हिन्दी पत्रकारिता में स्वप्नों और मूल्यों के रक्षक थे राजकिशोर

कोलकाता :  आज हिन्दी पत्रकारिता जितनी संभावनाओं से भरी हुई है उतनी ही चुनौतियों से भी। राजकिशोर पत्रकारिता की जिस परंपरा से जुड़े हुए थे उसमें विचारों और मूल्यों का महत्व था। आज नई पीढ़ी पर उस परंपरा के विकास का दायित्व है। आज भारतीय भाषा परिषद के सहयोग से आयोजित ‘राजकिशोर स्मृति व्याख्यान-माला’ में ये विचार व्यक्त किए गए। राजकिशोर वृहत्तर कोलकाता इलाके से निकले पत्रकार थे जिन्होंने राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त की। इस अवसर पर हिन्दी पत्रकार गंगा प्रसाद को ‘राजकिशोर पत्रकारिता सम्मान 2020’ प्रदान किया गया। इस वर्ष से ‘कला साहित्य मंच’, ‘हिंदी ज्ञान’, ‘हिंदी कार्य’, ‘हिंदी कारवां’ और ‘शुभजिता’ ने संयुक्त रूप से इसकी शुरुआत की।
‘मीडिया का नया दौर और हिन्दी पत्रकारिता’ पर बोलते हुए अरुण माहेश्‍वरी ने कहा कि राजकिशोर ने मुख्य धारा की पत्रकारिता से अपनी लेखन यात्रा शुरू की थी लेकिन अपने जीवन के अंतिम वर्षों में वे छोटे समाचार पत्रों की दुनिया में आ गए थे। उन्होंने कविताएँ और उपन्यास भी लिखे हैं। उनका पुस्तकालयों के बारे में मत था कि इतनी क्षुद्र दुनिया में इतनी सुंदर चीज कैसे है। वे बड़े अध्ययनशील थे। प्रेसिडेंसी विश्‍वविद्यालय के प्रो. ॠषिभूषण चौबे ने कहा कि राजकिशोर की पत्रकारिता हमें निर्भयता की शिक्षा देती है। उनकी दृष्टि और भाषा दोनों बेवाक थी। मृत्युंज ने कहा कि राजकिशोर पत्रकार भर नहीं थे वे हिंदी पत्रकारिता के कबीर थे। इस अवसर पर राजकिशोर की कविताओं की संगीतात्मक प्रस्तुति पूजा गुप्ता, मंजू श्रीवास्तव, मधु सिंह, पंकज सिंह, इबरार खान और राज्यवर्द्धन ने की। राजकिशोर के मित्र महेश जायसवाल ने कहा कि राजकिशोर जैसे संवेदनशील और जागरूक पत्रकार कम होते हैं। वे हावड़ा अंचल के लिए एक कीर्तिमान के रूप में याद किए जाएंगे। शुभजिता की सुषमा त्रिपाठी ने कहा कि हिन्दी पत्रकारिता में महिलाओं की उपेक्षा है, उन्हें सामने आना चाहिए।

शुभजिता युवा प्रतिभा सम्मान पोस्टर का लोकार्पण


अध्यक्षीय भाषण देते हुए शंभुनाथ ने कहा कि हिन्दी पत्रकारिता हमेशा लोकतांत्रिक रही है। दो तरह के पत्रकार होते हैं- प्रचारक पत्रकार और विचारक पत्रकार। आज समाज को राजकिशोर जैसे विचारक पत्रकार की जरूरत है। उन्होंने राजकिशोर विचार कोश बनाने का प्रस्ताव रखा ताकि उनके विपुल लेखन से उनके श्रेष्ठ अवदान सामने आ सके। इस आयोजन के प्रथम सत्र का संचालन सौमित्र आनंद ने और दूसरे सत्र का संचालन प्रो.संजय जायसवाल ने किया। भारतीय भाषा परिषद की अध्यक्ष कुसुम खेमानी ने स्वागत भाषण देते हुए कहा कि आज निर्भीक और सहृदय पत्रकारिता की बहुत जरूरत है। आयोजन को सफल बनाने में अश्‍विनी कुमार और राहुल गौड़ की विशेष भूमिका थी।

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