Thursday, August 21, 2025
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भारत की युवा बिग्रेड ने जूनियर हॉकी एशिया कप जीतकर रचा इतिहास

सालालाह (ओमान) । भारतीय जूनियर पुरुष हॉकी टीम ने गत गुरुवार को चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान को 2-1 से हराकर चौथी बार जूनियर एशिया कप खिताब जीत लिया। आठ साल बाद हो रहे इस टूर्नामेंट को देखने के लिये भारी तादाद में भारत और पाकिस्तान के प्रशंसक जुटे थे। आखिरी क्षणों में पाकिस्तान ने काफी आक्रामक हॉकी दिखाई लेकिन भारतीय गोलकीपर मोहित एच एस की अगुवाई में रक्षापंक्ति ने उनके हर वार को नाकाम कर दिया। भारत के लिये अंगद बीर सिंह ने 12वें मिनट में, अराइजीत सिंह हुंडल ने 19वें मिनट में गोल दागे जबकि भारत के पूर्व मुख्य कोच रोलैंट ओल्टमेंस की कोचिंग वाली पाकिस्तानी टीम के लिये एकमात्र गोल 37वें मिनट में बशारत अली ने किया।

भारत ने 2004, 2008 और 2015 के बाद यह खिताब चौथी बार जीता है जबकि पाकिस्तान 1987, 1992 और 1996 में चैम्पियन रह चुका है। दोनों टीमें इससे पहले तीन बार जूनियर पुरूष हॉकी एशिया कप के फाइनल में भिड़ चुकी हैं। पाकिस्तान ने 1996 में जीत दर्ज की जबकि 2004 में भारत विजयी रहा। भारत ने पिछली बार मलेशिया में खेले गए टूर्नामेंट में पाकिस्तान को 6-2 से हराकर खिताब जीता था। इस बार टूर्नामेंट आठ साल बाद हो रहा है। कोरोना महामारी के कारण 2021 में इसका आयोजन नहीं हुआ था।

भारत ने आक्रामक शुरूआत करके पाकिस्तानी गोल पर पहले ही क्वार्टर में कई हमले बोले। भारत को 12वें मिनट में पहली कामयाबी अंगद बीर ने दिलाई। दूसरे क्वार्टर में भी गेंद पर नियंत्रण के मामले में भारत का ही दबदबा रहा। भारतीय फॉरवर्ड पंक्ति के शानदार मूव को अराइजीत ने फिनिशिंग देते हुए 19वें मिनट में दूसरा फील्ड गोल दागा। टूर्नामेंट में यह उनका आठवां गोल था। हाफटाइम से पहले पाकिस्तान के शाहिद अब्दुल ने सुनहरा मौका बनाया लेकिन गोल के सामने से उनके शॉट को भारतीय गोलकीपर मोहित एच एस ने पूरी मुस्तैदी से बचाया।

दूसरे हाफ में पाकिस्तानी टीम ने आक्रामक वापसी की और इसका फायदा उसे तीसरे क्वार्टर के सातवें मिनट में मिला जब शाहिद अब्दुल ने सर्कल के भीतर से भारतीय डिफेंडरों को छकाते हुए गोल के दाहिनी ओर खड़े बशारत को गेंद सौंपी और उन्होंने भारतीय गोलकीपर को चकमा देकर गोल कर दिया। पाकिस्तान को 50वें मिनट में पेनल्टी कॉर्नर मिला लेकिन टीम बराबरी का गोल नहीं कर सकी। वहीं चार मिनट बाद लगातार दो पेनल्टी कॉर्नर मिले लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी।

भारत और पाकिस्तान दोनों टूर्नामेंट में अपराजेय रहे हैं। दोनों का सामना लीग चरण में भी हुआ था लेकिन वह मैच 1-1 से ड्रॉ रहा था। भारत बेहतर गोल औसत के आधार पर लीग चरण में शीर्ष पर रहा। गत चैम्पियन भारत ने पहले मैच में चीनी ताइपै को 18-0 से हराया जबकि जापान को 3-1 और थाईलैंड को 17-0 से मात दी। सेमीफाइनल में भारत ने कोरिया को 9-1 से हराया। वहीं पाकिस्तान ने लीग चरण में चीनी ताइपै को 15-1, थाईलैंड को 9-0, जापान को 3-2 से और सेमीफाइनल में मलेशिया को 6-2 से हराया था

आखिर कैसे हुआ ओडिशा में ट्रेन हादसा, मानवीय गलती थी या तकनीकी खामी, उठ रहे कई सवाल

