कोलकाता । रानी बिड़ला गर्ल्स काॅलेज, कोलकाता में छात्र सप्ताह समारोह के अंतर्गत हिंदी विभाग द्वारा काव्य आवृत्ति प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस आयोजन में विधार्थियों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। विधार्थियों को शुभकामना संदेश देती हुई डाॅ.पुष्पा तिवारी ने कहा कि काव्य की बेहतर आवृत्ति ही संवेदनाओं की सही अभिव्यक्ति कर सकती है। आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ की समन्वयक प्रो.सुष्मिता दास ने कहा कि काव्य आवृत्ति से विधार्थी अपने विचारों और मनोभावों को व्यक्त करता है। निर्णायक के तौर पर भूगोल विभाग के प्रोफेसर शायन दत्ता उपस्थित थे। कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ.विजया सिंह ने एवं धन्यवाद ज्ञापन विभागाध्यक्ष प्रो.मंटू दास ने किया।
इमरान ज़की को सेंट जेवियर्स कॉलेज एल्युमिनी रियूनियन का ज़ेवेरियन पुरस्कार
भवानीपुर एजुकेशन सोसाइटी कॉलेज के डायरेक्टर जनरल अर्थशास्त्री डॉ सुमन मुखर्जी का निधन
बंगाल कला, संस्कृति को संरक्षित करने वाली धरती है : कैलाश खेर
कोलकाता । भवानीपुर कॉलेज में साहित्य ,कला और संगीत महोत्सव “उमंग 24” का समापन समारोह प्रसिद्ध गायक कैलाश खेर जी के गीतों की लाइव प्रस्तुति से हुई जो एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम रहा । इस वर्ष कॉलेज को नैक में ए ग्रेड प्राप्त हुआ और भवानीपुर ग्लोबल विश्वविद्यालय बनने की मंजूरी भी मिली। इस वर्ष की महत्वपूर्ण उपलब्धियां रहीं। कैलाश खेर (जन्म 7 जुलाई 1973) एक भारतीय संगीतकार और गायक हैं। वह भारतीय लोक संगीत और सूफी संगीत से प्रभावित संगीत शैली में गाने गाते हैं। वह शास्त्रीय संगीतकार कुमार गंधर्व, हृदयनाथ मंगेशकर, भीमसेन जोशी और कव्वाली गायक नुसरत फतेह अली खान से प्रेरित हैं।
प्रत्येक वर्ष की तरह भवानीपुर एजूकेशन सोसाइटी कॉलेज में “उमंग” – 24 का आगाज़ हो चुका है। कोलकाता की एलगिन रोड फिर से जाम हो गई। 25-26-27-28 दिसंबर 2024 के चारों दिन कोलकाता और बाहर से आए कॉलेज के प्रतिभागियों के लिए अहम दिन रहे। 29 दिसम्बर प्रसिद्ध गायक पद्मश्री से सम्मानित कैलाश खेर जी के गीतों का रोमांचक अनुभव रहा । अपनी दमदार आवाज़ और संगीत की अपनी अनूठी शैली के साथ, खेर ने खुद को भारत के सबसे लोकप्रिय पार्श्व गायकों में से एक के रूप में स्थापित किया है।भवानीपुर कॉलेज के पास नार्दर्न पार्क में लगभग दस हजार विद्यार्थियों ने कैलासा लाइव का आनंद लिया। “उमंग” केवल वार्षिकोत्सव नहीं है, वह युवा प्रतिभाओं का महोत्सव है, प्रतिभाओं का चुनाव उत्सव है।
