दिसम्बर बस खत्म होने जा रहा है। एक सप्ताह और नया साल शुरू हो जाएगा। 2024 पीछे छूट रहा है और 2025 का स्वागत करने को हम तैयार खड़े हैं। देखा जाए तो साल बदलते जाते हैं मगर तारीखें बदलने से कहां कुछ बदलता है। सोचते हैं हम, कब ऐसी तारीख आएगी जब इस धरती पर खुशियां होंगी, कहीं कोई नफरत नहीं होगी..कहीं कोई द्वेष नहीं होगा। इस साल हमने कई ऐसे चेहरे खोए जो अपने साथ जैसे पूरा युग लेते गए । रतन टाटा, शारदा सिन्हा, जाकिर हुसैन…ये तमाम लोग अपने -आप में पूरा युग रहे। हम हर बार किसी को खुश करने के लिए कुछ न कुछ देते हैं और सोचते हैं कि भौतिक चीजों को पा लेने भर से ही खुशी मिल जाती है मगर ऐसा नहीं होता। मुझे लगता है कि आप अगर किसी को सबसे अधिक कुछ कीमती चीज दे सकते हैं तो वह आपका समय है। समय दीजिए और स्मृतियां बनाइए…आप इससे खूबसूरत उपहार किसी को नहीं दे सकते। दुनिया में हर चीज खरीदी जा सकती है मगर वक्त खरीदा नहीं जा सकता। आखिरकार हम जो पाते हैं या खोते हैं या किसी के साथ कैसा व्यवहार करते हैं..वह हमारी स्मृतियों में सुरक्षित हो जाता है। लोगों को लगता है कि पैसे कमाने की मशीन बनकर आप दुनिया खरीद सकते हैं और परिवार के लिए खुशियां खरीद सकते हैं मगर ऐसा नहीं है। पैसा जरूरी है, पैसा कमाना और इतना पैसा कमाना कि आप अपनी जरूरतों के लिए किसी पर निर्भर न रहें..बहुत ज्यादा जरूरी है मगर पैसा कमाने में और खुद पैसा कमाने की मशीन बना लेने में जमीन -आसमान का फर्क है । आज कोई भी रिश्ता पैसा और स्टेटस देखकर जोड़ा जा रहा है पर आप कुछ नहीं देख पा रहे हैं तो वह व्यवहार है, आचरण है, जिन्दगी को लेकर आपकी सोच है। आपका रहन -सहन और संस्कृति है। चार लोगों को खुश करने के लिए पानी की तरह पैसा बहा रहे हैं मगर यह नहीं सोच रहे हैं कि जिन्दगी जब हंसकर या रोकर दो लोगों को ही गुजारनी है तो फिर चार लोगों को खुश करने के लिए अपनी जीवन भर की कमाई स्वाहा करना कहां की बुद्धिमानी है। यह बात सिर्फ शादियों पर ही नहीं बल्कि हर तरह के रिश्ते पर लागू होती है..स्मृतियां साथ चाहती हैं, पैसा उसके बाद की चीज है। कमाइए, खूब कमाइए मगर यह मत भूलिए कि आपके रिश्तों को आपकी जरूरत ज्यादा है। बच्चों को लायक बनाएंगे, आत्मनिर्भर बना देंगे तो पैसे वह खुद ही कमा लेंगे मगर इस समय अगर आप उनको अपना साथ नहीं दे पा रहे तो आप उनसे शिकायत नहीं कर सकेंगे और करनी भी नहीं चाहिए । अपने दोस्तों को, परिवार को, समाज को..काम को उनके हिस्से का समय दीजिए… न ज्यादा और न कम। अपना सर्वश्रेष्ठ दीजिए चाहे वह संवेदना हो, मेहनत हो या कुछ और..शत- प्रतिशत दीजिए मगर पूरी जिन्दगी नहीं..क्योंकि जिन्दगी में संतुलन जरूरी है…चार लोगों के लिए खुद पर अत्याचार करना बुद्धिमानी नहीं है क्योकि जिन्दगी की गाड़ी को भीड़ नहीं खींचती..उसे आप खींचते हैं बस आपके साथी…समय और स्थान के अनुसार बदल जाते हैं..नववर्ष की अग्रिम हार्दिक शुभकामनाएं ।
