते हैं यह तो सरकार से पूछने वाला प्रश्न है लेकिन योजनाएं कहीं न कहीं कार्य कर रही हैं
कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि यह बजट सप्तऋषि स्तर का बजट है जिसमें हर सेक्टर हर क्षेत्र को विशेष तौर पर ध्यान में रखा गया है ताकि आगे आने वाले 10 साल का पिच तैयार हो सके और भारत प्रगतिशील ताकि और प्रतिबद्ध हो सके और अमृतमहोत्सव को 2047 जो कि भारत के 100 साल पूरे होने पर भारत को विकसित कहा जा सके।

बजट से शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के क्षेत्र में आएगा बदलाव

सुगंधा झुनझुनवाला

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस बार जबरदस्त बजट पेश किया। उन्होंने नयी कर व्यवस्था प्रस्तावित की जिसमें 7.5 लाख की आय तक कोई कर नहीं होगा (मानक कटौती के रूप में 50000 रुपये सहित) । सरचार्ज की दर को 37 से घटाकर 25% करना जो एक बदलाव है।

वरिष्ठ नागरिकों के लिए बचत योजनाओं को बढ़ाकर 30 लाख रुपये कर दिया गया है जो पहले 15 लाख रुपये थी। पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में इस बजट में रेलवे को सबसे ज्यादा बढ़ावा मिला है। रेलवे के नवीनीकरण और विकास के लिए भारी निवेश परिव्यय किया गया है ।

स्वास्थ्य क्षेत्र को ₹89155 करोड़ का आवंटन मिला जिससे स्वास्थ्य क्षेत्र में भी जबरदस्त बदलाव आएगा। विद्यार्थियों के लिए डिजिटल पुस्तकालय स्थापित किए जाएंगे और अधिक नर्सिंग कॉलेज स्थापित किए जाएंगे जिससे अधिक शिक्षकों की भर्ती होगी, जिससे हमारे देश में शिक्षा क्षेत्र का समग्र विकास होगा और रोजगार के बड़े अवसर पैदा होंगे।

 

 प्रो दिलीप शाह ने दिए बाधाओं के बावजूद व्यवसाय में सफलता प्राप्त करने के सूत्र

कोलकाता । एसपी जैन स्कूल ऑफ ग्लोबल मैनेजमेंट के प्रो परिमल मर्चेंट को ‘बिजनेस में सफलता’ पर एक सत्र के लिए 31 जनवरी 2023 को आमंत्रित किया गया था। लेकिन अप्रत्याशित प्रतिबद्धताओं के कारण, डॉ मर्चेंट को अपनी बात रद्द करनी पड़ी, जिसका उन्हें गहरा अफसोस रहा । इस संकट का सर्वोत्तम तरीके से प्रबंधन करते हुए छात्र मामलों के डीन प्रो दिलीप शाह ने ‘व्यवसाय में सफलता’ पर एक आकर्षक सत्र लिया। सत्र की शुरुआत सुबह 11.00 बजे प्रो. विवेक पटवारी द्वारा प्रो. शाह का परिचय कराने और मंच पर उनका स्वागत करने के साथ हुई। प्रोफेसर शाह ने अपने वक्तव्य में कहा कि कैसे किसी भी शैक्षणिक संस्थान का साथ एक दी गई स्थिति से एक सबक प्राप्त करना है, ताकि सीखने-सिखाने की प्रक्रिया बाधाओं के बावजूद जारी रहे।
प्रो. शाह ने छात्रों के साथ ‘व्यवसाय में सफलता’ पाने के वास्तविक अर्थ पर आमने-सामने चर्चा की। छात्रों द्वारा पूछे गए प्रश्नों में से एक प्रश्न जो सबसे अलग था वह था “निरंतर कैसे रहें?” चर्चा की शुरुआत इस बात से हुई कि हम जिस भी संकट का सामना कर रहे हैं उसका समाधान होना चाहिए। सफलता का मूल सफल होने में नहीं बल्कि समस्या से बाहर निकलने का रास्ता खोजने में सुसंगत होने में निहित है।डॉ वसुंधरा मिश्र ने जानकारी देते हुए कहा कि प्रो शाह ने वास्तव में सत्र में अपनी उपस्थिति से इसे साबित कर दिया क्योंकि उन्होंने सत्र को बंद करने के बजाय छात्रों के साथ बातचीत की।
प्रो शाह के दर्शन का मूल है “रास्ते में आने वाली बाधाओं के बावजूद, अपने दिन को रचनात्मक रूप से कैसे शामिल किया जाए।” छात्रों के लिए केवल ‘व्यवसाय में सफलता’ नहीं थी, बल्कि ‘जीवन में सफलता’ खोजना था, जो अपने आप में एक उत्पादक सबक बन गया।

