कोलकाता । लिटिल थेस्पियन ने भारतीय भाषा परिषद के के सहयोग से उसके सभागार में थिएटर पत्रिका रंगरस पत्रिका का लोकार्पण किया। वरिष्ठ नाटककार श्री प्रताप सहगल विशेष रूप पत्रिका के लोकार्पण के लिए ही दिल्ली से कोलकाता आए थे। रंगरस पत्रिका की शुरुआत 2010 में अज़हर आलम ने की थी जो उर्दू भाषा की एकमात्र थिएटर पत्रिका थी | फिर 2022 में इसका एक और अंक मोहम्मद काज़िम के संपादन में आया | अब 2024 में इस पत्रिका के संपादन का दायित्व लिटिल थेस्पियन की संस्थापक, निर्देशक उमा झुनझुनवाला और अज़हर आलम की सुपुत्री गुंजन अज़हर ने उठाया है जो हिंदी और अंग्रेजी भाषा में प्रकाशित होगी। इस पत्रिका के लोकार्पण में उपस्थित थे दैनिक छपते-छपते पत्रिका के प्रधान संपादक विश्वभर नेवर, भारतीय भाषा परिषद के निदेशक प्रोफेसर शंभुनाथ, अध्यक्षीय वक्ता के तौर पर पश्चिम बंगाल शिक्षक प्रशिक्षण की कुलपति प्रोफ़ेसर सोमा बंदोपाध्याय, अतिथि वक्ता के रूप में नाट्य समीक्षक अंशुमान भौमिक, विशिष्ट वक्ता के तौर पर नाटककार ज़हीर अनवर, कस्बा अर्घ्य के नाट्य निर्देशक श्री मनीष मित्रा और पीपुल्स थिएटर ग्रुप के नाट्य निर्देशक निलॉय रॉय | प्रेम कपूर ने रंगरस पत्रिका की संपादक गुंजन अज़हर को साधुवाद देते हुए कहा कि पाठको को ही पत्रिका को आगे बढ़ाने में सहयोग करना होगा। जिससे उनमें मानसिक विकास और नाटकों को समझने की समझ पैदा होगी। विजय भारती (कुलपति, हिंदी विश्वविद्यालय) की अनुपस्थिति में पार्वती रघुनंदन ने उनके लिखे विचारों को लिखित रूप में पढ़ा। विजय भारती ने रंगरस पत्रिका को आलोचना का केंद्र बताया। प्रोफ़ेसर सोमा बंदोपाध्याय ने अध्यक्षीय भाषण में रंगमंच के महत्व पर दृष्टि डालते हुए ये कहा कि नई पीढ़ियों के लिए ये पत्रिका नाटकों की अच्छी आलोचना साबित हो सकती है।रंगरस पत्रिका के लोकार्पण के कार्यक्रम का धन्यवाद ज्ञापन लिटिल थेस्पियन की संस्थापक, निर्देशक उमा झुनझुनवाला ने किया और इस लोकार्पण का सफल संचालन संगीता व्यास ने किया।
डॉ॰ प्रबोध नारायण सिंह स्मृति व्याख्यान एवं सृजन सारथी सम्मान 2024
भारतीय ज्ञान परंपरा पर पुनश्चर्या पाठ्यक्रम
कोलकाता । कलकत्ता विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग द्वारा मालवीय मिशन टीचर ट्रेनिंग कॉलेज(कलकत्ता विश्वविद्यालय )के अंतर्गत एक ऑनलाइन पुनश्चर्या पाठ्यक्रम आयोजन किया गया । 3 दिसंबर से 16 दिसंबर तक आयोजित इस विस्तृत कार्यक्रम के संयुक्त समन्वयक प्रो राजश्री शुक्ला एवम् डॉ राम प्रवेश रजक ने अप्रतिम भूमिका निभाई। इस पाठ्यक्रम का मूल विषय था – ‘ भारतीय ज्ञान परंपरा और बहुभाषिकता’ । 14 दिवसीय इस पुनश्चर्या पाठ्यक्रम का आरंभ 03 दिसंबर से हुआ व इस पाठ्यक्रम संबद्ध कार्यक्रम का समापन 16 दिसंबर को प्रतिभागियों द्वारा विषय सापेक्ष ppt प्रदर्शनी व उत्कृष्ट प्रतिक्रियाओं के द्वारा हुआ । समस्त देश के विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों के 85 प्राध्यापक इस कार्यक्रम में प्रतिभागी के रूप में शामिल रहे । समस्त भारत के विशिष्ट विद्वान प्रोफेसर प्रतिदिन इस मूल विषय से संबंधित अनेक विषयों पर निरंतर श्रेष्ठ व्याख्यान देने के साथ ही प्रतिभागियों के साथ विचार विमर्श करते रहे । इस पाठ्यक्रम में अपना वक्तव्य देने वाले प्रोफेसर रहे – प्रो. सूर्य प्रसाद दीक्षित, प्रो.