Wednesday, August 13, 2025
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चैट जीपीटी और एआई ऐप्स पर सेमिनार

कोलकाता । भवानीपुर एजुकेशन सोसाइटी कॉलेज के सोसाइटी हॉल में 24 मार्च 2023 को चैट जीपीटी और एआई ऐप्स पर एक सेमिनार आयोजित किया गया था। संगोष्ठी की परिकल्पना छात्र मामलों के डीन प्रोदिलीप शाह, जो चाहते थे कि छात्र भविष्य के लिए और अधिक तैयार हों, जो एआई है। चैट जीपीटी, मानव जैसी भाषा को समझने और उत्पन्न करने के लिए डिज़ाइन किया गया एक ट्रेंडिंग एआई ऐप अब नवंबर 2023 से टेक्स्ट जनरेशन के लिए पसंदीदा प्लेटफॉर्म बन गया है और पहले 5 दिनों में 1 मिलियन उपयोगकर्ताओं को पार कर गया है। इसकी ट्रेंडिंग व्यवहार्यता के कारण कॉलेज ने एआई ऐप्स के भविष्य के बारे में बात करने के लिए उद्योग के विशेषज्ञों को बुलाया।

प्रथम वक्ता उद्योग में 11 से अधिक वर्षों के अनुभव के साथ एक अत्यधिक अनुभवी और कुशल डेटा वैज्ञानिक, चार्टर्ड एकाउंटेंट और प्रमाणित फोरेंसिक पेशेवर दीपक कुमार सिंह ने चैट जीपीटी के नोट पर सत्र की शुरुआत की। उन्होंने प्रतिभागियों से पूछा कि क्या वे जानते हैं कि एआई को आखिरकार प्रासंगिक बनने में कितने साल लगे, और दर्शकों को यह जानकर आश्चर्य हुआ कि एआई 1950 के दशक में वापस चला गया। उन्होंने चैट जीपीटी प्लेटफॉर्म के बारे में विस्तार से बताया और एक डेमो प्रस्तुत किया कि सभी चैट जीपीटी वास्तव में क्या कर सकते हैं। चैट जीपीटी सुविधाओं को जोड़ते हुए, दीपक ने कहा कि एआई का भविष्य ऐसा है कि “जो व्यक्ति जीपीटी का उपयोग कर रहा है, उसे जीपीटी का उपयोग करने वाले किसी अन्य व्यक्ति द्वारा प्रतिस्थापित किया जाएगा।”

संगोष्ठी के दूसरे वक्ता अनिमेष दास रहे जो एक सीरियल एंटरप्रेन्योर और ब्रांड स्ट्रैटेजिस्ट, जिनके पास आठ से अधिक उद्योगों में ब्रांड और उत्पाद-निर्माण के क्षेत्र में दस से अधिक वर्षों का अनुभव है। अनिमेष ने सत्र की शुरुआत मेम्स और उन्हें बनाने के तरीके के इर्द-गिर्द की, आगे उन्होंने रचनात्मक कार्य को आसान बनाने के लिए बीस से अधिक एआई अनुप्रयोगों को दिखाया। उनके द्वारा चर्चा किए गए अन्य सभी एआई ऐप्स विभिन्न उद्योगों जैसे सामग्री निर्माण, डिजाइनिंग, ध्वनि डिजाइन, एनीमेशन इत्यादि के लिए प्रासंगिक हैं । उन्होंने सत्र का समापन इस आधार पर किया कि कोई भी तकनीकी प्रगति को रोक नहीं सकता है इसलिए व्यक्ति को इंट्राप्रेन्योर बनने पर अधिक ध्यान देना चाहिए न कि उद्यमी बनने पर।

डिजिटल स्पेस में काम करने वाले छात्रों के लिए इसकी प्रासंगिकता के कारण यह सत्र बहुत सफल रहा। छात्र वक्ताओं के साथ विचारों का आदान-प्रदान कर रहे थे और सवाल उठा रहे थे कि वास्तव में एआई का भविष्य क्या है। कार्यक्रम का समापन डीन कार्यालय से प्रो. मीनाक्षी चतुर्वेदी, समन्वयक बीकॉम मॉर्निंग और सुश्री समीक्षा खंडूरी द्वारा वक्ताओं को सम्मानित किए जाने के साथ हुआ।सूचना दी डॉ वसुंधरा मिश्र ने ।

 

युवा वयस्कों की चुनौतियों को लेकर भवानीपुर कॉलेज में परिचर्चा

भवानीपुर एजूकेशन सोसाइटी कॉलेज के युवा वयस्कों की चुनौतियों को संबोधित करने पर पैनल चर्चा गत 28 फरवरी को सोसायटी हॉल में आयोजित की गई । कार्यक्रम को हरी झंडी दिखाकर छात्र मामलों के डीन प्रो दिलीप शाह ने छात्रों को इस सत्र के महत्व को समझाते हुए कहा कि जिस तरह हम बीमार पड़ने पर डॉक्टर के पास जाते हैं, उसी तरह किसी भी भावनात्मक अशांति को भी बिना किसी वर्जना के सही काउंसलर के पास जाकर अपनी बात बतानी चाहिए।

इसके बाद वक्ताओं को प्रो. शाह ने सम्मानित किया। प्रथम वक्ता श्री जय शंकर गोपालन, आईआईएम कोलकाता के एक गौरवान्वित पूर्व छात्र, जिनके पास उत्कृष्ट संचार, रचनात्मक विपणन रणनीतियां , प्रशिक्षण और निगरानी कौशल आदि का उपयोग करके उच्च व्यापार विकास हासिल करने का बीस से अधिक वर्षों का व्यापक अनुभव है। उन्होंने यह समझाने के लिए विभिन्न संकेत दिए कि कैसे छात्रों को कॅरियर में फिट होने की कोशिश करने के बजाय ऐसा कॅरियर चुनना चाहिए जो उनके लिए उपयुक्त हो। उन्होंने एक प्रश्नोत्तर सत्र के बाद निष्कर्ष निकाला कि एक सफल करियर के लिए सामग्री जिम्मेदारी और जवाबदेही है।