ओडिशा के बालासोर में रूह कंपा देने वाले हादसे के बाद रेलवे का सेफ्टी सिस्टम सवालों में है। ट्रेनों की टक्कर रोकने के लिए रेलवे ने कवच सिस्टम शुरू किया था लेकिन जिस रूट पर यह हादसा हुआ, वहां अभी कवच सिस्टम नहीं लगाया गया है। ट्रेन हादसा क्यों हुआ, अभी तक इसकी सही जानकारी सामने नहीं आई है। शुरुआती जांच के बाद कहा गया कि सिग्नल में गड़बड़ी के कारण हादसा हुआ। रेल मंत्रालय ने जांच का जिम्मा रेलवे सेफ्टी कमिश्नर को सौंपा है। जांच टीम मौके पर पहुंच गई है।
क्या है हादसे की वजह
रेलवे के एक अधिकारी ने बताया कि हावड़ा जा रही 12864 बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस के कई डिब्बे बाहानगा बाजार के पास पटरी से उतरे और बगल के रेल ट्रैक पर जा गिरे। जहां ये बेपटरी हुए डिब्बे 12841 शालीमार-चेन्नै कोरोमंडल एक्सप्रेस से टकरा गए और इसके डिब्बे भी पलट गए। इस टक्कर के बाद कोरोमंडल और बेंगलुरु हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस, दोनों के ही बेपटरी हुए डिब्बे बगल की लूपलाइन में खड़ी मालगाड़ी से टकरा गए, जिससे मालगाड़ी भी हादसे की चपेट में आ गई। रेलवे प्रवक्ता अमिताभ शर्मा ने बताया कि पहले कोरोमंडल एक्सप्रेस पटरी से उतरी और इसके 10-12 डिब्बे बेंगलुरु-हावड़ा एक्सप्रेस की पटरी पर जा गिरे।
उठ रहे हैं कई सवाल
इस भयंकर हादसे पर तमाम सवाल उठाए जा रहे हैं। सवाल है कि क्या पटरियों में पहले से कोई कमी थी, क्या पटरियों की रूटीन जांच में काई लापरवाही बरती गई, क्या किसी ने पटरियों के साथ छेड़छाड़ की, क्या डिरेल का कारण ट्रेन की तेज रफ्तार थी, जीपीएस मॉनिटरिंग में ट्रेन हादसे का पता क्यों नहीं चला, क्या ट्रेन का ऑटोमैटिक ब्रेक्रिंग सिस्टम फेल हुआ, क्या हादसे के पीछे कोई साजिश है। ऐसे तमाम सवालों पर रेलवे के अधिकारियों का कहना है कि जब तक जांच रिपोर्ट नहीं आ जाती, तब तक कुछ भी कहना मुश्किल है कि हादसा किस वजह से हुआ।
रेलवे सेफ्टी कमिश्नर को जांच
इस भीषण रेल हादसे की उच्चस्तरीय जांच शुरू हो गई है। जांच टीम की अध्यक्षता दक्षिण-पूर्वी प्रखंड के रेलवे सेफ्टी कमिश्नर ए. एम. चौधरी करेंगे। उनकी टीम मौके पर पहुंच गई है। रेलवे सेफ्टी कमिश्नर नागर विमानन मंत्रालय के अधीन काम करते हैं। जांच का काम शुरू हो गया है। वह हर पहलु पर जांच करेगी। हालांकि जांच रिपोर्ट कब तक आएगी, यह तय नहीं किया गया है।
रेल मंत्री ने कहा, राहत पर जोर
हादसे की जगह पहुंचे रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बालासोर में शनिवार को उस जगह पहुंचे, जहां शुक्रवार को भीषण रेल दुर्घटना हुई थी। रेल मंत्री ने कहा कि मेन फोकस राहत और बचाव अभियान पर है। बचाव और राहत कार्य के लिए 1200 से ज्यादा कर्मी लगे हैं। इनमें NDRF के 300 से ज्यादा कर्मी हैं। ये लोग मेटल कटर, खोजी कुत्तों और अन्य भारी उपकरणों की मदद से बचाव कार्यों को अंजाम दे रहे हैं। इस हादसे में दोनों ट्रेने का ड्राइवर और गार्ड भी घायल हैं।

