Monday, March 17, 2025
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साई कोलकाता ने ‘संडे ऑन साइकिल’ के साथ फिटनेस की ओर बढ़ाया कदम

कोलकाता । इस सप्ताह की शुरुआत में माननीय केंद्रीय युवा मामले और खेल मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया द्वारा शुरू किए गए फिट इंडिया साइकिलिंग अभियान की गति को जारी रखते हुए, ‘संडे ऑन साइकिल’ पहल के तहत आज सुबह भारतीय खेल प्राधिकरण, क्षेत्रीय केंद्र कोलकाता में एक फिटनेस कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम सुबह 6:30 बजे शुरू हुआ, जिसमें प्रतिभागियों ने SAI कोलकाता मुख्य द्वार से 8 किलोमीटर की जॉय राइड शुरू की, जो सेंट्रल पार्क का चक्कर लगाते हुए वापस शुरुआती बिंदु पर पहुंची। पद्म श्री और अर्जुन पुरस्कार विजेता टेबल टेनिस खिलाड़ी मौमा दास ने SAI कोलकाता के कार्यकारी निदेशक श्री सत्यजीत सांकृत की उपस्थिति में हरी झंडी दिखाकर साइकिलिस्टों को रवाना किया। इस उत्साह को और बढ़ाने के लिए बिधाननगर पुलिस आयुक्तालय की महिलाओं के नेतृत्व वाली साइकिल पेट्रोलिंग टीम ने भी भाग लिया, जो सशक्तिकरण का प्रतीक है और साइकिलिंग को जीवनशैली के रूप में बढ़ावा दे रही है।
इस कार्यक्रम में करीब 150 साइकिलिंग प्रेमी शामिल हुए, जिनमें बच्चों, युवाओं, वरिष्ठ नागरिकों, स्थानीय साइकिलिंग क्लबों और फिटनेस प्रेमी सहित विभिन्न समूहों का प्रतिनिधित्व किया गया। इस पहल ने स्वास्थ्य को बढ़ावा देने, प्रदूषण को कम करने और फिटनेस के लिए समुदाय-संचालित दृष्टिकोण को बढ़ावा देने में साइकिलिंग की भूमिका पर प्रकाश डाला। कोलकाता कार्यक्रम फिट इंडिया मूवमेंट के तहत एक बड़े अभियान का हिस्सा था, जिसमें क्षेत्रीय केंद्र कोलकाता के तहत 9 स्थानों पर एक साथ कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिसमें बिहार, झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह सहित छह राज्य/केंद्र शासित प्रदेश शामिल थे। इन स्थानों पर, 1100 से अधिक साइकिलिंग उत्साही लोगों ने भाग लिया, जो फिट इंडिया साइकिलिंग अभियान के बैनर तले विभिन्न क्षेत्रों के लोगों को एकजुट कर रहे थे। ‘संडे ऑन साइकिल’ कार्यक्रम को प्रतिभागियों और स्थानीय समुदायों से व्यापक सराहना मिली, जिससे फिट इंडिया मूवमेंट के प्रभाव को और बढ़ावा मिला.

पापा के बाद

-किरण सिपानी

फौलादी बन जाती है बेटियांँ
पापा के बाद

माँ को बाँहों में समेटतीं
काँच से बुढ़ापे को
दरकने नहीं देती बेटियाँ
पापा के बाद

पाँवों में बाँधे चक्के
खानदानों को चुस्त रखतीं
खेलती सी रहती हैं बेटियाँ
पापा के बाद

चिलचिलाती धूप में
तेज बारिश में, सर्द हवाओं में
हर मौसम में
गुनगुनाती रहती हैं बेटियाँ
पापा के बाद

हमसफरों के साथ, पहरेदारों सी
नयी-नयी माँओं सी
जागती रहती है बेटियाँ
पापा के बाद।

 