द्वितीय वक्ता निकिता जालान जो साइकोमेट्रिक असेसमेंट, क्लिनिकल डायग्नोसिस और साइकोथेरेपी में सात साल से अधिक अनुभव के साथ एक वरिष्ठ काउंसलर, इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोसाइंस एंड मेडिका, कोलकाता जैसे विभिन्न संगठनों से जुड़ी हैं । उन्होंने युवा वयस्कों के बीच संबंध निर्माण के मुद्दों पर भी बातचीत की जो अक्सर ध्यान की कमी के कारण तनाव, चिंता और अवसाद का सामना करते हैं। उन्होंने एक-दूसरे को स्पेस देकर रिश्ते में संतुलन कैसे लाया जाए, इसका गहन विश्लेषण भी किया और रिश्तों में सीमाओं और भरोसे के महत्व पर चर्चा की। सुश्री जालान का सत्र दर्शकों के सवालों पर आधारित था, जिसने उन्हें अपनी भावनाओं और प्रतिक्रियाओं का मूल्यांकन करने के लिए प्रेरित किया।

तृतीय वक्ता रमेश नारायण जो भवानीपुर एजुकेशन सोसाइटी कॉलेज के पूर्व छात्र रहे बी.कॉम (ऑनर्स) की डिग्री प्राप्त की और वर्तमान में पिछले चौंतीस वर्षों से चार्टर्ड एकाउंटेंट हैं। अपनी पेशेवर आमंत्रण के अलावा, वे प्राणिक हीलर और आर्हेटिक योग प्रैक्टिशनर और योग विद्या प्राणिक हीलिंग फाउंडेशन के संस्थापक भी हैं। उन्होंने अपनी स्वयं की ऊर्जा के बारे में चर्चा करते हुए प्रारंभ किया और यह भी बताया कि कैसे कोई सदियों पुरानी प्रथाओं के माध्यम से इसका उपयोग कर सकता है। यहां तक ​​कि उन्होंने श्रोताओं को एक अभ्यास में भी शामिल किया जहां उन्होंने व्यक्त किया कि कैसे ऊर्जा हमारे भीतर प्रवाहित होती है। स्वयं की आत्मा को समझने के प्रत्यक्ष अनुभव से छात्र रोमांचित हुए ।

अंत में, छात्रों के पास इस बहुप्रतीक्षित सत्र से एक समग्र जानकारी थी जिसने उन्हें जब भी आवश्यकता हो, चाहे कैंपस में या बाहर, परामर्श लेने के लिए प्रेरित किया। प्रो शाह ने यह भी सूचित किया कि छात्रों को किसी भी परामर्श की आवश्यकता हो सकती है, कॉलेज पूरे विवेक के साथ छात्र के सामने आने वाली किसी भी समस्या का समाधान करने के लिए ऑन-कैंपस काउंसलर प्रदान करता है। यह आयोजन प्रोफेसर दिलीप शाह के मार्गदर्शन और समीक्षा खंडूरी के साथ काम करने वाले स्वयंसेवकों की मदद से इस कार्यक्रम को संभव बनाने में काफी सफल रहा। रिपोर्ट अक्षत कोठारी ने किया और जानकारी दी डॉ वसुंधरा मिश्र ने ।

अर्चना संस्था ने की माँ दुर्गा की आराधना

कोलकाता ।  दुर्गा ए मैया थारा रूप हजार /थार चरणां म शीश नवाऊं म्हारी मात।संगीता चौधरी ने लोकसंगीत में माँ दुर्गा के प्रति भक्ति प्रकट की, मृदुला कोठारी ने मांँ तुम्हारे रूप की छवि दिखलाओ एक बार, पार लगा दो सबकी नैया /स्वर्ण माता पकड़ो बइया गीत सुनाया वहीं हिम्मत चोरड़़िया प्रज्ञा ने कुण्डलिया में माता की महिमा बताई माता तेरे नाम की,महिमा अपरम्पार।/जाप जपे जो प्रेम से, ले सपने आकार।।और गीत माँ शुभंकर, माँ सहारा।माँ हमें ही दे किनारा।।अहमदाबाद से भारती मेहता ने कविता मैं धरती हूँ , माँ हूँ जन्मदात्री हूँ , पालनहारी हूँ…, शशि कंकानी ने मांँ उतरो धरा पर फिर एक बार,नया रूप ले नया अवतार।।, पत्थर को मैं क्यूँ पूजूंँ जब देवी स्वरूपा दिखती मांँ ।।, विद्या भंडारी ने अपनी माँ के साथ बिताए समय पर कविता सुनाई – समय बताती एक घङी थी माँ और दल बादल बिच चमकै जी तारा राजस्थानी लोक गीत शैल भवानी म्हाने लागै जी प्यारा सुनाया।
इंदु चांडक ने आदिशक्ति जगदीश्वरी,सकल जगत आधार।
नमन करूँ तव चरण में,कर लेना स्वीकार।। भजन सुनाकर माँ के प्रति भक्ति प्रकट की। जूम पर हुए इस कार्यक्रम में नौरतनमल भंडारी ने माँ दुर्गा का आवाह्न करते हुए दो गीत सुनाए हे स्वर लहरी/सरगम की देवी/वर दे,मुझे वर दे,वरद और होके सिंह पर /सवार/ करके सोलह श्रंगार आई मैया/सुनकर भक्तों की/पुकार/आई मैया।वसुंधरा मिश्र ने तुम्हारा आना कविता सूर्य की पसरी धूप में तुम्हारा आना चाँदनी सा लगा /मन के झंकृत तारों ने नई रागिनी गाई सुनाई। अर्चना संस्था के सभी सदस्यों ने स्वरचित रचनाएँ और गीत पढे़ ।संस्था सृजनात्मकता और मौलिक रचनाकारों के लिए जानी जाती है। धन्यवाद ज्ञापन दिया विद्या भंडारी ने और कार्यक्रम का संचालन किया मृदुला कोठारी ने ।सूचना दी डॉ वसुंधरा मिश्र ने ।

