Tuesday, December 16, 2025
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स्त्री बारिश देख रही है

Nirmala_Garg

– निर्मला गर्ग

सामने वाली खिड़की पर

चाय का कप लिए
एक स्त्री
बारिश देख रही है
उसका नाम शगुफ़्ता ख़ान है

बूँदों को
घास-मिटटी पर पड़ते देख
वैसे ही हलचल से भर रही है
शगुफ़्ता
भर रही हूँ जैसेकि मै
यानी निर्मला गर्ग

आडवानी जी व्याख्या करें
इस चमत्कार की

रचनाकाल : 1994

बादल

AYODHYA SIGNGH UPADHGAYAHariaudh

अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’

सखी !

बादल थे नभ में छाये
बदला था रंग समय का
थी प्रकृति भरी करूणा में
कर उपचय मेघ निश्चय का।।

वे विविध रूप धारण कर
नभ–तल में घूम रहे थे
गिरि के ऊँचे शिखरों को
गौरव से चूम रहे थे।।

वे कभी स्वयं नग सम बन
थे अद्भुत दृश्य दिखाते
कर कभी दुंदभी–वादन
चपला को रहे नचाते।।

वे पहन कभी नीलाम्बर
थे बड़े मुग्ध कर बनते
मुक्तावलि बलित अघट में
अनुपम बितान थे तनते।।

बहुश: –खन्डों में बँटकर
चलते फिरते दिखलाते
वे कभी नभ पयोनिधि के
थे विपुल पोत बन पाते।।

वे रंग बिरंगे रवि की
किरणों से थे बन जाते
वे कभी प्रकृति को विलसित
नीली साड़ियां पिन्हाते।।

वे पवन तुरंगम पर चढ़
थे दूनी–दौड़ लगाते
वे कभी धूप छाया के
थे छविमय–दृश्य दिखाते।।

घन कभी घेर दिन मणि को
थे इतनी घनता पाते
जो द्युति–विहीन कर¸ दिन को
थे अमा–समान बनाते।।

 

बरसात के मौसम में अपनाएं कुछ पौष्टिक नाश्ता

पानी बरसाते इस मौसम में जितनी इच्छा तला-गला खाने की होती है, उतना ही रिस्की है इन्हें खाना। फ्राइड फूड की जगह हेल्दी स्नैक्स को अपनाएंगे तो पेट भी खुश रहेगा और तबीयत भी। ये देखने में तो अच्छे होते ही ही और यकीन कीजिए स्वाद भी इनका जुबान पर चढ़ने वाला होता है। ये टिप्स ट्राय करें…

डिशेज में नट्स का भी प्रयोग किया जा सकता है। इससे पेट आसानी से और जल्द भर जाएगा। ज्यादा क्वांटिटी में अगर कुछ नहीं बनाना हो तो ड्राय फ्रूट्स बड़े काम की चीज है।

हेल्दी स्नैक्स बनाते वक्त ध्यान रहे कि यह बेहद खूबसूरत होने चाहिए, साथ ही ऐसे भी हों जिन्हें आसानी से कैरी किया जा सकता है। इन्हें खाने के लिए प्लेट की जरूरत न पड़े तो सोने पर सुहागा।

इन स्नैक्स के साथ पीने में भी कुछ अच्छा होना चाहिए जो नुकसान दायक जरा नहीं हो। आईस्ड टी, ग्रीन टी और फ्लेवर्ड वॉटर को इनके साथ ही सर्व कीजिए।

यही वो खाना है जो गिल्ट फ्री होता है इसलिए हेल्दी फूड बनाते वक्त यह भी ध्यान रखें कि क्वांटिटी थोड़ी ज्यादा होना चाहिए क्योंकि ऐसे स्नैक्स अक्सर ज्यादा खा लिए जाते है। इन्हें बनाते वक्त खूब सारे की तैयारी ही करें।

अगर यह सुंदर नहीं दिखेंगे तो कोई इन्हें नहीं खाएगा। ऐसा कुछ ट्राय करें… एक बड़ा बाउल लें और उस पर रंग-बिरंगी सब्जियों की कतरने रख दें। जैसे गाजर, बेबी कॉर्न, ककडी, कलर्ड शिमला मिर्च। दही से डिप बना लें। इसमें जाटर पाउडर और सन-ड्रायड टोमैटो भी शामिल करें। थोड़ा गार्लिक और बेसिल मजा बढ़ा देगा।