कार्यक्रम कैलासा लाइव में पद्मश्री कैलाश खेर को वाइस-चेयरमैन मिराज डी शाह और उनकी पत्नी शालिनी डी शाह ने माँ दुर्गा की मूर्ति मोमेंटो रूप में प्रदान कर उनका सम्मान किया। कोलकाता के प्रतिष्ठित कॉलेजों के उमंग में भाग लेने वाले प्रतिभाशाली विद्यार्थियों ने इस अवसर का आनंद लिया । इसमें तीस से अधिक स्पॉन्सर्स ने अपना योगदान दिया। सुप्रसिद्ध गायक कैलाश खेर ने अपने गीतों से विद्यार्थियों, अतिथियों तथा बंगाल के सांस्कृतिक वातावरण को समृद्ध किया। तेरी दिवानी, सैंया जैसे अपने लोकप्रिय गीतों की लाइव प्रस्तुति दी। सुर सम्राट कैलाश खेर के गीत हर युवा के हृदय में बसे हुए हैं,उसका आनंद लिया साथ में अपने स्वर मिलाए, डांस किए,हजारों मोबाइल की रोशनी से पूरा नार्दर्न पार्क जगमगा उठा था। कैलाश खेर ने अपनी नृत्य भंगिमाओं से स्तब्ध कर दिया। सभी खेर की एक झलक पाने के लिए लालायित हो उठे।
कॉलेज के वाइस चेयरमैन मिराज डी शाह स्वयं पूरे आयोजन पर नजर रखे हुए थे। कॉलेज के रेक्टर और डीन प्रो दिलीप शाह ने अपने वक्तव्य में बताया कॉलेज के विद्यार्थियों की गतिविधियों के विषय में बताया और कैलाश खेर जी को बधाई और शुभकामनाएँ दी ।इस अवसर पर खेर ने कहा कि बंगाल के भवानीपुर कॉलेज में सुनने वाले हैं। बंगाल संदेश रसगुल्ला का प्रदेश है जो खुश और रस, आनंद देने वाला है। बंगाल की धरती पर एक बार गाने वाला देश विदेश के किसी भी कोने में जाकर अपना गीत सुना सकता है। बाहुबली के लिए गीत गाने वाले कैलाश खेर को सामने पाकर सभी श्रोता खुशी से भर उठे। कैलासा लाइव के पूर्व 25 को भवानीपुर कॉलेज कैम्पस में डिजाइन एकेडमी की ओर से फैशन शो , 27 दिसंबर को रिडल्स बैंड का शानदार प्रदर्शन हुआ था।
देखा जाए तो यह कार्यक्रम भवानीपुर एजूकेशन सोसाइटी कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए संदेश था कि वे भी अपने अपने क्षेत्र में विशिष्टता प्राप्त करें। पिछले दो महीने से कॉलेज के विद्यार्थियों में “उमंग” में भाग लेने की तैयारियाँ जोर शोर से चल रही हैं। क्रिसेंडो, फ्लेम, इन – एक्ट, फैशनिस्टा आदि और अन्य विद्यार्थियों में छिपी प्रतिभाओं को निखारने का काम “उमंग” करता है।
25-26 -27-28 -29 दिसंबर 2024 पांच दिन हर विद्यार्थी के लिए सचमुच उमंग, उत्साह – ऊर्जा से भर देने वाले अवसर होते हैं।25 दिसम्बर को
इस वर्ष प्रो दिलीप शाह ने “उमंग” की थीम “आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और आई” रखी जिसमें बदलते भारत और विश्व की तस्वीर कैसी होगी इसी थीम पर ही सभी कार्यक्रम किए जा रहे हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीकी ने मैं यानि व्यक्ति की सार्थकता को चुनौती दी है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मनुष्य की उपस्थिति को भी नकार रहा है। वर्चुअल युग में आने वाला समय कैसा होगा इस पर विद्यार्थियों के विभिन्न प्रदर्शन हुए । “उमंग” की मंच सज्जा भी इसी थीम पर आधारित रही जो हर वर्ष आकर्षण का केंद्र रहता है।
