Tuesday, December 16, 2025
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नये अंदाज में फिर से इस्तेमाल करें शादी का लहंगा

शादी आपकी हो या आपने किसी की शादी में पहनने के लिए लहंगा खरीदा हो, वह आलमारी में पड़े – पड़े खराब हो जाए, आप हरगिज नहीं चाहेंगी। फिर भी शादी में एक बार पहनने के बाद वो लहंगा हमेशा के लिए आपकी अलमारी में बंद हो जाता है. आज एक बार फिर से उस लहंगे को बाहर निकालें और उसे नया लुक देकर पहनें, हम बताते हैं कैसे –

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दुपट्टें को करें ऐसे इस्तेमाल – आपका लंहगा किसी भी कलर का हो, उसके दुपट्टे को अलग-अलग स्टाइल्स में अलग-अलग कपड़ों के साथ पेयर करें. इसे स्ट्रेट फिट वाले सूट, अनारकली, या फिर पटियाला सलवार-कमीज़ के साथ पहनें। अगर आपका वेडिंग दुपट्टा नेट या टिशू का है तो इसे सिर्फ उसी कलर के रॉ सिल्क सूट या वेल्वेट अनारकली के साथ ट्राय करें। अगर आपका दुपट्टा जॉर्जेट का है तो इसे क्रेप या कॉटन सलवार-कमीज़ के साथ पहनें।

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चोली से बनाएं ब्लाउज़ – शादी के लहंगे की चोली के साथ एक्सपेरिमेंट करें और इसे किसी साड़ी के साथ पहनें। जैसे अगर आपके पास एम्ब्रॉइडरी वाली क्रेप चोली है तो इसे सिंपल क्रेप साड़ी के साथ पेयर करें। वेलवेट चोली को नेट साड़ी या वेलवेट साड़ी के साथ पहनें. ऐसे में किसी को भी पता नहीं चलेगा कि आपने साड़ी के साथ अपनी शादी की चोली पहनी है। दोस्त की शादी या कोई फंक्शन अटेन्ड करना हो तो आप कोई सिंपल लहंगा खरीदें और उसे शादी की चोली और दुपट्टे के साथ पहन लें। ऐसा करके आपके पैसे भी बचेंगे और आपका शादी का लहंगा भी इस्तेमाल हो जाएगा. ब्लाउज़ आगे से ही नहीं पीछे से भी हो।

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साथ पहनें – ऐसे में किसी को भी पता नहीं चलेगा कि आपने साड़ी के साथ अपनी शादी की चोली पहनी है। दोस्त की शादी या कोई फंक्शन अटेन्ड करना हो तो आप कोई सिंपल लहंगा खरीदें और उसे शादी की चोली और दुपट्टे के साथ पहन लें। ऐसा करके आपके पैसे भी बचेंगे और आपका शादी का लहंगा भी इस्तेमाल हो जाएगा।

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ड्रेप से लुक बदलें – क्रिएटिव बनें और अपने लहंगे के लुक को पूरा बदल दें, क्योंकि फैशन का मतलब है कुछ नया करना और कुछ ख़ास बनाना. आप अपने लहंगे को अलग-अलग तरह से ड्रेप करें. जैसे साड़ी स्टाइल, गुजराती लंहगा स्टाइल या रिस्ट स्टाइल (जिसमें दुपट्टे का एक कोना अपनी कलाई पर बांधते हैं). आप अलग से एक कॉट्रैस्टिंग दुपट्टा को भी अपने लहंगे के साथ स्टाइल कर सकती हैं।

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प्रयोग करें – शादी के टाइम आप लहंगे के रंग, डिज़ाइन, एंबेलिशमेंट सब पर ध्यान देती हैं, लेकिन सिर्फ एक बार उसे पहन कर क्यों बरबाद करना? एक बार फिर से नए लुक के लिए अपने हेवी लहंगे को बैन्डो या कॉर्सेट के साथ पहनें. प्लेन, हल्के काम वाले कॉर्सेट आपके भारी भरकम लहंगे पर बहुत अच्छे लगेंगे। इसके अलावा इसे आप शीयर जैकेट के साथ भी पहन सकती हैं। इन जैकेट लहंगों को खरीदने के बजाय अपनी शादी के लहंगे को जैकेट लहंगा बनाएं। अपनी पसंद के फैब्रिक और इम्ब्रॉइडरी से डिज़ाइन कराएं।