होलवीट कै्रकर्स पर किसा हुआ पनीर छिड़कें। काली मिर्च, चिली फ्लेक्स और ताजा सब्जियों से सजाएं।

मौसम का असर इन पर बिल्कुल नजर नहीं आना चाहिए। स्नैक्स में कुरकुरे होना चाहिए।

स्नैक्स को हेल्दी बनाने के चक्कर यह नहीं हो जाए कि आप टेस्ट से समझौता कर लें। स्वाद तो हमेशा ही टॉप पर रहेगा।

 

 

 

पहली बार बेटी के साथ रेड कारपेट पर उतरे अजय देवगन

अजय देवगन और काजोल अपनी पर्सनल लाइफ से जुड़ी कोई भी बात मीडिया के सामने लाते नहीं हैं। हालांकि, ऐसा पहली बार हुआ है कि जब अजय किसी पब्लिक प्लेटफॉर्म पर बेटी न्यासा के साथ दिखाई दिए। हाल ही में ऑर्गनाइज लंदन इंडियन फिल्म फेस्टिवल (LIFF) में अजय अपनी 13 साल की बेटी न्यासा के साथ रेड कारपेट पर उतरे। लंदन के सिनेवर्ल्ड सिनेमा में आयोजित इस इवेंट की ओपनिंग नाइट में जोड़ी ने लीना यादव की फिल्म ‘पार्च्ड’ का प्रीमियर अटेंड किया। अजय यहां ब्लू सूट तो न्यासा नेवी ब्लू ऑफ-शोल्डर ड्रेस में क्लिक की गईं।

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अजय देवगन सोशल मीडिया पर ज्यादा एक्टिव नहीं रहते हैं। जब उन्हें अपनी फिल्म से जुड़ी कोई जानकारी देनी होती है, तभी वे कोई पोस्ट शेयर करते हैं। लेकिन पिछले कुछ दिनों से अजय के सोशल मीडिया अकाउंट्स से कुछ पर्सनल फोटो और कमेंट्स भी फैन्स के साथ शेयर हुए। इन्हें देख पहले तो अजय के फैन्स खुश हुए, फिर पता चला कि ये पोस्ट अजय नहीं उनकी बेटी डाल रही हैं। इस बारे में अजय का कहना है कि उनका सोशल मीडिया अकांउट न्यासा ने हैक कर लिया है। वैसे, इस फिल्म फेस्टिवल को अटेंड करने के साथ बाप-बेटी की जोड़ी ने लंदन में शॉपिंग का मजा लिया, जिसकी पिक्चर्स न्यासा ने शेयर किए। बता दें, इन दिनों अजय ‘शिवाय’ फिल्म में बिजी हैं।

 

नहीं रहे ड्रिबलिंग के बादशाह पूर्व हॉकी कैप्टन शाहिद

गुड़गांव.1980 के मॉस्को ओलिंपिक में गोल्ड मेडल जीत चुकी हॉकी टीम के मेंबर रहे मोहम्मद शाहिद का हाल ही में  निधन हो गया। 56 साल के शाहिद को लिवर और किडनी से जुड़ी बीमारी थी। उनका गुड़गांव के मेदांता हॉस्पिटल में इलाज चल रहा था। शाहिद 1980 और 1984 में ओलिंपिक में गोल्ड मेडल जीतने वाली भारतीय टीम के सदस्य थे।। वे ड्रिबलिंग में अपने एक्सपर्टाइज के लिए मशहूर थे।

पाकिस्तान तो ऐसे जाते थे जैसे अर्दली बाजार से कचहरी

उन्होंने पाक से रिलेशन के बारे में कहा था- “पाकिस्तान तो ऐसे जाता था, जैसे अर्दली बाजार से कचहरी जाता है।” जब उनका स्टारडम नीचे जा रहा था और वे हॉकी छोड़ चुके थे, उन्होंने कहा- “देखो, मैं मोहम्मद शाहिद हूं।” “उसमें कभी भी चेंज नहीं होगा। हां, मैं ही इंडिया का कैप्टन था। लोग कहते हैं कि अल्लाह ने मुझे ड्रिबलिंग की सौगात दी है।” “मुझे भी याद है। लेकिन कोई भी खुद को हमेशा नहीं दोहरा सकता। एक टाइम के बाद मन भर गया।”

