Sunday, May 25, 2025
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यूट्यूब ने पेश किया यूथ डिजिटल वेलबीइंग प्रोग्राम

डिजिटल दुनिया में लोगों को जागरुक करना और जानकारी देने के लिए यूट्यूब काफी प्रयास करता रहता है। वीडियो स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म यूट्यूब पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा यूज किया जाता है। हालिए में यूट्यूब ने यूथ डिजिटल वेलबीइंग प्रोग्राम पेश किया है। ऑनलाइन कंटेंट के माध्यम से युवाओं को शिक्षित करने, एंटरटेनमेंट देने और आपस में जोड़ने की शक्ति रखता है। इस सर्वोत्तम उपयोग करने के उद्देश्य से यूट्यूब ने बिजनस जगत के अग्रणी विशेषज्ञों के साथ मिलकर यूथ डिजिटल वेलबीइंग पहल की शुरुआत की है। इस पहल के जरिए वैश्विक स्तर पर उच्च गुणवत्ता वाला, उम्र-उपयुक्त कंटेंट तैयार करने की दिशा में काम किया जाएगा। ऐसा करने से यूथ के जीवन पर पॉजिटिव प्रभाव देखने को मिलेगा।यूट्यूब ने ब्लॉगपोस्ट में लिखा- , “हम युवा उपयोगकर्ताओं के लिए ऑनलाइन कंटेंट के अनुभव को बेहतर बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमारा लक्ष्य केवल स्वस्थ और समृद्ध कंटेंट को बढ़ावा देना ही नहीं, बल्कि निम्न गुणवत्ता वाले कंटेंट की पहुंच को सीमित करना भी है। इस प्रयास में मीडिया साक्षरता (मीडिया लिटरेसी) और डिजिटल नागरिकता (डिजिटल सिटिजनशिप) को बढ़ावा देने वाले कंटेंट को प्राथमिकता दी जाएगी।”

युवाओं की सुरक्षा और डिजिटल भलाई होगी प्राथमिकता –यूट्यूब के सीईओ, नील मोहन ने कहा, “हमारे प्लेटफॉर्म पर युवाओं की भलाई सर्वोच्च प्राथमिकता है। ‘यूथ डिजिटल वेलबीइंग’ पहल हमारी दीर्घकालिक प्रतिबद्धता का हिस्सा है।  यू ट्यूब किड्स और सुपरवाइज्ड एक्सपीरियंस जैसी सुविधाओं के साथ-साथ, हमने हाल ही में अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन के साथ मिलकर माता-पिता के लिए एक गाइड भी तैयार की है, जिससे वे अपने बच्चों के स्क्रीन टाइम को बेहतर तरीके से प्रबंधित कर सकें।”

ऑनलाइन खतरों के तहत सुरक्षा – यूट्यूब पर कंटेंट और प्रोडक्ट डिजाइन को किशोरो और बच्चों की विकासात्मक  आवश्यकताओं के अनुसार तैयार किया जाता है। सेक्सुअली एक्सप्लिसिट और ग्राफिक वायलेंस से संबंधित कंटेंट के लिए एज-लिमिट डिफॉल्ट सेटिंग्स लागू की जाएगी। मीडिया लिटरेसी और डिजिटल सिटिजनशिप को बढ़ावा देने के लिए पैरेंट्स के लिए शोध-आधारित संसाधन विकसित किए जाएंगे।  युवाओें के लिए हाई-क्वालिटी, एज-अप्रोप्रियट और मोटिवेशनल कंटेंट को बढ़ावा दिया जाएगा। स्क्रीन टाइम को मैनेज करेगा। टूल्स औऱ कंट्रोल्स उपलब्ध कराए जाएंगे। मेंटल हेल्थ से संबंधित संवेदनशील विषयों जैसे आत्महत्या और आत्म-हानि से संबंधित कंटेंट देखने पर यूथ की सहायता के लिए संसाधनों की ओर निर्देशित करता है।

