Saturday, September 20, 2025
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स्वास्थ्य और त्वचा के लिए फायदेमंद है योग

जानिए शहनाज हुसैन के हेल्थ टिप्स

यदि आप अपने शरीर को डिटॉक्सीफाई करना चाहते हैं , अपनी माँस पेशियों को मजबूत बनाना चाहते हैं तथा जिन्दगी के रोजमर्रा के तनाव से मुक्ति चाहते है तो आप केवल योग और प्राणायाम कीजिये। योग से चेहरे पर असली आभा का निखार आता है और आपकी रंगत भी निखार आती है तथा आपका चेहरा के कारण आपका व्यक्तित्व बहुत ही आकर्षक और मनमोहक दिखता हैं।

रोज सुबह प्राणायाम , अनुलोम विलोम ,शीर्षाशन ,मत्स्य आसान से शरीर से विषैले पदार्थ बाहर निकल जाते हैं, जिससे शरीर की पाचन प्रणाली सामान्य हो जाती है और रक्त का बहाव सही हो जाता है जिसके परिणाम स्वरुप त्वचा में खिंचाव आता है और झुर्रियां हट जाती हैं। आप सुन्दर और स्वस्थ दिखने लगते हैं ।

योग आसनों से आप गहरी नींद पा सकते हैं, कोर्टिसोल स्तर कम हो जाता है, कोलेजन में वृद्धि होती है जिससे आपकी स्वास प्रणाली मजबूत होती है, आपके जोड़ों को चिकनाहट मिलती है, आपकी मांस पेशियाँ मजबूत होती हैं। योग में सांस लेने बाली क्रियायों तथा शरीर के विभिन्न आसनों से हार्मोन्स सन्तुलित होते हैं तथा आंतड़ियों में जमा गन्दगी बाहर आ जाती है। जिससे आप हल्का और स्वस्थ महसूस करते हैं। इसे आंतरिक सौन्दर्य का नाम दिया जाता है।

शायद आप यह जानकर भी हैरान होंगे कि कोरोना से लड़ाई जीतने में योग महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है। वैज्ञानिक शोधों से पता चलता है की अगर आप लगातार योग करते हैं तो आपकी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है जो कि कोरोना से जंग में अहम भूमिका अदा कर सकती है तथा आपके स्वास्थ्य ,सेहत और तंदरुस्ती को बढ़ाता है। योग से प्रतिरोधक क्षमता में बढ़ावा निश्चित माना जाता है। इसके लगातार अभ्यास से सेहत , सौन्दर्य और प्रतिरोधक क्षमता को बल मिलता है।

अगर आप शारीरिक रूप से सुन्दर हैं तो आपका सौन्दर्य चेहरे पर स्वभाविक रूप से झलकेगा। कुछ योग आसनों के नियमित अभ्यास से आप प्राकृतिक सुन्दरता , दमकती त्वचा तथा शारीरिक आकर्षण ग्रहण कर सकते है। वास्तव में अगर आप योग साधना को अपने जीवन से जोड़ लें तो शरीर को स्वस्थ रखने के साथ ही प्राकृतिक तौर पर स्थाई रूप से सुन्दर तथा प्रभावशाली भी बनाया जा सकता है तथा महंगे सौन्दर्य प्रसाधनों ,ब्यूटी सैलूनों के महंगे उपचार तथा समय को बचाया जा सकता है।

भारतीय आयुर्वेदिक पद्धति योग के साधारण आसनों के जरिए आप स्थाई आन्तरिक तथा बाहरी सौन्दर्य से मुफ्त में हीआसानी से पा सकते है। प्रतिदिन महज आध घण्टा सुबह तथा शाम सूर्य नमस्कार, प्राणायाम, उत्थान आसन, कपालभाति, धनुरासन तथा सांसो की क्रिया के माध्यम से आप अपने यौवन, सौन्दर्य तथा प्राकृतिक आकर्षण को जीवनभर बनाऐ रख सकते है।

बालों तथा त्वचा के लिए फायदेमंद प्राणायाम

प्राणायाम से जहां तनाव कम होता है वहीं दूसरी ओर शरीर में प्राण वायु का प्रभावी संचार होता है तथा रक्त का प्रभाव बढ़ता है। प्राणायाम सही तरीके से सांस लेने की बेहतरीन अदा है। प्रतिदिन 10 मिनट तक प्राणायाम से मानव शरीर की प्राकृतिक क्लीजिंग हो जाती है।

प्राणायम के फायदे

प्राणायाम का आज पूरे विश्व में अनुसरण किया जाता है। प्राणायाम से मानव खोपड़ी में व्यापक आक्सीजन तथा रक्त संचार होता है। जिससे बालों की प्राकृतिक रूप से वृद्वि होती है तथा बालों का सफेद होना तथा झड़ने जैसी समस्या को रोकने में भी मदद मिलती है। योगा का मानसिक शारीरिक, भावनात्मक तथा मनोभाव पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है जिससे आत्मविश्वास बढ़ता है। योगा से आप आत्मिक तौर पर शान्त महसूस करते हैं। जिससे आपके बाहरी सौन्दर्य में भी निखार आता है।

आमतौर पर अनिद्रा, तनाव आदि में पैदा होने वाली कील, मुहांसे, काले धब्बों आदि की समस्याओं के स्थाई उपचार में योग महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। उत्थान आसन के लगातार उपयोग से आप कील, मुंहासे, काले धब्बों आदि की समस्याओं का स्थाई उपचार पा सकते है। कपालभाति से शरीर में कार्बन डाईक्साईड को हटाकर खून को साफ करने में मदद मिलती है। उससे शरीर में हल्कापन महसूस होता है।

धनुरासन करने के फायदे

धनुरासन से शरीर में रक्त का प्रभाव बढ़ता है तथा शरीर से विषैले पदार्थो को बाहर निकालने में मदद मिलती है इससे शरीर की त्वचा में प्राकृतिक चमक आती है तथा त्वचा की रंगत में निखार भी आता है।योग के लगातार अभ्यास से त्वचा तथा शरीर में यौवन को दीर्घ कालीन तौर पर बनाए रखने में मदद मिलती है। योगासन से रीढ़ की हड्डी तथा जोड़ों को लचकदार बनाकर रखा जा सकता है। जिससे शरीर लम्बे समय तक लचीला तथा आकर्षक बनता है, योग से शरीर के भार को कम करने में भी मदद मिलती है तथा इससे मांसपेशियां नरम तथा मुलायम हो जाती है। योग से थकान में भी मुक्ति मिलती है तथा शरीर में ऊर्जा का प्रभावी संचार होता है।

 

