Wednesday, August 20, 2025
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16 यूट्यूब चैनलों पर रोक के बाद पाकिस्तानी रक्षा मंत्री का ‘एक्स’ अकाउंट प्रतिबंधित

नयी दिल्ली । पहलगाम हमले के कुछ दिनों बाद, जिसमें 26 लोग मारे गए थे, पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ का एक्स अकाउंट भारत में बंद कर दिया गया है। यह पाक पर भारत की डिजिटल स्ट्राइक के रूप में आया है, जिसमें सोमवार को पड़ोसी देश के 16 यूट्यूब चैनल भी बैन किए गए थे। बता दें कि भारत ने जम्मू-कश्मीर में दुखद पहलगाम आतंकी घटना की पृष्ठभूमि में भारत, उसकी सेना और सुरक्षा एजेंसियों के खिलाफ भड़काऊ और सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील सामग्री और गलत सूचना फैलाने के लिए 16 पाकिस्तानी यूट्यूब चैनलों पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी। सामूहिक रूप से, इन चैनलों के 63 मिलियन से अधिक सब्सक्राइबर हैं। पिछले सप्ताह पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ने एक वायरल वीडियो क्लिप में यह कहते हुए बड़ी बात स्वीकार की थी कि पाकिस्तान आतंकवादी समूहों को वित्त पोषण और समर्थन दे रहा है।
एक वीडियो क्लिप जो अब वायरल हो गई है, में पाकिस्तान के रक्षा मंत्री स्काई न्यूज की यल्दा हकीम के साथ बातचीत कर रहे थे, जब उन्होंने उनसे पूछा, “लेकिन आप मानते हैं, आप मानते हैं, महोदय, कि पाकिस्तान का इन आतंकवादी संगठनों को समर्थन, प्रशिक्षण और वित्तपोषण देने का एक लंबा इतिहास रहा है?”ख्वाजा आसिफ ने अपने जवाब में कहा, “हम करीब तीन दशक से अमेरिका और ब्रिटेन समेत पश्चिमी देशों के लिए यह गंदा काम कर रहे हैं… यह एक गलती थी और हमें इसकी कीमत चुकानी पड़ी और इसीलिए आप मुझसे यह कह रहे हैं। अगर हम सोवियत संघ के खिलाफ युद्ध और बाद में 9/11 के बाद के युद्ध में शामिल नहीं होते, तो पाकिस्तान का ट्रैक रिकॉर्ड बेदाग होता।” आसिफ का बयान इस तथ्य को उजागर करता है कि पाकिस्तान कई वर्षों से इन आतंकवादी समूहों को पनाह दे रहा है। पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद, जिसमें 26 लोग मारे गए थे, केंद्र सरकार ने कई कूटनीतिक उपायों की घोषणा की थी, जैसे अटारी में एकीकृत चेक पोस्ट (आईसीपी) को बंद करना, पाकिस्तानी नागरिकों के लिए सार्क वीजा छूट योजना (एसवीईएस) को निलंबित करना, उन्हें अपने देश लौटने के लिए 40 घंटे का समय देना, और दोनों पक्षों के उच्चायोगों में अधिकारियों की संख्या कम करना। भारत ने पहलगाम हमले के बाद 1960 में हस्ताक्षरित सिंधु जल संधि को भी रोक दिया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी देश को भरोसा दिलाया कि इस हमले के लिए जिम्मेदार आतंकवादियों के साथ-साथ इसकी साजिश रचने वालों को उनकी कल्पना से परे सजा मिलेगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि आतंकवाद के बचे हुए गढ़ों को खत्म करने का समय आ गया है और 140 करोड़ भारतीयों की इच्छाशक्ति अब आतंक के दोषियों की कमर तोड़ देगी।

भारत खरीदेगा 26 राफेल समुद्री विमान

नयी दिल्ली । पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद से पाकिस्तान के साथ लगातार बढ़ते तनाव के बीच आज भारत और फ्रांस ने 26 राफेल समुद्री लड़ाकू विमानों की खरीद के लिए 63000 करोड़ रुपये के रक्षा सौदे पर हस्ताक्षर किए। भारतीय नौसेना ने बताया कि इस सौदे पर राष्ट्रीय राजधानी के साउथ ब्लॉक स्थित रक्षा मंत्रालय मुख्यालय में हस्ताक्षर किये गये। सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने इस महीने की शुरूआत में इस सौदे को मंजूरी दे दी थी।भारत में फ्रांस के राजदूत ने अपने देश का प्रतिनिधित्व किया, जबकि रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह सहित अन्य अधिकारियों ने भारतीय पक्ष का प्रतिनिधित्व किया। दोनों देशों के रक्षा मंत्री भी दूर से ही हस्ताक्षर समारोह में शामिल हुए। इससे पहले, फ्रांसीसी रक्षा मंत्री को व्यक्तिगत रूप से इस हस्ताक्षर समारोह में भाग लेने के लिए आना था, लेकिन व्यक्तिगत कारणों से उन्हें अपना दौरा रद्द करना पड़ा। देश के विमानवाहकों को तैनाती के लिए तत्काल नए लड़ाकू विमानों की आवश्यकता है, क्योंकि रखरखाव संबंधी समस्याओं के कारण मिग-29 के लड़ाकू विमानों का मौजूदा बेड़ा कथित तौर पर खराब प्रदर्शन कर रहा है। राफेल लड़ाकू विमान को आईएनएस विक्रांत पर तैनात किए जाने की उम्मीद है, जो वर्तमान में सेवा में है। सरकार-से-सरकार अनुबंध में 22 एकल-सीटर और चार ट्विन-सीटर राफेल एम जेट शामिल हैं, जिन्हें भारतीय आवश्यकताओं और वाहक एकीकरण के लिए अनुकूलित किया गया है। इन विमानवाहक लड़ाकू विमानों को तब तक के लिए एक अस्थायी समाधान के रूप में खरीदा जा रहा है, जब तक कि भारत के अपने विमानवाहक लड़ाकू जेट का विकास पूरा नहीं हो जाता। अनुबंध में रखरखाव, रसद, प्रशिक्षण और स्वदेशी घटक विनिर्माण के लिए एक व्यापक पैकेज भी शामिल है। राफेल एम जेट आईएनएस विक्रांत से संचालित होंगे और मौजूदा मिग-29के बेड़े को समर्थन देंगे। भारतीय वायु सेना पहले से ही 2016 में हस्ताक्षरित एक अलग सौदे के तहत हासिल किए गए 36 राफेल विमानों का बेड़ा संचालित कर रही है। ये विमान अंबाला और हासीमारा में तैनात हैं। नए सौदे से भारत में राफेल विमानों की कुल संख्या 62 हो जाएगी, जिससे देश के 4.5 पीढ़ी के लड़ाकू विमानों के बेड़े में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।