भारत जैन महामंडल लेडिज विंग कोलकाता शाखा ने किया महिला सम्मान

कोलकाता । भारत जैन महामंडल लेडिज विंग कोलकाता शाखा ने समाज के विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान देने वाली महिलाओं को सम्मानित किया। भारतीय भाषा परिषद कोलकाता के सभागार में होने वाले महिला सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। विशिष्ट अतिथि डॉ वसुंधरा मिश्र ने अपने वक्तव्य में कहा कि किसी भी संस्था का कार्य उस संस्था के सदस्यों या सदस्याओं की एकता पर निर्भर करती है। वर्तमान में, महिलाएंँ घर और बाहर दोनों को बखूबी निभा रही हैं। डॉ मिश्र ने इस अवसर पर अपनी कविता स्त्री को स्वर दो, स्त्री को आकाश दो – पंक्तियों के द्वारा महिलाओं का उत्साहवर्धन किया। भारत जैन महामंडल लेडिज विंग ने मंडल में सहयोग करने वाली सदस्याओं को डॉ मिश्र ने सुमित्रा सेठिया, चंदा गोलछा, शकुन्तला नाहटा, सुप्यार पुगलिया,उषा मालू,रेशम दुगड़ को भारत जैन महामंडल लेडिज विंग कोलकाता शाखा का मोमेंटो प्रदान कर सम्मानित किया। भारत जैन महामंडल लेडिज विंग कोलकाता शाखा ने इस वर्ष संस्था की अध्यक्ष पद के लिए श्रीमती चंदा गोलछा को नियुक्त किया गया। पूर्व अध्यक्ष सरोज भंसाली और उपाध्यक्ष अंजू सेठिया विशेष सलाहकार के पद पर मंडल में सेवा देंगी । इन दोनों के नेतृत्व में दो साल पूर्व कोलकाता में इस शाखा आरंभ की गई थी। बहुत ही कम समय में संस्था ने अपने कार्यों द्वारा एक महत्वपूर्ण स्थान और पहचान बनाई है।
नई चयनित अध्यक्ष चंदा गोलछा ने डॉ वसुंधरा मिश्र, पूर्व अध्यक्ष सरोज भंसाली और उपाध्यक्ष अंजू सेठिया को शॉल उढ़ाकर और मंडल का मोमेंटो देकर सम्मानित किया।
डॉ वसुंधरा मिश्र ने नई अध्यक्ष को शॉल उढा़कर स्वागत किया। इस अवसर पर मंडल की दो साल की गतिविधियों पर प्रकाश डाला।दो वर्ष पूर्व भारतीय भाषा परिषद की अध्यक्ष और साहित्यकार डॉ कुसुम खेमानी ने दो साल पहले मंडल का उद्घाटन किया था, छपते छपते हिंदी दैनिक और ताजा टीवी के डायरेक्टर वरिष्ठ संपादक विश्वंभर नेवर और लेखिका और साहित्यकार डॉ वसुंधरा मिश्र जी का साथ सदैव बना रहा, पथ प्रदर्शक के रूप में समय-समय पर मार्गदर्शन मिलता रहा।इस अवसर पर मंडल के कार्य पर कांता चौरडिया कंचन वैद शशि सेठिया सुषमा छाजड इंदिरा बागरेचा नेहा रामपुरिया स्नेह बागरेचा सरिता वैद सदस्याओं ने अपने वक्तव्य रखे ।उषा मालू और नेहा रामपुरिया ने अंजू सेठिया को विदाई उपहार प्रदान किए।
अध्यक्ष चंदा गोलछा ने मंडल में सेवा देने का संकल्प लिया और सबको धन्यवाद दिया। आशा है मंडल चंदा गोलछा के नेतृत्व में आगे बढ़ेगा और ऊंँचाइयों को छुएगा। महावीर के सिद्धांतों को जन – जन तक पहुँचाएगा।इस सम्मान समारोह में भारत जैन महामंडल ने स्वादिष्ट नाश्ते के डिब्बे और राजस्थानी केसरिया चाय की व्यवस्था की। भारत जैन महामंडल 122 वर्ष सबसे प्राचीन संस्था है जिसकी देश- विदेश मे इनकी शाखाएँ काम कर रही हैं। यह जानकारी समाजसेवी अंजू सेठिया ने दी।अंत में, नई अध्यक्ष चंदा गोलछा ने धन्यवाद ज्ञापन दिया।