ऐसा है शाहिद का रिकॉर्ड…

शाहिद को हॉकी में उनके योगदान के लिए अर्जुन पुरस्कार और पद्मश्री से नवाजा गया था। उनकी बेटी हिना और परिजन अंतिम वक्त में उनके साथ थे।बता दें कि पिछले महीने उन्हें बीएचयू से गुड़गांव रेफर किया गया था। शाहिद बनारस के रहने वाले थे।

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अवॉर्ड

– चैम्पियंस ट्रॉफी-1980: बेस्ट फॉरवर्ड
– मॉस्को ओलिंपिक गेम्स-1980: गोल्ड मेडल
– मेंबर ऑफ एशियन ऑल स्टार टीम-1986
– अर्जुन अवॉर्ड-1980-81
– पद्मश्री-1986

1980 और 1984 में ओलिंपिक में गोल्ड मेडल जीतने वाली भारतीय टीम के सदस्य थे

मोहम्मद शाहिद का जन्म 14 अप्रैल 1960 को वाराणसी में हुआ था।  शाहिद 1980 और 1984 में ओलिंपिक में गोल्ड मेडल जीतने वाली हॉकी टीम के सदस्य थे। उनके कैप्टन रहते हुए इंडियन हॉकी टीम ने एशियन गेम्स में 1982 सिल्वर और 1986 के ब्रॉन्ज मेडल जीता था।  हॉकी छोड़ने के बाद शाहिद इंडियन रेलवे में स्पोर्ट्स ऑफिसर बने। वे वाराणसी में पोस्टेड थे।

क्या है ड्रिबलिंग?

ड्रिबलिंग में बॉल ज्यादातर वक्त स्टिक से चिपकी हुई चलती है। इससे उसे छीनना मुश्किल हो जाता है।  इससे एक ही प्लेयर बिना पास दिए बॉल को ज्यादा से ज्यादा दूर तक ले जाता है। हॉकी स्टिक की पोजिशन के हिसाब से कई तरह की ड्रिबलिंग होती है। जैसे- स्ट्रेट, लूज, इंडियन, पुल-बैक। स्ट्रेट ड्रिबलिंग में बॉल को सीधे आगे ले जाते हैं। लूज ड्रिबलिंग में बाल को बार-बार हल्का पुश करके आगे बढ़ाया जाता है। इंडियन ड्रिबलिंग में बॉल को लेफ्ट से राइट, राइट से लेफ्ट तरफ स्टिक करके आगे बढ़ाते हैं। पुल-बैक ड्रिबलिंग में बॉल को स्ट्रेट ड्रिब्लिंग करते हुए बीच-बीच में पीछे की तरफ लेते हैं।

 

जेवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा का वर्ल्ड रिकॉर्ड, पीएम ने दी बधाई

नई दिल्ली। पोलैंड में हो रही अंडर-20 विश्व चैंपियनशिप में 18 वर्षीय नीरज चोपड़ा ने जेवलिन थ्रो में भारत के लिए इतिहास रच दिया है। नीरज ने 86.48 मीटर जैवलिन थ्रो कर के वर्ल्ड रिकॉर्ड बना दिया। उन्होंने लैटविया के जिगिस्मंड सिरमायस के 84.69 मीटर के रिकॉर्ड को तोड़ा।

नीरज हरियाणा के पानीपत जिले के खांडरा गांव के रहने वाले हैं। वह पहले भारतीय एथलीट हैं जिन्होंने किसी भी स्तर पर गोल्ड मेडल हासिल कर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया है। उन्होंने अपने ही पुराने 82.23 मीटर के राष्ट्रीय रिकॉर्ड को भी तोड़ दिया। नीरज को इस सफलता पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बधाई दी। मोदी ने अपने निजी ट्‍विटर अकाउंट पर नीरज को इस उपलब्धि पर बधाई देते हुए लिखा, ‘हमें आप पर गर्व हैं।’ खेलमंत्री विजय गोयल ने नीरज के लिए 10 लाख रुपए के इनाम की घोषणा की।