पहलगाम… याद रहेगा वह कश्मीरी लाल जिसने नहीं की गोलियों की परवाह

श्रीनगर । 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में एक दिल दहला देने वाली घटना घटी। आतंकवादियों ने टूरिस्टों के एक ग्रुप पर हमला कर दिया, जिसमें 26 सैलानियों की मौत हो गई और 12 से ज्यादा लोग घायल हो गए। हमले की वजह से घाटी की शांति में डर समा गया। लेकिन इस हमले के बीच एक ऐसा किस्सा सामने आया जिसने सभी के दिलों को छू लिया। धर्म पूछकर की गई फायरिंग हमले के चश्मदीदों ने बताया कि आतंकवादी सैलानियों से उनका धर्म पूछकर उन्हें गोली मार रहे थे। यह सुनकर हर किसी का दिल दहल गया। लेकिन इसी बीच एक स्थानीय युवक ने ऐसी बहादुरी दिखाई जो इंसानियत की मिसाल बन गई।
सैयद हुसैन शाह जम्मू-कश्मीर के पहलगाम के पास अशमुकाम गांव के रहने वाले थे। वे पेशे से एक टूरिस्ट गाइड थे और अपने घोड़े पर सैलानियों को पहलगाम की खूबसूरत वादियों की सैर कराते थे। वे अपने परिवार के सबसे बड़े सदस्य थे और इसी काम से घर की रोजी-रोटी चलाते थे। चश्मदीदों के अनुसार, हमले के वक्त सैयद हुसैन शाह वहीं मौजूद थे। उन्होंने आतंकवादियों को सैलानियों को मारने से रोका और कहा कि ये मासूम लोग हैं, इनका कोई दोष नहीं है। सैयद ने आतंकियों से कहा कि टूरिस्ट कश्मीर के मेहमान हैं, उनका धर्म देखकर उन पर हमला करना गलत है। इस पर आतंकियों ने उन्हें धक्का दे दिया जिससे वे जमीन पर गिर गए। जब आतंकवादी धर्म पूछकर फायरिंग करने लगे तो सैयद हुसैन शाह खुद को रोक नहीं पाए। उन्होंने एक आतंकी से भिड़ते हुए उसकी एके-47 छीनने की कोशिश की। इसी दौरान गोली चल गई और सैयद घायल हो गए। लेकिन घायल होने के बावजूद उन्होंने रायफल नहीं छोड़ी, जिससे कई हिंदू सैलानियों की जान बच गई। घायल सैयद को अस्पताल ले जाया गया, लेकिन रास्ते में ही उन्होंने दम तोड़ दिया। उनके दोस्त बिलाल ने बताया कि सैयद की बहादुरी की वजह से कई लोग आज जिंदा हैं। देर रात उनका जनाजा पढ़ा गया और उन्हें सुपुर्द-ए-खाक किया गया।
मृतक सैयद हुसैन शाह की मां का रो-रोकर बुरा हाल है। उन्होंने नम आंखों और कांपती आवाज़ में कहा, “वह हमारा इकलौता सहारा था। घोड़ों की सवारी कर वह पूरे परिवार के लिए रोजी-रोटी कमाता था। अब हमारे पास कोई नहीं बचा जो हमारा ध्यान रख सके। हमें समझ नहीं आ रहा कि उसके बिना जिंदगी कैसे चलेगी।” शाह के चाचा शहीद बग सिंह ने भी दुख जताते हुए कहा, “आदिल हमारे परिवार का सबसे बड़ा बेटा था। उसकी पत्नी और बच्चे हैं। वह पूरे घर की रीढ़ था। अब सब कुछ उजड़ गया है। वे बहुत गरीब हैं और इस हादसे ने उन्हें पूरी तरह अकेला कर दिया है। हम सरकार से गुजारिश करते हैं कि आदिल के परिवार को मदद और सुरक्षा दी जाए, क्योंकि अब उन्हें सबसे ज़्यादा ज़रूरत है।”