1 मई से एटीएम से पैसे निकालना हो जाएगा महंगा

आरबीआई ने शुल्क वृद्धि को दी मंजूरी

नयी दिल्ली । 1 मई से भारत में एटीएम से पैसे निकालना महंगा होने जा रहा है, क्योंकि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने एटीएम इंटरचेंज फीस में वृद्धि को मंजूरी दे दी है। इसका मतलब होगा कि वे ग्राहक जो अपने वित्तीय लेनदेन के लिए एटीएम का ही अधिक इस्तेमाल करते हैं, उन्हें एक सीमा के बाद एटीएम से पैसे निकालने के साथ अतिरिक्त शुल्क देना होगा। एटीएम इंटरचेंज शुल्क एक बैंक, दूसरे बैंक को एटीएम सेवाएं प्रदान करने के लिए देता है। यह शुल्क प्रत्येक ट्रांजैक्शन के लिए फिक्स्ड राशि होती है और ग्राहकों से ही बैंकिंग लागत के रूप में ली जाती है। आरबीआई ने व्हाइट-लेबल एटीएम ऑपरेटरों के अनुरोधों के बाद इन शुल्कों को रिवाइज करने का फैसला किया, जिन्होंने तर्क दिया कि बढ़ते परिचालन व्यय उनके व्यवसाय को प्रभावित कर रहे हैं। शुल्क में वृद्धि पूरे देश में लागू होगी और इसका असर ग्राहकों, खासकर छोटे बैंकों के ग्राहकों पर पड़ने की उम्मीद है। ये बैंक एटीएम इंफ्रास्ट्रक्चर और इससे जुड़ी सेवाओं के लिए बड़े वित्तीय संस्थानों पर निर्भर हैं, जिससे वे बढ़ती लागतों के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाते हैं। 1 मई से ग्राहकों को एटीएम से मुफ्त सीमा के बाद प्रत्येक लेनदेन के लिए 2 रुपये अतिरिक्त देने होंगे। एटीएम से नकदी निकालने पर प्रति लेनदेन पर 19 रुपये का खर्च आएगा, जो पहले 17 रुपये था। इसके अलावा, अगर ग्राहक एटीएम का इस्तेमाल पैसे निकालने से अलग दूसरे कामों जैसे बैंलेस पूछताछ के लिए करता है तो 1 रुपये अतिरिक्त देना होगा।
आधिकारिक अधिसूचना के अनुसार, खाते की शेष राशि की जांच करने पर अब प्रति लेनदेन 7 रुपये का खर्च आएगा, जो वर्तमान में 6 रुपये है। एटीएम को कभी क्रांतिकारी बैंकिंग सेवा के रूप में देखा जाता था वहीं, डिजिटल पेमेंट बढ़ने के साथ यह अब भारत में संघर्ष कर रहा है। ऑनलाइन वॉलेट और यूपीआई लेनदेन की सुविधा ने नकद निकासी की जरूरत को काफी कम कर दिया है। सरकारी डेटा से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2014 में भारत में डिजिटल भुगतान का मूल्य 952 लाख करोड़ रुपये था। वित्त वर्ष 2023 तक यह आंकड़ा बढ़कर 3,658 लाख करोड़ रुपये तक हो गया, जो कैशलेस लेनदेन की ओर बड़े पैमाने पर बदलाव को दर्शाता है। इस नई शुल्क वृद्धि के साथ उन ग्राहकों को बोझ महसूस हो सकता है, जो अभी भी नकद लेनदेन पर निर्भर हैं।

ओएनजीसी को उ. 24 परगना के अशोकनगर में तेल-ड्रिलिंग संचालन हेतु राज्य की मंजूरी

कोलकाता । ममता बनर्जी सरकार ने पिछले सप्ताह केंद्रीय उपयोगिता तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी ) को उत्तर 24-परगना के अशोकनगर में बड़े पैमाने पर तेल-ड्रिलिंग संचालन शुरू करने के लिए आवश्यक मंज़ूरी दे दी। यह निर्णय क्षेत्र में खनिज तेल की खोज के बाद लिया गया है, जिसमें कई स्थानों पर भंडार की पहचान की गई है, विशेष रूप से उत्तर 24-परगना के बैगाछी के आसपास। दिसंबर 2020 में, तत्कालीन केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इस क्षेत्र में वाणिज्यिक तेल और गैस निष्कर्षण का उद्घाटन किया, जिससे आगे की खोज के लिए आधार तैयार हुआ। हालांकि, राज्य सरकार से निष्कर्षण के लिए औपचारिक मंजूरी के अभाव में, इस प्रयास में आगे प्रगति नहीं हो सकी।अब, राज्य सरकार की मंजूरी के साथ, ओएनजीसी पूरे बंगाल में अपने परिचालन का विस्तार करने के लिए तैयार है।सूत्रों ने बताया कि उत्तर 24-परगना में चार साइटों पर भूमि-पट्टे और ड्रिलिंग की तैयारियाँ पूरी होने वाली हैं।दो अतिरिक्त स्थानों पर भूमि अधिग्रहण भी शुरू हो गया है – उत्तर 24-परगना के देगंगा में चपटला ग्राम पंचायत और पूर्वी मिदनापुर के भगवानपुर II ब्लॉक। कुल मिलाकर, ओएनजीसी ने उत्तर 24-परगना में ड्रिलिंग के लिए 13 साइटों की पहचान की है, दक्षिण 24-परगना में तीन, नादिया में एक और पूर्वी और पश्चिमी मिदनापुर जिलों में पाँच।सूत्रों ने बताया कि इन साइटों के लिए चयन प्रक्रिया पूरी हो चुकी है।प्रत्येक परियोजना के लिए लगभग पाँच एकड़ पट्टे पर भूमि की आवश्यकता होने की उम्मीद है। ओएनजीसी के सूत्रों ने बंगाल के इन जिलों में महत्वपूर्ण तेल भंडार होने का संकेत दिया है।उपयोगिता प्रमुख स्थानों पर भूमि पट्टे पर लेकर तेल निकालने की योजना बना रही है। हालाँकि,राज्य सरकार की मंजूरी मिलने तक निष्कर्षण रोक दिया गया था। कैबिनेट की हरी झंडी के साथ, काम फिर से शुरू होने वाला है। ओएनजीसी के अधिकारियों के अनुसार, 2,500 से 6,000 मीटर की गहराई पर तेल और गैस भंडार का गहन आकलन करने के बाद ही पूर्ण पैमाने पर निष्कर्षण शुरू होगा।ओएनजीसी के एक अधिकारी ने कहा, “यदि निष्कर्ष अनुकूल और अनुकूल हैं, तो वाणिज्यिक निष्कर्षण आगे बढ़ेगा, जिससे राज्य के लिए नए आर्थिक अवसर खुलेंगे। हमें उम्मीद है कि यह उद्यम बंगाल के आर्थिक परिदृश्य को महत्वपूर्ण रूप से मजबूत करेगा, खासकर भारत के ऊर्जा क्षेत्र में।” प्राकृतिक तेल संसाधनों की आगे की खोज के लिए गुंजाइश खोलने वाली सरकार की मंजूरी से उत्साहित, उत्तर 24-परगना जिला परिषद प्रमुख और अशोकनगर के विधायक नारायण गोस्वामी ने परियोजना की आर्थिक क्षमता पर जोर दिया। “राज्य सरकार ने सकारात्मक संकेत के रूप में खनिज तेल परियोजना के लिए ओएनजीसी को केवल ₹1 पर भूमि पट्टे पर दी है। यदि निष्कर्षण परियोजना सफल होती है, तो यह न केवल अशोकनगर बल्कि पूरे जिले को बदल देगी। मुझे उम्मीद है कि ओएनजीसी नए ड्रिलिंग स्पॉट के अलावा और भी जगहों से प्राकृतिक तेल निकालने में सक्षम होगी,” उन्होंने कहा। ओएनजीसी ने सबसे पहले 2018 में अशोकनगर में एक तेल क्षेत्र की खोज की थी – पूर्वी भारत में इस तरह की पहली खोज। दिसंबर 2020 तक, केंद्रीय मंत्री प्रधान ने वहां प्राकृतिक गैस भंडार का औपचारिक उद्घाटन किया था, जिसमें ओएनजीसी के अनुमान के अनुसार, प्रतिदिन 45,000-50,000 क्यूबिक मीटर प्राकृतिक गैस का उत्पादन करने की क्षमता है।
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टीटागढ़ में काव्य आवृत्ति व रचनात्मक लेखन कार्यशाला