कन्नौज की 120 साल पुरानी खुशबू की हवेली, जहां मनाया जाता है फूलों का उत्सव

उत्तर प्रदेश का कन्नौज शहर इत्र यानी परफ्यूम के लिए दुनियाभर में मशहूर है। यहां कई घरों में इत्र बनाया जाता है, जो यहां से दुनियाभर में भेजा जाता है। कन्नौज शहर की संकरी गलियों में इत्र की खूशबू किसी को भी दीवाना बना लेंगी। यहां की गलियों में गुलाब, चंदन और चमेली की खुशबू आती है। कन्नौज में इत्र बनाने का काम सदियों से चला आ रहा है। सम्राट हर्ष ने कन्नौज को अपनी राजधानी बनाया था। इस खुशबू भरे इस शहर का इतिहास 200 साल से भी पुराना है।
सदियों पुराने पेशे को रखा है जिंदा
यहां लोग अपने हाथों से फूलों से रस निकाल कर शुद्ध इत्र बनाते थे। हालांकि अब इत्र बनाने के लिए मशीनें आ चुकी हैं। लेकिन फिर भी कन्नौज वालों ने सदियों पुराने पेशे को जिंदा रखा है। ऐसे ही एक इत्र उत्पादक प्रणव कपूर भी हैं। प्रणव आठवीं पीढ़ी के इत्र उत्पादक हैं, यानी उनसे पहले सात पीढ़ी इत्र बनाने का काम करती आ रही हैं। प्रणव 120 साल पुरानी हवेली में आज भी इत्र बनाने का कारोबार करते हैं। सबसे हैरानी की बात ये है कि प्रणव के यहां आज भी पारपंरिक ढंग से इत्र बनाया जाता है।
आठ पीढ़ियां कर रही इत्र का कारोबार
प्रणव इंस्टाग्राम पर इत्र बनाने के काम से जुड़ी तस्वीरें और वीडियो भी शेयर करते हैं, जिन्हें लाखों लोग पसंद करते हैं। प्रणव बताते हैं कि मेरे परिवार की आठ पीढ़ियां इत्र बनाने का काम करती रही हैं, मेरा बचपन भी इसी सबके बीच बीता। मेरी सबसे प्यारी यादों में से एक वह है जब मेरे दादाजी मुझसे इत्र और फूलों की खुशबू पहचानने के लिए कहते थे। रिपोर्टों के अनुसार, कन्नौज में डिस्टिलरों की संख्या में लगातार गिरावट आ रही है। ऐसे में प्रणव इत्र के 200 साल पुराने कारोबार को आज भी संजोकर चला रहे हैं।
ऐसे आया इत्र उत्सव मनाने का विचार
प्रणव ने कुलिनरी आर्ट्स का कोर्स किया है, उन्हें कुकिंग करना पसंद है। वो कहते हैं कि कुकिंग और परफ्यूमरी मेरा जुनून था और मैं इन दोनों को मिलाने का तरीका खोजना चाहता था। 2017 में जैसलमेर की छुट्टी के दौरान वो एक होमस्टे में रुके थे, जहां उन्हें अपने दोनों स्किल को मिलाने का तरीका मिला। दरअसल प्रणव जहां रुके थे, वो एक हवेली थी, जिसे होटल में बदल दिया गया था। इससे उन्हें भी आइडिया आया। प्रणव कहते हैं कि मैंने अपनी 120 साल पुरानी हवेली को इसी तरह बदलने का फैसला किया। इस बारे में पहले किसी ने सोचा नहीं था। इस प्लान को एक्जीक्यूट करने में लगभग 6 साल लग गए। कोरोना भी इसमें बाधा बनकर सामने आया। लेकिन 2022 में उन्होंने अपना काम शुरू कर दिया।
मौसम के हिसाब से बनाए जाते हैं उत्सव
साल 2022 में प्रणव ने अपनी पुश्तैनी हवेली को होटल में बदल दिया। उन्होंने होटल का शानदार मेनू तैयार किया, जिसमें पारंपरिक खाना शामिल किया गया। हवेली की लोन में एक परफ्यूम बार है जहां लोग आ सकते हैं और अपने खुद के परफ्यूम भी बना सकते हैं। मार्च 2023 में प्रणव ने ‘गुलाब उत्सव’ मनाने के लिए मेहमानों के अपने पहले समूह की मेजबानी की। वो बताते हैं कि हम अपने त्योहारों को मौसमों से जोड़ते हैं, क्योंकि हर मौसम के हिसाब से अलग-अलग फूल खिलते हैं। उदाहरण के लिए, फरवरी से मार्च ‘गुलाब का मौसम’ है, इसलिए हमारे पास गुलाब का त्योहार था। ऐसे में होटल में सब कुछ गुलाब थीम पर था।
मेहमान खुद चुनते हैं फूल फिर बनाते हैं इत्र
मेहमानों को गुलाब के खेत में ले जाया जाता है जहां वे इत्र के लिए फूल तोड़ते हैं। फिर उन्हें डिस्टिलरी में ले जाया जाता है जहां वे इत्र बनाने की पूरी प्रक्रिया देख सकते हैं। फिर, हम उन्हें परफ्यूम बार में ले जाते हैं, जहां वे मेरी मदद से अपना परफ्यूम बना सकते हैं। गुलाब उत्सव के बाद वो अब चमेली उत्सव मना रहे हैं। चूंकि चमेली के फूलों को रात में तोड़ जाता है। इसलिए रात में फूलों को तोड़कर उनका इत्र तैयार किया जाता है। उन्होंने फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया के साथ-साथ कोयम्बटूर, दिल्ली, बेंगलुरु और मुंबई जैसे भारतीय शहरों से दुनिया भर के लोगों की मेजबानी की है।
फिर से इत्र की राजधानी के रूप में उभर रहा कन्नौज
प्रणव कहते हैं कि उनके इस आइडिया से कन्नौज शहर को फिर से इत्र की राजधानी के रूप में जाना जाने लगा है। लोग परफ्यूम के लिए विदेशी ब्रांड की ओर देखते हैं, लेकिन उनके इस प्रयास से कन्नौज में बनने वाला इत्र अब ब्रांड के रूप में उभर कर आ रहा है। सबसे कमाल की बात ये है कि कन्नौज में नेचुरल तरीके से इत्र तो बन ही रहा है, साथ में लोग इतने पुराने खुशबू के कारोबार को बारीकी से जान पा रहे हैं।
(साभार – नवभारत टाइम्स)