नेफ्रोकेयर इंडिया ने आयोजित किया वॉकथॉन
कोलकाता । नेफ्रोकेयर इंडिया, अपने समृद्धशाली अस्तित्व के तीन साल पूरे करने पर गर्व महसूस कर रहा है। संस्थान का कहना है कि, रिसर्च में पाया गया है कि, रोजाना नियमित 30 मिनट तेज चलने से हमारे शरीर में किडनी स्वस्थ रहती है, इसे ध्यान में रखते हुए हमने इस सुनहरे मौके पर ‘स्वास्थ्य के लिए चलें, अपनी किडनी के लिए चलें’ का संदेश लोगों तक पहुंचने के लिए हम वॉकथॉन का आयोजन कर रहे हैं। वॉकथॉन में लगभग 400 प्रतिभागियों के साथ समाज की कई मशहूर हस्तियां भी इसमें शामिल हुईं, जिन्होंने इस स्वस्थ अभ्यास के विचार को फैलाने के लिए उनके कदम मिलाए। यह वॉकथॉन नेफ्रोकेयर से शुरू हुई और होटल गोल्डन ट्यूलिप पर समाप्त हुई। इस कार्यक्रम में कंपनी के निदेशक डॉ. प्रतीम सेनगुप्ता का संदेश प्रस्तुत किया गया। इस कार्यक्रम में समाज की कई प्रतिष्ठित हस्तियों में डॉ. प्रतीम सेनगुप्ता (नेफ्रो केयर के संस्थापक एवं निदेशक), राम कृष्ण जायसवाल (मालदीव के वाणिज्य राजदूत), अरिंदम सिल (अभिनेता एवं फिल्म निर्देशक), पियाली बसाक (पर्वतारोही), आशीष मित्तल (गोल्डन ट्यूलिप होटल के निदेशक) के साथ कई गणमान्य व्यक्ति इस अवसर पर मौजूद थे।नेफ्रो केयर के संस्थापक और निदेशक, नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. प्रतीम सेनगुप्ता ने मीडिया से बात करते हुए कहा, हम अपनी स्थापना की तीसरी वर्षगांठ मना रहे हैं, हमने किडनी रोग की रोकथाम और इसके उपचार की दिशा में काम करते हुए तीन सफल वर्ष पूरे कर लिए हैं। भारत जैसे देश के लिए, जो संसाधनों की कमी से जूझ रहा है, एसी स्थिति में नेफ्रोकेयर हमारे लिए सही मंत्र और एकमात्र गंतव्य स्थल बन गया है। नेफ्रोकेयर में हमारा दृढ़ विश्वास है कि हर रोज़ 30 मिनट तेज चलना हमारे शरीर में हमारी बहुत सी स्वास्थ्य समस्याओं का समाधान कर सकता है। इस साल गत 5 जुलाई को हम एसएमई आईपीओ में सूचीबद्ध हुए और 15 जुलाई से मध्यमग्राम में अपना नया मल्टी स्पेशियलिटी हॉस्पिटल (विवासिटी मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल) शुरू किया। नेफ्रोकेयर विशेषज्ञों की एक टीम किडनी/संबंधित विकार से पीड़ित किसी भी व्यक्ति को समग्र देखभाल प्रदान करता है।
साहित्यिकी द्वारा हिंदी के महान साहित्य सेवी डॉ श्यामसुंदर दास पर की गोष्ठी
कोलकाता । भारतीय भाषा परिषद के पुस्तकालय में साहित्यिकी संस्था द्वारा हिंदी शब्द सागर के महान इतिहासकार डॉ श्यामसुंदर दास पर चर्चा की। साहित्यिकी संस्था द्वारा आयोजित इस मासिक गोष्ठी में अतिथि वक्ता विद्वान डॉ ऋषिकेश राय रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता की स्कॉटिश चर्च कॉलेज की ऐसोसिएट प्रो साहित्यकार डॉ गीता दूबे ने किया। सदस्य वक्ता मीतू कानोड़िया