-पश्चिम बंग हिंदी अकादमी ने किया आयोजन
कोलकाता । पश्चिम बंग हिंदी अकादमी द्वारा टीटागढ़ एंग्लो वर्नाकुलर हाई स्कूल, प्रेसीडेंसी डिवीज़न में काव्य आवृत्ति और रचनात्मक लेखन कार्यशाला का आयोजन किया गया। उद्घाटन सत्र में जिला सूचना एवं संस्कृति विभाग अधिकारी पल्लब पाल और सुष्मिता हाती, स्कूल के प्रधानाध्यापक नीरज राय, आलोचक मृत्युंजय श्रीवास्तव, कवि वि संस्कृतिकर्मी राज्यवर्द्धन, स्कॉटिश चर्च कॉलेज की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. गीता दूबे, नैहाटी के सीआईसी राजेन्द्र गुप्ता, डॉ असीम मंडल,बैरकपुर वेश्ली हिंदुस्तानी हाई स्कूल के प्रधानाध्यापक गोपाल नारायण गुप्ता, टीटागढ़ नगरपालिका के पौरप्रधान कमलेश साव जी उपस्थित थे। अकादमी के सदस्य डॉ. संजय जायसवाल के नेतृत्व में यह आयोजन बच्चों के लिए काफ़ी सार्थक और सराहनीय रहा। संयोजक संजय जायसवाल ने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार ने व्यापक स्तर पर हिंदी भाषा और समाज को सांस्कृतिक विरासत से जोड़ने का काम कर रही है। इस आयोजन में प्रेसीडेंसी डिवीजन के लगभग 40 शिक्षण संस्थानों से 545 विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम को सफल बनाने में पप्पू रजक, विकास जायसवाल, विशाल साव,रूपेश यादव, कुसुम भगत, सपना कुमारी, चंदन भगत, मुकेश पंडित, कंचन भगत, कुसुम भगत और फरहान अजीज की विशेष भूमिका रही।

पत्रकारिता के बदलते स्वरूप पर कार्यशाला का आयोजन

कोलकाता । बहुभाषी समाचार एजेंसी हिन्दुस्थान समाचार के कोलकाता ब्यूरो के तत्वावधान में रविवार को कोलकाता प्रेस क्लब में एक विशेष कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसमें कोलकाता के विभिन्न विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के छात्र-छात्राओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। ‘भारतीय पत्रकारिता का बदलता स्वरूप’ विषय पर आयोजित इस कार्यशाला में मीडिया से जुड़ी प्रासंगिक जानकारियां साझा की गईं। भारत माता की प्रतिमा पर माल्यार्पण और दीप प्रज्ज्वलन के साथ कार्यक्रम की शुरुआत हुई। कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में हिन्दुस्थान समाचार के चेयरमैन अरविंद भालचंद्र मार्डीकर ने संबोधित किया। इसके अलावा, कई वरिष्ठ पत्रकार और प्रशिक्षकों ने भी अपने विचार साझा किए। इस मौके पर कलकत्ता हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश रंजीत कुमार बाग, वरिष्ठ पत्रकार रथींद्र मोहन बंद्योपाध्याय, पत्रकार प्रसेनजीत बख्शी, पुलकेश घोष, अशोक पांडेय, जयप्रकाश मिश्रा और पत्रकारिता के प्रोफेसर देवज्योति चंद मौजूद रहे। इनके अलावा, वरिष्ठ आयकर सलाहकार नारायण जैन और सामाजिक कार्यकर्ता नरेश श्रीवास्तव सहित अन्य विशिष्ट अतिथि भी उपस्थित थे। कार्यक्रम के प्रारंभ में अतिथियों का पुष्पगुच्छ, स्मारक और शाल देकर स्वागत किया गया। अपने संबोधन में चेयरमैन अरविंद भालचंद्र मार्डीकर ने बताया कि हिन्दुस्थान समाचार वर्तमान में 15 भाषाओं में समाचार सेवा प्रदान कर रहा है। उन्होंने पत्रकारिता की सामाजिक जिम्मेदारियों की ओर भी ध्यान दिलाया। इस कार्यशाला में विभिन्न शिक्षण संस्थानों से पत्रकारिता के छात्र-छात्राओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। प्रशिक्षक के रूप में वरिष्ठ पत्रकारों ने उन्हें दिशा-निर्देश दिए। दूरदर्शन के कंसल्टिंग एडिटर प्रसेनजीत बख्शी ने कहा कि यदि इस पेशे को करियर के रूप में अपनाना है, तो शुरुआती चुनौतियों के लिए तैयार रहना जरूरी है। उन्होंने पत्रकारिता के प्रति गहरी रुचि रखने की भी सलाह दी। वहीं, वरिष्ठ पत्रकार पुलकेश घोष ने कहा कि मीडिया के क्षेत्र में कार्य करते समय सतर्कता बेहद आवश्यक है और सभी पक्षों पर बराबर ध्यान देना जरूरी है। इस अवसर पर पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा संचालित ‘पश्चिम बंगाल (हिंदी)’ पत्रिका के संपादक जयप्रकाश मिश्रा और दैनिक ‘भारत मित्र’ के कार्यकारी संपादक अशोक पांडेय ने भी अपने विचार रखे। रवींद्र भारती विश्वविद्यालय के प्रोफेसर देवज्योति चंद ने विशेष सत्र में छात्रों को प्रशिक्षण दिया। वहीं, पूर्व न्यायाधीश रंजीत कुमार बाग ने कानून और मीडिया के संबंधों पर चर्चा की। स्वागत भाषण हिन्दुस्थान समाचार के चीफ रिपोर्टर ओमप्रकाश सिंह ने किया जबकि धन्यवाद ज्ञापन सामाजिक कार्यकर्ता पवन कुमार ने किया। दिन भर चली कार्यशाला का संचालन मोनीशा चक्रवर्ती व सौम्यजीत चक्रवर्ती ने