दफ्तर में क्या आती हैं उबासियाँ तो ऐसे मिलेगा छुटकारा

ऑफिस में काम करते अक्सर हमें बहुत जोरों से नींद आती है लेकिन काम के दौरान हम सो नहीं सकते। मगर नींद के कारण हमारा काम में मन नहीं लगता और थकान महसूस होती है। एक-दो दिन के लिए तो ये सामान्य बात है लेकिन रोजाना आपके साथ ऐसा होना एक बड़ी समस्या है।
ऐसे में आपको इस परेशानी को इग्नोर नहीं करना चाहिए और इस पर ध्यान देना चाहिए। वर्तमान समय में हमारी लाइफस्टाइल कुछ इस तरह हो गई है कि हम देर रात तक जगते हैं और सुबह में जल्दी उठ जाते हैं जिससे हमारी नींद पूरी नहीं हो पाती।
दुनिया में आज नींद की कमी इतनी आम है कि यह काम पर उनके प्रदर्शन को स्पष्ट रूप से प्रभावित कर रही है जो बिल्कुल ठीक नहीं है। ऐसे में हमारे इस लेख में बताई गई कुछ आसान टिप्स को फॉलो करके आप नींद से छुटकारा पा सकते हैं।
1- जब आप देर रात तक न जागकर पूरी नींद लेंगे तो आपको पूरा दिन काम करने में अच्छा महसूस होगा। आप बिना थके और नींद महसूस किए काम कर पाएंगे। रात के समय पूरी नींद लेना बहुत जरूरी है। आप अपना एक टाइम टेबल बना सकते हैं और उस अनुसार, नींद को तय घंटों में पूरा कर सकते हैं।
2- व्यायाम करना एक अच्छी आदत है और हर किसी को सुबह उठकर व्यायाम जरूर करना चाहिए। जिन लोगों को भी काम के दौरान अधिक नींद आती है वह सुबह उठकर जरूर व्यायाम करें। इससे आपको पूरा दिन फ्रेश फील होगा और काम का बोझ भी नहीं लगेगा।
3- कई बार ऑफिस में हम काम में इतना मग्न हो जाते हैं कि घंटों एक की जगह पर एक ही पोजीशन में बैठे रहते हैं। ऐसे में हमें थकान महसूस होती है और नींद आती है। इस परेशानी से बचने के लिए आपको समय-समय पर अपनी कुर्सी से उठना होगा। आप कुछ देर में कुर्सी से उठकर थोड़ा टहल लें जिससे आपकी नींद फौरन भाग जाएगी।
4- कंप्यूटर के सामने बैठकर काम करने से हमारी आंखें बहुत थक जाती है और दर्द होने लगती है। आपको इस समस्या से बचना होगा और इसके लिए आप लगातार स्क्रीन को न देखें। आपको कुछ मिनट बाद सिस्टम से दूर कही देखना होगा और अपनी आंखों को धो लें पलकों को थोड़ा झपकाएं। ऐसा करने से आपकी आंखों को आराम मिलेगा और नींद भी नहीं आएगी।
5- अपने लाइफस्टाइल में छोटे-छोटे बदलावों के साथ ही सबसे जरूरी है कि आप एक स्वस्थ आहार लें और भरपूर मात्रा में पानी पिए। पूरे दिन ऊर्जावान रहने के लिए और अच्छे से ऑफिस में काम करने के लिए आपको उचित आहार और पानी पीना होगा।

ढाबा स्टाइल पनीर लबाबदार

सामग्री – 1 कटा हुआ प्याज, 2 टेबल स्पून क्रीम, 2 टेबल स्पून कद्दूकस किया हुआ पनीर, 1 तेज पत्ता, 1 हरी मिर्च, 1 टी स्पून कसूरी मेथी, थोड़ी सी दालचीनी, 1/4 टी स्पून हल्दी, 1/4 टी स्पून गरम मसाला, 1/2 टी स्पून लें जीरा पाउडर, 1/2 छोटी चम्मच लाल मिर्च पाउडर, 2-3 छोटी चम्मच हरा धनिया, 2 छोटी चम्मच मक्खन और 2 छोटी चम्मच तेल. साथ ही 2 से 3 टमाटर, 2 कली लहसुन, थोडा सा अदरक, 2 फली इलायची, 15-20 काजू, 4 से 5 लौंग, 1 कप पानी और स्वादानुसार नमक
विधि – पनीर लबाबदार बनाने के लिए सबसे पहले पनीर के टुकड़े काट लें। इसके बाद एक बड़े बर्तन में टमाटर, लहसुन की कलियां और अदरक डालें। इसमें इलायची की फलियां, लौंग, काजू और थोड़ा सा नमक डालकर, इसके ऊपर एक कप पानी डालकर गैस पर गरम होने के लिए रख दीजिए. – इसके बाद बर्तन को ढककर 10 मिनिट तक पकाएं, ताकि टमाटर नरम और गल जाएं. – इसके बाद गैस बंद कर दें और मिश्रण को ठंडा करके ब्लेंड करके स्मूद पेस्ट बना लें । इसके बाद पैन में मक्खन डालकर मध्यम आंच पर गर्म करें. – मक्खन के पिघलने के बाद इसमें तेजपत्ता, दालचीनी, मिर्च और मेथी दाना डालकर मसाले से महक आने तक भूनें. – इसके बाद इसमें बारीक कटा हुआ प्याज डालें और प्याज का रंग गोल्डन ब्राउन होने तक पकाएं । इसके बाद इसमें हल्दी, धनिया पाउडर, जीरा पाउडर और मिर्च पाउडर डालकर मिला लें । मसाले के अच्छे से भुन जाने पर इसमें तैयार टमाटर की प्यूरी डालकर अच्छी तरह मिला लें । इसके बाद पैन को ढक दें और प्यूरी को 10 मिनट तक पकने दें. कुछ देर पकने के बाद इसमें पनीर क्यूब्स और कद्दूकस किया हुआ पनीर डालकर अच्छी तरह मिलाएं।अब सब्जी को ढककर धीमी आंच पर 5 मिनट तक पकने दें. इससे पनीर ग्रेवी को अच्छे से सोख लेगा। – इसके बाद गैस बंद कर दें और ऊपर से 2 टेबल स्पून क्रीम डालकर मिक्स करें. – फिर गरम मसाला और हरा धनिया डालकर मिक्स करें. आपका लाजवाब पनीर लबाबदार तैयार है । अब इसे रोटी, नान या चावल के साथ परोसें ।