इस वर्ष भवानीपुर एजूकेशन सोसाइटी कॉलेज कोलकाता के लगभग 84से अधिक कॉलेजों के प्रतिभागियों के बेहतरीन प्रदर्शन को मंच देने का महत्वपूर्ण कार्य कर रहा है जो पूरे पश्चिम बंगाल के लिए एक मिसाल है।
इस अवसर पर विशेष ध्यान देने की बात है कि इस बार बाहर से छह कॉलेज और युनिवर्सिटी के प्रतिभागी विद्यार्थियों का समूह भी आया है। उमंग में शिक्षा साहित्य संस्कृति कला आदि विभिन्न क्षेत्रों में सांस्कृतिक आदान प्रदान किया गया और अपनी-अपनी विभिन्न प्रतिभाओं का प्रदर्शन किया ।
“उमंग” केवल उमंग नहीं है वह एक ऐसा महोत्सव है जो विद्यार्थियों के व्यक्तित्व में व्यवस्था, संगठन, नेतृत्व और आत्मविश्वास को विकसित करता है। चुने गए मिस्टर उमंग को पूरे देश में एक पहचान मिलती है।
शैक्षणिक संस्था के माध्यम से इवेंट को किस तरह व्यवस्थित और संगठित करके सफल बनाया जाता है इस प्रकार की शिक्षा दी जाती है। कॉलेज के सभी कमरों, वालिया सभागार, जुबली हॉल, प्लेसमेंट हॉल और कॉलेज टर्फ का इन चार दिनों तक भरपूर उपयोग होता है।प्रो दिलीप शाह ने बताया कि हर दिन 20 -22 इवेंट समानांतर चले। सभी कार्य विद्यार्थियों द्वारा किए जाते हैं और उनका निर्देशन डीन ऑफिस द्वारा किया जाता है जहांँ प्रमुख डीन प्रोफेसर दिलीप शाह एवं प्रोफ़ेसर मीनाक्षी चतुर्वेदी का विशेष योगदान रहता है ।
डॉ वसुंधरा मिश्र भवानीपुर कॉलेज से हिंदी मीडिया प्रभारी ने बताया कि उमंग – 2024 में 75 से अधिक कॉलेजों के 90 इवेंट्स संपन्न किए गए जिनमें 4000 प्रतिभागी हिस्सा लिया । नृत्य, संगीत, खेल, सृजनात्मक लेखन बांग्ला, हिंदी और अंग्रेजी, शास्त्रीय, आधुनिक लोक संगीत, लोक नृत्य, पाश्चात्य नृत्य, नाटक स्ट्रीट प्ले, फैशन शो आदि विभिन्न इवेंट्स चार दिनों तक चले और
खेल में क्रिकेट, टग अॉफ वार, योग, फुटबाल, कबड्डी,खो खो, फिटनेस, बॉलीबॉल, बास्केटबाल चेसबॉक्सिंग आदि की प्रतियोगिताएं हो चुकी हैं। सभी कॉलेज के विजेता छात्र – छात्राओं को उमंग में सम्मानित किया गया ।
उमंग24 के प्रमुख प्रतिनिधियों ने बताया कि सभी कॉलेज से आए प्रतिनिधियों और प्रतिभागियों को हर तरह की सुविधाएं उपलब्ध कराईं गईं हैं और सभी का यथायोग्य स्वागत किया गया । उमंग में 277 से अधिक विद्यार्थी वोलिंटियर्स ने पांच दिनों तक चलने वाली प्रत्येक गतिविधियों के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाई ।
विशेष रूप से देश विदेश के विभिन्न कॉलेज के विद्यार्थियों ने उमंग24 में भाग लिया । के आई आई टी, भुवनेश्वर, सनबीम कॉलेज बनारस, क्रिया युनिवर्सिटी बैंगलोर, क्राइस्ट युनिवर्सिटी, यशवंतपुर, बीएचयू वाराणसी, सेंट जेवियर्स बर्धमान प्रमुख हैं और विदेश से एम्सटर्डम युनिवर्सिटी के प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया है जो उमंग को विशिष्ट पहचान दिलाता है। भवानीपुर एजूकेशन सोसाइटी कॉलेज के वरिष्ठ उपाध्यक्ष मिराज डी शाह ने विद्यार्थियों को उमंग 24 की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ दी।