कैंसर से पति और सांप काटने से बेटे को खोया, अर्चना देवी को क्रिकेटर बनाने वाली माँ कही गयीं ‘डायन’

अंडर-19 महिला टी20 विश्व कप फाइनल में इंग्लैंड को टीम इंडिया ने हारकर इतिहास रच दिया। इंग्लैंड की टीम 68 रन पर ऑल आउट हो गई। भारत ने 3 विकेट खोकर लक्ष्य हासिल कर लिया। इस शानदार जीत की नींव अर्चना देवी ने रखी। उन्होंने ग्रेस स्क्रिवेंस और नियाह हॉलैंड को आउट करके शानदार शुरुआत दिलाई। उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले केरतई पुरवा गांव की रहने वाली अर्चना देवी की इस सफलता के पीछे उनकी जिद्दी मां सावित्री देवी का हाथ है, जिन्हें न जाने कितने ताने सुनने पड़े। कैंसर से उनकी पति और बेटे की सांप काटने से मौत हो गई तो उन्हें डायन कहा गया।
यही नहीं सावित्री देवी ने अर्चना देवी को क्रिकेटर बनाने का फैसला किया तो उनके रिश्तेदारों ने कहा कि व अपनी बेटी को गलत रास्ते पर भेज रही हैं। इससे सावित्री देवी को फर्क नहीं पड़ा और उन्होंने क्रिकेट की दीवानी बेटी को गांव से 345 किलोमीटर दूर मुरादाबाद में लड़कियों के बोर्डिंग स्कूल ‘कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय’ में का एडमिशन करवाया। ऐसा करने के बाद आस पड़ोस के लोगों ने उन्हें अपनी बेटी को गलत धंधे में डालने का आरोप लगाते और ताना मारते थे।

लड़की को गलत धंधे में डाल दिया
सावित्री देवी ने द इंडियन एक्सप्रेस से फोन पर कहा, ” लड़की को बेच दिया। लड़की को गलत धंधे में डाल दिया है। ये सारी बातें मेरे मुंह पर बोलते थे।” अर्चना देवी  की सफलता के बाद सबका हावभाव बदल गया है। बेटी के अंडर-19 महिला वर्ल्ड कप के फाइनल में खेलने पर कहा, “अब मेरा घर मेहमानों से भरा हुआ है और मेरे पास उनके लिए पर्याप्त कंबल नहीं हैं। वे पड़ोसी, जिन्होंने कभी मेरे घर का एक गिलास पानी नहीं पिया, अब मेरी मदद कर रहे हैं।”
डायन का घर कहा जाता था
अर्चना के पिता शिवराम की 2008 में कैंसर के कारण मृत्यु हो गई। परिवार पर बहुत सारा कर्ज था और सावित्री पर तीन छोटे बच्चों पालने की जिम्मेदारी थी। 2017 में उनके छोटे बेटे बुद्धिमान सिंह की सांप काटने से मौत हो गई थी। पड़ोसियों और रिश्तेदारों ने तब भी उन्हें नहीं बख्शा। अर्चना के बड़े भाई रोहित कुमार बताते हैं, ” मेरी मां को गांव वाले डायन बताते थे। कहते थे पहले अपनी हस्बैंड को खा गयी, फिर अपने बेटे को, इनको देख ले तो रास्ता बदल लेते थे, हमारी घर को डायन का घर कहा जाता था।”

लॉकडाउन में गई भाई की नौकरी
मार्च 2022 में पहले लॉकडाउन के दौरान नई दिल्ली में कापसहेड़ा बॉर्डर की एक कपड़े की फैक्ट्री में रोहित की नौकरी चली गई। वह बताते हैं कि उनकी मां को अपने बच्चों को पालने के लिए काफी अत्याचार सहना पड़ा। उन्होंने कहा, “हम हर साल बाढ़ का सामना करते हैं। आधा समय हमारे खेत गंगा नदी के पानी भरा रहता है। हम अपनी गाय और भैंस (एक-एक) के दूध पर निर्भर थे। हम इतने साल अपनी मां की वजह से जिंदा रहे। उन्होंने मुझ पर ग्रेजुएशन पूरा करने का दबाव डाला और अब चाहती हैं कि मैं सरकारी नौकरी की तैयारी करूं।”
मृतक बेटे की आखिरी इच्छा पूरी की
जीवन में इतना सबकुछ झेलने के बाद भी सावित्री देवी आगे बढ़ती रहीं। वह हर हाल में अपने मृतक बेटे की आखिरी इच्छा पूरा करना चाहती थीं। उसने अर्चना को अपने सपना पूरा करने देने को कहा था। रोहित ने बताया,” महज एक साल बड़े बुधिमान के साथ क्रिकेट खेलती थी। उसने एक शॉट मारा और गेंद एक निर्माणाधीन कमरे में चली गई, जिसे हमने पिता के मरने के बाद नहीं बनाया। वह हर बार गेंद को मलबे से बाहर निकालने के लिए बल्ले का इस्तेमाल करते था। इस बार उसने अपने हाथों का इस्तेमाल किया और एक कोबरा ने काट लिया। अस्पताल ले जाते समय मेरी बांहों में उसकी मौत हो गई। उसके अंतिम शब्द थे ‘अर्चना को क्रिकेट खिलाओ। बुधिमान की मृत्यु के बाद जब वह वापस अपने स्कूल गई तो उसने क्रिकेट को गंभीरता से लेना शुरू कर दिया और मेरी मां ने उसे कभी नहीं रोका।”