मनोज कुमार राय, प्रो. सूरज पालीवाल, प्रो.रजनीश शुक्ल, प्रो. राजमुनी, प्रो.राजश्री शुक्ल, प्रो.शिवशंकर मिश्र, प्रो. श्रद्धा सिंह, प्रो. अल्का पाण्डेय, प्रो. संदीप विश्वनाथराव रणभीरकर, प्रो. शंभूनाथ, प्रो. अमरनाथ शर्मा, प्रो. पूरन चंद टंडन, प्रो. अनिल कुमार राय, प्रो. सत्यकाम, प्रो. सुजाता त्रिपाठी, प्रो. कृष्ण कुमार सिंह, प्रो.चंद्रकला पाण्डेय, प्रो.सुचरिता बंदोपाध्याय, प्रो.अल्पना मिश्र, प्रो. दिनेश कुमार चौबे, प्रो. सुधीर शर्मा, प्रो. सुनील बाबूराव कुलकर्णी, प्रो. मनोज पाण्डेय, प्रो. जितेंद्र श्रीवास्तव, प्रो. बहादुर सिंह परमार, प्रो. शिवप्रसाद शुक्ल, प्रो. संदीप अवस्थी आदि । इन सुसमृद्ध विशेषज्ञों ने भारतीय ज्ञान परंपरा की अवधारणा को विभिन्न परिप्रेक्ष्यों से जोड़कर अपना वक्तव्य श्रोताओं के सम्मुख रखा । इन विषयों में भारतीय ज्ञान परंपरा और दर्शन ,नई शिक्षा नीति , भारतीय ज्ञान परंपरा के आलोक में कबीर की वाणी, भारतीय ज्ञान परंपरा और हिंदी नाट्य भाषा, भारतीय ज्ञान परंपरा में भारतीय काव्यशास्त्र की उपादेयता, भारतीय ज्ञान परंपरा एक विहंगावलोकन, भारतीय ज्ञान परंपरा के विविध आयाम और समकालीनता,भारतीय परंपरा में बहुभाषिकता इत्यादि अनेकों विषयों पर अनवरत व्याख्यान की श्रृंखला चलती रही। अंततः समन्वयक की भूमिका का निर्वहन कर रहे कलकत्ता विश्वविद्यालय, हिंदी विभाग के दोनों प्राध्यापकों ने पारंपरिक तौर पर सभी को धन्यवाद ज्ञापित किया। मालवीय मिशन टीचर ट्रेनिंग कॉलेज के निदेशक प्रो लक्ष्मी नारायण सत्पथी जी के कुशल निर्देशन में सम्पन्न हुए इस कार्यक्रम का समापन प्रो सत्पथी के द्वारा किया गया।
स्वच्छ, स्वस्थ, सुरक्षित व डिजिटल होगा महाकुम्भ 2025, आएंगे 45 करोड़ श्रद्धालु
इनिया एस्थेटिक्स एंड वेलनेस के 6 महीने पूरे
कोलकाता । इनिया एस्थेटिक्स एंड वेलनेस, अपने शरीर और स्वास्थ्य के प्रति जगह लोगों की त्वचा को रूपांतरित करने, बुढ़ापा रोकने और स्वास्थ्य उपचारों के लिए अग्रणी गंतव्य बन गया है।इनिया एस्थेटिक्स एंड वेलनेस ने अपने 6 महीने पूरे होने पर, प्रसिद्ध अभिनेत्री ऋचा शर्मा के साथ एक भव्य रंगारंग कार्यक्रम का आयोजन कर जश्न बनाया गया. सुप्रसिद्ध कॉस्मेटोलॉजिस्ट और विशेषज्ञ सौंदर्य चिकित्सक डॉ. श्रद्धा पाण्डे के मार्गदर्शन में अत्याधुनिक विज्ञान-आधारित सौंदर्य और कल्याण समाधान प्रदान करने के साथ अपनी सफलता के 6 महीने पूरे किए गए। इनिया की शानदार सफलता पर आयोजित यह कार्यक्रम नवीनता, विशेषज्ञता और ग्लैमर का एक आदर्श मिश्रण था। इसमें उपस्थित लोगों को व्यक्तिगत परामर्श, क्लिनिक के अत्याधुनिक उपचारों के लाइव प्रदर्शन और सौंदर्यशास्त्र और कल्याण के भविष्य के बारे में विशेष जानकारी को अनुभव करने का अवसर मिला। इस कार्यक्रम में इनिया की ओर से कई तरह की खास सेवाएँ पेश की गईं, जिनमें त्वचा का कायाकल्प, एंटी-एजिंग थेरेपी, बालों की बहाली और स्थायी मेकअप मुख्य रूप से शामिल हैं। अभिनेत्री रिचा शर्मा ने कहा, “सफलता के 6 महीने पूरे कर इस मिल का