शहादत दिवस पर याद किये गये शहीद – ए – आज़म भगत सिंह

कोलकाता ।  भगतसिंह मैमोरियल कमेटी ने शहीद ए आज़म भगत सिंह को उनके शहादत दिवस गत 23 मार्च पर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। हावड़ा के काजीपाड़ा मोड़ पर स्थित भगतसिंह की मूर्ति पर सुबह कमेटी के सदस्यों ने फूल माला चढ़ा कर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। संध्या समय विभिन्न स्कूल के बच्चों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम के अंतर्गत कविता गीत सुनाए। युवा छात्र छात्राओं ने शिबपुर ट्राम डिपो हावड़ा से भगतसिंह के लिए ड्रम की धुन बजाते हुए एक रैली भी निकाली जो काजीपाड़ा मोड़ स्थित भगतसिंह की मूर्ति परिसर पर समाप्त हुई। सभी युवा वर्ग ने गॉर्ड अॉफ ओनर से मूर्ति के सामने सलामी दी। इस अवसर पर स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान को याद किया गया।
विशिष्ट वक्ता भवानीपुर कॉलेज की हिंदी अध्यापिका डॉ वसुंधरा मिश्र ने अपने वक्तव्य में भगतसिंह के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भगतसिंह आज भी जिंदा है, आज 93वीं पुण्यतिथि पर भगतसिंह को स्मरण करना हमारे युवा पीढ़ी के लिए और सभी देशवासियों के लिए प्रेरणादायी है। मात्र 23 वर्ष का युवक धर्म, जाति और भाषा से परे अपने देश के लिए एक विचार और एक सोच बन गया है जो देशभक्ति के लिए प्रेरणादायी है।
भगतसिंह मैमोरियल कमेटी के सचिव सौमित्र सेनगुप्ता ने बच्चों द्वारा तैयार की गई भगतसिंह बुलेटिन का लोकार्पण किया और कहा कि इससे बच्चों की सृजनात्मक कार्य में बढ़ोतरी होगी। अनीसूल करीम ने भगतसिंह के फांसी की सजा से संबंधित बातें बताई साथ ही जेल में उनपर हुए अंग्रेजी शासन द्वारा होने वाली अमानवीयता के विषय में बताया। वहीं शिक्षक जसवीर सिंह ने बताया कि जब भगतसिंह 14 वर्ष के थे और जलियांवाला बाग में होनेवाले नरसंहार को देखकर उनमें भारी बदलाव बदलाव आया और देश के प्रति अपने प्राणों तक की परवाह नहीं की।
पूटन माला, माधुरी झा और उनकी टीम ने इस कार्यक्रम का संयोजन किया ।

शब्दयोगी मनोज मुंतशिर शुक्ला की प्रस्तुति “मां, मातृभूमि और मोहब्बत”

हिंदू नववर्ष “विक्रम संवत 2080”  पर किया गया आयोजन

कोलकाता । हिंदू नववर्ष “विक्रम संवत 2080” के शुभ अवसर पर श्री राम सेवा समिति ट्रस्ट, एकल श्रीहरि सत्संग समिति, साल्टलेक सांस्कृतिक संसद और हरियाणा सेवा सदन के संयुक्त तत्वाधान में कोलकाता के साइंस सिटी ऑडिटोरियम में “मां, मातृभूमि और मोहब्बत” कार्यक्रम का आयोजन किया गया । “तेरी मिट्टी में मिल जावा” जैसे गीतों के लोकप्रिय गीतकार, कवि, पटकथा लेखक और सिनेमा जगत की जानी मानी हस्ती शब्दयोगी मनोज मुंतशिर शुक्ला ने अपनी कविताओं और संवादों से दर्शकों में जोश भर दिया ।

उनके सरल छंद श्रोताओं के दिलों को छू गए। उनके साथ लोकप्रिय गायक आशीष कुलकर्णी और इशिता विश्वकर्मा ने अपनी गायकी से दर्शको का मन मोह लिया । ऑडिटोरियम अपनी क्षमता से अधिक भरा था । कार्यक्रम के आयोजक श्री राम सेवा समिति ट्रस्ट, एकल श्रीहरि सत्संग समिति, साल्टलेक सांस्कृतिक संसद और हरियाणा सेवा सदन जैसे गैर-लाभकारी संगठन थे जो पिछले कई वर्षो से समाज सेवा के लिए समर्पित है।इस कार्यक्रम में इन संस्स्थाओं द्वारा समाज के लिए किये जा रहे कार्यो की झलकियो को भी प्रदर्शित किया गया जिससे बड़ी संख्या में मौजूद दर्शकों तक इनके बारे में जागरूकता फैलाने में मदद मिली।

कार्यक्रम में इन सभी संस्थाओं के सदश्यों, दानदाताओं ने उपस्थित होकर सहभागिता की ओर कोलकाता के अधिकांश प्रतिष्ठित उद्योगपति व समाजसेवी इस कार्यक्रम में शामिल हुए। दीप प्रज्वलनकर्ता – श्री सजन कुमार जी बंसल, कार्यक्रम अध्यक्ष – श्री विश्वनाथ जी सेकसरिया, मुख्य वक्ता – श्री दीनदयाल जी गुप्ता, मुख्य अतिथि – श्री सत्यनारायण जी देवरिया थे। इस आयोजन को बालव्यास आचार्य श्रीकांत जी शर्मा का आशीर्वाद प्राप्त हुआ । विशिष्ट अतिथियों में  प्रह्लाद राय अग्रवाल, रमेश कुमार जी सरावगी, गोविन्द राम जी अग्रवाल, ललित जी बेरीवाल,  प्रदीप जी टोडी, बनवारी लाल जी सोती एवं शामिल थे। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सजन कुमार बंसल ने कहा “स्वामी विवेकानन्द ने कहा था यदि हमें गौरव से जीने का भाव जगाना है अपने अन्तर्मन में राष्ट्र भक्ति के बीज को पल्लवित करना है तो राष्ट्रीय तिथियों का आश्रय लेना होगा।” विशिष्ट अतिथि रमेश कुमार जी सरावगी ने कहा “यही समय है जब देश के विभिन्न भागों में उत्सव मनाये जाते हैं। नक्षत्र शुभ स्थिति में होते हैं जो कि किसी कार्य को करने का शुभ मुहूर्त होता है।” प्रधान अतिथि सत्य नारायण देवरालिया ने कहा “यह दिन हमारे मन में यह उद्घोष जगाता है कि हम पृथ्वी माता के पुत्र हैं, सूर्य, चन्द्र व नवग्रह हमारे आधार हैं, प्राणी मात्र हमारे परिवारिक सदस्य हैं तभी हमारी संस्कृति का बोध वाक्य ”वासुदेव कुटम्बकम“ का सार्थक्य सिद्ध होता है।”  कार्यक्रम के अध्यक्ष विश्वनाथ सेक्सरिया ने कहा “यह सृष्टि की रचना का प्रथम दिवस है। मान्यता है कि इसी दिन सर्व प्रथम सूर्योदय हुआ था। प्रभु श्री राम ने लंका विजय के बाद राज्याभिषेक के लिए इसी दिन का चयन किया था।” मुख्य वक्ता दीनदयाल गुप्ता ने कहा “हमें गर्व के साथ भारतीय नव वर्ष यानि विक्रम संवत् प्रतिप्रदा को मनाना चाहीये और अपनी नई पीढ़ी को अपनी प्राचीन व अतुलनीय संस्कृति को सम्मान देने हेतु प्रेरित करना चाहिये।”