झर-झर आंसू बहते रहे, रोती रहीं शेफाली… विश्व कप जीतने आए थे और जीत लिया

पोटचेस्ट्रूम । पहली बार हुए अंडर-19 महिला टी-20 वर्ल्ड कप का खिताब जीतने के बाद भारतीय टीम जश्न के मूड में है। खिलाड़ियों पर पैसों की बरसात हो रही है। बीसीसीआई ने अपना खजाना खोल दिया। फाइनल जीतने के बाद पूरी टीम बेहद भावुक नजर आई। कप्तान शेफाली वर्मा से जब कमेंटेटर बात करने आए तो शब्द की जगह हरियाणा की इस बेटी के आंखों से झरझर आंसू बहने लगे। कुछ बोलने को मुंह खोलती तो रोने लगतीं। खुद कमेंटेटर को कहना पड़ा कि आप अपना पूरा वक्त ले लीजिए। ये गर्व और उल्लास के पल पूरी टीम को ताउम्र याद रहने वाले हैं। यह लम्हा जीना आसान नहीं था, खासकर उस देश में जहाँ आज भी महिला क्रिकेट को देखने वाले अब भी कम हों और जहाँ महिला खिलाड़ियों को हर कदम पर संघर्ष का सामना करना पड़ रहा हो ।
पीछे से पूरी टीम शेफाली को चीयर कर रही थी। स्टेडियम में मौजूद भारतीय प्रशंसक तिरंगा लहराते हुए उन्हें समर्थन कर रहे थे। शेफाली वर्मा ने फिर बोलना शुरू किया। दिल की बात रखी। 19 साल की शेफाली ने कहा, ‘हम एक-दूसरे का साथ दे रहीं थीं। सपोर्ट स्टाफ को भी धन्यवाद। हमें रोज याद दिलाया जाता कि यहां वर्ल्ड कप जीतने आए हैं। शेफाली ने श्वेता सेहरावत की तारीफ की। शेफाली को उम्मीद है कि भारतीय सीनियर टीम टी-20 वर्ल्ड कप जीतने में सफल होगी, जो दक्षिण अफ्रीका में ही होना है।

भारतीय महिलाएं ऐसे बनी चैंपियन
तेज गेंदबाज तितस साधु के साथ स्पिनर अर्चना देवी और पार्श्वी चोपड़ा की शानदार गेंदबाजी के दम पर भारतीय महिला टीम ने पहले आईसीसी अंडर-19 टी20 विश्व कप के फाइनल में रविवार को यहां इंग्लैंड को 36 गेंद बाकी रहते सात विकेट से हराकर खिताब अपने नाम किया। भारत ने इंग्लैंड की पारी को 17.1 ओवर में महज 68 रन पर समेटने के बाद 14 ओवर में तीन विकेट के नुकसान पर लक्ष्य हासिल कर शनिवार को अपना 19वां जन्मदिन मनाने वाली कप्तान शेफाली वर्मा को शानदार तोहफा दिया।
पूरे देश में खुशी की लहर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय मंत्रियों और कई अन्य नेताओं ने भारतीय क्रिकेट टीम को बधाई दी। प्रधानमंत्री ने ट्विटर पर लिखा, ‘भारतीय टीम को विशेष जीत के लिए बधाई। उन्होंने बेहतरीन क्रिकेट खेला है और उनकी सफलता कई उभरते हुए क्रिकेटरों को प्रेरित करेगी। टीम को उनके भविष्य के प्रयासों के लिए शुभकामनाएं ।