ओलिंपिक के लिए क्वालिफाई करने से चूक गए

गौरतलब है कि नीरज कुछ ही दिनों से ओलिंपिक के लिए क्वालिफाई करने से चूक गए, जिसका क्वालिफाइंग मार्क 83 मीटर का था। रियो के लिए क्वालिफाई करने की अंतिम तारीख 11 जुलाई थी, लेकिन नीरज कुछ ही महीने पहले अप्रैल में नई दिल्ली में हुए फेडरेशन कप में हुई बैक इंजरी से उबर रहे थे, जिसके चलते वह तमाम कोशिशों के बावजूद क्वालिफाई नहीं कर सके।

 

ईदगाह

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                                                             मुंशी प्रेमचंद

रमजान के पूरे तीस रोजों के बाद ईद आई है। कितना मनोहर, कितना सुहावना प्रभाव है। वृक्षों पर अजीब हरियाली है, खेतों में कुछ अजीब रौनक है,आसमान पर कुछ अजीब लालिमा है। आज का सूर्य देखो, कितना प्यारा, कितना शीतल है, यानी संसार को ईद की बधाई दे रहा है।

गाँव में कितनी हलचल है। लड़के सबसे ज्यादा प्रसन्न हैं। किसी ने एक रोजा रखा है, वह भी दोपहर तक, किसी ने वह भी नहीं, लेकिन ईदगाह जाने की खुशी उनके हिस्से की चीज है।
और सबसे ज्यादा प्रसन्न है हामिद। वह चार-पाँच साल का गरीब सूरत, दुबला-पतला लड़का, जिसका बाप गत वर्ष हैज़े की भेंट हो गया और माँ न जाने क्यों पीली होती-होती एक दिन मर गई। किसी को पता क्या बीमारी है। कहती तो कौन सुनने वाला था? दिल पर जो कुछ बीतती थी, वह दिल में ही सहती थी ओर जब न सहा गया,. तो संसार से विदा हो गई। अब हामिद अपनी बूढ़ी दादी अमीना की गोद में सोता है और उतना ही प्रसन्न है। उसके अब्बाजान रुपये कमाने गए हैं। बहुत-सी थैलियाँ लेकर आएँगे। अम्मीजान अल्लाह मियाँ के घर से उसके लिए बड़ी अच्छी-अच्छी चीज़ें लाने गई हैं, इसलिए हामिद प्रसन्न है। आशा तो बड़ी चीज है, और फिर बच्चों की आशा! उनकी कल्पना तो राई का पर्वत बना लेती हे। हामिद के पाँव में जूते नहीं हैं, सिर पर एक पुरानी-धुरानी टोपी है, जिसका गोटा काला पड़ गया है, फिर भी वह प्रसन्न है। जब उसके अब्बाजान थैलियाँ और अम्मीजान नियामतें लेकर आएँगी, तो वह दिल से अरमान निकाल लेगा। तब देखेगा, मोहसिन, नूरे और सम्मी कहाँ से उतने पैसे निकालेंगे।
अभागिन अमीना अपनी कोठरी में बैठी रो रही है। आज ईद का दिन, उसके घर में दाना नहीं! आज आबिद होता, तो क्या इसी तरह ईद आती ओर चली जाती! इस अन्धकार और निराशा में वह डूबी जा रही है। किसने बुलाया था इस निगोड़ी ईद को? इस घर में उसका काम नहीं, लेकिन हामिद! उसे किसी के मरने-जीने के क्या मतल? उसके अन्दर प्रकाश है, बाहर आशा। विपत्ति अपना सारा दलबल लेकर आये, हामिद की आनंद-भरी चितबन उसका विध्वसं कर देगी।