हृदयपंथी बनकर सभी के हृदय तक पहुँचने का प्रयास करें – डॉ. प्रेमशंकर त्रिपाठी

श्रीमोहन तिवारी को शुभजिता सृजन प्रहरी सम्मान -2023
कोलकाता । शुभजिता प्रहरी सम्मान – 2023 का आयोजन गत 24 मार्च को महाबोधि सोसायटी सभागार में किया गया । शुभजिता वेब पत्रिका द्वारा आयोजित इस समारोह में वर्ष 2023 के लिए यह सम्मान सेठ सूरजमल जालान पुस्तकालय के पुस्तकाध्यक्ष श्रीमोहन तिवारी को प्रदान किया गया । सम्मान स्वरूप स्मृति चिह्न, अभिनंदन पत्र, शुभादि विचार पोस्टर, शॉल एवं माला पहनाकर उनको सम्मानित किया गया । समारोह की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार एवं श्री बड़ाबाजार कुमारसभा पुस्तकालय के पूर्व अध्यक्ष डॉ. प्रेमशंकर त्रिपाठी ने कहा कि चाहे किसी भी विचारधारा को मानने वाले हों, हृदयपंथी बनकर सभी के हृदय तक पहुँचने का प्रयास करें । आज पठनीयता एवं विश्वसनीयता का संकट है मगर आज भी समाज में कुछ व्यक्ति ऐसे हैं जिनकी सक्रियता हमें आश्वस्त करती है । यह किसी रचनाकार, कृति, संस्था का सम्मान नहीं है, यह उस व्यक्तित्व का सम्मान है जिन्होंने इन सभी चीजों को बनने, संवरने एवं सहेजने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी । यह एक परम्परा का सम्मान है । उन्होंने आशा व्यक्त की कि शुभ सृजन प्रकाशन ऐसा प्रकाशन समूह बनेगा जिससे संसाधनहीन युवा लेखकों को भटकना न पड़े ।
समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित शिक्षाविद् एवं सेठ सूरजमल जालान पुस्तकालय की मंत्री दुर्गा व्यास ने सम्मानित व्यक्तित्व श्रीमोहन तिवारी को मौन साधक की तरह पुस्तकों के संरक्षण में सक्रिय रहने वाला बताया । उनके अनुशासित व्यक्तित्व के निर्माण में श्रीराम तिवारी का महत्वपूर्ण योगदान है ।


कलकत्ता विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग की प्रोफेसर डॉ. राजश्री शुक्ला ने कहा कि पुस्तकालय मनुष्य के स्वाध्याय को प्रेरित करने वाला स्थान है । अगर हम हर दिन थोड़ा – थोड़ा पढ़ें तो सृजन का संसार आगे बढ़ेगा । स्कॉटिश चर्च कॉलेज की प्रोफेसर डॉ. गीता दूबे पुस्तकालय का पुस्तकाध्यक्ष सब विषयों का विशेषज्ञ होता है । किताबों को बचाने एवं संरक्षित करने की जरूरत है । प्रधान अतिथि उमेश चन्द्र कॉलेज के हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. कमल कुमार ने आयोजन की प्रशंसा करते हुए पुस्तकालय संस्कृति के संरक्षण पर जोर दिया ।
शुभजिता सृजन प्रहरी सम्मान पाने वाले सेठ सूरजमल जालान पुस्तकालय के पुस्तकाध्यक्ष श्रीमोहन तिवारी ने सम्मान पाने पर आभार व्यक्त करते हुए कहा कि वे अपने कार्य को और अधिक बेहतर बनाकर उसे विस्तार देने का प्रयास करेंगे ।
इस अवसर पर शुभ सृजन प्रकाशन के लोगो का अनावरण भी किया गया । विवेक तिवारी एवं शुभस्वप्ना मुखोपाध्याय ने काव्य पाठ किया । समारोह में स्वागत भाषण देते हुए शुभजिता की सम्पादक एवं शुभ सृजन नेटवर्क व शुभ सृजन प्रकाशन की प्रमुख सुषमा त्रिपाठी कनुप्रिया ने कहा कि शुभजिता प्रहरी सम्मान की परिकल्पना समाज को बेहतर बनाने में सक्रिय लोगों को सामने लाने के उद्देश्य से की गयी है । समाज में पुस्तक एवं पुस्तकालय संस्कृति का महत्व सामने रखने एवं इसके संरक्षण की भावना प्रथम शुभजिता सृजन प्रहरी सम्मान के चयन का आधार रही । शुभ सृजन प्रकाशन में भी युवाओं की कलम को धारधार बनाने की चेष्टा रहेगी । धन्यवाद ज्ञापन सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज की प्राध्यापिका दिव्या प्रसाद ने किया । समारोह का संचालन पूजा सिंह ने किया । समारोह को सफल बनाने में प्रीति साव, सपना खरवार एवं पीहू पापिया का विशेष योगदान रहा ।

