Sunday, February 16, 2025
खबर एवं विज्ञापन हेतु सम्पर्क करें - [email protected]

जुड़वा बच्चों के कुंवारे पिता बने देश के ‘आखिरी सिंगल डैड’ प्रीतेश

अहमदाबाद । एक ऐसा आदमी जिसकी शादी सिर्फ इसलिए नहीं होती है कि उसकी सरकारी नौकरी नहीं लग पाती है। देश में सरकारी नौकरी का क्रेज किसी से छुपा नहीं है। शादी भले ही नहीं हुई लेकिन पिता बनने की चाहत बनी रही। आखिरकार पिछले साल सरोगेसी वह जुड़वा बच्चों के पिता भी बन गए। जुड़वा बच्चों में एक लड़का और एक लड़की है। ये कहानी सूरत के प्रीतेश दवे की है। प्रीतेश उन आखिरी खुशकिस्मत लोगों में से हैं जिन्हें सरोगेसी के जरिये सिंगल पिता बनने का सौभाग्य मिला है। इसकी वजह है कि देश में अब सरोगेसी के नए नियम लागू हो चुके हैं।
खुद को खुशकिस्मत मानते हैं दवे
इनफर्टिलिटी स्पेशलिस्ट डॉ. पार्थ बाविशी ने कहा कि दवे उन कुछ अंतिम पुरुषों में से एक हैं जिन्होंने नए सरोगेसी कानून के लागू होने से महीनों पहले यह उपलब्धि हासिल की थी। उन्होंने कहा कि नए नियमों के अनुसार, सिंगल पुरुषों, महिलाओं, लिव-इन और सेम सेक्स कपल के लिए सरोगेसी की अनुमति नहीं है। दवे जानते हैं कि वह कितने भाग्यशाली हैं। उन्होंने कहा कि मैं इस मामले में खुशकिस्मत हूं। दवे का कहना है कि अब मेरे जैसा अविवाहित व्यक्ति सरोगेसी के लिए अर्हता प्राप्त नहीं कर सकता है। दवे सूरत में अपने माता पिता के साथ रहते हैं। वह भावनगर में एक नेशनलाइज्ड बैंक के लिए ग्राहक सेवा केंद्र चलाते हैं। अब बच्चों से ही बदली दुनिया
प्रीतेश दवे का कहना है कि धैर्य और दिव्या के आने से, उसका समय अब पहले से कहीं अधिक हो गया है। उन्होंने कहा कि जब मुझे शादी के लड़की नहीं मिली तो मेरे माता-पिता बहुत निराश हुए। हालांकि, जुड़वा बच्चों के आने के बाद हमारा घर खुशियों से भर गया। दवे ने कहा कि उनकी मां उनके बच्चों को पालने में सहारा रही हैं। उन्होंने कहा कि मेरा कोई जीवन साथी नहीं हो सकता है, लेकिन अब मेरे पास जिंदगी को जीने के लिए के लिए एक परिवार है। उन्होंने कहा कि यह सबसे बड़ा आशीर्वाद है।
सरकारी नौकरी नहीं तो दुल्हन नहीं
दवे ने कहा कि उनके समुदाय में ऐसे कई पुरुष हैं जो दुल्हन नहीं ढूंढ पा रहे हैं। इसकी वजह है कि माता-पिता अपनी बेटियों की शादी सरकारी नौकरी वाले युवाओं से करना पसंद करते हैं। दवे 12वीं के बाद कॉलेज की पढ़ाई नहीं कर पाए थे। उन्होंने कहा कि हमारे पास जमीन और जायदाद है, लेकिन इसका कोई मतलब नहीं है।

शुभजिता

शुभजिता की कोशिश समस्याओं के साथ ही उत्कृष्ट सकारात्मक व सृजनात्मक खबरों को साभार संग्रहित कर आगे ले जाना है। अब आप भी शुभजिता में लिख सकते हैं, बस नियमों का ध्यान रखें। चयनित खबरें, आलेख व सृजनात्मक सामग्री इस वेबपत्रिका पर प्रकाशित की जाएगी। अगर आप भी कुछ सकारात्मक कर रहे हैं तो कमेन्ट्स बॉक्स में बताएँ या हमें ई मेल करें। इसके साथ ही प्रकाशित आलेखों के आधार पर किसी भी प्रकार की औषधि, नुस्खे उपयोग में लाने से पूर्व अपने चिकित्सक, सौंदर्य विशेषज्ञ या किसी भी विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें। इसके अतिरिक्त खबरों या ऑफर के आधार पर खरीददारी से पूर्व आप खुद पड़ताल अवश्य करें। इसके साथ ही कमेन्ट्स बॉक्स में टिप्पणी करते समय मर्यादित, संतुलित टिप्पणी ही करें।

शुभजिताhttps://www.shubhjita.com/
शुभजिता की कोशिश समस्याओं के साथ ही उत्कृष्ट सकारात्मक व सृजनात्मक खबरों को साभार संग्रहित कर आगे ले जाना है। अब आप भी शुभजिता में लिख सकते हैं, बस नियमों का ध्यान रखें। चयनित खबरें, आलेख व सृजनात्मक सामग्री इस वेबपत्रिका पर प्रकाशित की जाएगी। अगर आप भी कुछ सकारात्मक कर रहे हैं तो कमेन्ट्स बॉक्स में बताएँ या हमें ई मेल करें। इसके साथ ही प्रकाशित आलेखों के आधार पर किसी भी प्रकार की औषधि, नुस्खे उपयोग में लाने से पूर्व अपने चिकित्सक, सौंदर्य विशेषज्ञ या किसी भी विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें। इसके अतिरिक्त खबरों या ऑफर के आधार पर खरीददारी से पूर्व आप खुद पड़ताल अवश्य करें। इसके साथ ही कमेन्ट्स बॉक्स में टिप्पणी करते समय मर्यादित, संतुलित टिप्पणी ही करें।
Latest news
Related news