जाना चाहे जब कोई दूर तो जाने दीजिए..

जिस इंसान को कहीं भी अपनी गलती लग ही नहीं रही उसे समझाने का क्या फायदा है? इसलिए जाने दो जो जा चुका है, कौन कब कहां रुका है, बात ये फ़िज़ूल है, इन्हें भूल जाने दो। लेकिन बातें भूले कैसे? कैसे किसी को चाहने से खुद को रोकें? कैसे अपने दिल के बवंडर को काबू करें?
जिंदगी के एक मोड़ पर, हम कुछ ऐसे लोगों से टकरा जाते हैं, जो कहीं और के मुसाफिर होते हैं, लेकिन हमारा दिल उनसे यूँ जुड़ जाता है कि हम हमेशा के लिए उन्हें अपनी जिंदगी का हिस्सा बनाकर रखना चाहते हैं। सच्चाई से वाकिफ होने के बावजूद हम और हमारा दिल उन्हें ज्यादा से ज्यादा समय के लिए अपनी जिंदगी में रोककर रखना चाहता है, लेकिन वो रुकना नहीं चाहते हैं। हमारी जिंदगी से जल्दी से जल्दी निकलने की जिद्द में वो लोग ये देख ही नहीं पाते कि जाते-जाते वो अपने पीछे क्या जख्म देकर जा रहे हैं।
हाँ, माना कि जाने वाले को आपके जख्म नहीं दिख रहे हैं और ऐसी परिस्थिति में आपके लिए खुद को संभालना भी मुश्किल हो रहा है, लेकिन अंदर ही अंदर घुटने से तो नहीं चलेगा न। अपने लिए और अपने आत्मसम्मान के लिए कदम उठाने ही पड़ेंगे। कब तक जाने वाले के जाने का दुख मनाओगे, कब तक अँधेरे कमरे में खुद को कैद रखोगे और खुद से अनसुलझे सवालों के जवाब मांगते रहोगे? देखो, माना सामने वाले को एहसास नहीं है कि उसने अनजाने में आपका बहुत दिल दुखाया है। मगर जिस इंसान को कहीं भी अपनी गलती लग ही नहीं रही उसे समझाने का क्या फायदा है? इसलिए जाने दो जो जा चुका है, कौन कब कहां रुका है, बात ये फ़िज़ूल है, इन्हें भूल जाने दो। लेकिन बातें भूले कैसे? कैसे किसी को चाहने से खुद को रोकें? कैसे अपने दिल के बवंडर को काबू करें?
अपनी भावनाओं को स्वीकार करें- अपनी इच्छा को काबू करने का पहला कदम अपनी भावनाओं को स्वीकार करना है। इनकार आपकी भावनाओं को तीव्र कर सकता है, जिससे आगे बढ़ना मुश्किल हो जाता है। अपने विचारों और भावनाओं को जर्नल करने से आपको अपनी भावनाओं की गहराई को समझने और पैटर्न की पहचान करने में मदद मिल सकती है।
दूरी बनाएँ- जिस व्यक्ति को आप चाहते हैं, उससे शारीरिक और भावनात्मक दूरी ज़रूरी है। बातचीत और सोशल मीडिया पर स्टॉकिंग को सीमित करें या उससे बचें। ट्रिगर्स को हटाने से आपकी लालसा और तीव्रता कम हो सकती है।
आत्म-सुधार पर ध्यान दें- किसी के छोड़ जाने के बाद खुद को सँभालने के लिए वो काम करें, जो आपको पसंद हैं। अपनी ऊर्जा को आत्म-सुधार की ओर र्निर्देशित करने से फायदा होगा। जिम, योग, पेंटिंग या गिटार बजाना सीखना, जो भी आपको पसंद है, वो करें, और कुछ समय में आप देखेंगे आप उन चीजों को पीछे छोड़ चुके हैं, जो आपको दुख दे रही थीं।
माइंडफुलनेस और मेडिटेशन का अभ्यास करें– माइंडफुलनेस और मेडिटेशन आपको वर्तमान में रहने और जुनूनी सोच को कम करने में मदद कर सकती हैं। गहरी साँस लेना, प्रगतिशील मांसपेशी विश्राम और निर्देशित कल्पना जैसी तकनीकें आपके दिमाग को शांत कर सकती हैं और आपकी इच्छा की तीव्रता को कम कर सकती हैं।
व्यक्तिगत लक्ष्य निर्धारित करें- व्यक्तिगत लक्ष्य निर्धारित करने से आपको बहुत मदद मिलेगी। अपने इन लक्ष्यों के लिए जब आप काम करना शुरू करेंगे तो आपका दिमाग खुद ब खुद उस व्यक्ति से हट जाएगा, जिसे आप चाहते हैं। ये सब एक दिन में नहीं होगा, इसपर आपको लगातार काम करना पड़ेगा।
अपनी ज़रूरतों पर ध्यान केंद्रित करें- इस बात पर विचार करें कि आपको रिश्ते में वास्तव में क्या चाहिए और क्या आप जिस व्यक्ति को चाहते हैं वह आपकी ज़रूरतों को पूरा करता है। यह महत्वपूर्ण मूल्यांकन है, जो आपको अपनी भावनाओं को सही ट्रैक पर लाने में मदद करेगा। कई बार रिश्तों को टूटता देखकर हम घबरा जाते हैं और जो व्यक्ति हमारी बेसिक जरूरतों को भी पूरा नहीं कर रहा उसे पाने की कोशिश करने लगते हैं।
सब्र और दृढ़ता बनाए रखें- इच्छा पर काबू पाने के लिए धैर्य और दृढ़ता की आवश्यकता होती है। स्वीकार करें कि हर किसी को आप पसंद नहीं आ सकते हैं। स्वीकार करें कि सामने वाले को जो चाहिए वो आप नहीं है। डेटिंग के दौरान असफलताएँ हो सकती हैं और इससे निपटने के लिए स्वस्थ रणनीतियों का उपयोग करें और ऐसा करना जारी रखें। समय और प्रयास के साथ, आपकी इच्छा की तीव्रता फीकी पड़ जाएगी।
मदद लें– दोस्तों, परिवार या किसी चिकित्सक से बात करने से भावनात्मक समर्थन मिल सकता है। किसी ऐसे व्यक्ति के साथ अपनी भावनाओं को साझा करें, जिस पर आप भरोसा करते हैं, इससे कुछ हद तक आपके दिल का बोझ कम होगा। इसके अलावा ये आपको नए तरीके से अपनी भावनाओं को समेटने में मदद करेगा।