पहलगाम आतंकी हमला….शोक नहीं प्रहार का समय है

शुभजिता फीचर डेस्क
धर्म बताओ, कलमा पढ़ो…क्या मजहब है तुम्हारा । काफिर हो ? और गोलियां चला दी गयीं..सुनकर क्या ऐसा नहीं लग रहा कि जैसे एक बार हम फिर मुगलों के जमाने में चले गये हों। धर्म की रक्षा के लिए न जाने कितनों ने प्राणों की आहुति दी…मगर तब तो हम गुलाम थे। हिन्दुओं को हिन्दू होने की कीमत अब तक चुकानी पड़ रही है, उसी आजाद देश में जो उनका है। न जाने कब से गंगा -जमुनी तहजीब के आवरण में नफरत की आग को ढककर रखा गया है । हमें कहा जा रहा है कि आंखों के सामने जो सच खड़ा है, वह न देखें और एक झूठ पर विश्वास करते रहें । 22 अप्रैल का वह काला दिन…जब बच्चों के सामने पिता को गोली मारी गयी, जब पत्नी के सामने पति को गोली मार दी गयी………..और वह भी मजहब पूछकर । निश्चित रूप से यह पाकिस्तान के सेना प्रमुख की कारस्तानी है मगर सवाल यह है कि आतंकियों का शरणदाता कौन है? वह कौन है जो इनके लिए भोजन से लेकर सूचनाएं मुहैया करवाता है? क्या भारतीय पैसे इसलिए कमाएं कि उनका पेट भरें जो उनकी मौत का सामान इकट्ठा कर रहे हैं। सरकार ने सुरक्षा घटाने और यह मान लेने की गलती कैसे की कि घाटी में सब ठीक हो गया है? कश्मीर को संगीनों के साये में जीने की आदत हो गयी है……..और इन सबको पूर्ण राज्य का दर्जा चाहिए। सीधी सी बात है कि जब तक राज्य शह नहीं देता, किसी अपराधी की इतनी हिम्मत नहीं होगी कि वह राज्य की शांति को भंग करे..। यह ठंडे दिमाग से सोचकर की गयी सुनियोजित वारदात थी। वैसे ही जैसे बंगाल के मुर्शिदाबाद व भांगड़ में की गयी और हिन्दुओं को पलायन करना पड़ा और उस पर माननीया के मंत्री बयान देते फिर रहे हैं कि राज्य के बाहर तो पलायन नहीं हुआ। नियंत्रण अब बहुत जरूरी है, उन सभी पर जो वोट के खेल में आम जनता की जिन्दगी से खेल रहे हैं। जो तुष्टीकरण के पासे से राजनीति की शतरंज जीतना चाहते हैं और आम जनता की जिन्दगी को दांव पर लगा रहे हैं। कश्मीरी खुद को कश्मीरी कहते हैं, भारतीय नहीं कहते…वो बात करते हैं आपका इंडिया…हमारा भारत नहीं कहते…टूरिस्ट जान इसलिए हैं क्योंकि वही रोजी रोटी है उनकी…अगर ये इतने ही अच्छे होते तो रातों रात लाखों कश्मीरी पंडित कश्मीर छोड़ने को बाध्य नहीं होते….तथाकथित शांतिप्रिय कौम में लोग इतने ही अच्छे होते तो मुर्शिदाबाद के हिन्दुओं को मालदा नहीं भागना पड़ता…इसमें बस जगहों के नाम जोड़ते जाइए…नालंदा से लेकर तालिबान तक बस जोड़ते जाइए…बांग्लादेश..सीरिया…फ्रांस। गौर कीजिए एक भी मुस्लिम पलायन नहीं हुआ है। इनके पास दारा शिकोह है पर ये औरंगजेब के दीवाने हैं…इनके आदर्श ही कट्टरपंथी लोग हैं पहलगाम आतंकी हमले में से एक में कम से कम 26 लोग मारे गए और कई अन्य घायल हो गए। पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा की शाखा द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ने हमले की जिम्मेदारी ली है, लेकिन सुरक्षा एजेंसियां अभी भी दावे की पुष्टि करने की प्रक्रिया में हैं। यह हमला बैसरन घाटी से हुआ, जो एक लोकप्रिय स्थल है, जहां सैकड़ों पर्यटक रोज़ाना घोड़े पर सवार होकर आते हैं, खासकर इस मौसम में। जानकारी मिली है कि एक महिला पर्यटक ने दोपहर 2:45 बजे पुलिस नियंत्रण कक्ष को शुरुआती कॉल करके बताया कि बैसरन में गोलियों की आवाज़ सुनी गई है। केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) और सेना के जवानों के साथ एक पुलिस दल मौके पर पहुंचा। यह पूछे जाने पर कि क्या गोलीबारी करने वाले लोगों की पहचान कर ली गई है, जम्मू-कश्मीर पुलिस के एक सूत्र ने बताया, “यह अभी भी स्पष्ट नहीं है कि उनमें से कितने लोगों ने गोलीबारी की क्योंकि वह मौके से भागने में सफल रहे। सिंधु नदी जल समझौता स्थगित होने के बाद पाक बौखलाया हुआ है और बिलावल भुट्टो खून की नदियां बहाने की धमकी दे रहे हैं..जबकि इनके प्रधानमंत्री ने सुर नरम करते हुए जांच के लिए तैयार होने की बात कह दी है।
जम्मू कश्मीर पर्यटन को लगा बड़ा धक्का, 12 लाख एडवांस बुकिंग रद्द
घाटी में अपने चरम पर पहुंचे टूरिस्ट सीजन को बैसरन घटना ने एक दम से जमीन पर औंधे मुंह गिरा दिया है। घटना के चलते पर्यटकों द्वारा 12 लाख एडवांस बुकिंगों को रद्द कर दिया गया है। कश्मीर होटल एंड रेसटोरेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष बाबर चौधरी ने इसका खुलासा करते हुए कहा कि घाटी के होटलों व गेस्ट हाउसों में अगस्त महीने तक घाटी की सैर करने के इच्छुक 12 लाख पर्यटकों, जिनमें विदेशी पर्यटक भी शामिल हैं, ने अगस्त महीने तक एडवांस बुकिंग करा ली थी। इस घटना के फौरन बाद से पर्यटकों ने अपनी यह बुकिंग कैंसिल करवानी शुरू कर दी और आज शाम तक यह बुकिंग्स रद्द हो गईं। प्रशासन ने यहां फंसे टूरिस्टों के लिए स्पेशल ट्रेन व एक्स्ट्रा फ्लाइटों का बंदोबस्त कर दिया है तो ऐसे में हम दुआ ही कर सकते हैं कि हालात जल्दी से ठीक हो जाएं ताकि टूरिस्ट फिर से बेखौफ होकर यहां का रुख कर सकें।
पहलगाम आतंकी हमले के बाद आईएनएस विक्रांत ने अरब सागर में मिसाइल दागकर अपनी ताकत दिखाई।सूत्रों के अनुसार भारतीय नौसेना को किसी भी क्षण आक्रमण के संकेत दिए जा सकते हैं। भारतीय वायुसेना ने भी युद्ध अभ्यास किया। उधर नियंत्रण रेखा पर सीमा सुरक्षा बल के अलावा सशस्त्र सैनिक बलों की तैयारी भी की जा चुकी है। पूरी दुनिया भारत के साथ खड़ी है। जापान के प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से फोन पर बातचीत कर जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमले में हुई मौतों पर शोक व्यक्त किया। उन्होंने जान गंवाने वालों प्रति संवेदना जताते हुए कहा कि आतंकवाद को किसी भी परिस्थिति में न्यायोचित नहीं ठहराया जा सकता। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने एक्स पोस्ट में इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि दोनों नेताओं ने अपनी बातचीत में आतंकवाद को मानवता के लिए गंभीर खतरा बताया और इस बात पर जोर दिया कि लोकतंत्र में विश्वास रखने वाले सभी देशों को आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होकर संघर्ष करना चाहिए। पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत का सख्त रुख देखने को मिल रहा है। भारत ने 20 देशों के राजनयिकों को पहलगाम आतंकी हमले की जानकारी दी है। जिन दिशों के राजनयिकों को जानकारी दी गई है उनमें अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोपीय संघ, इटली, कतर, जापान, चीन, रूस, जर्मनी, फ्रांस के शीर्ष राजनयिक शामिल हैं। विदेश सचिव ने राजदूतों को इस बारे में जानकारी दी है।