इन फलों से बनाएं सामान्य पानी को स्वादिष्ट

हम सभी को पता है कि पानी हमारे सेहत के लिए कितना महत्वपूर्ण होता है, खासकर गर्मी के मौसम में तापमान बढ़ने पर पानी पीना हमारे शरीर के लिए ज्यादा जरूरी हो जाता है। वहीं बेस्वाद पानी पीने से अक्सर हम उब जाते हैं और पानी को स्वादिष्ट बनाने के विकल्प को तलाशने लगते हैं।आपका शरीर लगभग हर काम के लिए पानी का उपयोग करता है। स्वस्थ त्वचा, बालों और नाखूनों के लिए यह महत्वपूर्ण है। यह शरीर के तापमान को नियंत्रित करने, जोड़ों को लुब्रिकेट करने में भी मदद करता है। ऐसे में आज हम आपके लिए कुछ ऐसे टिप्स लेकर आए हैं, जिसीक मदद से आप अपने पानी के स्वाद को और ज्यादा बेहतर बना पाएंगे। जिससे आप या आपके परिवार के अन्य सदस्य पानी पीने से कटराएंगे नहीं और इस भीषण गर्मी में हाइड्रेटेड रहेंगे। पानी में स्वाद जोड़ने के कुछ तरीके ये रहे

ताजे फल डालें
खट्टे फल, जैसे नींबू, संतरे, आपके पानी के स्वाद को बढ़ा सकते हैं। लेकिन अन्य फलों के स्वाद भी आपके पानी के स्वाद को बढ़ा सकते हैं। फ्रेस रसभरी या तरबूज को अपने पानी में मैश करके भी आप मिला सकते हैं। आप चाहे तो खीरा, और फ्रेस पुदीना के पत्ते भी अपनी पानी में मिला सकते हैं। इससे आपके पानी का स्वाद बदल जाता है और गर्मी में पानी पीने का मजा दोगुना हो जाता है।
रस का प्रयोग करें
किसी भी फल का रस पानी का स्वाद बढ़ाने के लिए एक अच्छा आधार है। अपने पानी में एक स्वाद जोड़ने के लिए आप ऐसे फलों के रस को चुने जो जो पूरी तरह से प्राकृतिक हों, जिनमें कोई अतिरिक्त चीनी न हो। फ्रेस और नेचुरल फलों के रस आपके स्वाद को बढ़ाने के साथ आपके सेहत के लिए भी फायदेमंद होते हैं।
बर्फ के साथ करें क्रिएटिविटी
कुछ लोगों का कहना है कि बर्फ के पानी का स्वाद नॉर्मल पानी की तुलना में ज्यादा बेहतर होता है। अगर ये सच हो तो फ्लेवर्ड आइस क्यूब्स आपके पानी के स्वाद को और ज्यादा बेहतर बना सकते हैं। फ्रेस फ्रूट्स, पुदीना, या खीरे के आइस क्यूब्स तैयार करें। और फिर आइस क्यूब को पानी में मिलाकर पिएं।
दालचीनी या अदरक का पानी
सिंपल पानी को और ज्यादा स्वादिष्ट बनाने के लिए उसमें एक छोटी चुटकी पिसी हुई दालचीनी या ताजा अदरक का एक टुकड़ा मिलाएं। इससे आपका पानी न सिर्फ स्वाद में बेहतर होगा, बल्कि आपके सेहत के लिए भी काफी फायदेमंद होगा।
वॉटर इन्हेंस ड्रॉप्स
तरल बूंदों या पाउडर मिश्रण जैसे प्राकृतिक पानी का स्वाद बढ़ाने वाले पदार्थों का उपयोग करें, जिनमें कोई अतिरिक्त शक्कर या मिठास न हो। मार्केट में ये आपको विभिन्न स्वादों में उपलब्ध हैं और आपकी पसंद के अनुसार पानी में मिलाए जा सकते हैं।