पत्थर की मेजबानी करना मेरे लिए परम आनंद और गर्व का विषय था। डॉ. श्रद्धा पांडे और उनकी अविश्वसनीय टीम ने अपने प्रशंसनीय अनुभव के आधार पर बेहतरीन सेवाएं देकर लोगों के दिलों में एक ऐसा अनूठा स्थान बनाया है, जहाँ सुंदरता, स्वास्थ्य और विज्ञान का संगम होता है। मुझे इनिया की इस अविस्मरणीय यात्रा का हिस्सा बनने पर बहुत गर्व है, मैं इसकी निरंतर सफलता को देखकर काफी उत्साहित हूँ। इस अवसर पर, प्रबंध भागीदार डॉ. श्रद्धा पांडे ने कहा, “पिछले छह महीनों में हमें जो समर्थन मिला है, वह हमारी कल्पना से परे है। पहले दिन से ही, हमारा लक्ष्य व्यक्तिगत, विज्ञान-समर्थित उपचार प्रदान करना रहा है जो हमारे ग्राहकों को सर्वश्रेष्ठ दिखने और महसूस करने में मदद करता है। यह कार्यक्रम आगे की रोमांचक यात्रा की शुरुआत का प्रतीक है, और हम उन सभी के आभारी हैं जो इसका हिस्सा रहे हैं। इनिया एस्थेटिक्स एंड वेलनेस की सीईओ देबर्पिता भट्टाचार्य ने कहा, “यह 6 महीने की सालगिरह का जश्न सिर्फ़ एक मील का पत्थर नहीं है, बल्कि यह हमारे ग्राहकों के साथ हमारी कड़ी मेहनत, समर्पण और विश्वास का प्रतिबिंब है।
चार्नॉक हॉस्पिटल में न्यूटाउन में ईसीएमओ सेवा साथ दूसरी कैथ लैब सेवा शुरू
कोलकाता । चार्नॉक अस्पताल ने न्यू टाऊन में अपने मरीजों को बेहतर सुविधा प्रदान करने की दिशा में बड़ा कदम बढ़ाते हुए ईसीएमओ (एक्स्ट्राकोर्पोरियल मेम्ब्रेन ऑक्सीजनेशन) सेवा के साथ दूसरी कैथ लैब सेवा शुरू की है। न्यूटाउन और इसके आसपास के क्षेत्रों में रहनेवाले मरीजों के हृदय संबंधी देखभाल को लेकर एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। ईसीएमओ की प्रणाली गंभीर रूप से बीमार रोगियों के हृदय और फेफड़ों के कार्यों को अस्थायी रूप से बदल कर इसे बेहतर करती है, जो जीवन-घातक स्थितियों में सुधार की आशा प्रदान करती है। चार्नॉक अस्पताल इस तरह की उन्नत सेवा प्रदान करने वाला न्यूटाउन का पहला अस्पताल है, जो मरीजों के स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कमी को पूरा करता है।
इस अस्पताल में एचडी आईवीयूएस, एफएफआर/डीएफआर और रोटाप्रो जैसी उन्नत तकनीकों से सुसज्जित दूसरी कैथ लैब, एंजियोग्राम और एंजियोप्लास्टी जैसी जीवन रक्षक हृदय संबंधी प्रक्रियाएं करने की अस्पताल की क्षमता को बढ़ाती है। मौजूदा समय में मासिक रूप से 400 से अधिक मामले, सालाना 5000 से अधिक मामले और “शून्य” ऑन-टेबल मृत्यु दर के साथ, अस्पताल का कार्डियोलॉजी विभाग उत्कृष्टता के लिए मानक स्थापित करना जारी रखता है।
मीडिया से बात करते हुए चार्नॉक अस्पताल के एमडी प्रशांत शर्मा ने कहा, हमें चार्नॉक अस्पताल में ईसीएमओ (एक्स्ट्राकोर्पोरियल मेम्ब्रेन ऑक्सीजनेशन) शुरू करते हुए बेहद खुशी हो रही है। इस सेवा के शुरू होने से मरीजों को हमारी ओर से और बेहतर तरीके से केयर किया जा सकेगा। यह तकनीक, गंभीर हृदय और फेफड़ों की विफलता का सामना कर रहे रोगियों को महत्वपूर्ण सहायता प्रदान करती है, जिससे उन्हें ठीक होने की ओर ज्यादा संभावना रहती है। हमारा लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि, गंभीर रूप से बीमार रोगियों को सबसे महत्वपूर्ण क्षणों में उच्चतम मानक की देखभाल मिले। न्यूटाउन व आसपास रहनेवाले लोगों के लिए ईसीएमओ सेवा इसकी पहली उपलब्धता को दर्शाता है। अत्याधुनिक तकनीक से सुसज्जित इस अस्पताल में वरिष्ठ चिकित्सकों की उपस्थिति में इन सेवाओं के उद्घाटन ने स्वास्थ्य देखभाल मानकों को बढ़ाने और समुदाय को अत्याधुनिक, सहानुभूतिपूर्ण उपचार तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए चार्नॉक अस्पताल के समर्पण को प्रदर्शित किया।