हामिद भीतर जाकर दादी से कहता है—तुम डरना नहीं अम्मॉँ, मै सबसे पहले आऊँगा। बिल्कुल न डरना। अमीना का दिल कचोट रहा है। गॉँव के बच्चे अपने-अपने बाप के साथ जा रहे हैं। हामिद का बाप अमीना के सिवा और कौन है! उसे केसे अकेले मेले जाने दे? उस भीड़-भाड़ से बच्चा कहीं खो जाए तो क्या हो? नहीं, अमीना उसे यों न जाने देगी। नन्ही-सी जान! तीन कोस चलेगा कैसे? पैर में छाले पड़ जाएँगे। जूते भी तो नहीं हैं। वह थोड़ी-थोड़ी दूर पर उसे गोद में ले लेती, लेकिन यहाँ सेवैयाँ कोन पकाएगा? पैसे होते तो लौटते-लोटते सब सामग्री जमा करके चटपट बना लेती। यहाँ तो घंटों चीजें जमा करते लगेंगे। मॉँगे का ही तो भरोसा ठहरा। उस दिन फहीमन के कपड़े सिले थे। आठ आने पेसे मिले थे। उस उठन्नी को ईमान की तरह बचाती चली आती थी इसी ईद के लिए लेकिन कल ग्वालन सिर पर सवार हो गई तो क्या करती? हामिद के लिए कुछ नहीं हे, तो दो पैसे का दूध तो चाहिए ही। अब तो कुल दो आने पैसे बच रहे हैं। तीन पैसे हामिद की जेब में, पांच अमीना के बटुवें में। यही तो बिसात है और ईद का त्यौहार, अल्ला ही बेड़ा पर लगाए। धोबन और नाइन ओर मेहतरानी और चुड़िहारिन सभी तो आएँगी। सभी को सेवेयाँ चाहिए और थोड़ा किसी को ऑंखों नहीं लगता। किस-किस सें मुँह चुरायेगी? और मुँह क्यों चुराए? साल-भर का त्योंहार हैं। जिन्दगी खैरियत से रहैं, उनकी तकदीर भी तो उसी के साथ है: बच्चे को खुदा सलामत रखे, यें दिन भी कट जाएँगे।
गॉँव से मेला चला। ओर बच्चों के साथ हामिद भी जा रहा था
आगे चले। हलवाइयों की दुकानें शुरू हुई। आज खूब सजी हुई थीं। इतनी मिठाइयाँ कौन खाता? देखो न, एक-एक दुकान पर मनों होंगी।
अब बस्ती घनी होने लगी। ईइगाह जाने वालो की टोलियाँ नजर आने लगी। एक से एक भड़कीले वस्त्र पहने हुए। सहसा ईदगाह नजर आई। ऊपर इमली के घने वृक्षों की छाया हे। नाचे पक्का फर्श है, जिस पर जाजम ढिछा हुआ है। और रोजेदारों की पंक्तियाँ एक के पीछे एक न जाने कहाँ वक चली गई हैं, पक्की जगत के नीचे तक, जहाँ जाजम भी नहीं है। कितनी सुन्दर व्यवस्था! लाखों सिर एक साथ सिजदे में झुक जाते हैं, फिर सबके सब एक साथ खड़े हो जाते हैं, एक साथ झुकते हैं, और एक साथ खड़े हो जाते हैं, एक साथ खड़े हो जाते हैं, एक साथ झुकते हैं, और एक साथ खड़े हो जाते हैं, कई बार यही क्रिया होती हे, जैसे बिजली की लाखों बत्तियाँ एक साथ प्रदीप्त हों और एक साथ बुझ जाएँ, और यही ग्रम चलता, रहे।