सेंट्रल बैंकिंग, लंदन से आरबीआई को मिला डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन अवार्ड

नयी दिल्ली। यूनाइटेड किंगडम (यूके) के लंदन स्थित सेंट्रल बैंकिंग की ओर से डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन अवार्ड 2025 के लिए चुने जाने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को बधाई दी। पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर आरबीआई की पोस्ट को कोट करते हुए लिखा कि यह सराहनीय उपलब्धि है, जो शासन में इनोवेशन और दक्षता को दिखाती है। उन्होंने आगे लिखा कि डिजिटल इनोवेशन भारत के डिजिटल इकोसिस्टम को मजबूत बना रहा है, जिससे बड़ी संख्या में लोगों का जीवन सशक्त हो रहा है। आरबीआई को ‘प्रवाह’ और ‘सारथी’ नामक अपनी डिजिटल पहलों के लिए सम्मानित किया गया, जिन्हें केंद्रीय बैंक की इन-हाउस डेवलपर टीम द्वारा विकसित किया गया था। पुरस्कार समिति ने स्वीकार किया कि कैसे इन डिजिटल पहलों ने कागज-आधारित सबमिशन के उपयोग को कम कर दिया है, जिससे आरबीआई की आंतरिक और बाहरी प्रक्रियाओं में बदलाव आया है। जनवरी 2023 में लॉन्च किए गए सारथी ने आरबीआई के आंतरिक वर्कफ्लो को डिजिटल कर दिया, जिससे कर्मचारी सुरक्षित रूप से दस्तावेजों को जमा और साझा कर सकते हैं। इससे रिकॉर्ड मैनेजमेंट में सुधार आया है। साथ ही कर्मचारी रिपोर्ट और डैशबोर्ड के माध्यम से डेटा विश्लेषण कर सकते हैं।
सारथी ने प्रक्रियाओं को स्वचालित करके आरबीआई को परिचालन दक्षता बढ़ाने में मदद की है। जहां पहले आरबीआई के कई विभाग मैनुअल और डिजिटल प्रक्रियाओं के खंडित मिश्रण पर निर्भर थे, वहीं सारथी केंद्रीय बैंक की जानकारी के लिए एक यूनिफाइड ग्लोबल रिपॉजिटरी बनाता है।
मई 2024 में प्रवाह लॉन्च किया गया, जो बाहरी यूजर्स के लिए आरबीआई को विनियामक आवेदन प्रस्तुत करने के लिए एक डिजिटल माध्यम है। पोर्टल के माध्यम से प्रस्तुत और संसाधित किए गए दस्तावेजों को सारथी डेटाबेस में प्लग किया जाता है, जहां उन्हें केंद्रीकृत साइबर सुरक्षा प्रणालियों और डिजिटल ट्रैकिंग के साथ आरबीआई कार्यालयों में डिजिटल रूप से संभाला जा सकता है। प्रवाह ने अब तक 70 से अधिक विभिन्न विनियामक अनुप्रयोगों को डिजिटल बना दिया है, यह आरबीआई के नौ विभागों के काम में मदद करता है। मई में इसके लॉन्च और 2024 के अंत के बीच, इस सिस्टम के माध्यम से 2,000 से अधिक आवेदन दायर किए गए थे, जो मासिक आवेदनों में 80 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है। इसकी वजह पोर्टल का उपयोग में आसान होना है।
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केंद्र ने 357 अवैध ऑफशोर ऑनलाइन मनी गेमिंग प्लेटफॉर्म को किया ब्लॉक