एजुकेशन कॉन्क्लेव 2024 दो दिवसीय सम्मेलन संपन्न
– भवानीपुर एजूकेशन सोसाइटी कॉलेज और इंस्टिट्यूट ऑफ़ कंपनी सेक्रेट्रीस ऑफ़ इंडिया भारतीय संस्थान का संयुक्त आयोजन
कोलकाता । वैश्विक और भारतीय शिक्षाविदों, प्रिंसिपल, औद्योगिक संस्थान के प्रमुख, विभिन्न कॉर्पोरेट के प्रमुख, कोलकाता के प्रमुख कॉलेजों के छात्र छात्राओं ने दो दिवसीय एजुकेशन कॉन्क्लेव 2024 में भाग लिया। एजुकेशन कॉन्क्लेव में देश विदेश के कई शिक्षाविदों ने अपने महत्वपूर्ण विचारों को व्यक्त करते हुए नई शिक्षा नीति और समानांतर अपने-अपने शिक्षण संस्थानों, फैकल्टी और विद्यार्थियों को समृद्ध बनाने के लिए कई प्रकार के प्रशिक्षणों को लेकर बातचीत की एवं सुझावों को साझा किया। दो दिवसीय 29-30 नवंबर को होने वाले इस कॉन्क्लेव में राज्य के शिक्षा मंत्री डॉ सुकांत मजूमदार माननीय मंत्री राज्य शिक्षा मंत्री भारत सरकार ने अपने अॉन-लाइन वक्तव्य से सभी गणमान्य अतिथियों को शुभकामनाएँ दी और कहा कि बदलते वक्त में नई शिक्षा नीति का उद्देश्य शिक्षक शिक्षिकाओं और विद्यार्थियों दोनों को ही नई तकनीक में प्रशिक्षित करना है और भविष्य में समय के साथ विकसित भारत के सपने पूरे हों, स्कील और रोजगार के साधन बने। साथ ही नेतृत्व, नजरिया और सोच में बदलाव आए। भवानीपुर कॉलेज और आईसीएसआई द्वारा आयोजित एजुकेशन कॉन्क्लेव की सफलता के लिए माननीय डॉ सुकांत मजूमदार ने शुभकामनाएँ दी। यह कार्यक्रम न्यूटाउन स्थित सीसीजीआरटी कोलकाता कैम्पस में किया गया। उद्घाटन सत्र समारोह में विशिष्ट अतिथियों में भवानीपुर एजूकेशन सोसाइटी कॉलेज के डायरेक्टर जनरल डॉ सुमन मुखर्जी , रेक्टर और डीन प्रो दिलीप शाह, सीएस सेंट्रल कौंसिल मेंबर, आईसीएसआई रूपांजना दे, सीएस चेयर मैन ऑफ आईसी एस आई , ईआईआरसी मोहित शॉ, भवानीपुर एजूकेशन सोसाइटी कॉलेज प्रातःकालीन कॉमर्स सेक्शन की कोआर्डिनेटर और कार्यक्रम की संयोजक प्रो मीनाक्षी चतुर्वेदी, कलकत्ता विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग से विदूषी प्रो राज्यश्री शुक्ला, भवानीपुर एजूकेशन सोसाइटी कॉलेज के टीआईसी डॉ शुभव्रत गंगोपाध्याय ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इस अवसर पर भारतीय कंपनी सचिव संस्थान और
भवानीपुर एजूकेशन सोसाइटी कॉलेज दोनों संस्थान के पीपीटी वीडियो दिखाए गए जिसमें उनकी गतिविधियों का परिचय मिला। डायरेक्टर जनरल प्रसिद्ध अर्थशास्त्री और कार्यक्रम के संचालक डॉ सुमन मुखर्जी ने ‘एनईपी 2020 का आलोचनात्मक आकलन’ विषय पर अपनी बात रखी। नई शिक्षा नीति पर बात करते हुए शिक्षा की नींव पर अपनी गंभीर बातें साझा की साथ ही विश्व के बदलते परिवेश में एजूकेशन लर्निंग में आ रहे तेजी से बदलाव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, जो बहुत बड़ी चुनौती है, बात की। उन्होंने कहा कि अपने पाठ्यक्रम में ऐसे शामिल करने की आवश्यकता है।