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लहंगे को बनाएं अनारकली – अगर आपके पास कोई अच्छा टेलर है, तो आप अपने लहंगे या चोली (ब्लाउज़) का अनारकली भी बनवा सकती हैं। ऊपर के लिए सिंपल फैब्रिक को लहंगे के घेरे के साथ सिलवा लें। ऐसे ही अगर चोली का अनारकली बनवाना है तो इसके नीचे किसी अच्छे फैब्रिक की कलियां जुड़वा लें।

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सेरेना ने 7वीं बार जीता विबंलडन का खिताब, स्टेफी ग्राफ के 22 ग्रैंड स्लैम की बराबरी

सेरेना विलियम्स ने इतिहास रच दिया है। विंबलडन में एकल महिला वर्ग के फाइनल में सेरेना विलियम्स ने जीत हासिल कर स्टेफी ग्राफ के 22 ग्रैंडस्लैम के रिकॉर्ड की बराबरी कर ली। स्टेफी ग्राफ ने 20 साल पहले यहां विंबलडन खिताब जीता था।

चौंतीस साल की सेरेना ने सातवीं बार विंबलडन खिताब अपने नाम कर लिया है। सेरेना ने शानदार खेल खेलते हुए जर्मनी की एंजेलिक कर्बर की चुनौती का सामना किया और जीत हासिल की। 28 साल की कर्बर उन्हें ऑस्ट्रेलियन ओपन के खिताबी मुकाबले में हरा चुकी हैं।

सेरेना ने कोर्ट में काफी चुस्ती दिखाते हुए कर्बर को 7-5, 6-3 के सीधे सेट में हराया। कर्बर ने साल के पहले ग्रैंडस्लैम ऑस्ट्रेलियन ओपन के फ़ाइनल में सेरेना को हराकर अपना पहला ग्रैंडस्लैम खिताब जीता था।

दोनों शानदार खिलाड़ियों के बीच अब तक कुल 7 बार मुकाबला हो चुका है और 5 बार बाजी सेरेना के हाथ रही है।

इसके पहले सेमीफाइनल मुकाबले में सेरेना ने गुरुवार को रुस की एलेना वेसनीना को सीधे सेटों में 6-2,6-0 से मात दी थी. सेमीफानल का मैच उन्होंमे सिर्फ 48 मिनट में अपने नाम कर लिया था।

 

बजाज इलेक्ट्रिकल्स ने उतारा प्लाटिनी किचेन अप्लाएंसेज

बजाज इलेक्ट्रिकल्स ने अब किचेन अपलाएंसेज के बाजार में कदम रख दिया है। हाल ही में कम्पनी ने प्लाटिनी ब्रांड नाम के तहत प्लाटिनी स्टैंड मिक्सर, प्लाटिनी विटामिन जूसर और प्लाटिनी ब्रेड मेकर उतारा। ये सभी उत्पाद फिलहाल अमेजन पर उपलब्ध हैं।

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कम्पनी का दावा है कि ये तोनों रसोई के उपकरण काम आसान करेंगे क्योंकि उनको इस तरह तैयार किया गया है कि महिला हो या पुरुष, दोनों आसानी से काम कर सकेंगे। विटामिन जूसर फलो और सब्जियों के पोषक तत्वों को बचाकर रखता है तो स्टैंड मिक्सर केक से लेकर स्मूदी तक बनाने में सुविधा प्रदान करेगा। ब्रेड मेकर 12 तरह के ब्रेड और जैम एक बटन में तैयार कर सकता है।

नहीं रहा दुनिया का ‘सबसे अमीर ग़रीब आदमी’