सूर्य नमस्कार आसन के फायदे

सूर्यानमस्कार आसन से पूरे शरीर में नवयौवन का संचार होता है। सूर्य नमस्कार से शरीर पर बढ़ती आयु के प्रभाव को रोका जा सकता है तथा यह चेहरे तथा शरीर पर बुढ़ापे की भाव मुद्राओं के प्रभाव को रोकने में मददगार साबित होता है।इससे नाड़ी तंत्र को स्थिर रखने में मदद मिलती है। इससे तनाव को कम करने तथा मानसिक संतुलन में भी लाभ मिलता है। योग प्राचीन भारतीय विद्या है तथा इसके निरन्तर अभ्यास से संयमित व्यक्तित्व तथा वृद्वावस्था की भाव मुद्राओं को रोकने में मदद मिलती है। योग का दूसरा महत्वपूर्ण पहलू यह है कि इससे सांसों पर नियन्त्रण रहता है तथा योगाभ्यास के दौरान सांस खींचने तथा सांस बाहर निकलाने की उचित विधि से शवास को संयमित करने में मदद मिलती है जिससे शरीर में आक्सीजन को नियन्त्रित करने में सहायक सिद्ध होती है। योग से शारीरिक तथा मानसिक उल्लास की असीम अनुभूति प्राप्त होती है। भाग-दौड़ वाली जिंदगी से परेशान होकर हर कोई जिंदगी को आसान बनाना चाहता है। ऐसी स्थिति में क्या आप अपने जीवन को सुखी बनाने के लिए थोड़ा समय योग को नहीं दे सकते? योग एक ऐसी विधा है जिससे अपने मन को स्थिर कर सकते हैं। जब तक मन शुद्ध या स्थिर नहीं होता, तन भी अशुद्ध रहता है। योगाभ्यास द्वारा ही तन व मन की शुद्धि होती है और तन-मन निरोगी हो जाता है। योगाभ्यास से मन को स्वस्थ्य और शांत बनाया जा सकता है।

शरीर को स्वस्थ बनाने में तन और मन का बेहतर योगदान होता है। आमतौर पर देखा गया है कि शारीरिक बीमारियों के मानसिक आधार होते हैं। क्रोध आपके मन को विकृत करता है जिससे आप विभिन्न प्रकार की बीमारियों से घिर जाते हैं फिर भी क्रोध से बिल्कुल अनभिज्ञ रहते हैं। योगाभ्यास क्रोध पर नियंत्रण रखने में अहं भूमिका निभाता है।

सौंदर्य को बढ़ाता है योग

जब सौंदर्य की बात करते है तो केवल बाहरी चेहरे की सौंदर्य की ही बात नहीं करते बल्कि इसमें आकृति सूरत भी शामिल होती है जिसमें लचकपन हावण्भाव तथा शारीरिक आर्कषण होना बहुत ही आवश्यक होता है। जहां तक बाहरी सौंदर्य का सम्बन्ध है वहां छरहरे बदन से व्यक्ति काफी युवा दिखाई देते हैं जो कि लम्बे समय तक यौवन बनाए रखने में सहायक होता है। योग से शरीर के हर टिशू को ऑक्सीजन प्राप्त होती है जिसे शरीर में सौंदर्य तथा स्वास्थ्य प्राप्त होता है। यदि आप ऐसी जीवनशैली से गुजर रहे हैं जिसमें शारीरिक गतिविधी नगण्य है तो आप वास्तव में बुढ़ापे को नियंंत्रण दे रहे है। योग तथा शारीरिक श्रम से आदमी को यौवन की स्थिति को लम्बें समय तक बनाए रखने में मदद मिलती है क्योंकि इससे शरीर सुदृढ़ होता है तथा शरीर सुव्यवस्थित तथा तन्दरूस्त रखने में भी मदद मिलती है। योग आसनों से रीढ़ की हड्डी तथा हड्डियों के जोड़ों को लचकदार एवं कोमल बनाने में मदद मिलती है। इससे शरीर सुदृढ़ तथा फुर्तीला बनता है। मांसपेशियों में रंगत आती है, रक्त संचार में सुधार होता है, प्राण शक्ति का प्रवाह होता है तथा सौंदर्य एवं अच्छे स्वास्थ्य को बढ़ावा मिलता है।

तनाव दूर करेगा योग

अनेक सौंदर्य समस्याएं मानसिक तनाव की वजह से उत्पन्न होती है। योग से तनाव को कम करने तथा स्वछन्द मानसिक उन्मुक्त वातावरण तैयार करने में मदद मिलती है । योग के लगातार अभ्यास से कील मुंहासों और बालों के झड़ने की समस्यांए, सिर की रूसी आदि समस्याओं का स्थाई उपचार मिलता है योग तथा शारीरिक क्रियाएं करने वाले युवाओं पर किए गए अध्ययन में यह पाया गया हैं उनके व्यक्तित्व में भावनात्मक स्थिरताओं आत्म विश्वास उचित मनोभाव जैसे सकारात्मक बदलाव महसूस किये जाते है। जिसका दिमाग एवं भावनाओं तथा मिजाज पर सीधा प्रभाव दिखाई देता है। वास्तव में योग नियमित रूप से तनाव से मुक्ति प्रदान करता है। जिससे त्वचा पर रंगत वापिस आ जाती है।

योग का महत्व

वास्तव में योग से बाहरी शारीरिक सौंदर्य को निखारने तथा संवारने में काफी मदद मिलती है। आज का समय लगातार बढ़ती जटिलताओं और गति का समय है। जीवन यापन के लिए हर कोई लगातार गतिमान है। भागदौड़ की इन स्थितियों में एक सुसंगत ,संयमित ,और स्वस्थ्य जीवन दृष्टि की खोज हर व्यक्ति को है। हर कोई अपने शरीर को स्वस्थ्य रखना चाहता है। भारतीय परंपरा हमेशा से ही जीवन को समग्र और संतुलित रूप से जीने की दृष्टि देती रही है। भारतीय चिंतन और परंपरा का आधार रहा है योगशास्त्र। योग केवल शारीरिक व्यायाम नहीं है, यह जीवन को संतुलित रूप से जीने का शास्त्र है। यह निरंतर बढ़ती हुई भागदौड़ में व्यक्तित्व को एक ठहराव एक गहराई देने की विद्या है। ऐसे में आज न केवल भारत बल्कि विश्व के दूसरे देश भी योग को जीवन शैली में सुधार लाने का एक प्रमुख उपाय मान रहे हैं। जीवन की भाग.दौड़ वाली जिंदगी से परेशान होकर हर कोई जिंदगी को आसान बनाना चाहता है। ऐसी स्थिति में क्या अपने जीवन को सुखी बनाने के लिए थोड़ा समय योग को नहीं दे। योग एक ऐसी विधा है जिससे आप अपने मन को स्थिर कर सकते हैं। जब तक मन शुद्ध या स्थिर नहीं होता तब तक तन भी अशुद्ध रहता है। योगाभ्यास द्वारा ही तन व मन की शुद्धि होती है और तन.मन निरोगी हो जाता है। योगाभ्यास से मन को स्वस्थ्य और शांत बनाया जा सकता है।