सबसे कीमती उपहार हैं स्मृतियां जो सिर्फ साथ चाहती हैं, पैसा बाद की चीज है

दिसम्बर बस खत्म होने जा रहा है। एक सप्ताह और नया साल शुरू हो जाएगा। 2024 पीछे छूट रहा है और 2025 का स्वागत करने को हम तैयार खड़े हैं। देखा जाए तो साल बदलते जाते हैं मगर तारीखें बदलने से कहां कुछ बदलता है। सोचते हैं हम, कब ऐसी तारीख आएगी जब इस धरती पर खुशियां होंगी, कहीं कोई नफरत नहीं होगी..कहीं कोई द्वेष नहीं होगा। इस साल हमने कई ऐसे चेहरे खोए जो अपने साथ जैसे पूरा युग लेते गए । रतन टाटा, शारदा सिन्हा, जाकिर हुसैन…ये तमाम लोग अपने -आप में पूरा युग रहे। हम हर बार किसी को खुश करने के लिए कुछ न कुछ देते हैं और सोचते हैं कि भौतिक चीजों को पा लेने भर से ही खुशी मिल जाती है मगर ऐसा नहीं होता। मुझे लगता है कि आप अगर किसी को सबसे अधिक कुछ कीमती चीज दे सकते हैं तो वह आपका समय है। समय दीजिए और स्मृतियां बनाइए…आप इससे खूबसूरत उपहार किसी को नहीं दे सकते। दुनिया में हर चीज खरीदी जा सकती है मगर वक्त खरीदा नहीं जा सकता। आखिरकार हम जो पाते हैं या खोते हैं या किसी के साथ कैसा व्यवहार करते हैं..वह हमारी स्मृतियों में सुरक्षित हो जाता है। लोगों को लगता है कि पैसे कमाने की मशीन बनकर आप दुनिया खरीद सकते हैं और परिवार के लिए खुशियां खरीद सकते हैं मगर ऐसा नहीं है। पैसा जरूरी है, पैसा कमाना और इतना पैसा कमाना कि आप अपनी जरूरतों के लिए किसी पर निर्भर न रहें..बहुत ज्यादा जरूरी है मगर पैसा कमाने में और खुद पैसा कमाने की मशीन बना लेने में जमीन -आसमान का फर्क है । आज कोई भी रिश्ता पैसा और स्टेटस देखकर जोड़ा जा रहा है पर आप कुछ नहीं देख पा रहे हैं तो वह व्यवहार है, आचरण है, जिन्दगी को लेकर आपकी सोच है। आपका रहन -सहन और संस्कृति है। चार लोगों को खुश करने के लिए पानी की तरह पैसा बहा रहे हैं मगर यह नहीं सोच रहे हैं कि जिन्दगी जब हंसकर या रोकर दो लोगों को ही गुजारनी है तो फिर चार लोगों को खुश करने के लिए अपनी जीवन भर की कमाई स्वाहा करना कहां की बुद्धिमानी है। यह बात सिर्फ शादियों पर ही नहीं बल्कि हर तरह के रिश्ते पर लागू होती है..स्मृतियां साथ चाहती हैं, पैसा उसके बाद की चीज है। कमाइए, खूब कमाइए मगर यह मत भूलिए कि आपके रिश्तों को आपकी जरूरत ज्यादा है। बच्चों को लायक बनाएंगे, आत्मनिर्भर बना देंगे तो पैसे वह खुद ही कमा लेंगे मगर इस समय अगर आप उनको अपना साथ नहीं दे पा रहे तो आप उनसे शिकायत नहीं कर सकेंगे और करनी भी नहीं चाहिए । अपने दोस्तों को, परिवार को, समाज को..काम को उनके हिस्से का समय दीजिए… न ज्यादा और न कम। अपना सर्वश्रेष्ठ दीजिए चाहे वह संवेदना हो, मेहनत हो या कुछ और..शत- प्रतिशत दीजिए मगर पूरी जिन्दगी नहीं..क्योंकि जिन्दगी में संतुलन जरूरी है…चार लोगों के लिए खुद पर अत्याचार करना बुद्धिमानी नहीं है क्योकि जिन्दगी की गाड़ी को भीड़ नहीं खींचती..उसे आप खींचते हैं बस आपके साथी…समय और स्थान के अनुसार बदल जाते हैं..नववर्ष की अग्रिम हार्दिक शुभकामनाएं ।

नेफ्रोकेयर इंडिया ने आयोजित किया वॉकथॉन

कोलकाता । नेफ्रोकेयर इंडिया, अपने समृद्धशाली अस्तित्व के तीन साल पूरे करने पर गर्व महसूस कर रहा है। संस्थान का कहना है कि, रिसर्च में पाया गया है कि, रोजाना नियमित 30 मिनट तेज चलने से हमारे शरीर में किडनी स्वस्थ रहती है, इसे ध्यान में रखते हुए हमने इस सुनहरे मौके पर ‘स्वास्थ्य के लिए चलें, अपनी किडनी के लिए चलें’ का संदेश लोगों तक पहुंचने के लिए हम वॉकथॉन का आयोजन कर रहे हैं। वॉकथॉन में लगभग 400 प्रतिभागियों के साथ समाज की कई मशहूर हस्तियां भी इसमें शामिल हुईं, जिन्होंने इस स्वस्थ अभ्यास के विचार को फैलाने के लिए उनके कदम मिलाए। यह वॉकथॉन नेफ्रोकेयर से शुरू हुई और होटल गोल्डन ट्यूलिप पर समाप्त हुई। इस कार्यक्रम में कंपनी के निदेशक डॉ. प्रतीम सेनगुप्ता का संदेश प्रस्तुत किया गया। इस कार्यक्रम में समाज की कई प्रतिष्ठित हस्तियों में डॉ. प्रतीम सेनगुप्ता (नेफ्रो केयर के संस्थापक एवं निदेशक), राम कृष्ण जायसवाल (मालदीव के वाणिज्य राजदूत), अरिंदम सिल (अभिनेता एवं फिल्म निर्देशक), पियाली बसाक (पर्वतारोही), आशीष मित्तल (गोल्डन ट्यूलिप होटल के निदेशक) के साथ कई गणमान्य व्यक्ति इस अवसर पर मौजूद थे।नेफ्रो केयर के संस्थापक और निदेशक, नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. प्रतीम सेनगुप्ता ने मीडिया से बात करते हुए कहा, हम अपनी स्थापना की तीसरी वर्षगांठ मना रहे हैं, हमने किडनी रोग की रोकथाम और इसके उपचार की दिशा में काम करते हुए तीन सफल वर्ष पूरे कर लिए हैं। भारत जैसे देश के लिए, जो संसाधनों की कमी से जूझ रहा है, एसी स्थिति में नेफ्रोकेयर हमारे लिए सही मंत्र और एकमात्र गंतव्य स्थल बन गया है। नेफ्रोकेयर में हमारा दृढ़ विश्वास है कि हर रोज़ 30 मिनट तेज चलना हमारे शरीर में हमारी बहुत सी स्वास्थ्य समस्याओं का समाधान कर सकता है। इस साल गत 5 जुलाई को हम एसएमई आईपीओ में सूचीबद्ध हुए और 15 जुलाई से मध्यमग्राम में अपना नया मल्टी स्पेशियलिटी हॉस्पिटल (विवासिटी मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल) शुरू किया। नेफ्रोकेयर विशेषज्ञों की एक टीम किडनी/संबंधित विकार से पीड़ित किसी भी व्यक्ति को समग्र देखभाल प्रदान करता है।