बांदीपुरा में आतंकियों और सुरक्षाबलों के बीच जारी मुठभेड़ में लश्कर-ए-तैयबा के शीर्ष कमांडर अल्ताफ लाली को मार गिराया गया है। भारतीय सेना और जम्मू-कश्मीर पुलिस ने बांदीपुरा में एक संयुक्त तलाशी अभियान शुरू किया। इस दौरान आतंकवादियों से संपर्क स्थापित किया गया, जिसके बाद गोलीबारी हुई। शुरुआती गोलीबारी के दौरान एक आतंकवादी घायल हो गया, जिसकी बाद में मौत हो गई। इसी मुठभेड़ में दो पुलिसकर्मी भी घायल हो गए।
एक अन्य घटनाक्रम में पहलगाम हमले में शामिल माने जा रहे दो आतंकवादियों के घरों को शुक्रवार को सुरक्षाबलों और जम्मू-कश्मीर के अधिकारियों ने नष्ट कर दिया। बिजबिहाडा में लश्कर के आतंकवादी आदिल हुसैन थोकर के घर को आईईडी का इस्तेमाल करके उड़ा दिया गया, जबकि त्राल में आसिफ शेख के घर को बुलडोजर से ध्वस्त कर दिया गया। माना जाता है कि आदिल थोकर ने पाकिस्तानी आतंकवादियों को बैसरन घाटी में हमले की योजना बनाने और उसे अंजाम देने में अहम भूमिका निभाई थी, जिसमें 26 लोग मारे गए थे। अनंतनाग पुलिस ने थोकर और हमले को अंजाम देने वाले दो पाकिस्तानी नागरिकों अली भाई और हाशिम मूसा के बारे में जानकारी देने वाले को 20 लाख रुपये का इनाम देने की घोषणा की है।
पाक ने कबूली आतंक पालने की बात
जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत के कड़े रुख से पाकिस्तान भी डरा हुआ है। पड़ोसी देश में हलचल तेज है और इसी के बीच एक बड़ा दावा सामने आया है। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ने स्वीकार किया है कि उनका देश आतंकवादी समूहों को वित्त पोषण और समर्थन दे रहा है। ख्वाजा आसिफ ने अपने जवाब में कहा, “हम करीब तीन दशक से अमेरिका और ब्रिटेन समेत पश्चिमी देशों के लिए यह गंदा काम कर रहे हैं… यह एक गलती थी और हमें इसकी कीमत चुकानी पड़ी और इसीलिए आप मुझसे यह कह रहे हैं। अगर हम सोवियत संघ के खिलाफ युद्ध और बाद में 9/11 के बाद के युद्ध में शामिल नहीं होते, तो पाकिस्तान का ट्रैक रिकॉर्ड बेदाग होता।” पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ने स्काई न्यूज प्रस्तोता यल्दा हाकिम को दिए साक्षात्कार में भारत के साथ “संपूर्ण युद्ध” की भी चेतावनी दी है। आसिफ का बयान इस तथ्य को उजागर करता है कि पाकिस्तान कई वर्षों से इन आतंकवादी समूहों को पनाह दे रहा है। इससे पहले भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा था कि सुरक्षा मामलों पर कैबिनेट समिति की बैठक में आतंकवादी हमले के सीमा पार संबंधों को सामने लाया गया। इस बात पर गौर किया गया कि यह हमला केंद्र शासित प्रदेश में सफलतापूर्वक चुनाव कराने और आर्थिक वृद्धि एवं विकास की दिशा में इसकी निरंतर प्रगति के मद्देनजर हुआ है। पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद, जिसमें 26 लोग मारे गए थे, केंद्र सरकार ने कई कूटनीतिक उपायों की घोषणा की थी, जैसे अटारी में एकीकृत चेक पोस्ट (आईसीपी) को बंद करना, पाकिस्तानी नागरिकों के लिए सार्क वीजा छूट योजना (एसवीईएस) को निलंबित करना, उन्हें अपने देश लौटने के लिए 40 घंटे का समय देना, और दोनों पक्षों के उच्चायोगों में अधिकारियों की संख्या कम करना। भारत ने पहलगाम हमले के बाद 1960 में हस्ताक्षरित सिंधु जल संधि को भी रोक दिया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी देश को भरोसा दिलाया कि इस हमले के लिए जिम्मेदार आतंकवादियों के साथ-साथ इसकी साजिश रचने वालों को उनकी कल्पना से परे सजा मिलेगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि आतंकवाद के बचे हुए गढ़ों को खत्म करने का समय आ गया है और 140 करोड़ भारतीयों की इच्छाशक्ति अब आतंक के दोषियों की कमर तोड़ देगी।
पर्यटक की निशानदेही पर पकड़ा गया खच्चर वाला
जम्मू-कश्मीर के गांदरबल में सुरक्षाबलों ने सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो का संज्ञान लेते हुए तत्काल कार्रवाई की। वीडियो में एक महिला पर्यटक ने दावा किया था कि एक व्यक्ति ने उससे उसके धर्म के बारे में सवाल किया था। साथ ही 35 बंदूक भेजने और प्लान बी जैसे शब्दों का इस्तेमाल करते हुए उसे सुना था। जांच के बाद गांदरबल पुलिस ने संदिग्ध की पहचान की और उसे पकड़ लिया है। उसकी पहचान अयाज अहमद जंगल के रूप में हुई। वह गांदरबल के गोहिपोरा रायजान का रहने वाला है। वह सोनमर्ग के थजवास ग्लेशियर में खच्चर सेवा देता है। संदिग्ध को देखने वाली महिला ने बताया कि हम लोग 13 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर गए थे। हम लोगों ने जम्मू-कश्मीर का 10 दिन का ट्रिप बनाया था। इस ट्रिप में हम लोग पहले माता वैष्णो धाम गए। 15 तारीख को वैष्णो देवी से फ्री हुए और 16 अप्रैल को श्रीनगर पहुंचे। 17 और 18 तारीख को हम लोग श्रीनगर में घूमे और 19 तारीख को हम लोग सोनमर्ग और 20 तारीख को पहलगाम गए थे। पहलगाम में हम लोगों की खच्चर वालों से बात हुई तो वह हमें बायसरन घाटी ले गए जिसे मिनी स्विट्जरलैंड कहा जाता है।
पाकिस्तान बूंद-बूंद पानी के लिए तरसेगा
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के आवास पर शुक्रवार को सिंधु जल समझौता के निलंबन को लेकर बैठक हुई। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और जल शक्ति मंत्री सीआर पाटील के बीच करीब 45 मिनट लंबी बैठक में पाकिस्तान जाने वाले पानी को रोकने के तरीकों पर गंभीरतापूर्वक चर्चा की गई। सूत्रों के मुताबिक, बैठक में तीन प्रमुख विकल्पों, अल्पकालिक, मध्यकालिक और दीर्घकालिक, पर विचार किया गया। सरकार का स्पष्ट इरादा है कि पाकिस्तान को एक बूंद पानी भी न जाने दिया जाए।
बैठक के बाद यह निर्णय लिया गया कि पानी रोकने के हर संभावित तरीके पर तुरंत काम शुरू किया जाएगा। अधिकारियों को इस दिशा में तुरंत कदम उठाने के निर्देश दिए गए हैं। भारत ने कहा कि पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर में सीमा पार आतंकवाद को लगातार बढ़ावा दिया है, जिसके कारण सुरक्षा अनिश्चितताओं ने भारत को संधि के तहत अपने अधिकारों का पूर्ण उपयोग करने में बाधा डाली है। इसके अलावा, पाकिस्तान ने संधि के तहत वार्ता शुरू करने के भारत के अनुरोध का जवाब नहीं दिया, जो संधि का पूरी तरह से उल्लंघन है। देवश्री मुखर्जी ने पत्र में स्पष्ट किया था कि संधि को निलंबित करने का निर्णय भारत सरकार ने गहन विचार-विमर्श के बाद लिया है। भारत सरकार ने निर्णय लिया है कि सिंधु जल संधि 1960 को तत्काल प्रभाव से स्थगित रखा जाएगा। उल्लेखनीय है कि सिंधु जल संधि 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच विश्व बैंक की मध्यस्थता में हुई थी, जिसके तहत भारत ने तीन पूर्वी नदियों का जल उपयोग करने का अधिकार रखा था, जबकि तीन पश्चिमी नदियों का बहाव पाकिस्तान को दिया गया था। कार्रवाई जारी है…एक बात तय है कि अब शोक का नहीं, प्रहार का समय है।