योग से नियंत्रित रहेगा क्रोध

शरीर को स्वस्थ बनाने में तन और मन का बेहतर योगदान होता है। आमतौर पर देखा गया है कि हमारी शारीरिक बीमारियों के मानसिक आधार होते हैं। क्रोध आपके मन को विकृत करता है जिससे आप विभिन्न प्रकार की बीमारियों से घिर जाते हैं फिर भी क्रोध से बिल्कुल अनभिज्ञ रहते हैं। योगाभ्यास क्रोध पर नियंत्रण रखने में अहम भूमिका निभाता है।

लेखिका अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त सौंदर्य विशेषज्ञ है और हर्बल क्वीन के रूप में लोकप्रिय हैं।

(माध्यम – डेली हंट)

योग दिवस पर आयोजित हुआ स्वस्थ जीवन शैली के लिए योग सत्र

कोलकाता । योग में इतनी शक्ति है की इसे करने से यह प्रकृति के प्रकाश और ऊर्जा को शरीर के विभिन्न अंगों तक पहुंचाकर शरीर को निरोग रखने में सहायक होता है। मंगलवार को 7वें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर ‘नेफ्रोकेयर इंडिया’ की तरफ से योग के जरिए स्वस्थ जीवन शैली के प्रति समग्र दृष्टिकोण के साथ “योग फॉर हेल्दी लिविंग” नामक एक सत्र का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम मंत्रा के सहयोग से आयोजित की गई थी। इस पूरे कार्यक्रम को मैप5 इवेंट्स द्वारा संचालित किया गया। मंगलवार को सॉल्टलेक में स्थित गोल्डन ट्यूलिप होटल में आयोजित इस कार्यक्रम में 100 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया।

योग मानव जाति के लिए वरदान है। यह कई पुरानी बीमारियों से बचाता है। यह प्रकृति का सबसे अच्छा उपहार है, जो हर कोई स्वयं को दे सकता है। योग हमारे शरीर में रोजाना नई ऊर्जा का संचार करता है। जिससे पुरानी बीमारियां दूर होती है और योग हमारे शरीर को नई बीमारियों से बचाता है।

इस कार्यक्रम में डॉ. प्रतिम सेनगुप्ता (एमडी, इंटरनल मेडिसिन और नेफ्रोलॉजी के डीएम व मेंटर), शुभव्रत भट्टाचार्य (संस्थापक और निदेशक, मंत्र लाइफस्टाइल हेल्थ क्लब),आशीष मित्तल (निदेशक, गोल्डन ट्यूलिप होटल) के अलावा समाज की अन्य कई प्रतिष्ठित लोग उपस्थित थे।
एक दिवसीय इस कार्यक्रम में धौती क्रिया, अंग मर्दाना, सूर्य नमस्कार, ध्यान, ओम जप और प्राणायाम पर सत्र शामिल थे। कार्यक्रम में शामिल लोगों ने हठ योग, त्राटक और मौना नामक योग का भी अभ्यास किया। इस कार्यक्रम में स्वास्थ्य और योग के सिद्धांतों पर भी चर्चा हुई और उसके बाद योग और मन पर नियंत्रण पर चर्चा की गई।
इस आयोजन के मेंटर, डॉ. प्रतिम सेनगुप्ता (एमडी, इंटरनल मेडिसिन और डीएम, नेफ्रोलॉजी) ने कहा, “योग भारत की प्राचीन परंपरा का एक अमूल्य उपहार है। यह मन और शरीर की एकाग्रता, विचार और क्रिया, संयम और एकता का प्रतीक है। योग के जरिए मनुष्य और प्रकृति के बीच सामंजस्य स्थापित होता है। यह स्वास्थ्य और कल्याण के लिए एक समग्र दृष्टिकोण है। योग आपकी जीवन शैली को बदलकर और चेतना पैदा करके आपके शारीरिक कल्याण में मदद करता है। हमे खुद को स्वस्थ और निरोग रखने के लिए अपने दैनिक जीवन में योग को अपनाने की दिशा में कदम बढ़ाने की जरूरत है।
योग के महत्व को बताते हुए मंत्रा लाइफस्टाइल हेल्थ क्लब के संस्थापक और निदेशक, शुभव्रत भट्टाचार्य ने कहा, “नियमित योग अभ्यास मन को शांत रखता है। यह शरीर में पुराने तनाव से राहत देता है। गोल्डन ट्यूलिप होटल के निदेशक आशीष मित्तल ने कहा, “आप हमेशा यह नियंत्रित नहीं कर सकते कि बाहर क्या हो रहा है। लेकिन आप हमेशा अपने अंदर के बदलाव को नियंत्रित कर सकते हैं। योग स्वयं की यात्रा है, स्वयं के माध्यम से, स्वयं को निरोग रखने का सबसे आसान जरिया है।

प्रतिभागियों को प्रोत्साहित करने के लिए, डॉ. प्रतिम सेनगुप्ता ने अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर योग की एकीकृत शक्ति, इसके अपार लाभों पर प्रकाश डाला। उन्होंने यह कहते हुए कार्यक्रम का समापन किया कि योग एक प्रकाश है, जो एक बार जला देने पर कभी कम नहीं होता। आपका अभ्यास जितना बेहतर होगा, आपकी लौ उतनी ही तेज होगी।

इस कार्यक्रम में आयोजकों द्वारा लोगो द्वारा रक्त परीक्षण करने पर 25% की छूट प्रदान करने की घोषणा की गयी। पीएफटी, ब्लड शुगर, ईसीजी के लिए रियायती मूल्य और अतिरिक्त ऑफर के रूप में पूरे शरीर की स्वास्थ्य जांच करने पर 50% की छूट देने की घोषणा भी की गयी।