पाकिस्तान के जाने माने समाजसेवी अब्दुल सत्तार ईधी का गत शुक्रवार रात निधन हो गया. उन्हें शुक्रवार सुबह डायलिसिस के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था। अब्दुल सत्तार की तबियत बिगड़ने की रिपोर्ट के बाद लोगों ने सोशल मीडिया पर उनके लिए दुआएं मांगी, जो उनकी मौत की ख़बर के बाद श्रद्धांजलि में बदल गईं. अब्दुल सत्तार ईधी के नाम से संचालित अकाउंट से बताया गया कि उनके आख़िरी शब्द थे, “मेरे मुल्क के ग़रीबों का ख़्याल रखना.” एक और ट्वीट में कहा गया, “उन्होंने अपने एकमात्र सक्रिय अंग आँखों को दान कर दिया. अपना सबकुछ वो पहले ही दान कर चुके थे.” पाकिस्तानी क्रिकेटर शोएब मलिक ने लिखा, “एक चमकता हुआ सितारा अपने शुरू किए गए काम को हमारे लिए पूरा करने के लिए छोड़ गया है. मेरी दुआएँ ईधी साहब और उनके परिवार के साथ हैं.”पाकिस्तान के चर्चित धर्मगुरू ताहिर-अल-क़ादरी ने लिखा, “मैं अब्दुल सत्तार ईधी साहब के निधन से दुखी हूं।”

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मुहम्मद लीला ने लिखा, “जिन लोगों के बारे में आपने सुना है, वो उनमें सबसे सबसे महान थे.”

माहिरा ख़ान ने ट्वीट किया, “अल्लाह खुली बांहों से उनका स्वागत करेंगे. उन जैसा दूसरा नहीं होगा.” माइकल कूगलमैन ने ट्वीट किया, “ईधी पाकिस्तान और दुनिया के महानतम हीरो में से एक हैं. हमें इस दुनिया में ईधी जैसों की ज़रूरत है.”

क्रिकेटर अहमद शहज़ाद ने लिखा, “मैं बहुत दुखी हूँ. दुनिया के महानतम मानवतावादियों में से एक के लिए दुआ कीजिए. आइए हम उनके विचारों और कामों का अनुरसण करके उन्हें ज़िंदा रखें.”

मोईद पीरज़ादा ने लिखा, “ईधी जैसे पवित्र मन और आत्मा वाले व्यक्ति इस देश में हमारे बीच थे. ये बताता है कि उम्मीद अभी बाक़ी है.”

वहीं भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने लिखा, “शोक संतप्त परिवार और ईधी फ़ाउंडेशन के प्रति मेरी हार्दिक संवेदना है.”

 

ईद और उपहार —  भवानीपुर एडुकेशन सोसायटी कॉलेज के विद्यार्थियों की अनोखी पहल

ईद के पवित्र त्योहार पर भवानीपुर एडुकेशन सोसायटी कॉलेज के विद्यार्थियों की एन एस एस यूनिट ने एक नई पहल की है जो सभी के लिए प्रेरणादायक है। यह उन गरीब बच्चों के चेहरों पर आई खुशी और प्रसन्नता की लहर है जो उन्होंने कभी नहीं सोचा था। वे भी अपनी मर्जी से कुछ खरीदारी कर सकेंगे यह तो बिल्कुल ही नहीं सोचा था  जिन बच्चों के रहने के लिए खुला आकाश हो,खाने के लिए अपने हाथों से परिश्रम करना पड़ता है  तब कहीं खाने के लिए कुछ मिलता है या फिर खाली पेट ही रेल की पटरियों के किनारे किसी कोने में नींद में पड़े सुबह का इंतजार करते, शायद कुछ अच्छा मिले। ऐसे बच्चों को ईदी मिल जाए तो ऊपर वाले भगवान,ईसा, अल्लाह की मेहरबानी है।