और संचालन किया चंदा सिंह ने। आलोचक एवं प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ श्यामसुंदर दास पर डॉ ऋषिकेश राय का विद्वत्तापूर्ण प्रभावशाली वक्तव्य ज्ञानवर्धक तो था ही पुस्तकीय सूचनाओं से अलग मौलिक एवं विचारणीय रहा । डॉ ऋषिकेश राय ने कहा कि श्यामसुन्दर दास (१४ जुलाई 1875 – 1945 ई.) हिंदी के अनन्य साधक, विद्वान्, आलोचक और शिक्षाविद् थे। हिंदी साहित्य और बौद्धिकता के पथ-प्रदर्शकों में उनका नाम अविस्मरणीय है। हिंदी-क्षेत्र के साहित्यिक-सांस्कृतिक नवजागरण में उनका योगदान विशेष रूप से उल्लेखनीय है। उन्होंने और उनके साथियों ने मिल कर सन् 1893 में काशी नागरी प्रचारिणी सभा की स्थापना की थी ।साथ ही ही शब्द कोष शबदसागर की रचना की। हिन्दी के महान सेवक बाबू श्यामसुन्दर दास विश्वविद्यालयों में हिंदी की पढ़ाई के लिए यदि बाबू साहब ने पुस्तकें तैयार न की होतीं तो शायद हिंदी का अध्ययन-अध्यापन आज सबके लिए इस तरह सुलभ न होता। उनके द्वारा की गयी हिंदी साहित्य की पचास वर्षों तक निरंतर सेवा के कारण कोश, इतिहास, भाषा-विज्ञान, साहित्यालोचन, सम्पादित ग्रंथ, पाठ्य-सामग्री निर्माण आदि से हिंदी-जगत समृद्ध हुआ। उन्हीं के अविस्मरणीय कामों ने हिंदी को उच्चस्तर पर प्रतिष्ठित करते हुए विश्वविद्यालयों में गौरवपूर्वक स्थापित किया।
डॉ गीता ने अध्यक्षीय वक्तव्य में श्यामसुंदर दास की पुस्तक साहित्यलोचन पर चर्चा की जो उनके ज्ञान और अध्ययन का परिचायक था।डॉ गीता ने कहा कि आज फिर से हमें विद्यार्थियों को हिंदी के महान इतिहासकार डॉ श्यामसुंदर दास के विषय में जानकारी देने की आवश्यकता है।
छंदोबद्ध कविता लेखन में निपुण कवयित्री मीतू कानोड़िया ने बाबू श्यामसुन्दर दास जी के बहुमुखी व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए हिन्दी भाषा, आलोचना, इतिहास, प्रबंध, जीवनी निर्माण, कोष विज्ञान के विकास में उनका योगदान अतुलनीय है।वें आजीवन हिन्दी भाषा और साहित्य के आधारभूत विकास के लिए पूरी निष्ठा और समर्पण से लगे रहे।मीतू कानोड़िया ने अपने सारगर्भित आलेख में श्यामसुंदर दास के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डाला।चंदा सिंह का संचालन बहुत सुंदर रहा।डॉ वसुंधरा मिश्र ने बताया कि इस कार्यक्रम में धन्यवाद संस्था की अध्यक्ष विद्या भंडारी ने दिया।
थिएटर पत्रिका रंगरस पत्रिका का लोकार्पण
कोलकाता । लिटिल थेस्पियन ने भारतीय भाषा परिषद के के सहयोग से उसके सभागार में थिएटर पत्रिका रंगरस पत्रिका का लोकार्पण किया। वरिष्ठ नाटककार श्री प्रताप सहगल विशेष रूप पत्रिका के लोकार्पण के लिए ही दिल्ली से कोलकाता आए थे। रंगरस पत्रिका की शुरुआत 2010 में अज़हर आलम ने की थी जो उर्दू भाषा की एकमात्र थिएटर पत्रिका थी | फिर 2022 में इसका एक और अंक मोहम्मद काज़िम के संपादन में आया | अब 2024 में इस