भवानीपुर कॉलेज प्रांगण में ‘सरगम’

कोलकाता ।  भवानीपुर एजूकेशन सोसाइटी कॉलेज के बत्तीस शिक्षक और शिक्षिकाओं ने सरगम कार्यक्रम के अंतर्गत देश भक्ति गीत प्रतियोगिता में भाग लिया। अन्त्याक्षरी प्रतियोगिता में में साधारण, शब्द, गीत की पंक्तियाँ, धुन आदि राउंड दिए गए। आठ टीमें जिसमें आसाभरी, बिलावल, भैरव, भैरवी, काफी, कल्याण, खमाज, मारवा राग पर आधारित टीमें रहीं हैं। प्रत्येक टीम में चार शिक्षक और शिक्षिकाएंँ रहीं ।
सरगम अन्त्याक्षरी प्रतियोगिता भवानीपुर कॉलेज के पोलिटिकल साइंस विभाग की विभागाध्यक्ष अमला ढांढनिया द्वारा आयोजित की गई। इस अवसर पर कॉलेज के टीआईसी डॉ सुभब्रत गंगोपाध्याय ने सभी को संबोधित करते हुए अन्त्याक्षरी के इतिहास पर प्रकाश डाला। प्रिन्सिपल डॉ पिंकी साहा सरदार और देवाजानी गांगुली, डॉ तथागत सेन और एजूकेशन, हिंदी, बांग्ला, गुजराती, समाजशास्त्र, इतिहास, अंग्रेजी, गणित मॉसकम्युनिकेशन, खेल और गैर शैक्षणिक विभाग आदि आर्ट्स के विभिन्न विभागों के सभी विभागाध्यक्ष और सदस्य उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का प्रारंभ एजूकेशन विभागाध्यक्ष डॉ रेखा नारिवाल के देश भक्ति गीत ‘सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तान हमारा’ से हुआ। प्रातःकालीन सत्र के शिक्षक प्रो नितिन चतुर्वेदी ने गिटार बजाया। बांग्ला और हिंदी के देशभक्ति गीतों को सभी प्रतिभागियों ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया।
अन्त्याक्षरी प्रतियोगिता की शुरुआत हुई गीत आओ बच्चों तुम्हें दिखाएं झांकी हिन्दुस्तान की इस मिट्टी को तिलक करें यह धरती है बलिदान की के साथ। अन्त्याक्षरी प्रतियोगिता में राग मारवा टीम ने सबसे अधिक अंक प्राप्त किए। राग काफी टीम द्वितीय स्थान पर रही और खमाज तृतीय स्थान पर रही । कार्यक्रम का संचालन किया डॉ वसुंधरा मिश्र (हिंदी विभाग) ,प्रो तृषा चटर्जी (पोलिटिकल साइंस) , प्रो सोहिनी चट्टोपाध्याय (पोलिटिकल साइंस) और प्रो स्तुति चक्रवर्ती (समाजशास्त्र) ने। धन्यवाद ज्ञापन दिया अमला ढांढनिया ने। जानकारी दी डॉ वसुंधरा मिश्र ने ।

 एन एक्ट के विद्यार्थियों ने आयोजित की थियेटर कार्यशाला 

भवानीपुर कॉलेज के एन एक्ट कलेक्टिव ने गत 14 मार्च 2023 को प्लेसमेंट हॉल में कार्यशाला का आयोजन किया।कार्यशाला का संचालन किया पेशेवर नाट्यविद् अप्रतिम चटर्जी (वर्तमान में कलर्स बांग्ला पर फेरी सोम धारावाहिक में काम कर रहे हैं) और पलाश चतुर्वेदी। कार्यशाला के दौरान, प्रतिभागियों ने अभिनय, निर्देशन, रंगमंच, और बहुत कुछ सहित रंगमंच के विभिन्न पहलुओं को सिखने के अवसर का आनंद लिया। कार्यशाला की शुरुआत रिलैक्सेशन एक्सरसाइज से हुई, जिससे सभी को अपनी ऊर्जा को सही दिशा देने में मदद मिली। रंगमंच के बारे में एक संक्षिप्त परिचय श्री अप्रतिम चटर्जी द्वारा दिया गया, जिन्होंने एक मॉक सीन तैयार किया, जहां छात्रों ने ऑस्कर नामांकित व्यक्ति के रूप में अभिनय किया और अपने विजयी भाषण दिए। इसके बाद छात्रों को रिवर्स इंजीनियरिंग की जानकारी दी गई। छात्रों द्वारा अपनी ऊर्जा को बढ़ाने और अपनी मुखर क्षमता को बढ़ाने के लिए कुछ वार्म-अप अभ्यासों का अभ्यास किया गया। इन अभ्यासों ने विद्यार्थियों को रिवर्स इंजीनियरिंग की अवधारणा को समझने में मदद की।
छात्रों को समूहों में विभाजित किया गया और प्रत्येक समूह को एक दृश्य तैयार करने और एक तस्वीर के रूप में प्रस्तुत करने के लिए पांच मिनट का समय दिया गया। सभी छात्रों को एक स्थान पर रहते हुए अभिनय करने के लिए कहा गया और कुछ सेकंड के लिए उसी स्थिति में रखा गया। इस बीच, अन्य समूह अनुमान लगा रहे थे कि वे दर्शकों को किस चित्र का चित्रण कर रहे हैं। उसके बाद, जिस समूह ने दृश्य प्रस्तुत किया, उसके बाद वह बता दिया कि वे अपने कार्यों के माध्यम से क्या दिखाना चाहते हैं। अंत में, पटकथा लेखन, अभिनय और निर्देशन में रुचि रखने वाले छात्रों को ऐसे निपुण नाट्यशास्त्रियों के साथ बातचीत करके पहला अनुभव प्राप्त करने के बाद शॉर्टलिस्ट किया गया, जिन्होंने उनकी नाट्य सफलता का मार्ग प्रशस्त किया। रचनात्मकता, प्रयोग, शारीरिक प्रशिक्षण, टीम वर्क और थिएटर की मूल बातें समझते हुए आत्म-खोज के माध्यम से संपूर्ण उत्पादन के निर्माण का पता लगाने के लिए एनेक्ट कलेक्टिव द्वारा की गई यह एक महत्वपूर्ण पहल रही।वर्कशॉप की रिपोर्ट बीए सेमेस्टर कशिश शॉ ने दी और जानकारी दी डॉ वसुंधरा मिश्र ने ।