भवानीपुर एजूकेशन सोसाइटी कॉलेज के रेक्टर और डीन प्रो दिलीप शाह ने बीज वक्तव्य में बताया कि सभी विद्यार्थियों और शिक्षक शिक्षिकाओं को भविष्य के लिए अधिक चिंता करनी है। क्या नया आ रहा है। नई शिक्षा नीति पर बहुत से काम हो रहे हैं। दो दिनों तक चलने वाले एजुकेशन कॉन्क्लेव में शिक्षा नीति के कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर विद्वान अपनी महत्वपूर्ण बात रखेगें। इसके अलावा प्रो शाह ने कलकत्ता विश्वविद्यालय एकेडमी वर्ल्ड और प्रोफेशनल्स के अंतर पर चर्चा की । स्कील के विषय में बात की। कारपोरेट्स और एकेडमी के साथ मिलकर युवा पीढ़ी को शिक्षा के साथ उद्योग को कैसे जोड़ा जाए इस पर विचार व्यक्त किया और बताया कि इसके लिए हमने मर्चेंट अॉफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के साथ कार्यक्रम किया है। साथ ही दो दिवसीय सम्मेलन में हम देश विदेश के विभिन्न शिक्षाविदों और कॉर्पोरेट के साथ मिलकर एक नई राह भी तलाशेंगे। शिक्षा का प्रारूप बदल रहा है, आज इंडस्ट्री खुद कॉलेज में आते हैं, आज फाइनेंशियल मॉडलिंग का एडू स्पेस बदल रहा है। इन्टरनेट में प्रामाणिकता नहीं है। सब कुछ मिल रहा है लेकिन एथिकल वैल्यू कहाँ है? इसलिए स्कील अधिक महत्वपूर्ण है और स्कील के लिए ज्ञान जरूरी है। कौशल-आधारित ज्ञान अधिक से अधिक हो और रोजगार परक सोच विकसित हो, यही इस कार्यक्रम का उद्देश्य है।
चैयरमेन आईएसीसी आई, ईआईआर सी सीएस मोहित शॉ ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव आ रहा है। किसी भी देश का विकास शिक्षा से ही हो सकता है। शॉ ने एक कहानी के माध्यम से कहा कि एजुकेटर एक आर्टिस्ट होता है। सीएस रूपांजना दे ने अपने बीज भाषण में एकेडमी और कार्पोरेट दोनों पक्षों पर बात की। विश्व के विभिन्न देशों में भाषा के महत्व और अपने व्यक्तिगत अनुभवों को साझा किया। अकादमी और कंपनी सेक्रेट्रीस को बताया।
कलकत्ता विश्वविद्यालय की हिंदी साहित्यविद् डॉ राज्यश्री शुक्ला ने अपने बीज वक्तव्य में मेधा की आवश्यकता पर बल दिया । प्रथम सेशन का विषय क्रिटिकल इवोल्यूशन ऑफ एनीपी 2020 जिसके मॉडरेटर डॉ सुमन मुखर्जी रहे। कार्यक्रम की संयोजक प्रो मीनाक्षी चतुर्वेदी ने धन्यवाद ज्ञापन दिया ।
सत्र 2-‘छात्रों के लिए परिवर्तन और बेहतरी के दृष्टिकोण के लिए कुछ सुझाव’विषय पर विद्वानों ने विचार व्यक्त किए। डॉ जी. बालासुब्रमण्यम, सीबीएसई के पूर्व निदेशक अकादमिक
डीपीके मोहंती. दास स्कूल ऑफ कॉमर्स, एक्सआईएम यूनिवर्सिटी और प्रोफेसर दिलीप शाह ने गतिविधियों पर चर्चा की। प्रमुख अतिथि वक्ताओं में डॉ शेफाली नागपाल, डायरेक्टर, यूजीसी, ह्युमन रिसोर्स डेवलपमेंट सेंटर, बीपीएस महिला विश्वविद्यालय ने अपनी बात रखते हुए बताया कि किस प्रकार हरियाणा के गांव की लड़कियों को रोजगार परक शिक्षा प्रदान करने के लिए उनका विश्वविद्यालय कार्य कर रहा है।
डॉ जी बालासुब्रमनियम ने कहा कि नई शिक्षा नीति का स्वरूप स्वाध्याय , आत्म विश्लेषण, आत्म निर्देशित शिक्षा है। सीखने की संस्कृति है। शिक्षण को सीखने की आवश्यकता है और यह शिक्षा नीति कई विषयों को सीखने का ब्लेंडर मॉडल है।