साहित्यिकी द्वारा हिंदी के महान साहित्य सेवी डॉ श्यामसुंदर दास पर की गोष्ठी 

कोलकाता ।  भारतीय भाषा परिषद के पुस्तकालय में साहित्यिकी संस्था द्वारा हिंदी शब्द सागर के महान इतिहासकार डॉ श्यामसुंदर दास पर चर्चा की। साहित्यिकी संस्था द्वारा आयोजित इस मासिक गोष्ठी में अतिथि वक्ता विद्वान डॉ ऋषिकेश राय रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता की स्कॉटिश चर्च कॉलेज की ऐसोसिएट प्रो साहित्यकार डॉ गीता दूबे ने किया। सदस्य वक्ता मीतू कानोड़िया और संचालन किया चंदा सिंह ने। आलोचक एवं प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ श्यामसुंदर दास पर डॉ ऋषिकेश राय का विद्वत्तापूर्ण प्रभावशाली वक्तव्य ज्ञानवर्धक तो था ही पुस्तकीय सूचनाओं से अलग मौलिक एवं विचारणीय रहा । डॉ ऋषिकेश राय ने कहा कि श्यामसुन्दर दास (१४ जुलाई 1875 – 1945 ई.) हिंदी के अनन्य साधक, विद्वान्, आलोचक और शिक्षाविद् थे। हिंदी साहित्य और बौद्धिकता के पथ-प्रदर्शकों में उनका नाम अविस्मरणीय है। हिंदी-क्षेत्र के साहित्यिक-सांस्कृतिक नवजागरण में उनका योगदान विशेष रूप से उल्लेखनीय है। उन्होंने और उनके साथियों ने मिल कर सन् 1893 में काशी नागरी प्रचारिणी सभा की स्थापना की थी ।साथ ही ही शब्द कोष शबदसागर की रचना की। हिन्दी के महान सेवक बाबू श्यामसुन्दर दास विश्वविद्यालयों में हिंदी की पढ़ाई के लिए यदि बाबू साहब ने पुस्तकें तैयार न की होतीं तो शायद हिंदी का अध्ययन-अध्यापन आज सबके लिए इस तरह सुलभ न होता। उनके द्वारा की गयी हिंदी साहित्य की पचास वर्षों तक निरंतर सेवा के कारण कोश, इतिहास, भाषा-विज्ञान, साहित्यालोचन, सम्पादित ग्रंथ, पाठ्य-सामग्री निर्माण आदि से हिंदी-जगत समृद्ध हुआ। उन्हीं के अविस्मरणीय कामों ने हिंदी को उच्चस्तर पर प्रतिष्ठित करते हुए विश्वविद्यालयों में गौरवपूर्वक स्थापित किया।
डॉ गीता ने अध्यक्षीय वक्तव्य में श्यामसुंदर दास की पुस्तक साहित्यलोचन पर चर्चा की जो उनके ज्ञान और अध्ययन का परिचायक था।डॉ गीता ने कहा कि आज फिर से हमें विद्यार्थियों को हिंदी के महान इतिहासकार डॉ श्यामसुंदर दास के विषय में जानकारी देने की आवश्यकता है।
छंदोबद्ध कविता लेखन में निपुण कवयित्री मीतू कानोड़िया ने बाबू श्यामसुन्दर दास जी के बहुमुखी व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए हिन्दी भाषा, आलोचना, इतिहास, प्रबंध, जीवनी निर्माण, कोष विज्ञान के विकास में उनका योगदान अतुलनीय है।वें आजीवन हिन्दी भाषा और साहित्य के आधारभूत विकास के लिए पूरी निष्ठा और समर्पण से लगे रहे।मीतू कानोड़िया ने अपने सारगर्भित आलेख में श्यामसुंदर दास के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डाला।चंदा सिंह का संचालन बहुत सुंदर रहा।डॉ वसुंधरा मिश्र ने बताया कि इस कार्यक्रम में धन्यवाद संस्था की अध्यक्ष विद्या भंडारी ने दिया।