घर में बनी शाकाहारी थाली दिसंबर में 3 प्रतिशत हुई सस्ती
नयी दिल्ली । घर में बनी शाकाहारी थाली की कीमत में दिसंबर में मासिक आधार पर 3 प्रतिशत की गिरावट हुई है, हालांकि, इस दौरान मांसाहारी थाली की कीमत में भी इतनी ही बढ़ोतरी हुई है। यह जानकारी सोमवार को एक रिपोर्ट में दी गई।
क्रिसिल मार्केट इंटेलिजेंस एंड एनालिटिक्स रिपोर्ट में कहा गया है कि मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात से ताजा आपूर्ति के कारण टमाटर की कीमतों में इस महीने के दौरान 12 प्रतिशत की गिरावट आई है, जबकि उत्तर में शीत लहर के कारण उत्पादन में कमी के कारण ब्रायलर की कीमतों में इस महीने के दौरान अनुमानित 11 प्रतिशत की वृद्धि के कारण मांसाहारी थाली की लागत में तेज गति से वृद्धि हुई है।
रिपोर्ट में बताया गया कि त्यौहारी और शादी सीजन में मांग में वृद्धि और चारे की ऊंची लागत ने भी कीमत बढ़ोतरी को हवा दी है। आलू और प्याज की कीमतों में क्रमशः 2 प्रतिशत और 12 प्रतिशत की मासिक गिरावट ने दिसंबर में शाकाहारी थाली की कीमत में गिरावट को सहारा दिया है। हालांकि, वार्षिक आधार पर शाकाहारी थाली की कीमत में बढ़ोतरी की वजह टमाटर और आलू की कीमतों में बढ़ोतरी होना है, जिनकी हिस्सेदारी शाकाहारी थाली की कीमत में 24 प्रतिशत की है। दिसंबर में टमाटर की कीमत सालाना आधार पर 24 प्रतिशत बढ़कर 47 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई, जबकि पिछले साल दिसंबर में यह 38 रुपये प्रति किलोग्राम थी। आलू की कीमत पिछले साल के निचले आधार से 50 प्रतिशत बढ़कर दिसंबर 2024 में 36 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई, जबकि दिसंबर 2023 में यह 24 रुपये प्रति किलोग्राम थी। इसका कारण उत्पादन में अनुमानित 6 प्रतिशत की गिरावट है।
आयात शुल्क में वृद्धि के कारण वेजिटेबल ऑयल की कीमतों में 16 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, साथ ही त्योहारों और शादियों सीजन के चलते इसकी मांग में भी वृद्धि हुई है। शाकाहारी थाली में रोटी, सब्जियां (प्याज, टमाटर और आलू), चावल, दाल, दही और सलाद शामिल हैं। नॉन-वेज थाली में दाल को छोड़कर सभी चीजें समान होती हैं। इसकी जगह चिकन (ब्रायलर) को शामिल किया जाता है।
ओयो अब अविवाहित जोड़ों के लिए नहीं
नयी दिल्ली । यात्रा क्षेत्र की प्रमुख कंपनी ओयो ने मेरठ से शुरुआत करते हुए भागीदार होटलों के लिए एक नयी ‘चेक-इन’ नीति लागू की है। इसके अनुसार, अविवाहित जोड़ों का अब ‘चेक-इन’ की अनुमति नहीं दी जाएगी। यानी सिर्फ पति-पत्नी ही होटल में कमरा ले सकेंगे। संशोधित नीति के तहत, सभी जोड़ों को ‘चेक-इन’ के समय अपने रिश्ते का वैध प्रमाण देने के लिए कहा जाएगा। इसमें ऑनलाइन की गई बुकिंग भी शामिल है। कंपनी ने कहा कि ओयो ने अपने भागीदार होटलों को स्थानीय सामाजिक संवेदनशीलता के साथ तालमेल बिठाते हुए अपने विवेक के आधार पर अविवाहित जोड़ों की बुकिंग को अस्वीकार करने का अधिकार दिया है।