सीखने की संस्कृति को बढ़ावा देने वाली है। शिक्षा की ब्रांडिंग बदल रही है। शिक्षक को सीखना होगा। स्व विश्लेषण परक शिक्षा हैं, जो नीति की आत्मा है । यूजीसी-मानव संसाधन विकास केंद्र, बीपीएस महिला विश्वविद्लव डॉ शेफाली नागपाल ने गुरुकुल से अब तक की शिक्षा नीति पर अपने विचार व्यक्त करते हुए रोजगार परक शिक्षा आज की आवश्यकता है। । डीन स्कूल ऑफ कॉमर्स एक्स आई एम युनिवर्सिटी डॉ पी. के. मोहंती ने एनईपी 2020 ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के लाभ और हानि पर शिक्षा नीति पर चर्चा की। इस कार्यक्रम का संचालन भवानीपुर एजूकेशन सोसाइटी कॉलेज की कॉमर्स विभाग की प्रो उर्वी शुक्ला ने किया।
सत्र 2-‘छात्रों के लिए बदलते दृष्टिकोण और बेहतरी के लिए कुछ इनपुट।’ विषय का संचालन श्री जय शंकर द्वारा किया गया। वक्ताओं में प्रोफेसर शबीना ओमर , अंग्रेजी विभागाध्यक्ष ए जे सी बोस कॉलेज, सीए अमर अग्रवाला, प्रैक्टिसिंग चार्टर्ड अकाउंटेंट और कंपनी सचिव ने अपने महत्वपूर्ण विचारों को व्यक्त किया ।
तृतीय सत्र के संचालक श्री परनब मुखर्जी रहे जिसका विषय’भारतीय उच्च शिक्षा प्रणाली में सर्वोत्तम प्रथाएँ’ रहा जिसमें डॉ संकू बोस, सीईओ टेक्नो इंडिया ग्रुप, डॉ हेमा दिवान, एसोसिएशन प्रो आईआईएम, मुंबई, वीसी प्रो डॉ निर्मल कांति चक्रवर्ती डब्ल्यूबीएनयूएस, सिस्टर निर्मला प्रिंसिपल लोरेटो कॉलेज कोलकाता ने अपने महत्वपूर्ण विचारों को व्यक्त किया ।रात्रि भोज के अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए।
एजूकेशन कॉन्क्लेव के द्वितीय दिन चाय नाश्ते के पश्चात 30 नवंबर को पैनल डिस्कशन में विषय सत्र में ‘कौशल बढ़ाना’ विषय पर एनएसआईयूएम की डॉ. सुपर्णा धर द्वारा संचालित कार्यक्रम में श्री गोपाल शर्मा, सीएफओ नैसकॉम/भारत में श्री सचिन शर्मा एसोसिएट डायरेक्टर-केपीएमजी/सीए विकास गंगवाल ने अपनी बात रखी। सत्र 2-‘आगे की ओर बढ़ते ज्ञान’ विषय पर प्रो. दिलीप शाह द्वारा संचालित कार्यक्रम में प्रमुख वक्ताओं में डॉ. प्रोफेसर आरती श्रीवास्तव, शिक्षा विभाग में प्रोफेसर, एनआईईपीए, नई दिल्ली, सीएस विनोद कोठारी/दे विशाल तलवार, निदेशक आईएमटी घरियाहड़/डॉ अजय पाठक, आईसीईएआई कोलकाता और डॉ. संजीव कुमार पांडे, सहायक निदेशक और समन्वयक, यूजीसी-मालवीय मिशन-शिक्षक प्रशिक्षण केंद्र, रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, जबलपुर, मप्र ने अपने वक्तव्य से सभी को समृद्ध किया। दोपहर के भोजनावकाश के पश्चात
सत्र 3 का विषय ‘सर्वोत्तम प्रथाएँ-विश्व स्तर पर ‘श्री परनब मुखर्जी द्वारा संचालित किया गया जिसमें अॉन-लाइन विदेशों से कई विद्वानों ने भाग लिया और शिक्षण प्रशिक्षण और वर्तमान समय में शिक्षा में आए परिवर्तन पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की। श्रीमान डेविड पॉटर, कोर्स लीडर, बीएससी (ऑनर्स) बिजनेस कोर्स, फालमाउथ यूनिवर्सिटी (यूके)/, किम लिन टैन , डॉ. जहीरुल हक (वीसी, कैनेडियन यूनिवर्सिटी ऑफ बांग्लादेश)/ आदि ने विभिन्न देशों के विद्यार्थियों को शिक्षा के