भौतिकी प्रयोगों पर नंदिनी राहा मेमोरियल कार्यशाला का आयोजन

कोलकाता ।  भवानीपुर एजुकेशन सोसाइटी कॉलेज (बीईएस कॉलेज) के भौतिकी विभाग और इंडियन एसोसिएशन ऑफ फिजिक्स टीचर्स (आईएपीटी, आरसी-15) ने संयुक्त रूप से 3 दिसंबर से 7 दिसंबर तक भौतिकी प्रयोगों पर एक अल्पकालिक प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम पर नंदिनी राहा मेमोरियल कार्यशाला का आयोजन किया। दिसंबर, 2024 मेंआईक्यूएसी और सेमिनार/एफडीपी/कार्यशाला समिति, विज्ञान अनुभाग, बीईएस कॉलेज, कोलकाता के साथ आयोजित किया । आई ए पी टी भौतिकी शिक्षकों का एक अखिल भारतीय निकाय है, जिसका घोषित लक्ष्य “सभी स्तरों पर भौतिकी शिक्षण-अध्ययन की बेहतरी” है, और इसी भावना को ध्यान में रखते हुए इसके 10000 से अधिक सदस्य आई ए पी टी के बैनर तले काम कर रहे हैं। बेहतर कामकाज के लिए, निकाय को विभिन्न क्षेत्रीय परिषदों (आरसी) के माध्यम से विकेंद्रीकृत किया गया है और पश्चिम बंगाल में आईएपीटी गतिविधियां आरसी-15 द्वारा संचालित की जाती हैं। आईएपीटी ने स्नातक छात्रों के लिए प्रयोगशाला कौशल पर विभिन्न कार्यशालाएं, सेमिनार और प्रशिक्षण आयोजित किए।

स्नातक भौतिकी पाठ्यक्रम में विभिन्न पेपरों में प्रयोगों की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल है। हालाँकि, यह कार्यशाला अनुभवी प्रोफेसरों द्वारा डिज़ाइन किए गए नवीन प्रयोगों का पता लगाने का एक अनूठा अवसर प्रदान करके पाठ्यक्रम से आगे निकल गई। स्वदेशी और इंटरैक्टिव तरीकों से तैयार किए गए इन प्रयोगों का उद्देश्य अंतर्निहित भौतिक नियमों को प्रमुखता से चित्रित करना था। यह ज्ञात है कि किसी भी अंतःक्रिया या गतिशील प्रणाली को प्रासंगिक भौतिक कानूनों का पालन करना चाहिए। हालाँकि, एक प्रयोग एक सावधानीपूर्वक डिज़ाइन की गई और व्यवस्थित प्रक्रिया है जो मापने योग्य मात्रा और प्रतिलिपि प्रस्तुत करने योग्य परिणाम उत्पन्न करती है। इस कार्यशाला ने छात्रों को यह जानने के लिए सशक्त बनाने का काम किया कि मापने योग्य मात्रा प्राप्त करने के लिए सरल व्यवस्था कैसे तैयार की जा सकती है।

इस कार्यशाला के माध्यम से, छात्रों ने सरल लेकिन प्रभावी प्रयोगों के माध्यम से जटिल अवधारणाओं की खोज करते हुए, भौतिक कानूनों के साथ व्यावहारिक अनुभव प्राप्त किया था। कार्यशाला का उद्देश्य छात्रों को भौतिक विज्ञान में उनके भविष्य के प्रयासों के लिए प्रेरित करना और मार्गदर्शन करना है।

कार्यशाला में लेडी ब्रेबॉर्न कॉलेज, एस.ए. जयपुरिया कॉलेज, द हेरिटेज कॉलेज, बेथ्यून कॉलेज, आशुतोष कॉलेज सहित द बीईएस कॉलेज जैसे विभिन्न कॉलेजों से प्रथम सेमेस्टर के तीस (30) छात्रों ने भाग लिया था। इस कार्यशाला में बीईएस कॉलेज के पांचवें सेमेस्टर के छात्रों ने मार्गदर्शक की भूमिका निभाई। इस कार्यशाला को आयोजित करने में बीईएस कॉलेज के भौतिकी विभाग के उनतीस (29) आईएपीटी विशेषज्ञों, शिक्षकों और प्रयोगशाला कर्मचारियों ने बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

सभी प्रतिभागियों ने प्रायोगिक भौतिकी पर एक इंटरैक्टिव, रोमांचक और समृद्ध कार्यशाला में काम करने का अनुभव किया। स्मार्टफ़ोन के साथ प्रयोगों ने बुनियादी भौतिकी सीखने और सिखाने के लिए सबसे साधन संपन्न उपकरण की सराहना की। डॉ. सुरजीत चक्रवर्ती एवं डॉभूपति चक्रवर्ती, आईएपीटी के वर्तमान सदस्य और महाराजा मणींद्र चंद्र कॉलेज और सिटी कॉलेज, कोलकाता के पूर्व एसोसिएट प्रोफेसर क्रमशः इन नवीन प्रयोगों को आयोजित करने वाली कार्यशाला के व्यक्तित्व थे।

एक छात्र ने साझा किया, “शिक्षकों और छात्रों के साथ यह एक अद्भुत अनुभव था। मैंने भौतिकी प्रयोग करने की नई विधियों के बारे में बहुत ज्ञान प्राप्त किया है।”  एक अन्य छात्र का विचार है कि “प्रयोग करने में यह अमूल्य ज्ञान और अनुभव था। हमें अद्भुत प्रयोगों के लिए नवीन, रचनात्मक और आधुनिक दृष्टिकोण सिखाया गया।”