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भवानीपुर एडुकेशन सोसायटी कॉलेज के विद्यार्थी ऐसे 250 बच्चों को साथ लेकर क्वेस्ट मॉल गए जहां उन्हें अपनी मर्जी से खरीदारी करने का पहला सुनहरा अवसर मिला। इसकेआयोजन के पीछे कॉलेज के प्रथम वर्ष के स्वागत समारोह के दौरान डीन प्रोफेसर दिलीप शाह के दिमाग की उपज थी जिसे वोलेंटियर छात्रा  यामिनी गंभीर ने सकारात्मक रूप दिया।
इस कार्यक्रम का आयोजन तिलजला शेड एनजीओ के संयोजन में हुआ। मुदरा पथुरिया और कॉलेज के उपाध्यक्ष मिराज डी. शाह  का विशेष सहयोग रहा।इसके अतिरिक्त कॉलेज के पवन अग्रवाल(चेयरमेन, एन के रियेल्टर) और व्यक्तिगत रूप से  सहयोग धनराशि प्रदान की।
प्रत्येक बच्चे को ईदी के रूप में 500 रूपये की खरीदारी का अवसर देना एक सुअवसर ही है।भवानीपुर कॉलेज के प्रोफेसर दिव्येश शाह के निर्देशन में कॉलेज की एन एस एस युनिट ने गरीब परिवार के 250 बच्चों को क्वेस्ट मॉल के स्पेंसर में शॉपिंग करवाई जो उन गरीब बच्चों के लिए एक अनोखा अनुभव था,असंभव घटना थी।
“बच्चे तो बच्चे ही होते हैं “वहां किसी मजहब की दिवार नहीं होती,उनके चेहरे की मुस्कान एक ही होती है जो ईश्वरीय देन है। ईद के पूर्व उन बच्चों ने अपनी ईदी स्वयं खरीदी, उस समय उनकी खुशी को देखकर लग रहा था कि उनसे उनका गम और उदासी कोसों दूर चली गई है।बोर्नविटा, हॉर्लिक्स, टूथब्रश, टूथपेस्ट, टिफ़िन बॉक्स, कैडबरी आदि विभिन्न वस्तुएं उनहोंने स्वयं खरीदी।
कार्यक्रम में विशेष अतिथि के रूप में राज्यसभा सांसद नदिमुल हक एवं उनकी बेगम फरहा, नेता तौसीफ़ रहमान एवं सहसचिव आदि उपस्थित थे। कॉलेज के उपाध्यक्ष मिराज शाह ने ईद पूर्व सभी को अपनी हार्दिक शुभकामनाएं प्रदान की।
(रिपोर्ट -डॉ. वसुंधरा मिश्र)

 

अमृतसर के सुलेमान के नाम इंडियाज गॉट टैलेंट का खिताब

मुंबई। अमृतसर के 13 वर्षीय बांसुरी वादक सुलेमान ने शनिवार को इंडियाज गॉट टैलेंट के सातवें संस्करण का खिताब अपने नाम कर लिया। इस उपलब्धि के लिए उन्हें 50 लाख रुपये नकद, मारुति सुजूकी सेलेरियो और विशेष आकृति में तैयार ट्राफी प्रदान की गई है।

ट्राफी पर ज्यूरी मेंबर्स किरण खेर, मलाइका अरोड़ा खान और करण जौहर के हस्ताक्षर भी हैं। अमृतसर के कैंब्रिज इंटरनेशनल स्कूल के छात्र सुलेमान प्रसिद्ध बांसुरी वादक हरिप्रसाद चौरसिया के शिष्य हैं।

जीत के बाद सुलेमान ने कहा, “इंडियाज गॉट टैलेंट का विजेता बनना मेरी सबसे बड़ी उपलब्धि है। आज मेरे पिता का सपना सच हो गया है। इस शो ने मुझे मेरे हुनर को दुनिया के सामने प्रदर्शित करने के लिए प्लेटफार्म उपलब्ध कराया।

साथ ही मेरी प्रतिभा को और निखारने का भी अवसर दिया।” सुलेमान ने अपनी उपलब्धि के लिए पिता और सभी गुरुजनों विशेषकर पंडित हरिप्रसाद चौरसिया का आभार प्रकट किया। कहा कि इन लोगों के बिना मैं यह मुकाम हासिल नहीं कर सकता था।

शो के बारे में कलर्स चैनल की प्रोग्राम हेड मनीषा शर्मा ने कहा, “इस बार हमने लीक से हटकर कार्यक्रम का आयोजन किया।”

 

वो जो कभी नहीॆ था आपकी वफाओं के काबिल

 