ओयो ने मेरठ में अपने भागीदार होटलों को तत्काल प्रभाव से ऐसा सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है। नीति में हुए बदलाव से परिचित लोगों ने कहा कि जमीनी प्रतिक्रिया के आधार पर, कंपनी इसे और शहरों में विस्तारित कर सकती है। उन्होंने कहा, ‘‘ओयो को पहले भी विशेष रूप से मेरठ में सामाजिक समूहों से इस मुद्दे को हल करने के लिए प्रतिक्रिया मिली थी। इसके अलावा, कुछ दूसरे शहरों के निवासियों ने भी अविवाहित जोड़ों को ओयो होटलों में चेक-इन करने की अनुमति न देने की मांग की है।’’
ओयो उत्तर भारत के क्षेत्र प्रमुख पावस शर्मा ने बताया, ‘‘ओयो सुरक्षित और जिम्मेदार आतिथ्य प्रथाओं को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है। हम व्यक्तिगत स्वतंत्रता का सम्मान करते हैं, लेकिन साथ ही हम इन बाजारों में कानून प्रवर्तन और नागरिक समाज समूहों की बात सुनने और उनके साथ काम करने की अपनी जिम्मेदारी को भी पहचानते हैं।’’ उन्होंने कहा कि कंपनी समय-समय पर इस नीति और इसके प्रभाव की समीक्षा करती रहेगी।
गुरु गोबिंद सिंह ने की थी खालसा पंथ की स्थापना
हर साल पौष माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को सिख धर्म के 10वें गुरु और अंतिम गुरु गोविंद सिंह जयंती मनाई जाती है। इस साल यह दिन 06 जनवरी को पड़ रहा है। ऐसे में 06 जनवरी को गुरु गोविंद सिंह जयंती मनाई जा रही है। यह सिख धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। सिख धर्म के लोग इस पर्व को श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है। गुरु गोविंद सिंह महज 10 साल की उम्र में गुरु की गद्दी संभाली और सिख धर्म के दसवें और अंतिम गुरु बनें। तो आइए जानते हैं उनकी जयंती के मौके पर गुरु गोविंद सिंह के जीवन से जुड़ी कुछ बातों के बारे में…
जन्म और परिवार
क्रम सम्वत 1723 में पौष माह की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को गुरु गोबिंद सिंह का जन्म हुआ था। उनके पिता सिखों के नौवें गुरु, गुरु तेग बहादुर और माता का नाम गुजरी था। इनका मूल नाम गोबिंद राय था। अपने पिता गुरु तेग बहादुर जी के निधन के बाद गुरु गोबिंद सिंह गद्दी पर बैठे थे। बताया जा रहा है कि कश्मीरी हिंदुओं की रक्षा के लिए वह गद्दी पर बैठे थे। उनको कलगीधर, बाजांवाले और दशमेश आदि कई नामों से जाना जाता है।
गुरु ग्रंथ साहिब
गुरु गोबिंद सिंह जी ने सिखों के पवित्र ग्रंथ ‘गुरु ग्रंथ साहिब’ को पूरा किया और उनको गुरु का दर्जा दिया। गुरु गोबिंद सिंह ने अन्याय को खत्म करने के लिए और धर्म की रक्षा के लिए मुगलों के साथ 14 युद्ध लड़े थे। वहीं धर्म की रक्षा की खातिर गुरु गोबिंद सिंह ने अपने समस्या परिवार का बलिदान दे दिया था। यही वजह है कि उनको ‘सरबंसदानी’ भी कहा जाता है। जिसका अर्थ होता है कि पूरे परिवार का दान।