अगर आफ्टर शेव के बाद त्वचा को निखारना है और रखना है नर्म

कई पुरुषों को शेव करना नहीं है क्योंकि दाढ़ी बढ़ाने का चलन जोरों पर है लेकिन अभी भी बहुत से लोग शेव करना पसंद करते हैं। कुछ पुरुष खुद को गुड लुक देने के लिए हर रोज शेविंग करते हैं। रोजाना शेविंग करने से पुरुषों की त्वचा रफ और रुखी हो जाती है।
रफनेस से बचने के लिए पुरुष ऑफ्टर शेव का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन कई लोग रोजाना ऑफ्टर शेव का इस्तेमाल करने से कतराते हैं और इसके अन्य विकल्प की तलाश में रहते हैं। ऐसे में आज हम आपके लिए कुछ ऐसी नेचुरल चीजों की जानकारी लेकर आए हैं जिनके इस्तेमाल से स्किन स्मूद और ग्लोइंग रहेगी और आफ्टरशेव लोशन के साइड इफेक्ट से भी बचा जा सकता है। ये सारी चीजें आपको अपने घर में आसानी से मिल जाएंगी। तो आइये जानते हैं इन चीजों के बारे में…
ऐलोवेरा
ऐलोवेरा में मौजूद एंटी इंफ्लेमेटरी गुण मौजूद होता है, जिससे शेविंग के कारण आए रैशेज और जलन को कम करने में मदद करता है। शेविंग के बाद ऐलोवेरा के जेल को निकालकर चेहरे पर पूरी तरह से लगा लें और 10 मिनट के लिए छोड़ दें। फिर ठंडे पानी से मुंह धो लें। इससे आपको राहत मिलेगी।
फिटकरी
दाढ़ी बनाने के बाद फिटकरी का प्रयोग बरसों से होता आ रहा है। आज भी कुछ लोग शेव के बाद फिटकरी से चेहरे को साफ करते हैं। दरअसल फिटकारी में कीटाणुनाशक तत्व होने के साथ-साथ एंटी-फंगल गुण भी मौजूद होते हैं। होता यूं है कि शेविंग ब्रश या रेजर के इस्तेमाल से फंगल इंफेक्शन की संभावना काफी बढ़ जाती है लेकिन फिटकरी के इस्तेमाल से आप इन दोनों प्रकार के संक्रमण से बच सकते हैं।
केला
केले में मौजूद मिनरल्स स्किन को सॉफ्ट और स्मूथ बनाता है। शेविंग के बाद स्किन की रफनेस और ड्रायनेस दूर हो जाती है। इसके लिए आप केले को मैश करके उससे अपने चेहरे पर मसाज करें। फिर 10 मिनट बाद गुनगुने पानी से मुंह धो लें।
आलू
आलू का रस चेहरे पर कॉटन बॉल की मदद से लगाएं या फिर इसके स्लाइस से चेहरे की स्किन को हल्का प्रेशर देते हुए रगड़ें। दोनों तरीके से स्किन को खराब होने से बचाते हैं। आलू में कई सारे विटामिन और मिनरल्स होते हैं जो त्वचा में पोषक तत्व भर उसमें नमी बनाए रखते हैं।
बर्फ
कई बार शेविंग करते हुए चेहरे पर रेजर के कट्स लग जाते हैं। इसकी वजह से चेहरे से खून बहने लगता है, त्वचा पर रेडनेस, जलन और घाव हो जाता है। बर्फ शेविंग के बाद होने वाली इन समस्याओं से राहत दिला सकता है। इसके लिए एक आइस क्यूब लें, शेविंग के बाद इससे अपने चेहरे की मसाज करें। बर्फ से त्वचा को ठंडक मिलती है, जलन कम होती है।
काली चाय
काली चाय शेविंग के बाद स्किन के लिए काफी फायदेमंद होता है। इसमें मौजूद टैनिक एसिड स्किन को जलन और लाल पड़ने से बचाता है। त्वचार की खुजली और जलन को दूर करता है। ठंडी काली चाय को स्किन पर कॉटन से लगाएं या टी बैग भिगोकर चेहरे पर मसाज करें।
नारियल का तेल
नारियल का तेल भी शेविंग के बाद होने वाली जलन, रेडनेस को कम करने में कारगर माने जाते हैं। इसके लिए नारियल तेल को हल्के हाथों से चेहरे पर लगाएं, कुछ देर त्वचा पर लगा रहने दें। फिर पानी से धो लें। इससे त्वचा नरम और हाइड्रेट होगी। रेडनेस, जलन भी शांत होगी।
हल्दी का पानी
ये एक बेहतरीन एंटीसेप्टिक है। शेविंग के बाद कटने, छिलने व जलन से राहत मिलती है? शेविंग के बाद इसे स्किन में लगाने से स्किन में ग्लो आता है। इसके लिए आप एक कप पानी में आधा चम्मच हल्दी घोलकर कॉटन की सहायता से फेस पर लगाएं।
सेब का सिरका
यह भी एक ऐसी चीज है जो अमूमन सभी घरों में मिल जाती है। एप्प्ल साइडर विनेगर (सेब का सिरका) में एंटी इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं जो शेविंग के बाद जली या खुरदरी हो गई स्किन को सॉफ्ट बनाने का काम करते हैं। एक कटोरी में थोड़ा पानी लेकर उसमें एक चम्मच सिरका मिलाएं और कॉटन बॉल की मदद से चेहरे पर लगाएं। सूखने पर ठंडे पानी से चेहरा धो लें।
शहद
शेविंग के बाद आप अपनी त्वचा को शहद से मसाज कर सकते हैं। इसके लिए आप शहद में 5 से 6 बूंद गुलाब जल मिक्स कर दें, अब इसे अपने हाथों में लेकर चेहरे को अच्छी तरह मसाज करें। मसाज करने के बाद 10 से 15 मिनट के लिए छोड़ दें और फिर गीले तौलिए की मदद से पोंछ दें। आप चाहें तो पानी से सिंपल फेस वॉश भी कर सकते हैं।

साल में एक बार पानी पीता है ये जीव, इसके बाद मुंह में नहीं लेता एक भी बूंद!

