प्रेमचंद का साहित्य़ मनुष्यता के विकास का साहित्य है

मिदनापुर : विद्यासागर विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग की ओर से “प्रेमचंद आज” विषय पर प्रेमचंद जयंती का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के संकायाध्यक्ष (कला व वाणिज्य) प्रो. दामोदर मिश्र ने कहा कि प्रेमचंद का साहित्य मनुष्यता के विकास का साहित्य है। प्रो. संजय जायसवाल ने कहा कि प्रेमचंद किसानों के अधिकारों के लिए निरंतर अपनी रचनाओं में संघर्ष करते हुए सामंतवाद और पूंजीवाद से टकराते हैं। डॉ. श्रीकांत द्विवेदी ने कहा कि प्रेमचंद समाज के हर वर्ग के हितार्थ लिखते हैं। गोप कॉलेज की हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. रेणु गुप्ता ने कहा कि प्रेमचंद ने सबको जोड़ने का काम किया है। संस्कृत की प्रो. इला नंदा ने कहा कि प्रेमचंद समग्रता के लेखक हैं। प्रेमचंद पर आयोजित परिचर्चा में सोनाली कुमारी,बीना पाल, पूनम पाल, श्रद्धा उपाध्याय ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया। शोधार्थी विनोद यादव ने कहा कि प्रेमचंद उपभोक्तावाद का विरोध करते हैं। दीपनारायण चौहान ने कहा कि प्रेमचंद ने कथा साहित्य को सामाजिक यथार्थ से जोड़ा। प्रियंका गुप्ता ने कहा कि प्रेमचंद को लेकर हिंदी समाज उदासीन रहा है। हमें प्रेमचंद को पूरे समाज का हिस्सा बनाना होगा। मधु सिंह ने प्रेमचंद की कहानियों में व्यक्त प्रेम पर चर्चा करते हुए कहा कि प्रेम कहानियों में त्याग, समर्पण का भाव परिलक्षित होता है। इसके अलावा मिथिलेश साव, राधेश्याम सिंह, सलोनी शर्मा, सोनी कुमारी, श्रद्धा उपाध्याय, राहुल गौड़, बिना पाल, सोमा दे आदि ने अपने विचार रखें। इस अवसर पर प्रभाती मुंगराज, चंदना मंडल, मौसमी गोप, राजकुमार मिश्रा, धनंजय प्रसाद ने संवाद-सत्र में हिस्सा लिया। कार्यक्रम का सफल संचालन मधु सिंह एवं धन्यवाद ज्ञापन रूपल साव ने दिया।

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