कोलकाता । कोलकाता के चर्चित संस्कृतिकर्मी-रंगकर्मी श्रीप्रकाश गुप्ता के आकस्मिक निधन से साहित्य जगत में शोक की लहर छा गई।17 जून की आधी रात को ह्रदयाघात के कारण उनकी मृत्यु हो गई।अगले दिन उनकी अंत्येष्टि संपन्न हुई जिसमें हजारों लोग शामिल थे ।हुगली कोन्नगर के निवासी श्रीप्रकाश गुप्ता का सृजनात्मक क्षेत्र कोलकाता तक फैला था।सांस्कृतिक पुनर्निर्माण मिशन के वरिष्ठ सदस्य होने के साथ वे प्रगति शोध संस्थान के संस्थापक थे ।वे कोलकाता और हावड़ा की कई संस्थाओं में सक्रिय थे।स्टडी मिशन के जरिए वे शिक्षा के क्षेत्र में काफी सक्रिय थे।रंगकर्मी श्रीप्रकाश शुक्ल ने 21 मई को ‘फौज के हवाले शहर’ में अपने आखिरी नाटक में शानदार अभिनय किया।उन्होंने दर्जनों नाटकों एवं कई फिल्मों में अभिनय किया है।उनकी नाटक पर तीन पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।वे 8 जुलाई 2023 को भारतीय भाषा परिषद में ‘समकालीन हिंदी कथा साहित्य में किन्नर विमर्श’ विषय पर एक अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी एवं पुस्तक प्रकाशन की योजना की तैयारी में लगे थे।श्रीप्रकाश गुप्ता अपने पीछे मां,भाई सत्यप्रकाश पत्नी पुष्पा गुप्ता , पुत्री शालिनी एवं प्राची और पुत्र साहिल को छोड़ गए।प्रसिद्ध आलोचक शंभुनाथ ने उनकी मृत्यु को पारिवारिक क्षति के साथ एक बड़ी सामाजिक क्षति माना।उनके आकस्मिक निधन पर राज्यभर से सैकड़ों,विद्वानों,कलाकारों एवं लेखकों ने शोक प्रकट किया।