-700 पर चल रही जांच

नयी दिल्ली ।  केंद्र सरकार द्वारा शनिवार को दी गई जानकारी के अनुसार अब तक अवैध/गैर-अनुपालन वाली ऑफशोर ऑनलाइन मनी गेमिंग संस्थाओं की 357 वेबसाइट/यूआरएल को ब्लॉक किया गया है और ऐसी 700 संस्थाएं वर्तमान में जांच के दायरे में हैं।
जीएसटी खुफिया महानिदेशालय (डीजीजीआई) ने ऑफशोर ऑनलाइन गेमिंग संस्थाओं के खिलाफ अपनी प्रवर्तन कार्रवाई तेज कर दी है। ऑनलाइन मनी गेमिंग उद्योग में घरेलू और विदेशी दोनों ऑपरेटर शामिल हैं।

वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा, “यह देखा गया है कि ये संस्थाएं रजिस्ट्रेशन करवाने में विफल रहने, कर योग्य भुगतान छिपाने और कर दायित्वों को दरकिनार कर जीएसटी की चोरी कर रही हैं। अब तक, डीजीजीआई ने आईटी अधिनियम, 2000 की धारा 69 के तहत इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) के समन्वय में अवैध/गैर-अनुपालन वाली ऑफशोर ऑनलाइन मनी गेमिंग संस्थाओं की 357 वेबसाइट/यूआरएल को ब्लॉक किया है।”

ऑनलाइन मनी गेमिंग, सट्टेबाजी और जुए की सप्लाई में शामिल लगभग 700 ऑफशोर संस्थाएं डीजीजीआई की जांच के दायरे में हैं।जीएसटी कानून के तहत, ‘ऑनलाइन मनी गेमिंग’, कार्रवाई योग्य दावा होने के कारण, ‘माल’ की आपूर्ति के रूप में वर्गीकृत है और इस पर 28 प्रतिशत कर लगता है। इस क्षेत्र में काम करने वाली संस्थाओं को जीएसटी के तहत रजिस्ट्रेशन करवाना आवश्यक है।

हाल ही में कुछ अवैध गेमिंग प्लेटफॉर्म के खिलाफ एक अभियान में डीजीजीआई ने आई4सी और नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ़ इंडिया (एनपीसीआई) के साथ मिलकर प्रतिभागियों से पैसे इकट्ठा करने के लिए इस्तेमाल किए जा रहे बैंक खातों को टारगेट कर ब्लॉक किया। इस अभियान में लगभग 2,000 बैंक खाते और 4 करोड़ रुपये जब्त किए।
मंत्रालय ने सूचित किया कि एक दूसरी कार्रवाई में इन ऑफशोर संस्थाओं में से कुछ की वेबसाइटों पर पाए गए यूपीआई आईडी से जुड़े 392 बैंक खातों को डेबिट फ्रीज कर दिया गया है और इन खातों में कुल 122.05 करोड़ रुपये की राशि अस्थायी रूप से जब्त की गई है।

डीजीजीआई ने कुछ भारतीय नागरिकों के खिलाफ एक और अभियान चलाया, जो भारत के बाहर से ऑनलाइन मनी गेमिंग प्लेटफॉर्म चला रहे थे। मंत्रालय ने बताया, “डीजीजीआई ने अब तक इन प्लेटफॉर्म से जुड़े 166 म्यूल अकाउंट को ब्लॉक कर दिया है। अब तक तीन ऐसे लोगों को गिरफ्तार किया गया है और ऐसे और लोगों के खिलाफ जांच जारी है।”

मंत्रालय ने सलाह दी, “कई बॉलीवुड हस्तियां और क्रिकेटर, यूट्यूब, वॉट्सऐप और इंस्टाग्राम के इंफ्लूएंसर्स के साथ इन प्लेटफॉर्म को सपोर्ट करते हैं। इसलिए जनता को सलाह दी जाती है कि वे सतर्क रहें और ऑफशोर ऑनलाइन मनी गेमिंग प्लेटफॉर्म से न जुड़ें, क्योंकि यह उनके पैसे को खतरे में डाल सकता है और अप्रत्यक्ष रूप से ऐसी गतिविधियों का समर्थन कर सकता है, जो वित्तीय अखंडता और राष्ट्रीय सुरक्षा को कमजोर करती हैं।”

