साहित्यिकी द्वारा ‘एक सच्ची झूठी गाथा’ उपन्यास पर परिचर्चा

कोलकाता : साहित्यिकी द्वारा हाल ही में ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ से सम्मानित लेखिका अलका सरावगी के चर्चित उपन्यास ‘एक सच्ची झूठी गाथा’  पर परिचर्चा आयोजित की गयी। कार्यक्रम की संचालक सविता पोद्दार ने लेखिका का संक्षिप्त परिचय देते हुए कहा कि उनका यह उपन्यास रूढ़ियों को तोड़कर एक जादुई दुनिया के दरवाज़े खोलने वाला एक बड़े फलक का उपन्यास है। साहित्यिकी परिवार की वरिष्ठ सदस्या,  प्राध्यापिका वाणी बाजोरिया ने उपन्यास को सृजित सत्य, भोगे हुए सच और कलमबद्ध यथार्थ की तस्वीर सामने रखने वाला दस्तावेज  बताया। बंगवासी कॉलेज की हिन्दी विभागाध्यक्षा रेवा जाजोदिया ने कहा कि विशद आयाम वाले इस उपन्यास के तीन भाग है जिसमे संर क्षित जीवन वाली गाथा (लेखिका) में पहचान के संकट से भ्रमित प्रमित की दास्तान का ताना-बाना बुना गया है जो गुफाओं की दीवारों पर  खूनी नाख़ून से कहानी लिखना चाहता है। लेखिका अलका सरावगी संस्था का आभार प्रकट करते हुए कहा कि लेखक की यात्रा में कई  सवाल होते है, यह उपन्यास उन्ही सवालों की परिणति है। अध्यक्षा राजश्री शुक्ला ने प्रमित और गाथा के सच को समाज से निकला हुआ सच  बतलाया। सामान्य पाठक रचनात्मकता से लैस होकर इस उपन्यास का लुत्फ़ उठा  सकता है। स्त्री लेखन की जो परिभाषा आलोचकों ने गढ़  दी है, यह उपन्यास उसे तोड़ता है। शोध छात्रा पूजा प्रसाद ने कहा कि यह उपन्यास सोशल मीडिया की भाँति सम्मोहित करता है, तभी तो  गाथा फिर से प्रमित से जुड़ना चाहती है। अंत में साहित्यिकी की वरिष्ठ सदस्या रेणु गौरीसरिया ने उपस्थित सदस्यगणों और अतिथियों का  धन्यवाद ज्ञापन किया।

शुभजिता

शुभजिता की कोशिश समस्याओं के साथ ही उत्कृष्ट सकारात्मक व सृजनात्मक खबरों को साभार संग्रहित कर आगे ले जाना है। अब आप भी शुभजिता में लिख सकते हैं, बस नियमों का ध्यान रखें। चयनित खबरें, आलेख व सृजनात्मक सामग्री इस वेबपत्रिका पर प्रकाशित की जाएगी। अगर आप भी कुछ सकारात्मक कर रहे हैं तो कमेन्ट्स बॉक्स में बताएँ या हमें ई मेल करें। इसके साथ ही प्रकाशित आलेखों के आधार पर किसी भी प्रकार की औषधि, नुस्खे उपयोग में लाने से पूर्व अपने चिकित्सक, सौंदर्य विशेषज्ञ या किसी भी विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें। इसके अतिरिक्त खबरों या ऑफर के आधार पर खरीददारी से पूर्व आप खुद पड़ताल अवश्य करें। इसके साथ ही कमेन्ट्स बॉक्स में टिप्पणी करते समय मर्यादित, संतुलित टिप्पणी ही करें।