चमत्कार अभिनेता नहीं, चमत्कार हमेशा कहानियाँ करती हैं – पंकज त्रिपाठी

सुषमा त्रिपाठी कनुप्रिया

कड़े संघर्ष के बाद सफलता मिले तो उसका स्वाद अनोखा होता है और उसमें एक सन्तुष्टि मिलती है और इन्सान जमीन के करीब ही रहता है।   ‘शेरदिल : द पीलीभीत सागा’ के प्रचार के सिलसिले में कोलकाता पहुँचे दिग्गज एवं लोकप्रिय अभिनेता पंकज त्रिपाठी के चेहरे पर यही सुकून नजर आया। राजकाहिनी और उसका हिन्दी संस्करण बेगम जान, गुमनामी बाबा जैसी कई बेहतरीन फिल्में दे चुके निर्देशक श्रीजीत मुखर्जी के साथ उन्होंने मीडिया के सवालों के जवाब दिए। निर्देशक श्रीजीत मुखर्जी और अभिनेता पंकज त्रिपाठी की इस बातचीत के मुख्य अंश हम आपके सामने रख रहे हैं – 

गंगाराम और पंकज त्रिपाठी का सम्बन्ध
गंगाराम का किरदार निभा रहा हूँ, यही सबसे बड़ा सम्बन्ध है।

सूरज की रोशनी के हिसाब से होती थी शूटिंग
जंगल में रहना ही मजेदार था। वहाँ पर इतनी शांति थी। सुबह 5 बजे ही हम कैमरा लेकर जंगल में चले जाते थे और सूरज की रोशनी के अनुसार शूट करते थे। उत्तर बंगाल में एक टी इस्टेट था जिसे श्रीजीत जी ने ढूंढ निकाला था। वह जगह मुझे बहुत पसन्द आयी, वहाँ मैं दोबारा जाऊँगा मगर इस बार घूमने के लिए। सो बहुत याद हैं और हम दोनों जंगलों को पसन्द करने वाले लोग हैं।

यह मुद्दा, घटनाएं जानी – पहचानी थीं
निश्चित रूप से जुड़ा हूँ। मैं असली दुनिया से आता हूँ। आधा जीवन मेरा गाँव में गुजरा है तो इसमें जो परेशानियाँ हैं, संघर्ष हैं, वह मैंने करीब से देखा है। हमारे यहाँ जंगली पशु तो नहीं आते थे लेकिन नीलगायों का बहुत उत्पात रहता है, मेरे लिए यह मुद्दा, घटनाएं जानी – पहचानी थीं। मुझे अलग से तैयारी की जरूरत नहीं पड़ी, यह अखबार पढ़ने की बात नहीं है। मैं इस परेशानी से स्वयं गुजरा हूँ।

प्रकृति को लेकर अब अधिक संवेदनशील हो गया हूँ
हर किरदार हमें कुछ न कुछ तो देता है जो प्रकृति, जंगल और पर्यावरण को लेकर मैं जितना संवेदनशील पहले था, उससे ज्यादा संवेदनशील हो जाऊँगा या हो गया हूँ।

शूटिंग में जमकर खाया
बहुत खिलाया शूटिंग पर। बहुत अच्छा खाना मिलता था। बंगाली भोजन – – आलू पोस्तो..चरचरी सब खाया। हम रोज खाते थे।

फिल्म के अनुसार खुद को ढाल लेता हूँ
मैं जिस फिल्म में घुस जाता हूँ, उस फिल्म के कास्ट, क्रू औऱ सभी सदस्यों को अपना बना लेता हूँ। मैं तय नहीं करता है कि यह मेरे मनलायक है या नहीं। मेरे लिए हर व्यक्ति महत्वपूर्ण है, प्रेम और आदर ही तो महत्वपूर्ण है और मैं हर किसी को एक जैसा सम्मान देता हूँ। चमत्कार अभिनेता नहीं, चमत्कार हमेशा कहानियाँ करती हैं। चूँकि हम फिल्म में होते हैं तो लोगों को लगता है कि चमत्कार हमने किया, पर ऐसा होता नहीं है, चमत्कार कहानियाँ करती हैं। कहानियाँ बड़ी होती हैं, किरदार बड़े होते हैं, कलाकार बहुत छोटी भूमिका निभाते हैं। चरित्र बड़े होते हैं, गंगाराम मुझसे बहुत बड़ा है। गंगाराम अपने गाँव के लिए जिस तरह का त्याग कर रहा है, शायद वह त्याग मुझसे कभी जीवन में न हो पाए। कहानी बड़ी होती हैं, किरदार बड़े होते हैं। जो कहानी लगता है, कुछ कर सकती है, कर लेता हूँ।

भोजपुरी फिल्म बनाने का मन है
भिखारी ठाकुर मेरे ही इलाके के हैं। उनके नाटक मुझे बहुत पसन्द हैं, मैंने किया है। बटोही नाम से नाटक है उन पर उपन्यास है तो निश्चित रूप से अगर किसी ने फिल्म बनायी तो मैं जरूर वह फिल्म करना चाहूँगा क्योंकि माटी – पानी एक ही है हम दोनों का। मेरे मन में एक सपना है कि मौका लगे तो अपने लायक एक भोजपुरी फिल्म बनाऊँ।

तरीका मनोरंजक है, फिल्म गम्भीर है
गम्भीर कहानी को मनोरंजक और सटायर का प्रभाव भी होता है। कहानी गम्भीर है, एक व्यक्ति मरने जा रहा है, यह कोई हंसी की बात नहीं है। फिल्म देखकर दर्शक सोचने पर बाध्य होंगे।

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संवाददाता सम्मेलन में निर्देशक श्रीजीत मुखर्जी और अभिनेता पंकज त्रिपाठी

मैं इंडिया को जानता था, पंकज ने मुझे भारत से मिलवाया – श्रीजीत मुखर्जी 

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पंकज त्रिपाठी को छोड़कर गंगाराम के लिए किसी और को ले ही नहीं सकते थे
ऐसा अभिनेता चाहिए था जो मिट्टी के करीब हो और किरदार में घुल – मिल जाए। गंगाराम के किरदार में पंकज त्रिपाठी को छोड़कर किसी और अभिनेता के बारे में हम सोच ही नहीं सकते थे। आप फिल्म को देखेंगे तो आपको पता चल जाएगा कि दोनों कितने नैसर्गिक हैं, नेचुरल हैं। इस फिल्म में भी पंकज सर का बहुत योगदान है। हमने जो पटकथा लिखी थी, उसे कुछ सुधारा है और इस फिल्म में, इस किरदार को बेहतर बनाने में पंकज का बहुत योगदान है। कोई किरदार के साथ घुल – मिल जाए तो ही इस तरह का योगदान कर सकता है।

फिल्म को सोशल सटायर की तरह बनाया है
बड़े – बुजुर्गों को जंगल में छोड़ आना और उनकी मृत्यु के बाद मुआवजा माँगना, इसका कारण तो आर्थिक अभाव है। मैंने इसे सोशल सटायर की तरह बनाया है यानी सामाजिक विद्रूप की तरह बनाया है। बहुत से लोग खुद भी जाते हैं, इस बिन्दु को उठाकर काल्पनिक जंगल, गाँव, गरीबी से बचने के लिए खुद अपनी जान दाँव पर लगाना..इसी को लेकर फिल्म गढ़ी गयी है।