पत्रिका के संपादन का दायित्व लिटिल थेस्पियन की संस्थापक, निर्देशक उमा झुनझुनवाला और अज़हर आलम की सुपुत्री गुंजन अज़हर ने उठाया है जो हिंदी और अंग्रेजी भाषा में प्रकाशित होगी। इस पत्रिका के लोकार्पण में उपस्थित थे दैनिक छपते-छपते पत्रिका के प्रधान संपादक विश्वभर नेवर, भारतीय भाषा परिषद के निदेशक प्रोफेसर शंभुनाथ, अध्यक्षीय वक्ता के तौर पर पश्चिम बंगाल शिक्षक प्रशिक्षण की कुलपति प्रोफ़ेसर सोमा बंदोपाध्याय, अतिथि वक्ता के रूप में नाट्य समीक्षक अंशुमान भौमिक, विशिष्ट वक्ता के तौर पर नाटककार ज़हीर अनवर, कस्बा अर्घ्य के नाट्य निर्देशक श्री मनीष मित्रा और पीपुल्स थिएटर ग्रुप के नाट्य निर्देशक निलॉय रॉय | प्रेम कपूर ने रंगरस पत्रिका की संपादक गुंजन अज़हर को साधुवाद देते हुए कहा कि पाठको को ही पत्रिका को आगे बढ़ाने में सहयोग करना होगा। जिससे उनमें मानसिक विकास और नाटकों को समझने की समझ पैदा होगी। विजय भारती (कुलपति, हिंदी विश्वविद्यालय) की अनुपस्थिति में पार्वती रघुनंदन ने उनके लिखे विचारों को लिखित रूप में पढ़ा। विजय भारती ने रंगरस पत्रिका को आलोचना का केंद्र बताया। प्रोफ़ेसर सोमा बंदोपाध्याय ने अध्यक्षीय भाषण में रंगमंच के महत्व पर दृष्टि डालते हुए ये कहा कि नई पीढ़ियों के लिए ये पत्रिका नाटकों की अच्छी आलोचना साबित हो सकती है।रंगरस पत्रिका के लोकार्पण के कार्यक्रम का धन्यवाद ज्ञापन लिटिल थेस्पियन की संस्थापक, निर्देशक उमा झुनझुनवाला ने किया और इस लोकार्पण का सफल संचालन संगीता व्यास ने किया।
स्वच्छ, स्वस्थ, सुरक्षित व डिजिटल होगा महाकुम्भ 2025, आएंगे 45 करोड़ श्रद्धालु
इनिया एस्थेटिक्स एंड वेलनेस के 6 महीने पूरे
कोलकाता । इनिया एस्थेटिक्स एंड वेलनेस, अपने शरीर और स्वास्थ्य के प्रति जगह लोगों की त्वचा को रूपांतरित करने, बुढ़ापा रोकने और स्वास्थ्य उपचारों के लिए अग्रणी गंतव्य बन गया है।इनिया एस्थेटिक्स एंड वेलनेस ने अपने 6 महीने पूरे होने पर, प्रसिद्ध अभिनेत्री ऋचा शर्मा के साथ एक भव्य रंगारंग कार्यक्रम का आयोजन कर जश्न बनाया गया. सुप्रसिद्ध कॉस्मेटोलॉजिस्ट और विशेषज्ञ सौंदर्य चिकित्सक डॉ. श्रद्धा पाण्डे के मार्गदर्शन में अत्याधुनिक विज्ञान-आधारित सौंदर्य और कल्याण समाधान प्रदान करने के साथ अपनी सफलता के 6 महीने पूरे किए गए। इनिया की शानदार सफलता पर आयोजित यह कार्यक्रम नवीनता, विशेषज्ञता और ग्लैमर का एक आदर्श मिश्रण था। इसमें उपस्थित लोगों को व्यक्तिगत परामर्श, क्लिनिक के अत्याधुनिक उपचारों के लाइव प्रदर्शन और सौंदर्यशास्त्र और कल्याण के भविष्य के बारे में विशेष जानकारी को अनुभव करने का अवसर मिला। इस कार्यक्रम में इनिया की ओर से कई तरह की खास सेवाएँ पेश की गईं, जिनमें त्वचा का कायाकल्प, एंटी-एजिंग थेरेपी, बालों की बहाली और स्थायी मेकअप मुख्य रूप से शामिल हैं। अभिनेत्री रिचा