भवानीपुर एडुकेशन सोसाइटी कॉलेज की टीम उमंग ने की नेपाल यात्रा

कोलकाता । भवानीपुर एडुकेशन सोसाइटी कॉलेज के 73 छात्र छात्राओं ने नेपाल यात्रा की। कॉलेज के बहुप्रतीक्षित टीम उमंग के विद्यार्थियों ने 07 अप्रैल 14 अप्रैल 2025 तक इस यात्रा में शिरकत की जिसे कॉलेज की ओर से आयोजित किया । हावड़ा से ट्रेन द्वारा से रक्सुल स्टेशन पर पहुंच कर सभी बसों में सवार हुए और भारत-नेपल सीमा पर बिरगंज चेकपोस्ट की ओर बढ़े। आवश्यक दस्तावेज सत्यापन, पास जारी करने और मुद्रा विनिमय के बाद नेपाल राज्य में प्रवेश किया और काठमांडू की ओर अपनी यात्रा शुरू की।
रास्ते में सभी विद्यार्थी सुंदर दृश्यों का आनंद लेते हुए नाश्ते और दोपहर के भोजन करने के बाद शाम तक काठमांडू पहुंचे और होटल में ठहर कर कुछ आराम के बाद, वहां के स्थानीय शिल्प, स्मृति चिन्ह, कैफे और सांस्कृतिक वाइब्स के लिए एक हलचल और प्रसिद्ध बाज़ार की ओर घूमने के लिए गए। अगले दिन काठमांडू के आसपास दर्शनीय स्थलों की यात्रा की शुरुआत की। शहर के महत्वपूर्ण प्रतिष्ठित स्थलों का दौरा किया, जिनमें पशुपतिनाथ मंदिर, दरबार स्क्वायर मार्केट, बुधानाथ स्तूप और सेरेन नीलकैंथ व्यू प्वाइंट और टेम्पल शामिल थे। प्रत्येक स्थान में नेपाल की समृद्ध विरासत, वास्तुकला और आध्यात्मिकता की अद्वितीय झलक मिलती है । तीसरे दिन, मनोकोमना मंदिर के लिए एक आध्यात्मिक और सुंदर साहसिक कार्य किया। इस यात्रा का मुख्य आकर्षण रोपवे की सवारी थी, जिसमें 9,095 फीट की लंबाई थी, जो कुरिंटार को मंदिर से जोड़ती थी। सवारी के दौरान, मनस्लू, हिमालकुली, और अन्नपूर्णा हिमालयन रेंज के मनोरम दृश्य थे जो मन को लुभाने वाले और रोमांचक रहा। वास्तव में यह जीवन का भर याद रखने वाला अनुभव था। मंदिर की यात्रा के बाद, पोखरा की यात्रा की जिसमें हिमालय पर्वत श्रृंखलाओं के राजसी दृश्य थे। पोखरा बाजार में सभी विद्यार्थियों ने वहां की स्थानीय संस्कृति की विभिन्न स्मृतियों को भी संजोया।
अगले दिन, विद्यार्थियों के समूह को दो में विभाजित किया गया जिसमें एक समूह ने साहसिक गतिविधयों में भाग लिया जबकि दूसरे ने यात्रा कार्यक्रम-आधारित दर्शनीय स्थलों की यात्रा की । एडवेंचर ग्रुप में बंजी जंपिंग (75 मीटर और 220 मीटर दोनों) और पैराग्लाइडिंग किया जो एक रोमांचकारी दिन था। इस बीच, दर्शनीय स्थलों की यात्रा के समूह ने महिंद्रा गुफा, देवी के झरने, सेटी नदी, बिंद्याबासिनी मंदिर और अंतर्राष्ट्रीय पर्वत संग्रहालय का दौरा किया। दिन का समापन फेवा झील पर एक नाव की सवारी के साथ हुआ। वहीं एक पक्ष वहां के कैफे और क्लबों में भी गई और आनंद लिया। जबकि दूसरे समूह के विद्यार्थियों ने नेपाल के पहाड़ों के शानदार दृश्यों का आनंद लिया।यात्रा के अंतिम चरण में चितवन की यात्रा की। रिसॉर्ट में जाँच करने और दोपहर का भोजन करने के बाद चितवान नेशनल पार्क में एक सफारी जीप में निकले। छोटे समूहों में विभाजित हो विद्यार्थियों ने विभिन्न वन्यजीव प्रजातियों का सामना करते हुए, जंगल की गहराई को महसूस किया । ऑफ-रोड अनुभव ने एडवेंचर में एक अतिरिक्त रोमांच जोड़ा, और सभी ने सवारी का अच्छी तरह से आनंद लिया।यह भ्रमण संस्कृति, आध्यात्मिकता, रोमांच और प्राकृतिक सुंदरता का एक समृद्ध मिश्रण था।डॉ वसुंधरा मिश्र ने बताया कि यह भ्रमण यात्रा शिक्षक और शिक्षिकाओं की निगरानी में आयोजित किया गया। प्रो सीए विवेक पटवारी, रोजलीन, अरित्रिका दूबे, आदित्य राज आदि के नेतृत्व में विद्यार्थियों को ले जाया गया जो बहुत ही सफल यात्रा रही। इस यात्रा का संयुक्त संयोजन भवानीपुर एडुकेशन सोसाइटी कॉलेज के रेक्टर और डीन प्रो दिलीप शाह और वाइस प्रिंसिपल प्रो मीनाक्षी चतुर्वेदी द्वारा किया गया।