कई बार ऐसा होता है कि जिस रिश्ते को हम प्यार और अपनेपन के साथ शुरू करते हैं कुछ समय बाद उसमें खटास आ जाती है। आपस का प्यार खत्म होने लगता है और दो लोगों के बीच का भरोसा कहीं खो जाता है।
रिश्ता चाहे जो भी हो, अगर उसमें प्यार और भरोसे के लिए कोई जगह नहीं है तो उससे बाहर निकल जाने में ही भलाई है। कई बार लड़कियां सारी सच्चाई जानने के बावजूद रिश्ते को खिंचती हैं.उन्हें अलगाव का डर होता है लेकिन यकीन कीजिए ऐसे रिश्ते का कोई भविष्य हो ही नहीं सकता। ऐसे किसी भी रिश्ते से आप जितनी अलग हो लें उतना बेहतर है।
अगर आपके और आपके पार्टनर के बीच तालमेल नहीं बन पा रहा है तो अलग हो जाने में ही भलाई है। अगर आपकी जिंदगी में भी ऐसा कुछ हो रहा है तो अच्छा रहेगा आप अभी संभल जाएं…
आप दोनों एक-दूसरे को लंबे समय से डेट कर रहे हैं लेकिन उसने आपको अभी तक शादी के लिए नहीं पूछा। इसका साफ मतलब है कि वो आपको लेकर श्योर नहीं है या फिर आप उसकी प्राथमिकता नहीं हैं।
क्या आप ही हमेशा मिलने का प्लान बनाती हैं? क्या आप ही उसे अक्सर फोन या मैसेज करती हैं और दूसरी तरफ से हमेशा जवाब का ही इंतजार करती हैं? अगर हां, तो अभी भी वक्त है।
क्या वो आपसे और आपकी जिंदगी से जुड़ी समस्या को सुनना पसंद नहीं करता? क्या वो आपको आपकी मुसीबतों के साथ छोड़कर चला जाता है? अगर वो ऐसा कर रहा है तो…
क्या उसके पास आपके लिए समय नहीं होता है? अगर वो आपके लिए सोच ही नहीं रहा है तो ऐसे रिश्ते का मतलब ही क्या है…
क्या वो अब भी अपनी एक्स-गर्लफ्रेंड के साथ घूमना पसंद करता है? क्या वो उससे आपकी तुलना करता है?
क्या वो आपको आपका व्यवहार बदलने के लिए कहता है? क्या वो आप पर किसी भी बात के लिए भरोसा नहीं करता है?
अगर आपका पार्टनर आपके साथ ऐसा कुछ भी कर रहा है तो इस रिश्ते को आगे बढ़ाने से पहले एकबार सोच जरूर लें।

अच्छे-अच्छों को धूल चटा देती हैं 76 साल की मीनाक्षीअम्मा

सही ही कहते हैं कि किसी की उम्र से उसकी काबिलियत का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता।अब कहने को तो मीनाक्षीअम्मा 76 साल की हैं लेकिन उनकी फुर्ती और एक्शन के आगे अच्छे-अच्छे मात खा जाते हैं।

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मीनाक्षीअम्मा दक्षिण भारत के एक बेहद पुराने मार्शल आर्ट्स फॉर्म कलरीपयत्तु की मास्टर है। दस साल की उम्र से ही उन्होंने इस विधा को सीखना शुरू कर दिया था। कुछ ही समय पहले मीनाक्षीअम्मा का एक वीडियो वायरल हुआ है जिसमें वो एक युवक के साथ अभ्यास करती नजर आ रही हैं। हजारों लोगों ने उन्हें घेर रखा है. डेली मेल में छपी खबर के मुताबिक, मीनाक्षीअम्मा सालों से अपने इलाके में इस विधा की ट्रेनिंग दे रही हैं। उनसे ट्रेनिंग पाकर कई दूसरे लोगों ने भी अब अपना ट्रेनिंग सेंटर खोल लिया है। कलरीपयत्तु स्टेप्स, पोश्चर और फाइटिंग स्टाइल का मेल होता है. ये किसी भी दूसरे परंपरागत मार्शल आर्ट से बिल्कुल अलग होता है ।

 

इस २२ वर्षीया छात्रा ने अकेले बचाया गुजरात के १११ बाल मजदूरों को !