शर्मा ने कहा, “सफलता के 6 महीने पूरे कर इस मिल का पत्थर की मेजबानी करना मेरे लिए परम आनंद और गर्व का विषय था। डॉ. श्रद्धा पांडे और उनकी अविश्वसनीय टीम ने अपने प्रशंसनीय अनुभव के आधार पर बेहतरीन सेवाएं देकर लोगों के दिलों में एक ऐसा अनूठा स्थान बनाया है, जहाँ सुंदरता, स्वास्थ्य और विज्ञान का संगम होता है। मुझे इनिया की इस अविस्मरणीय यात्रा का हिस्सा बनने पर बहुत गर्व है, मैं इसकी निरंतर सफलता को देखकर काफी उत्साहित हूँ। इस अवसर पर, प्रबंध भागीदार डॉ. श्रद्धा पांडे ने कहा, “पिछले छह महीनों में हमें जो समर्थन मिला है, वह हमारी कल्पना से परे है। पहले दिन से ही, हमारा लक्ष्य व्यक्तिगत, विज्ञान-समर्थित उपचार प्रदान करना रहा है जो हमारे ग्राहकों को सर्वश्रेष्ठ दिखने और महसूस करने में मदद करता है। यह कार्यक्रम आगे की रोमांचक यात्रा की शुरुआत का प्रतीक है, और हम उन सभी के आभारी हैं जो इसका हिस्सा रहे हैं। इनिया एस्थेटिक्स एंड वेलनेस की सीईओ देबर्पिता भट्टाचार्य ने कहा, “यह 6 महीने की सालगिरह का जश्न सिर्फ़ एक मील का पत्थर नहीं है, बल्कि यह हमारे ग्राहकों के साथ हमारी कड़ी मेहनत, समर्पण और विश्वास का प्रतिबिंब है।
चार्नॉक हॉस्पिटल में न्यूटाउन में ईसीएमओ सेवा साथ दूसरी कैथ लैब सेवा शुरू
कोलकाता । चार्नॉक अस्पताल ने न्यू टाऊन में अपने मरीजों को बेहतर सुविधा प्रदान करने की दिशा में बड़ा कदम बढ़ाते हुए ईसीएमओ (एक्स्ट्राकोर्पोरियल मेम्ब्रेन ऑक्सीजनेशन) सेवा के साथ दूसरी कैथ लैब सेवा शुरू की है। न्यूटाउन और इसके आसपास के क्षेत्रों में रहनेवाले मरीजों के हृदय संबंधी देखभाल को लेकर एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। ईसीएमओ की प्रणाली गंभीर रूप से बीमार रोगियों के हृदय और फेफड़ों के कार्यों को अस्थायी रूप से बदल कर इसे बेहतर करती है, जो जीवन-घातक स्थितियों में सुधार की आशा प्रदान करती है। चार्नॉक अस्पताल इस तरह की उन्नत सेवा प्रदान करने वाला न्यूटाउन का पहला अस्पताल है, जो मरीजों के स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कमी को पूरा करता है।
इस अस्पताल में एचडी आईवीयूएस, एफएफआर/डीएफआर और रोटाप्रो जैसी उन्नत तकनीकों से सुसज्जित दूसरी कैथ लैब, एंजियोग्राम और एंजियोप्लास्टी जैसी जीवन रक्षक हृदय संबंधी प्रक्रियाएं करने की अस्पताल की क्षमता को बढ़ाती है। मौजूदा समय में मासिक रूप से 400 से अधिक मामले, सालाना 5000 से अधिक मामले और “शून्य” ऑन-टेबल मृत्यु दर के साथ, अस्पताल का कार्डियोलॉजी विभाग उत्कृष्टता के लिए मानक स्थापित करना जारी रखता है।
