समाज की बनी बनाई सोच से अलग चलकर नई मिसाल कायम करना कोई आसान काम नहीं है। जानिए ऐसी महिलओं के बारे में जिन्होंने रुढ़िवादी सोच को अपने हुनर और फैसलों के दम पर चुनौती ही नहीं दी बल्कि दुनिया की सोच भी बदल डाली –
इरोम शर्मिला: सैन्य बल विशेषाधिकार कानून के विरोध में करीब 15 साल से भूख हड़ताल कर रही मणिपुर की सामाजिक कार्यकर्ता इरोम शर्मिला की कहानी किसी को भी झकझोर कर सकती हैं। अफस्पा 22 मई 1958 को लगाया गया था। इरोम शर्मीला अफस्पा के खिलाफ भूख हड़ताल कर रही हैं और अधिकारी उन्हें रबर पाइप की मदद से नाक के जरिये विटामिन, खनिज, प्रोटीन सहित अन्य सामग्री देने पर मजबूर हैं।
सुहासिनी मुले: सुहासिनी मुले एक सशक्त अभिनेत्री होने के साथ ही वो एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म निर्माता भी है, जिसके लिए उन्हें 4 बार राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा गया। इन सबसे इतर सुहासिनी 60 साल की उम्र में शादी करके उन तमाम रुढ़ियों को दरकिनार कर दिया जो औरत को महज एक हाउसवाइफ बने रहने देना चाहती हैं।
नंदिता दास: औरत होने का मतलब सिर्फ सुंदरता और गोरा रंग होता है। इस परिभाषा को नंदिता ने अपने हुनर के दम पर पूरी तरह खारिज कर दिया। डार्क एंड ब्यूटीफुल के स्लोगन को सार्थक करने वाली नंदिता ने फेयरनेस क्रीम के एडवरटीजमेंट करने से भी साफ मना कर दिया। उनका मानना है कि सुंदरता दिखावे की नहीं होती है।
सुष्मिता सेन: बोल्ड एंड ब्यूटीफुल अभिनेत्रियों में शुमार सुष्मिता ने बच्ची को गोद लेने का सहासिक कदम उठाते हुए सभी को हैरान कर दिया था। इसके लिए सुष्मिता को लंबी कानूनी लड़ाई भी लड़नी पड़ी. उन्होंने रिनी को कंपनी देने के लिए दूसरी बच्ची अलीशा को भी गोद लिया। आज सुष्मिता मिस यूनिवर्स, अभिनेत्री होने के साथ प्राउड सिंगल मदर भी हैं.
सुनीता कृष्णन: भले ही कद काठी में सुनीता कृष्णन आपको छोटी लगे लेकिन उनके इरादे और हौसले पहाड़ जैसे हैं. उनके साथ महज 15 साल की उम्र में हुई गैंग रेप की घटना ने कभी उन्हें तोड़कर रख दिया था लेकिन आज वे यौन-दासत्व में फंसे औरतों और बच्चों को बचाने का काम करती हैं। 1996 में उन्होंने ब्रदर जोस वेटि्टकेटिल के साथ मिलकर हैदराबाद में ‘प्रज्वला’ नाम की संस्था बनाई, जो महिलाओं और बच्चों के लिए काम करती है।
शांति टिग्गा: भारतीय सेना में कभी किसी औरत के होने की कल्पना करना भी संभव नहीं था। इस असंभव से दिखने वाले काम को शांति ने पूरा कर दिखाया। बतौर जवान भारतीय सेना में शामिल होने के दौरान वह दो बच्चों की मां थी। शारीरिक परीक्षण के दौरान इन्होंने अपने सभी पुरुष साथियों को हरा दिया था। इस उपलब्धि को उन्होंने 35 वर्ष की उम्र में यह हासिल किया था। आपको बता दें कि उन्हें अपनी ट्रेनिंग के दौरान बेस्ट ट्रेनी का अवार्ड भी मिला था.
नीना गुप्ता: सिर्फ बिंदास बातें करना ही काफी नहीं होता उसे जिंदगी में किस तरह उकेरा जाता है ये फिल्म अभिनेत्री नीना गुप्ता ने बखूबी कर दिखाया। क्रिकेटर विवियन रिचर्ड्स के साथ अपने प्रेम-प्रसंग और फिर बिना शादी किए उनकी बेटी मासबा को जन्म देना कोई आसान राह नहीं थी। नीना ने उस राह को चुना और आज मासबा ने बतौर फैशन डिजाइनर अपनी पहचान बना ली है।
लक्ष्मी तब 15 साल की थीं, जब एक 32 साल की उम्र के आदमी ने अपने दो साथियों के साथ उनके ऊपर तेजाब फेंक दिया था। लक्ष्मी पर तेजाबी हमला केंद्रीय दिल्ली में स्थित तुगलक रोड पर हुआ था। इस हादसे के बाद लक्ष्मी के जीवन में अंधेरा छा गया था लेकिन हिम्म्त हारे बिना लक्ष्मी ने अपना मुकाम बनाया। आज उनका परिवार भी है और एक प्यारी सी बेटी भी है।