साथ इंटर्नशिप अॉन-लाइन कोर्सेज, सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य, शिक्षक डेवलपमेंट और इतर विषयों को लेकर बातचीत की । प्रश्नोत्तरी सेशन भी हुए जिसमें संतोष जनक उत्तर भी मिले। प्रो विवेक पटवारी ने प्रथम सत्र का संचालन किया। तृतीय सत्र का संचालन डॉ श्रेयसी घोष ने किया। धन्यवाद ज्ञापन दिया प्रो मीनाक्षी चतुर्वेदी और सभी अतिथि वक्ताओं को सम्मानित किया प्रो दिलीप शाह और प्रो मीनाक्षी चतुर्वेदी ने।
दो दिवसीय एजुकेशन में आए विद्वानों ने यह स्वीकार किया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस भविष्य में किस तरह की सुविधाएं उपलब्ध कराएगा और उसका प्रभाव भारत और वैश्विक स्तर पर किस प्रकार पड़ेगा, यह शोचनीय है और इसके लिए औद्योगिक कंपनियों और शैक्षणिक संस्थानों में अधिक से अधिक आपसी साझेदारी संबंध का होना आवश्यक है। छात्रों के लिए परिवर्तन और बेहतरी के दृष्टिकोण पर व्यापक रूप से चर्चा की गई। एक साथ बहुत सारे विषयों को कौन पढाएगा जैसी समस्याओं पर भी विचार विमर्श किया गया। दो दिवसीय इस कार्यक्रम में प्रो चंदन झा, प्रो श्रेयसी घोष, प्रो दर्शना त्रिवेदी, प्रो विवेक पटवारी, प्रो उर्वी शुक्ला, डॉ वसुंधरा मिश्र आदि की उपस्थिति रही। डॉ वसुंधरा मिश्र ने बताया कि उद्घाटन सत्र में कॉलेज के विद्यार्थियों ने शास्त्रीय नृत्य की प्रस्तुति दी और दोनों दिन बाहर से आने वाले अतिथियों के रहने की व्यवस्था, चाय नाश्ते और भोजन की व्यवस्था की गई थी।
भवानीपुर कॉलेज द्वारा डिजाइन थिंकिंग और क्रिटिकल थिंकीग विषय पर अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार
ऊबर ने श्रीनगर में की ऊबर शिकारा की शुरूआत
श्रीनगर । विभिन्न मोड्स के माध्यम से परिवहन के साधन उपलब्ध कराने के वादे पर खरा उतरते हुए, ऊबर ने आज ऊबर शिकारा का लॉन्च किया। सीमित अवधि के लिए पेश किए गए इस प्रोडक्ट के साथ पर्यटक ऊबर ऐप के ज़रिए डल झील पर अपनी शिकारा राईड की प्री-बुकिंग कर सकते हैं और छुट्टियों के आगामी व्यस्त सीज़न के दौरान श्री नगर में डल झील की खूबसूरती का लुत्फ़ उठा सकते हैं। प्राकृतिक खूबसूरती के लिए विख्यात इस क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए, ऊबर ऐप के ज़रिए बुक की जाने वाली शिकारा राईड्स पर कोई शुल्क नहीं लेगी। पूरी राशि शिकारा के ड्राइवरों को जाएगी, इस तरह जम्मू-कश्मीर में पर्यटन सेवाएं उपलबब कराने वालों को अतिरिक्त आर्थिक अवसर मिलेंगे। ऊबर शिकारा की हर राईड 1 घण्टे के लिए बुक की जा सकती है और एक बार में 4 यात्री तक इसका लुत्फ़ उठा सकते हैं। इस राईड को 12 घण्टे पहले से लेकर 15 दिन पहले अडवान्स में बुक किया जा सकता है। लॉन्च के अवसर पर प्रभजीत सिंह, प्रेज़ीडेन्ट, ऊबर इंडिया एण्ड साउथ एशिया ने कहा, ‘‘ऊबर में हम हमेशा से यात्रियों को परिवहन का जादूई एवं आसान अनुभव प्रदान करने के लिए प्रयासरत रहे हैं। ऊबर शिकारा के माध्यम से हम परम्परा और टेक्नोलॉजी के संयोजन के साथ पर्यटकों को शिकारा राईड का आसान अनुभव प्रदान करना चाहते हैं। हमें गर्व है कि हम खूबसूरत कश्मीर में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए यह आइकोनिक अनुभव लेकर आए हैं।’’