मीडिया से बात करते हुए चार्नॉक अस्पताल के एमडी प्रशांत शर्मा ने कहा, हमें चार्नॉक अस्पताल में ईसीएमओ (एक्स्ट्राकोर्पोरियल मेम्ब्रेन ऑक्सीजनेशन) शुरू करते हुए बेहद खुशी हो रही है। इस सेवा के शुरू होने से मरीजों को हमारी ओर से और बेहतर तरीके से केयर किया जा सकेगा। यह तकनीक, गंभीर हृदय और फेफड़ों की विफलता का सामना कर रहे रोगियों को महत्वपूर्ण सहायता प्रदान करती है, जिससे उन्हें ठीक होने की ओर ज्यादा संभावना रहती है। हमारा लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि, गंभीर रूप से बीमार रोगियों को सबसे महत्वपूर्ण क्षणों में उच्चतम मानक की देखभाल मिले। न्यूटाउन व आसपास रहनेवाले लोगों के लिए ईसीएमओ सेवा इसकी पहली उपलब्धता को दर्शाता है। अत्याधुनिक तकनीक से सुसज्जित इस अस्पताल में वरिष्ठ चिकित्सकों की उपस्थिति में इन सेवाओं के उद्घाटन ने स्वास्थ्य देखभाल मानकों को बढ़ाने और समुदाय को अत्याधुनिक, सहानुभूतिपूर्ण उपचार तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए चार्नॉक अस्पताल के समर्पण को प्रदर्शित किया।
भवानीपुर कॉलेज द्वारा डिजाइन थिंकिंग और क्रिटिकल थिंकीग विषय पर अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार
ऊबर ने श्रीनगर में की ऊबर शिकारा की शुरूआत
श्रीनगर । विभिन्न मोड्स के माध्यम से परिवहन के साधन उपलब्ध कराने के वादे पर खरा उतरते हुए, ऊबर ने आज ऊबर शिकारा का लॉन्च किया। सीमित अवधि के लिए पेश किए गए इस प्रोडक्ट के साथ पर्यटक ऊबर ऐप के ज़रिए डल झील पर अपनी शिकारा राईड की प्री-बुकिंग कर सकते हैं और छुट्टियों के आगामी व्यस्त सीज़न के दौरान श्री नगर में डल झील की खूबसूरती का लुत्फ़ उठा सकते हैं। प्राकृतिक खूबसूरती के लिए विख्यात इस क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए, ऊबर ऐप के ज़रिए बुक की जाने वाली शिकारा राईड्स पर कोई शुल्क नहीं लेगी। पूरी राशि शिकारा के ड्राइवरों को जाएगी, इस तरह जम्मू-कश्मीर में पर्यटन सेवाएं उपलबब कराने वालों को अतिरिक्त आर्थिक अवसर मिलेंगे। ऊबर शिकारा की हर राईड 1 घण्टे के लिए बुक की जा सकती है और एक बार में 4 यात्री तक इसका लुत्फ़ उठा सकते हैं। इस राईड को 12 घण्टे पहले से लेकर 15 दिन पहले अडवान्स में बुक किया जा सकता है। लॉन्च के अवसर पर प्रभजीत सिंह, प्रेज़ीडेन्ट, ऊबर इंडिया एण्ड साउथ एशिया ने कहा, ‘‘ऊबर में हम हमेशा से यात्रियों को परिवहन का जादूई एवं आसान अनुभव प्रदान करने के लिए प्रयासरत रहे हैं। ऊबर शिकारा के माध्यम से हम परम्परा और टेक्नोलॉजी के संयोजन के साथ पर्यटकों को शिकारा राईड का आसान अनुभव प्रदान करना चाहते हैं। हमें गर्व है कि हम खूबसूरत कश्मीर में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए यह आइकोनिक अनुभव लेकर आए हैं।’’इस फीचर के साथ यात्री ऊबर रिज़र्व के साथ प्री-बुकिंग की सुविधा का लाभ उठा सकते हैं और अपनी शिकारा राईड की योजना पहले से बना सकते हैं। इस तरह वे जम्मू-कश्मीर की खूबसूरती का भरपूर आनंद उठा सकेंगे और उन्हें डल झील पर पहुंचने के बाद राईड बुकिंग की चिंता नहीं सताएगी। ऊबर ऐप पर कुछ ही टैप्स के ज़रिए राईड बुक कर, वे डल झील की जादूई यात्रा का लुत्फ़ पा सकेंगे। डल झील पर पहली बार पेश की गई आइकोनिक राईड्स के साथ ऊबर, शिकारा के सभी राइडरों के लिए ट्रिप इंश्योरेन्स भी लेकर आई है, ताकि हर राईड उन्हें श्रीनगर की खूबसूरती के साथ-साथ मन की शांति भी प्रदान करे। चूंकि घाटी में सर्दियों के साथ यात्रा की सीज़न की शुरूआत हो रही है।