अनचाहे रिश्तों को पूरी तरह छोड़ना हो जब

जिंदगी के एक मोड़ पर, हम कुछ ऐसे लोगों से टकरा जाते हैं, जो कहीं और के मुसाफिर होते हैं, लेकिन हमारा दिल उनसे यूँ जुड़ जाता है कि हम हमेशा के लिए उन्हें अपनी जिंदगी का हिस्सा बनाकर रखना चाहते हैं। सच्चाई से वाकिफ होने के बावजूद हम और हमारा दिल उन्हें ज्यादा से ज्यादा समय के लिए अपनी जिंदगी में रोककर रखना चाहता है, लेकिन वो रुकना नहीं चाहते हैं। हमारी जिंदगी से जल्दी से जल्दी निकलने की जिद्द में वो लोग ये देख ही नहीं पाते कि जाते-जाते वो अपने पीछे क्या जख्म देकर जा रहे हैं।
हाँ, माना कि जाने वाले को आपके जख्म नहीं दिख रहे हैं और ऐसी परिस्थिति में आपके लिए खुद को संभालना भी मुश्किल हो रहा है, लेकिन अंदर ही अंदर घुटने से तो नहीं चलेगा न। अपने लिए और अपने आत्मसम्मान के लिए कदम उठाने ही पड़ेंगे। कब तक जाने वाले के जाने का दुख मनाओगे, कब तक अँधेरे कमरे में खुद को कैद रखोगे और खुद से अनसुलझे सवालों के जवाब मांगते रहोगे? देखो, माना सामने वाले को एहसास नहीं है कि उसने अनजाने में आपका बहुत दिल दुखाया है। मगर जिस इंसान को कहीं भी अपनी गलती लग ही नहीं रही उसे समझाने का क्या फायदा है? इसलिए जाने दो जो जा चुका है, कौन कब कहां रुका है, बात ये फ़िज़ूल है, इन्हें भूल जाने दो। लेकिन बातें भूले कैसे? कैसे किसी को चाहने से खुद को रोकें? कैसे अपने दिल के बवंडर को काबू करें?
अपनी भावनाओं को स्वीकार करें- अपनी इच्छा को काबू करने का पहला कदम अपनी भावनाओं को स्वीकार करना है। इनकार आपकी भावनाओं को तीव्र कर सकता है, जिससे आगे बढ़ना मुश्किल हो जाता है। अपने विचारों और भावनाओं को जर्नल करने से आपको अपनी भावनाओं की गहराई को समझने और पैटर्न की पहचान करने में मदद मिल सकती है।
दूरी बनाएँ- जिस व्यक्ति को आप चाहते हैं, उससे शारीरिक और भावनात्मक दूरी ज़रूरी है। बातचीत और सोशल मीडिया पर स्टॉकिंग को सीमित करें या उससे बचें। ट्रिगर्स को हटाने से आपकी लालसा और तीव्रता कम हो सकती है।
आत्म-सुधार पर ध्यान दें- किसी के छोड़ जाने के बाद खुद को सँभालने के लिए वो काम करें, जो आपको पसंद हैं। अपनी ऊर्जा को आत्म-सुधार की ओर र्निर्देशित करने से फायदा होगा। जिम, योग, पेंटिंग या गिटार बजाना सीखना, जो भी आपको पसंद है, वो करें, और कुछ समय में आप देखेंगे आप उन चीजों को पीछे छोड़ चुके हैं, जो आपको दुख दे रही थीं।
माइंडफुलनेस और मेडिटेशन का अभ्यास करें- माइंडफुलनेस और मेडिटेशन आपको वर्तमान में रहने और जुनूनी सोच को कम करने में मदद कर सकती हैं। गहरी साँस लेना, प्रगतिशील मांसपेशी विश्राम और निर्देशित कल्पना जैसी तकनीकें आपके दिमाग को शांत कर सकती हैं और आपकी इच्छा की तीव्रता को कम कर सकती हैं।
व्यक्तिगत लक्ष्य निर्धारित करें- व्यक्तिगत लक्ष्य निर्धारित करने से आपको बहुत मदद मिलेगी। अपने इन लक्ष्यों के लिए जब आप काम करना शुरू करेंगे तो आपका दिमाग खुद ब खुद उस व्यक्ति से हट जाएगा, जिसे आप चाहते हैं। ये सब एक दिन में नहीं होगा, इसपर आपको लगातार काम करना पड़ेगा।
अपनी ज़रूरतों पर ध्यान केंद्रित करें- इस बात पर विचार करें कि आपको रिश्ते में वास्तव में क्या चाहिए और क्या आप जिस व्यक्ति को चाहते हैं वह आपकी ज़रूरतों को पूरा करता है। यह महत्वपूर्ण मूल्यांकन है, जो आपको अपनी भावनाओं को सही ट्रैक पर लाने में मदद करेगा। कई बार रिश्तों को टूटता देखकर हम घबरा जाते हैं और जो व्यक्ति हमारी बेसिक जरूरतों को भी पूरा नहीं कर रहा उसे पाने की कोशिश करने लगते हैं।
सब्र और दृढ़ता बनाए रखें- इच्छा पर काबू पाने के लिए धैर्य और दृढ़ता की आवश्यकता होती है। स्वीकार करें कि हर किसी को आप पसंद नहीं आ सकते हैं। स्वीकार करें कि सामने वाले को जो चाहिए वो आप नहीं है। डेटिंग के दौरान असफलताएँ हो सकती हैं और इससे निपटने के लिए स्वस्थ रणनीतियों का उपयोग करें और ऐसा करना जारी रखें। समय और प्रयास के साथ, आपकी इच्छा की तीव्रता फीकी पड़ जाएगी।
मदद लें- दोस्तों, परिवार या किसी चिकित्सक से बात करने से भावनात्मक समर्थन मिल सकता है। किसी ऐसे व्यक्ति के साथ अपनी भावनाओं को साझा करें, जिस पर आप भरोसा करते हैं, इससे कुछ हद तक आपके दिल का बोझ कम होगा। इसके अलावा ये आपको नए तरीके से अपनी भावनाओं को समेटने में मदद करेगा।