फिल्म बनाते समय पुरस्कार दिमाग में नहीं रहते
फिल्म फेयर या राष्ट्रीय पुरस्कार या सफलता कुछ भी..सब बाद की चीजें हैं। मैं जिस कहानी को लेकर रोमांचित होता हूँ, उसी पर फिल्म बनाता हूँ। कई बार वे सफल होती हैं तो कई बार यह विचार काम नहीं करता तो पुरस्कार या कुछ और फिल्म बनाते समय मेरे दिमाग में नहीं रहता। मैं उन विषयों, उन कहानियों को लेकर ही फिल्म बनाता हूँ जो मेरे दिल के करीब होती हैं।

पंकज के साथ काम करके बहुत कुछ सीखा
पंकज खाने के शौकीन हैं। हैं। एक होती है, अभिनेता से ट्यूनिंग और दूसरी होती है दोस्ती तो पंकज से दोस्ती हो गयी है। हम खूब बातें करते और चर्चा करते हैं। थी काम के 8 -10 घंटे के बाद भी हम दोनों का जीवन है। यह चर्चा प्रकृति प्रकृति, राजनीति, संगीत भोजन,,,सब पर चर्चा होती है और ऐसे ही तो दोस्ती होती है, सो हुई है। पंकज के साथ काम करते हुए कभी लगा नहीं कि मैं एक स्टार के साथ काम कर रहा हूँ। मिट्टी से जुड़ा व्यक्ति हम कहते हैं मगर पंकज वास्तविकता में मिट्टी से जुड़े हुए व्यक्ति हैं। मैं एक शहर का व्यक्ति हूँ तो पंकज जी ने मुझे ऐसे भारत के बारे में बताया जिसे उनसे मिले और बात किये बगैर नहीं जान सकता था। वह भारत को अच्छी तरह जानते हैं। कुछ दृश्यों में उन्होंने इसे जोड़ा है, कुछ संवादों को बेहतर बनाया क्योंकि गाँवों में और जंगलों में ऐसा होता है। उनके अनुभवों ने मुझे एक अलग भारत दिखाया। मैं इंडिया को जानता था, पंकज ने मुझे भारत से मिलवाया। सीखने की यह प्रक्रिया रोचक रही।

फिल्म सच्ची घटनाओं से प्रेरित है, उस पर आधारित नहीं है
पीपली लाइव मैंने देखी है पर उस फिल्म से इस फिल्म का सम्बन्ध नहीं बल्कि पीलीभीत की उस घटना से सम्पर्क है। प्रभावित शब्द भी गलत है, प्रेरित कह सकते हैं। हमने जो जंगल और गाँव दिखाए हैं, वह काल्पनिक है। पीलीभीत की जो घटना है, वह बहुत ही निराशाजनक है, वह बहुत मायूस करती है। हमने इसमें सकारात्मक दृष्टिकोण है, लार्जर देन लाइफ सटायर की तरह पेश किया है। बांसुरी का फिल्म में बहुत महत्वपूर्ण तरीके से उपयोग किया गय़ा है और गंगाराम से इसका बहुत सम्बन्ध है। हमने शांतनु से इस बारे में बात की।

लोग फिल्म देखकर सोचने को बाध्य होंगे
फिल्म में मनोरंजन होगा, सटायर होगा मगर लोग फिल्म देखकर सोचने को बाध्य होंगे।

 गुलजार साहब की सराहना पुरस्कार की तरह थी
गुलजार साब लीजेंड हैं और चुनिंदा काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा था कि फिल्म देखकर तय करेंगे कि वे लिखेंगे या नहीं। हमने फिल्म भेजी और वह उनको अच्छी लगी कि उन्होंने हमें बुलाया और हमें धन्यवाद किया कि हमने उनके बारे में सोचा कि वे लिखें। यह हमारे लिए पुरस्कार की तरह था, कल्पनातीत था। केके हमारे प्रिय गायक है। मजेदार थे, काम करने की उनके साथ योजना बनी पर अफसोस है कि वह पूरी नहीं हो पायी।

कोलकाता में ‘शेरदिल’ : पंकज त्रिपाठी एवं श्रीजीत मुखर्जी ने खाए गोलगप्पे

कोलकाता । अभिनेता पंकज त्रिपाठी एवं निर्देशक श्रीजीत मुखर्जी ‘शेरदिल : द पीलीभीत सागा’ के प्रचार के लिए कोलकाता पहुँचे। वन और मनुष्य के सम्बन्धों और उसकी जीजिविषा को दर्शाती फिल्म शहरीकरण के दुष्प्रभाव को दर्शाती है। पंकज और श्रीजीत ने फिल्म प्रचार के साथ कोलकाता की सैर की। पंकज ने गोलगप्पों का भी आनन्द लिया। ‘शेरदिल’ में पंकज त्रिपाठी का किरदार बाघ के हाथों अपना शिकार करवाने के लिए जंगल में जाता है, पर फिल्म इससे आगे की कहानी है जो भ्रष्ट व्यवस्था पर करारा व्यंग्य करती है। संवाददाता सम्मेलन में निर्देशक श्रीजीत मुखर्जी एवं नायक पंकज त्रिपाठी ने फिल्म से जुड़ी कई जानकारियाँ साझा कीं। निर्देशक श्रीजीत मुखर्जी ने कहा कि ‘शेरदिल: द पीलीभीत सागा’ उनके दिल के काफी करीब है। इस तरह के विषय पर कभी फिल्म नहीं बनायी गयी है। पंकज त्रिपाठी, नीरज कबी, सयानी गुप्ता जैसे कलाकारों के साथ काम करके खुद को सम्मानित महसूस कर रहा हूँ। उम्मीद है कि फिल्म दर्शकों को पसन्द आएगी। मीडिया से बात करते हुए पंकज त्रिपाठी ने कोलकाता आने पर खुशी जताते हुए कहा कि यह समचमुच सिटी ऑफ जॉय है। शेरदिल: द पीलीभीत सागा’ को कोलकाता में प्रचार करना हमेशा खास रहेगा। निर्देशक श्रीजीत कोलकाता से ही हैं तो इस शहर में तो आना ही था मुझे उम्मीद है कि दर्शक फिल्म में गंगाराम का मेरा किरदार पसन्द करेंगे जो कि अपने परिवार और अन्य ग्रामीणों को सरकारी मुआवजे का लाभ दिलवाने के लिए खुद जंगल जाता है। टी सीरिज और रिलायंस इन्टरटेन्मेंट द्वारा प्रस्तुत इस फिल्म के निर्माता भूषण कुमार, रिलायंस इन्टरटेन्मेंट है। फिल्म में पंकज त्रिपाठी, नीरज कबी, सयानी गुप्ता समेत अन्य कलाकार हैं। फिल्म का निर्देशन श्रीजीत मुखर्जी ने किया है।