नमाज खत्म हो गई। लोग आपस में गले मिल रहे हैं। तब मिठाई और खिलौने की दुकान पर धावा होता है।
हामिद खिलौनों की निंदा करता है—मिट्टी ही के तो हैं, गिरे तो चकनाचूर हो जाएँ, लेकिन ललचाई हुई ऑंखों से खिलौनों को देख रहा है और चाहता है कि जरा देर के लिए उन्हें हाथ में ले सकता। उसके हाथ अनायास ही लपकते हैं, लेकिन लड़के इतने त्यागी नहीं होते हैं, विशेषकर जब अभी नया शौक है। हामिद ललचता रह जाता है।
खिलौने के बाद मिठाइयाँ आती हैं। किसी ने रेवड़ियाँ ली हैं, किसी ने गुलाबजामुन किसी ने सोहन हलवा। मजे से खा रहे हैं। हामिद बिरादरी से पृथक है। अभागे के पास तीन पैसे हैं। क्यों नहीं कुछ लेकर खाता? ललचाई आँखों से सबक ओर देखता है।
मोहसिन कहता है—हामिद रेवड़ी ले जा…..कितनी खुशबूदार है!
हामिद को संदेह हुआ, ये केवल क्रूर विनोद है मोहसिन इतना उदार नहीं है, लेकिन यह जानकर भी वह उसके पास जाता है। मोहसिन दोने से एक रेवड़ी निकालकर हामिद की ओर बढ़ाता है। हामिद हाथ फैलाता है। मोहसिन रेवड़ी अपने मुँह में रख लेता है। महमूद नूरे ओर सम्मी खूब तालियाँ बजा-बजाकर हँसते हैं। हामिद खिसिया जाता है।
मिठाइयों के बाद कुछ दूकानें लोहे की चीजों की, कुछ गिलट और कुछ नकली गहनों की। लड़कों के लिए यहाँ कोई आकर्षण न था। वे सब आगे बढ़ जाते हैं,हामिद लोहे की दुकान पर रुक जात हे। कई चिमटे रखे हुए थे। उसे ख्याल आया, दादी के पास चिमटा नहीं है। तवे से रोटियाँ उतारती हैं, तो हाथ जल जाता है। अगर वह चिमटा ले जाकर दादी को दे दे तो वह कितना प्रसन्न होगी! फिर उनकी ऊँगलियाँ कभी न जलेंगी। घर में एक काम की चीज हो जाएगी। खिलौने से क्या फायदा? व्यर्थ में पैसे खराब होते हैं। जरा देर ही तो खुशी होती है। फिर तो खिलौने को कोई आँख उठाकर नहीं देखता। यह तो घर पहुँचते-पहुँचते टूट-फूट बराबर हो जाएँगे। चिमटा कितने काम की चीज है। रोटियाँ तवे से उतार लो, चूल्हे में सेंक लो। कोई आग माँगने आये तो चटपट चूल्हे से आग निकालकर उसे दे दो। अम्मा बेचारी को कहाँ फुरसत है कि बाजार आएँ और इतने पैसे ही कहाँ मिलते हैं? रोज हाथ जला लेती हैं।
हामिद के साथी आगे बढ़ गए हैं। सबील पर सबके सब शर्बत पी रहे हैं। देखो, सब कितने लालची हैं। इतनी मिठाइयाँ लीं, मुझे किसी ने एक भी न दी। उस पर कहते है, मेरे साथ खेलो। मेरा यह काम करो। अब अगर किसी ने कोई काम करने को कहा, तो पूछूँगा। खाएँ मिठाइयाँ, आप मुँह सड़ेगा, फोड़े-फुन्सियाँ निकलेंगी, आप ही जबान चटोरी हो जाएगी। तब घर से पैसे चुराएँगे और मार खाएँगे। किताब में झूठी बातें थोड़े ही लिखी हैं। मेरी जबान क्यों खराब होगी? अम्माँ चिमटा देखते ही दौड़कर मेरे हाथ से ले लेंगी और कहैंगी—मेरा बच्चा अम्मॉँ के लिए चिमटा लाया है। कितना अच्छा लड़का है।
इन लोगों के खिलौने पर कौन इन्हें दुआएँ देगा? बड़ों का दुआएँ सीधे अल्लाह के दरबार में पहुँचती हैं, और तुरंत सुनी जाती हैं। में भी इनसे मिजाज क्यों सहूँ? मैं गरीब सही, किसी से कुछ माँगने तो नहीं जाते। आखिर अब्बाजान कभी न कभी आएँगे। अम्मा भी आएँगी ही। फिर इन लोगों से पूछूँगा, कितने खिलौने लोगे? एक-एक को टोकरियों खिलौने दूँ और दिखा हूँ कि दोस्तों के साथ इस तरह का सलूक किया जात है। यह नहीं कि एक पैसे की रेवड़ियाँ लीं,तो चिढ़ा-चिढ़ाकर खाने लगे। सबके सब हँसेंगे कि हामिद ने चिमटा लिया है। हँसें! मेरी बला से! उसने दुकानदार से पूछा—यह चिमटा कितने का है?
दुकानदार ने उसकी ओर देखा और कोई आदमी साथ न देखकर कहा—तुम्हारे काम का नहीं है जी!
‘बिकाऊ है कि नहीं?’
‘बिकाऊ क्यों नहीं है? और यहाँ क्यों लाद लाए हैं?’
तो बताते क्यों नहीं, कै पैसे का है?’
‘छ: पैसे लगेंगे।‘
हामिद का दिल बैठ गया।
‘ठीक-ठीक पाँच पैसे लगेंगे, लेना हो लो, नहीं चलते बनो।‘
हामिद ने कलेजा मजबूत करके कहा तीन पैसे लोगे?
यह कहता हुआ व आगे बढ़ गया कि दुकानदार की घुड़कियाँ न सुने। लेकिन दुकानदार ने घुड़कियाँ नहीं दी। बुलाकर चिमटा दे दिया। हामिद ने उसे इस तरह कंधे पर रखा, मानों बंदूक है और शान से अकड़ता हुआ संगियों के पास आया। जरा सुनें, सबके सब क्या-क्या आलोचनाएँ करते हैं!
मोहसिन ने हँसकर कहा—यह चिमटा क्यों लाया पगले, इसे क्या करेगा?
हामिद ने चिमटे को जमीन पर पटकर कहा—जरा अपना भिश्ती जमीन पर गिरा दो। सारी पसलियाँ चूर-चूर हो जाएँ बचा की।
महमूद बोला—तो यह चिमटा कोई खिलौना है?
हामिद—खिलौना क्यों नही है! अभी कंधे पर रखा, बंदूक हो गई। हाथ में ले लिया, फकीरों का चिमटा हो गया। चाहूँ तो इससे मजीरे का काम ले सकता हूँ। एक चिमटा जमा दूँ, तो तुम लोगों के सारे खिलौनों की जान निकल जाए। तुम्हारे खिलौने कितना ही जोर लगाएँ, मेरे चिमटे का बाल भी बाँका नही कर सकते मेरा बहादुर शेर है चिमटा।
सम्मी ने खंजरी ली थी। प्रभावित होकर बोला—मेरी खंजरी से बदलोगे? दो आने की है।