आईएपीटी के संसाधन व्यक्तियों में से एक, प्रोनेताजी सुभाष ओपन यूनिवर्सिटी की पूर्व कुलपति मणिमाला दास ने अच्छे भाव के साथ एक नोट दिया, “भौतिकी विभाग, बीईएस कॉलेज में उत्कृष्ट बुनियादी ढांचा, शिक्षण और सहायक कर्मचारी हैं। छात्र प्रतिभागी उत्साहित हैं और उन्होंने तेजी से नए विचार सीखे, जो समग्र रूप से बहुत संतोषजनक हैं।’डॉ। चिन्मय घोष, पूर्व निदेशक, एनसीआईडीई, इग्नू ने टिप्पणी की, “मैं कॉलेज के बुनियादी ढांचे और विभाग के शिक्षकों की भागीदारी के विस्तार से बहुत प्रभावित हूं। मुझे यकीन है कि छात्र इसका लाभ उठा सकेंगे।” डॉ। ओएनजीसी, भारत में पूर्व डीजीएम (भूभौतिकी) अचिंत्य पाल ने टिप्पणी की, “… विशेष रूप से कॉलेज की उत्कृष्टता से आश्चर्यचकित हूं।”

छात्रों का मूल्यांकन किया गया और कार्यशाला के अंत में सभी को प्रमाणित किया गया। डॉ वसुंधरा मिश्र ने बताया कि 23 विभिन्न स्वदेशी प्रयोगों के साथ डिज़ाइन की गई यह कार्यशाला बहुत ही महत्वपूर्ण रही।

थिएटर पत्रिका रंगरस पत्रिका का लोकार्पण

कोलकाता । लिटिल थेस्पियन ने भारतीय भाषा परिषद के के सहयोग से उसके सभागार में थिएटर पत्रिका रंगरस पत्रिका का लोकार्पण किया। वरिष्ठ नाटककार श्री प्रताप सहगल विशेष रूप पत्रिका के लोकार्पण के लिए ही दिल्ली से कोलकाता आए थे। रंगरस पत्रिका की शुरुआत 2010 में अज़हर आलम ने की थी जो उर्दू भाषा की एकमात्र थिएटर पत्रिका थी | फिर 2022 में इसका एक और अंक मोहम्मद काज़िम के संपादन में आया | अब 2024 में इस पत्रिका के संपादन का दायित्व लिटिल थेस्पियन की संस्थापक, निर्देशक उमा झुनझुनवाला और अज़हर आलम की सुपुत्री गुंजन अज़हर ने उठाया है जो हिंदी और अंग्रेजी भाषा में प्रकाशित होगी। इस पत्रिका के लोकार्पण में उपस्थित थे दैनिक छपते-छपते पत्रिका के प्रधान संपादक विश्वभर नेवर, भारतीय भाषा परिषद के निदेशक प्रोफेसर शंभुनाथ, अध्यक्षीय वक्ता के तौर पर पश्चिम बंगाल शिक्षक प्रशिक्षण की कुलपति प्रोफ़ेसर सोमा बंदोपाध्याय, अतिथि वक्ता के रूप में नाट्य समीक्षक अंशुमान भौमिक, विशिष्ट वक्ता के तौर पर नाटककार ज़हीर अनवर, कस्बा अर्घ्य के नाट्य निर्देशक श्री मनीष मित्रा और पीपुल्स थिएटर ग्रुप के नाट्य निर्देशक निलॉय रॉय | प्रेम कपूर ने रंगरस पत्रिका की संपादक गुंजन अज़हर को साधुवाद देते हुए कहा कि पाठको को ही पत्रिका को आगे बढ़ाने में सहयोग करना होगा। जिससे उनमें मानसिक विकास और नाटकों को समझने की समझ पैदा होगी। विजय भारती (कुलपति, हिंदी विश्वविद्यालय) की अनुपस्थिति में पार्वती रघुनंदन ने उनके लिखे विचारों को लिखित रूप में पढ़ा। विजय भारती ने रंगरस पत्रिका को आलोचना का केंद्र बताया। प्रोफ़ेसर सोमा बंदोपाध्याय ने अध्यक्षीय भाषण में रंगमंच के महत्व पर दृष्टि डालते हुए ये कहा कि नई पीढ़ियों के लिए ये पत्रिका नाटकों की अच्छी आलोचना साबित हो सकती है।रंगरस पत्रिका के लोकार्पण के कार्यक्रम का धन्यवाद ज्ञापन लिटिल थेस्पियन की संस्थापक, निर्देशक उमा झुनझुनवाला ने किया और इस लोकार्पण का सफल संचालन संगीता व्यास ने किया।

डॉ॰ प्रबोध नारायण सिंह स्मृति व्याख्यान एवं सृजन सारथी सम्मान 2024

कोलकाता । कलकत्ता विश्वविद्यालय, हिन्दी विभाग एवं शुभ सृजन नेटवर्क के संयुक्त तत्वावधान में प्रो. प्रबोध नारायण सिंह जन्मशताब्दी वर्ष में प्रबोध नारायण सिंह स्मृति व्याख्यान एवं सृजन सारथी सम्मान-2024 कार्यक्रम का आयोजन किया गया। पूर्व प्रोफेसर एवं हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. चंद्रकला पाण्डेय  ने प्रबोध नारायण सिंह जी को याद करते हुए कहा कि वे प्रभावशाली व्यक्तित्व के धनी, भाषा विज्ञान के मर्मज्ञ विद्वान, हिन्दी साहित्य के अध्येता, छात्र-वत्सल, सम्मोहक वक्ता आदि गुणों से परिपूर्ण थे। उन्होंने साहित्य के प्रति अपनी गहन निष्ठा के कारण हिंदी एवं मैथिली भाषा को समृद्ध करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। इस अवसर पर हिन्दी विभाग के पूर्व आचार्य एवं वरिष्ठ आलोचक प्रो॰ शंभुनाथ ने अपने वक्तव्य में कहा कि डॉ॰ सिंह मेधा और विद्वता से पूर्ण प्राध्यापक के रूप में लब्धप्रतिष्ठित एवं उत्कृष्ट समाजसेवी  थे। वरिष्ठ पत्रकार विश्वंभर नेवर ने उनके अध्यापकीय कौशल की प्रशंसा करते हुए उनके व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला । विभाग के पूर्व आचार्य प्रो॰ अमरनाथ ने देशभर में कई सम्मानों एवं पुरस्कारों से सम्मानित पूर्व प्रो॰ चन्द्रकला पाण्डेय के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम की शुरुआत हिन्दी विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो॰ राजश्री शुक्ला  ने अपने स्वागत वक्तव्य से किया।