एमसीसीआई ने आयोजित की कॉरपोरेट प्रशिक्षण कार्यशाला

कोलकाता । एमसीसीआई द्वारा कॉरपोरेट प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया। एक्सेंचर के प्रबन्ध निदेशक डॉ, सप्तर्षि देव द्वारा संचालित इस कार्यशाला में गैर-वित्त कार्यकारियों के लिए फिनांस यानी वित्त के बारे में प्रशिक्षित किया गया। डॉ. सप्तर्षि देव के पास बिजनेस फाइनेंस और टेक्नोलॉजी कंसल्टिंग के क्षेत्र में 20 साल का समृद्ध अनुभव है, जिसमें बिजनेस ग्रोथ बढ़ाने और बिजनेस वैल्यू प्रदान करने का एक मजबूत ट्रैक रिकॉर्ड है। उनके पास वित्त, आपूर्ति श्रृंखला, परियोजनाओं के संचालन और रिपोर्टिंग स्थान पर मजबूत प्रौद्योगिकी और परामर्श का अनुभव है।
कार्यक्रम को विशेष रूप से वित्त के अलावा अन्य कार्यात्मक क्षेत्रों जैसे बिक्री, विपणन, मानव संसाधन, अनुसंधान और विकास, उत्पादन, खरीद और अन्य से पेशेवरों को सक्षम करने के लिए तैयार किया गया था ताकि महत्वपूर्ण वित्तीय सिद्धांतों का व्यापक कार्य ज्ञान प्राप्त किया जा सके। तरीके, उन्हें लागत-बचत, बजट, नई परियोजनाओं के निर्णय, वित्तीय नियोजन, विकास रणनीतियों के अलावा अन्य महत्वपूर्ण व्यावसायिक निर्णय लेने में सक्षम बनाता है।
डॉ. सप्तर्षि देव ने कहा, “गैर-वित्त के लिए वित्त महत्वपूर्ण है क्योंकि यह गैर-वित्त कार्यकारी को निर्णय लेने में मदद करेगा, क्योंकि यह वित्तीय विवरणों का विश्लेषण करने में मदद करता है, यह समझने में कि लागत और लाभों का विश्लेषण कैसे किया जाए और लागत को कैसे कम किया जाए और अधिक सार्थक तरीके से लागू किया जाए। कंपनी को लाभ कमाने में मदद करने का तरीका। यह पूर्वानुमान लगाने और यदि आवश्यक हो तो भविष्य के लिए सुधारात्मक कार्रवाई करने में भी मदद करता है, और सबसे महत्वपूर्ण यह है कि यह प्रबंधकों को उन परियोजनाओं का मूल्यांकन करने में मदद करता है जहां कंपनी निवेश कर रही है। – डॉ देव ने कहा।
एमसीसीआई के अध्यक्ष ऋषभ कोठारी ने कहा कि “अधिकांश कंपनियां उन अधिकारियों को काम पर रखना पसंद करती हैं जिन्हें वित्त का बुनियादी ज्ञान है, वास्तव में हम सभी अपने अधिकारों में निर्णय लेने वाले हैं और सही निर्णय लेने के लिए, वित्त की समझ महत्वपूर्ण है। कार्यक्रम में सभी क्षेत्रों और कार्यक्षेत्रों के 75 से अधिक पेशेवरों ने भाग लिया। डॉ. सौगत मुखर्जी, महानिदेशक, एमसीसीआई ने सत्र के दौरान कॉर्पोरेट प्रशिक्षण कार्यक्रम का संचालन किया।
प्रतिभागियों को वित्तीय विवरणों को समझने और उनका विश्लेषण करने के साथ-साथ वित्त की बुनियादी बुनियादी बातों को समझने का अवसर मिला। प्रशिक्षण कार्यक्रम में पूंजी बजट और वित्तीय पूर्वानुमान, कार्यशील पूंजी और नकदी प्रवाह प्रबंधन, अनुपात विश्लेषण, वित्तीय एमआईएस आदि शामिल थे।

नृत्यक्षेत्र द्वारा नाट्यदर्शन और कृष्ण प्रिया की प्रस्तुति

 कोलकाता । प्रसिद्ध नाट्यकला केंद्र नृत्यक्षेत्र द्वारा गत सोलह जून को ज्ञान मंच सभागार में अपने शिष्यों और वरिष्ठ महान शिष्य कलाकारों के साथ नृत्य का आयोजन किया गया। प्रमुख रूप से ‘नाट्य दर्शन’ और ‘कृष्णप्रिया’ की प्रस्तुति की गई जो विलक्षण नृत्य प्रतिभा को व्यक्त करती है । इस पूरे प्रोडक्शन का श्रेय आचार्य अनुसूया घोष बनर्जी को जाता है जो प्रसिद्ध कोरियोग्राफर हैं।
आचार्य अनुसूया घोष बनर्जी भरतनाट्यम के गुरु पद्मश्री चित्रा विश्वेश्वरन और डॉ पद्मा सुब्रमण्यम की शिष्या हैं। नृत्य में भरतनाट्यम, ओडिसी और कत्थक तीनों शास्त्रीय नृत्यों का प्रयोग रहा । भवानीपुर एजूकेशन सोसाइटी कॉलेज के विद्यार्थियों को नृत्य की शिक्षा दे रही नृत्यांगना संचयिता मुंशी साहा ने इस नृत्यकला का परिचय दिया उनकी गुरु प्रसिद्ध कोरियोग्राफर अनुसुइया घोष बनर्जी हैं जिनके निर्देशन में इस नृत्य की कोरियोग्राफी की गई। चेन्नई के गुरुकुल से जुड़ी नृत्य गुरु अनुसुइया दिल्ली, गाजियाबाद में खेतान पब्लिक स्कूल में परफार्मिंग आर्ट की कल्चरल हेड हैं और उन्हें आर्ट इनटिग्रिशन और सी लर्निंग से जुड़े कार्यक्रम में महारत हासिल है।
नृत्यांगना अनुसुया घोष बनर्जी ने नृत्य के माध्यम से नाट्यदर्शन में नाट्यकला के माध्यम से जीवन के विभिन्न रूपों को अभिव्यक्ति प्रदान की। नृत्य किस प्रकार हमारे मन, मस्तिष्क और आत्मा से जुड़ा हुआ है, बताया। दर्शन और अध्यात्म के भावों को नृत्य के द्वारा नृत्यक्षेत्र की बीस से अधिक नृत्यांगनाओं द्वारा बेहतरीन प्रस्तुति दी गई ।भारतीय नृत्य जीवन दर्शन और उत्सव का प्रतीकात्मक रूप है। नाटक ब्रह्म से साक्षात्कार कराने का माध्यम तो है ही, साथ ही भारतीय मूल्यों, संस्कृति और संस्कार के निर्माण में सहायक है। युवाओं को अधिक से अधिक शास्त्रीय नृत्य की ओर आकर्षित करने के लिए नृतयक्षेत्र कला संगीत और नृत्य की शिक्षा देने के लिए कृतसंकल्प है।यह नृत्य प्रस्तुति सोलह जून को हुई है। इस कार्यक्रम की जानकारी दी डॉ वसुंधरा मिश्र ने ।