अहमदाबाद की छात्रा, झरना जोशी केवल २२ साल की है पर इस छोटी सी उम्र में उन्होंने एक ऐसा कारनामा कर दिखाया है जो बड़े बड़े नहीं कर पायें। झरना ने अकेले ही एक गुप्त मिशन चलाकर १११ मासूम बाल मजदूरों को मोरबी के सिरेमिक कारखाने से बचाकर निकाला और इस दौरान झरने पर हमले भी करवाए गए।

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राजकोट के डिप्टी लेबर कमिश्नर, श्री. एम. सी करिया के मुताबिक़ सौराष्ट्र में बाल मजदूरो को बचाने का अब तक का ये सबसे बड़ा अभियान था।

इन बच्चो में से करीबन १०० लडकियां थी, जिन्हें घुनटू रोड पर स्तिथ सोनाकी सिरेमिक यूनिट से बचाया गया।

“अप्रैल के पहले सप्ताह में मैं अपने चचेरे भाई के घर छुट्टियाँ बिताने आई थी। एक दिन सुबह सुबह मैंने कई बच्चो को बसो में बिठाकर ले जाते देखा। ये स्कूल बसे नहीं थी इसलिए मुझे शक हुआ और मैंने उन बसों का पीछा किया। तब मुझे पता चला कि इन बच्चो को फैक्ट्री में काम कराने के लिए ले जाया जा रहा था,” बीबीए दूसरे वर्ष की छात्रा, झरना ने बताया।

इन बच्चो की सही उम्र पता करने के लिए झरना ने इसी फैक्ट्री में नौकरी करने का फैसला किया। फैक्ट्री में कोई भी जगह खाली न होने की वजह से झरना को डिजाईन यूनिट में नौकरी दे दी गयी। बस १५ दिन यहाँ काम करने के अन्दर ही झरना को ये पता चल गया कि यहाँ काम करने वाले ज़्यादातर बच्चे १८ साल की उम्र के नीचे है और इनसे जबरन सुबह ८ बजे से लेकर शाम के ६ बजे तक काम करवाया जाता है। इन बच्चो को बाहर जाने तक की इजाज़त नहीं थी और कुछ को भीषण तापमान वाली जगहों जैसे कि भट्टियों में भी काम कराया जाता था। इन मासूमो को बिना खाना या पानी के घंटो काम करना पड़ता था।

सारी जानकारी हासिल करने के बाद झरना ने उपयुक्त विभाग में इस बात की रपट लिखवाई।

मैंने प्रधानमंत्री के दफ्तर को पत्र लिखा तथा २४ मई को खुद गांधीनगर भी गयी। और आखिरकार मुझे आश्वस्त किया गया कि शुक्रवार को इसके खिलाफ कार्यवाही की जाएगी,” झरना ने बताया।

विभिन्न विभागों के अफसरों ने मिलकर इस फैक्ट्री पर रेड मारी और इस बचाव अभियान को अंजाम दिया। इन विभागों में सोशल डिफेन्स, पुलिस और लेबर और एम्प्लॉयमेंट विभाग के साथ साथ फैक्ट्री इंस्पेक्टर तथा चाइल्ड प्रोटेक्शन ऑफिसर भी शामिल थे।

इस बहादुर युवती की समाज के प्रति कर्तव्य परायणता तथा सूझ बुझ ने कई मासूमो का बचपन बचा लिया।

 

इ-ड्रॉपबॉक्स से अब बच्चे ऑनलाइन भी कर सकते हैं दुराचार की शिकायत !

देश में बच्चों के साथ दुराचार की घटनाएँ अक्सर सामने आती हैं, लेकिन उससे कई गुना अधिक घटनाएँ ऐसी होती हैं जो कहीं दर्ज ही नहीं की जातीं। उसका एक बड़ा कारण यह  है कि ऐसे मामलों में दोषी बच्चों के परिवार का ही करीबी, रिश्तेदार या जानने वाला होता है, जिसके खिलाफ बच्चे डर और झिझक से कभी शिकायत नहीं करते।

बच्चे ऐसे मामलों की शिकायत अपने घर में भी नहीं करते। ऐसे में इन मामलों पर कार्रवाई का कोई रास्ता नहीं बचता है।

लेकिन अब इन्हीं मामलों पर शिकंजा कसने के लिए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय और राष्ट्रीय बाल अधिकार सरंक्षण आयोग ने कमर कस ली है। बच्चो का सुरक्षा घेरा बढ़ाने के लिए मंत्रालय ने शिकायत करने का आसान और सुरक्षित तरीका बच्चों को दिया है।

अब बच्चे बिना डरे अपनी शिकायत आसानी से दर्ज करा सकते हैं, जिस पर आयोग कड़ी कार्रवाई करेगा। और इसमें बच्चे को अपनी पहचान बताने की भी जरूरत नहीं पडेगी। 

