अब देश का भविष्य जनता के हाथ में है

नया साल आ चुका हैऔर 2019 भारत के लिए काफी निर्णायक है। राजनीति से लेकर खेल तक, हर एक क्षेत्र एक नयी चुनौती की तरह सामने है। देश की राजनीति का अब कोई एक चेहरा नहीं है, एक इरादा भी नहीं है और एक से पैंतरे भी नहीं है। आम भारतीय इस बार एक मतदाता अधिक है और यह उसके लिए परीक्षा की घड़ी है कि वह किसे चुने जो देश को आगे ले जाए। आमतौर पर स्थानीय मुद्दों और केन्द्रीय मुद्दों के बीच एक टकराव की स्थिति बनती है मगर देखना यह है कि क्या आम मतदाता स्थानीयता से ऊपर उठकर फैसला लेगा। इस साल अयोध्या को लेकर भी फैसले की घड़ी शायद नजदीक है और देश की धार्मिक सहिष्णुता का ताना-बाना इस एक फैसले की राह देख रहा है। यह साल विश्व कप क्रिकेट का भी है।

कई नये चेहरे हमारे सामने हैं और कई पुराने दिग्गज भी हमारे पास हैं मगर नये और पुराने के मेल करा देने से बात नहीं बनेगी जबकि उनके बीच संयोजन न हो। आज की राजनीति व्यक्ति केन्द्रित हो गयी है। जरूरी है कि इस मोह से ऊपर उठकर हम देखें और देश की बेहतरी के लिए एक साथ निर्णय लें। देश का भविष्य अब सिर्फ जनता के हाथ में हैं इसलिए जिम्मेदारी भी सबसे ज्यादा उसी की है, मतलब हमारी और आपकी। आइए, नववर्ष पर इस दायित्व को हम मिलकर उठाएं…नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।

शुभजिता

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