साहित्य, संस्कृति और कला में विशिष्ट योगदान के लिए कलकत्ता विश्वविद्यालय की पूर्व प्रोफेसर एवं पूर्व राज्यसभा सांसद चंद्रकला पाण्डेय को शुभ सृजन नेटवर्क के द्वारा ‘सृजन सारथी सम्मान-2024’ समादृत किया गया । मानपत्र देकर सम्मानित किया कलकत्ता विश्वविद्यालय की हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो. राजश्री शुक्ला ने, उत्तरीय पहनाकर सम्मानित किया विश्वविद्यालय के पूर्व आचार्य अमरनाथ जी और पत्रकार विश्वंभर नेवर जी ने एवं पुष्पगुच्छ देकर सम्मानित किया विश्वविद्यालय के पूर्व आचार्य शंभुनाथ जी ने। कार्यक्रम में कलकत्ता महानगर के प्रतिष्ठित महाविद्यालयों के  प्राध्यापक/प्राध्यापिका एवं अन्य गणमान्य डॉ. ममता त्रिवेदी, डॉ. कुलदीप कौर, प्रो. मंटू दास, प्रो. मनीषा त्रिपाठी, डॉ. अल्पना नायक, डॉ. सत्यप्रकाश तिवारी, डॉ. नमिता जायसवाल, डॉ. विक्रम साव, उत्तम कुमार ठाकुर, कार्तिक कुमार साव, पीहू पापिया, डॉ. विजया सिंह, नूपुर तिवारी, श्रीमोहन तिवारी आदि उपस्थित थे। इस कार्यक्रम को सफल बनाने में स्नातकोत्तर के विद्यार्थियों और शोधार्थियों की मुख्य भूमिका रही।  कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ. राम प्रवेश रजक और सुषमा त्रिपाठी ने किया । धन्यवाद ज्ञापन स्कॉटिश चर्च कॉलेज के हिन्दी विभाग की प्राध्यापिका डॉ. गीता दुबे ने किया।

भारतीय ज्ञान परंपरा पर पुनश्चर्या पाठ्यक्रम

कोलकाता । कलकत्ता विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग द्वारा मालवीय मिशन टीचर ट्रेनिंग कॉलेज(कलकत्ता विश्वविद्यालय )के अंतर्गत एक ऑनलाइन पुनश्चर्या पाठ्यक्रम आयोजन किया गया । 3 दिसंबर से 16 दिसंबर तक आयोजित इस विस्तृत कार्यक्रम के संयुक्त समन्वयक प्रो राजश्री शुक्ला एवम् डॉ राम प्रवेश रजक ने अप्रतिम भूमिका निभाई। इस पाठ्यक्रम का मूल विषय था – ‘ भारतीय ज्ञान परंपरा और बहुभाषिकता’ । 14 दिवसीय इस पुनश्चर्या पाठ्यक्रम का आरंभ 03 दिसंबर से हुआ व इस पाठ्यक्रम संबद्ध कार्यक्रम का समापन 16 दिसंबर को प्रतिभागियों द्वारा विषय सापेक्ष ppt प्रदर्शनी व उत्कृष्ट प्रतिक्रियाओं के द्वारा हुआ । समस्त देश के विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों के 85 प्राध्यापक इस कार्यक्रम में प्रतिभागी के रूप में शामिल रहे । समस्त भारत के विशिष्ट विद्वान प्रोफेसर प्रतिदिन इस मूल विषय से संबंधित अनेक विषयों पर निरंतर श्रेष्ठ व्याख्यान देने के साथ ही प्रतिभागियों के साथ विचार विमर्श करते रहे । इस पाठ्यक्रम में अपना वक्तव्य देने वाले प्रोफेसर रहे – प्रो. सूर्य प्रसाद दीक्षित, प्रो.मनोज कुमार राय, प्रो. सूरज पालीवाल, प्रो.रजनीश शुक्ल, प्रो. राजमुनी, प्रो.राजश्री शुक्ल, प्रो.शिवशंकर मिश्र, प्रो. श्रद्धा सिंह, प्रो. अल्का पाण्डेय, प्रो. संदीप विश्वनाथराव रणभीरकर, प्रो. शंभूनाथ, प्रो. अमरनाथ शर्मा, प्रो. पूरन चंद टंडन, प्रो. अनिल कुमार राय, प्रो. सत्यकाम, प्रो. सुजाता त्रिपाठी, प्रो. कृष्ण कुमार सिंह, प्रो.चंद्रकला पाण्डेय, प्रो.सुचरिता बंदोपाध्याय, प्रो.अल्पना मिश्र, प्रो. दिनेश कुमार चौबे, प्रो. सुधीर शर्मा, प्रो. सुनील बाबूराव कुलकर्णी, प्रो. मनोज पाण्डेय, प्रो. जितेंद्र श्रीवास्तव, प्रो. बहादुर सिंह परमार, प्रो. शिवप्रसाद शुक्ल, प्रो. संदीप अवस्थी आदि । इन सुसमृद्ध विशेषज्ञों ने भारतीय ज्ञान परंपरा की अवधारणा को विभिन्न परिप्रेक्ष्यों से जोड़कर अपना वक्तव्य श्रोताओं के सम्मुख रखा । इन विषयों में भारतीय ज्ञान परंपरा और दर्शन ,नई शिक्षा नीति , भारतीय ज्ञान परंपरा के आलोक में कबीर की वाणी, भारतीय ज्ञान परंपरा और हिंदी नाट्य भाषा, भारतीय ज्ञान परंपरा में भारतीय काव्यशास्त्र की उपादेयता, भारतीय ज्ञान परंपरा एक विहंगावलोकन, भारतीय ज्ञान परंपरा के विविध आयाम और समकालीनता,भारतीय परंपरा में बहुभाषिकता इत्यादि अनेकों विषयों पर अनवरत व्याख्यान की श्रृंखला चलती रही। अंततः समन्वयक की भूमिका का निर्वहन कर रहे कलकत्ता विश्वविद्यालय, हिंदी विभाग के दोनों प्राध्यापकों ने पारंपरिक तौर पर सभी को धन्यवाद ज्ञापित किया। मालवीय मिशन टीचर ट्रेनिंग कॉलेज के निदेशक प्रो लक्ष्मी नारायण सत्पथी जी के कुशल निर्देशन में सम्पन्न हुए इस कार्यक्रम का समापन प्रो सत्पथी के द्वारा किया गया।