भवानीपुर कॉलेज में खो खो प्रतियोगिता 

भवानीपुर कॉलेज के विद्यार्थियों ने खो-खो प्रतियोगिता का आयोजन गत 21 व  22 फरवरी 2023 को कॉलेज टर्फ में सुबह किया गया। उद्घाटन समारोह के लिए छात्र मामलों के डीन प्रो दिलीप शाह ने एक संक्षिप्त भाषण दिया, जहां उन्होंने प्रतिभागियों को इस प्रतियोगिता में भाग लेने और इस खेल को खेलने की परंपरा को जारी रखने के लिए धन्यवाद दिया।विशेषज्ञों का मानना ​​है कि खो खो की उत्पत्ति भारत के महाराष्ट्र क्षेत्र में हुई थी और प्राचीन काल में इसे रथों पर बजाया जाता था और इसे राठेरा कहा जाता था, राथेरा एक रथ का हिंदी अनुवाद है।
बालिका वर्ग के लिए, कुल 4 टीमें थीं, और प्रत्येक टीम में एक स्थानापन्न सहित 9 खिलाड़ी शामिल थे। किसी अन्य लीग सिमुलेशन की तरह सभी टीमें एक-दूसरे के खिलाफ गईं। प्रतिभागियों के उत्साह को देख दर्शक पूरी तरह से झूम उठे। खो खो जैसे खेल में टीमवर्क जरूरी है क्योंकि तभी वे हार को मजबूती से गले लगा सकते हैं और चैंपियनशिप जीत सकते हैं। सेमीफाइनल नाइट्स और थॉमसिना के बीच था, जिसमें थॉमसिना विजयी हुई। फिर फाइनल थॉमसिना और वॉरियर्स के बीच हुआ। थॉमासिना हमलावर पक्ष में थी और वे केवल 8 अंक ही ले पाए जबकि वॉरियर्स ने हमला किया और केवल 3 मिनट में 9 लोगों को ले कर खेल समाप्त कर दिया। यह 20 मिनट का खेल था, प्रति आधा 10 मिनट।
चैंपियनशिप एक पूर्ण जीत थी और प्रो दिलीप शाह को छात्रों के बीच खेल भावना को प्रोत्साहित करने के उनके निरंतर प्रयासों के लिए धन्यवाद दिया गया।इस कार्यक्रम की जानकारी दी डॉ वसुंधरा मिश्र ने और रिपोर्ट सहयोगी रहे अक्षत कोठारी।

इंट्रा बास्केटबाल टूर्नामेंट 2023 सम्पन्न

भवानीपुर एजुकेशन सोसाइटी कॉलेज ने गत 23 फरवरी 2023 को  कॉलेज टर्फ में इंट्रा कॉलेज बास्केटबॉल टूर्नामेंट का आयोजन किया। इस लीग में 18 टीमों ने भाग लिया। 1891 में आविष्कृत बास्केटबॉल वर्तमान समय में सबसे अधिक खेले जाने वाले खेलों में से एक बन गया है। आज यह अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी खेला जा रहा है क्योंकि यह एनबीए जैसी विभिन्न लीगों का हिस्सा बन गया है।

लीग में सभी में 9 मैच थे और फाइनल और सेमीफाइनल तक गए। जो टीम अधिकांश रैंक जीतने में सफल रही, वह ‘स्ट्रेंजर बॉयज़’ थी और उसे टूर्नामेंट का विजेता घोषित किया गया। उन्होंने एथलेटिक प्रतियोगिता में सेमी-फाइनल में ‘एली ऑप्स’ टीम के खिलाफ मुकाबला किया। लीग के लड़कियों के वर्ग में, सेमीफाइनल ‘कॉन्करर्स’ और ‘नेट रिपर्स’ टीमों के बीच खेला गया, जिसमें से ‘कॉन्करर्स’ ने मैच जीता।

इन सभी मैचों को देखना एक रोमांचकारी अनुभव था, क्योंकि कुछ मैचों में गति में लगातार परिवर्तन हुआ, जिसने दर्शकों को बांधे रखा। प्रीमियर लीग का मुख्य आकर्षण प्रत्येक टीम के कप्तानों और उनके प्रतिभागियों द्वारा प्रदर्शित टीम भावना की उच्च भावना थी।

टूर्नामेंट का श्रेय छात्र मामलों के डीन प्रोफेसर दिलीप शाह को जाता है, जिनकी प्रेरणा से एथलेटिक्स में छात्रों को शामिल किया गया।डॉ वसुंधरा मिश्र ने बताया कि टूर्नामेंट को सफल बनाने में मदद करने वाले छात्र स्वयंसेवक थे – अमन दुबे, समर्थ श्रीवास्तव, आभास राजवंश, पवनजोत सिंह, हर्ष पटेल, उत्कर्ष आनंद, झलक शाह, मेघाली सेनगुप्ता, अभिषेक शाह और आयुष तिवारी।

 विद्यार्थियों ने किया रेड बुल डूडल कला का प्रदर्शन

भवानीपुर एजूकेशन सोसाइटी कॉलेज के विद्यार्थियों ने रेड बुल डूडल आर्ट का प्रदर्शन किया जो रेड बुल की एक नयी पहल थी। जहां विद्यार्थियों को कला और तकनीक से युक्त रचनात्मक डूडलर्स के लिए नए अवसर मिले। 20 फरवरी 2023 को भवानीपुर एजुकेशन सोसाइटी कॉलेज में 50 से अधिक छात्रों ने कल्पनाशील डूडल के माध्यम से अपने दिमाग का इस्तेमाल कर कल्पनाओं की उड़ान भर नए नए रचनात्मक कार्यों में भाग लिया। प्रतियोगिता के लिए उन्हें डूडल आर्ट पेपर दिए गए, जिस पर उन्होंने अपने विचारों द्वारा डूडल बनाया और अपना आवेदन ऑनलाइन जमा किया। कॉलेज के दो बेहद प्रतिभाशाली डूडल कलाकारों, दिशानु साहा और स्वागतो मुखर्जी ने व्हाइटबोर्ड पर लुभावने डूडल बनाए। इस आयोजन की विशेषता यह थी कि इस रेड बुल डूडल आर्ट एक्टिवेशन में भाग लेने वाले 60 देशों में से प्रत्येक के एक विजेता को मई के महीने में एम्स्टर्डम में विश्व के अंतिम दिन ब्लॉकचेन पर अपना डूडल लाने के लिए आमंत्रित किया जाएगा। डॉ वसुंधरा मिश्र ने बताया कि यह कार्यक्रम नेहल मेहता द्वारा आयोजित किया गया।