2007 में हुए एक सरकारी अध्ययन के मुताबिक भारत में करीबन 69 % बच्चे यौन शोषण का शिकार हुए हैं। लेकिन उनमें से ज्यादातर बच्चे शिकायत तक दर्ज नहीं करा पाते। 13 राज्यों के 12447 बच्चों पर कराये गए सर्वेक्षण में आन्ध्र प्रदेश, बिहार,असम राज्यों सहित देश की राजधानी दिल्ली में सबसे ज्यादा मामले पाए गए।

शोषण के 50 प्रतिशत मामलों में शोषण करने वाला, बच्चों के घर से या पहचान का रिश्तेदार या भरोसेमंद आदमी ही होता है। और इसीलिए अधिकतर बच्चे शिकायत की तो छोडिये, इसकी जानकारी तक किसी को नहीं होने देते।

ऐसे मामलों से निपटने के लिए बच्चों के साथ होने वाले अश्लील कृत्यों और यौन शोषण की शिकायत के लिए ऑनलाइन शिकायत बॉक्स बनाया गया है। बच्चों के अधिकारों के लिए भारत सरकार का महिला एवं बाल विकास मंत्रालय एक ऐसे ई-ड्रॉपबॉक्स पर काम कर रहा है, जिसमें बच्चे अपने साथ होने वाली ऐसी घटनाओं की शिकायत आसानी से दर्ज करा सकते हैं।

इस ड्रॉपबॉक्स में बच्चे गाली-गलौज से लेकर शोषण और अश्लील कृत्यों की शिकायत अपनी बिना पहचान बताए दर्ज कर सकते हैं।

मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक यह ड्रॉप बॉक्स ज्यादातर मामलों को सामने लाएगा। 

अक्सर देखा गया है कि ऐसे ज्यादातर मामलों में बच्चों का करीबी ही शामिल होता है जिसके खिलाफ बच्चे घर में भी किसी को बताने से डरते हैं। ऐसे बच्चे अब घर से लेकर बस, ट्यूशन और स्कूल में कहीं भी अपने साथ होने वाली ऐसी घटनाओं के खिलाफ शिकायत कर सकेंगे।

इसकी भाषा से लेकर प्रयोग के विकल्प बेहद आसान बनाये गए हैं। तस्वीरें और कई आइकनों (चिन्हों) के माध्यम से छोटे बच्चे भी समझ सकेंगे और अपनी शिकायत दर्ज कर सकेंगे।

महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने कहा, “बच्चों के साथ होने वाली शोषण और उत्पीडन की घटनाओं को रोकने के लिए यह एक और कदम है। इससे बच्चों की सुरक्षा के लिए लक्ष्मण रेखा और मजबूत होगी।

ये ई-ड्रॉपबॉक्स राष्ट्रीय बाल अधिकार सरंक्षण आयोग (NCPCR) की वेबसाइट पर उपलब्ध रहेगा। जहाँ आसानी से इसका प्रयोग किया जा सकता है। बच्चों की सुरक्षा का यह अभियान दिल्ली पुलिस द्वारा चलाये जा रहे ‘ऑपरेशन निर्भीक’ से प्रेरित है। ‘ऑपरेशन निर्भीक’ लड़कियों की शिकायतों को लेकर चलाया जा रहा बेहतरीन अभियान है, जिसमें दिल्ली के विभिन्न स्कूलों में ‘शिकायत बॉक्स’ रखवाए गए हैं। इन शिकायत बॉक्सों में कोई भी लड़की अपने साथ हुए किसी भी तरह के उत्पीडन की शिकायत लिखकर डाल सकती है। और फिर दिल्ली पुलिस उस शिकायत की पड़ताल करती है। उस बॉक्स की कई शिकायतें एफआईआर में तब्दील कर दी जाती हैं और दोषियों पर कड़ी कारवाई की जाती है। दिल्ली पुलिस और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय का ये अभियान बच्चों को घर और स्कूल में अपने साथ कुछ भी गलत किए जाने के खिलाफ बेझिझक शिकायत करने को प्रेरित कर रहां हैं। इससे बच्चे न सिर्फ़ सुरक्षित होंगे बल्कि निडर होकर अपनी बात भी कह सकेंगे।

(साभार – द बेटर इंडिया)