चिड़िया से टकराकर हवा में बंद हुआ विमान का इंजन

185 यात्री सवार थे विमान में, करायी गयी इमरजेंसी लैंडिंग, सभी यात्री सुरक्षित
पटना से दिल्ली जा रहा था विमान
पटना ।  बिहार के पटना एयरपोर्ट पर एक बड़ा हादसा होते बचा है। यहां से दिल्ली के लिए उड़ान भरने वाले स्पाइस जेट के विमान में अचानक आग लग गयी। आनन-फानन में विमान की एयरपोर्ट पर इमरजेंसी लैंडिंग कराई गई। बताया जा रहा है कि जिस समय विमान में आग लगी, उसमें 185 यात्री सवार थे। अधिकारियों के मुताबिक, सभी यात्रियों को सुरक्षित निकाल लिया गया है। जानकारी के मुताबिक, विमान के उड़ान भरते समय इंजन में आग लग गई। मौके पर फायर ब्रिगेड और दमकल की गाड़ियों को बुला लिया गया है। पटना डीएम चंद्रशेखर सिंह ने बताया कि विमान में आग लगने की सूचना स्थानीय लोगों ने दी थी। इसके बाद विमान को हवाई अड्डे पर वापस बुलाया गया। सभी यात्री सुरक्षित हैं। तकनीकी खराबी के कारण विमान में आग लगी थी। इंजीनियरों की टीम आगे की जांच कर रही है। विमान की सुरक्षित लैंडिंग के बाद नागर विमानन महानिदेशालय का बयान सामने आया है। बताया गया कि विमान से एक चिड़िया के टकराने के बाद हवा में एक इंजन बंद हो गया था। इसके बाद विमान की सुरक्षित लैंडिंग कराई गई। सभी यात्री सुरक्षित हैं।
वहीं स्पाइस जेट द्वारा भी इस बारे में विज्ञप्ति जारी की गयी है। विज्ञप्ति के मुताबिक 19 जून 2022 को स्पाइसजेट   B737-800 विमान SG-723 (पटना-दिल्ली) का संचालन कर रहा था। टेकऑफ़ पर, रोटेशन के दौरान, कॉकपिट क्रू ने इंजन #1 पर पक्षी के हिट होने का संदेह किया। एहतियात के तौर पर और एसओपी के अनुसार कैप्टन ने प्रभावित इंजन को बंद कर दिया और पटना लौटने का फैसला किया। विमान पटना में सुरक्षित उतर गया और यात्रियों को सुरक्षित उतार लिया गया। उड़ान के बाद के निरीक्षण से पता चला कि बर्ड हिट के साथ 3 पंखे के ब्लेड क्षतिग्रस्त हो गए।

कला संस्कृति अंतरराष्ट्रीय फलक पर अपना स्थान बना रही है लघुकथा – सिद्धेश्वर

कोलकाता ! ” साहित्य में आज सर्वाधिक लिखी और पढ़ी जा रही विधा बन गई है लघुकथा l लघुकथा सहज रूप से पाठकों को अपनी ओर खींचने में कामयाब रही है l अपने देश में विकसित यह लघुकथा, आज अंतरराष्ट्रीय फलक पर अपना स्थान बना रही है l हिंदी लघुकथाओं का देश विदेश में अनुवाद हो रहे हैं ! यहां तक कि लघुकथाओं पर अब लघु फिल्में भी बनाई जा रही है ! “
अंतर्राष्ट्रीय साहित्यिक एवं सामाजिक संस्था ” रचनाकार ” के तत्वधान में ऑनलाइन आयोजित लघुकथा संगोष्ठी में पढ़ी गई लघुकथााओं पर, समीक्षात्मक टिप्पणी देते हुए, लब्ध प्रतिष्ठित लघुकथाकार सिद्धेश्वर ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि लघुकथा का अंत, जिस्म में सुई चुभोने के जैसा होना चाहिए, और लेखक को अपनी लघुकथा के अंत में कोई टिप्पणी देने से बचना चाहिए, तभी लघुकथा अत्यंत प्रभावकारी होती है ! “
” रचनाकार ” संस्था के संस्थापक एवं संयोजक वरिष्ठ साहित्यकार सुरेश चौधरी दादा ने कहा कि – लघुकथा तभी अपने आप में सार्थक होती है, जब उसमें कसाव हो, और उसमें एक शब्द भी अनावश्यक उपयोग नहीं किया जाए ! सिद्धेश्वर जी की इस बात से मैं सहमत हूं कि आज अधिकांश लघुकथाएं ‘ कालदोष ‘ से ग्रसित है, इससे नए रचनाकारों को बचना चाहिए ! हमने इसी उद्देश्य से ” रचनाकार,” संस्था के माध्यम से हर महीने लघुकथा आलोचना संगोष्ठी की शुरुआत की है , ताकि युवा लघुकथाकारों को दिशा निर्देश मिलें, और एक साथ मिलकर हम लघुकथा को और बेहतर बना सकें, लघुकथा की समृद्धि में अपना योगदान दें सके !
लघुकथा लेखिका कोलकाता की लघुकथा लेखिका विद्या भंडारी के सशक्त संचालन में देश भर से चुने हुए सात लघुकथाकारों ने अपनी लघुकथाओं का पाठ किया, और प्रत्येक लघुकथा पाठ के बाद, सिद्धेश्वर एवं सुरेश चौधरी दादा ने त्वरित समीक्षा प्रस्तुत किया l इस यादगार संगोष्ठी में बेंगलुरु की स्वीटी सिंघल ने ‘बोझ ‘, पीलीभीत के विजेंद्र जैमिनी ने ‘सवेरा’, कानपुर की अन्नपूर्णा बाजपेई ने ‘फैशन’, आसाम की कुमुद शर्मा ने ‘ शादी के बाद ‘, पटना के सिद्धेश्वर ने ‘ अंतर’, अहमदाबाद की डॉ ऋचा शर्मा ‘सिहरन ‘ और कोलकाता की विद्या भंडारी ने ‘एहसास ‘ लघुकथाओं का पाठ किया l निश्चित तौर पर , ऑनलाइन या ऑफलाइन, इस तरह का आयोजन, लघुकथाओं पर केंद्रित होनी ही चाहिए !