अनहद कोलकाता द्वारा कविताई की शाम का आयोजन
– कवि डॉ सुनील कुमार शर्मा को चौथा मनीषा त्रिपाठी स्मृति अनहद कोलकाता सम्मान
कोलकाता । अनहद कोलकाता द्वारा कविताई की शाम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता नलिन रंजन सिंह ने की तथा स्वागत भाषण संस्थान के संस्थापक विमलेश त्रिपाठी ने दिया। कार्यक्रम के आरंभ में अतिथि कवियों का सम्मान,ततपश्चात कविता की शाम को सजाने तथा रंगीन बनाने के लिए पहली कवि एवं ग़ज़लकार रचना सरन ने अपने गज़लों से शमा बांध दिया। दूसरे कवि महेश सिंह ने अपनी कविताओं से शासन के विरुद्ध आवाज़ को बुलंद किया। शैलेन्द्र कुमार शुक्ल ने अपनी कविता हिंदी ‘कविता का संक्षिप्त इतिहास’ सुनाकर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। अगले कवि लक्ष्मी कांत मुकुल ने अपनी लोक चेतना की कविताओं से सभी को मोहित कर दिया।
पूनम सोनछात्रा ने पिता के लिए का पाठ कर शाम को संवेदनशील बना दिया।
युवा कवि संजय रॉय ने अपनी कविताओं से माहौल को गंभीर बनाया तो बेहद चर्चित कवि निशांत की कविताओं व गौतम राज ऋषि ने अपनी ग़ज़लों से खूब तालियां बटोरीं। वरिष्ठ कवि अभिज्ञात, जगदलपुर से आये कवि विजय सिंह ने अपनी कविताओं में जंगल और जमीन की तो वरिष्ठ कवि शैलेंद्र शांत जी ने अपनी कविता किल्लत का पाठ किया । बाँदा से आये केशव तिवारी ने अपनी प्रेम कविताओं से श्रोताओं को न केवल भावुक बनाया वरन ‘कोलकाता’ कविता पढ़कर अपनी गंभीरता भी दर्ज की। कवि एवं वैज्ञानिक गद्यकार डॉ सुनील कुमार शर्मा ने ‘क्या करूँ’ का पाठ कर कवि की प्रतिबद्धता सिद्ध की।
कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रो. नलिन रंजन सिंह ने कविताओं एवं आयोजन के बारे में अपनी आलोचकीय एवं ईमानदार वक्तव्य रखा तथा अपनी कविताओं का पाठ कर श्रोताओं का दिल जीत लिया और पूरा सभागार तालियों से गूंज उठा। चौथे मनीषा त्रिपाठी स्मृति अनहद कोलकाता सम्मान की घोषणा केशव तिवारी ने की और सम्मानित कवि डॉ सुनील कुमार शर्मा की रचना और प्रतिबद्धता के पक्ष में अपनी बातें रखीं। विमलेश त्रिपाठी ने सम्मान समारोह के जनवरी या फरवरी में किये जाने की घोषणा की। पूरे कार्यक्रम के आधार स्तम्भ रहे आदित्य विक्रम सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन किया। पटना की ज्योति दुबे, सीए राजेश प्रसाद सहित कार्यक्रम में कोलकाता से ढेर सारे साहित्यकार व गणमान्य लोग उपस्थित थे।