पशु-पक्षियों, जानवरों और इंसानों के लिए पानी जीवन का आधार होता है । अगर आप पानी न पिएं तो 1, 2 दिन में आपकी हालत खराब हो जाए । तीन या चार दिन में आप बीमार पड़ने लगेंगे और करीब 1 हफ्ते बाद तो मौत भी हो सकती है ।
जिंदा रहने के लिए पानी बहुत जरूरी है. लेकिन क्या आप जानते हैं दुनिया में एक ऐसा प्राणी भी है, जो साल में सिर्फ एक बार ही पानी पीता है और वो भी एक खास मौके पर? उसके बाद यह प्राणी पानी की एक बूंद भी मुंह में नहीं लेता ।
कौन-सा है ये पक्षी?
जैकोबिन कोयल यानी चातक एक ऐसा पक्षी है जो सिर्फ और सिर्फ बरसात का ही पानी पीता है । इसे पपीहा भी कहा जाता है । भारतीय साहित्य में इसके बारे में लिखा है कि यह बारिश की पहली बूंद को पीता है । अगर चातक पक्षी को साफ पानी की झील में भी डाल दें, तो यह अपनी चोंच बंद कर लेगा और पानी नहीं पियेगा ।
भारत में पाई जाती हैं 2 प्रजातियाँ
भारत में चातक की 2 आबादी पाई जाती हैं । इनमें से एक दक्षिणी इलाकों में रहती है और दूसरी मॉनसूनी हवाओं के साथ अरब सागर को पार करते हुए अफ्रीका से उत्तर और मध्य भारत की ओर रुख करती हुई जाती है ।
कीड़े और फल खाता है
चातक पक्षी का वैज्ञानिक नाम क्लैमेटर जैकोबिनस है. क्लैमेटर का हिंदी में अर्थ होता है चिल्लाना यानी एक ऐसा पक्षी जो काफी मुखर हो । मुख्य रूप से चातक पक्षी कीट खाते हैं, टिड्डे-भृंगे आदि भी इनके भोजन में शामिल होते हैं । हालांकि, कई बार इन्हें फल और जामुन खाते हुए भी देखा गया है ।
दूसरे पक्षियों के घोसले में देता है अंडे
इस पक्षी से जुड़ी एक अनोखी बात यह है कि ये अपने अंडे दूसरे पक्षियों के घोंसले में देता है । दरअसल, चातक अपने मेजबान के तौर पर बब्बलर और बुलबुल जैसे आकार के पक्षियों को देखता है । ऐसे में चातक अपने रंगीन अंडे उनके घोंसलों में रख देते हैं ।
मानसून आने का देता है संकेत
मानसून आने से पहले चातक पक्षी उत्तरी भारत के हिस्सों में पहले ही पहुंच जाता है यानी जिस जगह मानसून आने वाला होता है, चातक पक्षी उस जगह पर पहले ही पहुंच जाता है ।