 

” ‘साहित्यिकी’ द्वारा होली प्रीति मिलन समारोह “

कोलकाता । ‘साहित्यिकी’ की ओर से होली प्रीति मिलन संगोष्ठी ‘ जनसंसार ‘ के सभाकक्ष में आयोजित की गई । कार्यक्रम का आरंभ मंजु रानी गुप्ता के स्वागत संभाषण से हुआ। उन्होंने कहा कि होली की धूम समाप्त हो गई है किन्तु फागुनी बयार अभी भी हृदय के तारों को झंकृत कर रही है।
कार्यक्रम का संचालन संस्था की वरिष्ठ सदस्या दुर्गा व्यास ने कवि पद्माकर की चंद पंक्तियों से किया। उन्होंने अपने वक्तव्य में स्पष्ट किया कि हमारी लोक-संस्कृति त्योहारों से ही जीवित है। त्योहार सौहार्द्र ,प्रेम और एकता को बढ़ावा देते हैं । रेखा ड्रोलिया ने रचना पाठ करते हुए राधा-कृष्ण की प्रेमाभिव्यक्ति को शब्द दिया। वसुंधरा मिश्रा ने ‘होली आई’ गीत में कान्हा-राधा के प्रेम को मधुर कंठ से गीतबद्ध किया। श्रद्धा टिबड़ेवाल ने काव्य पाठ किया और सविता पोद्दार ने ‘ बसंत ओ बसंत घर मेरे आना ‘ काव्य पाठ कर बसंत की प्रतीक्षा की। गीता दूबे ने अपने वक्तव्य में कहा कि होली मन की अर्गलाओं को खोलने का त्योहार है।, सामूहिकता का उत्सव है। उन्होंने अवधी लोकगीत का मधुर गायन किया। सरिता बैंगानी ने राधा-कृष्ण की प्यार- मनुहार भरी होली पर गीत प्रस्तुत किया । मंजु गुटगुटिया ने राजस्थानी लोकगीत गाया तथा विद्या भंडारी ने लज्जाशील स्त्री की प्रेमाभिव्यक्ति, लोकगीत के माध्यम से की । मंजु रानी गुप्ता ने स्वरचित रचना ‘फागुनी बयार’ द्वारा प्रकृति सौंन्दर्य को जीवंत कर दिया। मीतू कनोड़िया ने अपने काव्य पाठ में प्रेम रंग को सबसे मधुर बताया।
जहाँ रजनी शर्मा ने राधा-रुक्मिणी के साथ कृष्ण की प्रेमरस पगी होली का चित्रण किया, वहीं संगीता चौधरी ने स्वप्न में श्याम संग होली खेलने का दृश्य, मधुर गीत में प्रस्तुत किया । चंदा सिंह ने हनुमान संग श्री राम की होली खेलने का सचित्र काव्य पाठ प्रस्तुत किया।
रेणु गौरीसरिया ने केदारनाथ अग्रवाल की सुप्रसिद्ध रचना ‘बसंती हवा’ का तथा सुषमा हंस ने कविता तिवारी की रचना ‘आज़ादी का क्या मतलब है ‘ काव्य- पाठ किया ।
विद्या भंडारी ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए अपने वक्तव्य में कहा कि पर्व हमारी सांस्कृतिक विरासत हैं और ये प्रेम व एकता का प्रसार करते हैं । हास-परिहास, लोकगीतों व काव्यपाठ जैसे विविध रंगों से कार्यक्रम सफल व सार्थक रहा। कार्यक्रम के आरंभ में पद्मश्री से सम्मानित डॉ कृष्ण बिहारी मिश्र जी के निधन पर एक मिनट का मौन रखा गया।

‘पुस्तक संवाद’ श्रृंखला में छायावाद पर चर्चा

कोलकाता। भारतीय भाषा परिषद की ओर से ‘पुस्तक संवाद’ श्रृंखला का आयोजन परिषद के पुस्तकालय में किया गया। इस अवसर पर पुस्तकालय के पाठकों, विभिन्न विश्वविद्यालयों तथा कॉलेजों के विद्यार्थियों और युवाओं के साथ ‘प्रसाद का आंसू और छायावाद’ विषय पर मूर्धन्य आलोचक प्रो. शम्भुनाथ का संवाद हुआ। प्रो. शम्भुनाथ ने कहा कि छायावाद में अनुभूति की प्रधानता है। अनुभूति की प्रधानता का अर्थ है व्यक्ति की प्रधानता । छायावाद के पहले इंडिविजुअलिटी नहीं मिली थी मैथिलीशरण गुप्त ” मैं ” नहीं लिखी जाती थी । छायावाद से मैं इंडिविजुअलिटी आई। इसमें वैयक्तिकता के साथ राष्ट्रीय जागरण और विश्व बोध की प्रधानता है। विमला पोद्दार ने कहा कि हम चाहते हैं लोग पुस्तकालय में आए। इस संस्था से जुड़ने का लाभ मिले। इससे साहित्य का सम्मान बढ़ता है। इस अवसर पर मुस्कान गिरि ने सरस्वती वंदना की प्रस्तुति दी। संचालन आदित्य गिरि ने किया । धन्यवाद ज्ञापन  डॉ संजय जायसवाल ने कहा कि ‘आँसू’ में कवि ने अपनी वेदना को करुणा से जोड़ते हुए सार्वभौम सत्य और संवेदना का विषय बनाया है। प्रसाद मन की उदात्तता और व्यापकत्व में जगत का आनंद देखते हैं। कार्यक्रम में डॉ अवधेश प्रसाद सिंह, डॉ शुभ्रा उपाध्याय, सुरेश शॉ,डॉ पायल,प्रो.नवनीता दास सहित भारी संख्या में विद्यार्थी और युवा उपस्थित थे। इस अवसर पर परिषद की ओर से डॉ कुसुम खेमानी ने ओडिया साहित्यकार मिहिर साहू को सम्मानित किया।