स्वच्छ, स्वस्थ, सुरक्षित व डिजिटल होगा महाकुम्भ 2025, आएंगे 45 करोड़ श्रद्धालु

-योगी सरकार के दो मंत्रियों ने किया रोड शो
-राज्यपाल व सीएम को दिया गया महाकुम्भ का आमंत्रण
कोलकाता । योगी सरकार महाकुंभ-2025 को भारतीय संस्कृति और एकता का वैश्विक प्रतीक बनाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। इसी क्रम में, उत्तर प्रदेश के वन एवं पर्यावरण, जन्तु उद्यान एवं जलवायु परिवर्तन, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. अरुण कुमार सक्सेना ने कोलकाता में एक भव्य रोड शो का नेतृत्व किया। उन्होंने महाकुंभ के आयोजन को भारत की विविधता में एकता का अद्वितीय उत्सव बताते हुए पश्चिम बंगाल के राज्यपाल डॉ. सी.वी. आनंद बोस, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी तथा वहां की सम्मानित जनता को प्रयागराज महाकुंभ-2025 में आने का आमंत्रण दिया। उन्होंने कहा कि यह सरकार महाकुंभ में अंतरराष्ट्रीय सहभागिता और अत्याधुनिक सुविधाओं के साथ इसे ऐतिहासिक बनाने की दिशा में अहम कदम उठा रही है। उत्तर प्रदेश के वन एवं पर्यावरण, जन्तु उद्यान एवं जलवायु परिवर्तन, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. अरुण कुमार सक्सेना ने कहा कि महाकुंभ, भारत की सांस्कृतिक, आध्यात्मिक चेतना का स्पंदन है। ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत-समावेशी भारत’ की दिव्य और जीवंत झांकी है। इस बार आयोजित हो रहा महाकुंभ पिछले कुंभ से और अधिक दिव्य एवं भव्य होगा। प्रयागराज महाकुंभ-2025 में 45 करोड़ तीर्थयात्रियों, साधु, संतों, कल्पवासियों एवं पर्यटकों के आने की संभावना है। इसके दृष्टिगत उत्तर प्रदेश सरकार ने समयबद्ध ढंग से समुचित प्रबंध कर लिया है। सक्सेना ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि 13 जनवरी से 26 फरवरी 2025 तक माँ गंगा, यमुना और सरस्वती के पावन संगम तट पर प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन हो रहा है। यूनेस्को द्वारा घोषित विश्व मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर महाकुंभ 12 वर्ष के अंतराल पर एक बार फिर प्रयाग की पुण्य धरा पर आयोजित हो रहा है। सक्सेना ने महाकुंभ की तैयारी के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि यह स्वच्छ, स्वस्थ, सुरक्षित एवं डिजिटल महाकुंभ है। मेला को पर्यावरण के अनुकूल बनाने के लिए सिंगल यूज प्लास्टिक मुक्त महाकुम्भ का संकल्प लिया गया है। इस अभियान के तहत मेला क्षेत्र में विभिन्न दोना-पत्तल विक्रेताओं की दुकानों का आवंटन, 400-स्कूल के प्रधानाचार्य के साथ स्वच्छता पर बैठक, 4 लाख बच्चों और प्रयागराज की जनसंख्या के 5 गुना नागरिकों तक स्वच्छ महाकुम्भ की पहल को पहुंचाया जा रहा है। साथ ही हर घर दस्तक अभियान के अंतर्गत सिंगल यूज प्लास्टिक मुक्त का संदेश घर-घर दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि महाकुंभ- 2025 को हरियाली से भरा बनाने के लिए क्लीन के साथ-साथ ग्रीन कुंभ पर विशेष ध्यान दिया गया है। पूरे प्रयागराज में करीब तीन लाख पौधों का रोपण भी किया गया है। मेले के खत्म हो जाने के बाद पौधों को संरक्षण खुद उत्तर प्रदेश सरकार करेगी। तीर्थयात्रियों, साधु, संतों, कल्पवासियों और पर्यटकों के स्वास्थ्य देखभाल की भी व्यवस्था है। विशेषज्ञ चिकित्सकों की बड़े पैमाने पर तैनात किया गया है। परेड ग्राउंड में 100 बेड का अस्पताल बनाया गया है। 