21 साल के इस शख्स ने खड़ी कर दी 500 करोड़ की कंपनी

रतन टाटा ने भी किया है निवेश, बेचते हैं 90 प्रतिशत तक सस्ती दवा

21 वर्षीय अर्जुन देशपांडे आज करीब 500 करोड़ की वैल्यू वाली एक कंपनी के मालिक है। उन्होंने महज 16 साल की उम्र में लोगों को सस्ती कीमत पर दवाएं मुहैया कराने के लिए ‘जेनरिक आधार नाम से एक कंपनी की स्थापना की थी।
आज उनकी कंपनी के पास पूरी फ्रेंचाइजी की चेन है, जो जेनेरिक दवाएं बेचती है। ये दवाएं आमतौर पर बाजार में उपलब्ध कीमत से करीब 80 से 90 प्रतिशत तक सस्ती होती हैं। मुख्य मुख्यालय वाले इस स्टार्टअप की वैल्यू आज करीब 500 करोड़ रुपये है और दिग्गज उद्योगपति रतन टाटा ने भी इस कंपनी में निवेश किया हुआ है। जेनरिक आधार ने लागत में अच्छी खासी कटौती करने के लिए मार्केटियर्स, डिस्ट्रीब्यूटर्स और स्टॉकिस्ट सहित कई बिचौलियो को हटा दिया है।
इसके चलते यह बेहद कम दाम में दवाओं को बेच पाती है। उदाहरण के लिए शुगर की दवा ग्लिमिपिराइड सामान्य रूप से बाजार में 110 रुपये प्रति स्ट्रिप की दर पर बिकती है। वहीं जेनरिक आधार पर इस दवा को 5 रुपये थोड़े अधिक में बेचती है। सीएनबीसी टीवी -18 ने एक रिपोर्ट में बताया, इसी तरह एंटी-एलर्जी वाली दवा लिवोसेट्रिजीन, आमतौर पर बाजार में 55 रुपये में उपलब्ध है, जेनेरिक आधार पर 6 रुपये प्रति स्ट्रिप की कीमत पर उपलब्ध है।
शुरुआती कुछ सालों में, जेनेरिक आधार ने शहरों में तेजी से विस्तार किया और जिसके बाद देशपांडे को मशहूर शो ‘टेड टॉक’ पर आमंत्रित किया गया। यहां देशपांडे का दिया भाषण काफी वायरल हुआ, जिसने रतन टाटा का ध्यान आकर्षित किया। कंपनी के इनोवेटिव मॉडल से प्रभावित होकर रतन टाटा ने इसमें निवेश करने की ऑफर दिया। तब से, रतन टाटा ने जेनेरिक आधार को देश के कोने-कोन तक पहुंचाने में मदद की है।
अब, स्टार्टअप के पास देश भर में करीब 2,000 स्टोर हैं, जिसमें लगभग 10,000 कर्मचारी हैं। इस साल अप्रैल में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भारतीय नागरिकों को सस्ती दवा मुहैया कराने के लिए अर्जुन देशपांडे के समर्पण की सराहना की। उन्होंने कहा कि जेनेरिक आधार का काम अर्थव्यवस्था के विकास में योगदान दे रहा है। साथ ही उन्होंने देशपांडे को “फार्मा का वंडर किड” बताया।
फिलहाल कंपनी बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, श्रीलंका, संयुक्त अरब अमीरात और म्यांमार में अपने कारोबार के विस्तार पर काम कर रही है। देशपांडे ने कुछ समय पहले कहा था, ‘हम जल्द ही दुबई, ओमान, कंबोडिया और वियतनाम में भी अपने स्टोर खोलेंगे।’ इसके अलावा, कंपनी का लक्ष्य पशु चिकित्सा क्षेत्र में भी प्रवेश करते हुए स्टोर्स की संख्या को 3,000 तक बढ़ाना है। 21 वर्षीय सीईओ अर्जुन देशपांडे का मानना है कि पशुओं के लिए कम कीमत पर दवाएं उपलब्ध होने से किसानों का पर वित्तीय दबाव कम होगा। कंपनी ने हाल ही में आंध्र प्रदेश में अपना पहला पशु चिकित्सा स्टोर खोला है।

ये है भारत की सबसे लंबी ट्रेन, लगे है 295 डिब्बे, 6 इंजन लगाने के बाद दौड़ती है ट्रेन

आपने आज तक ट्रेन के जरिए बहुत यात्रा करी होगी । साथ ही आपने भारतीय रेलवे द्वारा चलाई जाने वाली माल गाडियां भी देखी होंगी जिसके जरिए देश के एक कोने से जरूरी सामान को दूसरे कोने पहुंचाया जाता है । क्या आप यह जानते हैं भारतीय रेलवे द्वारा चलाई जाने वाली सबसे लंबी मालगाड़ी कौन सी है और उसकी लंबाई कितनी है । अगर नहीं, तो बता दें कि भारतीय रेलवे द्वारा चलाई जाने वाली सबसे लंबी मालगाड़ी सुपर वासुकी है, इसकी लंबाई 3.5 किलोमीटर है ।
ये है सुपर वासुकी की खासियत
सुपर वासुकी को भारतीय स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ के मौके पर 15 अगस्त, 2022 को भारतीय रेलवे द्वारा चलाया गया था । इस ट्रेन में कुल 295 डिब्बे लगे हुए हैं, जिसे 6 इंजनों के द्वारा चलाया जाता है । इस ट्रेन की कुल लंबाई करीब 3.5 किलोमीटर है, जिस कारण इस ट्रेन को एक स्टेशन को क्रॉस करने में 4 मिनट का समय लगता है । इसके अलावा बता दें कि 295 लोडेड वैगेनों वाली ट्रेन जिसे 6 इंजनों द्वारा संचालित किया जाता है । वह कुल 27,000 टन कोयले का भार सहते हुए छत्तीसगढ़ के कोरबा से रवाना होती है और नागपुर के राजनंदगांव तक अपनी दूरी तय करती है । इस दूरी को तय करने में इसे लगभग 11.20 घंटे का समय लगता है ।
मौजूदा ट्रेनों के मुकाबले है तीन गुना क्षमता
दरअसल, सुपर वासुकी को एक मालगाड़ी का रूप देने के लिए पांच मालगाड़ियों के रेक को एक साथ जोड़ा गया है । बता दें कि इस ट्रेन द्वारा ले जाया जाने वाला कुल कोयला एक पूरे दिन के लिए 3,000 मेगावाट बिजली संयंत्र में आग लगाने के लिए पर्याप्त है, जो मौजूदा ट्रेनों की क्षमता से तीन गुना अधिक है । यह ट्रेन एक ही यात्रा में लगभग 9,000 टन कोयला अपने साथ ले जाती हैं ।
ये हैं दुनिया की सबसे लंबी मालगाड़ी
वहीं, दुनिया की सबसे लंबी मालगाड़ी की बात की जाए, तो उसमें ऑस्ट्रेलिया की बीएचपी आयरन ओर का नाम शामिल है, जिसकी लंबाई इसकी तुलना में करीब 7.352 किमी लंबी है ।