‘रूस यूक्रेन युद्व 2022’ का लोकार्पण एवं मिलनोत्सव सम्पन्न

कोलकाता। सांस्कृतिक पुनर्निर्माण मिशन की ओर से पुस्तक लोकार्पण एवं मिलनोत्सव कार्यक्रम का आयोजन किया गया।इस अवसर पर अवधेश प्रसाद सिंह की पुस्तक ‘रूस यूक्रेन युद्व 2022’ का लोकार्पण किया गया।इस अवसर पर फिल्म समीक्षक मृत्युंजय जी ने कहा कि कोई लेखक युद्ध के विषय मे लिखता है चाहे कविता हो कहानी , वह शांति की मांग करता है। प्रो. मंजुरानी सिंह ने कहा कि युद्ध समाप्त नहीं हुआ , लेकिन हम युद्ध नहीं शांति चाहते हैं, साहित्य के माध्यम से। जो युद्घ कर रहा है वो नहीं जानता कितना अमानवीय कार्य कर रहा है। जीवन और भविष्य दाव पर लग जाता है। युद्ध में शहादत स्त्रियों और बच्चों की होती है। इस पुस्तक के लेखक अवधेश सिंह ने कहा कि इसलिए भी यह पठनीय है कि युद्ध के माध्यम से रूस और यूक्रेन को समझाया है।

प्रो.शम्भुनाथ ने कहा कि जब समाज में हार्मोनी टूट जाती है तब युद्ध होता है। आलोचक प्रियंकर पालीवाल ने कहा कि युद्ध शुरू करना आसान है समाप्त करना मुश्किल है।युद्ध शुरू करने वाला भी नहीं जानता यह कब और कैसे समाप्त होगा। इस अवसर पर डॉ अजय राय ने कबीर, निराला, प्रसाद आदि की कविताओं पर संगीतबद्ध प्रस्तुति की। इसके अलावा पंकज सिंह, राज घोष, प्रिया श्रीवास्तव और आदित्य तिवारी ने कविता पाठ और डॉ रमाशंकर सिंह, डॉ शिप्रा मिश्रा,डॉ राजेश मिश्र, कालीचरण तिवारी, सेराज खान बातिश, मधु सिंह, सूर्यदेव रॉय और राजेश सिंह ने लोक गीत प्रस्तुत किया और रेशमी सेन शर्मा, काजल और सपना खरवार ने नृत्य प्रस्तुत किया तथा वाद्ययंत्र पर दिव्यंदु भट्टाचार्य और अभिषेक यादव ने साथ दिया। फोटोग्राफी प्रतियोगिता में शिखर सम्मान – नेहा ठाकुर, कलकत्ता विश्वविद्यालय, प्रथम स्थान- दीपक चौधरी, हावड़ा विश्वविद्यालय, द्वितीय स्थान- संयुक्त रूप से ऋतिक रोशन, दिल्ली विश्वविद्यालय और रेशमी रॉय, बेथून कॉलेज, तृतीय पुरस्कार- चंदन रे, प्रथम विशेष- अकांक्षा साव, द्वितीय विशेष- अंजलि शर्मा को मिला। धन्यवाद ज्ञापन रामनिवास द्विवेदी ने दिया।

खुदीराम बोस सेंट्रल कॉलेज में विशाखा गाइड लाइन महिला जागरूकता सेमिनार

कोलकाता। कोलकाता के खुदीराम बोस सेंट्रल कॉलेज के आईक्यूएसी और आईसीसी की ओर से ‘महिला संघर्षों की परिणति और विशाखा गाइड लाइन’ विषय पर एक सेमिनार का आयोजन किया गया। इस मौके पर कॉलेज के प्राचार्य डॉ सुबीर कुमार दत्ता ने कहा कि महिलाओं को खुद के प्रति जागरूक होना चाहिए ताकि हमारे साथ क्या गलत हो रहा है हमें इसकी जानकारी होनी चाहिए। हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ शुभ्रा उपाध्याय ने कहा कि महिलाओं के साथ घर से ही भेदभाव शुरू हो जाता है। हर परिवार को महिलाओं के प्रति संवेदनशील होना चाहिए और किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं करना चाहिए। मुख्य वक्ता के तौर पर उपस्थित महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय की प्रो. चित्रा माली ने अपने वक्तव्य में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महिलाओं के संघर्षों का उल्लेख करते हुए विशाखा गाइड लाइन के प्रमुख बिंदुओं को विस्तार से व्याख्यायित किया। उन्होंने वर्तमान की तमाम घटनाओं का हवाला देते हुए महिलाओं के प्रति पारिवारिक,सामाजिक और सांस्कृतिक स्तर पर संवेदनशील होने पर जोर दिया। हिंदी विभाग की छात्रा कनिष्का घोष ने स्रियां कविता की आवृत्ति की और जनातुल फिरदौस ने एक सुंदर गीत प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का सफल संचालन करते हुए प्रो. चंद्रानी दत्ता ने कहा कि हम सारी महिलाओं को एकजुट होकर अपने खिलाफ हो रहे किसी भी प्रकार के अत्याचार के लिए आवाज उठाना चाहिए। धन्यवाद ज्ञापन देते हुए प्रो. अनामिका नंदी ने कहा कि सभी लड़कियों और महिलाओं को अपने खिलाफ हो रहे शारीरिक शोषण या किसी भी प्रकार के शोषण के प्रति आवाज उठानी चाहिए वो भी बिना किसी डर के। कार्यक्रम का संयोजन मधु सिंह और राहुल गौड़ ने किया।