20 बेड के दो और 8 बेड के छोटे अस्पताल भी तैयार किए गए हैं। मेला क्षेत्र और अरैल में 10-10 बेड के दो आईसीयू, आर्मी हॉस्पिटल की ओर से बनाए गए हैं। इन अस्पतालों में 24 घंटे डॉक्टरों की तैनाती रहेगी। इसके दृष्टिगत 291 एमबीबीएस व स्पेशलिस्ट, 90 आयुर्वेदिक और यूनानी विशेषज्ञ और 182 स्टॉफ नर्स की व्यवस्था है। यही नहीं अस्पतालों में पुरुष, महिला और बच्चा वार्ड अलग-अलग तैयार किए गए हैं। डिलीवरी रूम, इमरजेंसी वार्ड और डॉक्टर्स रूम भी रहेंगे।
महाकुंभ की वेबसाइट, ऐप, 11 भाषाओं में एआई चैट बॉट, लोगों एवं वाहनों के लिए क्यूआर आधारित पास, बहुभाषीय डिजिटल खोया-पाया केंद्र, स्वच्छता एवं टेंटों की आईसीटी निगरानी, भूमि और सुविधा आवंटन के लिए सॉफ्टवेयर, बहुभाषीय डिजिटल साइनेज वीएमडी, स्वचालित राशन आपूर्ति प्रणाली, ड्रोन आधारित निगरानी एवं आपदा प्रबंधन, 530 परियोजनाओं की निगरानी का लाइव सॉफ्टवेयर, इन्वेंटरी ट्रैकिंग सिस्टम और सभी स्थलों का गूगल मैप पर एकीकरण किया गया है।
पर्यटकों को वहां पार्किंग की समस्या से न जूझना पड़े इसकी भी व्यवस्था है। इसके दृष्टिगत 101 स्मार्ट पार्किंग बनाए गए हैं, जिनमें प्रतिदिन पांच लाख वाहन पार्क किए जा सकेंगे। 1867.04 हेक्टेयर क्षेत्रफल में फैला पार्किंग स्थल 2019 के 1103.29 हेक्टेयर के सापेक्ष 763.75 हेक्टेयर बड़ा है। इन पार्किंग स्थल की निगरानी इंट्रीग्रेटेड कंट्रोल कमांड सेंटर के माध्यम से की जाएगी। महाकुंभ नगरी में 35 पुराने और 9 नए पक्के घाट बनाए गए हैं, जो श्रद्धालुओं के स्नान में काफी सहायक साबित होंगे। 12 किलोमीटर क्षेत्र में फैले सभी 44 घाटों पर हेलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा की जाएगी। उन्होंने कहा कि मुंबई की मरीन ड्राइव की तर्ज पर गंगा किनारे लगभग 15.25 किलोमीटर क्षेत्र में संगम से नागवासुकी मंदिर तक, सूरदास से छतनाग तक, कर्जन ब्रिज के समीप से महावीर पुरी तक रिवर फ्रंट का निर्माण कराया गया है। इसके अलावा इंट्रीग्रेटेड कंट्रोल कमांड सेंटर को अपग्रेड किया गया है। इससे भीड़ प्रबंधन में सहायता मिलेगी। सीसीटीवी कैमरों को देखने के लिए 52 सीटर चार व्यूइंग सेंटर स्थापित किए गए हैं। प्रयागराज महाकुंभ- 2025 में लगभग 45 करोड़ श्रृद्धालुओं के आने की संभावना है, जो एक बड़ा कीर्तिमान होगा। इन तकनीकी विधियों से हर व्यक्ति की गिनती की जाएगी। पहली विधि एट्रिब्यूट आधारित खोज है। इसके अंतर्गत पर्सन एट्रिब्यूट सर्च कैमरों के आधार पर ट्रैकिंग की जाएगी। दूसरी विधि आरएफआईडी रिस्ट बैंड है, इसके तहत तीर्थयात्रियों को रिस्ट बैंड प्रदान किए जाएंगे, आरएफआईडी रीडर, रिस्ट बैंड के माध्यम से अंदर और बाहर जाने का समय की ट्रैकिंग की जाएगी। वहीं तीसरी विधि मोबाइल ऐप द्वारा ट्रैकिंग है। इसके माध्यम से तीर्थयात्रियों की सहमति पर मोबाइल ऐप के जीपीएस लोकेशन के माध्यम से लोकेशन ट्रैकिंग की जाएगी। उत्तर प्रदेश के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), गन्ना विकास एवं चीनी मिलें, श्री संजय सिंह गंगवार ने कहा कि कुंभ, एक मेला अथवा स्नान की डुबकी मात्र न होकर, भारतवर्ष की अनेकता में एकता का शाश्वत और समेकित जय-घोष है।