tumblr_inline_nhokqptjb81qcv3e0चिमटे ने सभी को मोहित कर लिया, अब पैसे किसके पास धरे हैं? फिर मेले से दूर निकल आए हैं, नौ कब के बज गए, धूप तेज हो रही है। घर पहुंचने की जल्दी हो रही हे। बाप से जिद भी करें, तो चिमटा नहीं मिल सकता। हामिद है बड़ा चालाक। इसीलिए बदमाश ने अपने पैसे बचा रखे थे।
अब मियाँ हामिद का हाल सुनिए। अमीना उसकी आवाज सुनते ही दौड़ी और उसे गोद में उठाकर प्यार करने लगी। सहसा उसके हाथ में चिमटा देखकर वह चौंकी।
‘यह चिमटा कहाँ था?’
‘मैंने मोल लिया है।‘
‘कै पैसे में?
‘तीन पैसे दिये।‘
अमीना ने छाती पीट ली। यह कैसा बेसमझ लड़का है कि दोपहर हुआ, कुछ खाया न पिया। लाया क्या, चिमटा! ‘सारे मेले में तुझे और कोई चीज न मिली,जो यह लोहे का चिमटा उठा लाया?’
हामिद ने अपराधी-भाव से कहा—तुम्हारी उँगलियाँ तवे से जल जाती थीं, इसलिए मैंने इसे लिया।
बुढ़िया का क्रोध तुरन्त स्नेह में बदल गया, और स्नेह भी वह नहीं, जो प्रगल्भ होता हे और अपनी सारी कसक शब्दों में बिखेर देता है। यह मूक स्नेह था,खूब ठोस, रस और स्वाद से भरा हुआ। बच्चे में कितना त्याग, कितना सद्भाव और कितना विवेक है! दूसरों को खिलौने लेते और मिठाई खाते देखकर इसका मन कितना ललचाया होगा? इतना जब्त इससे हुआ कैसे? वहाँ भी इसे अपनी बुढ़िया दादी की याद बनी रही। अमीना का मन गदगद हो गया।
और अब एक बड़ी विचित्र बात हुई। हामिद के इस चिमटे से भी विचित्र। बच्चे हामिद ने बूढ़े हामिद का पार्ट खेला था। बुढ़िया अमीना बालिका अमीना बन गई। वह रोने लगी। दामन फैलाकर हामिद को दुआएँ देती जाती थी और आँसू की बड़ी-बड़ी बूँदें गिराती जाती थी। हामिद इसका रहस्य क्या समझता!