टूट रहा है भारतीय उपमहाद्वीप, आ सकते हैं विनाशकारी भूकंप

-दो भागों में बंट रही है भारतीय प्लेट
-अमेरिकन जियोफिजिकल यूनियन में प्रकाशित लेख में खुलासा

नयी दिल्ली । दुनिया में आने वाली प्राकृतिक आपदाओं को लेकर वैज्ञानिकों की तरफ से अक्सर चेतावनी दी जाती है। अब उन्होंने भारत के भूगर्भीय भविष्य को लेकर की गई एक गंभीर अलर्ट जारी किया है। भूवैज्ञानिकों की तरफ से संकेत दिया गया है कि भारतीय प्लेट दो भागों में बंट रही है। यह इस इलाके के भूवैज्ञानिक स्थिति को हमेशा के लिए एक नया आकार दे सकती है। अमेरिकन जियोफिजिकल यूनियन में एक लेख प्रकाशित किया गया है, जिसमें इस अहम खोज के बारे में जानकारी दी गई है। इसमें बताया गया है कि इस भूभाग में प्लेट अलग हो रही है और पृथ्वी के मेंटल में समा रही है। इस अध्ययन रिपोर्ट में भारतीय उपमहाद्वीप में आने वाले भूकंप और खतरों के बारे में कई बेहद जरूरी जानकारियां दी गई हैं। इस अध्ययन के मुताबिक, जिस भारतीय प्लेट की करीब 60 मिलियन सालों से यूरेशियन प्लेट से टक्कर हो रही है, वो एक नई प्रक्रिया से गुजर रही है। इस प्रक्रिया को डेलैमिनेशन कहा जाता है। इस प्रक्रिया के दौरान प्लेट का घना निचला भाग पृथ्वी के मेंटल में समा रहा है। इससे प्लेट के अंदर एक लंबवत दरार बन रही है। वैज्ञानिकों ने तिब्बती झरनों में भूकंप की तरंगों और हीलियम समस्थानिकों का विश्लेषण किया, जिसके बाद इस घटना की जानकारी मिली। इससे प्लेट में एक ऊर्ध्वाधर दरार की जानकारी मिली है। इस बारे में वैज्ञानिकों को पहले पता नहीं चल पाया था।
डेलैमिनेशन एक तरह की भूगर्भीय प्रक्रिया है। इसमें टेक्टोनिक प्लेट का निचला हिस्सा अलग हो जाता है और मेंटल में समा जाता है। इस प्रक्रिया से प्लेट की स्थिरता प्रभावित हो सकती है। इसके साथ ही क्षेत्र में भूकंप की संभावना बढ़ सकती है। यूट्रेक्ट यूनिवर्सिटी के भूगर्भशास्त्री डौवे वैन हिंसबर्गेन ने बताया कि हम इस बारे में नहीं जानते थे कि महाद्वीप ऐसे व्यवहार कर सकते हैं। यह ठोस पृथ्वी विज्ञान के लिए बहुत ही मौलिक है। उनका कहना है कि यह खोज इसलिए अहम है, क्योंकि यह बताती है कि न सिर्फ प्लेट की सतह की अलग-अलग मोटाई और विशेषताएं हैं, बल्कि टेक्टोनिक शिफ्ट को ऑपरेट करने वाली अंदरूनी प्रक्रियाएं पहले से जानकारी की तुलना में कहीं अधिक जल्दी से बदल रही हैं, जिसे समझना बेहद मुश्किल है। स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के भूभौतिकीविद् साइमन क्लेम्परर ने बताया कि हिमालय टकराव क्षेत्र जैसे हाई कंप्रेशन वाले इलाकों में टेक्टोनिक प्लेटें अक्सर कई दरारें दिखाती हैं, जिससे पृथ्वी की पपड़ी में तनाव निर्माण प्रभावित हो सकता है। इससे भूकंप का खतरा बढ़ जाता है। हिमालय क्षेत्र पहले से ही भूकंपीय गतिविधियों के लिए जाना जाता है। डेलैमिनेशन की प्रक्रिया से इस इलाके में तनाव और बढ़ सकता है। इससे अधिक तीव्र और बार-बार भूकंप आ सकते हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि इस प्रक्रिया से तिब्बती पठार में गहराई से दरारें बन सकती हैं। हालांकि, यह खोज बेहद अहम है, लेकिन वैज्ञानिकों ने कहा कि अभी यह सिर्फ एक शुरुआती संकेत है। उनका कहना है कि अभी और शोध की आवश्यकता है, जिससे लंबे समय तक पड़ने वाले प्रभावों को हम समझ सकें।