इस फीचर के साथ यात्री ऊबर रिज़र्व के साथ प्री-बुकिंग की सुविधा का लाभ उठा सकते हैं और अपनी शिकारा राईड की योजना पहले से बना सकते हैं। इस तरह वे जम्मू-कश्मीर की खूबसूरती का भरपूर आनंद उठा सकेंगे और उन्हें डल झील पर पहुंचने के बाद राईड बुकिंग की चिंता नहीं सताएगी। ऊबर ऐप पर कुछ ही टैप्स के ज़रिए राईड बुक कर, वे डल झील की जादूई यात्रा का लुत्फ़ पा सकेंगे। डल झील पर पहली बार पेश की गई आइकोनिक राईड्स के साथ ऊबर, शिकारा के सभी राइडरों के लिए ट्रिप इंश्योरेन्स भी लेकर आई है, ताकि हर राईड उन्हें श्रीनगर की खूबसूरती के साथ-साथ मन की शांति भी प्रदान करे। चूंकि घाटी में सर्दियों के साथ यात्रा की सीज़न की शुरूआत हो रही है।
अनहद कोलकाता द्वारा कविताई की शाम का आयोजन
– कवि डॉ सुनील कुमार शर्मा को चौथा मनीषा त्रिपाठी स्मृति अनहद कोलकाता सम्मान
कोलकाता । अनहद कोलकाता द्वारा कविताई की शाम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता नलिन रंजन सिंह ने की तथा स्वागत भाषण संस्थान के संस्थापक विमलेश त्रिपाठी ने दिया। कार्यक्रम के आरंभ में अतिथि कवियों का सम्मान,ततपश्चात कविता की शाम को सजाने तथा रंगीन बनाने के लिए पहली कवि एवं ग़ज़लकार रचना सरन ने अपने गज़लों से शमा बांध दिया। दूसरे कवि महेश सिंह ने अपनी कविताओं से शासन के विरुद्ध आवाज़ को बुलंद किया। शैलेन्द्र कुमार शुक्ल ने अपनी कविता हिंदी ‘कविता का संक्षिप्त इतिहास’ सुनाकर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। अगले कवि लक्ष्मी कांत मुकुल ने अपनी लोक चेतना की कविताओं से सभी को मोहित कर दिया।
पूनम सोनछात्रा ने पिता के लिए का पाठ कर शाम को संवेदनशील बना दिया।
युवा कवि संजय रॉय ने अपनी कविताओं से माहौल को गंभीर बनाया तो बेहद चर्चित कवि निशांत की कविताओं व गौतम राज ऋषि ने अपनी ग़ज़लों से खूब तालियां बटोरीं। वरिष्ठ कवि अभिज्ञात, जगदलपुर से आये कवि विजय सिंह ने अपनी कविताओं में जंगल और जमीन की तो वरिष्ठ कवि शैलेंद्र शांत जी ने अपनी कविता किल्लत का पाठ किया । बाँदा से आये केशव तिवारी ने अपनी प्रेम कविताओं से श्रोताओं को न केवल भावुक बनाया वरन ‘कोलकाता’ कविता पढ़कर अपनी गंभीरता भी दर्ज की। कवि एवं वैज्ञानिक गद्यकार डॉ सुनील कुमार शर्मा ने ‘क्या करूँ’ का पाठ कर कवि की प्रतिबद्धता सिद्ध की।
कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रो. नलिन रंजन सिंह ने कविताओं एवं आयोजन के बारे में अपनी आलोचकीय एवं ईमानदार वक्तव्य रखा तथा अपनी कविताओं का पाठ कर श्रोताओं का दिल जीत लिया और पूरा सभागार तालियों से गूंज उठा। चौथे मनीषा त्रिपाठी स्मृति अनहद कोलकाता सम्मान की घोषणा केशव तिवारी ने की और सम्मानित कवि डॉ सुनील कुमार शर्मा की रचना और प्रतिबद्धता के पक्ष में अपनी बातें रखीं। विमलेश त्रिपाठी ने सम्मान समारोह के जनवरी या फरवरी में किये जाने की घोषणा की। पूरे कार्यक्रम के आधार स्तम्भ रहे आदित्य विक्रम सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन किया। पटना की ज्योति दुबे, सीए राजेश प्रसाद सहित कार्यक्रम में कोलकाता से ढेर सारे साहित्यकार व गणमान्य लोग उपस्थित थे।