 

अब महिलाओं को मिलेगी 26 हफ्तों की मैटरनिटी लीव

नई दिल्ली। वर्किंग वुमन के लिए घर और ऑफिस संभालना मुश्किल तो होता ही है पर यह दिक्कत प्रेग्नेंट होने की स्थिति में और बढ़ जाती है। लेकिन अब उम्मीद है कि इनकी यह मुश्किल खत्म हो जाएगी क्योंकि जल्द ही मैटरनिटी लीव को और बढ़ाया जा सकता है।

पब्लिक सेक्टर और प्राइवेट कंपनियों में कार्यरत महिलाओं को 26 हफ्तों का मातृत्व अवकाश दिया जा सकता है। फिलहाल मातृत्व अवकाश के लिए 12 हफ्तों का प्रावधान है और अगर प्रस्ताव पारित हो गया, तो यह छुट्टी बढ़कर दोगुने से भी अधिक हो जाएगी।

इतना ही नहीं 26 हफ्तों की छुट्टी के बाद वर्किंग मदर्स को घर से काम करने की इजाजत दिए जाने पर भी विचार किया जा रहा है। मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 में संशोधन के लिए तैयार किए गए कैबिनेट नोट के ये कुछ खास प्रावधान हैं।

लेकिन घर से काम करने देने की छूट केवल उन्हीं मामलों में उपलब्ध होगा जहां जॉब नेचर महिला स्टाफ को इसकी इजाजत देता हो। इसके लिए महिला स्टाफ और उसके नियोक्ता की आपसी रजामंदी भी जरूरी होगी। दो या दो से ज्यादा बच्चों की मां 26 हफ्तों की छुट्टी पर दावा नहीं कर पाएंगी।

 

कपिल शर्मा के शो में लौट रही हैं बुआ

‘कॉमेडी नाइट्स विद कपिल’ की बुआ उपासना सिंह के प्रशंसकों के दिल को खुश करने वाली खबर आ रही है। उपासना जल्द ही कपिल शर्मा के साथ उनके शो ‘द कपिल शर्मा शो’ में नजर आएंगी। इस रविवार शो में उनकी झलक देखने को मिल सकती है।

‘स्पॉट बॉय’ की खबर के मुताबिक इस रविवार से उपासना शो में नजर आएंगी। शो में वो बुआ के नहीं बल्कि पाकिस्तानी कॉमेडियन नसीम विक्की की पत्नी के रोल में नजर आएंगी।

आपको बता दें ‘कॉमेडी नाइट्स विद कपिल’ खत्म होने के बाद शो की पूरी टीम ने कलर्स का साथ छोड़ दिया, लेकिन उपासना चैनल के साथ बनीं रही और वो कृष्णा अभिषेक के शो ‘कॉमेडी नाइट्स लाइव’ में नजर आने लगीं। शो में अपने रोल से संतुष्टि ना मिलने के चलते उपासना ने इस शो को अलविदा कह दिया।

‘कॉमेडी नाइट्स लाइव’ को छोड़ने के बाद उपासना ने शो के प्रोड्यूसर पर चार महीने से पैसे ना देने का आरोप भी लगाया। खैर अब उपासना एक बार फिर से कपिल और उनकी पूरी टीम के साथ ‘द कपिल शर्मा शो’ में नजर आएंगी।