तनिष्क ने पेश किया ‘कोनकोनकोथा कलेक्शन

कोलकाता ।  तनिष्क ने प्रस्तुत किया है ‘कोनकोनकोथा’ – त्योहारों और शादियों में पहने जाने वाले कंगनों का शानदार कलेक्शन। बांग्ला संस्कृति में गहराई से जड़ा हुआ यह कलेक्शन, पहचान, भावना और परंपरा के प्रतीक माने जाने वाले कंगनों का कालातीत महत्व उजागर करता है। मशहूर एक्ट्रेस मिमी चक्रबोर्ती ने कोलकाता के ताज बंगाल में इसका अनावरण किया। कोनकोनकोथा में निपुण कारीगरी के ज़रिए सीज़न के सार को साकार किया है। हर आभूषण इस क्षेत्र की गहरी परंपराओं को दर्शाता है, इसमें अल्पना मोटिफ्स हैं जो शुद्धता और पवित्रता के प्रतीक हैं, बंगाली प्रथाओं, शादियों और त्योहारों की पवित्रता को प्रतिबिंबित करते हैं। हर कंगन निपुण कारीगरी का नमूना है। सोने के कई तरह के कंगन इसमें हैं जैसे कि, कंकण – वैवाहिक आनंद और समृद्धि को दर्शाते हैं, लोहा – मज़बूती, टिकाऊपन और सुरक्षा का प्रतीक है, लचीलेपन का महत्त्व बताता है और बाला – शान प्रदान करता है, चूर – खूबसूरती, शान और जीवन के खुशियों से भरे सफर को दर्शाता है। जामदानी के नाजुक फ्लोरल और पेस्ले पैटर्न, तंत साड़ियों के अर्ध-चंद्रमा जैसे सिग्नेचर मोटिफ और बाटिक के क्षेत्रीय प्रिंट को हर कंगन में बहुत ही खूबसूरती से साकार किया गया है। हर डिज़ाइन में बंगाल की कला विरासत को आधुनिक महिलाओं के लिए बहुत ही सोच-समझकर कैप्चर किया गया है। टाइटन कंपनी लिमिटेड के रीजनल बिज़नेस हेड सोमप्रभ सिंह ने कहा, “कोनकोनकोथा में हर कंगन मात्र एक आभूषण नहीं, बल्कि संजोकर रखी हुई यादों, चिरस्थायी रिश्तों और बंगाली कला का प्रतिबिंब है। पोइला बोइशाख हो या शादी हो, नयी शुरूआत के लिए पूरा परिवार इकठ्ठा आएगा, तब यह खूबसूरत कंगन प्यार, समृद्धि और सांस्कृतिक सम्मान का प्रतीक बनेंगे। तनिष्क को गर्व है कि इस कलेक्शन के साथ हम परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं, साथ ही एक ऐसी विरासत बना रहे हैं जो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को सौंपी जाएगी।”

 

भवानीपुर कॉलेज के एनसीसी कैडेट आदित्य राज को किया गया सम्मानित

-पश्चिम बंगाल और सिक्किम निदेशालय के एनसीसी महानिदेशक ने किया सम्मान
कोलकाता । गत 17 अप्रैल 2025 को, लेफ्टिनेंट जनरल गुरबिरपाल सिंह, पीवीएसएम, एवीएसएम, वीएसएम , नेशनल कैडेट कॉर्प्स (एनसीसी) के महानिदेशक, कोलकाता में पश्चिम बंगाल और सिक्किम निदेशालय का दौरा किया। मेजर जनरल विवेक त्यागी के साथ, निदेशालय के अतिरिक्त महानिदेशक, डीजी को 2 राज्यों के तहत 6 समूहों और 54 एनसीसी इकाइयों द्वारा की गई गतिविधियों के व्यापक स्पेक्ट्रम पर जानकारी दी गई थी । इस अवसर पर लेफ्टिनेंट जनरल गुरबिरपाल सिंह ने निदेशालय में कैडेटों के साथ बातचीत की, प्रोत्साहित और मार्गदर्शन दिया। कैडेट्स ने अपनी प्रतिभा दिखाते हुए उत्कृष्ट सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी।डॉ वसुंधरा मिश्र ने बताया कि यह कार्यक्रम उन्नत एनसीसी प्रशिक्षण संस्थान में प्रस्तुत किया गया । डीजी एनसीसी ने दार्जिलिंग समूह को डीजी एनसीसी बैनर से सम्मानित किया और सर्वश्रेष्ठ इकाई पुरस्कार आर्मी विंग – *10 बंगाल बीएन एनसीसी (बर्डवान समूह) * एयर/नेवी – *2 बंगाल नेवल यूनिट एनसीसी (कोल ‘सी ‘ग्रुप) *व्यक्तिगत उत्कृष्टता को भी मान्यता दी गई। • *लेफ्टिनेंट आदित्य राज *, 31 बंगाल बीएन एनसीसी (एनो, भवानीपुर-कॉलेज-का-एनसीसी एजुकेशन सोसाइटी कॉलेज) को *डीजी एनसीसी पट्टिका *से सम्मानित किया गया।*CSUO प्रिंस गुप्ता *, (सेमेस्टर 4 भवानीपुर-कॉलेज-का-एनसीसी एजुकेशन सोसाइटी कॉलेज के छात्र) को *डीजी एनसीसी पदक से सम्मानित किया गया।
अपने संबोधन में, डीजी ने युवा नेताओं को आकार देने में निदेशालय के प्रयासों की सराहना की, कैडेटों से “नेशन फर्स्ट” के एनसीसी आदर्श वाक्य को बनाए रखने का आग्रह किया। उन्होंने राष्ट्र-निर्माण में एनसीसी के पूर्व छात्रों की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला और एनसीसी ने युवाओं के लिए अवसरों की पुष्टि की। एकता, अनुशासन और सेवा की भावना को मजबूत करते हुए, कैडेट्स, अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ अनौपचारिक बातचीत भी की।