डॉ. सुनील कुमार ‘सुमन’ को “हरिचाँद ठाकुर-गुरुचाँद ठाकुर सम्मान”

कोलकाता । महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के क्षेत्रीय केंद्र, कोलकाता के पूर्व प्रभारी एवं लेखक-विचारक डॉ. सुनील कुमार ‘सुमन’ को ‘‘हरिचाँद ठाकुर-गुरुचाँद ठाकुर सम्मान’’ से सम्मानित किया गया है। हावड़ा स्थित रामगोपाल मंच सभागार में मूलनिवासी कर्मचारी कल्याण महासंघ (मक्कम) की प. बंगाल ईकाई, बाबासाहेब डॉ. बी.आर.अम्बेडकर मिशन, हुगली, भारतीय दलित साहित्यकार मंच (प.बं.) तथा पश्चिम बंगाल सफाई कर्मचारी एकता संघ द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित एक भव्य अभिनंदन समारोह में डॉ सुनील को यह सम्मान प्रदान किया गया। कार्यक्रम का संचालन लेखक व कवि रामजीत राम ने किया। इस अवसर पर उपस्थित भंते रखित श्रमण, समाजसेवी शारदा प्रसाद, वरिष्ठ पत्रकार एवं ‘पैरोकार’ पत्रिका के संपादक अनवर हुसैन, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के राजभाषा अधिकारी डॉ. ब्रजेश कुमार यादव, महाराजा श्रीश चंद्र कालेज के राजनीति शास्त्र विभाग के अध्यक्ष डॉ.  प्रेम बहादुर मांझी, सहायक प्रोफ़ेसर एवं आलोचक डॉ. कार्तिक चौधरी, आईसेक्ट विश्वविद्यालय, हजारीबाग के मीडिया विभाग के अध्यक्ष डॉ. ललित कुमार, मक्कम के राज्य सचिव एवं शिक्षक-एक्टिविस्ट विनोद कुमार राम, कोषाध्यक्ष शशिकांत प्रसाद, मूलनिवासी संघ के अध्यक्ष विष्णु पाल, रामचंद राम, रामवचन यादव, राजेश कुशवाहा तथा शंकर सिंह आदि गणमान्य वक्ताओं ने डॉ. सुनील कुमार ‘सुमन’ के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला। अपने संबोधन में डॉ सुनील कुमार ‘सुमन’ ने आयोजकों का धन्यवाद देते हुए कहा कि बंगाल के दो महापुरुषों के नाम पर स्थापित इस अमूल्य सम्मान को हासिल करना मेरे लिए बहुत ही गौरव की बात है। इससे मेरी सामाजिक ज़िम्मेदारी और बढ़ गयी है। इस आयोजन को सफल बनाने में अम्बेडकर मिशन (प.बं.) के अध्यक्ष ई. वीरा. राजू, धर्मराज राम एवं गौतम पासवान आदि ने भी सहयोग किया।

 

 

डाकघर एजेंटों का भविष्य सुनिश्चित नहीं : एनएसएसएएआइ

की विभिन्न समस्याओं के समाधान की मांग

कोलकाता: डाकघर एजेंटों का भविष्य सुनिश्चित नहीं है, केंद्र सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए, यह कहना है राष्ट्रीट अल्प बचत अभिकर्ता संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष पृथ्वीश भट्टाचार्य का सोमवार को कोलकाता प्रेस क्लब में संघ द्वारा आयोजित संवाददाता सम्मेलन में श्री भट्टाचार्य ने एजेंटों की समस्याओं को रखते हुए 22 विभिन्न मांगों को रखा, जिन पर केंद्र सरकार को तुरंत ध्यान देने की मांग की. उन्होंने कहा कि पूरे देश में पुरुष और महिला मिलाकर कुल साढ़े पांच लाख एजेंट हैं, लेकिन इन एजेंटों को परिचय पत्र तक नहीं दिये गये हैं. बिना परिचय पत्र के काम करने के कारण चुनाव की घोषणा के समय ग्राहकों व निवेशकों के रुपये जमा करने जाने के दौरान एजेंटों को पुलिस की चेकिंग में पहचान पत्र नहीं रहने से परेशानियों को झेलना पड़ता है. वित्त मंत्रालय द्वारा हर एजेंट को जल्द से जल्द एक पहचान पत्र दिया जाना चाहिए, एजेंटों का भविष्य नहीं है, पेंशन, ग्रेच्युटी आदि की सुविधा चालू होनी चाहिए. यहीं नहीं अगर एजेंट मर जाते हैं, तो उनके परिवार को उसकी एजेंसी सौंप देना चाहिए, उन्होंने कहा कि एजेंसी के नवीनीकरण के दौरान हर तीन साल पर मांगी जानेवाली पुलिस सत्यापन रिपोर्ट को तत्काल रोक दिया जाना चाहिए, क्योंकि सरकार और लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए नियुक्त एजेंट असामाजिक या अपराधी नहीं है. उन्होंने कहा कि देश के हर डाकघरों में एजेंटों के बैठने और काम करने के लिए एक निश्चित स्थान तय किया जाना चाहिए. मौके पर एनएसएसएएआई के राष्ट्रीय सचिव मनोज कुमार मिश्रा ने कहा कि डाकघर में अधिक समय लिंक फेल रहते है, जिस कारण एजेंटों को नुकसान उठाना पड़ता है. पहले एजेंटों का कमिशन एक प्रतिशत था, जिसे आधा कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि जिस तरह से सभी स्तरों पर मजदूरी में वृद्धि की गयी है, हम मांग करते है कि मानकीकृत एजेंसी प्रणाली (एसएएस) एजेंट के दो प्रतिशत और महिला प्रधान क्षेत्रीय बचत योजना एजेंट (एमपीकेबीवाई) का कमिश्नपांच प्रतिशत किया जाये. एनएसएसएआई के बंगाल सर्कल के महासचिव सिंचन चटर्जी ने कहा कि एजेंटों की तमाम समस्याओं को लेकर आगामी दिन दो दिवसीय पांचवा राष्ट्रीय सम्मेलन होगा, जो हावड़ा के शरत सदन में आयोजित होगा. इस दौरान देश के 23 राज्यों से प्रतिनिधि शामिल होंगे.