पीले पड़े नाखून को इस तरह करें साफ

नाखून हमारे शरीर के अहम अंगों में से एक है। जब नाखून साफ और चमकदार होते हैं, तो हमारे हाथों की सुंदरता बढ़ जाती है। लेकिन जब नाखून गंदे होते हैं, तो इससे हाथों की सुंदरता और आपका आत्मविश्वास भी प्रभावित होता है। तो वहीं कई बार नाखून पीले पड़ जाते हैं, जोकि देखने में अच्छे नहीं लगते हैं। ऐसे में आप बिना पैसे खर्च किए घर बैठे अपने नाखूनों की देखभाल कर सकते हैं। वहीं अगर आपके नाखून पीले पड़ गए हैं, तो आप कुछ छोटे-छोटे उपाय अपनाकर नाखूनों की सफेदी और चमक वापस ला सकते हैं। नेचुरल इंग्रीडिएंट्स आपके नाखूनों को सफेद और चमकदार बनाने के साथ उनकी सुंदरता भी बढ़ाएंगे। जब हम नाखूनों का सही तरीके से ध्यान नहीं रखते हैं या फिर उनकी नियमित सफाई नहीं करते हैं। इससे नाखून खराब होने लगते हैं। वहीं सस्ती और खराब नेलपेंट लगाने की वजह से भी कई बार नाखून पीले पड़ने लगते हैं। अगर आप नाखूनों पर लंबे समय तक नेलपेंट लगाकर रखते हैं, तो भी नाखून पीले हो सकते हैं। इसके अलावा मेडिकल कंडीशन, पौष्टिक आहार की कमी और पानी में अधिक काम करने की वजह से भी नाखूनों की सेहत पर असर पड़ता है। इन घरेलू उपाय से चमकाएं नाखून हम आपको कुछ ऐसे घरेलू उपायों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनको अपनाकर आप अपने नाखूनों को सफेद और चमकदार बना सकते हैं।
डेंटल पाउडर – डेंटल पाउडर भी नाखूनों को सफेद करने के लिए एक अच्छा उपाय है। डेंटल पाउडर को नाखूनों पर लगाकर हल्के हाथों से स्क्रब करें। इस पाउडर में ब्लीचिंग गुण पाए जाते हैं, जो नाखूनों के पीलेपन को हटाने में मदद करते हैं। इसका उपयोग करने से नाखूनों पर सफेदी आती है और यह चमकदार बनते हैं। थोड़ा सा डेंटल पाउडर पानी में मिलाकर पेस्ट बना लीजिए। अब इसको नेल्स पर लगाकर हल्के हाथों से स्क्रब कर अच्छे से धो लें। सप्ताह में दो बार यह उपाय जरूर करें।
विटामिन-ई ऑयल – विटामिन ई ऑयल न सिर्फ आपके नाखूनों को मजबूत बनाने के काम करता है, बल्कि यह नाखूनों की स्किन को भी पोषण देता है। वहीं इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट नाखूनों से पीलेपन को हटाने में मदद करते हैं। रात को सोने के समय विटामिई ई ऑयल की कुछ बूंदे नाखूनों पर लगाएं और फिर हल्के-हल्के से मसाज करें। अगले दिन सुबह उठकर नाखूनों को धो लें। रोजाना इस उपाय को करने से आपको कुछ ही समय में फर्क दिखने लग जाएगा।
टी ट्री ऑयल – टी ट्री ऑयल में एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-फंगल मौजूद होते हैं, जो नाखूनों को संक्रमण से बचाते हैं। साथ ही नाखूनों की सफेदी भी बढ़ाने में मदद करता है। सबसे पहले नाखूनों पर टी ट्री ऑयल की कुछ बूंदें लगाएं और हल्के-हल्के से मसाज करें। अब इसको रात भर के लिए नाखूनों पर लगा रहने दें। इस उपाय को करने से नाखूनों का पीलापन दूर होगा।
नींबू का रस – बता दें कि नींबू में नेचुरल ब्लीचिंग के गुण पाए जाते हैं, जो नाखूनों को सफेद करने में सहायता करता है। वहीं नींबू का रस नाखूनों की त्वचा को पोषण देने का काम करता है और संक्रमण को दूर रखता है। सबसे पहले एक कटोरी में नींबू का रस निकाल लें। अब इस रस में नाखूनों को 10-15 मिनट डुबोकर रखें। इसके बाद हाथ धो लें और नाखूनों पर जैतून के तेल में नींबू का रस मिलाकर मालिश करें।
बेकिंग सोडा – नाखूनों से दाग धब्बे हटाने के लिए बेकिंग सोडा एक और प्रभावी उपाय है। यह न सिर्फ आपके नाखूनों की सफेदी बढ़ाता है, बल्कि उनकी चमक को भी बरकरार रखता है। नाखूनों को साफ करने के लिए एक चम्मच बेकिंग सोडा को पानी में मिलाकर पेस्ट बना लें। फिर इस पेस्ट को नाखूनों में लगाएं। 5-10 मिनट तक लगाए रखने के बाद नाखूनों को अच्छे से धो लें। सप्ताह में एक बार यह उपाय करें।
बर्फ से मसाज – जब नाखूनों की बर्फ से मसाज की जाती है, तो इसके ब्लड सर्कुलेशन में सुधार आता है। यह स्वस्थ और चमकदार बनते हैं। साथ ही यह उपाय नाखूनों के पीलेपन को भी दूर करता है। सबसे पहले कुछ बर्फ के टुकड़े लेकर अपने नाखूनों पर 5-10 मिनट तक रगड़ें। फिर नाखूनौं को धो लें। यह उपाय नाखूनों को सफेदी और ठंडक देने का काम करता है।