खालसा पंथ की स्थापना
गुरु गोबिंद सिंह जी ने अपना पूरा जीवन आमजन की सेवा और सच्चाई की राह पर चलते हुए गुजारा था। गुरु गोबिंद सिंह ने बचपन में ही उर्दू, हिंदी, ब्रज, संस्कृत, गुरुमुखी और फारसी जैसी कई भाषाएं सीख ली थीं। बता दें कि गुरु गोबिंद सिंह ने ‘खालसा पंथ’ में जीवन के पांच सिद्धांत दिए थे। जिनको ‘पंच ककार’ के नाम से जाना जाता है। यह पंच कारक – केश, कृपाण, कड़ा, कंघा और कच्छा। हर खालसा सिख के लिए इनका अनुसरण करना अनिवार्य है।
मृत्यु
बता दें कि 07 अक्तूबर 1708 को नांदेड़, महाराष्ट्र में 42 साल की उम्र में गुरु गोबिंद सिंह का निधन हो गया था। उनके मुगल शासक बहादुरशाह के साथ संबंध मधुर थे। बहादुरशाह और गुरु गोबिंद सिंह के संबंधों से सरहद का नवाब वजीत खां घबराने लगा था। इसलिए उसने दो पठान गुरुजी के पीछे लगा दिए। इसके बाद जमशेद खान और वासिल बेग गुरु की सेना में धोखे से शामिल हो गए। इन दोनों ने धोखे से गुरु गोबिंद सिंह पर धोखे से वार कर दिया। इस दौरान गुरु गोबिंद सिंह अपने कक्ष में आराम कर रहे थे। तभी एक पठान ने गुरु गोबिंद के दिल के नीछे छूरा घोपा। फिर गुरु गोबिंद सिंह ने उस पठान पर कृपाण से वार कर दिया। वहीं 07 अक्तूबर 1708 को गुरु गोबिंद सिंह दिव्य ज्योति में लीन हो गए थे।
नयी शुरुआत के लिए हमेशा तैयार रहिए
कवयित्री गगन गिल को साहित्य अकादमी पुरस्कार 2024 सम्मान
नयी दिल्ली । साहित्य अकादेमी ने 21 भाषाओं में अपने वार्षिक साहित्य अकादेमी पुरस्कार-2024 की घोषणा की है। इस वर्ष हिंदी साहित्य के लिए यह पुरस्कार कवयित्री गगन गिल को प्रदान किया जाएगा। गगन गिल को यह पुरस्कार उनकी कृति ”मैं जब तक आयी बाहर” के लिए के लिए प्रदान किया जाएगा। गगन गिल का जन्म 18 नवंबर 1959 को नई दिल्ली में हुआ। आपने अंग्रेज़ी साहित्य में एम. ए. किया है। सन् 1983 में ‘एक दिन लौटेगी लड़की’ कविता संग्रह के प्रकाशित होते ही गगन गिल साहित्यिक गलियारे में एक स्थापित और नामचीन कवयित्री बन गईं। तब से लेकर अब तक वे लगातार सक्रिय हैं। गगन गिल की कविताएं अपनी दृढ़ता और संयम से एक आने वाले परिष्कार का पूर्वबोध कराती हैं। उनकी कविताओं में स्त्री मन का एक अनुशासित लेकिन भव्य संशय और दु:खबोध है, जो अभी तक रूढ़ि नहीं बना। गगन गिल की कविता संग्रह- एक दिन लौटेगी लड़की (1989), अँधेरे में बुद्ध ( 1996), यह आकांक्षा समय नहीं (1998), थपक थपक दिल थपक थपक (2003), मैं जब तक आयी बाहर (2018), ‘मैं जब तक आयी बाहर’ एवं 4 गद्य पुस्तकें: दिल्ली में उनींदे (2000), अवाक् (2008), देह की मुँडेर पर (2018) प्ररकाशित हो चुकी हैं। गगन गिल को साहित्यिक अवदानों के लिए 1984 में भारत भूषण अग्रवाल पुरस्कार, 1989 में सर्जनात्मक लेखन के लिए संस्कृति पुरस्कार से नवाजा जा चुका है।