लिटिल थेस्पियन ने मनाई संस्थापक निर्देशक एस.एम. अजहर आलम की जयंती

-किया अंतिम लिखित नाटक चाक का मंचन
कोलकाता । लिटिल थेस्पियन ने अपने संस्थापक, निर्देशक और गुरु एस.एम. अज़हर आलम का जन्मदिन गत 17 अप्रैल 2025 को ज्ञान मंच में, उनके द्वारा लिखित उनका अंतिम नाटक चाक का मंचन करके मनाया | इस नाटक को उमा झुनझुनवाला ने डिज़ाइन और निर्देशित किया है। नाटक चाक 1971 में पाकिस्तान और पूर्वी पाकिस्तान के विभाजन के दौरान भारतीय मुसलमानों के सामने आने वाली विभिन्न चुनौतियों और मुद्दों के बारे में है। नाटक एक प्रशंसनीय कृति है जो एक ऐसे मुस्लिम परिवार के संघर्षों को प्रदर्शित करती है जहां गफूर खान (पिता) अपनी विरासत में मिली पारिवारिक संपत्ति के लिए अंतहीन अदालती मुकदमों में उलझा हुआ है और अरशद (मध्यम बेटा) विभिन्न स्तरों पर क्रोध, दुख और चिंता के साथ भावनाओं का एक कैनवास दिखा रहा है। ज़ोहरा (मां), माजिद (सबसे बड़ा बेटा), और रज़िया (सबसे छोटी बेटी) के अपने-अपने आघात और कष्ट हैं। इस नाटक के लिए संगीत का डिज़ाइन संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार श्री मुरारी रायचौधरी द्वारा किया गया है और प्रकाश व्यवस्था जॉयदीप रॉय द्वारा की गयी । जिन अभिनेताओं ने पात्रों को मंच पर जीवंत बनाया उनका नाम इस प्रकार है: उमा झुनझुनवाला ज़ोहरा के रूप में, सागर सेनगुप्ता पिता ग़फूर ख़ान के रूप में, मो. आसिफ़ अंसारी अरशद के रूप में, मो. आफ़ताब आलम माजिद के रूप में, प्रियंका सिंह रज़िया के रूप में, इंतेखाब वारसी मुतावल्ली के रूप में, विशाल कुमार राउत बाबुल/ आदमी -1 के रूप में और एकर्षी चौधरी जोकर/ आदमी-2 के रूप में। यह उल्लेखनीय है कि अपने छोटे से जीवनकाल में, अज़हर आलम ने हिंदी और उर्दू रंगमंच दोनों के विकास के लिए विशाल कार्य किए थे और विशेष रूप से देश भर में उर्दू रंगमंच के मानकों को ऊंचा उठाया था, कोलकाता को इसके मुख्य केंद्रों में से एक बनाया था। एक नाटककार के रूप में उन्होंने 5 नाटक लिखे और 4 नाटकों को रूपांतरित/अनुवादित किया। वह हमेशा एक महान कहानीकार थे और लेखन में उनकी अच्छी पकड़ थी। उनकी नाटककार के रूप में सफलता का श्रेय उनके चतुर कथानक, विश्वसनीय चरित्र चित्रण, अभिनय और थीम विकसित करने की क्षमता को दिया जा सकता है।

जागो इंडिया जागो फिटनेस कैंपेन ने पूरे किए एक साल

कोलकाता । सौमेन वर्कआउट (नो मशीन ज़ोन फिटनेस और स्लिमिंग सेंटर, ने अपने राष्ट्रीय स्तर पर शुरू किए गए “जागो इंडिया जागो फिटनेस कैंपेन” के एक वर्ष पूरे होने का जश्न बड़े गर्व के साथ मनाया। यह अभियान 1 मार्च 2024 को शुरू किया गया था, जिसका उद्देश्य था लोगों को एक स्वस्थ और एक्टिव जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित करना और देश में बढ़ते मोटापे के खतरे को कम करना। “जागो इंडिया जागो फिटनेस कैंपेन” का मकसद है – मोटापे के खिलाफ लड़ाई और फिट इंडिया का निर्माण। यह अभियान हर उम्र के लोगों को जागरूक करने और फिटनेस को जीवन का हिस्सा बनाने की कोशिश करता है। पिछले एक साल में यह कैंपेन देश के 15 बड़े शहरों में पहुंचा – जैसे कोलकाता, दिल्ली, जयपुर, मुंबई, हैदराबाद, बेंगलुरु, भुवनेश्वर, जमशेदपुर, चेन्नई, गुवाहाटी, गोवा, अहमदाबाद, अमृतसर आदि। इस दौरान 5 साल के बच्चों से लेकर 90 साल के बुज़ुर्गों तक हज़ारों लोगों ने एक्सपर्ट्स के साथ वर्कआउट और मोटिवेशनल एक्टिविटीज़ में हिस्सा लिया। अभियान का सबसे प्रेरणादायक पहलू रहा अलग-अलग उम्र के लोगों की भागीदारी – खासकर एक 13 साल का मोटापे से जूझ रहा बच्चा, और 70 व 75 साल के दो बुज़ुर्ग, जिन्होंने बताया कि नियमित व्यायाम से कैसे वो इस उम्र में भी फिट हैं। इनकी कहानियां इस कैंपेन का मजबूत संदेश देती हैं – फिटनेस की कोई उम्र नहीं होती। यह अभियान “नो मशीन ज़ोन” कॉन्सेप्ट पर आधारित था, जिसमें पारंपरिक जिम की जगह खुले मैदान, पार्क, बीच और स्टेडियम में सुबह-शाम फिटनेस प्रोग्राम आयोजित किए गए, ताकि हर कोई अपनी सुविधा अनुसार जुड़ सके। सिर्फ फिटनेस ही नहीं, सौमेन वर्कआउट ने “वर्ल्ड नो टोबैको डे” और “वर्ल्ड ओबेसिटी डे” जैसे स्वास्थ्य जागरूकता अभियानों का भी आयोजन किया, जो पिछले कई वर्षों से लगातार हो रहे हैं। सौमेन वर्कआउट के प्रोप्राइटर सौमेन दास, ने कहा कि ‘जागो इंडिया जागो फिटनेस कैंपेन’ का एक साल पूरा होना हमारे लिए बहुत गर्व की बात है। पिछले 26 सालों से हम फिटनेस को लोगों की ज़िंदगी का हिस्सा बनाने में लगे हैं और यह अभियान हमारे मिशन को पूरे देश तक ले गया है। बच्चों से लेकर 90 साल के बुज़ुर्गों तक सभी का जोश देख कर लगता है कि अब फिटनेस एक आंदोलन बन चुका है। हम आगे और भी शहरों में इसे ले जाने की तैयारी कर रहे हैं।